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Wednesday 16 October 2024

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद में 36 वर्षीय महिला के गॉलब्लैडर में से   1170 से अधिक स्टोन्स (पथरी) निकाले गए

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद में 36 वर्षीय महिला के गॉलब्लैडर में से 1170 से अधिक स्टोन्स (पथरी) निकाले गए

 



फरीदाबाद, 16 अक्टूबर, 2024: फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल, फरीदाबाद ने चिकित्सा क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि दर्ज कराते हुए एक 36 वर्षीय महिला के गॉल ब्लैडर में से 1,170 स्टोन्स सफलतापूर्वक निकाले हैं। डॉ बी डी पाठक, डायरेक्टर, जनरल सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने इस सर्जरी को अंजाम दिया और मरीज की हालत स्थिर होने के बाद अगले दिन उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।  
मरीज को इससे पहले, पिछले 2-3 दिनों से पेट में भयंकर दर्द की शिकायत के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मरीज की अल्ट्रासाउंड जांच समेत अन्य डायग्नॉस्टिक टेस्ट से पता चला कि उनके गॉल ब्लैडर में कई स्टोन्स (पथरी की समस्या) थे। इनमें से कई स्टोन्स कॉमन बाइल डक्ट में चले गए थे जिनकी वजह से उन्हें पैंक्रियाइटिस की शिकायत भी हो चुकी थी। डॉक्टरों ने कॉमन बाइल डक्ट से स्टोन्स निकालने के लिए शुरू में एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलनजियोपैंक्रियोग्राफी (ईआरसीपी) प्रक्रिया की और इसके बाद सिंगल इंसाइजन लैपरोस्कोपिक सर्जरी की मदद से गॉलब्लैडर में से बाकी स्टोन्स भी निकाले।  
मामले की जानकारी देते हुए, डॉ बी डी पाठक, डायरेक्टर, जनरल सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद ने कहा, “यह ऐसा दुर्लभ मामला था जिसमें मरीज के गॉलब्लैडर से 1,170 से अधिक स्टोन्स निकाले गए। यदि समय पर मरीज का इलाज नहीं किया जाता तो इन स्टोन्स की वजह से उन्हें जॉन्डिस या पैंक्रियाज़ में सूजन और गॉलब्लैडर में छेद की समस्या भी हो सकती थी, यह एक्यूट कोलेसाइटिटिस का ऐसा दुर्लभ मामला था जिसकी वजह से गॉलब्लैडर में सूजन और लाली भी आती है। इस मामले से यह संदेश पूरे समाज को जाता है कि कभी भी गॉल ब्लैडर में स्टोन्स की  

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समस्या की अनदेखी नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसकी वजह से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं, और कई बार बीमारियों के अलावा मरीज की मृत्यु तक हो सकती है।”
योगेंद्र नाथ अवधिया, फैसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल फरीदाबाद ने कहा, “डॉ बी डी पाठक के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने इस मामले को सावधानीपूर्वक संभाला और बेहद सटीकता तथा मरीज की देखभाल पर जोर देते हुए सर्जरी की। इन मामलों में डायग्नॉस्टिक एप्रोच के साथ-साथ मैनेजमेंट रणनीतियों एवं इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है, और फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल फरीदाबाद ऐसे चुनौतीपूर्ण मामलों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।”
फोर्टिस हैल्‍थकेयर लिमिटेड के बारे में  
फोर्टिस हैल्‍थकेयर लिमिटेड, जो कि आईएचएच बेरहाड हैल्‍थकेयर कंपनी है, भारत में अग्रणी एकीकृत स्‍वास्‍थ्‍य सेवा प्रदाता है। यह देश के सबसे बड़े स्‍वास्‍थ्‍यसेवा संगठनों में से एक है जिसके तहत् 28 हैल्‍थकेयर सुविधाएं, 4,500+ बिस्‍तरों की सुविधा (ओ एंड एम सुविधाओं समेत) तथा 400 से अधिक डायग्‍नॉस्टिक केंद्र (संयुक्‍त उपक्रम सहित) हैं। भारत के अलावा, संयुक्‍त अरब अमीरात (यूएई) तथा नेपाल और श्रीलंका में भी फोर्टिस परिचालन करती है। कंपनी भारत के बीएसई लिमिटेड और नैशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज (एनएसई) पर सूचीबद्ध है। यह अपनी साझेदारी से बल मिलता है और वैश्विक दिग्‍गज तथा प्रवर्तक कंपनी – आईएचएच से प्रेरित है तथा मरीजों की विश्‍व स्‍तरीय देखभाल एवं क्‍लीनिकल उत्‍कृष्‍टता के लिए उनके ऊंचे मानकों से प्रेरणा लेती है। फोर्टिस के ~23,000 कर्मचारी (एगिलस डायग्‍नॉस्टिक्‍स सहित) जो दुनिया के सबसे भरोसेमंद हैल्‍थकेयर नेटवर्क बनने के लिए अपना दृष्टिकोण साझा करते हैं। फोर्टिस के पास क्‍लीनिक्‍स से लेकर क्‍वाटरनरी केयर सुविधाओं समेत एकीकृत स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं उपलब्‍ध हैं।


Saturday 28 September 2024

 डॉक्टरों ने गंभीर हार्ट अटैक से पीड़ित 43 वर्षीय व्यक्ति की जान बचाई

डॉक्टरों ने गंभीर हार्ट अटैक से पीड़ित 43 वर्षीय व्यक्ति की जान बचाई

         समय पर इलाज मिलने से हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट से ग्रस्त मरीजों की जान बचाई जा सकती है


·         सुस्त जीवनशैली, तला-भुना खाना, व्यायाम की कमी, बढ़ा हुआ रक्तचाप, शुगर लेवल बढ़ने के कारण लोगों में हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ रहा है


फरीदाबाद: विश्व हृदय दिवस (29 सितंबर 2024) के उपलक्ष्य में, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद के हृदय रोग विशेषज्ञों की एक टीम ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला है कि पिछले डेढ़ दशक से हार्ट अटैक (दिल का दौरा) का खतरा युवा लोगों में बढ़ रहा है। हाल ही में मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद की कार्डियोलॉजी टीम ने पलवल निवासी 43 वर्षीय संदीप गोयल की जान बचाई, जिन्हें गंभीर दिल का दौरा पड़ा था। सीने में दर्द की शिकायत के बाद, शुरू में परिवार के सदस्य उन्हें पलवल के एक नजदीकी नर्सिंग होम में ले गए, जहां ईसीजी में बड़े हार्ट अटैक के लक्षण सामने आए। विशेषज्ञ चिकित्सकों से हृदय संबंधी इलाज कराने के लिए मरीज को रात करीब 3 बजे मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद में लाया गया। यह पूरी घटना मरीज के परिजन के लिए अचानक और चिंताजनक थी, क्योंकि आम धारणा यह थी कि दिल का दौरा पड़ने की समस्या वृद्ध लोगों को होती है। डॉक्टरों की टीम ने मरीज की हालत सामान्य करने के लिए तुरंत एक्शन लिया और मरीज को उचित उपचार प्रदान कर उसकी जान बचाई।


डॉ. गजिंदर कुमार गोयल, डायरेक्टर- कार्डियोलॉजी विभाग, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने कहा कि “मरीज़ हमारे पास सीने में असहनीय दर्द की शिकायत लेकर आया था। इसके साथ ही, मरीज को बहुत पसीना आ रहा था और वह बेचैन था, सांस भी फूल रही थी। दोबारा ईसीजी की गई जिसमें एसटी के बढ़ा होने का पता चला। फिर मरीज को तुरंत कोरोनरी एंजियोग्राफी के लिए ले जाया गया, जिसमें पता चला कि एलएडी धमनी नामक हार्ट की मुख्य आर्टरी 100 प्रतिशत ब्लॉक है। हमने तुरंत स्टेंटिंग के साथ प्राइमरी एंजियोप्लास्टी की। स्टेंट डालने से पहले थ्रोम्बेक्टोमी मशीन की मदद से धमनी से क्लॉट (खून का थक्का) भी निकाल दिया गया। इस प्रक्रिया में आधा घंटे का समय लगा। 24 घंटे तक मरीज को कार्डियक केयर यूनिट (हृदय देखभाल इकाई) में देखरेख में रखा गया और 48 घंटे बाद उसे छुट्टी दे दी गई। मरीज अब अपने दैनिक कार्यों को करने में सक्षम हो गया है और अपने परिवार के सदस्यों के साथ सामान्य जीवन जी रहा है।”


