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Monday, 8 September 2025

बारिश में बच्चों में खांसी, बुखार के साथ डायरिया और पीलिया का खतरा बढ़ा

बारिश में बच्चों में खांसी, बुखार के साथ डायरिया और पीलिया का खतरा बढ़ा




 फरीदाबाद। बरसात का मौसम जहां तपती गर्मी से राहत लेकर आता है, वहीं यह बच्चों के स्वास्थ्य के लिए कई बीमारियों का कारण भी बन रहा है। ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर-86 स्थित एकॉर्ड अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. तौशीफ के अनुसार इस मौसम में बच्चों में खांसी, जुकाम, बुखार, डायरिया और पीलिया जैसी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ जाता है। नमी और गंदगी के कारण वायरस व बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं, जिससे संक्रमण फैलने की आशंका अधिक रहती है।

डॉ. तौशीफ ने बताया कि बीते 15 दिनों में अस्पताल की बाल रोग ओपीडी में करीब 20 प्रतिशत मरीज बढ़े हैं। इनमें ज्यादातर बच्चे खांसी-जुकाम और बुखार से पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि लगातार उल्टी-दस्त, आंखों और त्वचा का पीला पड़ना, कमजोरी और भूख न लगना जैसे लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि लापरवाही छोटी समस्या को गंभीर बना सकती है।

उन्होंने अभिभावकों को सतर्क करते हुए कहा कि बरसात के मौसम में बच्चों को हमेशा हल्का और ताजा भोजन दें। बाहर का तला-भुना या बासी खाना खिलाने से बचें। बच्चों को साफ और सूखे कपड़े पहनाएं तथा उबला या फिल्टर किया हुआ पानी ही पिलाएं। साथ ही घर और आसपास की साफ-सफाई बनाए रखें ताकि मच्छर और गंदगी से पनपने वाले रोगों से बचाव किया जा सके।

उन्होंने लोगों से अपील की कि बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पौष्टिक आहार दें। किसी भी बीमारी के लक्षण दिखने पर घरेलू उपचार में समय न गंवाएं और तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। समय पर इलाज से बरसात के मौसम में होने वाली गंभीर बीमारियों से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।

Tuesday, 6 May 2025

पिछले एक माह से बिस्तर तक सिमट चुकीं 63-वर्षीय महिला की फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद में हुई जटिल हिप रिवीज़न सर्जरी, अब पुनः चलने-फिरने में समर्थ

पिछले एक माह से बिस्तर तक सिमट चुकीं 63-वर्षीय महिला की फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद में हुई जटिल हिप रिवीज़न सर्जरी, अब पुनः चलने-फिरने में समर्थ




फरीदाबाद, 06 मई, 2025: फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल, फरीदाबाद ने पिछले एक माह से बिस्तर तक सिमट चुकी 63-वर्षीय महिला के बाएं कुल्हे की दोबारा सर्जरी करने के बाद उन्हें चलने-फिरने में सक्षम बनाया है। इससे पहले उनकी टोटल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी असफल रही थी। डॉ आशुतोष श्रीवास्तव, एडिशनल डायरेक्टर, आर्थोपिडिक्स, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल, फरीदाबाद के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने बुजुर्ग महिला की दूसरी बार टोटल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी की जिसमें प्रॉक्सिमल फीमर मेगा प्रोस्थेसिस (इस बड़े आकार के कस्टमाइज़्ड प्रोस्थेटिक इंप्लांट का इस्तेमाल, अधिक बोन लॉस या डैमेज होने की स्थिति में फीमर के ऊपरी भाग के स्थान पर किया जाता है) का इस्तेमाल किया गया था। यह सर्जरी लगभग एक घंटे तक चली और अगले ही दिन मरीज चलने लगी थीं। 

2008 में उक्त महिला गिर गई थी और इसके बाद उनके बाएं हिप की बाइपोलर प्रोस्थेसिस सर्जरी (जिसमें हिप ज्वाइंट का केवल बॉल बदला गया था) फरीदाबाद के ही एक अन्य अस्पताल में की गई। लेकिन 2018, में सीढ़ियों पर से वह दोबारा गिर गयीं, जिसके चलते पिछला रिप्लेसमेंट बेकार हो गया। नतीजा यह हुआ कि उन्हें टोटल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी करवानी पड़ीं, जिसमें हिप ज्वाइंट्स के दोनों बॉल्स (फीमरल हेड) तथा सॉकेट (एसिटाबुलम) को बदला गया और उनके स्थान पर धातु और मेडिकल-ग्रेड प्लास्टिक के कृत्रिम हिस्से लगाए गए। इस सर्जरी के बाद वह घर में सीमित मोबिलिटी के साथ सिमटकर रह गई थीं और अधिकांश समय बिस्तर पर ही बिता रही थीं। लगभग एक माह तक वह इसी कंडीशन के साथ रहीं और इसके बाद उन्होंने डॉ आशुतोष श्रीवास्तव, एडिशनल डायरेक्टर, आर्थोपिडिक्स, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल, फरीदाबाद से कंल्सल्ट किया। 

