Monday, 8 September 2025

बारिश में बच्चों में खांसी, बुखार के साथ डायरिया और पीलिया का खतरा बढ़ा

बारिश में बच्चों में खांसी, बुखार के साथ डायरिया और पीलिया का खतरा बढ़ा




 फरीदाबाद। बरसात का मौसम जहां तपती गर्मी से राहत लेकर आता है, वहीं यह बच्चों के स्वास्थ्य के लिए कई बीमारियों का कारण भी बन रहा है। ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर-86 स्थित एकॉर्ड अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. तौशीफ के अनुसार इस मौसम में बच्चों में खांसी, जुकाम, बुखार, डायरिया और पीलिया जैसी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ जाता है। नमी और गंदगी के कारण वायरस व बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं, जिससे संक्रमण फैलने की आशंका अधिक रहती है।

डॉ. तौशीफ ने बताया कि बीते 15 दिनों में अस्पताल की बाल रोग ओपीडी में करीब 20 प्रतिशत मरीज बढ़े हैं। इनमें ज्यादातर बच्चे खांसी-जुकाम और बुखार से पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि लगातार उल्टी-दस्त, आंखों और त्वचा का पीला पड़ना, कमजोरी और भूख न लगना जैसे लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि लापरवाही छोटी समस्या को गंभीर बना सकती है।

उन्होंने अभिभावकों को सतर्क करते हुए कहा कि बरसात के मौसम में बच्चों को हमेशा हल्का और ताजा भोजन दें। बाहर का तला-भुना या बासी खाना खिलाने से बचें। बच्चों को साफ और सूखे कपड़े पहनाएं तथा उबला या फिल्टर किया हुआ पानी ही पिलाएं। साथ ही घर और आसपास की साफ-सफाई बनाए रखें ताकि मच्छर और गंदगी से पनपने वाले रोगों से बचाव किया जा सके।

उन्होंने लोगों से अपील की कि बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पौष्टिक आहार दें। किसी भी बीमारी के लक्षण दिखने पर घरेलू उपचार में समय न गंवाएं और तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। समय पर इलाज से बरसात के मौसम में होने वाली गंभीर बीमारियों से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आधारित पुस्तक 'विकास पुरुष' का भव्य लोकार्पण

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आधारित पुस्तक 'विकास पुरुष' का भव्य लोकार्पण



