समय पर इलाज मिलने से हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट से ग्रस्त मरीजों की जान बचाई जा सकती है
· सुस्त जीवनशैली, तला-भुना खाना, व्यायाम की कमी, बढ़ा हुआ रक्तचाप, शुगर लेवल बढ़ने के कारण लोगों में हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ रहा है
फरीदाबाद: विश्व हृदय दिवस (29 सितंबर 2024) के उपलक्ष्य में, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद के हृदय रोग विशेषज्ञों की एक टीम ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला है कि पिछले डेढ़ दशक से हार्ट अटैक (दिल का दौरा) का खतरा युवा लोगों में बढ़ रहा है। हाल ही में मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद की कार्डियोलॉजी टीम ने पलवल निवासी 43 वर्षीय संदीप गोयल की जान बचाई, जिन्हें गंभीर दिल का दौरा पड़ा था। सीने में दर्द की शिकायत के बाद, शुरू में परिवार के सदस्य उन्हें पलवल के एक नजदीकी नर्सिंग होम में ले गए, जहां ईसीजी में बड़े हार्ट अटैक के लक्षण सामने आए। विशेषज्ञ चिकित्सकों से हृदय संबंधी इलाज कराने के लिए मरीज को रात करीब 3 बजे मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद में लाया गया। यह पूरी घटना मरीज के परिजन के लिए अचानक और चिंताजनक थी, क्योंकि आम धारणा यह थी कि दिल का दौरा पड़ने की समस्या वृद्ध लोगों को होती है। डॉक्टरों की टीम ने मरीज की हालत सामान्य करने के लिए तुरंत एक्शन लिया और मरीज को उचित उपचार प्रदान कर उसकी जान बचाई।
डॉ. गजिंदर कुमार गोयल, डायरेक्टर- कार्डियोलॉजी विभाग, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने कहा कि “मरीज़ हमारे पास सीने में असहनीय दर्द की शिकायत लेकर आया था। इसके साथ ही, मरीज को बहुत पसीना आ रहा था और वह बेचैन था, सांस भी फूल रही थी। दोबारा ईसीजी की गई जिसमें एसटी के बढ़ा होने का पता चला। फिर मरीज को तुरंत कोरोनरी एंजियोग्राफी के लिए ले जाया गया, जिसमें पता चला कि एलएडी धमनी नामक हार्ट की मुख्य आर्टरी 100 प्रतिशत ब्लॉक है। हमने तुरंत स्टेंटिंग के साथ प्राइमरी एंजियोप्लास्टी की। स्टेंट डालने से पहले थ्रोम्बेक्टोमी मशीन की मदद से धमनी से क्लॉट (खून का थक्का) भी निकाल दिया गया। इस प्रक्रिया में आधा घंटे का समय लगा। 24 घंटे तक मरीज को कार्डियक केयर यूनिट (हृदय देखभाल इकाई) में देखरेख में रखा गया और 48 घंटे बाद उसे छुट्टी दे दी गई। मरीज अब अपने दैनिक कार्यों को करने में सक्षम हो गया है और अपने परिवार के सदस्यों के साथ सामान्य जीवन जी रहा है।”
डॉ. गजिंदर कुमार गोयल ने आगे कहा, “हृदय स्वास्थ्य केवल एक चिकित्सा चिंता नहीं है, बल्कि एक सामुदायिक जिम्मेदारी है। अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करके हम सामूहिक रूप से हृदय रोग के बोझ को कम कर सकते हैं। हम सभी से आग्रह करते हैं कि वे ‘दिल से काम लें’ और अपने स्वास्थ्य एवं सेहत को ठीक रखने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। वैश्विक स्तर पर दिल के दौरे की समस्या आमतौर पर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में देखी जाती है लेकिन लेकिन भारत में 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों में दिल के दौरे की समस्या तेजी से आम हो गई है। हार्ट अटैक के 50 प्रतिशत से अधिक मामले 50 वर्ष से कम आयु के लोगों में देखने को मिल रहे हैं और हार्ट अटैक के 10-25 प्रतिशत मामले 40 वर्ष से कम आयु के लोगों में सामने आ रहे हैं। इसलिए अगर युवा लोगों को सीने में दर्द, बहुत ज़्यादा पसीना आना, घबराहट होना, सांस फूलने जैसी समस्या हो तो कृपया इसे नज़रअंदाज़ न करें क्योंकि ये हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत नज़दीकी डॉक्टर से सलाह लें।”
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