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Saturday 16 December 2017

एशियन अस्पताल द्वारा गांव अटाली में चैपाल मीटिंग आयोजित की

एशियन अस्पताल द्वारा गांव अटाली में चैपाल मीटिंग आयोजित की

फरीदाबाद, 16 दिसंबर,।  एशियन अस्पताल द्वारा गांव अटाली में एक चैपाल मीटिंग का आयोजन किया गया। इसमें गांव के करीब 150 लोगों ने भाग लिया। इस दौरान एशियन अस्पताल के लेप्रोस्कोपिक सर्जन डाॅ. पंकज हंस द्वारा लोगों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी प्रदान की गई, और लोगों की ब्लड शुगर और रक्तचाप की निःशुल्क जांच व परामर्श भी दिया गया।

इस दौरान डाॅ. पंकज हंस ने लोगों को हर्निया, बवासीर के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि किसी भी प्रकार की समस्या होने पर हमें अनेदखी नहीं करनली चाहिए, बल्कि तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करना चाहिए, ताकि समय रहते बीमारी का पता चल सके और उसका समय पर इलाज कर बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सके। 

इस मौके पर मनोज भाटी बीजेपी मण्डल, विधानसभा पृथला, अमित चैधरी, तारा चैधरी, राजपाल  शाहजहांपुर और रघुराज राठी छांयसा से मौजूद रहे।

Friday 15 December 2017

 आईएमए के तत्वाधान में शहर में डाक्टरों ने रखी शटडाऊन हड़ताल

आईएमए के तत्वाधान में शहर में डाक्टरों ने रखी शटडाऊन हड़ताल

फरीदाबाद :15 दिसम्बर I हरियाणा क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट को लागू करने के विरोध में आई एम ए के बैनर तले आज प्राइवेट नर्सिंग होम्स और कारपोरेट हॉस्पिटल्स के डाक्टरों ने एक दिन का शट डाऊन करते हुए अपना विरोध जताया। विरोध स्वरूप फरीदाबाद के तमाम नर्सिंग होम और सात कारपोरेट हॉस्पिटल आज शट डाऊन रहेंगे और यहाँ तक की एमरजेंसी सेवाएं भी बंद रहेंगी। शहर के तमाम डॉक्टर्स आज सुबह ही बी के चौक पर इकठ्ठा होना शुरू हो गए थे. तमाम डॉक्टर्स ने यहाँ एक सभा का आयोजन किया जिसमे जाने माने डॉक्टर्स ने इस एक्ट के विरोध में अपने विचार रखे. इस शट डाऊन में फरीदाबाद के करीब 225 नर्सिंग होम और 7 कारपोरेट हॉस्पिटल शामिल हुए और यह शट डाउन आज रात 12 बजे तक रहेगा।  डाक्टरों ने चेतवानी दी की यदि उनपर यह एक्स थोपा गया तो वह अनिश्चित कालीन शट डाउन भी कर सकते है. 

फरीदाबाद के बी के चौक पर अपना विरोध प्रदर्शन करते नज़र आ रहे यह सभी डॉक्टर्स आईएमए के बैनर तले हरियाणा क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में जमा हुए है. एक दिन के शट डाउन में फरीदाबाद के करीब 225 नर्सिंग होम और 7 कारपोरेट हॉस्पिटल शामिल हैं. एक्ट का पुरजोर विरोध करते हुए आईएमए के जिलाध्यक्ष और अन्य डॉक्टर्स ने बताया की  हरियाणा क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में आज उन्होंने तमाम मेडिकल सेवाओं का शट डाउन किया है उन्होंने कहा की इस एक्ट के लागू होने से तमाम छोटे और बड़े नर्सिंग होम्स बंद होने के कागार पर आ  जाएंगे ,
 मेडिकल ट्रीटमेंट महंगा हो जाएगा जो की डॉक्टर्स और मरीजों के हित  में नहीं होगा। हमारी मुख्य मांग यह है की पहले तो यह एक्ट लगना ही नहीं चाहिए और यदि लगाया जाता है तो इसमें संशोधन किया जाना चाहिए। आज फरीदाबाद जिले के तमाम नर्सिंग होम्स और कारपोरेट हॉस्पिटल्स पूर्णता बंद है. उन्होंने कहा की आज किसी भी मरीज का इलाज नहीं किया जाएगा और अगर ऐसे मरीज उनके पास आते है तो उन्हें सरकारी हस्पताल में भेज दिया जाएगा। उन्होंने कहा की विरोध स्वरूप आज उन्होंने यहाँ बीके चौक पर धरना दिया है और इसके बाद मार्च पास्ट करते हुए मुख्यमंत्री में नाम डीसी को ज्ञापन सपा जाएगा। 

 इस मोके पर डाक्टर सुरेश अरोड़ा - जिला अध्यक्ष - आईएमए फरीदाबाद ,डाक्टर पुनिता हसीजा ,संजय टुटेजा ,राकेश कपूर ,पी सी सेठ , डॉ बी के बक्षी ,डॉ भारती गुप्ता ,डॉ राजीव गुम्बर ,डॉ निशा कपूर ,डॉ अनिल गोयल ,डॉ नरेश जिंदल ,डॉ महेंदर आहूजा ,डॉ बी के आहूजा ,डॉ नरेंदर घई ,डॉ कपिल भाटिया उपस्थित थे  I 

Wednesday 13 December 2017

गर्मियों के मुकाबले सर्दी में ब्रेन स्ट्रोक खतरा ज्यादा

गर्मियों के मुकाबले सर्दी में ब्रेन स्ट्रोक खतरा ज्यादा

फरीदाबाद 13 दिसंबर। बदलती लाइफस्टाइल आज लोगों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रही है। देर से सोना, जल्दी जगना, तनाव में रहना, हाइपरटेंशन, अनियमित खान-पान और स्मोकिंग के कारण ब्रेन स्ट्रोक के मामले तेजी से इजाफा हो रहा है,  भागदौड़ भरी लाइफ में अधिकांश लोग इसकी गंभीरता का नजरअंदाज करते हैं। खासकर गर्मी के मुकाबले सर्दी में स्ट्रोक का खतरा ज्यादा बढ़ गया है। ऐसे में नजरअंदाज करना ठीक नहीं। लोगों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है। यह कहना है सेक्टर 16ए स्थित मेट्रो अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ रोहित गुप्ता का। 

डॉ रोहित गुप्ता कहा कि ब्रेन स्ट्रोक का सबसे सामान्य लक्षण होता है शरीर के किसी एक ओर के हिस्से में कमजोरी या लकवा जैसी स्थिति होना या इसके लक्षण दिखाई देना। स्ट्रोक होने पर यह भी देखा गया कि रोगी अपनी मर्जी से एक ओर के हाथ-पैर भी न हिला पाता और कोई संवेदना भी महसूस नहीं होती है। 
मरीज को बोलने में भी दिक्कत आ सकती है। स्ट्रोक आने के बाद कई मरीज अपनी सुनने और देखने की क्षमता खो देते हैं।

ऐसे पड़ता है स्ट्रोक
न्यूरोलॉजिस्ट डाक्टर रोहित गुप्ता बताते हैं कि धमनियों में चर्बी की मात्रा ज्यादा होने से उनमें ब्लाकेज आ जाती है। इससे स्ट्रोक पड़ता है। इसे स्किमियां स्ट्रोक कहते हैं। ब्रेन हेमरेज ब्लड प्रेशर ज्यादा होने से होता है। इसमें ब्रेन के अंदर रक्त नलिकाओं में लीकेज आ जाता है, जिससे ब्रेन हेमरेज हो जाता है।

लक्षणों को न करें नजरअंदाज
कई बार बड़े स्ट्रोक से पहले छोटा स्ट्रोक पड़ता है, जिसमें कुछ समय के लिए आंख की रोशनी चली जाती है और फिर लौट आती है। या फिर अंग का कोई हिस्सा कमजोर हो जाता है और फिर ठीक हो जाता है। ऐसा चक्कर व तेज सिर दर्द हो सकता है, जो जिंदगी में पहली बार हुआ हो।

सर्दियों में लगभग दोगुने हो जाते हैं मरीज
सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की संख्या गर्मियों की अपेक्षा बढ़कर लगभग दाेगुने हो जाती है। इसकी वजह सर्दियों में ब्लड का गाढ़ा होना माना जाता है। शरीर को गर्म रखने के लिए ब्लडप्रेसर भी बढ़ जाता है। जिससे ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा रहता है। 

रोजाना व्यायाम से खुद को रखें फिट
हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटिज , हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं से ग्रस्त लोगों नियमित जांच कराते रहना चाहिए। मोटापे को कंट्रोल करना भी जरूरी है। रोजाना व्यायाम को आदत बना लेना चाहिए। सिगरेट-तंबाकू का सेवन व शराब पीना भी कम कर देना चाहिए।

बरतें सावधानी
वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डाक्टर रोहित गुप्ता का कहना है कि मरीज को स्ट्रोक के बाद जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाने की कोशिश करें। पहले घटे के अंदर ही सही चिकित्सक के पास पहुंचे। हार्ट अटैक की तरह ब्रेन स्ट्रोक में भी पहले तीन घटे गोल्डन ऑवर माने जाते है।

Sunday 10 December 2017

 IMA meeting of council Haryana State

IMA meeting of council Haryana State

KARNAL ; 11 DECEMBER I A State council meeting of IMA Haryana was held at Karnal on 10th Dec. 
It was chaired by State President Dr AP Setia. 
Presidents and Secretaries of all local branches were present. 
It was informed that the Health Minister Sh Anil Vij has been saying now that Govt shall implement central Clinical establishment act. 
However till recently HM and ACS to health Ministry had declared that a modified CEA has been drafted and shall be implemented in Haryana. 

Health Department of Haryana on behalf of Govt and IMA had been discussing the Haryana CEA for the last one year and out 80 amendments suggested by IMA more than 40 were accepted by Govt.
Even Principal Secretary had been involved in the discussion on behalf of Chief Minister. 
Dr Setia the State IMA President  explained in detail the differences between central act and the amended Haryana act.
The central act is much more harsh and draconian.
It is anti people and anti doctor.
 If central act is implemented then almost all the small healthcare units shall be on the verge of closure. 
The treatment cost shall increase heavily. 
The paramedics shall become unemployed. 
There shall be inspector raj and license raj.

Opinions of all the branches present were taken.
Everyone was of the opinion that CEA should not be implemented. Some said that if it is to be implemented then the diluted CEA,which has been drafted after negotiations between Govt nd IMA, should be implemented. 
Now as the Govt has suddenly taken a U turn on its own promise, all the members were agitated. Everyone is feeling cheated.

A decision of total shut down in whole of Haryana  on 15th December has been taken and All members have been asked  to be prepared for an indefinite shut down.

This is a do or die situation. 

