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Tuesday, 15 July 2025

कवींद्र चौधरी को मिली नई जिम्मेदारी, मुख्यमंत्री से लिया आशीर्वाद

कवींद्र चौधरी को मिली नई जिम्मेदारी, मुख्यमंत्री से लिया आशीर्वाद


कवींद्र चौधरी को मिली नई जिम्मेदारी, मुख्यमंत्री से लिया आशीर्वाद

चंडीगढ़ : भारतीय जनता पार्टी फरीदाबाद महानगर के नवनियुक्त जिला महामंत्री कवींद्र चौधरी ने आज चंडीगढ़ स्थित मुख्यमंत्री निवास में हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी से शिष्टाचार भेंट कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर उनके साथ बड़े भाई,  विधायक श्री सतीश कुमार फागना भी उपस्थित रहे।

कवींद्र चौधरी ने मुख्यमंत्री सैनी को आश्वस्त किया कि संगठन द्वारा दी गई इस अहम जिम्मेदारी को वे पूर्ण निष्ठा और समर्पण के साथ निभाएंगे, और पार्टी की नीतियों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करेंगे।

Friday, 27 June 2025

दीपावली और छठ पर बिहार आने वालों को अब नहीं होगी सफर की टेंशन

दीपावली और छठ पर बिहार आने वालों को अब नहीं होगी सफर की टेंशन



• बिहार सरकार चलाएगी 299 एसी और नॉन एसी स्पेशल बसें
• दिल्ली समेत देश के कई प्रमुख राज्यों से चलेंगी बसें
• कैबिनेट की बैठक में मिली है स्वीकृति

नई दिल्ली।

बिहार से दूर रहने वालों को अब त्योहारों में अपने घर आने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि राज्य सरकार ने उनकी सुविधा का खास ख्याल रखते हुए बड़ा कदम उठाया है। अब त्योहारों के समय दिल्ली समेत देश के कई प्रमुख राज्यों से बिहार के लिए बस की सुविधा मिलेगी। इसको लेकर राज्य सरकार 299 एसी और नॉन एसी बसों का परिचालन कराने जा रही है।
 
*अपनों के बीच त्योहार मनाने की होती है इच्छा*

बिहार से बाहर रहने वाले सभी बिहारियों की इच्छा पर्व-त्योहार के वक्त घर आने की होती है। खासकर होली, दीपावली और छठ पूजा में बिहार के लोग बड़ी तादाद में अपने पैतृक गांव आना चाहते हैं लेकिन कई बार ट्रेन और प्लेन का टिकट नहीं मिल पाने के कारण नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे में अपने परिवार के साथ त्योहार मनाने की उनकी इच्छा अधूरी रह जाती है। खासकर दीपावली और छठ पूजा के समय बिहार आने को लेकर काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है। ऐसे में त्योहार के मौके पर बिहार आने वाले लोगों की परेशानी को दूर करने के लिए बिहार सरकार ने बड़ा ऐलान किया है और 299 एसी और नॉन एसी बसों का परिचालन करने का फैसला लिया है। ये बसें देश के विभिन्न राज्यों से बिहार के लिए चलेंगी।
 
*त्योहार के वक्त बिहार आना होगा आसान*

बिहार के लोग विभिन्न पर्व-त्योहारों खासकर छठ, होली, दीपावली एवं दुर्गा पूजा के अवसर पर काफी संख्या में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और पश्चिम बंगाल से अपने घर आते हैं। पर्व-त्योहारों के अवसर पर बिहार आने में लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में लोगों की यात्रा को सुगम बनाने और उनकी सहूलियत के लिए राज्य सरकार लगातार कदम उठा रही है। 
 
*कैबिनेट की बैठक में मिली स्वीकृति*

24 जून 2025 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में इसे स्वीकृति दे दी गई है। राज्य सरकार 75 वातानुकूलित और 74 डीलक्स बसों की खरीद पर 105.82 करोड़ रुपये खर्च करेगी। साथ ही लोक निजी भागीदारी के अंतर्गत भी 150 अतिरिक्त एसी बसों का परिचालन कराया जाएगा।

*अब नहीं होगी सफर की टेंशन*

त्योहार के वक्त खासकर दीपावली और छठ महापर्व पर अब सफर की टेंशन लोगों को नहीं होगी। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा समेत देश के कई प्रमुख राज्यों से बिहार के लोग आसानी से बस से अपने गांव आ सकेंगे और घरवालों के साथ त्योहार मना सकेंगे। 

*चलेंगी स्पेशल ट्रेनें*

इसके साथ ही राज्य सरकार पर्व-त्योहारों खासकर होली, दुर्गापूजा, दीपावली और छठ पूजा के मौके पर केंद्र सरकार से और अधिक विशेष ट्रेन चलाने का अनुरोध करेगी। इससे बिहार आने में लोगों को काफी सहूलियत होगी और वे आराम से घर पहुंच सकेंगे।

