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Wednesday, 18 June 2025

अमेरिका तक पहुंचा बिहार का मखाना

अमेरिका तक पहुंचा बिहार का मखाना

*बिहार में मखाना उत्पादन 10 वर्ष में हुआ दो गुणा*
 
- बिहार में 2012 तक मखाना की खेती करीब 13 हजार हेक्टेयर में होती थी, जो अब बढ़कर 35 हजार 224 हेक्टेयर हो गई 
- उत्पादकता 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हुई

*पटना, 18 जून।*बिहार सरकार के प्रयासों से मखाना के उत्पादन में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। पिछले 10 वर्षों में मखाना की खेती का रकबा दो गुणा बढ़ गया है। कृषि विभाग और कॉम्फेड की कोशिशों से ही बीते दिनों सुधा ने मखाना अमेरिका तक भेजा है।
            
वर्ष 2012 तक बिहार में मखाना की खेती लगभग 13 हजार हेक्टेयर में होती थी। मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के अन्तर्गत मखाना का क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है, जिससे मखाना की खेती का रकबा बढ़कर 35 हजार 224 हेक्टेयर हो गया है। मखाना विकास योजना के तहत मखाना की उच्च प्रजाति के बीज के उपयोग से उत्पादकता में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। करीब 25 हजार किसान मखाना की खेती से जुड़े हुए हैं। केंद्र सरकार से मखाना को 20 अगस्त 2022 को भौगोलिक संकेतक यानी जीआई टैग मिथिला मखाना के नाम से मिल चुका है। 
 

*उत्पादन को बढ़ावा दे रही सरकार*
2019-20 में मखाना विकास योजना प्रारंभ की गई, जिसमें मखाना अनुसंधान केन्द्र, दरभंगा के विकसित स्वर्ण वैदेही तथा भोला पासवान शास्त्री, कृषि महाविद्यालय का विकसित सबौर मखाना-1 प्रभेद को प्रत्यक्षण के माध्यम से बढ़ावा दिया गया। बिहार सरकार की मखाना विकास योजना के अंतर्गत 10 जिलों में मखाना के उत्पादन का विस्तार हुआ है। इसके साथ किसानों को अन्य वित्तीय सहायता भी दी जाती है, जैसे - मखाना संग्रहण के लिए भंडार गृह निर्माण पर अनुदान, बिहार एवं बिहार से बाहर व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए मखाना महोत्सव का आयोजन आदि।

*10 जिलों में होता है मखाना*
राज्य के 10 जिलों दरभंगा, मधुबनी, कटिहार, अररिया, पूर्णियाँ, किशनगंज, सुपौल,  मधेपुरा, सहरसा, और खगड़िया में मुख्य रूप से मखाना का उत्पादन होता है। मखाना के वैश्विक विस्तार से बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए अब इसका उत्पादन 16 जिलों में विस्तारित किया गया है। देश में कुल उत्पादित मखाना का लगभग 85 प्रतिशत बिहार में होता है।

*राजस्व में हुई 4.57 गुणा की बढ़ोतरी*
2005 के पूर्व जहां मत्स्य/मखाना जलकरों से राजस्व प्राप्ति 3.83 करोड़ रुपये थी। वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 17.52 करोड़ रुपये हो गई है। राजस्व प्राप्ति में 4.57 गुना की बढ़ोत्तरी हो चुकी है। मखाना के वैश्विक स्तर पर बढ़ती मांग को देखते हुए इसके निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए अब मखाना बोर्ड का गठन किया जा रहा है। यह बोर्ड मखाना के समेकित विकास जैसे क्षेत्र विस्तार, यांत्रिकरण, प्रसंस्करण, विपणन और निर्यात को समृद्ध करेगा।

Saturday, 14 June 2025

मानव रचना ने ब्लू फूड टेक्नोलॉजी में बड़ा नवाचार किया, वैश्विक पोषण और स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में अहम कदम

मानव रचना ने ब्लू फूड टेक्नोलॉजी में बड़ा नवाचार किया, वैश्विक पोषण और स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में अहम कदम