A 15 members committee led by Dr Munish Prabhakar , President elect, has been formed to take day to day decisions.
Dr Suresh Arora, Dr Anil Goyal,Dr Ajay Kapoor, Dr Sanjay Tuteja, Dr Punita Hasija,Dr Kapil Bhatia, Dr Anita Lalit from Faridabad attended the meeting.
एशियन अस्पताल के डॉक्टरों ने 9 घंटे की जटिल सर्जरी  कर 73 वर्षीय महिला की जान बचाई

एशियन अस्पताल के डॉक्टरों ने 9 घंटे की जटिल सर्जरी कर 73 वर्षीय महिला की जान बचाई

फरीदाबाद : 10 दिसंबर 2017। मेरठ निवासी 73 वर्षीय उमा रस्तोगी को पिछले कुछ सालों से बार-बार पेशाब जाने की समस्या हो रही हथी। इस समस्या की ओर जयादा ध्यान न देते हुए वे सामान्य जीवन व्यतीत कर रही थीं, लेकिन एक दिन अचानक हालत ये हुई कि उनका बाथरूम तक जाना मुश्किल हो गया। इस दौरान वे अपनी भाभी के पास वड़ोदरा में  थीं। उनकी स्थिति को देखते हुए परिजनों ने उन्हें पास के अस्पताल के यूरोलॉजिस्ट को दिखाया। अस्पताल में उनकी एमआरआई, अल्ट्रसाउंड, सीटी स्कैन और लेप्रोस्कोपिक बायोप्सी जांच की गई। जांच की रिपोर्ट बेहद चौंकाने वाली थी। डॉक्टर ने बताया कि उमा रस्तोगी के पेट में जख्म है और जोकि कैंसर का संकेत दे रहे हैं और बीमारी पूरे पेट में फैली हुई है जिसके कारण उनकी समस्या  निरंतर बढ़ती जा रही है। साथ ही मरीज को सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी।

यूरोलॉजिस्ट ने उन्हें कैंसर विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दी। मरीज परिजनों के साथ दिल्ली, मेरठ के विभिन्न अस्पतालों में उपचार के लिए गया, लेकिन मरीज की उम्र और बीमारी की विकसित स्थिति को देखते हुए सभी डॉक्टरों ने उपचार के लिए मना कर दिया। उम्रदराज होने के कारण सभी डॉक्टरों का यही कहना था कि यह एक हाई रिस्क मामला है और मरीज का ऑपरेशन  करने में बहुत जोखिम है।  

उमा के परिजनों ने अपने एक रिश्तेदार के कहने पर एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ  मेडिकल साइंसेज अस्पताल में लेकर पहुंचे। अस्पताल के ऑन्कोलॉजी सर्जन डॉ. रोहित नय्यर ने मरीज की सभी रिपोर्ट देखीें जिनमें कैंसर के संकेत नजर आ रहे थे। डॉ. रोहित नय्यर, डॉ. थान सिंह तोमर और विकास जैन ने रिपोर्ट और मरीज की स्थिति के आधार पर मरीज की सर्जरी करने की सलाह दी। परिजनों की सहमति के बाद मरीज की टोटल पेरिटोनेक्टोमी एवं साइटोरिडक्शन सर्जरी की गई। 9 घंटे चली इस सर्जरी के दौरान पाया गया कि मरीज के पेट में पानी,गांठे और घाव थे, जिसके कारण मरीज की अमेंटम के हिस्से, छोटी आंत के हिस्से, बड़ी आंत  के हिस्से और बच्चादानी निकालने पड़े। मरीज के पेट में जहां-जहां बीमारी थी उन सभी हिस्सों को निकालकर एक आधुनिक स्पेश्यलिस्ट तरीके  जिसे हाईपैक यानि हाइपरथर्मिक इंट्रापेरिटोनियल कीमोथैरेपी पद्धति कहा जाता है, के माध्यम से सर्जरी के दौरान कीमोथैरेपी की गई। 

सर्जरी से पहले पेट में ट्यूमर को लोड़ बढऩे के कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती थी  और खाना-पीना भी मुश्किल हो गया था। सर्जरी के बाद उमा अपने नियमित जीवनशैली में वापस आ गई है। दस दिन अस्पताल में व्यतीत करने के बाद उनको डिस्चार्ज कर दिया गया। उमा ने बताया कि अब वे उन्हें सांस से संबंधित किसी भी प्रकार को कोई समस्या नहीं है और वे खाना-पीना भी ठीक से खा पा रही हैं। उन्होंने डॉक्टर का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि दिल्ली, वडोदरा और मेरठ के बड़े से बड़े अस्पतालों से इलाज के लिए मना होने पर हमने उम्मीद छोड़ दी थी। एशियन अस्पताल के डॉक्टरों ने मुझे नया जीवन दिया है। 

Thursday 30 November 2017

इटली के हेल्थ मिनिस्टर के साथ डॉ0 प्रताप चौहान की भेंट

इटली के हेल्थ मिनिस्टर के साथ डॉ0 प्रताप चौहान की भेंट

नई दिल्ली :30 नवम्बर I जीवा आयुर्वेद के अध्यक्ष डॉ0 प्रताप चौहान और मधुसूदन इटेलियन मिनिस्टर सुश्री बेट्रिसी लोरेनजि़न से सी0 आई0 आई0 हेल्थ ऑफिस नई दिल्ली में मिले। इटली के स्वास्थ्य मंत्रालय के सभी नेतागण इस टीम में शामिल हुए। इटली राजनयिक एच ई लोरेंजो एंजोलानी भी भारत की इस सभा में शामिल थे। भारत की ओर से जीवा आयुर्वेदा इस पूरी सभा का प्रतिनिधित्व कर रहा था। इनके साथ-साथ डॉ0 नरेश त्रेहान जोकि मेदांता अस्पताल के अध्यक्ष हैं वे इस सभा के मुय अतिथि रहे। डॉ0 प्रताप चौहान ने अतिथियों को जीवा आयुर्वेदा के सभी प्रमुख कार्यों के विषय में विस्तार पूर्वक बताया कि हमारी जीवा संस्था बड़े उत्साह, लगन एवं नवीनीकरण के साथ इस क्षेत्र में कार्य कर रही है। इटली की टीम ने अपनी उत्सुकता प्रकट की हम सबको एक दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए। इटेलियन टीम ने जीवा आयुर्वेदा के कार्यों से प्रभावित होकर संस्था की बहुत प्रशंसा की एवं उसका अधिक से अधिक प्रचार करने का बीड़ा उठाया।



Monday 27 November 2017

जिला व्यवसायिक संयोजक राजन मुथरेजा ने किया रक्तदान शिविर का उद्घाटन

जिला व्यवसायिक संयोजक राजन मुथरेजा ने किया रक्तदान शिविर का उद्घाटन

फरीदाबाद 27 नवबर।  बडखल विधानसभा शेत्र के दो नंबर जे ब्लाक के पार्क में रक्त दान और हेल्थ चेक उप कैंप शिविर का आयोजन किया गया इस कैंप में शुगर, यूरिक एसिड ,हीमोग्लोबिन ,बीएमआई, न्यूरोपैथी ,एलएफटी, KFC और अल्ट्रासाउंड और अस्थमा फ्री चेकअप कैंप लगाया गया इस में 200 लोगो ने अपना जाँच करवाई और क्षेत्र के सैकड़ों गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया। और वहा के लोगो ने जिला व्यवसायिक संयोजक राजन मुथरेजा को समानित किया गया राजन ने कहा की रक्त  दान करना हमारी सेहत की लिए बहुत जरुरी होता है और रक्त दान करने से मरीजो को भी जरुत होती है 





  चौ. टेकराम डागर की पुण्यतिथि पर हुआ निशुल्क स्वास्थ्य जांच एवं रक्तदान शिविर का आयोजन

चौ. टेकराम डागर की पुण्यतिथि पर हुआ निशुल्क स्वास्थ्य जांच एवं रक्तदान शिविर का आयोजन

फरीदाबाद 27 नवबर।  सेक्टर-65 स्थित आशा ज्योति विद्यापीठ शिक्षण संस्थान उस समय नेत्र विकार से परेशान लोगों के लिए आशा की किरण बन गया, जब यहां पर आए विजिटैक आई केयर सेंटर के डाक्टरों ने 125 से अधिक लोगों का चयन आंखों के आप्रेशन के लिए किया। इन सभी लोगों का आप्रेशन अगले दिनों में विजिटैक आई केयर सेंटर, नई दिल्ली में आशाराम टेकराम एजुकेशन ट्रस्ट की तरफ से निशुल्क करवाए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि उक्त ट्रस्ट ने प्रगतिशील किसान मंच के तत्वाधान में चौ. टेकराम डागर की पुण्यतिथि पर निशुल्क स्वास्थ्य जांच एवं रक्तदान शिविर का आयोजन किया था। इस मौके पर हरियाणा प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री ए.सी. चौधरी, वित्तायुक्त हरियाणा के पूर्व चेयरमैन राजेंद्र सिंह बीसला, मार्केट कमेटी मोहना के चेयरमैन नरेंद्र अत्री, शहीद भगत सिंह परपौत्र यादवेंद्र संधू सहित क्षेत्र के सैकड़ों गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया।

निशुल्क जांच शिविर में विजिटैक आई सेंटर के अतिरिक्त सर्वाेदय अस्पताल, सुधा रस्तोगी डेंटल कालेज, रोटरी ब्लड बैंक तथा रेडक्रास सोसायटी के साथ-साथ कई प्रमुख चिकित्सक समूहों ने भी हिस्सा लिया। शिविर के मुख्य आयोजक एवं आशा ज्योति विद्यापीठ के चेयरमैन सत्यवीर डागर ने बताया कि शिविर मेें कुल 1350 लोगों की स्वास्थ्य जांच की गई, जिनमें से 125 लोगों का चयन आंखों के आप्रेशन के लिए किया गया। इन सभी लोगों का निशुल्क आंखों का आप्रेशन ट्रस्ट के तत्वाधान में विजिटैक आई सेंटर में किया जाएगा। यह सभी आप्रेशन अगले एक पखवाड़े में पूरे कर दिए जाएंगे। इसके लिए ट्रस्ट की तरफ से ही वाहनों की व्यवस्था भी की गई है। प्रगतिशील किसान मंच के प्रधान सत्यवीर डागर ने बताया कि चौ. टेकराम डागर जी की स्मृति में 5 दर्जन से अधिक लोगों ने रक्तदान कर उनको अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। 

इस मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री ए.सी. चौधरी ने कहा कि चौ. टेकराम डागर की स्मृति में आयोजित इस प्रकार के आयोजन जहां अन्य लोगों के लिए प्रेरणा का काम करते है वहीं हमें सत्यवीर डागर से भी समाजसेवा का सबक लेना चाहिए, जबकि वित्तायुक्त के पूर्व चेयरमैन राजेंद्र बीसला ने इस बात के लिए ट्रस्ट तथा सत्यवीर डागर की तारीफ की कि वह शहर की चकाचौंध को छोड़ गांव के लोगों को इस प्रकार की बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवा रहे है। श्री बीसला के अनुसार सत्यवीर डागर ने पृथला विधानसभा क्षेत्र को एक कैम्प के आयोजन के साथ-साथ आशा ज्योति विद्यापीठ जैसा शिक्षण संस्थान देकर इस क्षेत्र की उन्नति में अपनी सार्थक भूमिका सिद्ध की है। मार्किट कमेटी के चेयरमैन नरेंद्र अत्री का कहना था कि इस तरह के कैंपों के आयोजन से ग्रामीणों में स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ती है। यहां उपस्थित हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव मोहम्मद बिलाल ने कहा कि आज बेहतर शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य समाज की सबसे बड़ी जरुरत है, जिसको सत्यवीर डागर इस तरह के कैंपों व आशा ज्योति विद्यापीठ जैसे संस्थानों से पूरा कर रहे है। आए हुए ग्रामीणों को संबोधित करते हुए वरिष्ठ कांग्रेसी नेता लखन कुमार सिंगला ने कहा कि आज दूसरों की सेवा सबसे बड़ा पुण्य का कार्य है, आज जब निजी व सरकारी स्वास्थ्य केंद्र आम जनता की पहुंच से दूर हो गए है, ऐसे में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव सत्यवीर डागर द्वारा आयोजित इस तरह के कार्यक्रम मील का पत्थर साबित होते है। 

उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए सत्यवीर डागर ने कहा कि उनको इस तरह के कामों की प्रेरणा चौ. टेकराम सिंह डागर से मिली और उनका यह प्रयास है कि वह हर वह काम कर पाए, जो इस क्षेत्र के विकास में सहायक हो। इन कामों में स्थानीय लोगों और सर्वाेदय, विजिटैक, सुधा रस्तोगी जैसे संस्थानों के वह आभारी है कि उनका सहयोग हमेशा उनको मिलता रहा है। उन्होंने सर्वाेदय अस्पताल के एडी डा. राकेश गुप्ता का इस बात के लिए विशेष तौर पर आभार व्यक्त किया कि इस कैंप में जिस प्रकार से उन्होंने हर विभाग के डाक्टरों को भेजकर यहां पर लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं दी है वह इस बात का प्रमाण है कि सर्वाेदय अस्पताल समाजसेवा व मानव कल्याण के कार्याे में लगा हुआ है। उन्होंने कहा कि इस आयोजन के लिए वह आशा ज्योति विद्यापीठ की प्राचार्या श्रीमती विधू ग्रोवर एवं समस्त स्टाफ का भी धन्यवाद करते है, जिन्होंने इतने भव्य आयोजन को मूर्त रुप देकर लोगों को स्वास्थ्य लाभ देने में अपना सहयोग दिया। इस मौके पर कर्नल गोपाल सिंह, सुरेंद्र गुलाटी, राज भाटिया, पवन गुप्ता, नवीन चौधरी, योगेश ढींगड़ा पूर्व पार्षद, मुकेश डागर, बलजीत कौशिक, अवतार सारंग, दीपक चौधरी, विकास चौधरी, सीमा जैन, राजेश रावत, मकरंद शर्मा, अजय चावला, ईशांत कथूरिया, मुनीश पाल, अजय शर्मा, डा. धर्मदेव आर्य सहित अनेकों गणमान्य लोग मौजूद थे। 

Wednesday 22 November 2017

ब्रोन्किटिस ( बलगम खासी ) उपचार के लिए होमियोपैथी दवाईया

ब्रोन्किटिस ( बलगम खासी ) उपचार के लिए होमियोपैथी दवाईया

नई दिल्ली :23 नवम्बर I ब्रोंकाइटिस आपके ब्रोन्कियल ट्यूब्स के अस्तर की सूजन है, जो आपके फेफड़ों से और आपके लिए हवा ले जाती है। ब्रोंकाइटिस वाले लोग अक्सर मोटे हुए बलगम को खांसी करते हैं, जो विच्छेदित किया जा सकता है। ब्रोंकाइटिस या तो तीव्र या पुराना हो सकता है

अक्सर ठंड या अन्य श्वसन संक्रमण से विकसित होने पर, तीव्र ब्रोंकाइटिस बहुत आम है। क्रोनिक ब्रॉन्काइटिस, एक और अधिक गंभीर स्थिति, ब्रोन्कियल ट्यूबों के अस्तर की लगातार जलन या सूजन होती है, जो धूम्रपान के कारण होती है।

तीव्र ब्रोंकाइटिस आमतौर पर स्थायी प्रभावों के बिना कुछ दिनों में सुधार होता है, हालांकि आप कई हफ्तों तक खांसी जारी रख सकते हैं। हालांकि, अगर आपने ब्रोंकाइटिस के दोहराए हुए रोगों को दोहराया है, तो आपको क्रोनिक ब्रॉन्काइटिस हो सकता है, जिसे चिकित्सा ध्यान देने की आवश्यकता होती है। पुरानी ब्रोन्काइटिस एक पुरानी प्रतिरोधी फुफ्फुसीय रोग (सीओपीडी) में शामिल शर्तों में से एक है।

कारण - तीव्र ब्रोंकाइटिस आमतौर पर वायरस के कारण होता है, आमतौर पर वही वायरस जो सर्दी और फ्लू (इन्फ्लूएंजा) का कारण बनता है। एंटीबायोटिक वायरस नहीं मारते, इसलिए ब्रोनकाइटिस के ज्यादातर मामलों में इस प्रकार की दवाएं उपयोगी नहीं होती हैं।

पुरानी ब्रोन्काइटिस का सबसे आम कारण धूम्रपान सिगरेट है। वायु प्रदूषण और धूल या पर्यावरण या कार्यस्थल में जहरीले गैसों भी हालत में योगदान कर सकते हैं।

लक्षण - तीव्र ब्रोन्काइटिस या क्रोनिक ब्रॉन्काइटिस के लिए, लक्षण और लक्षणों में ये शामिल हो सकते हैं: -कफ़ाय, बलगम का उत्पादन (थूक), जो स्पष्ट, सफ़ेद, पीले-भूरे या हरे रंग में हो सकता है - शायद ही कभी, यह रक्त से अंकित हो सकता है , थकान, सांस की तकलीफ, थोड़ा बुखार और ठंड लगना, छाती की असुविधा

यदि आपके पास तीव्र ब्रोंकाइटिस है, तो आपके पास एक सताई वाली खाँसी हो सकती है जो सूजन के हल होने के कई हफ्तों तक आती है। क्रोनिक ब्रोन्काइटिस को उत्पादक खाँसी के रूप में परिभाषित किया जाता है जो कम से कम तीन महीने तक रहता है, जिसमें कम से कम दो लगातार वर्षों तक होने वाले आवर्ती बीट्स होते हैं।
यदि आपके पास क्रोनिक ब्रोन्काइटिस है, तो आपके पास समय हो सकता है जब आपके लक्षण और लक्षण खराब हो जाते हैं। उस समय, आपके क्रोनिक ब्रॉन्काइटिस के ऊपर तीव्र ब्रोंकाइटिस हो सकता है



एकोनिटम नॅप्लेस 30 - एकोनाइट अक्सर एक पूरी तरह से ब्रोंकाइटिस के विकास को रोक देगा। ऐकोनाइट ब्रोंकाइटिस में स्नेह की शुरुआत में निर्धारित किया गया है। यह जांच की गई पसीना, सर्दी, ड्राफ्ट या सूखी, ठंडी हवाओं के जोखिम के परिणामस्वरूप होती है। शिकायत एक झटके के साथ शुरू होती है, अक्सर छींकने वाली। शांतता, बेचैन नींद, पूर्ण, कठोर नाड़ी, और चिंता और बेचैनी जैसी विशेषता मानसिक स्थिति

ब्रोनोआ एल्बे 30-ब्रायोनिया अल्बा ब्रोन्काइटिस के उपचार के लिए शीर्ष होम्योपैथिक दवा है, और खासतौर पर जब खाँसी होती है तब इसका इस्तेमाल होता है। यदि मौजूद हो तो बलगम खांसी करना बहुत मुश्किल होता है और जंग रंग का हो सकता है। ब्रायोनिया अल्बा खांसी के दौरान गंभीर छाती के दर्द के उपचार के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकती है। मरीज को आराम से आराम से राहत मिलती है और गति पर और भी बदतर हो जाता है। रोगी बड़ी मात्रा में पानी की बढ़ती प्यास दिखा सकता है

फोस्फोरस 200-फास्फोरस ब्रोन्काइटिस के रोगियों के लिए एक बहुत ही लाभप्रद होम्योपैथिक दवा है। रोगी को मुख्य रूप से एक कठिन और शुष्क खांसी होती है। हँसकर और बात करके खांसी का नवीकरण किया जाता है। ठंड हवा आमतौर पर खाँसी बिगड़ती है सीने में अत्यधिक गर्मी एक और साथ लक्षण हो सकता है कई बार रोगी छाती के दर्द के साथ-साथ छाती, घबराहट और उत्पीड़न की शिकायत करते हैं। जब अपेक्षा की जाती है तो बलगम रक्त-दाग हो सकता है मरीज को ठंडे पेय, आइसक्रीम और रस के लिए तरस भी हो सकती है।

एंटिमोनियम टर्ट 30- एंटिमोनियम तीर्ट ब्रोंकाइटिस के लिए एक बहुत ही प्रभावी प्राकृतिक उपाय है जो मुख्य रूप से निर्धारित होता है जब ब्रोन्कियल ट्यूब श्लेष्म के साथ अतिभारित होते हैं। बलगम छाती में झुठलता है बलगम आसानी से बाहर नहीं निकलता है और अगर यह खांसी करता है, तो मात्रा कम है। होम्योपैथिक दवा ब्रोन्कियल ट्यूबों में बलगम की उपस्थिति का समर्थन करते हुए एंटिमोनियम तीर्ट ब्रोन्कियल ट्यूबों को खाली करने में बहुत मदद की जाती है। नम स्थानों के संपर्क के बाद श्वसन परेशानी अक्सर इस प्राकृतिक होम्योपैथिक उपचार के उपयोग के लिए कॉल करते हैं।

स्पोंगिया 30- ब्रोन्काइटिस के मामले होम्योपैथिक दवाओं के साथ अद्भुत तरीके से इलाज किए जा सकते हैं स्पोंगिया सूखी खाँसी और हवा के मार्गों की पूरी सूखापन के साथ पेश करते हैं। छाती में किसी भी बलगम के राल की कुल अनुपस्थिति है। मुख्य रूप से गर्म पेय रोगी को राहत प्रदान करते हैं। रोगी भी कई बार छाती के उत्पीड़न, कमजोरी और सांस लेने में कठिनाई की शिकायत करते हैं।

आईपीईसीएसी 30-आईपेकैक ब्रोंकाइटिस के लिए लगातार होम्योपैथिक उपाय है जो लगातार खांसी और सीने में श्लेष्म का चमचमाता है। ब्रोंची से बलगम को निकालने में लगातार खांसी लगने में मदद नहीं होती है Ipecac कम से कम प्रयास के साथ बलगम बाहर निकालने में मदद करता है ब्रोन्काइटिस में इस होम्योपैथिक दवा का उपयोग करने के लिए एक महत्वपूर्ण विशेषता खांसी से उल्टी की जाती है जिससे रोगी को कुछ राहत मिलती है।

मर्सिचुअस 30-मर्क ब्रोन्काइटिस के लिए एक और प्रभावी उपाय है। छाती के बीच के माध्यम से फोड़े से घुटन और दर्द होता है। खांसी सूखी, कच्ची और कर्कश होती है जो बहुत थका है। थूक पानी, लार की तरह, या पीले और म्यूको- पीप। वहां बुखार और पहाड़ियों और गर्मी का हलचल, ठंडे पेय के लिए इच्छा होती है, जो खांसी बढ़ जाती है। और राहत के बिना प

Monday 20 November 2017

सर्दी जुकाम ,नाक बंद के उपचार के लिए होमियोपैथी सर्वश्रेष्ठ

सर्दी जुकाम ,नाक बंद के उपचार के लिए होमियोपैथी सर्वश्रेष्ठ

नई दिल्ली ;21 नवम्बर I भरी हुई नाक तब होती है जब नाक और आसन्न ऊतकों और रक्त वाहिकाओं को अधिक तरल पदार्थ के साथ सूज हो जाता है, जिससे "घृणित" लग रहा हो। नाक की भीड़ या अनुनासिक निर्वहन या "बहुरंगी नाक" के साथ नहीं हो सकती है

आमतौर पर नाक की भीड़ पुराने बच्चों और वयस्कों के लिए एक झुंझलाहट है। लेकिन नाक की भीड़ उन बच्चों के लिए गंभीर हो सकती है जिनकी नींद उनकी नाक की भीड़ या शिशुओं से परेशान होती है, जिनके परिणामस्वरूप एक कठिन समय पर भोजन हो सकता है।

कारण - नाक की भीड़ किसी भी चीज के कारण हो सकती है जो अनुनासिक ऊतकों को उत्तेजित या उत्तेजित करती है। संक्रमण - जैसे सर्दी, फ्लू या साइनसाइटिस - एलर्जी और विभिन्न परेशानी, जैसे कि तम्बाकू धूम्रपान, सब कुछ नाक का कारण हो सकता है कुछ लोगों को बिना किसी स्पष्ट कारण के लिए लंबे समय से चलने वाले नाक हैं - एक शर्त जिसे नॉनलार्लिक राइनाइटिस या वासोमोटर रिनिटिस (वीएमआर) कहा जाता है।
कम सामान्यतः, नाक की भीड़ कणिकाओं या एक ट्यूमर के कारण हो सकती है।

नाक की भीड़ के संभावित कारणों में शामिल हैं: तीव्र साइनसाइटिस, एलर्जी, क्रोनिक साइनसिस, सामान्य सर्दी, डिकॉग्स्टेस्टेंट नाक स्प्रे अति प्रयोग, विच्छेदन सेप्टम, मादक पदार्थों की लत, सूखी हवा, बढ़े हुए एनोनेओड्स, नाक में विदेशी शरीर, हार्मोनल परिवर्तन, फ्लू, दवाएं, जैसे कि उच्च रक्तचाप की दवाएं, नाक जंतु, गैर एलर्जी रैनिटिस, व्यवसायिक अस्थमा, गर्भावस्था, श्वसन संक्रमण संबंधी वायरस, तनाव, थायराइड विकार, तंबाकू का धुआं, बहुभुज के साथ ग्रैनुलोमेटोसिस