Wednesday, 25 June 2025

बिहार में लगेगा राज्य का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र, केंद्र सरकार ने दी सहमति

बिहार में लगेगा राज्य का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र, केंद्र सरकार ने दी सहमति




# बिहार को डबल इंजन सरकार का खूब मिल रहा फायदा, बिहार की ऊर्जा जरूरत सस्‍ते में होगी पूरी

# केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने देश के छह राज्‍यों में स्‍मॉल मॉड्यूलर रिएक्‍टर लगाने की दिशा में बढ़ाया कदम 

# केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बिहार में परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाने का किया ऐलान 

# कहा, बिहार सरकार की मांग पर हम परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए हर सहायता देने को तैयार

नई दिल्ली।

डबल इंजन सरकार का बिहार को भरपूर फायदा मिल रहा है। सूबे की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के मद्देनजर केंद्र सरकार ने प्रदेश में परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाने में भरपूर मदद का ऐलान किया है। इसके साथ ही राज्य में पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाए जाने का रास्ता साफ हो गया है।

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार को पटना में ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान इस आशय का ऐलान किया। उन्होंने बताया कि देश की ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब देश में छह स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) स्थापित किए जाएंगे। जिनमें से एक रिएक्टर बिहार में लगाया जाएगा। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री श्री खट्टर ने कहा कि केंद्र सरकार बिहार में परमाणु संयंत्र लगाने के लिए हर संभव मदद के लिए तैयार है।  

*परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाए बिहार, केंद्र मदद को तैयार*
मनोहर लाल खट्टर ने बताया कि बिहार सरकार की ओर से सम्मेलन के दौरान राज्य में परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थापना की मांग रखी गई थी। जिस पर केंद्रीय मंत्री ने हरी झंडी दे दी है। खट्टर ने कहा, “अगर बिहार सरकार परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करना चाहती है, तो केंद्र सरकार पूरी तरह से सहयोग देने के लिए तैयार है।”

*हर राज्य में परमाणु संयंत्र का लक्ष्य*
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार का लक्ष्य है कि हर राज्य में कम से कम एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया जाए। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे देश की विकास दर बढ़ रही है, वैसे वैसे बिजली की मांग भी बढ़ रही है। ऐसे में परमाणु ऊर्जा एक भरोसेमंद, टिकाऊ और दीर्घकालिक विकल्प है।

*क्या है SMR? कैसे बदलेगा बिहार का भविष्य?*
SMR यानी स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर, आधुनिक तकनीक से तैयार छोटे आकार के परमाणु रिएक्टर होते हैं जिन्हें पारंपरिक रिएक्टरों की तुलना में कम समय, कम लागत और ज्यादा सुरक्षा के साथ लगाया जा सकता है। SMR को कम आबादी वाले क्षेत्रों या मध्यम ऊर्जा खपत वाले इलाकों में भी आसानी से लगाया जा सकता है। इनका रखरखाव आसान होता है और यह ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन का एक मजबूत विकल्प हैं। बिहार में SMR की स्थापना से राज्य को स्थायी ऊर्जा स्रोत, तकनीकी निवेश, हजारों रोजगार और उद्योगों को नई ऊर्जा मिलने की संभावना है।

*बिहार के लिए ऐतिहासिक अवसर*
राजधानी पटना में आयोजत ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन बिहार के लिए ऐतिहासिक रहा। यह पहली बार होगा जब बिहार में कोई परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित होगा। इसे राज्य की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। अब सभी की निगाहें बिहार सरकार पर हैं कि वह इस प्रस्ताव को कैसे और कितनी जल्दी अमलीजामा पहनाती है।

Wednesday, 18 June 2025

विरासत वृक्ष" घोषित करने के लिए बिहार के 32 वृक्षों का हुआ चयन

विरासत वृक्ष" घोषित करने के लिए बिहार के 32 वृक्षों का हुआ चयन

- राज्य में 1500 वृक्षों में से 32 विशिष्ट वृक्षों का हुआ चयन 
- औरंगाबाद जिले में 500 वर्ष पुराना पाया गया बरगद का वृक्ष 
- बिहार हेरिटेज ट्री ऐप से हो रहा है वृक्षों का संरक्षण 

दिल्ली।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार ने राज्य की जैव विविधता और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। बिहार जैव विविधता पर्षद ने पांच जिलों बक्सर, औरंगाबाद, मुंगेर, जमुई और भागलपुर में 32 विरासत वृक्षों को चयनित किया है, जिनमें से 28 वृक्ष 100 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं। चयनित वृक्षों में सबसे अधिक चर्चा का विषय बना है औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड की दक्षिणी उमगा पंचायत में अवस्थित एक विशालकाय बरगद का वृक्ष, जिसकी अनुमानित आयु लगभग 500 वर्ष बताई जा रही है। यह वृक्ष अपने आकार, विस्तार और स्थानीय सांस्कृतिक जुड़ाव के लिए वर्षों से चर्चित रहा है।