पटना, 8 सितंबर: प्रख्यात लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के व्यक्तित्व और कार्यों पर आधारित पुस्तक 'विकास पुरुष' का लोकार्पण बिहार विधान परिषद सभागार में संपन्न हुआ। इस अवसर पर बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव और बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने संयुक्त रूप से पुस्तक का विमोचन किया। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार विधान परिषद उपसभापति प्रो राम वचन राय ने किया।
लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने बताया कि इस पुस्तक के माध्यम से उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संघर्ष, दृष्टिकोण और विकासोन्मुख सोच को शब्दों में पिरोने का प्रयास किया है।
विधानसभा अध्यक्ष नन्द किशोर यादव ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री को विकास कार्यों को प्रारंभिक दौर से देखता आ रहा हूँ। इन्होंने विकास कार्य को प्राथमिकता दी है। लेखक मुरली जी ने इस पुस्तक के माध्यम से नीतीश सरकार की क्षवि को बहुत ही करीने से प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है।
विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कहा- बिहार का गौरवशाली इतिहास है। नीतीश जी ने बिहार में बसावट तक कनेक्टिविटी कर बिहार को विकसित राज्य बना दिया है। मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने विकास पुरुष पुस्तक में उन सारे विकासात्मक तथ्यों को भी उजागर किया है जो नई पीढ़ी को जानना बहुत जरूरी है।
विशिष्ट अतिथि प्रो. नवल किशोर यादव ने अपने सम्बोधन में कहा कि मुख्यमंत्री के विकास कार्य ही उनकी पहचान है। नीतीश जी खुद में ही इतिहास पुरुष बन चुके हैं।
बिहार धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष प्रो रणबीर नन्दन ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार  का कार्य बोल रहा है। इन्होंने इतना कार्य किया है कि पूरी दुनिया इनकी मुरीद है।
पूर्व मंत्री श्याम रजक ने अपने सम्बोधन में कहा कि नीतीश जी ने बिहार के विकास में खुद को पूरी तरह झोंक दिया आज उसी का नतीजा है कि बिहार अलग पहचान कायम कर चुका है।
वरिष्ठ पत्रकार सुजीत झा ने कहा नीतीश जी की कार्यशैली ही उनकी पहचान बन चुकी है। इन पर इतना बेहतर काम किया है मुरली जी ने यह गौरव की बात है।
किरण पब्लिकेशन के प्रबंधक निदेशक संकेत कुमार ने कहा हम गर्व करते हैं कि बिहारी हैं और मुख्यमंत्री जी ने बिहार के अस्तित्व को पुनः स्थापित कर दिया।
किरण पब्लिकेशन समूह के सीएमडी सत्यनारायण प्रसाद ने कहा मेरे लिए गौरव का क्षण है कि साहित्यिक पुस्तक पहली बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का हमारे पैनग्राम पब्लिशर्स ने प्रकाशित किया है। 
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बिहार विधान परिषद के उपसभापति प्रो रामवचन राय ने पुस्तक की सराहना करते हुए कहा कि यह कृति नीतीश कुमार के राजनीतिक जीवन, सुशासन, और बिहार के विकास में उनके योगदान को गहराई से उजागर करती है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक नई पीढ़ी को प्रेरणा देने का कार्य करेगी। 
मंच का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन प्रो जितेंद्र कुमार ने किया और उन्होंने अपील किया कि हमलोगों को अब सम्मान में इस तरह की पुस्तक को भेंट करने का संकल्प लेना चाहिए। इससे लोगों में पुस्तक पाठन के प्रति रुचि बढ़ेगी और जानकारी भी प्राप्त होगी।
कार्यक्रम में किरण पब्लिकेशन समूह की निदेशक रेणु प्रसाद,कवि समीर परिमल, प्रो अरुण सिंह, प्रो सुहेली मेहता,
पंकज सिंह, अरुण कुमार, रणजीत कुमार, मृत्युंजय सिंह, अनिशा सिन्हा, अतुल कुमार, अमरजीत कुमार, अमित शाखेर, संतोष तिवारी, आलोक पाठक,राकेश कुमार,  किशु, काव्या,अंजुम आरा,अनुराग सिन्हा, गौरव कुमार, नीतीश शर्मा, अंकित कुमार, रामजी सहित कई गणमान्य अतिथि, बुद्धिजीवी, लेखक और पत्रकार उपस्थित रहे।

Tuesday, 26 August 2025

जयदत्त ने पदक जीतकर फरीदाबाद का नाम देशभर में किया गौरवान्वित : बलजीत कौशिक

जयदत्त ने पदक जीतकर फरीदाबाद का नाम देशभर में किया गौरवान्वित : बलजीत कौशिक



बॉडी बिल्डिंग में स्वर्ण व रजत पदक विजेता को जिला कांग्रेस अध्यक्ष ने किया सम्मानित
फरीदाबाद। हैदराबाद में आयोजित आईसीएन वल्र्डवाइड बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में 70 किलोग्राम भार वर्ग में संजय कालोनी बल्लभगढ़ के युवा जयदत्त ने स्वर्ण एवं रजत पदक जीतकर न केवल फरीदाबाद बल्कि समूचे हरियाणा का नाम देशभर में चमकाने का काम किया है। उनकी इस उपलब्धि पर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बलजीत कौशिक ने उन्हें उनके निवास स्थान पर जाकर गुलदस्ता भेंट कर बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। इस मौके पर बलजीत कौशिक ने पदक विजेता जयदत्त की हौंसला अफजाई करते हुए कहा कि इस युवा ने अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर यह दिखला दिया कि अगर लक्ष्य पर मेहनत की जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। उन्होंने जयदत्त के परिजनों को भी उनकी इस उपलब्धि पर बधाई दी और कामना की कि भविष्य में भी यह युवा ऐसे ही देश प्रदेश में पदक जीतकर फरीदाबाद का नाम गौरवान्वित करता रहेगा। जयदत्त ने बताया कि प्रतियोगिता में 450 से अधिक एथलीट मौजूद थे, जिन्हें पछाड़ते हुए उन्होंने विजयश्री हासिल की। इस मौके पर हरदत्त शर्मा, मुकेश शर्मा, संतोष कौशिक, नेत्रपाल सिंह, शेर सिंह, नरेश कुमार, रामेश्वर गोयल, खेमचंद, नाहर सिंह, प्रवीण अग्रवाल सहित अनेकों गणमान्य लोग मौजूद थे। 

