● यूनिवर्सिटी में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) रिसीवर और अंतरिक्ष अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की गई
● इसरो लैब के सहयोग से राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान प्रयोगशाला (एनएआरएल) के रिसीवरों की उत्तर-दक्षिण श्रृंखला का हिस्सा है ये पहल
● अतिथि व्याख्यान में इसरो साइंटिस्ट डॉ. निर्विकार दशोरा और श्री हिमांशु एस सेठी ने रखे विचार
फरीदाबाद, 15 जून 2024: मानव रचना यूनिवर्सिटी (एमआरयू) में स्कूल ऑफ साइंसेज के विज्ञान विभाग की ओर से शुक्रवार को “ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) रिसीवर” की स्थापना की गई। ये प्रयोगशाला राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान प्रयोगशाला (एनएआरएल)-भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सहयोग से स्थापित की गई है। इस दौरान एक गेस्ट लेक्चर का आयोजन भी हुआ, जिसका उद्देश्य वायुमंडलीय और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में अनुसंधान करने के लिए संकाय को प्रोत्साहित करना है।
एमआरयू जीएनएसएस रिसीवर की स्थापना करने वाला देश का पहला निजी शिक्षण संस्थान है, ऐसे में ये पहल अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एमआरयू की अनुसंधान क्षमताओं में बेहतरी को दर्शाती है। गेस्ट लेक्चर में में वैज्ञानिकों की एक प्रतिष्ठित टीम शामिल हुई, जिनमें डॉ. निर्विकार दशोरा (साइंटिस्ट/इंजीनियर-एसएफ, विभागाध्यक्ष आयनोस्फेयर एंड स्पेस फिजिक्स ग्रुप, एनएआरएल, गडांकी, एपी, अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार) और श्री हिमांशु एस सेठी (साइंटिस्ट/इंजीनियर-एसई, एनएआरएल-इसरो) शामिल रहे।
एमआरयू में जीएनएसएस रिसीवर की स्थापना इसरो के सहयोग से एनएआरएल के रिसीवरों की उत्तर-दक्षिण श्रृंखला का हिस्सा है। यह रणनीतिक साझेदारी वायुमंडलीय और आयनमंडलीय अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए एमआरयू की प्रतिबद्धता को स्पष्ट करती है, जिसमें जीएनएसएस रिसीवर नेटवर्क के माध्यम से मौसम, जलवायु, अंतरिक्ष मौसम और ग्रहों के आयनमंडल पर महत्वपूर्ण अध्ययन शामिल हैं। यह सहयोगात्मक प्रयास न केवल मानव रचना के अनुसंधान बुनियादी ढांचे को मजबूत करता है, बल्कि इसे वायुमंडलीय और अंतरिक्ष अनुसंधान में अग्रणी बनाने में सहायक होगा ।
कार्यक्रम के दौरान, डॉ. निर्विकार दशोरा ने वास्तविक जीवन के क्षेत्रों में जीएनएसएस के विभिन्न अनुप्रयोगों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने आयनमंडल के मूल सिद्धांतों और विभिन्न वायुमंडलीय घटनाओं में इसकी भूमिका के बारे में विस्तार से बताया। प्रेजेंटेशन के ज़रिए उन्होंने अपने शोध के महत्व, उपयोग की जाने वाली पद्धतियों, अनुप्रयोगों और मुख्य विशेषताओं को भी प्रदर्शित किया। साथ ही उन्होंने जीपीएस सिस्टम से संबंधित चुनौतियों के बारे में भी जानकारी दी। इसके बाद प्रश्नोत्तर सत्र में उन्होंने सभी सवालों के जवाब भी दिए।
ये होगा लाभ
एमआरयू में जीएनएसएस रिसीवर की स्थापना ने राष्ट्रीय और वैश्विक शैक्षणिक समुदायों में विश्वविद्यालय की स्थिति मजबूत की है। इससे विभिन्न वायुमंडलीय और अंतरिक्ष मापदंडों में बहु-पैरामीट्रिक डेटा संग्रह से वायुमंडलीय विज्ञान और संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान की क्षमताएं बढ़ेंगी| साथ ही रिसीवरों की एनएआरएल उत्तर-दक्षिण श्रृंखला का हिस्सा होने के नाते, एमआरयू अनुसंधान संस्थानों के व्यापक नेटवर्क से जुड़ेगा और राष्ट्रीय व वैश्विक स्तर पर सहयोग के अवसर बढ़ेंगे। विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग (ईसीई) और कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग (सीएसई) विभागों में छात्रों के विभिन्न परियोजनाओं में सीखने के अवसर बढ़ेंगे। साथ ही छात्रों को अत्याधुनिक तकनीक और वास्तविक समय के डेटा विश्लेषण के साथ व्यावहारिक अनुभव प्राप्त होगा।
प्रो. (डॉ.) दीपेंद्र कुमार झा, कुलपति, एमआरयू ने कहा कि "एनएआरएल और इसरो के सहयोग से जीएनएसएस रिसीवर की स्थापना हमारी एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। परिसर में स्थापित अंतरिक्ष अनुसंधान प्रयोगशाला संस्थान की, वायुमंडलीय और अंतरिक्ष अनुसंधान प्रगति में अग्रणी होने के प्रति प्रतिबद्धता को स्पष्ट करती है।"
डॉ. मीना कपाही, डीन, स्कूल ऑफ साइंसेज, एमआरयू ने कहा, "यह मानव रचना यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ साइंसेज के लिए बड़ी उपलब्धि है। यह अत्याधुनिक पहल वायुमंडलीय और अंतरिक्ष विज्ञान में हमारी शोध क्षमताओं को बढ़ाती है और हमारे छात्रों को अत्याधुनिक तकनीक से जुड़ने के बेहतर अवसर प्रदान करती है।"
इस दौरान प्रो. (डॉ.) मीना कपाही, डीन स्कूल ऑफ साइंसेज; प्रो. डॉ. डी. के. शर्मा, डीन एग्जामिनेशन; डॉ. संदीप कुमार, हैड, स्कूल ऑफ साइंसेज; डॉ. अर्पित संड, प्रोग्राम हेड केमिस्ट्री; डॉ. अपर्णा व्यास, प्रोग्राम हेड मैथमेटिक्स सहित और साइंस एंड इंजीनियरिंग सहित विभिन्न विषयों के संकाय सदस्य मौजूद रहे।
एनएआरएल और इसरो के साथ इस स्थापना क समस्त कार्यक्रम को प्रोफ डॉ डी के शर्मा के समन्वय में डॉ अनन्ना बर्धन, डॉ अंशुमान सहाय और दीप्ति मैखुरी के सहयोग से संपन्न हुआ |