डॉ. गजिंदर कुमार गोयल ने आगे कहा, “हृदय स्वास्थ्य केवल एक चिकित्सा चिंता नहीं है, बल्कि एक सामुदायिक जिम्मेदारी है। अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करके हम सामूहिक रूप से हृदय रोग के बोझ को कम कर सकते हैं। हम सभी से आग्रह करते हैं कि वे ‘दिल से काम लें’ और अपने स्वास्थ्य एवं सेहत को ठीक रखने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। वैश्विक स्तर पर दिल के दौरे की समस्या आमतौर पर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में देखी जाती है लेकिन लेकिन भारत में 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों में दिल के दौरे की समस्या तेजी से आम हो गई है। हार्ट अटैक के 50 प्रतिशत से अधिक मामले 50 वर्ष से कम आयु के लोगों में देखने को मिल रहे हैं और हार्ट अटैक के 10-25 प्रतिशत मामले 40 वर्ष से कम आयु के लोगों में सामने आ रहे हैं। इसलिए अगर युवा लोगों को सीने में दर्द, बहुत ज़्यादा पसीना आना, घबराहट होना, सांस फूलने जैसी समस्या हो तो कृपया इसे नज़रअंदाज़ न करें क्योंकि ये हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत नज़दीकी डॉक्टर से सलाह लें।”

Friday 16 August 2024

   Blood donation camp organized at JC Bose University

Blood donation camp organized at JC Bose University


Faridabad, 17 August – J.C. Bose University of Science and Technology, YMCA, Faridabad, in collaboration with the District Red Cross Faridabad and Marwari Yuva Manch, today organized a voluntary Blood Donation Camp on the campus. This event was part of a series of activities leading up to the University's 5th Convocation, scheduled for August 21, 2024.
The event was inaugurated by Prof. Munish Vashishatha, Dean of Student Welfare, on behalf of Prof. S.K. Tomar, Vice-Chancellor of the University, and Sh. Bijender Sorot, Secretary of the District Red Cross Society, Faridabad. The dignitaries present at the inauguration emphasized the importance of blood donation and encouraged students to participate actively.
The camp was organized with the technical support of the District Red Cross Team, including Sh. Bijender Sorot (Secretary), Mr. Purushottam Saini (District Training Officer), and Mr. Vimal Khandelwal. The Dean of Student Welfare and the YRC team were also present, motivating students to contribute to this noble cause.
The camp witnessed an overwhelming response, with more than 70 volunteers, including students, faculty, and staff members, stepping forward to donate blood. Over 50 donors, including an encouraging number of female students, contributed to the cause. The donors and volunteers were honored with certificates and prizes for their selfless contribution.'
Dr. Navish Kataria, YRC Cell Coordinator, along with YRC Counselors and volunteers, coordinated the camp. Vice-Chancellor Prof. S.K. Tomar congratulated the organizers for the successful event and lauded their efforts in contributing to this vital social cause.

Thursday 11 July 2024

 फाइज़र और अमृता अस्पताल फरीदाबाद ने वयस्क टीकाकरण के लिए उत्कृष्टता केंद्र के लॉन्च के लिए किया कोलैबोरेट

फाइज़र और अमृता अस्पताल फरीदाबाद ने वयस्क टीकाकरण के लिए उत्कृष्टता केंद्र के लॉन्च के लिए किया कोलैबोरेट

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) का लक्ष्य वयस्क टीकाकरण को बढ़ावा देकर टीके से रोकी जा सकने वाली बीमारियों के खिलाफ सामुदायिक सुरक्षा को बढ़ाना है।

फरीदाबाद, 11 जुलाई 2024: अमृता अस्पताल और फ़ाइज़र इंडिया ने अमृता अस्पताल फरीदाबाद में वयस्क टीकाकरण के लिए एक नए समर्पित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) लॉन्च करने के लिए कोलैबोरेट किया है। सीओई की स्थापना न्यूमोकोकल रोग, इन्फ्लूएंजा, ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी), और हेपेटाइटिस ए और बी सहित कई वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों (वीपीडी) के खिलाफ समग्र समुदाय-व्यापी वयस्क वैक्सीनेशन कवरेज को बढ़ावा देने और लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए की गई है।

भारत में वीपीडी से संबंधित 95% से अधिक मौतों के लिए वयस्क जिम्मेदार हैं। लोगों के जीवन की क्वालिटी में सुधार के लिए एक सिद्ध और प्रभावी वैज्ञानिक रूप से समर्थित तरीका होने के बावजूद, एडल्ट वैक्सीनेशन अभी भी देश में व्यापक रूप से नहीं कराया जाता है। वीपीडी से संबंधित स्वास्थ्य जटिलताओं से बचने के लिए वैक्सीनेशन महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से क्रोनिक फेफड़ों की बीमारी (सीओपीडी और अस्थमा), मधुमेह, क्रोनिक हृदय रोग, क्रोनिक किडनी रोग, कैंसर और अन्य प्रतिरक्षाविहीन स्थितियों जैसे जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए यह आवश्यक है। एडल्ट वैक्सीनेशन के लंबे समय तक चलने वाले सिद्ध लाभों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी के साथ स्वास्थ्य पेशेवरों को सशक्त बनाकर, सीओई क्षेत्र में टीकाकरण की बाधाओं को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

अमृता अस्पताल फरीदाबाद के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. संजीव सिंह ने कहा, “अमृता अस्पताल में, हम अपने रोगियों को व्यापक, गुणवत्तापूर्ण देखभाल प्रदान करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं। जीवन भर टीके से बचाव योग्य बीमारियों के खिलाफ टीका लगवाना व्यक्तियों और जनता को इन बीमारियों से बचाने का एक आसान और प्रभावी तरीका है। वयस्कों के बीच टीकाकरण में वृद्धि को प्रोत्साहित करके, हम संक्रमण के खिलाफ व्यापक, स्तरित सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं, जो कमजोर आबादी का समर्थन करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।"

अमृता अस्पताल फरीदाबाद स्थित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस यह सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा प्रयास करेगा कि स्वास्थ्य देखभालकर्ता एडल्ड वैक्सीनेशन के लाभों और महत्व पर साक्ष्य-आधारित जानकारी से लैस हों। सीओई एडल्ड वैक्सीनेशन दिशानिर्देशों और प्रोटोकॉल सिफारिशों तक पहुंच के साथ-साथ क्षमता निर्माण प्रयासों और होलिस्टिक ट्रेनिंग मॉड्यूल की पेशकश करेगा। इससे स्वास्थ्य देखभाल चिकित्सकों को जोखिम कारकों वाले समूहों के साथ जुड़ने और निवारक स्वास्थ्य देखभाल उपकरण के रूप में टीकाकरण के लाभों पर चर्चा करने में भी मदद मिल सकती है। जोखिम कारकों वाले लोगों में धूम्रपान करने वाले व्यक्ति, प्रदूषण के संपर्क में रहने वाले या 50 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोग शामिल हैं। 

फाइजर वैक्सीन के डायरेक्टर मेडिकल अफेयर डॉ. संतोष तौर ने कहा, “फाइजर में, हम अधिक से अधिक लोगों को स्वस्थ, रोग-मुक्त जीवन जीने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अमृता अस्पताल के सहयोग से इस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का उद्घाटन वैज्ञानिक नवाचार के नेतृत्व में सार्वजनिक स्वास्थ्य को आगे बढ़ाने की हमारी दशकों लंबी यात्रा में एक महत्वपूर्ण माइलस्टोन है। यह टीके से बचाव योग्य बीमारियों के खिलाफ अधिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरे समुदाय में वयस्क टीकाकरण कवरेज को बढ़ाने की हमारी प्रतिबद्धता को दोहराता है। इस केंद्र के माध्यम से, हम स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और रोगियों को देखभाल निर्णय लेने और टीकाकरण जैसी निवारक रणनीतियों को अपनाने के लिए व्यापक और महत्वपूर्ण जानकारी के साथ सशक्त बनाने का इरादा रखते हैं।"

Friday 1 December 2023

 फोर्टिस अस्पताल फरीदाबाद में 51 साल के एक फैक्ट्री कर्मचारी के लीवर से 9 से.मी. की धातु की गोलाकार वस्तु सफलतापूर्वक निकाली गई

फोर्टिस अस्पताल फरीदाबाद में 51 साल के एक फैक्ट्री कर्मचारी के लीवर से 9 से.मी. की धातु की गोलाकार वस्तु सफलतापूर्वक निकाली गई

फरीदाबाद, 01 दिसंबर, 2023: फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल, फरीदाबाद में डॉक्टरों की एक टीम ने 51 साल के एक फैक्ट्री कर्मचारी के लीवर से 9 से.मी. की धातु की गोलाकार वस्तु सफलतापूर्वक निकाली। करीब 86 ग्राम वज़न की यह वस्तु दरअसल, उस एल्युमीनियम फोर्जिंग फैक्ट्री में लगी मशीनरी का टूटा हुआ हिस्सा था जिसमें यह मरीज़ काम करता था। यह घटना उस समय हुई जब इस हाइ-स्पीड मशीनरी में से धातु का एक हिस्सा इस कर्मचारी के दाएं फेफड़े को चीरता हुआ सीने की हड्डियों के पार उसके लीवर में जा घुसा। धातु का हिस्सा उसके लीवर की बायीं ओर घुसने से पहले उसके हृदय को भी हल्का-सा छूकर गुजरा। मरीज़ फरीदाबाद स्थित जवाहर कालोनी का रहने वाला है। 