बोर्ड ने विरासत वृक्षों के चयन और घोषणा के लिए विस्तृत दिशानिर्देश तैयार किए हैं, जिन्हें सभी जिला पदाधिकारियों और वन प्रमंडल अधिकारियों को भेजा गया है। चयन के लिए मुख्य मानक हैं, वृक्ष की आयु (सामान्यतः तीन पीढ़ियों से अधिक), पौराणिक या ऐतिहासिक महत्व, विशिष्टता, संकटापन्न प्रजाति होना, या वैज्ञानिक शोध के लिए महत्वपूर्ण होना। इन मानकों के आधार पर, पहले चरण में राज्य भर से चिन्हित 1500 वृक्षों में से सघन भौतिक सत्यापन के बाद 32 विशिष्ट वृक्षों को "जैव विविधता विरासत वृक्ष" घोषित करने के लिए अंतिम रूप से चुना गया है।
इन 32 वृक्षों में बरगद-12, पीपल-6 पाकड-3, महुआ-2, नीम-2, खिरनी-1, सेमल 2, गुलर-1, इमली-1, कल्पवृक्ष-1 तथा कनक चम्पा -1 वृक्ष शामिल है। औरंगाबाद का 500 वर्ष पुराना बरगद वृक्ष इस सूची में सबसे प्राचीन है, जबकि अन्य 27 वृक्ष भी 100 वर्ष से अधिक आयु के हैं। शेष चार वृक्षों की आयु 70 से 90 वर्ष के बीच है। इन वृक्षों को आधिकारिक रूप से "जैव विविधता विरासत वृक्ष" घोषित करने की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी, ताकि इन्हें भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखा जा सके। साथ ही इन वृक्षों के बारे में पता लगाने और संरक्षित करने के लिए एक "बिहार हेरिटेज ट्री ऐप" भी विकसित किया गया है। इस ऐप के माध्यम से आम लोग अथवा जन प्रतिनिधि इस पर अपने जिले, मुहल्ले, पंचायत, ब्लॉक आदि के विशिष्ट वृक्ष की तस्वीरें जीपीएस लोकेशन के साथ डाल सकते हैं। जानकारी सही होने और इन वृक्ष में असल मे विशिष्टता पाए जाने पर उन्हें विरासत वृक्ष की सूची में शामिल किया जाएगा।

प्रकृति न केवल जीवन देती है, बल्कि इतिहास को भी संजो कर रखती है। बिहार की धरती पर खड़े कुछ पेड़ मात्र वृक्ष नहीं हैं, वे साक्षी हैं सदियों पुराने सामाजिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक इतिहास के ऐसे ही विशेष महत्व रखने वाले वृक्षों को “विरासत वृक्ष” के रूप में चिन्हित करने की प्रक्रिया राज्य में प्रगति पर है।
अमेरिका तक पहुंचा बिहार का मखाना

अमेरिका तक पहुंचा बिहार का मखाना

*बिहार में मखाना उत्पादन 10 वर्ष में हुआ दो गुणा*
 
- बिहार में 2012 तक मखाना की खेती करीब 13 हजार हेक्टेयर में होती थी, जो अब बढ़कर 35 हजार 224 हेक्टेयर हो गई 
- उत्पादकता 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हुई

*पटना, 18 जून।*बिहार सरकार के प्रयासों से मखाना के उत्पादन में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। पिछले 10 वर्षों में मखाना की खेती का रकबा दो गुणा बढ़ गया है। कृषि विभाग और कॉम्फेड की कोशिशों से ही बीते दिनों सुधा ने मखाना अमेरिका तक भेजा है।
            
वर्ष 2012 तक बिहार में मखाना की खेती लगभग 13 हजार हेक्टेयर में होती थी। मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के अन्तर्गत मखाना का क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है, जिससे मखाना की खेती का रकबा बढ़कर 35 हजार 224 हेक्टेयर हो गया है। मखाना विकास योजना के तहत मखाना की उच्च प्रजाति के बीज के उपयोग से उत्पादकता में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। करीब 25 हजार किसान मखाना की खेती से जुड़े हुए हैं। केंद्र सरकार से मखाना को 20 अगस्त 2022 को भौगोलिक संकेतक यानी जीआई टैग मिथिला मखाना के नाम से मिल चुका है। 
 

*उत्पादन को बढ़ावा दे रही सरकार*
2019-20 में मखाना विकास योजना प्रारंभ की गई, जिसमें मखाना अनुसंधान केन्द्र, दरभंगा के विकसित स्वर्ण वैदेही तथा भोला पासवान शास्त्री, कृषि महाविद्यालय का विकसित सबौर मखाना-1 प्रभेद को प्रत्यक्षण के माध्यम से बढ़ावा दिया गया। बिहार सरकार की मखाना विकास योजना के अंतर्गत 10 जिलों में मखाना के उत्पादन का विस्तार हुआ है। इसके साथ किसानों को अन्य वित्तीय सहायता भी दी जाती है, जैसे - मखाना संग्रहण के लिए भंडार गृह निर्माण पर अनुदान, बिहार एवं बिहार से बाहर व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए मखाना महोत्सव का आयोजन आदि।

