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Monday 2 July 2018

एशियन अस्पताल ने किया न्यूरो आई सी यू का उद्घाटन

एशियन अस्पताल ने किया न्यूरो आई सी यू का उद्घाटन

फरीदाबाद 2  जुलाई 2018 - एशियन अस्पताल ने आज आधुनिक तकनीकों से लेस एक न्यूरो आई सी यु का उद्घाटन किया, इस मौके पर अस्पताल के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ एन के पांडेय, चेयरमैन, इंटरनल  मेडिसिन डॉ देव केसर, मेडिकल सर्विसेज डायरेक्टर डॉ प्रशांत पांडेय, न्यूरोसर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ कमल वर्मा, न्यूरोलॉजी विभाग के हेड डॉ कुणाल बेहरानी,  आई सी यू  विभाग के डायरेक्टर डॉ संदीप भट्टाचार्य व् अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ हिलाल अहमद ने रिबन काटकर न्यूरो आई सी यू का उद्घाटन किया I 

एशियन अस्पताल के न्यूरो विभाग के डायरेक्टर डॉ कमल वर्मा एवं न्यूरोलॉजी विभाग के हेड डॉ कुणाल बेहरानी ने बताया की इस आई सी यू मैं हम गंम्भीर बीमारी के मरीज जैसे ब्रेन ट्यूमर, ब्रेन स्ट्रोक, ब्रेन हैमरेज व् एक्सीडेंट के दौरान होने वाली गंम्भीर चोट के मरीजों का इलाज करेंगे I 

आई सी यू  विभाग के डायरेक्टर डॉ संदीप भट्टाचार्य ने बताया की दिमागी मरीजों को सक्षम ईलाज की जरुरत होती है जो हम इस आई सी यू  मैं दे सकेंगे I 

एशियन अस्पताल के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ एन के पांडेय ने कहा कि सीरियस दिमागी बिमारियों के मरीजों को अलग अलग ईलाज कि जरूरत पड़ती है इसलिए हमने इस न्यूरो आई सी यू की शुरुआत की है I  फरीदाबाद मैं इस तरह का यह पहला आई सी यू है I 

Friday 29 June 2018

यूनिवर्सल अस्पताल ने पैर काटने से बचा कर जिंदगी लौटाई

यूनिवर्सल अस्पताल ने पैर काटने से बचा कर जिंदगी लौटाई

फरीदाबाद 29 जून। कम्पनी में काम करते हुए एक मजदूर इन्द्र निवासी सुभाष नगर का लोहे से पैर कटने के कारण पैर में मवाद भर गयी थी उसने विभिन्न अस्पतालों सहित सफदरजंग अस्पताल में भी दिखाया परंतु वहां भी उसे डाक्टरो ने पैर काटने की सलाह दी परंतु जब वह यूनिवर्सिल अस्पताल में आया तो हमारी टीम ने उसके पैर के लिए नई तकनीक (हायरपर बारिग आक्सीजन थेरेपी) के द्वारा उसके पैर को कटने से बचाया एवं अब मरीज पूरी तरह से दुरूस्त है यह जानकारी यूनिवर्सिल अस्पताल के चेयरमैन डा. शैलेश जैन ने दी। 

डा. शैलेश जैन ने बताया कि जब मरीज इन्द्र हमारे अस्पताल में आया था तब उसके पैर की हालत काफी नाजुक थी उसके पूरे पैर में मवाद भर गया था और पूरे पैर में सैफटीक हो गया था जिसका ईलाज काफी समझदारी एवं सावधानी पूर्वक करना था जिसके लिए उन्होंने अस्पताल के डा. निधि अग्रवाल, डा. नमन गोयल, डा. गजेन्द्र, डा. पारितोष से विचार विमर्श किया व उसकी नई तकनीक (हायरपर बारिग आक्सीजन थेरेपी) की जिससे उसके पैर में सुधार आने लगा और उसका मवाद सूखने लगा और वह पूरी तरह से स्वस्थ हो गया। 

मरीज इन्द्र ने बताया कि उसको सभी जगह से निराशा मिल रही थी और वह पूरी तरह से निराश था जब किसी दोस्त ने यूनिवर्सल अस्पताल के बारे में बताया और वह यहां आया और डा. शैलेश जैन से मिला जिस पर उन्होंने मुझे पूर्ण आश्वासन दिया और आज उनका विश्वास ने मुझे व मेरे पैर को बचा दिया।

Thursday 28 June 2018

एशियन हॉस्पिटल ने मैचिंग ब्लड़ ग्रप न होने पर भी किडनी ट्रांसप्लांट संभव किया

एशियन हॉस्पिटल ने मैचिंग ब्लड़ ग्रप न होने पर भी किडनी ट्रांसप्लांट संभव किया

फरीदाबाद 28 जून।  किडनी फेल होने पर परिवार में मैचिंग डोनर न मिलने पर किडनी ट्रांसप्लांट की दिक्कत परिवार को बेसहारा कर देती है, एक साल से कुछ ऐसा ही  महसूस कर रहे थे दिनेश गुप्ता और उनका परिवार! फिर उन्हे पता चला मिसमैच किडनी ट्रांसप्लांट के बारे में, बावजूद इसके उनकी पत्नि को डायब्टिीज़ होने के कारण वह ट्रांसप्लांट कराने में अस्मर्थ थे, छोटे भाई दिनेश की हालत देख बडी बहन कोमल गुप्ता ने उन्हे किडनी डोनेट करने का फैसला किया ।