डॉ बी डी पाठक, डायरेक्टर, जनरल सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने अत्याधुनिक लैपरोस्कोपिक तकनीक की मदद से इस इस धातु की वस्तु को निकाला। जिस तकनीक से यह सर्जरी की गई उसके चलते आसपास के अंगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा और और करीब एक घंटे से भी कम समय में इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। मरीज़ को स्वस्थ होने के बाद 7 दिनों में अस्पताल से छुट्टी मिल गई।


मरीज को काफी गंभीर हालत में अस्पताल में लाया गया था और उन्हें काफी दर्द था। उनकी छाती और पेट में सीटी स्कैन दायीं तरफ न्यूमोथोरैक्स (फेफड़े के बाहर की ओर हवा भरना) दिखायी दिया जबकि लीवर के बायीं ओर और हृदय के ठीक नीचे एक बड़ी धातु की वस्तु थी। मरीज के लीवर इस वस्तु को निकालने के लिए उन्की लैपरोस्कोपिक सर्जरी की गई। इस सर्जरी के दौरान न सिर्फ इस बाहरी वस्तु को निकाला गया बल्कि इसकी वजह से लीवर और अन्य टिश्यू को पहुंचे नुकसान के चलते उन्हें रिपेयर भी किया गया।


डॉ बी डी पाठक, डायरेक्टर, जनरल सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद ने कहा, “हमने एडवांस लैपरोस्कोपिक तकनीक की मदद से इस धातु की वस्तु को निकाला। आमतौर पर इस तरह के मामलों में पेट में बड़ा चीरा लगाया जाता है, लेकिन इस मामले में यह वस्तु फेफड़े के बायीं ओर हृदय के काफी नजदीक थी, इसलिए इस दोनों नाजुक अंगों को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने के लिए नवीनतम लैपरोस्कोपिक तकनीक का सहारा लिया गया। इस वस्तु की वजह से फेफड़े, लीवर और आसपास के कुछ अंगों को नुकसान पहुंचा था। यदि इसे समय पर नहीं निकाला जाता तो मरीज की मृत्यु हो सकती थी या वह लंबे समय तक लीवर के बेकार पड़ने और अन्य जटिलताओं से ग्रस्त हो सकता था।”


योगेंद्र नाथ अवधीया, फैसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल फरीदाबाद ने कहा, “मरीज की गंभीर हालत के मद्देनज़र यह काफी चुनौतीपूर्ण मामला था। डॉ बी डी पाठक, डॉ सैयद सादिक अली हफ्फान और डॉ विनीत एवं डॉ एविटा के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने मिनीमल एक्सेस तकनीक की मदद से मरीज का एकदम सटीक उपचार किया। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल फरीदाबाद में सटीक डायग्नासिस और उपचार के लिए अनुभवी क्लीनिशयन और एडवांस टैक्नोलॉजी उपलब्ध है, जो मरीजों के स्वास्थ्यलाभ में मददगार साबित होती है।”

Sunday 29 October 2023

वर्ल्ड स्ट्रोक डे पर मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स से ब्रेन एंड स्पाइन सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. तरुण शर्मा ने बताया कि सर्दी में बढ़ने वाले ब्रेन स्ट्रोक एवं ब्रेन हेमरेज (दिमाग की नस फटने) से कैसे बचें

वर्ल्ड स्ट्रोक डे पर मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स से ब्रेन एंड स्पाइन सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. तरुण शर्मा ने बताया कि सर्दी में बढ़ने वाले ब्रेन स्ट्रोक एवं ब्रेन हेमरेज (दिमाग की नस फटने) से कैसे बचें

 

फरीदाबाद : मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स से ब्रेन एंड स्पाइन सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. तरुण शर्मा ने बताया कि सर्दी बढ़ने पर अक्सर ब्रेन स्ट्रोक एवं ब्रेन हेमरेज (दिमाग की नस फटने) के मामले ज्यादा बढ़ जाते हैं। बुजुर्ग लोगों, मोटापा से ग्रस्त लोगों, शुगर और उच्च रक्तचाप के मरीजों को स्ट्रोक होने का ज्यादा खतरा होता है। अस्पताल के आपातकालीन विभाग में सप्ताह में 9-10 मरीज ब्रेन स्ट्रोक के एडमिट होते हैं जिनमें 80 फीसदी मरीज मस्तिष्क की धमनियों में खून के थक्के और 20 प्रतिशत मरीज ब्रेन हेमरेज (मस्तिष्क की धमनियों का फट जाना) से पीड़ित पाए जाते हैं। दरअसल मस्तिष्क में रक्त का संचार रुक जाने के कारण स्ट्रोक हो जाता है। इसके लिए दो कारण जिम्मेवार हैं- मस्तिष्क की धमनियों में क्लॉट (खून के थक्के) का जमना और धमनियों का फट जाना। व्यक्ति का एक तरफ का चेहरा टेढ़ा हो जाना, शरीर के एक तरफ के हिस्से में लकवा हो जाना, व्यक्ति को इस बीमारी के शुरूआती लक्षण जैसे कि एकाएक बोलने में दिक्कत आना, चलने में परेशानी होना और बहुत अधिक चक्कर आना आदि लक्षण दिखाई देने पर उसे तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए क्योंकि स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है। अनियमित जीवन शैली, खराब खानपान और तनाव के कारण यह समस्या कम उम्र में भी हो सकती है लेकिन आमतौर पर 50 वर्ष की उम्र के बाद देखी जाती है।
जिन लोगों को ब्लड प्रेशर, शुगर, कोलेस्ट्रॉल अधिक होने की शिकायत होती है और धूम्रपान एवं शराब का अधिक सेवन करते हैं, उनमें स्ट्रोक की सम्भावना सबसे अधिक होती है। इसका पता करने के लिए सीटी स्कैन, एमआरआई एवं दिमाग की नसों की एंजियोग्राफी आदि जांचें की जाती हैं। स्ट्रोक होने के साढ़े चार घंटे अंदर मरीज को क्लॉट घुल जाने के लिए इंजेक्शन दिया जाता है जिससे मस्तिष्क की धमनियों में रक्त संचार फिर से शुरू हो जाता है। अगर ब्रेन हेमरिज छोटा है तो दवाइयां दी जाती है और ब्लड प्रेशर नियंत्रित किया जाता है। ब्रेन हेमरिज बड़ा होने पर ऑपरेशन किया जाता है।
ब्रेन स्ट्रोक होने पर मरीज की जान बचाने के लिए पहला घंटा बहुत अहम् होता है इसलिए इसे "गोल्डन टाइम" माना जाता है। इस एक घंटे के अंदर उच्च प्रशिक्षित एवं अनुभवी न्यूरोसर्जन की देखरेख में इलाज किये जाने पर मरीज को गंभीर स्थिति में जाने से बचाया जा सकता है। देर करने से मरीज की जान को जोखिम बढ़ सकता है।
बचाव
· धूम्रपान व शराब के सेवन से बचें।
· संतुलित आहार लें।
नियमित व्यायाम करते रहें व अनावश्यक तनाव से दूर रहें।
· मोटापा न बढ़ने दें।
सर्दी के मौसम में बुजुर्ग लोग, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप रोगी सुबह-शाम सर्दी से बचाव करें और ब्लड प्रेशर, शुगर लेवल चेक करते रहें।
दोपहिया सवार, कामकाजी लोगों को अधिक सतर्क रहें-घर से बाहर निकलने के दौरान सिर को ढक कर रखें, ठीक तरीके से गर्म कपड़े पहनें
सुबह नहाने के समय ठंडे पानी को पहले शरीर पर डालना चाहिए, उसके बाद सिर पर डालें

Sunday 10 April 2022

 एकार्ड अस्पताल स्वास्थय जांच षिविर में 245 लोगों की जांच

एकार्ड अस्पताल स्वास्थय जांच षिविर में 245 लोगों की जांच

FARIDABAD :  एकार्ड सुपरस्पेषलिटी अस्पताल सैक्टर -86 फरीदाबाद द्वारा विष्व स्वास्थय दिवस के उपलक्ष्य में निषुल्क स्वास्थय जांच षिविर का आयोजन किया गया जिसमें 245 लोगों ने अपने स्वस्थय की जांच करवाई ! एकार्ड अस्पताल की ओर से दिमाग रोग विषेपज्ञ डा0 रोहित गंुप्ता हडडी रोग विषेपज्ञ डा0 युवराज कुमार हदय रोग विषेपज्ञ डा0 सिम्मी मिनोचा न्यूरोसर्जन डा0 हिमांषु अरोडा बाल रोग विषेपज्ञ डा0 प्रभात वाजपेयी सर्जरी विभाग से डा0 राजीव गर्ग वरीप्ठ महिला रोग विषेपज्ञ डा0 सबिता कुमारी डा0 दिव्या कुमार  किडनी रोग विषेपज्ञ डा0 जितेन्द्र कुमार डा0 अनीष कुमार एंव मेडिसन स्पेषलिस्ट डा0 सुरेन्द्र मीना ने मरीजों की जांच की ! 

