Tuesday, 6 May 2025
Sunday, 27 April 2025
डॉ. कावेश्वर घुरा की सर्जरी ने बचाई युवक की टांग, ट्रैक्टर ट्रॉली हादसे के बाद अपने पैरों पर लौटा घर
ट्रैक्टर ट्रॉली के नीचे कुचले पैर का डॉक्टरों ने किया सफल इलाज, ठीक होने पर युवक हॉस्पिटल से अपने पैरों पर चलकर घर गया
· पैर में बैक्टीरियल इन्फेक्शन और फंगस इन्फेक्शन के कारण बढ़ रहा था मरीज की जान को खतरा
फरीदाबाद: हाल ही में मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में प्लास्टिक एवं रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी टीम ने एक्सीडेंट के बाद राइट (दायां) पैर में गंभीर इन्फेक्शन के साथ आए मथुरा निवासी 27 वर्षीय कृष्ण कुमार का बेहतरीन इलाज कर न केवल उसे विकलांग होने से बचाया बल्कि उसकी जान बचाने में भी बड़ी सफलता हासिल की है। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में प्लास्टिक एवं रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. कावेश्वर घुरा ने बताया कि एक्सीडेंट होने के 10 दिन बाद मरीज हमारे पास आया। उस समय मरीज को हाई ग्रेड फीवर था। जाँच करने पर हमें पता चला कि मरीज के पैर में बैक्टीरियल सेप्टिसीमिया (गंभीर रक्त संक्रमण) भी है और फंगल सेप्टिसीमिया भी है इसलिए एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल दवाइयां शुरू की गई और नियमित रूप से पट्टियाँ की गईं। हमने लगभग एक महीने में मरीज को पूरी तरह से ठीक कर दिया और उसके पैर को भी कटने से बचा लिया। ठीक होने के बाद मरीज हॉस्पिटल से अपने पैरों पर चलकर घर गया। अगर मरीज का सही से इलाज न होता तो मरीज को जान जा सकती थी।
ट्रैक्टर ट्रॉली के टायर के नीचे आने से मरीज के पैर की पूरी थाई, बटक (कूल्हे का पिछला मांसल हिस्सा), पॉटी वाली जगह और घुटने के जोड़ से नीचे की सारी जगह कुचल गई थी। मरीज के पैर की हड्डी सुरक्षित थी लेकिन बटक, कमर से लेकर थाई तक सारी चमड़ी हड्डी से अलग होकर संक्रमित हो गई थी। ब्लड वेसल्स बच गई थीं। शुरुआत में मरीज को फरीदाबाद शहर के किसी अन्य बड़े हॉस्पिटल में ले जाया गया, वहां पर उसके पैर को बचाने के लिए कई बार कोशिश की गई लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। मामला काफी जटिल हो गया था।
डॉ. कावेश्वर घुरा ने कहा कि यह केस हमारे लिए भी बहुत ज्यादा चुनौती भरा था। मरीज के पैर में फंगस इतने अधिक गंभीर रूप से लग गया था कि यह कंट्रोल नहीं हो रहा था। मरीज आईसीयू में भी लगभग दो हफ्ते रहा। फंगस इन्फेक्शन के साथ-साथ बैक्टीरियल इन्फेक्शन भी लगातार बना हुआ था क्योंकि एक्सीडेंट के समय सारी मांसपेशियां हड्डी से अलग हो गई थीं। फंगस इन्फेक्शन लग जाने पर मांसपेशियां मर जाती हैं और फिर मरीज को ठीक करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। एक समय ऐसा भी आया था कि मरीज की जान बचाने के लिए उसके पैर को कुल्हे के जॉइंट से काटने की नौबत भी आ गई थी लेकिन मरीज की इच्छा शक्ति और हमारी लगभग एक महीने की कड़ी मेहनत के बाद हम मरीज को पूरी तरह ठीक करने में कामयाब हो गए।
Wednesday, 16 October 2024
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद में 36 वर्षीय महिला के गॉलब्लैडर में से 1170 से अधिक स्टोन्स (पथरी) निकाले गए
Saturday, 28 September 2024
डॉक्टरों ने गंभीर हार्ट अटैक से पीड़ित 43 वर्षीय व्यक्ति की जान बचाई
समय पर इलाज मिलने से हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट से ग्रस्त मरीजों की जान बचाई जा सकती है