*10 जिलों में होता है मखाना*
राज्य के 10 जिलों दरभंगा, मधुबनी, कटिहार, अररिया, पूर्णियाँ, किशनगंज, सुपौल,  मधेपुरा, सहरसा, और खगड़िया में मुख्य रूप से मखाना का उत्पादन होता है। मखाना के वैश्विक विस्तार से बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए अब इसका उत्पादन 16 जिलों में विस्तारित किया गया है। देश में कुल उत्पादित मखाना का लगभग 85 प्रतिशत बिहार में होता है।

*राजस्व में हुई 4.57 गुणा की बढ़ोतरी*
2005 के पूर्व जहां मत्स्य/मखाना जलकरों से राजस्व प्राप्ति 3.83 करोड़ रुपये थी। वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 17.52 करोड़ रुपये हो गई है। राजस्व प्राप्ति में 4.57 गुना की बढ़ोत्तरी हो चुकी है। मखाना के वैश्विक स्तर पर बढ़ती मांग को देखते हुए इसके निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए अब मखाना बोर्ड का गठन किया जा रहा है। यह बोर्ड मखाना के समेकित विकास जैसे क्षेत्र विस्तार, यांत्रिकरण, प्रसंस्करण, विपणन और निर्यात को समृद्ध करेगा।

Saturday, 14 June 2025

मानव रचना ने ब्लू फूड टेक्नोलॉजी में बड़ा नवाचार किया, वैश्विक पोषण और स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में अहम कदम

मानव रचना ने ब्लू फूड टेक्नोलॉजी में बड़ा नवाचार किया, वैश्विक पोषण और स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में अहम कदम

 


प्रोटीन से भरपूर आहार की बढ़ती मांग को देखते हुए ब्लू फूड प्रोसेसिंग में नवाचार किए जा रहे हैं, ताकि पोषण, स्थिरता और उत्पादन क्षमता बेहतर की जा सके।

हाई-प्रेशर प्रोसेसिंग और रीसर्क्युलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS) जैसी तकनीकें पर्यावरण पर असर घटाते हुए उत्पादन बढ़ाने में मदद कर रही हैं।

माइक्रोएल्गी के जेनेटिक मॉडिफिकेशन और नैनोइमल्शन जैसी तकनीकें ब्लू फूड्स की पौष्टिकता और शेल्फ लाइफ बढ़ाकर पोषण की वैश्विक कमी को दूर करने में सहायक हैं।


*फरीदाबाद, 14 जून 2025: मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज़ (MRIIRS) के बायोटेक्नोलॉजी विभाग की रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा और स्थिरता पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण शोध प्रस्तुत किया है। “ब्लू फूड प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजीज और सतत विकास में उनका महत्व” विषय पर प्रकाशित शोध पत्र में डॉ. विनय कुमार पांडे ने इस क्षेत्र में हो रहे अहम बदलावों और तकनीकों की विस्तार से जानकारी दी है।


ब्लू फूड प्रोसेसिंग का मतलब है मछली, शैवाल और अन्य जलीय जीवों का उत्पादन और प्रसंस्करण, जो इंसानी आहार के लिए उपयोग किए जाते हैं। बढ़ती जनसंख्या की पोषण संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने में ये स्रोत अहम होते जा रहे हैं। लेकिन पारंपरिक तरीके जैसे कि सामान्य मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर अब न तो पर्यावरण के लिहाज़ से टिकाऊ हैं और न ही ज़रूरतों के हिसाब से पर्याप्त। शोध में ऐसी तकनीकों पर ज़ोर दिया गया है जो खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पारिस्थितिक संतुलन भी बनाए रख सकें।


जैसे-जैसे दुनिया भर में प्रोटीन युक्त खाने की मांग बढ़ रही है, ब्लू फूड्स को इस तरह प्रोसेस करने की जरूरत महसूस की जा रही है, जिससे उनकी पौष्टिकता, टिकाऊपन और उत्पादन की क्षमता तो बढ़े ही, साथ ही पर्यावरण पर असर भी कम हो।


शोध में कई उभरती तकनीकों का ज़िक्र किया गया है, जो इस क्षेत्र में बदलाव ला रही हैं। इनमें हाई-प्रेशर प्रोसेसिंग (HPP), फ्रीज़-ड्राइंग, अल्ट्रासाउंड असिस्टेड एक्सट्रैक्शन, पल्स्ड इलेक्ट्रिक फील्ड्स (PEF), प्लाज़्मा टेक्नोलॉजी और माइक्रोवेव इंडक्शन हीटिंग शामिल हैं। ये तकनीकें खाद्य सुरक्षा बनाए रखने, पोषक तत्वों को संरक्षित रखने, उत्पादन प्रक्रिया तेज करने और उत्पाद की शेल्फ लाइफ बढ़ाने में मदद करती हैं, वह भी बिना किसी हानिकारक रसायन या अधिक ऊर्जा उपयोग के।