 


प्रोटीन से भरपूर आहार की बढ़ती मांग को देखते हुए ब्लू फूड प्रोसेसिंग में नवाचार किए जा रहे हैं, ताकि पोषण, स्थिरता और उत्पादन क्षमता बेहतर की जा सके।

हाई-प्रेशर प्रोसेसिंग और रीसर्क्युलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS) जैसी तकनीकें पर्यावरण पर असर घटाते हुए उत्पादन बढ़ाने में मदद कर रही हैं।

माइक्रोएल्गी के जेनेटिक मॉडिफिकेशन और नैनोइमल्शन जैसी तकनीकें ब्लू फूड्स की पौष्टिकता और शेल्फ लाइफ बढ़ाकर पोषण की वैश्विक कमी को दूर करने में सहायक हैं।


*फरीदाबाद, 14 जून 2025: मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज़ (MRIIRS) के बायोटेक्नोलॉजी विभाग की रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा और स्थिरता पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण शोध प्रस्तुत किया है। “ब्लू फूड प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजीज और सतत विकास में उनका महत्व” विषय पर प्रकाशित शोध पत्र में डॉ. विनय कुमार पांडे ने इस क्षेत्र में हो रहे अहम बदलावों और तकनीकों की विस्तार से जानकारी दी है।


ब्लू फूड प्रोसेसिंग का मतलब है मछली, शैवाल और अन्य जलीय जीवों का उत्पादन और प्रसंस्करण, जो इंसानी आहार के लिए उपयोग किए जाते हैं। बढ़ती जनसंख्या की पोषण संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने में ये स्रोत अहम होते जा रहे हैं। लेकिन पारंपरिक तरीके जैसे कि सामान्य मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर अब न तो पर्यावरण के लिहाज़ से टिकाऊ हैं और न ही ज़रूरतों के हिसाब से पर्याप्त। शोध में ऐसी तकनीकों पर ज़ोर दिया गया है जो खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पारिस्थितिक संतुलन भी बनाए रख सकें।


जैसे-जैसे दुनिया भर में प्रोटीन युक्त खाने की मांग बढ़ रही है, ब्लू फूड्स को इस तरह प्रोसेस करने की जरूरत महसूस की जा रही है, जिससे उनकी पौष्टिकता, टिकाऊपन और उत्पादन की क्षमता तो बढ़े ही, साथ ही पर्यावरण पर असर भी कम हो।


शोध में कई उभरती तकनीकों का ज़िक्र किया गया है, जो इस क्षेत्र में बदलाव ला रही हैं। इनमें हाई-प्रेशर प्रोसेसिंग (HPP), फ्रीज़-ड्राइंग, अल्ट्रासाउंड असिस्टेड एक्सट्रैक्शन, पल्स्ड इलेक्ट्रिक फील्ड्स (PEF), प्लाज़्मा टेक्नोलॉजी और माइक्रोवेव इंडक्शन हीटिंग शामिल हैं। ये तकनीकें खाद्य सुरक्षा बनाए रखने, पोषक तत्वों को संरक्षित रखने, उत्पादन प्रक्रिया तेज करने और उत्पाद की शेल्फ लाइफ बढ़ाने में मदद करती हैं, वह भी बिना किसी हानिकारक रसायन या अधिक ऊर्जा उपयोग के।


डॉ. विनय कुमार पांडे, सहायक प्रोफेसर, रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल, बायोटेक्नोलॉजी विभाग, MRIIRS ने कहा, "ब्लू फूड प्रोसेसिंग में हो रहे नवाचारों की मदद से साल भर उत्पादन किया जा सकता है, वो भी पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाते हुए। रीसर्क्युलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम जैसी तकनीकें पानी की खपत घटाने में मदद कर रही हैं, वहीं ब्लॉकचेन से समुद्र से थाली तक पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकती है।"


रीसर्क्युलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS) विशेष रूप से प्रभावी साबित हो रही है। यह तकनीक बंद टैंक में पानी को लगातार साफ कर दोबारा उपयोग करती है, जिससे पर्यावरण पर असर कम होता है और बीमारियों से निपटने में भी मदद मिलती है, वो भी बिना ज्यादा 