 

श्री गणपति महोत्सव का शुभारंभ – महाराष्ट्र मित्र मंडल द्वारा भव्य शोभायात्रा के साथ उत्सव की शुरुआत

श्री गणपति महोत्सव का शुभारंभ – महाराष्ट्र मित्र मंडल द्वारा भव्य शोभायात्रा के साथ उत्सव की शुरुआत



श्री गणपति महोत्सव आज से शुरूमहाराष्ट्र मित्र मंडल द्वारा ढोल नगाड़ो संग निकली गई शोभा यात्रा

-    मंडल द्वारा 31 अगस्त तक विभिन्न तरह के कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाएगा

 

महाराष्ट्र मित्र मंडल द्वारा 26 अगस्त को गणेश प्रतिमा की भव्य शोभायात्रा 5बी- 81 से उत्सव स्थल गांधी कॉलोनी तक निकाली गई। शोभायात्रा की शुरुआत "गणपति बप्पा मोरयामंगल मूर्ति मोरया" के गगनभेदी नारों से हुईजिसने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया।

 

इस वर्ष मंडल ने "ऑपरेशन सिन्दूर" थीम के तहत पंडाल की आकर्षक साज-सज्जा की हैजिसमें पारंपरिक मराठी संस्कृति की झलक के साथ आधुनिकता का समावेश किया गया है। पंडाल में विशेष रूप से पर्यावरण-संवेदनशील सजावट का ध्यान रखा गया हैजिसमें पुनः उपयोग योग्य सामग्री का प्रयोग किया गया है।

 

यात्रा में सभी वर्ग के व्यक्तिमहिलाएं एवं बच्चे शामिल थेसभी ने खूब नाचा गाया. रास्ते में जहा जहा गणेश प्रतिमा की यात्रा रुकी वहा वहा लोग बाप्पा का आशीर्वाद लेने से खुद को रोक न पाए . मंडल के संरक्षक यशवंत पांचाल जी ने बताया की गणेश उत्सव का आयोजन बाल गंगाधर तिलक जी ने सभी जाती के धर्म लोगो को इक्कट्ठा करने के लिए सार्वजनिक गणेश उत्सव का आयोजन किया. मंडल द्वारा गत वर्ष की भाँति इस वर्ष भी ढोल एवं डीजे की धुन पर यात्रा शुरू एवं उत्सव स्थल तक पहुँची।

 

शोभायात्रा में मंडल के राजेन्द्र पांचालचिंतामणिविनय, यशवंत पांचाललक्ष्मण पांचालरविन्द्रप्रवीन राठोडतेजसकर्ण शर्माहरेन्द्रसचिन पांचालशेखरउत्तम कुमाररोहितअक्षयविनय रोहिल्लामीनाक्षी पांचालभारती पांचालकिरण पांचालनिशापौर्णिमाभावना पांचालगायत्री पांचाल एवं मंडल के सभी कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

 

मंडल द्वारा 27 अगस्त को श्री गणेश प्रतिमा की पूर्ण वैदिक विधि विधान एवं मंत्रोच्चार के साथ स्थापना की जाएगी।



Tuesday, 15 July 2025

कवींद्र चौधरी को मिली नई जिम्मेदारी, मुख्यमंत्री से लिया आशीर्वाद

कवींद्र चौधरी को मिली नई जिम्मेदारी, मुख्यमंत्री से लिया आशीर्वाद


कवींद्र चौधरी को मिली नई जिम्मेदारी, मुख्यमंत्री से लिया आशीर्वाद

चंडीगढ़ : भारतीय जनता पार्टी फरीदाबाद महानगर के नवनियुक्त जिला महामंत्री कवींद्र चौधरी ने आज चंडीगढ़ स्थित मुख्यमंत्री निवास में हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी से शिष्टाचार भेंट कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर उनके साथ बड़े भाई,  विधायक श्री सतीश कुमार फागना भी उपस्थित रहे।

कवींद्र चौधरी ने मुख्यमंत्री सैनी को आश्वस्त किया कि संगठन द्वारा दी गई इस अहम जिम्मेदारी को वे पूर्ण निष्ठा और समर्पण के साथ निभाएंगे, और पार्टी की नीतियों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करेंगे।

Friday, 27 June 2025

दीपावली और छठ पर बिहार आने वालों को अब नहीं होगी सफर की टेंशन

दीपावली और छठ पर बिहार आने वालों को अब नहीं होगी सफर की टेंशन



• बिहार सरकार चलाएगी 299 एसी और नॉन एसी स्पेशल बसें
• दिल्ली समेत देश के कई प्रमुख राज्यों से चलेंगी बसें
• कैबिनेट की बैठक में मिली है स्वीकृति

नई दिल्ली।

बिहार से दूर रहने वालों को अब त्योहारों में अपने घर आने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि राज्य सरकार ने उनकी सुविधा का खास ख्याल रखते हुए बड़ा कदम उठाया है। अब त्योहारों के समय दिल्ली समेत देश के कई प्रमुख राज्यों से बिहार के लिए बस की सुविधा मिलेगी। इसको लेकर राज्य सरकार 299 एसी और नॉन एसी बसों का परिचालन कराने जा रही है।
 
*अपनों के बीच त्योहार मनाने की होती है इच्छा*

बिहार से बाहर रहने वाले सभी बिहारियों की इच्छा पर्व-त्योहार के वक्त घर आने की होती है। खासकर होली, दीपावली और छठ पूजा में बिहार के लोग बड़ी तादाद में अपने पैतृक गांव आना चाहते हैं लेकिन कई बार ट्रेन और प्लेन का टिकट नहीं मिल पाने के कारण नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे में अपने परिवार के साथ त्योहार मनाने की उनकी इच्छा अधूरी रह जाती है। खासकर दीपावली और छठ पूजा के समय बिहार आने को लेकर काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है। ऐसे में त्योहार के मौके पर बिहार आने वाले लोगों की परेशानी को दूर करने के लिए बिहार सरकार ने बड़ा ऐलान किया है और 299 एसी और नॉन एसी बसों का परिचालन करने का फैसला लिया है। ये बसें देश के विभिन्न राज्यों से बिहार के लिए चलेंगी।
 
*त्योहार के वक्त बिहार आना होगा आसान*

बिहार के लोग विभिन्न पर्व-त्योहारों खासकर छठ, होली, दीपावली एवं दुर्गा पूजा के अवसर पर काफी संख्या में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और पश्चिम बंगाल से अपने घर आते हैं। पर्व-त्योहारों के अवसर पर बिहार आने में लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में लोगों की यात्रा को सुगम बनाने और उनकी सहूलियत के लिए राज्य सरकार लगातार कदम उठा रही है। 
 
*कैबिनेट की बैठक में मिली स्वीकृति*

24 जून 2025 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में इसे स्वीकृति दे दी गई है। राज्य सरकार 75 वातानुकूलित और 74 डीलक्स बसों की खरीद पर 105.82 करोड़ रुपये खर्च करेगी। साथ ही लोक निजी भागीदारी के अंतर्गत भी 150 अतिरिक्त एसी बसों का परिचालन कराया जाएगा।

*अब नहीं होगी सफर की टेंशन*

त्योहार के वक्त खासकर दीपावली और छठ महापर्व पर अब सफर की टेंशन लोगों को नहीं होगी। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा समेत देश के कई प्रमुख राज्यों से बिहार के लोग आसानी से बस से अपने गांव आ सकेंगे और घरवालों के साथ त्योहार मना सकेंगे। 

*चलेंगी स्पेशल ट्रेनें*

इसके साथ ही राज्य सरकार पर्व-त्योहारों खासकर होली, दुर्गापूजा, दीपावली और छठ पूजा के मौके पर केंद्र सरकार से और अधिक विशेष ट्रेन चलाने का अनुरोध करेगी। इससे बिहार आने में लोगों को काफी सहूलियत होगी और वे आराम से घर पहुंच सकेंगे।

Wednesday, 25 June 2025

बिहार में लगेगा राज्य का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र, केंद्र सरकार ने दी सहमति

बिहार में लगेगा राज्य का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र, केंद्र सरकार ने दी सहमति




