Wednesday, 16 October 2024
Saturday, 28 September 2024
डॉक्टरों ने गंभीर हार्ट अटैक से पीड़ित 43 वर्षीय व्यक्ति की जान बचाई
समय पर इलाज मिलने से हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट से ग्रस्त मरीजों की जान बचाई जा सकती है
· सुस्त जीवनशैली, तला-भुना खाना, व्यायाम की कमी, बढ़ा हुआ रक्तचाप, शुगर लेवल बढ़ने के कारण लोगों में हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ रहा है
फरीदाबाद: विश्व हृदय दिवस (29 सितंबर 2024) के उपलक्ष्य में, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद के हृदय रोग विशेषज्ञों की एक टीम ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला है कि पिछले डेढ़ दशक से हार्ट अटैक (दिल का दौरा) का खतरा युवा लोगों में बढ़ रहा है। हाल ही में मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद की कार्डियोलॉजी टीम ने पलवल निवासी 43 वर्षीय संदीप गोयल की जान बचाई, जिन्हें गंभीर दिल का दौरा पड़ा था। सीने में दर्द की शिकायत के बाद, शुरू में परिवार के सदस्य उन्हें पलवल के एक नजदीकी नर्सिंग होम में ले गए, जहां ईसीजी में बड़े हार्ट अटैक के लक्षण सामने आए। विशेषज्ञ चिकित्सकों से हृदय संबंधी इलाज कराने के लिए मरीज को रात करीब 3 बजे मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद में लाया गया। यह पूरी घटना मरीज के परिजन के लिए अचानक और चिंताजनक थी, क्योंकि आम धारणा यह थी कि दिल का दौरा पड़ने की समस्या वृद्ध लोगों को होती है। डॉक्टरों की टीम ने मरीज की हालत सामान्य करने के लिए तुरंत एक्शन लिया और मरीज को उचित उपचार प्रदान कर उसकी जान बचाई।
डॉ. गजिंदर कुमार गोयल, डायरेक्टर- कार्डियोलॉजी विभाग, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने कहा कि “मरीज़ हमारे पास सीने में असहनीय दर्द की शिकायत लेकर आया था। इसके साथ ही, मरीज को बहुत पसीना आ रहा था और वह बेचैन था, सांस भी फूल रही थी। दोबारा ईसीजी की गई जिसमें एसटी के बढ़ा होने का पता चला। फिर मरीज को तुरंत कोरोनरी एंजियोग्राफी के लिए ले जाया गया, जिसमें पता चला कि एलएडी धमनी नामक हार्ट की मुख्य आर्टरी 100 प्रतिशत ब्लॉक है। हमने तुरंत स्टेंटिंग के साथ प्राइमरी एंजियोप्लास्टी की। स्टेंट डालने से पहले थ्रोम्बेक्टोमी मशीन की मदद से धमनी से क्लॉट (खून का थक्का) भी निकाल दिया गया। इस प्रक्रिया में आधा घंटे का समय लगा। 24 घंटे तक मरीज को कार्डियक केयर यूनिट (हृदय देखभाल इकाई) में देखरेख में रखा गया और 48 घंटे बाद उसे छुट्टी दे दी गई। मरीज अब अपने दैनिक कार्यों को करने में सक्षम हो गया है और अपने परिवार के सदस्यों के साथ सामान्य जीवन जी रहा है।”
डॉ. गजिंदर कुमार गोयल ने आगे कहा, “हृदय स्वास्थ्य केवल एक चिकित्सा चिंता नहीं है, बल्कि एक सामुदायिक जिम्मेदारी है। अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करके हम सामूहिक रूप से हृदय रोग के बोझ को कम कर सकते हैं। हम सभी से आग्रह करते हैं कि वे ‘दिल से काम लें’ और अपने स्वास्थ्य एवं सेहत को ठीक रखने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। वैश्विक स्तर पर दिल के दौरे की समस्या आमतौर पर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में देखी जाती है लेकिन लेकिन भारत में 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों में दिल के दौरे की समस्या तेजी से आम हो गई है। हार्ट अटैक के 50 प्रतिशत से अधिक मामले 50 वर्ष से कम आयु के लोगों में देखने को मिल रहे हैं और हार्ट अटैक के 10-25 प्रतिशत मामले 40 वर्ष से कम आयु के लोगों में सामने आ रहे हैं। इसलिए अगर युवा लोगों को सीने में दर्द, बहुत ज़्यादा पसीना आना, घबराहट होना, सांस फूलने जैसी समस्या हो तो कृपया इसे नज़रअंदाज़ न करें क्योंकि ये हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत नज़दीकी डॉक्टर से सलाह लें।”
Friday, 16 August 2024
Blood donation camp organized at JC Bose University