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदबाद में भर्ती होने के बाद, उनके रेडियोलॉजिकल स्कैन किए गए जिनसे पता चला कि उनकी जांघ की हड्डी (फीमर) का ऊपरी हिस्सा, जो कि हिप इंप्लांट को संभालता था, पिछले टोटल हिप रिप्लेसमेंट के असफल होने के बाद काफी बिगड़ गया था। इस हड्डी को काफी क्षति पहुंच चुकी थी और वह रेग्युलर हिप इंप्लांट को संभालने लायक नहीं रह गई थे, यानि उनके मामले में मानक हिप रिप्लेसमेंट का विकल्प नहीं बचा था। इस मामले की जटिलता के मद्देनज़र, डॉक्टरों की टीम ने उनकी रिवीज़न टोटल हिप रिप्लेसमेंट यानि करेक्टिव सर्जरी करने का फैसला किया जो कि पिछले हिप इंप्लांट के बेकार होने के बाद की गई, और इसके लिए लंबे आकार की प्रॉक्सिमल फीमर मेगा प्रोस्थेसिस, जो कि खास डिजाइन का इंप्लांट है, का इस्तेमाल न केवल हिप ज्वाइंट बल्कि जांघ की हड्डी के एक हिस्से को भी बदला गया। इस प्रकार के इंप्लांट का इस्तेमाल आमतौर से हड्डी के अत्यधिक क्षय होने और मानक इंप्लांट को सपोर्ट करने के लिए किसी स्ट्रक्चर (संरचना) के उपलब्ध नहीं होने पर किया जाता है। लगभग एक घंटे चली इस सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया गया, और अगले ही दिन से मरीज चलने लगी थीं। 

इस मामले की और जानकारी देते हुए, डॉ आशुतोष श्रीवास्तव, एडिशनल डायरेक्टर, आर्थोपिडिक्स, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल, फरीदाबाद ने कहा, “यह काफी चुनौतीपूर्ण मामला था क्योंकि इसमें सपोर्टिव बोन नहीं थी और मरीज की पिछली सर्जरी के चलते भी जटिलता बढ़ गई थीं। ऐसे में सर्जरी में देरी होने पर वह स्थायी रूप से बिस्तर तक सिमट सकती थीं। लेकिन सावधानीपूर्वक की गई प्लानिंग और सर्जिकल हस्तक्षेप से हम उनकी मोबिलिटी को दोबारा वापस लाने में सफल रहे और वह आत्मनिर्भर भी हो गई हैं। इस प्रकार की जटिल रिवीज़न सर्जरी में सटीकता के साथ-साथ अनुभव की भी आवश्यकता होती है ताकि श्रेष्ठ परिणाम हासिल किए जा सकें। इस मामले में, यदि मरीज का समय पर इलाज नहीं होता, तो वह आजीवन बिस्तर पर रहने के लिए मजबूर हो सकती थीं।”

योगेंद्र नाथ अवधीया, फेसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल फरीदाबाद ने कहा, “मरीज की उम्र और उनकी जटिलताओं के चलते यह मामला वाकई काफी मुश्किल भरा था। लेकिन डॉ आशुतोष श्रीवास्तव के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने सही उपचार से मरीज को दोबार चलने-फिरने लायक बना दिया है। फोर्टिस एस्कॉर्टस हॉस्पीटल फरीदाबाद में अनुभवी क्लीनिशियनों की एक्सपर्ट टीम है और साथ ही एडवांस टेक्नोलॉजी भी उपलब्ध है जो सटीक डायग्नॉसिस और उपचार प्रदान कर मरीजों के लिए बेहतर परिणाम सुनिश्चित करते हैं। इस मरीज की रिकवरी ने मरीज को ही लाभ नहीं पहुंचाया बल्कि मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने की हमारी क्लीनिकल टीमों की ताकत और उनके समर्पण को भी एक बार फिर साबित किया है।”

Sunday, 27 April 2025

डॉ. कावेश्वर घुरा की सर्जरी ने बचाई युवक की टांग, ट्रैक्टर ट्रॉली हादसे के बाद अपने पैरों पर लौटा घर

