फरीदाबाद, 24 नवम्बर। अरूणाभा वेलफेयर सोसाइटी द्वारा उपवन सेक्टर 21 बी में उषा काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी में 25 स्थापित एवं उदीयमान रचनाकारों को साहित्य रत्न सम्मान से विभूषित किया गया। इस कार्यक्रम में डॉक्टर प्रीता पंवार को अरुणाभा वेलफेयर सोसाइटी की आजीवन संरक्षिका और बिजेंद्र शर्मा को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि डॉक्टर वेद प्रकाश व्यथित ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। उनके साथ विशिष्ट अतिथि श्रीमती सुनीता शारदा और श्रीमती मधु मिश्रा भी उपस्थित रही। वेलफेयर की संस्थापिका एवं राष्ट्रीय अध्यक्षा प्रणीता प्रभात ने सरस्वती वंदना और वंदे मातरम गाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। अपने रोचक मंच संचालन से विमल फरीदाबाद ने उपस्थित सभी लोगों का दिल जीत लिया। इस काव्य गोष्ठी में उपस्थित अनेक प्रदेश और शहरों से आए कवियों ने अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से श्रोताओं को मंत्र मुक्त कर कार्यक्रम में चार चांद लगा दिया। कवि रवि घायल ने समसामयिक विषय पर अपनी कविता कभी निकिता, कभी श्रद्धा, कभी साक्षी हो जाती हूँ मैं, निर्बल, अकेली हैवानों के बीच रोज उधेड़ी जाती हूं मैं से सबके दिलों को झंझकोर दिया। वहीं डॉक्टर बलराम आर्य, सीमा पर मिटता जवान, सडक़ों पर पीसता किसान, द्वारा किसानों की त्रासदी का वर्णन किया। हरीश कुमार भदोरिया की कविता क्यों देते हो संताप यूं, क्यों रूठे हो आप यूँ ने लोगों का मन मोह लिया और विद्या चौहान ने अपनी कविता वो बीते दौर की बातें, वो किस्सा याद आता है के द्वारा लोगों को अतीत की याद दिला दी। मधु वशिष्ठ की कविता, कैसी यह सभा है इसमें दुर्योधन के सिवा सभी है मौन द्वारा बताया कि हमें कभी भी गलत बातों पर मौन नहीं रहना चाहिए । सुनीता शारदा की कविता चहक-चहक घर को भरती है....बाबुल की प्यारी है बेटियां, डॉक्टर अंजू दुआ जैमिनी की कविता, रोशन चिरागों को करने का हुनर जानती है लड़कियां, फकत एक मौके की दरकार, कमाना जानती है लड़कियां और पुनीत पांचाल की बेटियों को शस्त्र और शास्त्र का दिलाओ ज्ञान, बेटियों में झांसी वाली रानी जाग जाएगी, कविता द्वारा बेटियों की महत्ता और क्षमता को बताया। वही निर्मला शर्मा की कविता, अगर तुम्हारी क्षमताओं पर वार करें कोई अभिमानी और सताए व्यर्थ तुम्हें और करें वह अपनी मनमानी, तो बन जाओ दुर्गा फिर से नारी तुम स्वाभिमानी ने उपस्थित नारियों में नया जोश भर दिया। डॉक्टर शार्दुल श्रेष्ठ की रचना राम कथा दुखतारणी, देती है आनंद, राम ही वह प्रेरणा, जिससे बनते छंद और कोमल वाणी की कविता सिया की भांति मैं बरसों प्रतीक्षारत रही, लेकिन प्रिय श्री राम के जैसे तुम्हारा आगमन शुभ है में श्रोताओं को राम की महिमा का ज्ञान कराया। रचना गोयल की कविता कहे केशव, हे पार्थ! तुम गांडीव अपना उठा लेना, यह सब तो निर्लज्ज हैं, प्रेम वाणी ये ना जाने से लोगों में जोश भर दिया। शन्नो श्रीवास्तव की कविता होठों पर है सवाल बहुतेरे और कुछ जज्बात भी है, पर खुल नहीं पाते होंठ अब अपने ही बच्चों के सामने, क्योंकि अब बुढ़ापा है हमारा ने जहां आजकल के बुजुर्गों की पीड़ा को दर्शाया वही प्रतिभा चौहान की कविता सूखे पत्तों की ढेर सी तेरी यादें ने अपनों की याद दिला दी।
0 comments: