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Monday, 8 September 2025

बारिश में बच्चों में खांसी, बुखार के साथ डायरिया और पीलिया का खतरा बढ़ा

बारिश में बच्चों में खांसी, बुखार के साथ डायरिया और पीलिया का खतरा बढ़ा




 फरीदाबाद। बरसात का मौसम जहां तपती गर्मी से राहत लेकर आता है, वहीं यह बच्चों के स्वास्थ्य के लिए कई बीमारियों का कारण भी बन रहा है। ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर-86 स्थित एकॉर्ड अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. तौशीफ के अनुसार इस मौसम में बच्चों में खांसी, जुकाम, बुखार, डायरिया और पीलिया जैसी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ जाता है। नमी और गंदगी के कारण वायरस व बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं, जिससे संक्रमण फैलने की आशंका अधिक रहती है।

डॉ. तौशीफ ने बताया कि बीते 15 दिनों में अस्पताल की बाल रोग ओपीडी में करीब 20 प्रतिशत मरीज बढ़े हैं। इनमें ज्यादातर बच्चे खांसी-जुकाम और बुखार से पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि लगातार उल्टी-दस्त, आंखों और त्वचा का पीला पड़ना, कमजोरी और भूख न लगना जैसे लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि लापरवाही छोटी समस्या को गंभीर बना सकती है।

उन्होंने अभिभावकों को सतर्क करते हुए कहा कि बरसात के मौसम में बच्चों को हमेशा हल्का और ताजा भोजन दें। बाहर का तला-भुना या बासी खाना खिलाने से बचें। बच्चों को साफ और सूखे कपड़े पहनाएं तथा उबला या फिल्टर किया हुआ पानी ही पिलाएं। साथ ही घर और आसपास की साफ-सफाई बनाए रखें ताकि मच्छर और गंदगी से पनपने वाले रोगों से बचाव किया जा सके।

उन्होंने लोगों से अपील की कि बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पौष्टिक आहार दें। किसी भी बीमारी के लक्षण दिखने पर घरेलू उपचार में समय न गंवाएं और तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। समय पर इलाज से बरसात के मौसम में होने वाली गंभीर बीमारियों से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आधारित पुस्तक 'विकास पुरुष' का भव्य लोकार्पण

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आधारित पुस्तक 'विकास पुरुष' का भव्य लोकार्पण