Thursday, 11 July 2024
फाइज़र और अमृता अस्पताल फरीदाबाद ने वयस्क टीकाकरण के लिए उत्कृष्टता केंद्र के लॉन्च के लिए किया कोलैबोरेट
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) का लक्ष्य वयस्क टीकाकरण को बढ़ावा देकर टीके से रोकी जा सकने वाली बीमारियों के खिलाफ सामुदायिक सुरक्षा को बढ़ाना है।
फरीदाबाद, 11 जुलाई 2024: अमृता अस्पताल और फ़ाइज़र इंडिया ने अमृता अस्पताल फरीदाबाद में वयस्क टीकाकरण के लिए एक नए समर्पित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) लॉन्च करने के लिए कोलैबोरेट किया है। सीओई की स्थापना न्यूमोकोकल रोग, इन्फ्लूएंजा, ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी), और हेपेटाइटिस ए और बी सहित कई वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों (वीपीडी) के खिलाफ समग्र समुदाय-व्यापी वयस्क वैक्सीनेशन कवरेज को बढ़ावा देने और लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए की गई है।
भारत में वीपीडी से संबंधित 95% से अधिक मौतों के लिए वयस्क जिम्मेदार हैं। लोगों के जीवन की क्वालिटी में सुधार के लिए एक सिद्ध और प्रभावी वैज्ञानिक रूप से समर्थित तरीका होने के बावजूद, एडल्ट वैक्सीनेशन अभी भी देश में व्यापक रूप से नहीं कराया जाता है। वीपीडी से संबंधित स्वास्थ्य जटिलताओं से बचने के लिए वैक्सीनेशन महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से क्रोनिक फेफड़ों की बीमारी (सीओपीडी और अस्थमा), मधुमेह, क्रोनिक हृदय रोग, क्रोनिक किडनी रोग, कैंसर और अन्य प्रतिरक्षाविहीन स्थितियों जैसे जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए यह आवश्यक है। एडल्ट वैक्सीनेशन के लंबे समय तक चलने वाले सिद्ध लाभों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी के साथ स्वास्थ्य पेशेवरों को सशक्त बनाकर, सीओई क्षेत्र में टीकाकरण की बाधाओं को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
अमृता अस्पताल फरीदाबाद के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. संजीव सिंह ने कहा, “अमृता अस्पताल में, हम अपने रोगियों को व्यापक, गुणवत्तापूर्ण देखभाल प्रदान करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं। जीवन भर टीके से बचाव योग्य बीमारियों के खिलाफ टीका लगवाना व्यक्तियों और जनता को इन बीमारियों से बचाने का एक आसान और प्रभावी तरीका है। वयस्कों के बीच टीकाकरण में वृद्धि को प्रोत्साहित करके, हम संक्रमण के खिलाफ व्यापक, स्तरित सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं, जो कमजोर आबादी का समर्थन करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।"
अमृता अस्पताल फरीदाबाद स्थित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस यह सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा प्रयास करेगा कि स्वास्थ्य देखभालकर्ता एडल्ड वैक्सीनेशन के लाभों और महत्व पर साक्ष्य-आधारित जानकारी से लैस हों। सीओई एडल्ड वैक्सीनेशन दिशानिर्देशों और प्रोटोकॉल सिफारिशों तक पहुंच के साथ-साथ क्षमता निर्माण प्रयासों और होलिस्टिक ट्रेनिंग मॉड्यूल की पेशकश करेगा। इससे स्वास्थ्य देखभाल चिकित्सकों को जोखिम कारकों वाले समूहों के साथ जुड़ने और निवारक स्वास्थ्य देखभाल उपकरण के रूप में टीकाकरण के लाभों पर चर्चा करने में भी मदद मिल सकती है। जोखिम कारकों वाले लोगों में धूम्रपान करने वाले व्यक्ति, प्रदूषण के संपर्क में रहने वाले या 50 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोग शामिल हैं।