डा0 युवराज कुमार ने बताया कि कोरोना महामारी में लगातार घर पर रहने के कारण बहुत से लोगों ने ना तो अपने षरीर की जांच करवाई और ना ही किसी प्रकार की एक्सरसाइस पर ज्यादा ध्यान दिया ! षिविर में आने वाले कुछ मरीज ऐसे भी थे कि जिनको बीमारी की षुरूवात थी जिसका समय पर इलाज होने पर बीमारी की गंभीर स्थिति से बचा जा सकता है ! उन्होने बताया कि वर्तमान में एकार्ड अस्पताल में सभी प्रकार की सर्जरी - भर्ती - डायलिसिस - लैब एंव रेडियोलौजी की सुविधाएं चालू हो चुकी हैं और जल्द ही बाकी की सभी चिकित्सा संबंधी सुविधांए भी षुरू कर दी जाएगी और आने वाले समय में भी एकार्ड अस्पताल समय-समय पर इस प्रकार के षिविर का आयोजन करता रहेगा !

Friday 12 March 2021

एफआईए एवं मैट्रो अस्पताल फरीदाबाद ने संयुक्त रूप से शुरू किया स्वास्थ्य जागरूकता अभियान

एफआईए एवं मैट्रो अस्पताल फरीदाबाद ने संयुक्त रूप से शुरू किया स्वास्थ्य जागरूकता अभियान

 

फरीदाबाद, मार्च 13  I एफआईए एवं मैट्रो अस्पताल फरीदाबाद में कार्यरत विभिन्न उद्योगों एवं कंपनियों के कर्मचारियों को स्वास्थ्य जागरूक बनाए के लिए शुरू किया"एफआईए - मैट्रो स्वास्थ्य जागरूकता अभियान"

पदम विभूषण ,पदम भूषण बीसीरॉय से सम्मानित मैट्रो अस्पताल के चेयरमैन डॉक्टर पुरषोत्तम लाल ने बताया कि" विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व के बहुत सारे देशों में आधे से ज्यादा कर्मचारी अनौपचारिक क्षेत्र के उद्योगों में कार्यरत है, और यह सब किसी स्वास्थ्य बीमा या सुविधा के अंतर्गत नहीं आते।

एक अनुमान के मुताबिक विकास शील देशों में लगभग सवा करोड़ लोग हर साल नॉन कम्युनि के बल डिसीज़ आधारित लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारियों से अपनी जान से हाथ धो बैठते है।"




फ़रीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रेसिडेंट श्री बीआर भाटिया ने इस मौके पर बताया किएक कर्मचारी औसतन अपना एक तिहाई जीवन अपने कार्य स्थल पर गुजारता है।कर्मचारियों की सेहत का किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का सीधा संबंध है।कार्य क्षेत्र पर उपस्थित विभिन्न प्रकार के जोखिम जैसे किगर्मी, शोर, धुल, रसायन, मशीन, स्ट्रेस इत्यादि बीमारियों को बढ़ाती है।कर्मचारी जोकि स्ट्रेस एवं इस परिस्तिथियों 




में कार्य के उपरांत उनके धूम्रपान करने, व्यायामना कर ने एवं अस्वस्थ भोजन कर ने की संभावना को बढ़ाते है।"

मैट्रो अस्पताल फरीदाबाद के मेडिकल डारेक्टर एवं डाइरेक्ट रइंटरवेंशनल का र्डियोलॉजिस्ट डॉनी रज जैन ने बताया कि"विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हृदय रोग, सुनन ने की क्षमता में कमी, चर्मरोग, लंग कैंसर, उच्च रक्त चाप, मधुमेह आदि बीमारियां कार्य स्थल से जुड़ी हैं ।इस कारण यह बहुत भी जरूरी है कि कर्मचारी अपनी स्वास्थ्य जीवन शैली खान पान के प्रति जागरूक रहें। इसके लिए उन्हें अपनी दिन चर्या में सैर एवं व्यायाम, धूम्र पान पर सख्त रोक,अपने वजन पर कंट्रोल,४० साल से ऊपर के लोगों को साल में एक बार ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर एवं सामान्य ख़ून की जाँच जरूर कराए ।यदि शरीर के को ई दर्द, गांठ, साँस फूलना आदि का कोई लक्षण देखें तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें, क्योंकि समय पर लीस लाह ईलाज़ पर खर्च एवं जीवन दोनों को बचाता है।"






मैट्रो अस्पताल के सीओओ एवं मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मंजिन्दर भट्टी ने बताया कि"इन्हीं तथ्यों को देखते हुए एफआईए फ़रीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन एवं मैट्रो अस्पताल फ़रीदाबाद ने फ़रीदाबाद में कार्यरत निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाने के लिए स्वास्थ्य जागरूकता अभियान की शुरुआत की है।इस अभियान के अंतर्गत फ़रीदाबाद की निजी कंपनियों के कर्मचारियों की जांच मैट्रो अस्पताल के डॉक्टरों की टीम अगले साल में करेगी।फरीदाबाद में ४०० से ज्यादा उद्योग एवं इनमें  ४० लाख कर्मचारी काम करते है ।"

 

 

 जे.सी. बोस विश्वविद्यालय द्वारा स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन

जे.सी. बोस विश्वविद्यालय द्वारा स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन

फरीदाबाद, 13 मार्च - जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा भारत विकास परिषद (बीवीपी), फरीदाबाद और रेड क्रॉस सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में आज विश्वविद्यालय परिसर में स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया है। रक्तदान शिविर सुबह 9.30 बजे शुरू हुआ, जिसका शुभारंभ एसडीएम, फरीदाबाद परमजीत चहल और कुलपति प्रो. दिनेश कुमार द्वारा किया गया। उन्होंने शिविर में भाग लेने वाले विद्यार्थियों को नियमित रक्तदान के लिए प्रोत्साहित भी किया। इस अवसर पर कुलसचिव डाॅ. एस. के. गर्ग, भारत विकास परिषद के अध्यक्ष अशोक गोयल, अन्य अधिकारी राज कुमार अग्रवाल, दिनेश गर्ग, एनएन बंसल, दिनेश गर्ग, राकेश गुप्ता, अजय अग्रवाल, जिला रैड क्राॅस के सहायक सचिव बिजेन्द्र सरौत, इशान कौशिक तथा विमल खण्डेलवाल भी उपस्थित थे। परिषद् के पदाधिकारियों ने भी स्वैच्छिक रक्तदान को लेकर विद्यार्थियों का हौसला बढ़ाया।

रक्तदान शिविर में विद्यार्थियों और कर्मचारियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। शिविर में 150 से अधिक स्वैच्छिक रक्तदाताओं ने रक्तदान किया, जिसमें छात्राओं की भागीदारी उत्साहजनक रही। प्रतिभागियों को रक्तदान के उपरांत प्रमाण पत्र भी प्रदान किये गये। शिविर का संचालन विश्वविद्यालय के यूथ रेड क्रॉस समन्वयक सुशील कुमार द्वारा किया गया।




कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने स्वैच्छिक रक्तदान शिविर के सफल आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि रक्तदान शिविर का आयोजन अपने आप में शिक्षा का हिस्सा है, जो विद्यार्थियों को ‘देने के सुख’ की अनुभूति करवाता है और दूसरों के लिए मदद करने के लिए आगे आने की शिक्षा देता है। उन्होंने कहा कि रक्तदान की समाज की एक बड़ी सेवा है। इसके द्वारा काफी संख्या में लोगों की जान बचाई जा सकती है, खासकर ऐसे लोग जोकि किसी कारणवश दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। 

कुलसचिव डाॅ. एस. के. गर्ग ने कहा कि रक्तदान के लाभकारी पहलुओं को लेकर युवाओं को शिक्षित करने और सुरक्षित रक्त संचार के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय समय-समय पर रक्तदान शिविरों का आयोजन करता है और उन्हें स्वैच्छा से रक्तदान करने के लिए प्रेरित करता है।

डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. लखविंदर सिंह, डिप्टी डीन डॉ अनुराधा पिल्लई और निदेशक युवा कल्याण डॉ प्रदीप डिमरी ने शिविर के संचालन में सहयोग देने के लिए भारत विकास परिषद और रेड क्रॉस के अधिकारियों का आभार जताया।

Monday 8 March 2021

1500 women administered COVID19 vaccine for free at Fortis Hospitals on Women’s Day

1500 women administered COVID19 vaccine for free at Fortis Hospitals on Women’s Day

FARIDABAD : 8th March 2021: Celebrating International Women’s Day, Fortis Healthcare – one of the largest healthcare providers in India, vaccinated more than 1500 women for free across their network. The candidates were selected as per government specified qualifiers. The vaccination took place in Delhi, NOIDA, Faridabad, Gurugram, Mumbai, Bengaluru, Chennai, Kolkata, Mohali, Jaipur and Ludhiana.