पटना, 8 सितंबर: प्रख्यात लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के व्यक्तित्व और कार्यों पर आधारित पुस्तक 'विकास पुरुष' का लोकार्पण बिहार विधान परिषद सभागार में संपन्न हुआ। इस अवसर पर बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव और बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने संयुक्त रूप से पुस्तक का विमोचन किया। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार विधान परिषद उपसभापति प्रो राम वचन राय ने किया।
लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने बताया कि इस पुस्तक के माध्यम से उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संघर्ष, दृष्टिकोण और विकासोन्मुख सोच को शब्दों में पिरोने का प्रयास किया है।
विधानसभा अध्यक्ष नन्द किशोर यादव ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री को विकास कार्यों को प्रारंभिक दौर से देखता आ रहा हूँ। इन्होंने विकास कार्य को प्राथमिकता दी है। लेखक मुरली जी ने इस पुस्तक के माध्यम से नीतीश सरकार की क्षवि को बहुत ही करीने से प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है।
विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कहा- बिहार का गौरवशाली इतिहास है। नीतीश जी ने बिहार में बसावट तक कनेक्टिविटी कर बिहार को विकसित राज्य बना दिया है। मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने विकास पुरुष पुस्तक में उन सारे विकासात्मक तथ्यों को भी उजागर किया है जो नई पीढ़ी को जानना बहुत जरूरी है।
विशिष्ट अतिथि प्रो. नवल किशोर यादव ने अपने सम्बोधन में कहा कि मुख्यमंत्री के विकास कार्य ही उनकी पहचान है। नीतीश जी खुद में ही इतिहास पुरुष बन चुके हैं।
बिहार धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष प्रो रणबीर नन्दन ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार  का कार्य बोल रहा है। इन्होंने इतना कार्य किया है कि पूरी दुनिया इनकी मुरीद है।
पूर्व मंत्री श्याम रजक ने अपने सम्बोधन में कहा कि नीतीश जी ने बिहार के विकास में खुद को पूरी तरह झोंक दिया आज उसी का नतीजा है कि बिहार अलग पहचान कायम कर चुका है।
वरिष्ठ पत्रकार सुजीत झा ने कहा नीतीश जी की कार्यशैली ही उनकी पहचान बन चुकी है। इन पर इतना बेहतर काम किया है मुरली जी ने यह गौरव की बात है।
किरण पब्लिकेशन के प्रबंधक निदेशक संकेत कुमार ने कहा हम गर्व करते हैं कि बिहारी हैं और मुख्यमंत्री जी ने बिहार के अस्तित्व को पुनः स्थापित कर दिया।
किरण पब्लिकेशन समूह के सीएमडी सत्यनारायण प्रसाद ने कहा मेरे लिए गौरव का क्षण है कि साहित्यिक पुस्तक पहली बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का हमारे पैनग्राम पब्लिशर्स ने प्रकाशित किया है। 
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बिहार विधान परिषद के उपसभापति प्रो रामवचन राय ने पुस्तक की सराहना करते हुए कहा कि यह कृति नीतीश कुमार के राजनीतिक जीवन, सुशासन, और बिहार के विकास में उनके योगदान को गहराई से उजागर करती है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक नई पीढ़ी को प्रेरणा देने का कार्य करेगी। 
मंच का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन प्रो जितेंद्र कुमार ने किया और उन्होंने अपील किया कि हमलोगों को अब सम्मान में इस तरह की पुस्तक को भेंट करने का संकल्प लेना चाहिए। इससे लोगों में पुस्तक पाठन के प्रति रुचि बढ़ेगी और जानकारी भी प्राप्त होगी।
कार्यक्रम में किरण पब्लिकेशन समूह की निदेशक रेणु प्रसाद,कवि समीर परिमल, प्रो अरुण सिंह, प्रो सुहेली मेहता,
पंकज सिंह, अरुण कुमार, रणजीत कुमार, मृत्युंजय सिंह, अनिशा सिन्हा, अतुल कुमार, अमरजीत कुमार, अमित शाखेर, संतोष तिवारी, आलोक पाठक,राकेश कुमार,  किशु, काव्या,अंजुम आरा,अनुराग सिन्हा, गौरव कुमार, नीतीश शर्मा, अंकित कुमार, रामजी सहित कई गणमान्य अतिथि, बुद्धिजीवी, लेखक और पत्रकार उपस्थित रहे।

Wednesday, 18 June 2025

अमेरिका तक पहुंचा बिहार का मखाना

अमेरिका तक पहुंचा बिहार का मखाना

*बिहार में मखाना उत्पादन 10 वर्ष में हुआ दो गुणा*
 
- बिहार में 2012 तक मखाना की खेती करीब 13 हजार हेक्टेयर में होती थी, जो अब बढ़कर 35 हजार 224 हेक्टेयर हो गई 
- उत्पादकता 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हुई

*पटना, 18 जून।*बिहार सरकार के प्रयासों से मखाना के उत्पादन में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। पिछले 10 वर्षों में मखाना की खेती का रकबा दो गुणा बढ़ गया है। कृषि विभाग और कॉम्फेड की कोशिशों से ही बीते दिनों सुधा ने मखाना अमेरिका तक भेजा है।
            