डॉ. कावेश्वर घुरा की सर्जरी ने बचाई युवक की टांग, ट्रैक्टर ट्रॉली हादसे के बाद अपने पैरों पर लौटा घर

 


ट्रैक्टर ट्रॉली के नीचे कुचले पैर का डॉक्टरों ने किया सफल इलाजठीक होने पर युवक हॉस्पिटल से अपने पैरों पर चलकर घर गया

 

· पैर में बैक्टीरियल इन्फेक्शन और फंगस इन्फेक्शन के कारण बढ़ रहा था मरीज की जान को खतरा

 

फरीदाबाद: हाल ही में मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में प्लास्टिक एवं रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी टीम ने एक्सीडेंट के बाद राइट (दायां) पैर में गंभीर इन्फेक्शन के साथ आए मथुरा निवासी 27 वर्षीय कृष्ण कुमार का बेहतरीन इलाज कर न केवल उसे विकलांग होने से बचाया बल्कि उसकी जान बचाने में भी बड़ी सफलता हासिल की है। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में प्लास्टिक एवं रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. कावेश्वर घुरा ने बताया कि एक्सीडेंट होने के 10 दिन बाद मरीज हमारे पास आया। उस समय मरीज को हाई ग्रेड फीवर था। जाँच करने पर हमें पता चला कि मरीज के पैर में बैक्टीरियल सेप्टिसीमिया (गंभीर रक्त संक्रमण) भी है और फंगल सेप्टिसीमिया भी है इसलिए एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल दवाइयां शुरू की गई और नियमित रूप से पट्टियाँ की गईं। हमने लगभग एक महीने में मरीज को पूरी तरह से ठीक कर दिया और उसके पैर को भी कटने से बचा लिया। ठीक होने के बाद मरीज हॉस्पिटल से अपने पैरों पर चलकर घर गया। अगर मरीज का सही से इलाज न होता तो मरीज को जान जा सकती थी।

 

ट्रैक्टर ट्रॉली के टायर के नीचे आने से मरीज के पैर की पूरी थाईबटक (कूल्हे का पिछला मांसल हिस्सा)पॉटी वाली जगह और घुटने के जोड़ से नीचे की सारी जगह कुचल गई थी। मरीज के पैर की हड्डी सुरक्षित थी लेकिन बटककमर से लेकर थाई तक सारी चमड़ी हड्डी से अलग होकर संक्रमित हो गई थी। ब्लड वेसल्स बच गई थीं। शुरुआत में मरीज को फरीदाबाद शहर के किसी अन्य बड़े हॉस्पिटल में ले जाया गयावहां पर उसके पैर को बचाने के लिए कई बार कोशिश की गई लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। मामला काफी जटिल हो गया था।

 

डॉ. कावेश्वर घुरा ने कहा कि यह केस हमारे लिए भी बहुत ज्यादा चुनौती भरा था। मरीज के पैर में फंगस इतने अधिक गंभीर रूप से लग गया था कि यह कंट्रोल नहीं हो रहा था। मरीज आईसीयू में भी लगभग दो हफ्ते रहा। फंगस इन्फेक्शन के साथ-साथ बैक्टीरियल इन्फेक्शन भी लगातार बना हुआ था क्योंकि एक्सीडेंट के समय सारी मांसपेशियां हड्डी से अलग हो गई थीं। फंगस इन्फेक्शन लग जाने पर मांसपेशियां मर जाती हैं और फिर मरीज को ठीक करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। एक समय ऐसा भी आया था कि मरीज की जान बचाने के लिए उसके पैर को कुल्हे के जॉइंट से काटने की नौबत भी आ गई थी लेकिन मरीज की इच्छा शक्ति और हमारी लगभग एक महीने की कड़ी मेहनत के बाद हम मरीज को पूरी तरह ठीक करने में कामयाब हो गए।



Wednesday, 16 October 2024

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद में 36 वर्षीय महिला के गॉलब्लैडर में से   1170 से अधिक स्टोन्स (पथरी) निकाले गए

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद में 36 वर्षीय महिला के गॉलब्लैडर में से 1170 से अधिक स्टोन्स (पथरी) निकाले गए

 