एंटीबायोटिक्स के। यह प्रणाली शहरों और जमीन के अंदरूनी इलाकों में मत्स्य पालन के लिए बेहद उपयुक्त है और साल भर बेहतर गुणवत्ता वाली मछली उत्पादन संभव बनाती है।


शोध में ब्लू बायोटेक्नोलॉजी की संभावनाओं पर भी ध्यान दिया गया है। इसमें माइक्रोएल्गी के जेनेटिक मॉडिफिकेशन के ज़रिए पोषकता और उत्पादन क्षमता बढ़ाई जाती है। इससे ओमेगा-3, अमीनो एसिड और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर ब्लू फूड तैयार किए जा सकते हैं। नैनोइमल्शन तकनीकों की मदद से पोषक तत्वों की उपलब्धता, स्थायित्व और शेल्फ लाइफ में सुधार होता है, जिससे रेडी-टू-ईट ब्लू फूड्स को बढ़ावा मिल रहा है।

हालांकि इन तकनीकों की संभावनाएं बहुत हैं, लेकिन विकासशील देशों में इनका इस्तेमाल अब भी चुनौतियों से भरा है—जैसे कि उच्च लागत, आधारभूत संरचना की कमी और तकनीकी विशेषज्ञता का अभाव। शोध में नीति निर्माताओं, उद्योगों और निवेशकों से इन बाधाओं को दूर करने और इन टिकाऊ तकनीकों को अपनाने में तेजी लाने की अपील की गई है।

अब कचरे से हरित कोयले के उत्पादन की योजना भी धरातल पर तेजी से उतरेगी: कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल

अब कचरे से हरित कोयले के उत्पादन की योजना भी धरातल पर तेजी से उतरेगी: कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल

 

हरियाणा के शहरी स्थानीय निकाय मंत्री विपुल गोयल ने वाराणसी में एनटीपीसी के हरित कोयला परियोजना प्लांट का विभाग के अधिकारियों के साथ किया दौरा।





वाराणसी/गुरुग्राम/फरीदाबाद, 15 जून: हरियाणा सरकार में शहरी स्थानीय निकाय, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, और नागरिक उड्डयन जैसे अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे कैबिनेट मंत्री श्री विपुल गोयल ने शनिवार को वाराणसी स्थित एनटीपीसी के हरित कोयला परियोजना (Green Coal Project) प्लांट का दौरा किया।मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जी के नेतृत्व में गुरुग्राम एवं फरीदाबाद में हरित कोयला संयंत्रों की स्थापना के लिए एनटीपीसी के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) केंद्रीय विद्युत मंत्री श्री मनोहर लाल जी की उपस्थिति में पर20July 2024 को  हस्ताक्षर किए थे  और व इस दौरे से इस परियोजना के क्रियान्वयन प्रक्रिया  को गति मिलेगी ।

इस अवसर पर शहरी स्थानीय निकाय विभाग के आयुक्त एवं सचिव श्री विकास गुप्ता (IAS), श्री धीरेंद्र (IAS) आयुक्त फरीदाबाद म्युनिसिपल कारपोरेशन , संयुक्त सचिव श्री कंवर सिंह (HCS), तथा ओएसडी श्री सौरभ ढल सहित अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय टीम मौजूद रही। टीम ने वाराणसी के ग्रीन कोल प्लांट की तकनीकी दक्षता, संचालन प्रक्रिया और पर्यावरणीय प्रभाव का प्रत्यक्ष अवलोकन किया। इस दौरान यह समझा गया कि किस प्रकार बिना किसी पर्यावरणीय क्षति के ठोस कचरे से कोयले का उत्पादन संभव है।