वर्ष 2012 तक बिहार में मखाना की खेती लगभग 13 हजार हेक्टेयर में होती थी। मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के अन्तर्गत मखाना का क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है, जिससे मखाना की खेती का रकबा बढ़कर 35 हजार 224 हेक्टेयर हो गया है। मखाना विकास योजना के तहत मखाना की उच्च प्रजाति के बीज के उपयोग से उत्पादकता में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। करीब 25 हजार किसान मखाना की खेती से जुड़े हुए हैं। केंद्र सरकार से मखाना को 20 अगस्त 2022 को भौगोलिक संकेतक यानी जीआई टैग मिथिला मखाना के नाम से मिल चुका है। 
 

*उत्पादन को बढ़ावा दे रही सरकार*
2019-20 में मखाना विकास योजना प्रारंभ की गई, जिसमें मखाना अनुसंधान केन्द्र, दरभंगा के विकसित स्वर्ण वैदेही तथा भोला पासवान शास्त्री, कृषि महाविद्यालय का विकसित सबौर मखाना-1 प्रभेद को प्रत्यक्षण के माध्यम से बढ़ावा दिया गया। बिहार सरकार की मखाना विकास योजना के अंतर्गत 10 जिलों में मखाना के उत्पादन का विस्तार हुआ है। इसके साथ किसानों को अन्य वित्तीय सहायता भी दी जाती है, जैसे - मखाना संग्रहण के लिए भंडार गृह निर्माण पर अनुदान, बिहार एवं बिहार से बाहर व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए मखाना महोत्सव का आयोजन आदि।

*10 जिलों में होता है मखाना*
राज्य के 10 जिलों दरभंगा, मधुबनी, कटिहार, अररिया, पूर्णियाँ, किशनगंज, सुपौल,  मधेपुरा, सहरसा, और खगड़िया में मुख्य रूप से मखाना का उत्पादन होता है। मखाना के वैश्विक विस्तार से बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए अब इसका उत्पादन 16 जिलों में विस्तारित किया गया है। देश में कुल उत्पादित मखाना का लगभग 85 प्रतिशत बिहार में होता है।

*राजस्व में हुई 4.57 गुणा की बढ़ोतरी*
2005 के पूर्व जहां मत्स्य/मखाना जलकरों से राजस्व प्राप्ति 3.83 करोड़ रुपये थी। वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 17.52 करोड़ रुपये हो गई है। राजस्व प्राप्ति में 4.57 गुना की बढ़ोत्तरी हो चुकी है। मखाना के वैश्विक स्तर पर बढ़ती मांग को देखते हुए इसके निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए अब मखाना बोर्ड का गठन किया जा रहा है। यह बोर्ड मखाना के समेकित विकास जैसे क्षेत्र विस्तार, यांत्रिकरण, प्रसंस्करण, विपणन और निर्यात को समृद्ध करेगा।

Saturday, 14 June 2025

मानव रचना ने ब्लू फूड टेक्नोलॉजी में बड़ा नवाचार किया, वैश्विक पोषण और स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में अहम कदम

मानव रचना ने ब्लू फूड टेक्नोलॉजी में बड़ा नवाचार किया, वैश्विक पोषण और स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में अहम कदम

 


प्रोटीन से भरपूर आहार की बढ़ती मांग को देखते हुए ब्लू फूड प्रोसेसिंग में नवाचार किए जा रहे हैं, ताकि पोषण, स्थिरता और उत्पादन क्षमता बेहतर की जा सके।

हाई-प्रेशर प्रोसेसिंग और रीसर्क्युलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS) जैसी तकनीकें पर्यावरण पर असर घटाते हुए उत्पादन बढ़ाने में मदद कर रही हैं।

माइक्रोएल्गी के जेनेटिक मॉडिफिकेशन और नैनोइमल्शन जैसी तकनीकें ब्लू फूड्स की पौष्टिकता और शेल्फ लाइफ बढ़ाकर पोषण की वैश्विक कमी को दूर करने में सहायक हैं।