डॉ. विनय कुमार पांडे, सहायक प्रोफेसर, रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल, बायोटेक्नोलॉजी विभाग, MRIIRS ने कहा, "ब्लू फूड प्रोसेसिंग में हो रहे नवाचारों की मदद से साल भर उत्पादन किया जा सकता है, वो भी पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाते हुए। रीसर्क्युलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम जैसी तकनीकें पानी की खपत घटाने में मदद कर रही हैं, वहीं ब्लॉकचेन से समुद्र से थाली तक पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकती है।"


रीसर्क्युलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS) विशेष रूप से प्रभावी साबित हो रही है। यह तकनीक बंद टैंक में पानी को लगातार साफ कर दोबारा उपयोग करती है, जिससे पर्यावरण पर असर कम होता है और बीमारियों से निपटने में भी मदद मिलती है, वो भी बिना ज्यादा 

एंटीबायोटिक्स के। यह प्रणाली शहरों और जमीन के अंदरूनी इलाकों में मत्स्य पालन के लिए बेहद उपयुक्त है और साल भर बेहतर गुणवत्ता वाली मछली उत्पादन संभव बनाती है।


शोध में ब्लू बायोटेक्नोलॉजी की संभावनाओं पर भी ध्यान दिया गया है। इसमें माइक्रोएल्गी के जेनेटिक मॉडिफिकेशन के ज़रिए पोषकता और उत्पादन क्षमता बढ़ाई जाती है। इससे ओमेगा-3, अमीनो एसिड और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर ब्लू फूड तैयार किए जा सकते हैं। नैनोइमल्शन तकनीकों की मदद से पोषक तत्वों की उपलब्धता, स्थायित्व और शेल्फ लाइफ में सुधार होता है, जिससे रेडी-टू-ईट ब्लू फूड्स को बढ़ावा मिल रहा है।

हालांकि इन तकनीकों की संभावनाएं बहुत हैं, लेकिन विकासशील देशों में इनका इस्तेमाल अब भी चुनौतियों से भरा है—जैसे कि उच्च लागत, आधारभूत संरचना की कमी और तकनीकी विशेषज्ञता का अभाव। शोध में नीति निर्माताओं, उद्योगों और निवेशकों से इन बाधाओं को दूर करने और इन टिकाऊ तकनीकों को अपनाने में तेजी लाने की अपील की गई है।

अब कचरे से हरित कोयले के उत्पादन की योजना भी धरातल पर तेजी से उतरेगी: कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल

अब कचरे से हरित कोयले के उत्पादन की योजना भी धरातल पर तेजी से उतरेगी: कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल

 

हरियाणा के शहरी स्थानीय निकाय मंत्री विपुल गोयल ने वाराणसी में एनटीपीसी के हरित कोयला परियोजना प्लांट का विभाग के अधिकारियों के साथ किया दौरा।





वाराणसी/गुरुग्राम/फरीदाबाद, 15 जून: हरियाणा सरकार में शहरी स्थानीय निकाय, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, और नागरिक उड्डयन जैसे अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे कैबिनेट मंत्री श्री विपुल गोयल ने शनिवार को वाराणसी स्थित एनटीपीसी के हरित कोयला परियोजना (Green Coal Project) प्लांट का दौरा किया।मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जी के नेतृत्व में गुरुग्राम एवं फरीदाबाद में हरित कोयला संयंत्रों की स्थापना के लिए एनटीपीसी के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) केंद्रीय विद्युत मंत्री श्री मनोहर लाल जी की उपस्थिति में पर20July 2024 को  हस्ताक्षर किए थे  और व इस दौरे से इस परियोजना के क्रियान्वयन प्रक्रिया  को गति मिलेगी ।

इस अवसर पर शहरी स्थानीय निकाय विभाग के आयुक्त एवं सचिव श्री विकास गुप्ता (IAS), श्री धीरेंद्र (IAS) आयुक्त फरीदाबाद म्युनिसिपल कारपोरेशन , संयुक्त सचिव श्री कंवर सिंह (HCS), तथा ओएसडी श्री सौरभ ढल सहित अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय टीम मौजूद रही। टीम ने वाराणसी के ग्रीन कोल प्लांट की तकनीकी दक्षता, संचालन प्रक्रिया और पर्यावरणीय प्रभाव का प्रत्यक्ष अवलोकन किया। इस दौरान यह समझा गया कि किस प्रकार बिना किसी पर्यावरणीय क्षति के ठोस कचरे से कोयले का उत्पादन संभव है।


