फरीदाबाद 23 फरवरी, : किसान को कर्जमुक्त किए जाने व फसल लागत का डेढ़ गुना भाव देने की मांग को लेकर राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के आह्वान पर मध्यप्रदेश से पैदल मार्च करते हुए दिल्ली की ओर बढ़ रहे किसानों को प्रशासन द्वारा सेक्टर-16 स्थित अनाज मंडी में रोके जाने से किसानों में प्रशासन की कार्यशैली को लेकर भारी रोष व्याप्त है। आज इनेलो के जिलाध्यक्ष महावीर चौहान, इनेलो प्रदेश कार्यकारिणी के विशेष आमंत्रित सदस्य रुपचंद लाम्बा व युवा इनेलो के प्रदेश महासचिव एवं इनसो के फरीदाबाद प्रभारी अजय भड़ाना सहित अन्य इनेलो कार्यकर्ता प्रदर्शनकारी किसानों से मिले और प्रशासन की इस तानाशाही कार्यवाही की पुरजोर निंदा की। उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए रुपचंद लाम्बा व महावीर चौहान ने संयुक्त रुप से कहा कि भाजपा सरकार में शांतिपूर्वक प्रदर्शन करना भी अपराध है,
जबकि लोकतंत्र में हर मनुष्य को अपनी बात रखने का हक है, ऐसे में प्रशासन द्वारा मध्यप्रदेश व अन्य प्रदेशों से आए किसानों को जबरन बंधकों की तरह नजरबंद करना कतई तर्कसंगत नहीं है और इनेलो पार्टी सरकार के इस कदम की घोर निंदा करती है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में किसानों पर हो रहे अत्याचारों व शोषणों के खिलाफ किसानों द्वारा अपनी आवाज बुलंद करना कोई अपराध नहीं है, पूरे देश के किसान आज दिल्ली के रामलीला मैदान में एकत्रित होकर सरकार की ईट से ईट बजाएंगे परंतु सरकार किसानों के आक्रोश से पहले ही डर गई और उन्होंने इस प्रकार की तानाशाही कार्यवाही करके अपनी औंछी मानसिकता का परिचय दिया है। इनेलो नेताओं ने किसानों की हौंसला अफजाई करते हुए कहा कि इनेलो पार्टी किसानों के इस संघर्ष में पूरी तरह से उनके साथ है और जरुरत पड़ी तो इनेलो कार्यकर्ता सडक़ों पर उतरने से भी गुरेज नहीं करेंंगे। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है,
जब-जब देश के अन्नादाता पर जुल्म हुआ है, तब-तब उस सरकार का खात्मा हुआ है, भाजपा का भी 2019 में यही हाल होगा और प्रदेश में फिर से इनेलो की सरकार बनेगी, तब सही मायनों में किसानों का विकास किया जाएगा। इस मौके पर युवा इनेलो के प्रदेश महासचिव अजय भड़ाना ने भी अपने संबोधन पर भाजपा सरकार पर जमकर हल्ला बोलते हुए इसे किसान विरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि चुनावों से पूर्व स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने का दावा करने वाली भाजपा सरकार के कार्यकाल के चार वर्ष बीत चुके है परंतु अभी तक स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू न करना सरकार की नीति और नीयत को दर्शाता है।
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