 

Dr Ashutosh Raghuvanshi, Managing Director and CEO, Fortis Healthcare shared, “Women play a stellar role both at work and home. At Fortis Healthcare, women account for around 60% of the workforce and play an integral role in the success of the organization, as clinicians, healthcare workers, frontline staff, and others. Women’s health has always been a priority us and todays gesture of providing free vaccination to women was an expression of our gratitude. We wish every woman in India success and good health on International Women’s Day”.   


 

Sharing her experience, daughter of a 66-year-old senior citizen said, “This is a great initiative undertaken by Fortis Healthcare to provide free vaccinations to women across India on the occasion of International Women’s Day. I urge everyone to get themselves vaccinated. My mother is elderly and a patient of rheumatoid arthritis, often in pain with frozen shoulders. The hospital staff was empathetic of her condition and the vaccination process was smooth and efficient. Every woman sitting in the room was filled with positivity and warmth”.

Friday 3 April 2020

आइसोलेशन में  1106  यात्रियों के 103 की रिपोर्ट नेगेटिव , 6 के सैंपल पॉजिटिव : डॉ राम भगत

आइसोलेशन में 1106 यात्रियों के 103 की रिपोर्ट नेगेटिव , 6 के सैंपल पॉजिटिव : डॉ राम भगत

 फरीदाबाद, 3 अप्रैल I उप सिविल सर्जन एवं जिला नोडल अधिकारी-कोरोना डा. रामभगत ने बताया कि जिला में अब तक 1088 यात्रियों को सर्विलांस पर लिया जा चुका है, जिनमें से 156 लोगों का निगरानी में रखने का 28 दिन का पीरियड पूरा हो चुका है। शेष 932 लोग अंडर सर्विलांस हैं। कुल सर्विलांस में रखे गए लोगों में से 1082 होम आइसोलेशन पर हैं। अब तक 169 लोगों के सैंपल लैब में भेजे गए थे, जिनमें से 103 की नेगेटिव रिपोर्ट मिली है तथा 60 की रिपोर्ट आनी शेष है। अब तक 6 लोगों के सैंपल पॉजिटिव मिले हैं जिनमें से ठीक होने के बाद एक को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया है तथा पांच अस्पताल में दाखिल हैं।

उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए जिला में सरकारी व निजी अस्पतालों में 34 आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं, जिनमें 1040 बेड की क्षमता की गई है। उन्होंने बताया कि ब्व्टप्क्-19 के संदिग्ध व कंफर्म मामलों के परिवहन के लिए सभी सुविधाओं से युक्त दो एम्बुलेंस तैयार की गई हैं। जिला स्तर पर सभी मेडिकल और पैरा मेडिकल स्टाफ को ब्व्टप्क्-19 की रोकथाम और प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित किया गया है। इसी प्रकार पर्यावरण स्वच्छता और शुद्धीकरण के बारे में सरकारी व निजी विभागों के कर्मचारियों को दैनिक आधार पर प्रशिक्षण दिया जा रहे हैं। 

उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के संभावित संक्रमण की पृष्ठभूमि को देखते हुए आम जनता को सरकार द्वारा स्वास्थ्य संबंधी हिदायतों की अनुपालना करने की सलाह दी जाती है। लोगो को ध्यान रखना चाहिए कि खाँसी व छींकते समय रूमाल या तौलिया का उपयोग अवश्य करें, हाथों को बार-बार साबुन व पानी से धोते रहें। जब तक बहुत जरूरी न हो, घर से बाहर न निकलें। सार्वजनिक स्थलों व सभाओं में जाने से बचें। जिन लोगों ने हाल ही में कोरोना प्रभावित देशों की यात्रा की है, उन्हें राष्ट्रीय, राज्य या जिला हेल्पलाइन नंबरों पर सूचना देनी चाहिए, उन्हें भारत में आगमन की तारीख से 28 दिनों के लिए सभी से अलग रहना है और किसी से भी स्पर्श करने से बचना है, भले ही उसमें कोई लक्षण न हों।

जेसीबी इंडिया ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई के लिए एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के साथ साझेदारी

जेसीबी इंडिया ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई के लिए एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के साथ साझेदारी

 फरीदाबाद : 3 अप्रैल : अर्थमूविंग एवं कंस्‍ट्रक्‍शन इक्विपमेंट बनाने वाली देश की प्रमुख कंपनी, जेसीबी इंडिया लिमिटेड ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में मदद के लिए एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, फरीदाबाद के साथ साझेदारी की है। इस परियोजना को जेसीबी इंडिया के सीएसआर इनिशिएटिव से आंशिक रूप से वित्‍त घोषित  किया जाएगा। कंपनी पीपीई, दवाइयां, टेस्टिंग किट, सिक्युरिटी सूट्स तथा डॉक्टरों और स्वास्थ्य रक्षा में जुटे कर्मचारियों के लिए कंज्‍यूमेबल्‍स बनाने हेतु फंड जुटाने के लिए पूरी तरह से  प्रतिबद्ध है। इससे कोविड-19 प्रकोप के दौरान फरीदाबाद और आसपास के क्षेत्रों में इस बीमारी से प्रभावित मरीजों को पूरी तरह से मेडिकल सुविधाएं मुहैया कराने की तैयारियों में संयुक्त रूप से तेजी आएगी।  

जेसीबी इंडिया के सीईओ और प्रबंध निदेशक सुबीर कुमार चौधरी ने इस साझेदारी पर टिप्‍पणी करते हुए कहा, “हमने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने, उसके प्रभाव को कम से कम करने के लिए कई स्तरों पर एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के साथ मिलकर रणनीति बनाने की शुरुआत की है ताकि कोविड-19 से पीड़ित मरीजों की मदद की जा सके। कंपनी के मूल्यों को ध्यान में रख कर यह रणनीति अपने संचालन क्षेत्र के आसपास रहने वाले लोगों की मदद करने के लिए तैयार की गई है। हमें पूरा विश्वास है कि इस साझेदारी से फरीदाबाद के लोगों को कोरोनावायरस के इलाज के लिए जरूरी सहयोग मिलेगा, जहां भारत में हमारा मुख्‍यालय स्थित है। हम इस तरह की पहल को अन्य क्षेत्रों में भी करने के बारे में सक्रियता से सोच रहे हैं, जहां हमारी दूसरी फैक्ट्रियां स्थित हैं। एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज फरीदाबाद में सबसे बड़ा प्राइवेट अस्पताल है, जिसकी क्रिटिकल केयर यूनिट सबसे बड़ी है जोकि हरियाणा से लेकर पलवल, होडल और मेवात तक को कवर करती है। इसलिए यह महत्‍वपूर्ण है कि कोरोना वायरस की संभावित थर्ड स्टेज में इस क्षेत्र के मरीजों को बेहतर इलाज के लिए इस अस्पताल में भेजा जाएगा।

एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक डॉ. एन. के. पांडे ने बताया, “हमने फिलहाल हमारे इमरजेंसी फ्‍लोर को कोविड-19 ट्राइएज और आइसोलेशन सेंटर में बदल दिया है (इस तरह यह वॉर्ड अस्पताल के बाकी विभागों से अलग है)। यहां कम, ज्‍यादा और बहुत ज्‍यादा गंभीर रूप से प्रभावित मरीजों के लिए अलग-अलग क्षेत्र हैं। इस क्षेत्र में कम से कम 14 दिन की शिफ्ट करने वाले सभी स्टाफ कर्मियों को आवासीय सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी। इस फ्लोर को आधुनिक मेडिकल उपकरणों और सपोर्ट सिस्टम जैसे वेंटिलेटर्स, सीपीएपी, बीआईपीएपी, डिफिब्रिलेटर्स, ब्रोकेंस्कोपी और एक्सरे जैसी सुविधाओं से पहले से ही लैस किया जा चुका है। केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए प्रभावी और गंभीर कदमों के अलावा हम यहां पर कोरोना वायरस के मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने की तैयारी कर रहे हैं।” 