फरीदाबाद और गुरुग्राम में लगेंगे अत्याधुनिक संयंत्र

कैबिनेट मंत्री श्री विपुल गोयल ने जानकारी दी कि हरियाणा में फरीदाबाद और गुरुग्राम को प्राथमिकता के आधार पर इस परियोजना से जोड़ा जाएगा। बीते वर्ष ही एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड के साथ ग्रीन कोल प्लांट लगाने की सहमति बनी थी और प्रारंभिक सर्वेक्षण भी पूरे किए गए थे।

फरीदाबाद प्रतिदिन लगभग 600–700 टन और गुरुग्राम लगभग 1000–1200 टन ठोस शहरी कचरा उत्पन्न करते हैं। प्रस्तावित संयंत्रों के माध्यम से दोनों शहरों में प्रतिदिन 400–500 टन हरित कोयले का उत्पादन किया जा सकेगा। यह हरित कोयला परंपरागत कोयले का वैकल्पिक स्रोत बनेगा जिससे ऊर्जा उत्पादन में नवाचार, कार्बन उत्सर्जन में कमी, और स्वच्छता में क्रांतिकारी परिवर्तन संभव होगा।

फरीदाबाद में कुछ स्थानीय आपत्तियों के चलते कार्य में अस्थायी विलंब हुआ, जबकि गुरुग्राम में तकनीकी कारणों से सर्वेक्षण रुका था। हालांकि गुरुग्राम में स्थानीय स्तर पर कोई विरोध दर्ज नहीं हुआ था। इन सभी अवरोधों को दूर करने और जनसमर्थन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मंत्री गोयल ने वाराणसी के सफल मॉडल का गहन अध्ययन किया।




क्या है हरित कोयला परियोजना?

एनटीपीसी का यह ग्रीन कोल प्लांट एक आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक पर आधारित संयंत्र है, जिसमें ठोस शहरी कचरे का प्रोसेसिंग कर उससे ईंधन योग्य कोयला तैयार किया जाता है। वाराणसी में संचालित संयंत्र प्रतिदिन 600 टन कचरे से 200 टन ग्रीन कोल का उत्पादन कर रहा है।

यह तकनीक न केवल कचरे के पहाड़ों को कम करेगी बल्कि उस कोयले का उपयोग बिजली उत्पादन जैसे क्षेत्रों में भी किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त यह शहरी भूमि को कचरा मुक्त कर विकास कार्यों हेतु पुनः उपयोग के योग्य बनाएगी।



एमओयू के साथ आगे बढ़ेगा हरियाणा

कैबिनेट मंत्री श्री विपुल गोयल ने बताया कि एनटीपीसी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हो चुके हैं और अब प्रशासनिक स्तर पर फरीदाबाद व गुरुग्राम में परियोजना के क्रियान्वयन की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।

उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जी के नेतृत्व में हरियाणा निरंतर प्रगति की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। अब कचरे से हरित कोयला उत्पादन की योजना भी धरातल पर उतरेगी और हरियाणा कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में राष्ट्रीय उदाहरण बनेगा।"



पर्यावरण संरक्षण की दीर्घकालिक दृष्टि

श्री विपुल गोयल का पर्यावरण के प्रति जुड़ाव कोई नया नहीं है। वे वर्षों से प्लास्टिक मुक्त भारत अभियान, वृक्षारोपण और जन-जागरूकता जैसे अभियानों में अग्रणी भूमिका निभा चुके हैं। इसके लिए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण सेवा सम्मान भी प्राप्त हो चुका है।

अब जब वे शहरी विकास जैसे रणनीतिक विभागों की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, तो उन्होंने नीति निर्माण से लेकर क्रियान्वयन तक पर्यावरणीय दृष्टिकोण को केंद्र में रखा है। वाराणसी दौरा और एनटीपीसी के साथ समझौता इस सोच का सशक्त प्रमाण है।



स्वच्छ शहर – समृद्ध हरियाणा की दिशा में ऐतिहासिक पहल

इस परियोजना से फरीदाबाद और गुरुग्राम जैसे घनी आबादी वाले शहर न केवल कचरा-मुक्त और ऊर्जा सक्षम बनेंगे, बल्कि यह पहल पर्यावरणीय स्थिरता, रोज़गार सृजन, और तकनीकी नवाचार के नए अवसर भी लाएगी।

कैबिनेट मंत्री श्री विपुल गोयल ने विश्वास जताया कि यह परियोजना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के 'स्वच्छ भारत – स्वच्छ ऊर्जा' के विज़न को साकार करने की दिशा में हरियाणा द्वारा उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम सिद्ध होगा।

Monday, 2 June 2025

वैश्विक प्रभाव के 60 वर्ष: यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉरविक ने दिल्ली में किया विशेष मीडिया कार्यक्रम का आयोजन