फरीदाबाद और गुरुग्राम में लगेंगे अत्याधुनिक संयंत्र

कैबिनेट मंत्री श्री विपुल गोयल ने जानकारी दी कि हरियाणा में फरीदाबाद और गुरुग्राम को प्राथमिकता के आधार पर इस परियोजना से जोड़ा जाएगा। बीते वर्ष ही एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड के साथ ग्रीन कोल प्लांट लगाने की सहमति बनी थी और प्रारंभिक सर्वेक्षण भी पूरे किए गए थे।

फरीदाबाद प्रतिदिन लगभग 600–700 टन और गुरुग्राम लगभग 1000–1200 टन ठोस शहरी कचरा उत्पन्न करते हैं। प्रस्तावित संयंत्रों के माध्यम से दोनों शहरों में प्रतिदिन 400–500 टन हरित कोयले का उत्पादन किया जा सकेगा। यह हरित कोयला परंपरागत कोयले का वैकल्पिक स्रोत बनेगा जिससे ऊर्जा उत्पादन में नवाचार, कार्बन उत्सर्जन में कमी, और स्वच्छता में क्रांतिकारी परिवर्तन संभव होगा।

फरीदाबाद में कुछ स्थानीय आपत्तियों के चलते कार्य में अस्थायी विलंब हुआ, जबकि गुरुग्राम में तकनीकी कारणों से सर्वेक्षण रुका था। हालांकि गुरुग्राम में स्थानीय स्तर पर कोई विरोध दर्ज नहीं हुआ था। इन सभी अवरोधों को दूर करने और जनसमर्थन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मंत्री गोयल ने वाराणसी के सफल मॉडल का गहन अध्ययन किया।




क्या है हरित कोयला परियोजना?

एनटीपीसी का यह ग्रीन कोल प्लांट एक आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक पर आधारित संयंत्र है, जिसमें ठोस शहरी कचरे का प्रोसेसिंग कर उससे ईंधन योग्य कोयला तैयार किया जाता है। वाराणसी में संचालित संयंत्र प्रतिदिन 600 टन कचरे से 200 टन ग्रीन कोल का उत्पादन कर रहा है।

यह तकनीक न केवल कचरे के पहाड़ों को कम करेगी बल्कि उस कोयले का उपयोग बिजली उत्पादन जैसे क्षेत्रों में भी किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त यह शहरी भूमि को कचरा मुक्त कर विकास कार्यों हेतु पुनः उपयोग के योग्य बनाएगी।



एमओयू के साथ आगे बढ़ेगा हरियाणा

कैबिनेट मंत्री श्री विपुल गोयल ने बताया कि एनटीपीसी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हो चुके हैं और अब प्रशासनिक स्तर पर फरीदाबाद व गुरुग्राम में परियोजना के क्रियान्वयन की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।

उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जी के नेतृत्व में हरियाणा निरंतर प्रगति की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। अब कचरे से हरित कोयला उत्पादन की योजना भी धरातल पर उतरेगी और हरियाणा कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में राष्ट्रीय उदाहरण बनेगा।"



पर्यावरण संरक्षण की दीर्घकालिक दृष्टि

श्री विपुल गोयल का पर्यावरण के प्रति जुड़ाव कोई नया नहीं है। वे वर्षों से प्लास्टिक मुक्त भारत अभियान, वृक्षारोपण और जन-जागरूकता जैसे अभियानों में अग्रणी भूमिका निभा चुके हैं। इसके लिए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण सेवा सम्मान भी प्राप्त हो चुका है।

अब जब वे शहरी विकास जैसे रणनीतिक विभागों की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, तो उन्होंने नीति निर्माण से लेकर क्रियान्वयन तक पर्यावरणीय दृष्टिकोण को केंद्र में रखा है। वाराणसी दौरा और एनटीपीसी के साथ समझौता इस सोच का सशक्त प्रमाण है।



स्वच्छ शहर – समृद्ध हरियाणा की दिशा में ऐतिहासिक पहल

इस परियोजना से फरीदाबाद और गुरुग्राम जैसे घनी आबादी वाले शहर न केवल कचरा-मुक्त और ऊर्जा सक्षम बनेंगे, बल्कि यह पहल पर्यावरणीय स्थिरता, रोज़गार सृजन, और तकनीकी नवाचार के नए अवसर भी लाएगी।