जेसीबी इंडिया के विषय में :
जेसीबी इंडिया लिमिटेड भारत में पिछले चार दशकों से अर्थमूविंग एवं कंस्‍ट्रक्‍शन इक्विपमेंट की अग्रणी विनिर्माता है। इसकी फरीदाबाद (बल्‍लभगढ़), पुणे और जयपुर में विनिर्माण सुविधायें हैं। कंपनी हमेशा से अपनी सभी फैक्ट्रियों के आसपास रहने वाले समुदायों के प्रति प्रतिबद्ध रही है। भारत में जेसीबी इंडिया ‘मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम का प्रतीक है। वर्तमान में यह आठ श्रेणियों में 60 से ज्यादा अलग-अलग प्रॉडक्ट्स का निर्माण करती हैं। इन उत्‍पादों को 100 से ज्यादा देशों को निर्यात किया जाता है। जेसीबी का यूके से बाहर पुणे में सबसे बड़ा डिजाइन सेंटर है जहां ये भविष्‍य के लिए आकर्षक नई तकनीकों को विकसित करती है। यह उत्‍पादन में महिलाओं को शामिल करने में भी अग्रणी है और इसकी जयपुर फैक्‍ट्री में शॉप कर्मचारियों में लगभग 34 प्रतिशत महिलाएं हैं। अपनी सीएसआर पहलों के माध्‍यम से, जेसीबी इंडिया समुदायों के साथ भी काम कर रहा है ताकि एक बेहतर जिंदगी को बढ़ावा दिया जा सके। वर्ष 2000 में लेडी बैमफोर्ड चैरिटेबल ट्रस्‍ट (एलबीसीटी) सेट-अप ने अपनी बल्‍लभगढ़ फैक्‍ट्री के पास एक स्‍कूल की मदद कर कंपनी की सीएसआर यात्रा को आरंभ किया। लगभग दो दशक बाद कंपनी की सीएसआर पहलों ने तीन इन-हाउस फाउंडेशन और चार सस्‍टेनेबल डेवलपमेंट गोल्‍स का विस्‍तार किया, और उन समुदायों तक पहुंच बनाई जिसमें महिलायें, किशोर लड़कियां, बच्‍चे, गांव के कारीगर और युवा शामिल हैं।

ये पहलें 15 हजार से अधिक स्‍टूडेंट्स तक पहुंच बनाती हैं और उन्‍हें क्‍वालिटी एजुकेशन प्रदान करती हैं। साथ ही बाजार पहुंच एवं उत्‍पादन दक्षताओं के साथ 2,000 से अधिक कारीगरों एवं महिला समूहों को भी कवर करती हैं। इसके द्वारा 50 पंचायतों को भी सहयोग दिया जा रहा है और उन्‍हें गुणवत्‍तापूर्ण परियोजनाओं तक पहुंच मुहैया कराई जा रही है। जेसीबी इंडिया ने दो अग्रणी एवं अभिनव सीएसआर परियोजनायें भी शुरू की हैं, नीला हाउस, जोकि जयपुर में क्राफ्‍ट के लिए सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस हैं और साहित्‍य के लिए वार्षिक पुरस्‍कार – जेसीबी प्राइज़ फॉर लिट्रेचर जोकि भारतीय लेखकों द्वारा फिक्‍शन के प्रतिष्ठित कार्य का जश्‍न मनाता है। 

Sunday 1 March 2020

खेलो का जीवन मैं महत्व  : डॉ पुनीता हसीजा आई एम ए  प्रधान

खेलो का जीवन मैं महत्व : डॉ पुनीता हसीजा आई एम ए प्रधान

फरीदाबाद, 1 मार्च :  आई एम् ए  फरीदाबाद का वार्षिक खेलों का आयोजन समाप्त किया गया. 2 दिन के इस खेलों के आयोजन में इनडोर व आउटडोर की गेम्स का आयोजन किया गया था । इसमें मुख्य अतिथि श्री सरकार तलवार को बुलाया गया था । स्टेट आई एम ए की तरफ से डॉ प्रशांत त्यागी भी आए थे । कल शनिवार को सुबह मैराथन गेम्स आयोजन किया गया, जोकि डॉ सोनम आनंद व अंजली आनंद के द्वारा  स्पॉन्सर किया था ।

 आज सुबह इंडोर गेम्स का आयोजन किया गया जिसमें टेबल टेनिस व बैडमिंटन के अलावा और कई  खेल शामिल थे । इनका  प्रयोजन दिष्टी आई सेन्टर के डॉक्टर अमित अरोडा ने किया।  

इन सभी में आई एम ए मेंबर व उनके बच्चों ने बड चड कर भाग लिया व खूब आनंद लिया ।

 आयोजन करने में मुख्य रूप से डॉक्टर पुनीता हसीजा, डाक्टर शिपरा,  डॉ संजय टुटेजा डॉ भारती शर्मा वा कई अन्य डॉक्टर शामिल थे ।

 सभी जीतने वाले डॉक्टर्स व उनके बच्चों को मेडल प्रदान किए गए।

 डॉ पुनीता हसीजा, प्रधान आई एम ए  प्रधान ने डीसीपी ट्रैफिक व मानव रचना  का मुख्य रूप से  धन्यवाद किया।

  डॉ सुरेश अरोड़ा ,डॉक्टर शिप्रा ,डॉक्टर अजय कपूर ,डॉक्टर मीनू कपूर, डॉ आशीष, डॉक्टर निखिल ,डॉक्टर प्रदीप गर्ग ,डॉ भारती, डॉक्टर कुंडू, डॉक्टर सोनल ,डॉक्टर वंदना,डाक्टर हष व और भी हो बहुत से डॉक्टरों ने  अपनी उपस्थिति दर्ज कराई ।

 सभी डॉक्टर ने इस आयोजन में शामिल होकर जय दर्शाने की कोशिश की खेलों में भाग लेकर  स्वस्थ रहना चाहिए, व समाज को एक संदेश देने की कोशिश की कि खेलों में भाग लेना बहुत जरूरी है वह स्वस्थ रहने के लिए यह एक बहुत ही विशिष्ट कदम हैa
सरकार द्वारा स्वास्थ्य के प्रति किए गए बजट में निर्णय काफी सराहनीय :  डॉ सुरेश अरोड़ा

सरकार द्वारा स्वास्थ्य के प्रति किए गए बजट में निर्णय काफी सराहनीय : डॉ सुरेश अरोड़ा

फरीदाबाद, 1 मार्च :  हरियाणा सरकार द्वारा स्वास्थ्य के प्रति किए गए बजट में निर्णय काफी सराहनीय है । नए मेडिकल कॉलेज खोलने का निर्णय काफी अच्छा है। वेंटिलेटर की संख्या बढ़ाने से क्रिटिकली इल गरीब  मरीजों को प्राइवेट हॉस्पिटल्स की तरफ नहीं जाना पड़ेगा ।सभी जिलों में सीटी स्कैन और एमआरआई का उपलब्ध करवाना बहुत ही सराहनीय कदम है । इससे गरीब लोगों को एक बहुत ही बड़ी सहायता मिलेगी ।

ध्यान रखने वाली बात यह है कि  ज्यादा मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए जो फैकल्टी का इंतजाम करना होता है उसके प्रति सरकार को सजग रहना पड़ेगा व जो वेंटिलेटर हॉस्पिटल में लगाए जाएंगे उसके लिए क्वालिफाइड  स्टाफ व डॉक्टरों का इन्तजाम करना एक चुनौती रहेगी । जो एम आर आई सी टी स्कैन सभी हॉस्पिटल में लगाए जाएंगे उसकी गुणवत्ता की और भी सरकार को ध्यान रखना पड़ेगा।

Tuesday 18 February 2020

 डॉक्टर संदीप पानेसर को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने प्रेरणा पत्र देकर सम्मानित किया

डॉक्टर संदीप पानेसर को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने प्रेरणा पत्र देकर सम्मानित किया

फरीदाबाद 18 फ़रवरी  ।  फरीदाबाद के डॉक्टर संदीप पानेसर को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने प्रेरणा पत्र देखकर सम्मानित किया है । डॉक्टर संदीप पानेसर चाइना में जाने वाले उस दल में शामिल थे जोकि एयर इंडिया के विमान में जाकर वहां पर कोरोना वायरस की चपेट में आए लोगों में फंसे भारतीयों को लेकर आया था । इस दल में 3 डॉक्टर व दो नर्स  शामिल थी । इस कार्य में दल के सभी मेंबर्स को इस बीमारी को होने का खतरा था ,लेकिन उन्होंने हिम्मत दिखाते हुए वहां फंसे हुए भारतीयों को अपने देश में लाने का सराहनीय कार्य  किया ।

Wednesday 27 November 2019

  98 year old Undergoes Successful Angioplasty at Metro Hospital Faridabad

98 year old Undergoes Successful Angioplasty at Metro Hospital Faridabad

FARIDABAD 28 NOVEMBER : Cardiac team at a Metro Hospital Faridabad has given a new lease of life to a 98 year old heart patient with multiple health conditions. Mr. Dewan came into the emergency department with complaints of severe pain in the left side of the chest and sweating. Patient is a known case of right sided kidney tumor, for which his ureter was removed surgically and patient had taken chemotherapy. 

Initial investigations showed acute heart attack which is a life threatening condition which occur when blood flow to the heart muscle is cut off due to blockage of heart artery, causing tissue damage. This is usually the result of a blockage in one or more of the coronary arteries. In lieu of acute MI, patient underwent angiography by Dr. Neeraj Jain, Sr. Interventional Cardiologist & Medical Director of the hospital which revealed a critical block in the LAD artery which supply major part of heart.

Angioplasty stenting carries risk in patient as he can go into kidney failure, but it was his only chance of survival. After explaining the family about the risk involve and the procedure, consent was taken and Mr. Dewan underwent coronary angioplasty to LAD artery successfully, using single drug coated stent. Patient was stable after the procedure and got discharged in a stable condition. 