फरीदाबाद, 16 अक्टूबर, 2024: फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल, फरीदाबाद ने चिकित्सा क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि दर्ज कराते हुए एक 36 वर्षीय महिला के गॉल ब्लैडर में से 1,170 स्टोन्स सफलतापूर्वक निकाले हैं। डॉ बी डी पाठक, डायरेक्टर, जनरल सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने इस सर्जरी को अंजाम दिया और मरीज की हालत स्थिर होने के बाद अगले दिन उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।  
मरीज को इससे पहले, पिछले 2-3 दिनों से पेट में भयंकर दर्द की शिकायत के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मरीज की अल्ट्रासाउंड जांच समेत अन्य डायग्नॉस्टिक टेस्ट से पता चला कि उनके गॉल ब्लैडर में कई स्टोन्स (पथरी की समस्या) थे। इनमें से कई स्टोन्स कॉमन बाइल डक्ट में चले गए थे जिनकी वजह से उन्हें पैंक्रियाइटिस की शिकायत भी हो चुकी थी। डॉक्टरों ने कॉमन बाइल डक्ट से स्टोन्स निकालने के लिए शुरू में एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलनजियोपैंक्रियोग्राफी (ईआरसीपी) प्रक्रिया की और इसके बाद सिंगल इंसाइजन लैपरोस्कोपिक सर्जरी की मदद से गॉलब्लैडर में से बाकी स्टोन्स भी निकाले।  
मामले की जानकारी देते हुए, डॉ बी डी पाठक, डायरेक्टर, जनरल सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद ने कहा, “यह ऐसा दुर्लभ मामला था जिसमें मरीज के गॉलब्लैडर से 1,170 से अधिक स्टोन्स निकाले गए। यदि समय पर मरीज का इलाज नहीं किया जाता तो इन स्टोन्स की वजह से उन्हें जॉन्डिस या पैंक्रियाज़ में सूजन और गॉलब्लैडर में छेद की समस्या भी हो सकती थी, यह एक्यूट कोलेसाइटिटिस का ऐसा दुर्लभ मामला था जिसकी वजह से गॉलब्लैडर में सूजन और लाली भी आती है। इस मामले से यह संदेश पूरे समाज को जाता है कि कभी भी गॉल ब्लैडर में स्टोन्स की  

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समस्या की अनदेखी नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसकी वजह से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं, और कई बार बीमारियों के अलावा मरीज की मृत्यु तक हो सकती है।”
योगेंद्र नाथ अवधिया, फैसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल फरीदाबाद ने कहा, “डॉ बी डी पाठक के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने इस मामले को सावधानीपूर्वक संभाला और बेहद सटीकता तथा मरीज की देखभाल पर जोर देते हुए सर्जरी की। इन मामलों में डायग्नॉस्टिक एप्रोच के साथ-साथ मैनेजमेंट रणनीतियों एवं इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है, और फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल फरीदाबाद ऐसे चुनौतीपूर्ण मामलों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।”
फोर्टिस हैल्‍थकेयर लिमिटेड के बारे में  
फोर्टिस हैल्‍थकेयर लिमिटेड, जो कि आईएचएच बेरहाड हैल्‍थकेयर कंपनी है, भारत में अग्रणी एकीकृत स्‍वास्‍थ्‍य सेवा प्रदाता है। यह देश के सबसे बड़े स्‍वास्‍थ्‍यसेवा संगठनों में से एक है जिसके तहत् 28 हैल्‍थकेयर सुविधाएं, 4,500+ बिस्‍तरों की सुविधा (ओ एंड एम सुविधाओं समेत) तथा 400 से अधिक डायग्‍नॉस्टिक केंद्र (संयुक्‍त उपक्रम सहित) हैं। भारत के अलावा, संयुक्‍त अरब अमीरात (यूएई) तथा नेपाल और श्रीलंका में भी फोर्टिस परिचालन करती है। कंपनी भारत के बीएसई लिमिटेड और नैशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज (एनएसई) पर सूचीबद्ध है। यह अपनी साझेदारी से बल मिलता है और वैश्विक दिग्‍गज तथा प्रवर्तक कंपनी – आईएचएच से प्रेरित है तथा मरीजों की विश्‍व स्‍तरीय देखभाल एवं क्‍लीनिकल उत्‍कृष्‍टता के लिए उनके ऊंचे मानकों से प्रेरणा लेती है। फोर्टिस के ~23,000 कर्मचारी (एगिलस डायग्‍नॉस्टिक्‍स सहित) जो दुनिया के सबसे भरोसेमंद हैल्‍थकेयर नेटवर्क बनने के लिए अपना दृष्टिकोण साझा करते हैं। फोर्टिस के पास क्‍लीनिक्‍स से लेकर क्‍वाटरनरी केयर सुविधाओं समेत एकीकृत स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं उपलब्‍ध हैं।