  1. NUX VOMICA 30-Nux Vomica नाक बाधा रात के समय में अपने चरम पर है जब राहत प्रदान करने में महान मदद के प्रभावी होम्योपैथिक उपाय नक्स वोमिका रात के घंटों में बेहद भरे हुए नाक वाले रोगियों को आराम प्रदान करने में बहुत फायदेमंद है। रोगियों को इस होम्योपैथिक उपाय की आवश्यकता होती है, रात के समय तीव्र नाक भराई होती है। व्यक्ति यह भी वर्णन कर सकता है कि दिन के दौरान, रात में नाक निर्वहन होता है, इसे अवरुद्ध कर दिया जाता है। इसके अलावा मरीज़ एक तरफ नाक की बाधा और अन्य पर मुक्ति के मुक्त महसूस कर सकते हैं। खुली हवा में जाकर नाक अवरोध को भी बिगड़ता है।
  2. सैम्बुक्स एनआईजी 30-सॅंबुबुस नाक रुकावट के लिए एक और शीर्ष होम्योपैथिक दवा है जो अत्यंत नाक नाक छिद्रों के साथ है। रुकावट के कारण सांस लेने में बहुत मुश्किल है और यह व्यक्ति को बैठने के लिए मजबूर करता है। अधिकतर रात में, घुटन और साँस लेने में कठिनाई के कारण व्यक्ति को नींद से बैठना पड़ता है। नाक अवरोध के लिए शिशुओं को दिया जाने पर सैंबुबुस भी बहुत प्रभावशाली होता है। रुकावट घुटन और मुँह में सांस लेने की ओर जाता है और शिशु को मां की फूड लेने के दौरान बुरी स्थिति का सामना करना पड़ता है
  3. आर्सेनिक्स एल्बम 30-आर्सेनिकम एल्बम का निर्धारण तब किया जाता है जब नाक के अवरोध नाक एलर्जी के कारण होते हैं। यह मुख्य रूप से निर्धारित होता है जब नाक अवरोध के साथ जल नाक निर्वहन जल रहा है। वहाँ नाक से प्रचुर मात्रा में पानी और उत्तेजक निर्वहन है। तीव्र प्यास है और मरीज को खुली हवा में भी बुरा लगता है।
  4. ग्लेज़ैमियम 30-गिल्सिमियम निर्धारित किया जाता है जब नाक रुकावट में बंद महसूस होने के साथ सुस्त सिरदर्द होता है, और एक धाराप्रवाह नाक निर्वहन होता है।
  5. सिनापिस एनआईजीआरए 30 - सिनापीस नीग्रै एलर्जी के कारण नाक की भीड़ के लिए एक और उपाय है। यह तब निर्धारित होता है जब वैकल्पिक नहर एलर्जी की प्रतिक्रिया के कारण अवरुद्ध होते हैं। नाक और आंखों से भी मुक्ति होती है।
  6. कैलकिया कार्ब 30- नाक पॉलीप के कारण कैल्केरा कार्ब नाक रुकावट के लिए बहुत प्रभावी है कार्ब नाक कणों के लिए एक और उत्कृष्ट होम्योपैथिक दवा है। यह ज्यादातर बाएं पक्षीय नाक कणों के लिए संकेत दिया जाता है। बाएं तरफ नलिका अवरुद्ध लगता है नाक से भ्रूण पीला डिस्पैच के साथ इसमें शामिल किया जा सकता है नाक में दुख और विकृत सनसनी भी महसूस होती है। नाक में आक्रामक गंध भी चिह्नित है नाक की जड़ में बहुत अधिक सूजन होती है। क्लेक्वेरा कार्ब का निर्धारण तब किया जाता है जब लोग आसानी से ले जाते हैं। मौसम में बदलाव नाक की शिकायतों से जुड़ा होता है। कैल्केरा कार्ब वसा, पिलपिला व्यक्तियों के लिए अधिक उपयुक्त है, जिनके अंडे की लालसा है।
  7. लैम्ना लघु 30 - पॉलिप्स के कारण नाक अवरोध को हटाने के लिए लेम्ना माइनर शीर्ष होम्योपैथिक उपाय है। इसका उपयोग करने वाले लक्षण श्वास लेने में कठिनाई के साथ नाक कब्ज और गंध की हानि होते हैं। पोस्टेरियर टपकता भी नाक रुकावट के साथ आते हैं। कुछ व्यक्ति नाक डिस्चार्ज का अनुभव करते हैं, जबकि अन्य में, नाक गुहा शुष्क रहता है। अवरुद्ध नाक में आक्रामक गंध है लेम्ना माइनर पॉलीप के लिए सबसे प्रभावी होम्योपैथिक उपाय है जो गीली मौसम में बिगड़ता है। पॉलीप के मामलों में, लेम्ना माइनर नाक अवरोध को कम कर देता है, श्वसन की समस्या से राहत देता है, और गंध की शक्ति फिर से आती है।
  8. संगीन्रिया नाइट्रिकम 3 एक्स - सोंगुनेरिया नाइट्रिकम, पॉलीप के कारण नाक की भीड़ के लिए भी प्रभावी है और यह नाक को नाक के नाक के साथ अवरुद्ध होने पर भी एक प्रभावी होम्योपैथिक दवा है। डिस्चार्ज प्रकृति में बहुत जलते हैं और व्यक्ति को छींकने का भी अनुभव होता है।
  9. काली बीआईटीमाइकियम 30-काली बिच्रिमिक्यू सिनाइसिस के कारण नाक की भीड़ के लिए एक उत्कृष्ट उपाय है, जहां डिस्चार्ज गले में वापस चला जाता है।
 विभिन्न रोगों पर एक दिवसीय होम्योपैथिक सेमिनार का आयोजन

विभिन्न रोगों पर एक दिवसीय होम्योपैथिक सेमिनार का आयोजन

फरीदाबाद। 21 नवंबर । फरीदाबाद होम्योपैथिक डॉक्टर्स एसोसिएशन के तत्वाधान में एक दिवसीय होम्योपैथिक सेमिनार का आयोजन सैक्टर-16 में किया गया जिसका शुभारम्भ फरीदाबाद के जाने-माने उद्योगपति श्री सुच्चा सिंह, दिल्ली के सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ0 नीरज गुप्ता, गुरुग्राम के सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ0 बिमल गोंसाई, अरूण भार्गव, बैक्सन होम्योपैथी, एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ0 ए.के अग्रवाल, डॉ0 अरविन्द सूद, डॉ0 संजीव शर्मा ,  डॉ0 सौरभ शर्मा ने दीप प्रज्जवलित करके किया। डॉ0 सिमरन कौर एवं डॉ0 दलीप अग्रवाल ने आये हुए अतिथियों का स्वागत किया।

मुख्य अतिथि श्री सुच्चा सिंह ने कहा कि सादा जीवन उच्च विचार अपने काम में दक्षता ही जीवन का मूल मन्त्र है। प्रथम सत्र में दिल्ली से आए हुए विशेषज्ञ डॉ0 नीरज गुप्ता ने ओफेन्डिया ग्रुप की दवाईयाँ, विशेष रूप से साँप के जहर से बनने वाली दवाईयों के बारे में तथा उसके प्रयोग के बारे में विस्तृत जानकारी दी। डॉ0 नीरज गुप्ता को प्रतीक चिन्ह डॉ0 दिनेश ग्रोवर तथा डॉ0 प्रवेश अग्रवाल ने दिया।

द्वितीय सत्र में डॉ0 ललित अग्रवाल एवं डॉ0 विनोद मदान ने गुरूग्राम से आए हुए सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ0 बिमल गोंसाई का स्वागत किया। डॉ0 गोंसाई ने एक दवाई को बार-बार पढक़र विशेषज्ञता हासिल करने पर जोर दिया। उन्होंने स्लाईड शो के माध्यम से पुराने जटिल रोगों का कैसे ईलाज किया जाता है, के बारे में बताया। डॉ0 पावनीश अग्रवाल, डॉ0 विद्यार्थी ने सम्मान प्रतीक प्रदान किया। डॉ0 एम. एम अग्रवाल एवं डॉ0 अर्पित मेहरा ने जनवरी एक ओर सेमिनार करवाने पर जोर दिया।

इस कार्यक्रम में लगभग 45 होम्योपैथिक चिकित्सक विशेष रूप से डॉ0 मुक्ता गुप्ता, डॉ0 वन्दना गर्ग, डॉ0 मनदीप कौर, डॉ0 ममता शर्मा, डॉ0 नूतन शुक्ला आदि उपस्थित रहे। बैक्सन होम्योपैथी से आए हुए श्री अनिल यादव एवं श्री अजय वर्मा का विशेष योगदान सराहनीय रहा।

Sunday 19 November 2017

एडिनोइड ( गले की पीछे गरंथी की सूजन ) उपचार के लिए होमोपेथी चिकित्सा

एडिनोइड ( गले की पीछे गरंथी की सूजन ) उपचार के लिए होमोपेथी चिकित्सा

फरीदाबाद :20 नवम्बर।  एडेनोइड गले के पीछे स्थित छोटे ऊतक होते हैं। वे टॉन्सिल्स के समान हैं, और उनके ऊपर स्थित हैं। यदि आप अपने गले के पीछे को देखते हैं, तो टॉन्सिल को देखा जा सकता है, लेकिन एडिनाइड सीधे दिखाई नहीं दे रहे हैं।दोनों एडेनोइड्स और टॉन्सिल प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा हैं, जो आपके शरीर में संक्रमण को रोकने और लड़ाई में मदद करता है।

एडिनोइड जन्म के समय मौजूद हैं। जब तक कोई बच्चा 3 और 5 साल की उम्र के बीच नहीं होता तब तक वे बढ़ते हैं। आम तौर पर, वे 7 साल के आसपास सिकुड़ना शुरू करते हैं। वे वयस्कता में काफी कम हो जाते हैं।
वे उस मार्ग में स्थित हैं जो नाक गुहा के पीछे गले को जोड़ते हैं। वे अपने शरीर में संक्रमण से लड़ने में मदद करने के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन करते हैं। वे बैक्टीरिया और वायरस को नियंत्रित करने में भी मदद करते हैं जो आपकी नाक से प्रवेश कर सकते हैं। शुरुआती सालों के दौरान, शिशुओं के संक्रमण से शिशुओं की रक्षा करने में मदद करता है। जब वे शरीर में प्रवेश करते हैं, तब वे बैक्टीरिया और वायरस को छिपते हैं

संक्रमित होने वाले एडीनोइड आम तौर पर बड़ा हो जाते हैं, लेकिन जब संक्रमण कम हो जाता है तो उनके सामान्य आकार में वापस आ जाती है। हालांकि, कुछ मामलों में, संक्रमण समाप्त होने के बाद भी, एडिनोइड बढ़े हुए हैं।

बढ़े हुए एडेनोड्स एलर्जी के कारण भी हो सकते हैं। कुछ बच्चों ने जन्म से एडेनोइड का विस्तार किया है।
लक्षण - बढ़े हुए एडीनोइड लक्षणों सहित कई लक्षण पैदा कर सकते हैं:
• अवरुद्ध, भरी हुई नाक
• कान की समस्याएं
• सो रही समस्याओं
• खर्राटों
• गले में खराश
• निगलने में कठिनाई
• गले में सूजन ग्रंथियां
• नाक के माध्यम से श्वास लेने की समस्याएं
• गोंद कान (मध्य कान में द्रव का निर्माण, जो सुनवाई की समस्या पैदा कर सकता है
• फटा हुआ होंठ और शुष्क मुँह (श्वास की समस्याओं से)
स्लीप एपनिया (नींद के दौरान अनियमित श्वास)