वैश्विक प्रभाव के 60 वर्ष: यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉरविक ने दिल्ली में किया विशेष मीडिया कार्यक्रम का आयोजन



नई दिल्ली, 1 जून 2025

यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉरविक ने अपनी 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर 1 जून 2025 को नई दिल्ली स्थित होटल शांगरी-ला में एक विशेष मीडिया कार्यक्रम का आयोजन किया। इस आयोजन के ज़रिए विश्वविद्यालय की छह दशकों की अकादमिक उपलब्धियों, शोध में योगदान, नवाचार और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव का उत्सव मनाया गया।

कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने भाग लिया, जिनमें ग्लोबल चीफ कम्युनिकेशंस, मार्केटिंग एंड कंटेंट ऑफिसर अजय टेली और डायरेक्टर ऑफ कम्युनिकेशंस – कॉरपोरेट ब्रांड सतनाम राणा-ग्रिंडले शामिल थे। वे विशेष रूप से यूके से भारत आए ताकि भारतीय मीडिया से संवाद कर सकें और भारत के साथ विश्वविद्यालय के संबंधों को और मज़बूत करने की दिशा में संवाद कर सकें।

इस अवसर पर यूनिवर्सिटी ने भारत और यूनाइटेड किंगडम में अपनी शिक्षा, शोध और औद्योगिक साझेदारियों पर प्रकाश डाला। इसमें टाटा समूह के साथ 25 वर्षों की साझेदारी भी शामिल रही। साथ ही, कार्यक्रम में वॉरविक के पूर्व छात्रों की उपलब्धियों को भी सराहा गया, जो विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं और भारत में भी नवाचार व उद्यमिता के ज़रिए योगदान दे रहे हैं।

उन्हीं में से एक हैं ममता मरासिनी, जिन्होंने वॉरविक बिज़नेस स्कूल से एमएससी इन बिजनेस विद मार्केटिंग की पढ़ाई की है। अपनी शिक्षा और उद्यमशीलता की सोच को आगे बढ़ाते हुए ममता ने Roar Corp नाम की क्रिएटिव एजेंसी की स्थापना की, जिसका संचालन नई दिल्ली और काठमांडू से होता है।

नवंबर 2023 में शुरू हुई Roar Corp ब्रांड कंसल्टिंग, इवेंट प्रोडक्शन, सोशल मीडिया मार्केटिंग और इन्फ्लुएंसर अभियानों में सेवाएं देती है। एक साल से भी कम समय में, ममता ने Roar को एक ऐसी एजेंसी में बदल दिया है जो तकनीक, डेटा और प्रभावशाली कहानी कहने की शैली को जोड़कर अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स के लिए काम कर रही है।

ममता अपने ग्राहकों और टीम के बीच ‘चीफ़ लायनेस’ के नाम से जानी जाती हैं। वे कहती हैं, “Roar सिर्फ एक एजेंसी नहीं है, यह मेरी मेहनत और जुनून से बनी सोच है। हर प्रोजेक्ट में हम पूरी रणनीति और रचनात्मकता के साथ काम करते हैं ताकि ग्राहकों के उद्देश्यों को सही रूप में सामने ला सकें।”

AI जैसी आधुनिक तकनीकों को मानवीय दृष्टिकोण के साथ जोड़ते हुए Roar ऐसे अभियान तैयार करता है जो प्रभावशाली और टिकाऊ होते हैं। ममता अब तक Superdry, G Star Raw, Yamaha और Mothercare जैसे ब्रांड्स के लिए काम कर चुकी हैं।

ममता कहती हैं, “मैं वॉरविक में जब दाखिल हुई थी, तब मुझे रास्ता स्पष्ट नहीं था। लेकिन वॉरविक ने मुझे वह आत्मविश्वास दिया जिससे मैंने खुद की एजेंसी शुरू करने का निर्णय लिया।”

वॉरविक से मिली शिक्षा और अनुभव आज भी उनके लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। “वॉरविक ने मुझे यह समझने में मदद की कि मैं क्या करना चाहती हूँ और क्यों करना चाहती हूँ,” वे कहती हैं। “मैं गर्व से कह सकती हूँ कि मैं वॉरविक की पूर्व छात्रा हूँ।”

आज ममता अपनी टीम के साथ मिलकर Roar को और आगे ले जा रही हैं। उनकी सोच है कि मार्केटिंग सिर्फ दिखाने के लिए नहीं, बल्कि लोगों को जोड़ने और प्रभावित करने का माध्यम होना चाहिए।

Roar की सोच स्पष्ट है: आपके ब्रांड की सबसे अच्छी दोस्त बनना—और वह भी पूरे जोश के साथ।

Sunday, 18 May 2025

एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप कोलंबो ,श्रीलंका के अंडर-22 मुक़ाबले मे बॉक्सर माही सिवाच फ़ाइनल में पहुँचीं ।

एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप कोलंबो ,श्रीलंका के अंडर-22 मुक़ाबले मे बॉक्सर माही सिवाच फ़ाइनल में पहुँचीं ।



फरीदाबाद द्रोणाचार्य बॉक्सिंग क्लब सेक्टर 12 स्पोर्ट्स कंपलेक्स की बॉक्सर माही सिवाच ने 16 से 24 मई तक चल रही एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप कोलंबो ,श्रीलंका अंडर-22 मुक़ाबले के 46 से 48 किलोग्राम भार वर्ग में बॉक्सर माही सिवाच फ़ाइनल में पहुँचीं । सेमीफ़ाइनल राउंड में उन्होने श्रीलंका की नेथमी कंकनमगे को दूसरे ही राउंड में एक तरफ़ा मुक़ाबला कर के फ़ाइनल में प्रवेश किया । 23 मई को फ़ाइनल में अब उनका मुक़ाबला कजाकिस्तान की अकबोटा बोलत से होगा। फरीदाबाद के डबुआ कॉलोनी में रहने वाली माही सिवाच के पिता का नाम देवेंद्र सिवाच तथा उनकी माता का नाम मुनेश कुमारी है। इससे पहले माही सिवाच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल प्राप्त कर चुकी है उन्होंने 2024 के बुडवा (मोंटेनेग्रो) मे आयोजित यूथ वर्ल्ड गेम्स में कांस्य पदक व 2022 जॉर्डन में आयोजित एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल कर देश का गौरव बढ़ाया था और इसी के साथ-साथ यूथ नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2024 में स्वर्ण पदक,जूनियर नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2022 में स्वर्ण पदक, कर्नाटक में आयोजित सब जूनियर नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीत चुकी है।द्रोणाचार्य बॉक्सिंग क्लब की स्थापना ओलंपियन व अर्जुन अवॉर्डी हरियाणा पुलिस में कार्यगर्त डीएसपी जय भगवान वह अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर डॉ राजीव गोदारा के द्वारा 2013 में की गई थी व इस क्लब ने हर्ष गिल, अनुपमा, हिम्मत सिंह, हर्ष गहलोत, हर्ष शर्मा, तनीषा लांबा, माही सिवाच, अमनदीप जैसे कई अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर निकाले हैं, तथा इसी क्लब के बच्चे हरियाणा पुलिस ,रेलवे तथा आर्मी मे गवर्नमेंट जॉब में कार्यगर्त हैं। इन्हीं अचीवमेंट्स को देखते हुए हरियाणा सरकार के द्वारा द्रोणाचार्य बॉक्सिंग क्लब को सरकारी खेल नर्सरी दी गई और इसी नर्सरी के कई बच्चे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फरीदाबाद जिले का नाम रोशन कर चुके हैं

Saturday, 10 May 2025

 खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में नाम्या कपूर ने 25 मीटर पिस्टल महिला वर्ग में जीता स्वर्ण पदक

खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में नाम्या कपूर ने 25 मीटर पिस्टल महिला वर्ग में जीता स्वर्ण पदक

नई दिल्ली, 10 मई 2025 — दिल्ली की नाम्या कपूर ने करणी सिंह शूटिंग रेंज में आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 की 25 मीटर पिस्टल महिला प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए 27 अंकों के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया। यह प्रतिष्ठित प्रतियोगिता आज जोशपूर्ण प्रदर्शनों और उत्साही दर्शकों की मौजूदगी में संपन्न हुई। नाम्या कपूर के बेहद करीब रहीं मध्य प्रदेश की अंजलि महेन्द्रा भागवत, जिन्होंने 26 अंकों के साथ रजत पदक प्राप्त किया। राजस्थान की खानकव्यास ने 19 अंकों के साथ कांस्य पदक हासिल किया। पदकों का वितरण श्री कुंदन कुमार, रेजिडेंट कमिश्नर, तथा भारत के सर्वोच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति श्री एहसानुद्दीन अमानुल्लाह द्वारा किया गया, जिससे इस कार्यक्रम की भव्यता और भी बढ़ गई। शूटिंग प्रतियोगिताएं इस वर्ष के खेलो इंडिया यूथ गेम्स की प्रमुख आकर्षणों में से एक हैं, जो 4 से 15 मई तक कई स्थानों पर आयोजित की जा रही हैं। दिल्ली गर्व के साथ साइक्लिंग, जिमनास्टिक्स और शूटिंग की मेज़बानी कर रही है, जहां देशभर से आए युवा प्रतिभाशाली खिलाड़ी उच्च स्तर की प्रतिस्पर्धा में हिस्सा ले रहे हैं। 25 मीटर पिस्टल महिला स्पर्धा का समापन खेलों में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि को दर्शाता है, जो युवाओं की भावना, अनुशासन और खेल उत्कृष्टता को उजागर करता है — यही वह मूल्य हैं जिन्हें खेलो इंडिया पहल लगातार प्रोत्साहित कर रही है।