*फरीदाबाद, 14 जून 2025: मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज़ (MRIIRS) के बायोटेक्नोलॉजी विभाग की रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा और स्थिरता पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण शोध प्रस्तुत किया है। “ब्लू फूड प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजीज और सतत विकास में उनका महत्व” विषय पर प्रकाशित शोध पत्र में डॉ. विनय कुमार पांडे ने इस क्षेत्र में हो रहे अहम बदलावों और तकनीकों की विस्तार से जानकारी दी है।


ब्लू फूड प्रोसेसिंग का मतलब है मछली, शैवाल और अन्य जलीय जीवों का उत्पादन और प्रसंस्करण, जो इंसानी आहार के लिए उपयोग किए जाते हैं। बढ़ती जनसंख्या की पोषण संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने में ये स्रोत अहम होते जा रहे हैं। लेकिन पारंपरिक तरीके जैसे कि सामान्य मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर अब न तो पर्यावरण के लिहाज़ से टिकाऊ हैं और न ही ज़रूरतों के हिसाब से पर्याप्त। शोध में ऐसी तकनीकों पर ज़ोर दिया गया है जो खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पारिस्थितिक संतुलन भी बनाए रख सकें।


जैसे-जैसे दुनिया भर में प्रोटीन युक्त खाने की मांग बढ़ रही है, ब्लू फूड्स को इस तरह प्रोसेस करने की जरूरत महसूस की जा रही है, जिससे उनकी पौष्टिकता, टिकाऊपन और उत्पादन की क्षमता तो बढ़े ही, साथ ही पर्यावरण पर असर भी कम हो।


शोध में कई उभरती तकनीकों का ज़िक्र किया गया है, जो इस क्षेत्र में बदलाव ला रही हैं। इनमें हाई-प्रेशर प्रोसेसिंग (HPP), फ्रीज़-ड्राइंग, अल्ट्रासाउंड असिस्टेड एक्सट्रैक्शन, पल्स्ड इलेक्ट्रिक फील्ड्स (PEF), प्लाज़्मा टेक्नोलॉजी और माइक्रोवेव इंडक्शन हीटिंग शामिल हैं। ये तकनीकें खाद्य सुरक्षा बनाए रखने, पोषक तत्वों को संरक्षित रखने, उत्पादन प्रक्रिया तेज करने और उत्पाद की शेल्फ लाइफ बढ़ाने में मदद करती हैं, वह भी बिना किसी हानिकारक रसायन या अधिक ऊर्जा उपयोग के।


डॉ. विनय कुमार पांडे, सहायक प्रोफेसर, रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल, बायोटेक्नोलॉजी विभाग, MRIIRS ने कहा, "ब्लू फूड प्रोसेसिंग में हो रहे नवाचारों की मदद से साल भर उत्पादन किया जा सकता है, वो भी पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाते हुए। रीसर्क्युलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम जैसी तकनीकें पानी की खपत घटाने में मदद कर रही हैं, वहीं ब्लॉकचेन से समुद्र से थाली तक पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकती है।"


रीसर्क्युलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS) विशेष रूप से प्रभावी साबित हो रही है। यह तकनीक बंद टैंक में पानी को लगातार साफ कर दोबारा उपयोग करती है, जिससे पर्यावरण पर असर कम होता है और बीमारियों से निपटने में भी मदद मिलती है, वो भी बिना ज्यादा 

एंटीबायोटिक्स के। यह प्रणाली शहरों और जमीन के अंदरूनी इलाकों में मत्स्य पालन के लिए बेहद उपयुक्त है और साल भर बेहतर गुणवत्ता वाली मछली उत्पादन संभव बनाती है।