बरिटा कार्ब 30-बरिता कार्ब बढ़े हुए एडेनोड्स के लिए शीर्ष होम्योपैथिक दवाओं में से एक है। यह भी निर्धारित किया जाता है जब दोनों टॉन्सिल और एडेनोइड्स बढ़े हैं।चरम सीमाओं में ठंडा होने पर बच्चे को संवेदनशीलता महसूस होती है ठंड हवा में थोड़ी सी भी जोखिम खांसी का कारण बनता है मौसम में थोड़ी सी भी बदले में खांसी भी दिखाई देती है। छींकने और मोटी पीले नाक का निर्वहन भी देखा जा सकता है। गले में दर्द निगलने पर बिगड़ता है। मुंह एक आक्रामक गंध बंद देता है बच्चा शारीरिक रूप से सुस्त और सुस्त हो सकता है पैर में अप्रिय पसीना होता है

कैल्केरा कार्ब 30- कैलेक्वेरा कार्ब, बढ़े हुए एडिनॉइड के लिए ठंड को पकड़ने की एक प्रवृत्ति है। कैलेक्वेरा कार्ब को निर्धारित किया जाएगा जहां बच्चे को सर्दी के लिए अतिसंवेदनशील होता है और प्रत्येक ऐसे जोखिम के बाद बीमार पड़ जाता है। संक्रमण के लिए इस पुरानी प्रवृत्ति के परिणामस्वरूप बढ़े हुए एडिनॉइड या टॉन्सिल होते हैं। ऐसे बच्चे भी खोपड़ी पर अधिक से अधिक परेशान करते हैं और एक फैटी, झपके संविधान हैं। वह अत्यधिक चिड़चिड़ा और हठी हो सकती है। इस तरह के मामलों में चाक, मिट्टी, चूने जैसी अपचयी चीजों की इच्छा मनाई गई है। कैलिकेरा कार्ब बच्चे की अंडे के लिए अजीब तरस होती है

एगैफ़िस नुटन्स 3 एक्स - एग्रैफ़िस न्यूटेंस बढ़े हुए एडेनोड्स के लिए लगभग विशिष्ट उपाय है, बधिरता बढ़े हुए एडेनोड्स के कारण होती है। बच्चे मुंह से सांस लेते हैंबहुत स्पष्ट बलगम निर्वहन
हेड्रास्टिस कनाडेसिस 30-हाइड्रैस्टिस बढ़े हुए एडिनॉइड के लिए एक उत्कृष्ट उपाय है। नाक से पीला दृढ़ बलगम है।नाक की रुकावट के साथ कोरिज़ा लिम्फोइड हाइपरट्रॉफी मौजूद है।

 मेर्क्यूरियस एसओएल 30- मर्क सोल को बढ़े हुए एडेनोइड से जुड़े कानों के संक्रमण के मामले में संकेत दिया गया है। ऐसे मामलों में मूस की तरह, मोटी, पीली, कभी-कभी कान से पानी के मुंह से छीन लिया जाता है।प्रकृति में भ्रूण या आक्रामक हो सकता है। कान में दर्द उपस्थित हो सकता है रात के दौरान कान की शिकायत खराब हो जाती है। कान की आशंका के साथ शोर की तरह आवाज़ सुनाई जा सकती है।

मेर्क्यूरियस आइडोडिड 30- मर्स आयोडाइड बढ़े हुए एडेनोइड के सभी मामलों के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है।टॉन्सिल शामिल हैं मुंह से आक्रामक गंध कोस्टेंट झुकाव को निगलने के लिए

काली सुप्दरिकम 30-काली सल्फ्यूरिकम एडीनोइड के लिए एक प्रभावी उपाय है जो सर्जरी के बाद फिर से आना है। काली सल्फ़ुरिकम का उपयोग करने वाले लक्षण एक अवरुद्ध नाक, मुँह श्वास और खर्राटे ले रहे हैं। पीला रंग का नाक का निर्वहन देखा जा सकता है।

अमोनियम कार्ब 30-अमोनियम कार्ब, बढ़े हुए एडेनोइड के लिए चिह्नित नाक अवरोध के साथ उत्कृष्ट उपाय है। नाक की बाधा रात में सबसे अधिक चिह्नित है। अवरुद्ध नाक की वजह से मुँह साँस लेना स्पष्ट है। अमोनियम कार्ब भी नाक के खून बह रहा है, विशेषकर सुबह में।

ओपियम 200 - बढ़े हुए एडेनोइड के कारण खर्राटों के लिए अफीम एक प्रभावी उपाय है। घबराहट, कठोर साँस लेने के साथ गहरी खर्राटे ले रही है सो रही है जबकि श्वास में अक्सर क्षणिक विराम का उल्लेख किया जा सकता है।
चीन ऑफ़फिक्सनलिस 30- चीन आफिसनलिस को निर्धारित किया जाता है जब नींद में विलाप और रोने के साथ भारी खर्राटे होती है। बच्चे को नींद में परेशान किया गया है और सुबह में बेहोश हो जाता है। वह दिन के दौरान नींद और ज़ोरदार नींद महसूस करता है।

सिस्टस कनाडेसिस 30-सीस्टस कर सकते हैं ग्रंथि या संधिशोथ व्यक्तियों के लिए प्रभावी है जिन्होंने टॉन्सिल को बड़ा किया है गले में गर्मी और सूखने का ख्याल है। गर्दन में सूजन करके एक तरफ खींचा। सिस्टस रोगी अक्सर पेय खाते हैं खाने के बाद बेहतर महसूस होता है। यह अंधेरे आँखों वाले काले बालों वाले बच्चों के लिए उपयुक्त है।

बादाम 30-ब्रोमिन एनेवेरोइड के सर्जिकल हटाने के 

Thursday 16 November 2017

संभव है मिर्गी का इलाज: डॉ. कदम नागपाल

संभव है मिर्गी का इलाज: डॉ. कदम नागपाल

 फरीदाबाद 16 नवम्बर । एशियन अस्पताल के न्यूरो फिजिशियन डॉ. कदम नागपाल ने बताया कि मिर्गी शरीर का एक ऐसा विकार है जो मस्तिष्क में असामान्य तरंगे पैदा करता है। इन तरंगों के कारण झटके आते हैं और दौरे पड़ते हैं। कई ऐसी दवाएं है मौजूद हैं, जिसके जरिए 75 प्रतिशत मिर्गी को कंट्रोल किया जा सकता है। कुछ मामले ऐसे होते हैं जिन्हें रिफ्लेक्ट्री एपिलेप्सी का नाम दिया जा है इसे एपिलेप्सी सर्जरी से कंट्रोल किया जा सकता है। डॉ. कदम का कहना है कि सबसे पहले लोगों को मिर्गी के बारे में जागरुक रहना चाहिए। किसी भी व्यक्ति में मिर्गी के लक्षण नज़र आने पर तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर के निर्देशानुसार दवाओं का सेवन करते रहना चाहिए और नियमित रूप से जांच कराते रहना चाहिए। खासकर ऐसी महिलाएं जो गर्भधारण करने योज्य हैं या फिर गर्भवती हैं और वे मिर्गी की शिकार हैं उन्हें निरंतर डॉक्टर से जांच कराते रहना चाहिए ताकि उनकी और उनके गर्भ में पल रहे बच्चे को किसी भी प्रकार की गंभीर समस्या होने से बचाया जा सका। 

लक्षण: कमजोरी, शरीर का अनियंत्रित होना, चेहरे मांस-पेशियों में खिंचाव होना, शरीर में जकडऩ, आंखों का चढऩा, बेहोशी या झटके आना मिर्गी के लक्षण हैं। इसमें मरीज का शरीर पर संतुलन नहीं रहता,मुंह से झाग निकलते हैं। 

कारण: नींद की कमी, तनाव, सिर पर चोट लगना, समय पर दवाओं का सेवन न करना, कुछ दवाओं के इस्तेमाल का दुष्परिणाम,दूर्घटना, तेज बुखार होने, खून में ग्लूकोज की मात्रा का कम होने के कारण मिर्गी के दौरे पड़ सकते हैं।

बचाव के उपाय: भरपूर नींद लें। 
धूम्रपान के सेवन से बचें।
व्यायाम व सैर करें।
नियमित दवा लें। डॉक्टर के सलाह के बिना कोई दवा न लें।
लंबी दूरी की यात्रा में खुद गाड़ी न चलाएं।
तैराकी न करें।
मिर्गी का दौरा आने पर क्या करें: सबसे पहले पीडि़त के कपड़े ढ़ीले कर दें, ताकि उसे हवा लगे।
दौरे के दौरान पीडि़त को कुछ भी खिलाना या पिलाना नहीं चाहिए।
व्यक्ति के पास से नुकीली वस्तुएं हटा दें।
व्यक्ति को आरामदायक जगह पर एक करवट पर लिटा दें।
मुंह से कुछ भी खिलाने की कोशिश न करें और न ही कुछ पीने को दें। ऐसे करने पर खाना या पानी सीधा जाने पर मरीज की मौत हो सकती है।
जल्द से जल्द सभी सुविधाओं से लैस नजदीकी अस्पताल तक पहुंचाना चाहिए।

Tuesday 14 November 2017

इन्फ्लुएंजा या फ्लू उपचार के लिए सर्वश्रेष्ठ होमियोपैथी चिकित्सा

इन्फ्लुएंजा या फ्लू उपचार के लिए सर्वश्रेष्ठ होमियोपैथी चिकित्सा

फरीदाबाद :15 नवम्बर I  इन्फ्लुएंजा एक वायरल संक्रमण है जो आपके श्वसन प्रणाली पर हमला करता है - आपका नाक, गले और फेफड़े। इन्फ्लुएंजा, जिसे आमतौर पर फ्लू कहा जाता है, पेट के समान नहीं है "फ्लू" वायरस जो दस्त और उल्टी का कारण बनता है

ज्यादातर लोगों के लिए, इन्फ्लूएंजा अपने आप को हल करता है। लेकिन कभी-कभी, इन्फ्लूएंजा और इसके जटिलताओं को घातक हो सकता है। विकसित होने वाले फ्लू की जटिलताओं के उच्च जोखिम वाले लोग शामिल हैं:
5 साल से कम उम्र के बच्चों, और विशेषकर 2 साल से कम उम्र के बच्चों
• वयस्कों की उम्र 65 से अधिक है
• नर्सिंग होम और अन्य दीर्घकालिक देखभाल सुविधाओं के निवासियों
• गर्भवती महिलाओं और महिलाओं को दो सप्ताह के बाद में प्रसवोत्तर
• कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग
• जिन लोगों को पुरानी बीमारियां हैं, जैसे कि अस्थमा, हृदय रोग, किडनी रोग और मधुमेह
• 40 या अधिक के बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के साथ बहुत मोटे लोग हैं

कारण
फ्लू वायरस बूंदों में हवा के माध्यम से यात्रा करते हैं, जब किसी व्यक्ति में संक्रमण खांसी, छींक या बातचीत होती है आप बूंदों को सीधे श्वास कर सकते हैं, या आप किसी वस्तु से कीटाणुओं को उठा सकते हैं - जैसे कि टेलीफोन या कंप्यूटर कीबोर्ड - और फिर उन्हें अपनी आंखों, नाक या मुंह में स्थानांतरित कर सकते हैं।

लक्षणों के शुरू होने के लगभग पांच दिनों के लक्षणों के पहले वायरस से होने वाले लोग दिन के पहले लक्षणों से संक्रमित होते हैं, हालांकि कभी-कभी लोग लक्षण दिखाई देने के 10 दिन बाद तक संक्रामक होते हैं। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले बच्चे और लोग थोड़ी अधिक समय तक संक्रामक हो सकते हैं।

इन्फ्लुएंजा वायरस नियमित रूप से प्रदर्शित होने वाले नए उपभेदों के साथ निरंतर बदल रहे हैं। अगर आपके पास अतीत में इन्फ्लूएंजा था, तो आपके शरीर ने पहले ही वायरस के उस विशेष तनाव से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बना लिए हैं। यदि भविष्य में इन्फ्लूएंजा वायरस उन लोगों के समान हैं जिनसे आप पहले सामना कर चुके हैं, या तो बीमारी होने या टीकाकरण के द्वारा, एंटीबॉडी संक्रमण को रोक सकते हैं या इसकी गंभीरता कम कर सकते हैं

