Sunday 19 November 2017

भक्ति का अहम हिस्सा चेतना


दिल्ली, 20 नवम्बर, I विश्वास, भक्ति और समर्पित भाव जहाँ भक्त के गहने होते हैं वहीं भक्ति का अहम हिस्सा चेतना है। भक्त चेतनता रखते हैं कि किस बात को अपनाना है और किसको छोड़ना है। यह उद्गार सद्गुरु माता सविंदर हरदेव जी महाराज ने 3-दिवसीय 70वंे वार्षिक निरंकारी संत समागम के प्रथम दिवस पर देश व दूर-देशों से लाखों की संख्या में आये हुए श्रद्धालु भक्तों एवं अन्य प्रभु प्रेमियों को कल देर रात सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये।

सद्गुरु माता जी ने वार्षिक समागम के पिछले 70 वर्षों के इतिहास को याद करते हुए फरमाया कि इतने वर्षों में समागम के स्थान चाहे भिन्न-भिन्न रहे हों परन्तु मिशन की शिक्षाएं सदा एक ही रही हंै। उन्होंने कहा कि भक्त जहाँ भी जाते हैं भक्ति की सिखलाई और महक साथ लेकर जाते हैं। इस सिखलाई को सब जगह बाँटते हैं और इसकी महक फैलाते हैं।

उन्होंने सद्गुरु बाबा हरदेव ंिसह जी महाराज की शिक्षाओं को दोहराते हुए फरमाया कि अगर हमें अच्छा इन्सान बनना है तो अपने लिए बनना है। वह कहते थे, कि भक्त संसार के किसी भी कोने में रहें शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के साथ रहते है। निराकार-प्रभु के साथ जुड़कर एक दूसरे के काम आते हैं और जैसे भी हालात हों भक्ति के साथ जुड़े रहते हंै।

सद्गुरु माता जी ने, समागम आरम्भ होने की पूर्व संध्या पर विमोचन हुई पुस्तक ‘सम्पूर्ण हरदेव वाणी’ में प्रकाशित बाबा जी की शिक्षाओं को उजागर करते हुए कहा कि सभी एक दूसरे के साथ प्रेम पूर्वक रहें और ज्ञान की ज्योति को संसार में फैलाते जाएं।
सेवादल रैली  
आज सन्त समागम के दूसरे दिन का शुभारम्भ एक भव्य सेवादल रैली से हुआ, जिसमें हज़ारों की संख्या में सेवादल के बहनों और भाईयों ने भाग लिया। सद्गुरु माता जी के आशीर्वादों की कामना करते हुए मानवता की सेवा के लिए स्वयं को पुनः समर्पित करने का संकल्प लिया। इस रैली में दूर-देशों के सेवादल प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। यह मानवता की निःस्वार्थ सेवा एवं ईश्वर भक्ति को अभिव्यक्त करने का उत्तम माध्यम है।

इस अवसर पर शारीरिक व्यायाम, खेलों एवं विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति द्वारा निःस्वार्थ सेवा के भाव को अभिव्यक्त किया गया। इसमें समागम के मुख्य विषय ‘निराकार, सहज जीवन का आधार’ तथा अन्य विषयों जैसे सेवादल में सद्भाव, मर्यादा और समर्पित भाव आदि को उजागर किया गया।

इस अवसर पर सद्गुरु माता जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि सभी में निःस्वार्थ सेवा तथा शुक्राने का भाव है और यह भाव तभी आता है जब हम निराकार को पहल देते हैं। उन्होनंे पुरातन सेवादल के सदस्य चाचा प्रताप जी के वचनों को दोहराते हुए कहा कि सेवा का फल जब भी माँगंे तो सेवा ही माँगें। सद्गुरु माता जी ने फरमाया कि सद्गुरु बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने भी पहले सेवादल की वर्दी पहनी और जहां सेवा का मौका मिला सेवा करते थे। इसी प्रकार सभी मंे सेवा का जज़्बा बना रहे और उत्साह पूर्वक सेवा में भाग लेते रहें।

इससे पूर्व सेवादल के मेम्बर ईंचार्ज और सन्त निरंकारी मण्डल के महासचिव श्री वी.डी. नागपाल जी ने सेवादल के भाई-बहनों के लिए आशीर्वादों की कामना करते हुए कहा कि इसी प्रकार समर्पित एवं अनुशासित ढंग से अभिमान रहित होकर अपनी सेवाओं को निभाते रहें।


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