# बिहार को डबल इंजन सरकार का खूब मिल रहा फायदा, बिहार की ऊर्जा जरूरत सस्‍ते में होगी पूरी

# केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने देश के छह राज्‍यों में स्‍मॉल मॉड्यूलर रिएक्‍टर लगाने की दिशा में बढ़ाया कदम 

# केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बिहार में परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाने का किया ऐलान 

# कहा, बिहार सरकार की मांग पर हम परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए हर सहायता देने को तैयार

नई दिल्ली।

डबल इंजन सरकार का बिहार को भरपूर फायदा मिल रहा है। सूबे की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के मद्देनजर केंद्र सरकार ने प्रदेश में परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाने में भरपूर मदद का ऐलान किया है। इसके साथ ही राज्य में पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाए जाने का रास्ता साफ हो गया है।

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार को पटना में ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान इस आशय का ऐलान किया। उन्होंने बताया कि देश की ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब देश में छह स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) स्थापित किए जाएंगे। जिनमें से एक रिएक्टर बिहार में लगाया जाएगा। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री श्री खट्टर ने कहा कि केंद्र सरकार बिहार में परमाणु संयंत्र लगाने के लिए हर संभव मदद के लिए तैयार है।  

*परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाए बिहार, केंद्र मदद को तैयार*
मनोहर लाल खट्टर ने बताया कि बिहार सरकार की ओर से सम्मेलन के दौरान राज्य में परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थापना की मांग रखी गई थी। जिस पर केंद्रीय मंत्री ने हरी झंडी दे दी है। खट्टर ने कहा, “अगर बिहार सरकार परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करना चाहती है, तो केंद्र सरकार पूरी तरह से सहयोग देने के लिए तैयार है।”

*हर राज्य में परमाणु संयंत्र का लक्ष्य*
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार का लक्ष्य है कि हर राज्य में कम से कम एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया जाए। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे देश की विकास दर बढ़ रही है, वैसे वैसे बिजली की मांग भी बढ़ रही है। ऐसे में परमाणु ऊर्जा एक भरोसेमंद, टिकाऊ और दीर्घकालिक विकल्प है।

*क्या है SMR? कैसे बदलेगा बिहार का भविष्य?*
SMR यानी स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर, आधुनिक तकनीक से तैयार छोटे आकार के परमाणु रिएक्टर होते हैं जिन्हें पारंपरिक रिएक्टरों की तुलना में कम समय, कम लागत और ज्यादा सुरक्षा के साथ लगाया जा सकता है। SMR को कम आबादी वाले क्षेत्रों या मध्यम ऊर्जा खपत वाले इलाकों में भी आसानी से लगाया जा सकता है। इनका रखरखाव आसान होता है और यह ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन का एक मजबूत विकल्प हैं। बिहार में SMR की स्थापना से राज्य को स्थायी ऊर्जा स्रोत, तकनीकी निवेश, हजारों रोजगार और उद्योगों को नई ऊर्जा मिलने की संभावना है।

*बिहार के लिए ऐतिहासिक अवसर*
राजधानी पटना में आयोजत ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन बिहार के लिए ऐतिहासिक रहा। यह पहली बार होगा जब बिहार में कोई परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित होगा। इसे राज्य की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। अब सभी की निगाहें बिहार सरकार पर हैं कि वह इस प्रस्ताव को कैसे और कितनी जल्दी अमलीजामा पहनाती है।

Wednesday, 18 June 2025

विरासत वृक्ष" घोषित करने के लिए बिहार के 32 वृक्षों का हुआ चयन

विरासत वृक्ष" घोषित करने के लिए बिहार के 32 वृक्षों का हुआ चयन

- राज्य में 1500 वृक्षों में से 32 विशिष्ट वृक्षों का हुआ चयन 
- औरंगाबाद जिले में 500 वर्ष पुराना पाया गया बरगद का वृक्ष 
- बिहार हेरिटेज ट्री ऐप से हो रहा है वृक्षों का संरक्षण 