लेकिन अतीत में आपको फ्लू वायरस का सामना करने वाले एंटीबॉडी आपको नए इन्फ्लूएंजा उपप्रकारों से नहीं बचा सकते हैं जो आपके पहले के संस्करण से बहुत भिन्न हो सकते हैं।

लक्षण
प्रारंभ में, फ्लू एक नाक, छींकने और गले में गले के साथ एक आम सर्दी की तरह लग सकता है। लेकिन सर्दी आमतौर पर धीरे धीरे विकसित होती है, जबकि फ्लू अचानक आते हैं और यद्यपि एक ठंड एक उपद्रव हो सकता है, आप आमतौर पर फ्लू के साथ बहुत बुरा महसूस करते हैं।

फ्लू के आम लक्षण और लक्षणों में शामिल हैं:
• बुखार 100.4 एफ (38 सी)
• दर्दनाक मांसपेशियों, विशेष रूप से अपनी पीठ, हाथ और पैरों में
• ठंडा और पसीना
• सरदर्द
• सूखी, लगातार खांसी
• थकान और कमजोरी
• नाक बंद
• गले में खरास
जोखिम के कारण
कारक जो इन्फ्लूएंजा या इसके जटिलताओं के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, इसमें शामिल हैं:
उम्र। मौसमी इन्फ्लूएंजा युवा बच्चों और बड़े वयस्कों को निशाना बनाने का प्रयास करता है

रहने की स्थिति। जो लोग कई अन्य निवासियों, जैसे कि नर्सिंग होम या सैन्य बैरकों के साथ सुविधाएं में रहते हैं, इन्फ्लूएंजा विकसित होने की अधिक संभावना है।

कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली कैंसर के उपचार, विरोधी अस्वीकृति दवाएं, कॉर्टिकोस्टेरॉइड और एचआईवी / एड्स आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकते हैं। यह आपके लिए इन्फ्लूएंजा को पकड़ने के लिए आसान बना सकता है और विकासशील जटिलताओं के अपने जोखिम को भी बढ़ा सकता है।

गंभीर बीमारी। गंभीर स्थिति, जैसे कि अस्थमा, मधुमेह या हृदय की समस्याएं, इन्फ्लूएंजा जटिलताओं के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।

गर्भावस्था। गर्भवती महिलाओं को इन्फ्लूएंजा जटिलताओं को विकसित करने की संभावना है, विशेष रूप से दूसरे और तीसरे trimesters में जिन महिलाएं दो सप्ताह की प्रसवोत्तर होती हैं वे भी इन्फ्लूएंजा संबंधी जटिलताओं को विकसित करने की अधिक संभावना होती हैं।

मोटापा। फ्लू से 40 से अधिक बीएमआई वाले लोग जटिलताओं का खतरा बढ़ते हैं

जटिलताओं
यदि आप युवा और स्वस्थ हैं, तो मौसमी इन्फ्लूएंजा आम तौर पर गंभीर नहीं है यद्यपि आप इसे करते समय दुखी महसूस कर सकते हैं, फ्लू आमतौर पर एक या दो सप्ताह में चली जाती है जिसमें कोई स्थायी प्रभाव नहीं होता है। लेकिन उच्च जोखिम वाले बच्चों और वयस्कों की जटिलताएं हो सकती हैं जैसे कि:

• निमोनिया
ब्रोंकाइटिस
अस्थमा भड़क अप
• हृदय की समस्याएं
• कान के संक्रमण
निमोनिया सबसे गंभीर जटिलता है पुराने वयस्कों और एक पुरानी बीमारी वाले लोगों के लिए, निमोनिया घातक हो सकता है


एसीोनिटम नेपेल्यूस 30-एकोनाइट इन्फ्लुएंजा के लिए निर्धारित होता है जब अचानक ठंडी हवा का एक्सपोजर होता है जोखिम तत्काल बुखार और जल नाक निर्वहन द्वारा पीछा किया जाता है। अत्यधिक चिंता और बेचैनी में बुखार के साथ।

ANAS बरबारी 30- नियंत्रित वैज्ञानिक अध्ययन ने फ्लू के इलाज में यह उपाय प्रभावी साबित किया है। यह विशेष रूप से प्रभावी है अगर शुरुआत के पहले 48 घंटों के दौरान लिया जाता है। मुख्य रूप से उपयोगी होता है जब फ्लू की शुरुआत तेजी से होती है, सिरदर्द, एक दर्दनाक खाँसी, या जब ठंडी हवा के संपर्क में होने के बाद फ्लू के लक्षण शुरू होते हैं

आर्सेनिक अल्बम 30 - इन्फ्लुएंजा के लिए आर्सेनिक एल्बम उत्कृष्ट उपचारों में से एक है। नाक से पतली पानी का निर्वहन होने पर इसे निर्धारित किया जाता है। निर्वहन एक जलती हुई संवेदना की ओर जाता है और अधिकांश समय छींकने के साथ होता है ठंडी हवा में व्यक्ति की स्थिति खराब हो जाती है गर्म कमरे में होने से व्यक्ति को कुछ राहत मिल सकती है। एक और हड़ताली लक्षण कम अंतराल पर छोटी मात्रा में पानी की प्यास के साथ बेचैनी 
 विश्व मधुमेह दिवस पर मेट्रो अस्पताल में हुआ हेल्थ टॉक एवं इंटरएक्टिव सत्र का आयोजन

विश्व मधुमेह दिवस पर मेट्रो अस्पताल में हुआ हेल्थ टॉक एवं इंटरएक्टिव सत्र का आयोजन

फरीदाबाद :14 नवम्बर I विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर मेट्रो अस्पताल में जागरुकता के उद्देश्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें मधुमेह से जुड़ी जानकारियां लोगों को बताई गई। इस दौरान ओपीडी परामर्श पर 50 प्रतिशत छूट दी गई एवं इससे जुड़ी सभी जांचों पर 25 प्रतिशत छूट एक माह (14  नवंबर से 13 दिसंबर, 2017) के लिए रखी गई है एक विशेष जांच पैकेज भी लोगों को दिया गया।  कार्यक्रम में 200 से अधिक लोगों ने भाग लेकर स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां प्राप्त की। इस मौके पर मेट्रो अस्पताल के डायबिटिज विशेषज्ञ एवं एन्डोक्रोनोलोजिस्ट डा. अरुण सिंह ने लोगों को बताया कि मधुमेह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें  रक्त में गलूकोज की मात्रा अधिक हो जाती है, क्योंकि शरीर में गलूकोज का ठीक से उपयोग नहीं हो पाता। यह इसलिए होता है क्योंकि पेनक्रियॉज नामक ग्रंथी इंसुलिन का सही मात्रा में उत्पादन नहीं करती है या इंसुलिन, 

जिसका उत्पादन किया जाता है, ठीक से काम नहीं करता। डा. अरुण सिंह ने बताया कि मधुमेह अनियंत्रित होने पर हृदय, आंखों, गुर्दे आदि पर प्रभाव पड़ता है, जिससे दिल का दौरा, स्ट्रोक या लकवा, आंखों की रोशनी जाने का खतरा, गुर्दे की विफलता आदि का कारण बन सकता है, जिससे डायलिसिस की आवश्यकता पड़ सकती है। इस मौके पर मेट्रो अस्पताल के डायरेक्टर डा. एस.एस. बंसल ने जानकारी देते हुए बताया कि मधुमेह रोगियों में आमतौर पर लक्षण नहीं होते है। 


30 साल की उम्र के बाद सभी लोगों को अपने ब्लड शुगर की जांच करानी चाहिए, यहां तक कि लक्षण के अभाव में भी, अगर आपका ब्लड शुगर सामान्य है, तब भी हर साल जांच कराएं। हालांकि मधुमेह का जड़ से इलाज नहीं किया जा सकता है, लेकिन सफलतापूर्वक इसकी रोकथाम की जा सकती है। इसके बुरे प्रभावों से बचने के लिए महत्वपूर्ण है कि आपका ब्लड शुगर, रक्त का दबाव और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित स्तर पर रहे। रोजाना व्यायाम करे, संतुलित आहार ले, अपने वजन का प्रबधंन करे, एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करें, निर्धारित दवाई और नियमित रुप से निगरानी महत्वपूर्ण है। यह सब करके आप स्वस्थ जीवन का आनंद प्राप्त कर सकते है। 

विश्व मधुमेह दिवस के मौके पर एशियन अस्पताल ने सेक्टर-12 टाउन पार्क में जनसभा का आयोजन

विश्व मधुमेह दिवस के मौके पर एशियन अस्पताल ने सेक्टर-12 टाउन पार्क में जनसभा का आयोजन

फरीदाबाद :14 नवम्बर I विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर एशियन अस्पताल ने सेक्टर-12 स्थित टाउन पार्क में एक जनसभा का आयोजन किया। इस दौरान लोगों का मुफ्त बी.पी., शुगर की जांच की गई। मधुमेह रोग विशेषज्ञ डाॅ. संदीप खरब ने लोगों को मधुमेह से बचने के लिए विशेष जानकारी प्रदान की। इस दौरान टाउन पार्क में तकरीबन 200 लोगों ने अपने बी.पी व शुगर की जांच कराई और डाॅ. संदीप खराब से जानकारी हांसिल की। 

एशियन अस्पताल के मधुमेह रोग विशेषज्ञ डाॅ. संदीप खरब ने बताया कि आज की व्यस्त जीवनशैली के कारण लोग अपने स्वास्थ्य की देखभाल नहीं कर पा रहे हैं। मधुमेह की रोकथाम के लिए सबसे पहले लोगों को संतुलित खान-पान और नियमित जीवनशैली अपनानी होगी, जैसे भरपूर नींद लेना, शारीरिक श्रम करना, नियमित योगा व व्यायाम करना, वजन नियंत्रित रखना और समय-समय पर डाॅक्टर के पास जाकर अपनी नियमित जांच कराना। अगर समय रहते जांच कराई जाए तो रोग का समय पर पता लगाकर उसको बढ़ने से रोका जा सकता है।

साथ ही मौजूद डाइटीशियन मीनू और लवली ने डायबिटीज के मरीजों को खान-पान से संबंधित सावधानियां बरतने की सलाह दी और उन्हें मधुमेह से संबंधित डाइट-चार्ट भी प्रदान किया। इसके अलावा इक्वीलीबिरियम सेक्टर-9 स्थित जिम की ओर से मौजूद लोगों के लिए योगा क्लास भी दी गई। सभी लोगों ने कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर भाग लिया। लोगों ने जनसभा की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के स्वास्थ्य से संबंधित जागरूकता कार्यक्रमों का समय-समय पर आयोजन करते रहना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में लोगों को रिफ्रेशमेंट भी दी गई।

Monday 13 November 2017

गर्भाशय फाइब्रॉएड के इलाज के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक उपचार :डॉ अभिषेक कसाना

गर्भाशय फाइब्रॉएड के इलाज के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक उपचार :डॉ अभिषेक कसाना

फरीदाबाद :14 नवम्बर I गर्भाशय फाइब्रॉएड के इलाज के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक उपचार: -आज हम गर्भाशय फाइब्रॉएड, इसके आम लक्षण, इसके कारणों और होम्योपैथी उपचार के बारे में चर्चा करेंगे। होम्योपैथी के आधार पर प्राकृतिक उपचार प्राचीन होम्योपैथी साहित्य में वर्णित है। क्लासिकल होम्योपैथी उपचार लंबे समय से इस्तेमाल किया जा रहा है डॉ। अभिषेक एम.डी. आरु होमियोपैथी-भारत के अनुसार, अब एक दिन तनाव तनावपूर्ण, अस्वास्थ्यकर जीवन शैली और आहार पैटर्न से भरा है। हम रासायनिक अमीर भोजन की संभावना रखते हैं, जिसमें सब्जियां और फलों पर हार्मोन स्प्रे शामिल हैं। कैरियर लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए युवा महिला गर्भावस्था से बचते हैं यह सब हार्मोनल असंतुलन की ओर जाता है- जिसके परिणामस्वरूप पीएमएस और फाइबॉइड होते हैं।

