Friday 27 October 2017

प्रदेश की सभी युनिवर्सिटी अपने आस पास के गांव को गोद लेकर विकास में योगदान दें-मनोहर लाल मुख्यमंत्री


चंडीगढ़, 27 अक्टूबर- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आज कहा कि हरियाणा प्रदेश की हर युनिवर्सिटी अपने आसपास के 5 से 10 गांव अडॉप्ट करके वहां पर शिक्षा, स्वच्छता, पर्यावरण, स्वास्थ्य, रोजगार संबंधी समस्याओं को दूर करने में योगदान दें।

श्री मनोहर लाल आज ऐमिटी युनिवर्सिटी गुरुग्राम परिसर में आयोजित दो दिवसीय ‘ऐमिटी इंटरनेशनल कांफें्रस ऑन लीगल डायमेंसन्स ऑफ एनवायरमेंट’ के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने ऐमिटी युनिवर्सिटी में सैंट्रल लाईब्रेरी का उद्घाटन तथा कांफे्रंस प्रोसिडिंग का विमोचन भी किया। 

अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों को अपने आस पास के गांव गोद लेकर वहां पर लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने, युवाओं को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने, गांव में स्वच्छता बनाए रखने, किसानों को कृषि की आधुनिक तकनिको की जानकारी देने, युवाओं का रोजगार के लिए मार्ग दर्शन करने आदि क्षेत्रों में योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों का सही मार्ग दर्शन होगा तो वे अपने गांव का सही ढंग से विकास कर पाएंगे और प्रदेश व देश की उन्नति में भागीदार बन सकेंगे। उन्होंने पंजाबी कहावत का उल्लेख करते हुए कहा ‘नाले पुन: नाले फलियां’ अर्थात् इससे उन्हें  पुन: भी मिलेगा और फल भी मिलेगा। 

पर्यावरण संरक्षण पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री  ने कहा कि हमें संास लेने के लिए शुद्ध हवा चाहिए और पीने के लिए शुद्ध पानी। इसके लिए हम सभी को पर्यत्न करने होंगे और उसमें पहला कदम जागरूकता है, चाहे वह किसी भी माध्यम से हो। लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना जरूरी है। मैट्रो रेल का उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि  स्वच्छ पर्यावरण के लिए पहले हम वातावरण बनाएं, जिस प्रकार कोई भी व्यक्ति मैट्रों मे सफर करते समय थूकता नहीं है, उसी प्रकार यदि वातावरण अच्छा होगा तो उससे अच्छी प्रेरणा ही मिलेगी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन  की तर्ज पर राज्य सरकार ने स्वच्छ हरियाणा मिशन बनाया और प्रदेश के सभी शहरों व गांवों को ओडीएफ अर्थात् खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए आम जनता को प्रेरित किया। 

उन्होंने कहा कि अब हम ओडीएफ प्लस की दिशा में आगे बढ रहे हैं जिसमें ठोस व तरल कचरा प्रबंधन की परियोजनाएं तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि गंदगी पैदा तो होगी परंतु उसको रैड्युज, री-यूज तथा री-साईकिल (थ्री आर) के लिए प्लानिंग करने की आवश्यकता है और यह सुझाव केंद्र सरकार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबु नायडु की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा दिया गया है। इस समिति के वे स्वयं भी सदस्य हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सुझावों में वेस्ट-टू-एनर्जी तथा वेस्ट-टू-कम्पोस्ट कार्यक्रम भी शामिल हैं। कम्पोस्ट का प्रयोग खेतों में खाद के तौर पर किया जा सकता है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए राज्य सरकार ने लोगों को ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने को पे्ररित करने के लिए ‘घर-घर हरियाली’, ‘हर-घर पेड़ की छांव’, परिवार के सदस्य के नाम एक पेड़ लगे आदि योजनाएं चला रखी हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में वन क्षेत्र की सुरक्षा के लिए भी कदम उठाए गए हैं। मांगर बणी वन क्षेत्र के संरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा नया कानून बनाया गया है जिसके तहत वन क्षेत्र के 500 मीटर के अंदर कोई भी व्यक्ति ना जमीन खरीद सकता है और ना ही वहां पर कोई निर्माण कर सकता है। उन्होंने कहा कि जागरूकता से लोगों को वन क्षेत्र के संरक्षण के लिए प्रेरित किया जा रहा है और फिर भी नहीं माने तो कानून का सहारा लेकर दोषियों को दण्डित किया जाएगा। 

मुख्यमंंत्री ने कहा कि खनन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध नहीं होना चाहिए और उसमें कुछ न्युनतम खनन की मंजूरी हो ताकि नदी के  तल का लैवल ठीक बना रहे और उसमें पानी बहता रहे। अन्यथा नदी के तल में मिट्टी का जमाव ज्यादा होने से पानी का प्राकृतिक बहाव अवरूद्ध होगा और पानी आबादी की तरफ जा सकता है जिससे बाढ़ का खतरा होने का भय रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि नदी में पानी खड़ा रहने से भूमिगत जल स्तर में भी सुधार होगा। साथ ही बताया कि भूमिगत जल स्तर नीचे जाने से प्रदेश के 64 ब्लॉक  डार्क जॉन में आ गए हैं। उन क्षेत्रों में भूमिगत जल की रिचार्जिंग जरूरी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दो दिवसीय गोष्ठी में वैज्ञानिक इन विषयों पर मंथन करें। उन्होंने यह भी बताया कि हरियाणा में गिद्धों की संख्या बढाने के लिए दो केंद्र शुरू किए गए हैं। पहले गिद्ध नामक पक्षी मरे हुए पशु का मांस आदि खाते थे जिससे पर्यावरण में प्रदूषण नहीं होता था। अब गिद्धों की संख्या कम होने के कारण मरे हुए पशु खुले में पड़े रहते हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है। इसी प्रकार, वर्षा के दिनों में केंचुए निकलते थे जो जमीन को उपजाऊ बनाते थे। अब रसायनिक खादों के प्रयोग से उनकी संख्या भी घटी है और जमीन में छिद्र बंद होने से पानी सतह पर ही रह जाता है, नीचे नहीं जा पाता। उन्होंने कहा कि किसानों को ऑर्गेनिक खेती के प्रति जागरूक करने की जरूरत है। 

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार हर महीने प्रदेश में एक नया सुधार करेगी। मुख्यमंत्री ने युवाओं व विद्यार्थियों से आह्वान किया कि  समाज हित के लिए नए सुधार के नाते वे भी अपने आईडिया हमें दें। उन्होंने कहा कि युवाओं के पास बहुत अच्छे आईडिया हैं, जो प्रदेश व देश की उन्नति में काम आ सकते हैं। 

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष डा. अशोक कुमार चौहान, कुलाधिपति डा. असीम चौहान, ऐमिटी लॉ स्कूल के निदेशक मेजर जनरल पी के शर्
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