शोध में ब्लू बायोटेक्नोलॉजी की संभावनाओं पर भी ध्यान दिया गया है। इसमें माइक्रोएल्गी के जेनेटिक मॉडिफिकेशन के ज़रिए पोषकता और उत्पादन क्षमता बढ़ाई जाती है। इससे ओमेगा-3, अमीनो एसिड और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर ब्लू फूड तैयार किए जा सकते हैं। नैनोइमल्शन तकनीकों की मदद से पोषक तत्वों की उपलब्धता, स्थायित्व और शेल्फ लाइफ में सुधार होता है, जिससे रेडी-टू-ईट ब्लू फूड्स को बढ़ावा मिल रहा है।

हालांकि इन तकनीकों की संभावनाएं बहुत हैं, लेकिन विकासशील देशों में इनका इस्तेमाल अब भी चुनौतियों से भरा है—जैसे कि उच्च लागत, आधारभूत संरचना की कमी और तकनीकी विशेषज्ञता का अभाव। शोध में नीति निर्माताओं, उद्योगों और निवेशकों से इन बाधाओं को दूर करने और इन टिकाऊ तकनीकों को अपनाने में तेजी लाने की अपील की गई है।

Sunday, 18 May 2025

एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप कोलंबो ,श्रीलंका के अंडर-22 मुक़ाबले मे बॉक्सर माही सिवाच फ़ाइनल में पहुँचीं ।

एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप कोलंबो ,श्रीलंका के अंडर-22 मुक़ाबले मे बॉक्सर माही सिवाच फ़ाइनल में पहुँचीं ।



फरीदाबाद द्रोणाचार्य बॉक्सिंग क्लब सेक्टर 12 स्पोर्ट्स कंपलेक्स की बॉक्सर माही सिवाच ने 16 से 24 मई तक चल रही एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप कोलंबो ,श्रीलंका अंडर-22 मुक़ाबले के 46 से 48 किलोग्राम भार वर्ग में बॉक्सर माही सिवाच फ़ाइनल में पहुँचीं । सेमीफ़ाइनल राउंड में उन्होने श्रीलंका की नेथमी कंकनमगे को दूसरे ही राउंड में एक तरफ़ा मुक़ाबला कर के फ़ाइनल में प्रवेश किया । 23 मई को फ़ाइनल में अब उनका मुक़ाबला कजाकिस्तान की अकबोटा बोलत से होगा। फरीदाबाद के डबुआ कॉलोनी में रहने वाली माही सिवाच के पिता का नाम देवेंद्र सिवाच तथा उनकी माता का नाम मुनेश कुमारी है। इससे पहले माही सिवाच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल प्राप्त कर चुकी है उन्होंने 2024 के बुडवा (मोंटेनेग्रो) मे आयोजित यूथ वर्ल्ड गेम्स में कांस्य पदक व 2022 जॉर्डन में आयोजित एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल कर देश का गौरव बढ़ाया था और इसी के साथ-साथ यूथ नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2024 में स्वर्ण पदक,जूनियर नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2022 में स्वर्ण पदक, कर्नाटक में आयोजित सब जूनियर नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीत चुकी है।द्रोणाचार्य बॉक्सिंग क्लब की स्थापना ओलंपियन व अर्जुन अवॉर्डी हरियाणा पुलिस में कार्यगर्त डीएसपी जय भगवान वह अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर डॉ राजीव गोदारा के द्वारा 2013 में की गई थी व इस क्लब ने हर्ष गिल, अनुपमा, हिम्मत सिंह, हर्ष गहलोत, हर्ष शर्मा, तनीषा लांबा, माही सिवाच, अमनदीप जैसे कई अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर निकाले हैं, तथा इसी क्लब के बच्चे हरियाणा पुलिस ,रेलवे तथा आर्मी मे गवर्नमेंट जॉब में कार्यगर्त हैं। इन्हीं अचीवमेंट्स को देखते हुए हरियाणा सरकार के द्वारा द्रोणाचार्य बॉक्सिंग क्लब को सरकारी खेल नर्सरी दी गई और इसी नर्सरी के कई बच्चे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फरीदाबाद जिले का नाम रोशन कर चुके हैं