कैबिनेट मंत्री श्री विपुल गोयल ने विश्वास जताया कि यह परियोजना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के 'स्वच्छ भारत – स्वच्छ ऊर्जा' के विज़न को साकार करने की दिशा में हरियाणा द्वारा उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम सिद्ध होगा।

Saturday, 10 May 2025

 समय आने में पर मां निभा सकती है सोफिया कुरैशी और व्योमिका सिंह का रूप : राजीव जेटली

समय आने में पर मां निभा सकती है सोफिया कुरैशी और व्योमिका सिंह का रूप : राजीव जेटली

मां ही बच्चों में डालतीं है संस्कार : दीपक यादव

faridabad : विद्यासागर इंटरनेशनल स्कूल में बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए माताओं की महत्ता को बताने के लिए हुआ 'स्वर्णिम आंचल' कार्यक्रम का आयोजन
ग्रेटर फरीदाबाद। यहां स्थित विद्यासागर इंटरनेशनल स्कूल घरौंडा में शनिवार को मदर्स डे का आयोजन किया गया। जिसमें विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे अधिकतर बच्चों की माताओं ने विभिन्न प्रतियोगिता में भाग लिया और अपनी बेहतर उपस्थिति दर्ज कर पुरस्कार प्राप्त किए। वहीं इस दौरान माताओं के साथ विद्यार्थियों के विकास और शिक्षा को लेकर चर्चा की गई। इस मौके पर मां की महत्ता के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी दी गई। वहीं विद्यालय में दी जा रही वर्तमान सुविधाओं के बारे में चर्चा की गई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश मुख्यमंत्री के मीडिया एडवाइजर राजीव जेटली उपस्थित रहें। वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय के चेयरमैन धर्मपाल यादव ने की। कार्यक्रम में छात्राओं को मोटिवेशन के लिए सोफिया कुरैशी और व्योमिका सिंह द्वारा देश के लिए निभाने वाली भूमिका की महत्ता के बारे में बताया।

इस कड़ी मेंं राजीव जेटली ने पौधारोपण कर कार्यक्रम की शुरुआत करी! विद्यालय में उपस्थित माताओं, अध्यापक व विद्यार्थियों के साथ स्कूल स्टाफ को संबोधित करते हुए कहा कि वे इस विद्यालय के शुभारंभ पर पहुंचे थे उस समय विद्यालय की तरफ से वादा किया गया था कि छात्राओं को निशुल्क दाखिला दिया जाएगा। जिस वादें पर आज भी विद्यालय खड़ा है। यह अपने आप में गौरव की बात है। वहीं उन्होंने मुख्य रूप से माताओं के मोटिवेशन के लिए रखें गए मदर्स डे का खुले दिल से प्रशंसा की।
इसी क्रम में विद्यालय के निदेशक दीपक यादव ने कहा कि मां ही सबसे पहला गुरु होती है। इसलिए बच्चों की मां को उनके करियर और विकास पर ध्यान देना चाहिए । कि बच्चा क्या चाहता है? उसकी रुचि किस विषय में है? तभी वे बच्चों को सही मार्गदर्शन दे पाएंगी। बच्चों के संस्कार, विकास के लिए माता-पिता का सहयोग आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मां का आंचल स्वर्णिम होता है। लेकिन जब बात देश के लिए हो तो वह वहां भी सोफिया कुरैशी और व्योमिका सिंह जैसा रूप भी निभा सकतीं हैं।  
इसी क्रम में चेयरमैन धर्मपाल यादव ने कहा कि मां की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि मां प्राथमिक गुरु के साथ बच्चे की देखभाल करती है। बच्चें के आहार से लेकर उसके स्वास्थ्य व स्वच्छता का ध्यान रखती है। वहीं विद्यालय प्रिंसिपल रेखा मलिक ने कहा कि सभी माताएं अपने बच्चों पर गहरी नज़र रखें उनको मजबूत बनाने के लिए शौर्य और बलिदान की कहानी सुनाएं। ताकि वे अपने परिवार के साथ देश का नाम रोशन करें।
कार्यक्रम के अंत में विद्यालय की तरफ से मुख्य अतिथि राजीव जेटली को चेयरमैन धर्मपाल यादव ने शॉल तो सम्मी यादव ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। जबकि प्रधानाचार्य रेखा मलिक ने विद्यालय में पहुंचे अतिथि व माताओं का आभार व्यक्त किया।