एशियन इंसटीटयूट आॅफ मेडिकल साइंसिस के किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के डायरेक्टर डाॅ रितेश शर्मा ने बताया कुछ साल पहले तक मिसमैच किडनी ट्रांसप्लांट नही होते थे लेकिन पिछले कुछ सालों से मिसमैच किडनी ट्रांसप्लांट अब दिल्ली एनसीआर में होने लगे है ।

क्या है ब्लड ग्रप मिसमैच किडनी ट्रांसप्लांट

डाॅ रितेश शर्मा ने बताया मिसमैच किडनी ट्रांसप्लांट में खून में मौजूद  प्लाज़मा से एंटीबौडीज कम की जाती हैं  आमतौर पर प्लाज़मा एक्सचैज के माध्यम से यह एंटीबौडीज कम की जाती है लेकिन एशियन अस्पताल में इम्यूनोएबजोरबशन की आधुनिक तकनीक के माध्यम से एंटीबौडीज को नैगिटिव  किया गया ऐसा करने से किडनी रिजेक्शन का रिस्क नही होता और शरीर अनमैच वाले ब्लड़ की किडनी को स्वीकार कर लेती हैं।  

एशियन इंसटीटयूट आॅफ मेडिकल साइंसिस के किडनी ट्रांसप्लांट विभाग सर्जन डाॅ विकास अग्रवाल ने बताया कि दिनेश के ट्रांसप्लांट में और भी दिक्कते थी कोमल के टैस्ट करने पर पता चला कि उनकी 2 यूरेटर, 2 खून ले जानी वाली धमनिया थी ऐसा सिर्फ हजारों में से किसी एक ही व्यक्ति में होता है दूरबीन के माध्यम से बिना
चीर फाड किए कोमल की किडनी सुरक्षित निकाली गई फिर दोनो खून ले जाने वाली धमनिया जोडी गई और दिनेश के शरीर में दोनो यूरेटर की नलियों को अलग-अलग छेद बनाकर जोडा गया ।



डाॅ विकास अग्रवाल ने बताया की इस केस में बहुत सी तकनीकी चुनौतियां थी, अलग-अलग यूरेटर और खून ले जाने वाली धमनिया होने के कारण सर्जरी का समय बढ़ गया और दिनेश के शरीर में भी अलग तरह से जोडा गया! ट्रांसप्लांट के अगले ही दिन दिनेश ब्लड रिपोर्ट नोरमल होने लगीं और बदली गई किडनी भी ठीक तरह से काम कर रही है । ट्रांसप्लांट के बाद दिनेश और उनका पूरा परिवार बेहद खुश है कि उन्हे नया जीवनदान मिला ।

Monday 18 June 2018

हार्टफेल होने के बाद भी मरीज को जीवनदान दिया यूनिवर्सल अस्पताल ने : डा. शैलेश जैन

हार्टफेल होने के बाद भी मरीज को जीवनदान दिया यूनिवर्सल अस्पताल ने : डा. शैलेश जैन

फरीदाबाद 18 जून। यूनिवर्सल अस्पताल ने एक मरीज को हार्ट फेल होने के बावजूद ईसीएमओ से नई जान दी यह जानकारी आज अस्पताल के चेयरमैन डा. शैलेश जैन एवं मैनेजिंग डाईरेक्टर डा. रीति जैन ने दी। उन्होंने बताया कि प्रताप नामक दिल का मरीज को उसके रिश्तेदार यहां लेकर आये थे। मरीज अटक अटक कर सांस ले रहा था। अस्पताल पहुंचने पर डाक्टरो ने देखने पर बताया की मीरज के बचने की संभावना नहीं है। दिल काम नहीं कर रहा था मरीज को तुंरत ईसीएमओ मशीन जो एक तरीके से कृत्रिम फेेफडों तथा दिल का काम करती है पर रखा गया। 48 घंटे मशीन पर रखे जाने के बाद मरीज को धीरे धीरे मशीन से हटाया गया। डा. जैन ने बताया कि मशीजन से हटाने के बाद मरीज पूर्णतया तरीके से सही हो गया। 

