Sunday, 23 April 2017

सभी शहरों को खुले में शौच-मुक्त बनानेे के लिए पूरी तरह से तैयार है --मनोहर लाल मुख्यमंत्री हरियाणा


चंडीगढ़, 23 अप्रैल(National24news.com) हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा राज्य जून, 2017 तक ग्रामीण क्षेत्रों को तथा सितम्बर, 2017 तक सभी शहरों को खुले में शौच-मुक्त (ओडीएफ) बनानेे के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने कहा कि यह पंचायतों, गैर-सरकारी संगठनों और धार्मिक, सामाजिक व राजनीतिक नेतृत्व को मिलाकर एक मजबूत सामुदायिक आंदोलन खड़ा करने के कारण संभव हो पाया है। उन्होंने कहा कि राज्य ने 10,000 से अधिक आबादी वाले गांवों, जोकि निकट भविष्य में कस्बे बनने की क्षमता रखते हैं, में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने का भी निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री आज नई दिल्ली में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की तीसरी बैैठक को संबोधित कर रहे थे। इस बैठक में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री, नीति आयोग के उपाध्यक्ष एवं सदस्य तथा केन्द्र व राज्य सरकारों के वरिष्ठï अधिकारी भी उपस्थित थे।

 उन्होंने कहा कि नीति आयोग द्वारा दर्शाए गये मार्ग पर चलते हुए ‘स्वच्छता’ की अवधारणा को समग्र रूप से अंगीकार करने के उद्देश्य से इसे विद्यालयों और महाविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में शामिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रत्येक खण्ड और हर जिले के एक गांव को एक लाख रुपये का मासिक स्वच्छता पुरस्कार भी दिया जा रहा है। इसके अलावा, खुले में शौच से मुक्त हर गांव को एक लाख रुपये दिये जाते हैं। इसके साथ-साथ 1300 से अधिक ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाएं स्थापित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 300 से अधिक गांवों में 5-पोण्ड सिस्टम की एकीकृत तरल अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में खुले में शौच-मुक्त (ओडीएफ) का स्थायित्व और समग्र स्वच्छता के साथ ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त रणनीति बनाने तथा सामुदायिक व्यवहार परिवर्तन की दिशा में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं।

उन्होंने कहा कि सात कस्बों के लिए घर-घर से एकत्रित ठोस कचरे से बिजली उत्पादन के लिए लगभग 500 करोड़ रुपये के निवेश से दो सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कलस्टर परियोजनाएं स्थापित करने के लिए आशय-पत्र जारी किये जा चुके हैं। विकेन्द्रीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए हरियाणा भवन संहिता, 2016 में 5 प्रतिशत अतिरिक्त एफएआर का प्रोत्साहन देने का प्रावधान किया गया है। यह प्रोत्साहन प्लॉटेड आवास के अलावा प्लाटों या स्थलों पर लागू है। इससे पालिका सीमाओं के अंदर ठोस अपशिष्ट के कुशल प्रबंधन में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी के विजन से प्रेरित होकर हरियाणा स्वच्छ भारत मिशन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने युवाओं के कौशल विकास के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना की तर्ज पर मई 2015 में ‘हरियाणा कौशल विकास मिशन’ शुरू किया था। वर्ष 2016-17 में, संबंधित विभागों तथा हरियाणा कौशल विकास मिशन द्वारा 69 हजार युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया गया। वर्ष 2017-18 के दौरान 1.33 लाख युवाओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है। राज्य सरकार ने एक अधिनियम द्वारा हरियाणा विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना की है। यह विश्वविद्यालय देश में अपनी तरह का एक अद्वितीय विश्वविद्यालय है, जो प्रमाण-पत्र से लेकर डॉक्टरेट स्तर तक कौशल शिक्षा प्रदान करेगा।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में शिक्षित और पंजीकृत बेरोजगार युवाओं (स्नातकोत्तर) के लिए एक नवम्बर 2016 को सक्षम युवा योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना में तीन मुख्य घटक हैं - (1) बेरोजगारी भत्ता, (2) कौशल प्रशिक्षण और (3) सुनिश्चित मानदेय और हर माह न्यूनतम 100 घंटे का पारिश्रमिक कार्य सहित हर माह कुल 9000 रुपये का भुगतान। एक अप्रैल, 2017 से इस योजना का दायरा बढ़ाकर इसमें राज्य के विज्ञान, इंजीनियरिंग तथा विज्ञान के समकक्ष स्नातकों को शामिल किया गया है।

 उन्होंने कहा कि गरीबी के पैमाने और अनुमान का राष्ट्रीय स्तर पर विशेषज्ञों द्वारा अंतिम रूप दिया जाना है। उन्होंने कहा कि हालांकि, उनका मानना है कि राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य मानदंडों के अनुरूप प्रत्येक राज्य द्वारा गरीब लोगों के एक व्यापक लक्ष्य समूह की पहचान किये जाने के बाद, लाभों या सेवाओं की एक शृंखला परिभाषित की जा सकती है। पात्र परिवारों को ये सेवाएं एक नई ग्रेडिंग व्यवस्था तथा आवश्यकता आधारित सहायता प्रणाली के आधार पर मुहैया करवाई जा सकती हैं। इसके बाद हमें गरीबों को सभी चिह्नित लाभ और सेवाएं प्रदान करने का प्रयास करना चाहिए। एक बार जब उन्हें सभी जरूरी लाभ मिल जाएं तो उन्हें गरीब नहीं माना जाना चाहिए और सूची से निकाल देना चाहिए। चूंकि सभी गरीब परिवारों को सभी लाभों की आवश्यकता नहीं होती, यहां तक की गैर गरीबी उन्मूलन स्कीमों का लाभ भी विशिष्ट परिवारों को उनकी चिह्नित जरूरतों और अंतर के अनुसार ही दिया जाना चाहिए। आधार पर आधारित प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण, डाटाबेस को अद्यतन करने में मदद कर सकता है। इस प्रकार, ऐसे परिवारों का एक गतिशील गरीबी सूचकांक कायम रखा जा सकता है और गरीबी को उत्तरोत्तर वास्तविक समय के आधार पर मापा जा सकता है।

  मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय करों में हिस्सेदारी 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने की 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों तथा केन्द्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या में कमी करने से सभी को एक सांचे में ढालने की दशाब्दियों से चली आर रही पद्धति में एक बड़ा बदलाव आया है और इससे राज्य विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप योजना बनाने तथा विकास योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए अपेक्षित लचीलापन प्रदान करने की राज्यों की एक पुरानी मांग पूरी हुई है। केन्द्र सरकार द्वार
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