Sunday, 4 May 2025

सेक्टर-16 को मिली नई सौगात, पार्क में सौंदर्यकरण व नव निर्माण कार्यों का हुआ शिलान्यास : अमन गोयल

सेक्टर-16 को मिली नई सौगात, पार्क में सौंदर्यकरण व नव निर्माण कार्यों का हुआ शिलान्यास : अमन गोयल




अमन गोयल बोले - कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल जी के नेतृत्व में ‘उत्कृष्ट फरीदाबाद’ का हो रहा निर्माण।


फरीदाबाद, 4 मई:
फरीदाबाद में बुनियादी सुविधाओं के साथ-साथ अब शहर की खूबसूरती और जन-सुविधा केंद्रों को भी नए रूप में सजाया जा रहा है। इसी दिशा में आज सेक्टर-16 के पार्क में नव निर्माण एवं सौंदर्यकरण कार्यों का शुभारंभ हुआ। भाजपा नेता अमन गोयल ने इस कार्य का शिलान्यास करते हुए बताया कि ₹10 लाख की लागत से पार्क में धौलपुर स्टोन लगाया जाएगा और पार्क को नई साज-सज्जा दी जाएगी।

कार्यक्रम में स्थानीय नागरिकों और आरडब्ल्यूए पदाधिकारियों की मौजूदगी रही, जिन्होंने इस पहल को बेहद सराहा।

अमन गोयल ने कहा, "यह सिर्फ एक पार्क नहीं, लोगों की दिनचर्या, उनके सुकून और स्वास्थ्य से जुड़ा केंद्र है। हमारा प्रयास है कि हर मोहल्ला, हर गली, हर सार्वजनिक स्थान न केवल व्यवस्थित हो, बल्कि ऐसा हो जहां लोग आनंद से समय बिता सकें। आदरणीय कैबिनेट मंत्री श्री विपुल गोयल जी के नेतृत्व में फरीदाबाद को एक उत्कृष्ट, स्वच्छ और सुसज्जित शहर बनाने की दिशा में हम लगातार काम कर रहे हैं।”

उन्होंने आगे बताया कि पार्क के सौंदर्यकरण से बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं को विशेष लाभ मिलेगा। पार्क में अब एक साफ-सुथरा और मजबूत फर्श होगा, जिससे बरसात या गर्मियों में आने-जाने में परेशानी न हो। साथ ही, सौंदर्यकरण के ज़रिए पार्क को देखने में भी एक नया आकर्षण मिलेगा।

इस मौके पर वार्ड पार्षद कुलदीप सिंह साहनी, अजरौंदा मंडल अध्यक्ष शुभांकित गुप्ता, रेनू मलिक, एल.पी. सिंह, राजीव अरोड़ा, नीरज मित्तल, सुशील बयाना, RWA प्रेसिडेंट संजय निझावन और एस.पी. मेहता समेत कई गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।
स्थानीय लोगों ने सरकार और भाजपा नेतृत्व का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “यह वही काम हैं जो आम आदमी की ज़िंदगी को सीधे प्रभावित करते हैं। यह देख कर अच्छा लगता है कि नेता सिर्फ वादे नहीं कर रहे, ज़मीन पर काम भी कर रहे हैं।”

इस अवसर पर अमन गोयल ने कहा कि फरीदाबाद में हो रहे ऐसे काम इस बात की गवाही हैं कि शहर की तस्वीर धीरे-धीरे नहीं, बल्कि तेज़ी से बदल रही है—विकास की एक नई परिभाषा गढ़ी जा रही है, जहां नागरिकों की सुविधा और सम्मान दोनों को प्राथमिकता दी जा रही है।