Dr. Neeraj Jain, said that considering patient’s old age and multiple health conditions, it was a challenging case, a small delay in opening the vessel would have been proved fatal.” He further added “patients at this age can do quite well after angioplasty, providing they are appropriate candidate and treating doctor is well experienced to handle such complex cases," said Dr. Neeraj Jain. Generally elderly patients ignore their sufferings and feared undergoing heart procedures. But that is just a myth, angioplasty is safe option and is lifesaving procedure.” Dr. Jain added.

Dr. Jainendra Khash, CCU Head said patient responded well to the treatment and was very happy at the time of discharge. He said, it is important for all of us to go for regular heart checkup after 30 yrs as it help in the prevention of heart diseases.

It’s a myth that angioplasty is not safe in old patients. We do lots of angioplasty procedure in more than 80 yrs old patients. Dr. S.S Bansal, Sr. Interventional Cardiologist & Managing Director of the hospital said. We are doing such complex procedures on regular basis. Our hospital is known for its comprehensive heart care by highly skilled cardiac team. We have kept the high standards of care which is the keystone of our success and all equipment’s are of best in the world to provide 100% safety to our patients” He further added. 

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स के डॉक्टरों ने महिला के पेट से 5 किग्रा ट्यूमर निकाला : डॉ. बी डी पाठक

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स के डॉक्टरों ने महिला के पेट से 5 किग्रा ट्यूमर निकाला : डॉ. बी डी पाठक

फरीदाबाद, 28 नवंबर, 2019: फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल के डॉक्टरों की टीम ने हाल में,  लैप्रोस्कोपिक तकनीक की मदद से 22 वर्षीय युवती के पेट से 5 किग्रा वज़न का एक ट्यूमर सफलतापूर्वक निकाला। टीम का नेतृत्व डॉ. बी डी पाठक, निदेशक-जीआई, मिनीमली इनवैसिव एंड बेरियाट्रिक सर्जरी और डॉ. वी एस चौहान, वरिष्ठ सलाहकार-जीआई, मिनीमली इनवैसिव एंड बेरियाट्रिक सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद ने किया।

मरीज़ सरिता को सांस लेने में मुश्किल हो रही थी और ठीक से भोजन भी नहीं कर पा रही थी। जब उन्हें अस्‍पताल लाया गया तो पेट में परेशानी हो रही थी और सांस लेने में भी तकलीफ थी। जरूरी जांच कराने के बाद उनके पेट में करीब 5 किग्रा का ट्यूमर पाया गया। उपचार के विभिन्न विकल्पों का मूल्यांकन करने के बाद डॉक्टरों ने परिवार को एडवांस लैप्रोस्कोपिक एक्सट्रैक्शन कराने की सलाह दी क्योंकि इसके बाद सर्जरी का कोई निशान भी नहीं रहता और सुधार में लंबा समय भी नहीं लगता है। प्रक्रिया पूरी होने के दो दिनों में मरीज की तबियत में सुधार हो गया और पूरी तरह ठीक हो जाने पर उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।

डॉ. बी डी पाठक, निदेशक-जीआई, मिनीमली इनवैसिव एंड बेरियाट्रिक सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद ने कहा, “इस तरह की सर्जरी के लिए बड़ा कट लगाने की ज़रूरत होती है लेकिन यह मरीज़ बहुत युवा थीं। उनके सामने उनकी पूरी ज़िंदगी पड़ी हुई थी। इसलिए हम ने लैप्रोस्कोपिक तकनीक का इस्तेमाल कर छोटे कट के साथ बड़े ट्यूमर को निकाला गया। मुझे खुशी है कि टीम ने यह सफलतापूर्वक किया। इसलिए जब भी ऐसे मरीज आते हैं तो हम हमेशा ही मरीज़ों के सर्वश्रेष्ठ संभव सुधार के लिए सर्जरी का सर्वश्रेष्ठ विकल्प तलाशते हैं।”

श्री मोहित सिंह, फेसिलिटी निदेशक, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद ने कहा, “फोर्टिस में हम प्रत्येक मामले में सर्वश्रेष्ठ परिणाम हासिल करने के लिए सर्वश्रेष्ठ क्लिनिकल परिदृश्य की ओर ध्यान केंद्रित करते हैं। यह मामला सर्वश्रेष्ठ उपयोग के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके सर्वश्रेष्ठ परिणाम हासिल करने का है। ऊपर बताया गया मामला बहुत ही जटिल होता है जिसे हमारे डॉक्टरों की टीम ने सफलतापूर्वक पूरा किया जिससे मरीज को सर्वश्रेष्ठ परिणाम मिला और उनकी तबियत में तेज़ी से सुधार हुआ।”    

Thursday 8 August 2019

एशियन बना क्षेत्र का पहला अस्पताल जिसे मिली ब्रेन डेथ किडनी ट्रांसप्लांट की अनुमति

एशियन बना क्षेत्र का पहला अस्पताल जिसे मिली ब्रेन डेथ किडनी ट्रांसप्लांट की अनुमति

 फरीदाबाद  8 अगस्त 2019 - एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज अस्पताल को पीजीआई  रोहतक ने ब्रेन डेड यानि जिन लोगों का दिमाग मृत घोषित कर दिया जाता है ऐसे लोगों के परिवार जन  की आज्ञा से किडनी ट्रांसप्लांट करने की अनुमति दे दी गई है I

 एशियन अस्पताल में मरीज को ब्रेन डेड  घोषित करने के लिए एक कमिटी तैयार की जाएगी I व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक या एक्सीडेंट की स्थिति में यह कमिटी दिमागी टेस्ट करके उससे ब्रेन डेड घोषित करेगी I इस कमिटी में अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट, आई सी यु हेड, न्यूरोलॉजिस्ट, फिजिशियन, एनेस्थीसिया और जनरल सर्जन शामिल होंगे I 

ब्रेन डेड घोषित करने के बाद उसके परिवार जनो से अनुमति ली जाएगी, उनकी अनुमति पर अस्पताल उस व्यक्ति की किडनी किसी और मरीज (जिसकी किडनी फेल हो चुकी है ) उसे ट्रांसप्लांट कर सकता हैI 
जिले का कोई भी अस्पताल सरकारी या गैर सरकारी ब्रेन डेड व्यक्ति की जानकारी एशियन अस्पताल को दे सकता है, जानकारी मिलने के बाद एशियन अस्पताल की कमिटी  की टीम के डॉक्टर परिवार की अनुमति मिलने पर उनकी किडनी दान करा सकते हैं I 

क्या है ब्रेन डेड ?
ब्रेन डेथ एक ऐसे स्तिथि हैं जिसमे व्यक्ति का दिमाग काम करना बंद कर देता है लेकिन उसके शरीर के बाकी अंग सुचारु रूप से काम कर रहे होते हैं जिसे आम भाषा में कोमा की स्तिथि  कहा जाता है I

Wednesday 7 August 2019

मानसून में रखें साफ-सफाई का ध्यान : डॉ. राम चंद्र सोनी

मानसून में रखें साफ-सफाई का ध्यान : डॉ. राम चंद्र सोनी

फरीदाबाद : 8 अगस्त I  बारिश का झमाझम मौसम और पकौड़ों का स्वाद मन को खुशी तो देता है, लेकिन खान-पान के प्रति बरती जाने वाली लापरवाही कई बार गंभीर रूप धारण कर लेती है। बरसात का मौसम एक ओर तो गर्मी से निजात दिलाता है, लेकिन दूसरी ओर बीमारियों को पनपने का मौका भी देता है। बरसात के दिनों में वायरल इंफेक्शन आम बात है। इस मौसम में पेट से संबंधित बीमारियों के फैलने का भय बना रहता है। डॉ. राम सोनी ने बताया कि उनके पास पीलिया के मरीज भी बाद गए है रोज़ाना 3 -4 मरीज पीलिया के आ रहे हैं

एशियन अस्पताल के एचओडी गैस्ट्रोइंटेरोलॉजी डॉ. राम चंद्र सोनी का कहना है कि मानसून में पेट दर्द की समस्या आम बात है। उल्टी-दस्त, पेट दर्द आदि की समस्या को लेकर अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इस मौसम में पेट से संबंधित बीमारियां ज्यादा होती है। इन बीमारियों के लक्षण भी कई प्रकार के होते हैं पेट में दर्द होना, उल्टी होना, बदन दर्द और कमर दर्द। डॉक्टर का कहना है कि इस मौसम में बैक्टीरिया ज्यादा प्रभावित होता है और संक्रमण फैलाता है। बाहर का खाना, तला हुुआ, बासी भोजन का सेवन करना, खुले में रखे भोजन का सेवन करने से  भी बीमारियों को फैलने का मौका मिलता है। इस प्रकार का खाना खाने के २४ घंटे के भीतर बीमारियों के लक्षण उभरने लगते हैं।