दिल्ली।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार ने राज्य की जैव विविधता और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। बिहार जैव विविधता पर्षद ने पांच जिलों बक्सर, औरंगाबाद, मुंगेर, जमुई और भागलपुर में 32 विरासत वृक्षों को चयनित किया है, जिनमें से 28 वृक्ष 100 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं। चयनित वृक्षों में सबसे अधिक चर्चा का विषय बना है औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड की दक्षिणी उमगा पंचायत में अवस्थित एक विशालकाय बरगद का वृक्ष, जिसकी अनुमानित आयु लगभग 500 वर्ष बताई जा रही है। यह वृक्ष अपने आकार, विस्तार और स्थानीय सांस्कृतिक जुड़ाव के लिए वर्षों से चर्चित रहा है।

बोर्ड ने विरासत वृक्षों के चयन और घोषणा के लिए विस्तृत दिशानिर्देश तैयार किए हैं, जिन्हें सभी जिला पदाधिकारियों और वन प्रमंडल अधिकारियों को भेजा गया है। चयन के लिए मुख्य मानक हैं, वृक्ष की आयु (सामान्यतः तीन पीढ़ियों से अधिक), पौराणिक या ऐतिहासिक महत्व, विशिष्टता, संकटापन्न प्रजाति होना, या वैज्ञानिक शोध के लिए महत्वपूर्ण होना। इन मानकों के आधार पर, पहले चरण में राज्य भर से चिन्हित 1500 वृक्षों में से सघन भौतिक सत्यापन के बाद 32 विशिष्ट वृक्षों को "जैव विविधता विरासत वृक्ष" घोषित करने के लिए अंतिम रूप से चुना गया है।
इन 32 वृक्षों में बरगद-12, पीपल-6 पाकड-3, महुआ-2, नीम-2, खिरनी-1, सेमल 2, गुलर-1, इमली-1, कल्पवृक्ष-1 तथा कनक चम्पा -1 वृक्ष शामिल है। औरंगाबाद का 500 वर्ष पुराना बरगद वृक्ष इस सूची में सबसे प्राचीन है, जबकि अन्य 27 वृक्ष भी 100 वर्ष से अधिक आयु के हैं। शेष चार वृक्षों की आयु 70 से 90 वर्ष के बीच है। इन वृक्षों को आधिकारिक रूप से "जैव विविधता विरासत वृक्ष" घोषित करने की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी, ताकि इन्हें भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखा जा सके। साथ ही इन वृक्षों के बारे में पता लगाने और संरक्षित करने के लिए एक "बिहार हेरिटेज ट्री ऐप" भी विकसित किया गया है। इस ऐप के माध्यम से आम लोग अथवा जन प्रतिनिधि इस पर अपने जिले, मुहल्ले, पंचायत, ब्लॉक आदि के विशिष्ट वृक्ष की तस्वीरें जीपीएस लोकेशन के साथ डाल सकते हैं। जानकारी सही होने और इन वृक्ष में असल मे विशिष्टता पाए जाने पर उन्हें विरासत वृक्ष की सूची में शामिल किया जाएगा।

प्रकृति न केवल जीवन देती है, बल्कि इतिहास को भी संजो कर रखती है। बिहार की धरती पर खड़े कुछ पेड़ मात्र वृक्ष नहीं हैं, वे साक्षी हैं सदियों पुराने सामाजिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक इतिहास के ऐसे ही विशेष महत्व रखने वाले वृक्षों को “विरासत वृक्ष” के रूप में चिन्हित करने की प्रक्रिया राज्य में प्रगति पर है।
अमेरिका तक पहुंचा बिहार का मखाना

अमेरिका तक पहुंचा बिहार का मखाना

*बिहार में मखाना उत्पादन 10 वर्ष में हुआ दो गुणा*
 
- बिहार में 2012 तक मखाना की खेती करीब 13 हजार हेक्टेयर में होती थी, जो अब बढ़कर 35 हजार 224 हेक्टेयर हो गई 
- उत्पादकता 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हुई

*पटना, 18 जून।*बिहार सरकार के प्रयासों से मखाना के उत्पादन में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। पिछले 10 वर्षों में मखाना की खेती का रकबा दो गुणा बढ़ गया है। कृषि विभाग और कॉम्फेड की कोशिशों से ही बीते दिनों सुधा ने मखाना अमेरिका तक भेजा है।
            