फाइजर वैक्सीन के डायरेक्टर मेडिकल अफेयर डॉ. संतोष तौर ने कहा, “फाइजर में, हम अधिक से अधिक लोगों को स्वस्थ, रोग-मुक्त जीवन जीने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अमृता अस्पताल के सहयोग से इस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का उद्घाटन वैज्ञानिक नवाचार के नेतृत्व में सार्वजनिक स्वास्थ्य को आगे बढ़ाने की हमारी दशकों लंबी यात्रा में एक महत्वपूर्ण माइलस्टोन है। यह टीके से बचाव योग्य बीमारियों के खिलाफ अधिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरे समुदाय में वयस्क टीकाकरण कवरेज को बढ़ाने की हमारी प्रतिबद्धता को दोहराता है। इस केंद्र के माध्यम से, हम स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और रोगियों को देखभाल निर्णय लेने और टीकाकरण जैसी निवारक रणनीतियों को अपनाने के लिए व्यापक और महत्वपूर्ण जानकारी के साथ सशक्त बनाने का इरादा रखते हैं।"
Friday, 1 December 2023
फोर्टिस अस्पताल फरीदाबाद में 51 साल के एक फैक्ट्री कर्मचारी के लीवर से 9 से.मी. की धातु की गोलाकार वस्तु सफलतापूर्वक निकाली गई
फरीदाबाद, 01 दिसंबर, 2023: फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल, फरीदाबाद में डॉक्टरों की एक टीम ने 51 साल के एक फैक्ट्री कर्मचारी के लीवर से 9 से.मी. की धातु की गोलाकार वस्तु सफलतापूर्वक निकाली। करीब 86 ग्राम वज़न की यह वस्तु दरअसल, उस एल्युमीनियम फोर्जिंग फैक्ट्री में लगी मशीनरी का टूटा हुआ हिस्सा था जिसमें यह मरीज़ काम करता था। यह घटना उस समय हुई जब इस हाइ-स्पीड मशीनरी में से धातु का एक हिस्सा इस कर्मचारी के दाएं फेफड़े को चीरता हुआ सीने की हड्डियों के पार उसके लीवर में जा घुसा। धातु का हिस्सा उसके लीवर की बायीं ओर घुसने से पहले उसके हृदय को भी हल्का-सा छूकर गुजरा। मरीज़ फरीदाबाद स्थित जवाहर कालोनी का रहने वाला है।
डॉ बी डी पाठक, डायरेक्टर, जनरल सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने अत्याधुनिक लैपरोस्कोपिक तकनीक की मदद से इस इस धातु की वस्तु को निकाला। जिस तकनीक से यह सर्जरी की गई उसके चलते आसपास के अंगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा और और करीब एक घंटे से भी कम समय में इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। मरीज़ को स्वस्थ होने के बाद 7 दिनों में अस्पताल से छुट्टी मिल गई।
मरीज को काफी गंभीर हालत में अस्पताल में लाया गया था और उन्हें काफी दर्द था। उनकी छाती और पेट में सीटी स्कैन दायीं तरफ न्यूमोथोरैक्स (फेफड़े के बाहर की ओर हवा भरना) दिखायी दिया जबकि लीवर के बायीं ओर और हृदय के ठीक नीचे एक बड़ी धातु की वस्तु थी। मरीज के लीवर इस वस्तु को निकालने के लिए उन्की लैपरोस्कोपिक सर्जरी की गई। इस सर्जरी के दौरान न सिर्फ इस बाहरी वस्तु को निकाला गया बल्कि इसकी वजह से लीवर और अन्य टिश्यू को पहुंचे नुकसान के चलते उन्हें रिपेयर भी किया गया।
डॉ बी डी पाठक, डायरेक्टर, जनरल सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद ने कहा, “हमने एडवांस लैपरोस्कोपिक तकनीक की मदद से इस धातु की वस्तु को निकाला। आमतौर पर इस तरह के मामलों में पेट में बड़ा चीरा लगाया जाता है, लेकिन इस मामले में यह वस्तु फेफड़े के बायीं ओर हृदय के काफी नजदीक थी, इसलिए इस दोनों नाजुक अंगों को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने के लिए नवीनतम लैपरोस्कोपिक तकनीक का सहारा लिया गया। इस वस्तु की वजह से फेफड़े, लीवर और आसपास के कुछ अंगों को नुकसान पहुंचा था। यदि इसे समय पर नहीं निकाला जाता तो मरीज की मृत्यु हो सकती थी या वह लंबे समय तक लीवर के बेकार पड़ने और अन्य जटिलताओं से ग्रस्त हो सकता था।”
योगेंद्र नाथ अवधीया, फैसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल फरीदाबाद ने कहा, “मरीज की गंभीर हालत के मद्देनज़र यह काफी चुनौतीपूर्ण मामला था। डॉ बी डी पाठक, डॉ सैयद सादिक अली हफ्फान और डॉ विनीत एवं डॉ एविटा के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने मिनीमल एक्सेस तकनीक की मदद से मरीज का एकदम सटीक उपचार किया। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल फरीदाबाद में सटीक डायग्नासिस और उपचार के लिए अनुभवी क्लीनिशयन और एडवांस टैक्नोलॉजी उपलब्ध है, जो मरीजों के स्वास्थ्यलाभ में मददगार साबित होती है।”