Saturday, 28 September 2024

 डॉक्टरों ने गंभीर हार्ट अटैक से पीड़ित 43 वर्षीय व्यक्ति की जान बचाई

डॉक्टरों ने गंभीर हार्ट अटैक से पीड़ित 43 वर्षीय व्यक्ति की जान बचाई

         समय पर इलाज मिलने से हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट से ग्रस्त मरीजों की जान बचाई जा सकती है


·         सुस्त जीवनशैली, तला-भुना खाना, व्यायाम की कमी, बढ़ा हुआ रक्तचाप, शुगर लेवल बढ़ने के कारण लोगों में हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ रहा है


फरीदाबाद: विश्व हृदय दिवस (29 सितंबर 2024) के उपलक्ष्य में, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद के हृदय रोग विशेषज्ञों की एक टीम ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला है कि पिछले डेढ़ दशक से हार्ट अटैक (दिल का दौरा) का खतरा युवा लोगों में बढ़ रहा है। हाल ही में मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद की कार्डियोलॉजी टीम ने पलवल निवासी 43 वर्षीय संदीप गोयल की जान बचाई, जिन्हें गंभीर दिल का दौरा पड़ा था। सीने में दर्द की शिकायत के बाद, शुरू में परिवार के सदस्य उन्हें पलवल के एक नजदीकी नर्सिंग होम में ले गए, जहां ईसीजी में बड़े हार्ट अटैक के लक्षण सामने आए। विशेषज्ञ चिकित्सकों से हृदय संबंधी इलाज कराने के लिए मरीज को रात करीब 3 बजे मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद में लाया गया। यह पूरी घटना मरीज के परिजन के लिए अचानक और चिंताजनक थी, क्योंकि आम धारणा यह थी कि दिल का दौरा पड़ने की समस्या वृद्ध लोगों को होती है। डॉक्टरों की टीम ने मरीज की हालत सामान्य करने के लिए तुरंत एक्शन लिया और मरीज को उचित उपचार प्रदान कर उसकी जान बचाई।


डॉ. गजिंदर कुमार गोयल, डायरेक्टर- कार्डियोलॉजी विभाग, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने कहा कि “मरीज़ हमारे पास सीने में असहनीय दर्द की शिकायत लेकर आया था। इसके साथ ही, मरीज को बहुत पसीना आ रहा था और वह बेचैन था, सांस भी फूल रही थी। दोबारा ईसीजी की गई जिसमें एसटी के बढ़ा होने का पता चला। फिर मरीज को तुरंत कोरोनरी एंजियोग्राफी के लिए ले जाया गया, जिसमें पता चला कि एलएडी धमनी नामक हार्ट की मुख्य आर्टरी 100 प्रतिशत ब्लॉक है। हमने तुरंत स्टेंटिंग के साथ प्राइमरी एंजियोप्लास्टी की। स्टेंट डालने से पहले थ्रोम्बेक्टोमी मशीन की मदद से धमनी से क्लॉट (खून का थक्का) भी निकाल दिया गया। इस प्रक्रिया में आधा घंटे का समय लगा। 24 घंटे तक मरीज को कार्डियक केयर यूनिट (हृदय देखभाल इकाई) में देखरेख में रखा गया और 48 घंटे बाद उसे छुट्टी दे दी गई। मरीज अब अपने दैनिक कार्यों को करने में सक्षम हो गया है और अपने परिवार के सदस्यों के साथ सामान्य जीवन जी रहा है।”


डॉ. गजिंदर कुमार गोयल ने आगे कहा, “हृदय स्वास्थ्य केवल एक चिकित्सा चिंता नहीं है, बल्कि एक सामुदायिक जिम्मेदारी है। अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करके हम सामूहिक रूप से हृदय रोग के बोझ को कम कर सकते हैं। हम सभी से आग्रह करते हैं कि वे ‘दिल से काम लें’ और अपने स्वास्थ्य एवं सेहत को ठीक रखने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। वैश्विक स्तर पर दिल के दौरे की समस्या आमतौर पर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में देखी जाती है लेकिन लेकिन भारत में 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों में दिल के दौरे की समस्या तेजी से आम हो गई है। हार्ट अटैक के 50 प्रतिशत से अधिक मामले 50 वर्ष से कम आयु के लोगों में देखने को मिल रहे हैं और हार्ट अटैक के 10-25 प्रतिशत मामले 40 वर्ष से कम आयु के लोगों में सामने आ रहे हैं। इसलिए अगर युवा लोगों को सीने में दर्द, बहुत ज़्यादा पसीना आना, घबराहट होना, सांस फूलने जैसी समस्या हो तो कृपया इसे नज़रअंदाज़ न करें क्योंकि ये हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत नज़दीकी डॉक्टर से सलाह लें।”