रेशेबाइड उपचार के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथी चिकित्सा

गर्भाशय फाइब्रॉएड: - लोइयोओमामास, गर्भाशय के मायोमास या फाइब्रोमा गैर-कैंसरयुक्त, सौम्य ट्यूमर के रूप में भी जाना जाता है जो या तो गर्भाशय की दीवार के बाहर या गर्भाशय की दीवार के भीतर हो सकती हैं। फाइब्रॉएड तंतुमय संयोजी ऊतक और चिकनी पेशी कोशिकाओं से बना होते हैं, जो गर्भाशय में बनते हैं। फाइब्रॉएड अपनी प्रजनन काल के दौरान एक महिला का सबसे आम ट्यूमर है। नैदानिक ​​अध्ययन के अनुसार, यह घटना बच्चे की उम्र बढ़ने वाली महिला समूह में सबसे आम होती है। रेशेबाइंड आकार छोटे बीज से होते हैं - नग्न आंखों से अनकनेस्ड एक फुटबॉल के बड़े आकार के लिए।

फाइबॉइड के तथ्य: -
 महिलाओं में बहुत आम है, कई मादाएं प्रजनन काल के दौरान गर्भाशय फाइब्रॉएड की समस्या का सामना करती हैं।
यह एक रबरयुक्त द्रव्यमान है, जो कैंसर रहित नहीं है, जो या तो गर्भाशय के बाहर या अंदर बढ़ते हैं।
कोई निश्चित कारण ज्ञात नहीं है
आम तौर पर कोई लक्षण नहीं होते हैं, लेकिन यदि अत्यधिक वृद्धि हो जाती है तो अत्यधिक रक्तस्राव या दर्द के कारण होता है।
 यूएसजी और पेल्विक परीक्षा के माध्यम से निदान किया जा सकता है
संतुलित आहार और सही जीवन शैली के साथ होम्योपैथी चिकित्सा सर्वोत्तम उपचार दे सकती है।


रेशेदार के प्रकार:
  1.    उप मुक्कोल
  2.   Intramucosal
  3.   उप serousl
  4.     Pedunculated
  5.   सरवाइकल
  6.    Interligamentous



फाइबॉइड के कारण:
  1. पारिवारिक इतिहास और आनुवंशिकता शीर्ष कारण है
  2. हार्मोन असंतुलन: प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन फाइब्रॉएड विकास के लिए जिम्मेदार दो महिला हार्मोन हैं। फाइब्रॉएड में गर्भाशय की मांसपेशियों की तुलना में अधिक प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन रिसेप्टर्स हैं। इसका कारण यह है कि रेशेदार होने के बाद रेशेदार आमतौर पर गायब हो जाते हैं या फिर सिकुड़ते हैं।



Fibroid के लक्षण:
  1. भारी गर्भाशय रक्तस्राव
  2. माहवारी के दौरान लंबे समय तक गर्भाशय खून बह रहा है।
  3. गर्भपात
  4. बार-बार या अनियमित अवधि
  5. लगातार पेशाब आना
  6. संभोग के दौरान दर्द
  7. पीठ दर्द
  8. कब्ज
  9. गैर चक्रीय श्रोणि दर्द
  10. मासिक धर्म के दौरान ऐंठन
  11. भार बढ़ना।
  12. निचले पेट में सुस्त दर्द और बेचैनी
  13. गर्भपात
  14. रेशेबाइट उपचार के लिए शीर्ष होम्योपैथी चिकित्सा का इस्तेमाल किया गया



  • कैलेकेरा कार्बोनिका: - गर्भाशय के फाइब्रॉएड का इलाज करने के लिए होम्योपैथिक औषधीय कैलिवेरिया कार्बोनिका सबसे अच्छा उपाय है। यह उन महिलाओं के लिए अत्यधिक उपयुक्त है जो अधिक वजन वाले हैं या जिनकी मार्स बहुत लंबी अवधि के लिए हैं


  • थ्लस्पी बर्सा पास्तारीस: - फाइब्रॉएड गर्भाशय के इलाज के लिए एक अन्य होम्योपैथिक दवा का मामला इस मामले में निर्धारित किया जाता है जब शॉर्ट सर्दियों के दौरान मासिक धर्म बहुत बार प्रकट होता है अधिकांश मामलों में, महिलाओं को अक्सर समस्या से पीड़ित होता है, गर्भाशय में दर्द में दर्द होता है और मास्टर्स के दौरान पीठ दर्द होता है। और ऐसी स्थितियों के लिए थ्लस्पी बर्सा पादरीस सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथी दवा है


  • फ्रैक्सिनस अमरीकाना: फ्रैक्नसिनस अमेरिकािया एक और सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक होम्योपैथिक दवा है, जो उन महिलाओं के लिए निर्धारित है जिन्होंने मासिक धर्म के खून बहने के साथ पैरों में सनसनी या ऐंठन के बारे में शिकायत की।


  • ट्रिलियम पेंडुलम: - फाइब्रॉएड से निपटने के लिए होम्योपैथी में यह सर्वोच्च दवा में से एक है। बेहोशी मंत्र के साथ गर्भाशय से अत्यधिक रक्तस्राव में यह प्रभावी है।


  • अमोनियम कार्बोनिकम: -यह एक अन्य होम्योपैथिक चिकित्सा है जिसे फाइब्रॉएड समस्या को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किया जाता है। जब रक्त काले रंग में दिखता है, उस समय में मासिक धर्म के समय में घिरी हुई और अत्यंत लाभदायक होता है, यह दवा एक आश्चर्यजनक जादू के रूप में काम करती है। मेनोरेरिया के दौरान जांघों में अत्यधिक दर्द का इलाज करने के लिए यह दवा प्रभावी काम करती है।


  • काली कार्बोनिकम: काली कार्बोनिकम सबसे अच्छा राहत है जब गर्भाशय से खून बहना बहुत लंबी अवधि के लिए जारी रहता है और जब यह पीठ दर्द का कारण बनता है


  • फेरम मेटालिकम: -फराम मेथलिकिकम एक ऐसी दवा है, जो कि फाइब्रोइड के कारण गर्भाशय से अत्यधिक रक्तस्राव को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किया जाता है। इस दवा ने अपना सबसे अच्छा परिणाम दिखाया है जब गर्भाशय से हल्के और पानी के प्रवाह का अत्यधिक रक्त होता है।


  • Ipecacuanha: - यह एक अन्य होम्योपैथिक उपाय काम प्रभावी रूप से menorrhagia मामलों के इलाज के लिए फाइब्रॉएड के मामले में है।


  • सिंचोना ऑफफेंटलिस और फेरम फास्फोरिकम: - दोनों सिंकोना ऑफिजिनालिस और फेरम फॉस्फोरिकम अनीमिया वाले रोगियों में रेशेबाइवर का इलाज करने के लिए उत्कृष्ट होम्योपैथिक दवाएं हैं। यह फाइब्रॉएड से पीड़ित महिलाओं में हीमोग्लोबिन गिनती में सुधार करने में मदद करता है। यह दवा उन महिलाओं के लिए आश्चर्यजनक वर्तनी होती है जिनके रक्तगट के अत्यधिक नुकसान के कारण हीमोग्लोबिन गिनती बहुत अधिक हो गई है।

Sunday 12 November 2017

होम्योपैथिक चिकित्सा यूरिक एसिड के लिए सर्वश्रेष्ठ

होम्योपैथिक चिकित्सा यूरिक एसिड के लिए सर्वश्रेष्ठ

फरीदाबाद :13 नवम्बर I उच्च यूरिक एसिड के साथ गठ एवं गठिया के लिए होम्योपैथिक उपचार बेहद संवेदनशील है। आरा होम्योपैथी उपचार न केवल यूरिक एसिड के ऊंचे स्तर को कम करता है बल्कि शरीर की प्रतिरक्षा को बढ़ाता है और यूरिक एसिड को पकड़ने के लिए सही दोषपूर्ण शरीर प्रवृत्ति आभा होम्योपैथिक दवा शरीर की चयापचय प्रक्रिया को नियंत्रित करने में मदद करती है जो शुद्धता को नियंत्रित करती है। Colchicum, Ledum और Guaiacium सर्वश्रेष्ठ तीन होम्योपैथी दवाइयां हैं जो ऊंचा यूरिक एसिड स्तरों में प्रयोग किया जाता है, जिन्हें डॉ। अभिषेक प्रभावी पाया जाता है। रक्त में उच्च यूरिक एसिड स्तर गठिया के प्रकार - गठिया की ओर जाता है। प्रारंभ में टहनी पैर की अंगुली प्रभावित होती है, लेकिन बाद के चरणों में अन्य सभी जोड़ों में शामिल किया जा सकता है। यूरिक एसिड प्रोटीन के दोषपूर्ण चयापचय के कारण उच्च मात्रा में उत्पन्न होता है, जब शरीर में प्युरेनिन न्यूक्लियोटाइड को तोड़ता है। होम्योपैथी यूरिक एसिड को नियंत्रित करने के सर्वोत्तम प्राकृतिक तरीकों में से एक है होमियोपैथी का निर्माण 18 वीं शताब्दी में जर्मन चिकित्सक डा। हैनमैन द्वारा किया गया था। होम्योपैथी को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मान्यता प्राप्त है


यूरिक एसिड- अत्र्राइटिस

1. Colchicum - यह यूरिक एसिड के स्तर को नियंत्रित करने के लिए सबसे अच्छा होम्योपैथिक उपाय है, जो गाउट को जन्म देता है। पैरों में बहुत दर्द हो सकता है, और चलने में कठिनाई के साथ जोड़ों में सूजन हो सकती है। जोड़ों के दर्द को बदलने की रोगी शिकायत, सूजन जो लाल या पीली हो सकती है, स्पर्श करने के लिए बहुत ही निविदा और मामूली गति पर भी बदतर हो सकती है। पेट की सूजन के साथ बड़ी पेशी की कमजोरी और सज़ा है छोटे जोड़ों, उंगलियां, पैर की उंगलियां, कलाई और टखनों ज्यादातर प्रभावित होते हैं। हिंसक दर्द, स्पर्श को सहन नहीं कर सकता। गाउट दर्द के कारण रोगी बहुत चिड़चिड़ा है

2. लेमियम पाल- यह उच्च यूरिक एसिड मामलों के मामलों का इलाज करने का उपाय है जहां दर्द नीचे से ऊपर की ओर जाता है। यह उन मामलों में संकेत दिया जाता है जहां जोड़ों में खून में अतिरिक्त यूरिक एसिड क्रिस्टल होते हैं जो जमा होते हैं। लेडूम गाउट और अन्य संयुक्त परेशानियों के लिए सबसे अच्छा होम्योपैथी उपचार में से एक है। यह भूमिका उच्च यूरिक एसिड स्तरों के साथ रोगी के उपचार में उल्लेखनीय है, और उसके उच्च रक्त स्तर के परिणाम क्रिस्टल संरचना में होते हैं, जो संयुक्त स्थान में जमा करना शुरू करते हैं। महान पैर की सूजन के रोगी की शिकायत, कदम पर पीड़ा के साथ, दर्द दबाव, गर्मी और गति से भी बदतर हो जाता है रोगी ने जोड़ों में जोड़ों की नोडोसिटी की शिकायत भी की है जो दर्द के साथ आगे बढ़ते हैं। Ledum, एक ठंडा उपाय है, सभी लक्षणों के साथ चिलचिलाहट और पशु गर्मी की कमी के साथ