डॉ. सोनी का कहना है कि अगर हम स्वयं साफ-सफाई की ओर ज्यादा ध्यान दें तो बीमारियों से बचाव किया जा सकता है। फिल्टर्ड और उबला हुआ पानी पीना चाहिए। बासी या खुले में रखा खाना नहीं खाना चाहिए। फल व सब्जियों को धोकर खाना चाहिए। जंक फूड के सेवन से बचना चाहिए। तले व मसालेदार खाने के सेवन से बचना चाहिए। बार-बार हाथ धोने चाहिएं। संतुलित भोजन का सेवन करना चाहिए। 

डॉ. सोनी के अनुसार मानसून हेपेटाइटिस ए और ई के वायरस को प्रभावित करता है। इस बीमारी का प्रमुख कारण दूषित पानी है। खान-पान की लापरवाही लिवर को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है।  इसके लक्षणों के पाए जाने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करके जांच करानी चाहिए। ताकि समय रहते बीमारी का पता लगाकर उचित इलाज किया जा सके। इसके अलावा इस रोग से बचने के लिए साफ-सफाई की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

Sunday 28 July 2019

 मेट्रो हॉस्पिटल मैं विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया गया : डॉ विशाल खुराना

मेट्रो हॉस्पिटल मैं विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया गया : डॉ विशाल खुराना

फरीदाबाद, 28 जुलाई। इस विश्व हेपेटाइटिस दिवस (28 जुलाई] 2019) के उपलक्ष में मेट्रो अस्पताल के वरिष्ठ पेट एवं लिवर रोग विशेषज्ञ डॉ विशाल खुराना बता रहे हैं हपेटाइिटस के बारे में । 

हेपेटाइटिस क्या है हेपेटाइटिस जिगर, लीवर, यकृत की सूजन है] जो आमतौर पर वायरल संक्रमण के कारण होता है, जो जिगर में सूजन का कारण होता है। जिगर की सूजन के कई कारण हैं जैसे की - वायरल संक्रमण, दवा के दुष्प्रभाव, अत्यधिक शराब का सेवन, इत्यादि। हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई पांच मुख्य हेपेटाइटिस वायरस हैं। ऎकयुट और क्रोनिक हेपेटाइटिस के दो प्रकार होते हैं। ऎकयुट हेपेटाइटिस तब होता है जब यह छह महीने से कम समय तक रहता है] जबकि क्रोनिक हेपेटाइटिस तब होता है जब  हेपेटाइटिस लंबे समय तक बनी रहती है। 

क्या वायरल हेपेटाइटिस एक महत्वपूर्ण समस्या है%
वायरल हेपेटाइटिस के साथ रहने वाले केवल 11% लोग अपनी स्थिति से अवगत हैं। वायरल हेपेटाइटिस विश्व स्तर पर मौत का एक प्रमुख कारण है। हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी वायरस दुनिया में सबसे अधिक (80%) लीवर कैंसर के मामलों में होता है। 
नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल ( एनसीडीसी ) द्वारा भारत में हेपेटाइटिस बी 3-4% लोगों में पाया जाता है और हेपेटाइटिस सी 1% मे। पंजाब और हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में हेपेटाइटिस काफी अधिक पाया जाता है। भारत में] हेपेटाइटिस ई वायरस (HEV) वयस्कों के हेपेटाइटिस का सबसे महत्वपूर्ण कारण हैI हेपेटाइटिस ए वायरस (HAV) बच्चों में आम है। 

हपेटाइिटस के लक्षण क्या है%
हेपेटाइटिस में हो सकता है कि कोई लक्षण न हो] लेकिन अक्सर ये पीलिया, आहार (भूख) की कमी और अस्वस्थता के साथ प्रस्तुत होता है। बुखार, शरीर में दर्द] थकान] कमजोरी] पेट में दर्द] उलटी] कम भूख का लगना] गहरे रगं का मूत्र और पीली रगं की आँखे होना यह तीव्र हेपेटाइटिस (एक्यूट हेपेटाइटिस) की निशानी माने जाते हैंI बीमारी बढ़ जाने पर पीलीया, पेट का बढ़ना] खून की उल्टी] काले या लाल रगं का मल] असामान्य व्यव्हार] कम भूख का लगना एवं वजन का घटना आदि लक्षण पाये जाते है ।

हेपेटाइटिस संक्रमण के कारण और निवारण%

हेपेटाइटिस के प्रकार कारण निवारण
हेपेटाइटिस ए (HAV) दूषित भोजन खाने या प्रदूषित जल पीने से 1.स्वस्थ और पौष्टिक भोजन खाएं
2.स्वच्छ और सुरक्षित पानी पीना 3.हेपेटाइटिस ऐ टीकाकरण उपलब्ध है
हेपेटाइटिस ई (HEV) दूषित भोजन खाने या प्रदूषित जल पीने से 1.स्वस्थ और पौष्टिक भोजन खाएं
2.स्वच्छ और सुरक्षित पानी पीना 
हेपेटाइटिस बी  (HBV) 1. संक्रमित व्यक्ति के रक्त या अन्य शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क के माध्यम से
2. गर्भावस्था के दौरान संक्रमित मां को बच्चे को 1.आपको गर्भावस्था के दौरान अपना परीक्षण करना चाहिए
2.संक्रमित व्यक्ति के साथ टूथब्रश, रेजर या नाखून कैंची और सुइयों साझा करने से बचें 
3. बिना लाइसेंस वाले सुविधाओं से टैटू या शरीर के छेदों को नहीं करना चाहिए
4. हेपेटाइटिस बी टीकाकरण उपलब्ध है
हेपेटाइटिस सी (HCV) 1. संक्रमित रक्त और सुइयों
2. यह कुछ यौन प्रथाओं के माध्यम से प्रेषित भी किया जा सकता है जहां रक्त शामिल है। 1. संक्रमित व्यक्ति के साथ टूथब्रश, रेजर या नाखून कैंची और सुइयों साझा करने से बचें 
2. बिना लाइसेंस वाले सुविधाओं से टैटू या शरीर के छेदों को नहीं करना चाहिए


हेपेटाइटिस बी संक्रमण रोकने में टीकाकरण बहुत प्रभावी है। हपेटाइिटस बी का टीका 3 बार ( 0, 1 और 6 माह के अंतराल पर ) दिया जाता है जो की 95% तक वायरस से लड़ने में  कारगर साबित होता है। यदि आपको टीका लगाया नहीं गया है] तो टीकाकरण करवाएं] कंडोम का उपयोग करें] और संक्रमित व्यक्ति के साथ टूथब्रश] रेज़र] नाख़ून कैंची या सुई को साझा करने से बचें। आपको बिना लाइसेंस वाले सुविधाओं से टैटू या शरीर के छेदों को नहीं करना चाहिए। यदि आपको लगता है कि आपको भविष्य में संक्रमित होने की संभावना है] तो टीकाकरण होना आवश्यक है। हेपेटाइटिस बी संक्रमित मां से पैदा होने वाले बच्चे को 12 घंटे के भीतर टीका लगाया जाना चाहिए, क्योंकि यह एक संक्रमण को रोक सकता है जो क्रोनिक हेपेटाइटिस बी में बदलने की संभावना रखता है।

उपचार%
हेपेटाइटिस ए और ई: हेपेटाइटिस ए और ई आमतौर पर तीव्र/ ऎकयुट (acute) हेपेटाइटिस का कारण बनता है जिससे शरीर अक्सर कुछ हफ्तों के भीतर ही संक्रमण को साफ कर सकता है। हालांकि, संक्रमण कभी&कभी आगे की जटिलताओं का कारण बन सकता है। हे हेपेटाइटिस ए और ई के लिए अलग से कोई दवाई नहीं है। उपचार मुख्य रूप से लक्षणों के आधार पर होता है

हेपेटाइटिस बी: हमारे पास दवाएं] जैसे पेगेंटरफेरॉन इंजेक्शन और एंटीवायरल (एनटेकवीर / टेनोफॉवीर) गोलियां, उपलब्द हैं। ये दवाएं वायरस की प्रतिकृति को धीमा कर देती हैं और कभी-कभी इसका निष्कासन कर देती है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि यह दवाएं जटिलताओं के जोखिम को बहुत कम करती हैं जो हेपेटाइटिस बी के कारण हो सकता है जैसे लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर।

हेपेटाइटस सी: दवाईयां हेपेटाइटिस सी संक्रमण का इलाज कर सकता है। पहले इसका इलाज इंजेक्शन से ही होता था लेकिन आजकल एंटीवायरल ड्रग्स (सोफोसबुवीर / लीडिपैसवीर / डाक्लाट्सविर / वेलपात्सिर) उपलब्ध हैं जो की खाई जा सकती हैं। 

हेपेटाइटिस में जिगर की क्षति को रोकने के लिए टिप्स:

ऐसा करें ऐसा न करें
हेपेटाइटिस के लिए टीकाकरण शराब, तंबाकू और ड्रग्स से बचें
बहुत सारे तरल पदार्थ पीयें और हाइड्रेटेड रहें खाना जो आप बर्दाश्त नहीं कर सकते उस से बचें
प्रयाप्त कैलोरी/भोजन का सेवन बनाए रखें तनाव से बचें