वर्ष 2012 तक बिहार में मखाना की खेती लगभग 13 हजार हेक्टेयर में होती थी। मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के अन्तर्गत मखाना का क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है, जिससे मखाना की खेती का रकबा बढ़कर 35 हजार 224 हेक्टेयर हो गया है। मखाना विकास योजना के तहत मखाना की उच्च प्रजाति के बीज के उपयोग से उत्पादकता में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। करीब 25 हजार किसान मखाना की खेती से जुड़े हुए हैं। केंद्र सरकार से मखाना को 20 अगस्त 2022 को भौगोलिक संकेतक यानी जीआई टैग मिथिला मखाना के नाम से मिल चुका है। 
 

*उत्पादन को बढ़ावा दे रही सरकार*
2019-20 में मखाना विकास योजना प्रारंभ की गई, जिसमें मखाना अनुसंधान केन्द्र, दरभंगा के विकसित स्वर्ण वैदेही तथा भोला पासवान शास्त्री, कृषि महाविद्यालय का विकसित सबौर मखाना-1 प्रभेद को प्रत्यक्षण के माध्यम से बढ़ावा दिया गया। बिहार सरकार की मखाना विकास योजना के अंतर्गत 10 जिलों में मखाना के उत्पादन का विस्तार हुआ है। इसके साथ किसानों को अन्य वित्तीय सहायता भी दी जाती है, जैसे - मखाना संग्रहण के लिए भंडार गृह निर्माण पर अनुदान, बिहार एवं बिहार से बाहर व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए मखाना महोत्सव का आयोजन आदि।

*10 जिलों में होता है मखाना*
राज्य के 10 जिलों दरभंगा, मधुबनी, कटिहार, अररिया, पूर्णियाँ, किशनगंज, सुपौल,  मधेपुरा, सहरसा, और खगड़िया में मुख्य रूप से मखाना का उत्पादन होता है। मखाना के वैश्विक विस्तार से बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए अब इसका उत्पादन 16 जिलों में विस्तारित किया गया है। देश में कुल उत्पादित मखाना का लगभग 85 प्रतिशत बिहार में होता है।

*राजस्व में हुई 4.57 गुणा की बढ़ोतरी*
2005 के पूर्व जहां मत्स्य/मखाना जलकरों से राजस्व प्राप्ति 3.83 करोड़ रुपये थी। वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 17.52 करोड़ रुपये हो गई है। राजस्व प्राप्ति में 4.57 गुना की बढ़ोत्तरी हो चुकी है। मखाना के वैश्विक स्तर पर बढ़ती मांग को देखते हुए इसके निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए अब मखाना बोर्ड का गठन किया जा रहा है। यह बोर्ड मखाना के समेकित विकास जैसे क्षेत्र विस्तार, यांत्रिकरण, प्रसंस्करण, विपणन और निर्यात को समृद्ध करेगा।

Saturday, 14 June 2025

मानव रचना ने ब्लू फूड टेक्नोलॉजी में बड़ा नवाचार किया, वैश्विक पोषण और स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में अहम कदम

मानव रचना ने ब्लू फूड टेक्नोलॉजी में बड़ा नवाचार किया, वैश्विक पोषण और स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में अहम कदम

 


प्रोटीन से भरपूर आहार की बढ़ती मांग को देखते हुए ब्लू फूड प्रोसेसिंग में नवाचार किए जा रहे हैं, ताकि पोषण, स्थिरता और उत्पादन क्षमता बेहतर की जा सके।

हाई-प्रेशर प्रोसेसिंग और रीसर्क्युलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS) जैसी तकनीकें पर्यावरण पर असर घटाते हुए उत्पादन बढ़ाने में मदद कर रही हैं।

माइक्रोएल्गी के जेनेटिक मॉडिफिकेशन और नैनोइमल्शन जैसी तकनीकें ब्लू फूड्स की पौष्टिकता और शेल्फ लाइफ बढ़ाकर पोषण की वैश्विक कमी को दूर करने में सहायक हैं।


*फरीदाबाद, 14 जून 2025: मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज़ (MRIIRS) के बायोटेक्नोलॉजी विभाग की रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा और स्थिरता पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण शोध प्रस्तुत किया है। “ब्लू फूड प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजीज और सतत विकास में उनका महत्व” विषय पर प्रकाशित शोध पत्र में डॉ. विनय कुमार पांडे ने इस क्षेत्र में हो रहे अहम बदलावों और तकनीकों की विस्तार से जानकारी दी है।