3. ग्यूएसिअम - यह उन रोगियों के लिए निर्धारित किया जाता है जो उच्च यूरिक एसिड स्तरों के कारण विकृति का निर्माण करते हैं और गर्मी के लिए उच्च असहिष्णुता होती है। ग्यूयाकम: यह उच्च यूरिक एसिड के पुराने मामलों के लिए उपयुक्त है, और संक्रमकों की रक्त रोगी की शिकायत में गंभीर उच्च यूरिक एसिड स्तरों और जोड़ों और मांसपेशियों में फाड़ दर्द के साथ गठनात्मक नोडोसिटि जैसे विकृतियों के लिए सबसे अच्छा विकल्प है। सूजन के साथ घुटने के गाउट पर चिह्नित कार्रवाई। रोगी के पास गर्मी असहिष्णुता है रोगी शरीर से खराब गंध और जोड़ बहुत गर्म और दर्दनाक है स्पर्श, कठोर और समय पर भी स्थिर।





आहार

1. प्रति दिन कम से कम 3 लीटर तक अच्छा पानी का सेवन करने की सिफारिश की जाती है, अच्छा पानी का सेवन शरीर को विषाक्त एसिड सहित हानिकारक विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है।

2. स्किम्ड दूध जैसे कम वसा वाले आहार

3. शंख और मांस सहित कम गैर शाकाहार आहार।

4. दलिया जैसे पूरे अनाज का भोजन।

5. सेब, नाशपाती और अमरूद आदि जैसे कुछ फलों

6. पालक और गोभी जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे सब्जियों से बचें।

7. चेरी और जामुन शामिल करें स्ट्रॉबेरी और ब्लूबेरी सहित- एंटी-भड़काऊ भोजन। चेरीज़ में एन्थोसायनियस होता है जो यूरिया एसिड क्रिस्टलीकरण की रोकथाम में भड़काऊ और सहायक होता है।

8. एपल में मैलाइक एसिड होता है जो यूरिक एसिड को निष्क्रिय करने में बहुत उपयोगी होता है।

9. साइट्रस फलों और सब्जियां: - नींबू का रस में साइट्रिक एसिड होता है जो यूरिक एसिड का एक अच्छा विलायक होता है। विटामिन सी के समृद्ध फल और सब्जियां अमला, अमरूद, संतरे, कीवी, शिमला मिर्च, टमाटर और हरी पत्तेदार शाकाहारी हैं।

10. यूपी एसिड को नियंत्रित करने में एप साइडर सिरका का अच्छा प्रभाव होता है।

11. फोलिक एसिड कम यूरिक एसिड स्तरों में समृद्ध खाद्य। उदाहरण - सूरजमुखी के बीज, पिंटो सेम और मसूर आहार में शामिल किए जाने चाहिए।

12. सब्जी रस- गाजर, बीट्रोट और ककड़ी का रस यूरिक एसिड स्तर को कम करने में प्रभावी है।

13. उच्च-फाइबर खाद्य पदार्थ - आरा होम्योपैथी क्लिनिक एंड रिसर्च सेंटर में शोध के मुताबिक, खून में यूरिक एसिड स्तर कम करने में आहार सहायता में उच्च फाइबर भोजन जोड़ना। आहार फाइबर अपने खून में यूरिक एसिड को अवशोषित करने में मदद कर सकता है, और इसे गुर्दे के माध्यम से शरीर से समाप्त कर सकता है। ओट्स, इसाबोल, दलिया, ब्रोकोली, नारंगी, सेब, नाशपाती, ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी, खीरे और गाजर जैसे आहार फाइबर का सेवन बढ़ाना चाहिए।

14. हरी चाय का सेवन यूरिक एसिड स्तरों को नियंत्रित करने में मदद करता है।

15. सब्जियां-अल्कलीन आहार उच्च यूरिक एसिड स्तरों को कम करने में मदद करता है। उच्च अल्कलीन भोजन में शामिल हैं: - टमाटर, कॉर्न, ब्रोकोली, और खीरे।

16. ओमेगा -3 फैटी एसिड
 एशियन अस्पताल में 28वीं आईएपी हरियाणा वार्षिक सम्मेलन का आयोजन

एशियन अस्पताल में 28वीं आईएपी हरियाणा वार्षिक सम्मेलन का आयोजन

फरीदाबाद, 12 नवम्बर । एशियन अस्पताल के प्रंागण में 28वीं आईएपी दइंडियन अकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स) हरियाणा स्टेट कांफ्रेंस दहारकॉन-2017) का आयोजन किया गया। दो दिवसीय इस कांफें्रस में हरियाणा एवं दिल्ली-एनसीआर के 300 से अधिक बाल रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया।  

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय उद्योग मंत्री हरियाणा श्री विपुल गोयल एवं गैस्ट ऑफ ऑनर एशियन अस्पताल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. एन.के. पांडे और नेशनल आईएपी पे्रजीडेंट डॉ. अनुपम सचदेवा, संरक्षक डॉ. अनिल गोयल एवं डॉ. आर.सी अरोड़ा, कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. अशोक अग्रवाल, डॉ. एस.सी जैन, डॉ. अरविंद गुप्ता आदि ने दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम की शुरूआत की। 

कार्यक्रम सचिव डॉ. शिल्पी जैन, डॉ. सी.के मिश्रा डॉ. पी.एस आहुजा, डॉ. अनिल बत्रा, डॉ. सुमित चक्रवर्ती, डॉ. के.के जिंदल, डॉ. संजय टुटेजा, डॉ. विशाल सोनी का कांफे्रस के आयोजन में महत्वपूर्ण योगदान रहा। कार्यक्रम संरक्षक डॉ. अनिल गोयल एवं अध्यक्ष डॉ. आशोक अग्रवाल ने बताया कि संगोष्ठी में हरियाणा एवं दिल्ली से आए विभिन्न बाल रोग विशेषज्ञों ने बच्चों के उपचार की नई तकनीकों की जानकारी दी गई एवं विस्तृत चर्चा की गई।

एशियन अस्पताल में आयोजित इस काफ्रेंस की सराहना करते हुए माननीय मंत्री विपुल गोयल जी ने कहा कि आधुनिक दौर में लगातार नई तकनीकों का विकास हो रहा है। बच्चे हमारे भविष्य हैं और उसको स्वस्थ रखने के लिए की जा रही इस प्रकार की कार्यशालाएं बच्चों के भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने सभी डॉक्टरों ये यह भी अपील की कि सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए शुरू की गई योजनाओं को सार्थक बनाने के लिए लोगों को जागरुक करने में पूर्ण सहयोग प्रदान करें। 

कांफ्रेंस के पहले दिन ११ नवंबर को एशियन अस्पताल, क्यूआरजी हेल्थ सिटी एवं फोर्टिस अस्पताल में नवजात शिशुओं से संबंधित तीन कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। इसमें एशियन अस्पताल, सर गंगाराम अस्पताल एवं रेनबो अस्पताल के विशेषज्ञों ने ३ कार्यशालाओं के माध्यम से प्रतिभागियों को अत्याधुनिक पीडियाट्रिक ईकोकार्डियाग्राफी की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पीडियाट्रिक ईकोकार्डियाग्राफी काफी जटिल प्रक्रिया है, जो कि कुछ ही सेंटरों में की जाती है। एशियन अस्पताल भी उनमें से एक है। डॉ. राजा जोशी, डॉ. नीरज अग्रवाल, डॉ. अनूप ठाकुर, डॉ. मृदुल अग्रवाल, डॉ. मनोज मोदी, आदि ने कांफ्रेंस में भाग लिया। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. जेपीएस मजूमदार, डॉ. हरिपाल, ने इस कांफ्रेंस में भाग लिया। 

Saturday 28 October 2017

मैट्रो अस्पताल में लवकाग्रस्त मरीजों के लिए कारगार साबित हो रही है थ्रोम्बोलाइसिस इजेक्शन तकनीक- डा. रोहित गुप्ता

मैट्रो अस्पताल में लवकाग्रस्त मरीजों के लिए कारगार साबित हो रही है थ्रोम्बोलाइसिस इजेक्शन तकनीक- डा. रोहित गुप्ता

फरीदाबाद:28अक्टूबर (National24news)  मैट्रो अस्पताल में 300 से अधिक मरीजों को किया गया पूरी तरह ठीक आज वल्र्ड स्ट्रोक डे के अवसर पर मैट्रो अस्पताल के न्यूरोलोजी विभाग के सीनियर कंसलटेंट न्यूरोलोजिस्ट डा. रोहित गुप्ता ने कहा कि स्ट्रोक मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा आम कारण है। यह भारत में वयस्क विकलांगता का प्रमुख कारण है। पिछले कुछ दशकों में विकसित देशों के मुकाबले जहाँ स्ट्रोक का प्रसार घटा गया है, भारत में स्ट्रोक का बोझा बढ़ते ही जा रहा है।

भारत में स्ट्रोक के प्रसार के बढ़ने के कुछ कारण है जैसे धूम्रपान, बढ़ती लम्बी उम्र और शहरीकारण द्वारा लाइफस्टाईल में बदलाव। लोगों में स्ट्रोक के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए मैट्रो अस्पताल में डा. रोहित द्वारा फेसबुक का लाइव सेशन भी किया, जिसमें कई मरीजों में अपने प्रश्न पूछे। डब्ल्यूएचओ ने पाया कि भारत में स्ट्रोक के बोझ का हाइपरटेन्शन, धूम्रपान, बढ़ता लिपिड स्तर और डाएबीटिज कुछ महत्वपूर्ण कारण है। तीव्र स्ट्रोक/लकवाग्रस्त रोगियों के लिए थ्रोम्बोलाइसिस इंजेक्शन एक नई तकनीक है। मैट्रो अस्पताल नियमित रूप से मस्तिष्क में धमनियों की रूकावट के उपचार के लिए थ्रोम्बोलाइसिस तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है।

 मैट्रो अस्पताल, फरीदाबाद में थ्रोम्बोलाइसिस तकनीक द्वारा अब तक 300 से अधिक मरीजों को ठीक किया जा चुका है। इसके लिए उम्र की कोई समय-सीमा नहीं हैं। हमारे विभाग में उच्च न्यूरो इमेजिंग तकनीकी संसाधन है। अस्पताल में एम.आर.आई. व सीटी स्कैन की सुविधा भी उपलब्ध है। तीव्र स्ट्रोक/लकवाग्रस्त 40 साल से कम के लोगों में भी हो सकता है। भारत में तीव्र स्ट्रोक/लकवे से 10 से 15 प्रतिशत मरीज 40 से कम उम्र के होते है। थ्रोम्बोलाइसिस तकनीक 18 साल से ऊपर के किसी भी मरीज पर की जा सकती है। युवा मरीजों पर इसके रिजल्ट बहुत अच्छे होते है। डा. एस.एस. बंसल मैनेजिंग डायरेक्टर मैट्रो अस्पताल, फरीदाबाद ने हमें बताया कि थ्रोम्बोलाइसिस की यह तकनीक लकवा होने के 4ण्5 घंटे तक की जा सकती है। तीव्र स्ट्रोक/लकवाग्रस्त होने पर मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल पहुँच जाना चाहिये। क्योंकि जल्दी से उपचार मिलने पर इसके अच्छे परिणामों की प्राप्ति 100 प्रतिशत तक हो सकती है। 

डा. रोहित गुप्ता ने कहा कि थ्रोम्बोलाइसिस चिकित्सा के उपयोग व जागरूकता पर जोर देने की जरूरत है। विंडो पीरियड का महत्व, थ्रोम्बोलाइसिस चिकित्सा का लाभ, स्ट्रोक के बारे में जानकारी होनी चाहिये। इस अवसर पर मैट्रो अस्पताल के डायरेक्टर एवं वरिष्ठ हृदय रोग विषेषज्ञ डा. एस.एस. बंसल का कहना है कि मैट्रो अस्पताल नई-नई तकनीक के माध्यम से लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए प्रयासरत है और आने वाले समय में भी अस्पताल नई-नई तकनीकों के माध्यम से लोगों को बहेतर चिकित्सा सेवाएं देने के लिए कार्य करता रहेगा। साथ ही उन्होंने कहा की जागरूकता, समय रहते बिमारियों से बचाव एवं अनुशासिक जीवन प्रणाली एक बेहद कारगर उपाय है, इन सभी गंभीर बिमारियों से बचने के संदर्भ में मैट्रो अस्पताल, फरीदाबाद जानकारी के विभिन्न उपायों को करते रहते है।