· सुस्त जीवनशैली, तला-भुना खाना, व्यायाम की कमी, बढ़ा हुआ रक्तचाप, शुगर लेवल बढ़ने के कारण लोगों में हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ रहा है
फरीदाबाद: विश्व हृदय दिवस (29 सितंबर 2024) के उपलक्ष्य में, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद के हृदय रोग विशेषज्ञों की एक टीम ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला है कि पिछले डेढ़ दशक से हार्ट अटैक (दिल का दौरा) का खतरा युवा लोगों में बढ़ रहा है। हाल ही में मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद की कार्डियोलॉजी टीम ने पलवल निवासी 43 वर्षीय संदीप गोयल की जान बचाई, जिन्हें गंभीर दिल का दौरा पड़ा था। सीने में दर्द की शिकायत के बाद, शुरू में परिवार के सदस्य उन्हें पलवल के एक नजदीकी नर्सिंग होम में ले गए, जहां ईसीजी में बड़े हार्ट अटैक के लक्षण सामने आए। विशेषज्ञ चिकित्सकों से हृदय संबंधी इलाज कराने के लिए मरीज को रात करीब 3 बजे मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद में लाया गया। यह पूरी घटना मरीज के परिजन के लिए अचानक और चिंताजनक थी, क्योंकि आम धारणा यह थी कि दिल का दौरा पड़ने की समस्या वृद्ध लोगों को होती है। डॉक्टरों की टीम ने मरीज की हालत सामान्य करने के लिए तुरंत एक्शन लिया और मरीज को उचित उपचार प्रदान कर उसकी जान बचाई।
डॉ. गजिंदर कुमार गोयल, डायरेक्टर- कार्डियोलॉजी विभाग, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने कहा कि “मरीज़ हमारे पास सीने में असहनीय दर्द की शिकायत लेकर आया था। इसके साथ ही, मरीज को बहुत पसीना आ रहा था और वह बेचैन था, सांस भी फूल रही थी। दोबारा ईसीजी की गई जिसमें एसटी के बढ़ा होने का पता चला। फिर मरीज को तुरंत कोरोनरी एंजियोग्राफी के लिए ले जाया गया, जिसमें पता चला कि एलएडी धमनी नामक हार्ट की मुख्य आर्टरी 100 प्रतिशत ब्लॉक है। हमने तुरंत स्टेंटिंग के साथ प्राइमरी एंजियोप्लास्टी की। स्टेंट डालने से पहले थ्रोम्बेक्टोमी मशीन की मदद से धमनी से क्लॉट (खून का थक्का) भी निकाल दिया गया। इस प्रक्रिया में आधा घंटे का समय लगा। 24 घंटे तक मरीज को कार्डियक केयर यूनिट (हृदय देखभाल इकाई) में देखरेख में रखा गया और 48 घंटे बाद उसे छुट्टी दे दी गई। मरीज अब अपने दैनिक कार्यों को करने में सक्षम हो गया है और अपने परिवार के सदस्यों के साथ सामान्य जीवन जी रहा है।”
डॉ. गजिंदर कुमार गोयल ने आगे कहा, “हृदय स्वास्थ्य केवल एक चिकित्सा चिंता नहीं है, बल्कि एक सामुदायिक जिम्मेदारी है। अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करके हम सामूहिक रूप से हृदय रोग के बोझ को कम कर सकते हैं। हम सभी से आग्रह करते हैं कि वे ‘दिल से काम लें’ और अपने स्वास्थ्य एवं सेहत को ठीक रखने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। वैश्विक स्तर पर दिल के दौरे की समस्या आमतौर पर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में देखी जाती है लेकिन लेकिन भारत में 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों में दिल के दौरे की समस्या तेजी से आम हो गई है। हार्ट अटैक के 50 प्रतिशत से अधिक मामले 50 वर्ष से कम आयु के लोगों में देखने को मिल रहे हैं और हार्ट अटैक के 10-25 प्रतिशत मामले 40 वर्ष से कम आयु के लोगों में सामने आ रहे हैं। इसलिए अगर युवा लोगों को सीने में दर्द, बहुत ज़्यादा पसीना आना, घबराहट होना, सांस फूलने जैसी समस्या हो तो कृपया इसे नज़रअंदाज़ न करें क्योंकि ये हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत नज़दीकी डॉक्टर से सलाह लें।”