ब्लू फूड प्रोसेसिंग का मतलब है मछली, शैवाल और अन्य जलीय जीवों का उत्पादन और प्रसंस्करण, जो इंसानी आहार के लिए उपयोग किए जाते हैं। बढ़ती जनसंख्या की पोषण संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने में ये स्रोत अहम होते जा रहे हैं। लेकिन पारंपरिक तरीके जैसे कि सामान्य मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर अब न तो पर्यावरण के लिहाज़ से टिकाऊ हैं और न ही ज़रूरतों के हिसाब से पर्याप्त। शोध में ऐसी तकनीकों पर ज़ोर दिया गया है जो खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पारिस्थितिक संतुलन भी बनाए रख सकें।


जैसे-जैसे दुनिया भर में प्रोटीन युक्त खाने की मांग बढ़ रही है, ब्लू फूड्स को इस तरह प्रोसेस करने की जरूरत महसूस की जा रही है, जिससे उनकी पौष्टिकता, टिकाऊपन और उत्पादन की क्षमता तो बढ़े ही, साथ ही पर्यावरण पर असर भी कम हो।


शोध में कई उभरती तकनीकों का ज़िक्र किया गया है, जो इस क्षेत्र में बदलाव ला रही हैं। इनमें हाई-प्रेशर प्रोसेसिंग (HPP), फ्रीज़-ड्राइंग, अल्ट्रासाउंड असिस्टेड एक्सट्रैक्शन, पल्स्ड इलेक्ट्रिक फील्ड्स (PEF), प्लाज़्मा टेक्नोलॉजी और माइक्रोवेव इंडक्शन हीटिंग शामिल हैं। ये तकनीकें खाद्य सुरक्षा बनाए रखने, पोषक तत्वों को संरक्षित रखने, उत्पादन प्रक्रिया तेज करने और उत्पाद की शेल्फ लाइफ बढ़ाने में मदद करती हैं, वह भी बिना किसी हानिकारक रसायन या अधिक ऊर्जा उपयोग के।


डॉ. विनय कुमार पांडे, सहायक प्रोफेसर, रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल, बायोटेक्नोलॉजी विभाग, MRIIRS ने कहा, "ब्लू फूड प्रोसेसिंग में हो रहे नवाचारों की मदद से साल भर उत्पादन किया जा सकता है, वो भी पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाते हुए। रीसर्क्युलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम जैसी तकनीकें पानी की खपत घटाने में मदद कर रही हैं, वहीं ब्लॉकचेन से समुद्र से थाली तक पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकती है।"


रीसर्क्युलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS) विशेष रूप से प्रभावी साबित हो रही है। यह तकनीक बंद टैंक में पानी को लगातार साफ कर दोबारा उपयोग करती है, जिससे पर्यावरण पर असर कम होता है और बीमारियों से निपटने में भी मदद मिलती है, वो भी बिना ज्यादा 

एंटीबायोटिक्स के। यह प्रणाली शहरों और जमीन के अंदरूनी इलाकों में मत्स्य पालन के लिए बेहद उपयुक्त है और साल भर बेहतर गुणवत्ता वाली मछली उत्पादन संभव बनाती है।


शोध में ब्लू बायोटेक्नोलॉजी की संभावनाओं पर भी ध्यान दिया गया है। इसमें माइक्रोएल्गी के जेनेटिक मॉडिफिकेशन के ज़रिए पोषकता और उत्पादन क्षमता बढ़ाई जाती है। इससे ओमेगा-3, अमीनो एसिड और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर ब्लू फूड तैयार किए जा सकते हैं। नैनोइमल्शन तकनीकों की मदद से पोषक तत्वों की उपलब्धता, स्थायित्व और शेल्फ लाइफ में सुधार होता है, जिससे रेडी-टू-ईट ब्लू फूड्स को बढ़ावा मिल रहा है।

हालांकि इन तकनीकों की संभावनाएं बहुत हैं, लेकिन विकासशील देशों में इनका इस्तेमाल अब भी चुनौतियों से भरा है—जैसे कि उच्च लागत, आधारभूत संरचना की कमी और तकनीकी विशेषज्ञता का अभाव। शोध में नीति निर्माताओं, उद्योगों और निवेशकों से इन बाधाओं को दूर करने और इन टिकाऊ तकनीकों को अपनाने में तेजी लाने की अपील की गई है।