उन्होंने बताया कि फरीदाबाद में हृदय के मरीजो के लिए यह एक वरदान की तरह है। यूनिवर्सल असपताल में सभी तरह की बीमारियों के ईलाज की सुविधा आधुनिक मशीनो से की जाती है एवं अनुभवी डाक्टरो की टीम मरीजो की सेवा के लिए लिए हर दम तैयार रहती है।यूनिवर्सल अस्पताल में पैरो में सूजन, नस फूलना पैर काला पडना के ईलाज की सुविधा विशेष रूप से उपलब्ध है और अस्पताल समय समय पर इस बीमारी के लिए निशुल्क शिविरो का भी आयोजन करता रहता है यह जानकारी देते हुए अस्पताल के चेयरमैन डा. शैलेश जैन ने बताया कि अस्पताल में आधुनिकत तरीके से हाई की बीमारियों का ईलाज किया जाता है। यूनिवर्सल अस्पताल सीजीएसएस, एमटीएनएल, बीएसएनएल, बीएसईएस  तथा अन्य सभी इन्श्योरेंस कम्पनी के पैनल पर है जिसके तहत मरीजों ईलाज कराने में आसानी होगी।अस्पताल की मेनेजिंग डाईरेक्टर डा. रीति अग्रवाल के ने बताया कि यूनिवर्सल अस्पताल में सभी सुविधाएं जैसे आईसीयू, वेंटीलेटर, ओटी आदि रियायती दरो में मरीजों को उपलब्ध है। 


Wednesday 2 May 2018

Homeopathy for Cold cough Flu

Homeopathy for Cold cough Flu

FARIDABAD : 2 MY I भरी हुई नाक तब होती है जब नाक और आसन्न ऊतकों और रक्त वाहिकाओं को अधिक तरल पदार्थ के साथ सूज हो जाता है, जिससे "घृणित" लग रहा हो। नाक की भीड़ या अनुनासिक निर्वहन या "बहुरंगी नाक" के साथ नहीं हो सकती है।


आमतौर पर नाक की भीड़ पुराने बच्चों और वयस्कों के लिए एक झुंझलाहट है। लेकिन नाक की भीड़ उन बच्चों के लिए गंभीर हो सकती है जिनकी नींद उनकी नाक की भीड़ या शिशुओं से परेशान होती है, जिनके परिणामस्वरूप एक कठिन समय पर भोजन हो सकता है।


कारण - नाक की भीड़ किसी भी चीज के कारण हो सकती है जो अनुनासिक ऊतकों को उत्तेजित या उत्तेजित करती है। संक्रमण - जैसे सर्दी, फ्लू या साइनसाइटिस - एलर्जी और विभिन्न परेशानी, जैसे कि तम्बाकू धूम्रपान, सब कुछ नाक का कारण हो सकता है कुछ लोगों को बिना किसी स्पष्ट कारण के लिए लंबे समय से चलने वाले नाक हैं - एक शर्त जिसे नॉनलार्लिक राइनाइटिस या वासोमोटर रिनिटिस (वीएमआर) कहा जाता है।

कम सामान्यतः, नाक की भीड़ कणिकाओं या एक ट्यूमर के कारण हो सकती है।


नाक की भीड़ के संभावित कारणों में शामिल हैं: तीव्र साइनसाइटिस, एलर्जी, क्रोनिक साइनसिस, सामान्य सर्दी, डिकॉग्स्टेस्टेंट नाक स्प्रे अति प्रयोग, विच्छेदन सेप्टम, मादक पदार्थों की लत, सूखी हवा, बढ़े हुए एनोनेओड्स, नाक में विदेशी शरीर, हार्मोनल परिवर्तन, फ्लू, दवाएं, जैसे कि उच्च रक्तचाप की दवाएं, नाक जंतु, गैर एलर्जी रैनिटिस, व्यवसायिक अस्थमा, गर्भावस्था, श्वसन संक्रमण संबंधी वायरस, तनाव, थायराइड विकार, तंबाकू का धुआं, बहुभुज के साथ ग्रैनुलोमेटोसिस





NUX VOMICA 30-Nux Vomica नाक बाधा रात के समय में अपने चरम पर है जब राहत प्रदान करने में महान मदद के प्रभावी होम्योपैथिक उपाय नक्स वोमिका रात के घंटों में बेहद भरे हुए नाक वाले रोगियों को आराम प्रदान करने में बहुत फायदेमंद है। रोगियों को इस होम्योपैथिक उपाय की आवश्यकता होती है, रात के समय तीव्र नाक भराई होती है। व्यक्ति यह भी वर्णन कर सकता है कि दिन के दौरान, रात में नाक निर्वहन होता है, इसे अवरुद्ध कर दिया जाता है। इसके अलावा मरीज़ एक तरफ नाक की बाधा और अन्य पर मुक्ति के मुक्त महसूस कर सकते हैं। खुली हवा में जाकर नाक अवरोध को भी बिगड़ता है।

सैम्बुक्स एनआईजी 30-सॅंबुबुस नाक रुकावट के लिए एक और शीर्ष होम्योपैथिक दवा है जो अत्यंत नाक नाक छिद्रों के साथ है। रुकावट के कारण सांस लेने में बहुत मुश्किल है और यह व्यक्ति को बैठने के लिए मजबूर करता है। अधिकतर रात में, घुटन और साँस लेने में कठिनाई के कारण व्यक्ति को नींद से बैठना पड़ता है। नाक अवरोध के लिए शिशुओं को दिया जाने पर सैंबुबुस भी बहुत प्रभावशाली होता है। रुकावट घुटन और मुँह में सांस लेने की ओर जाता है और शिशु को मां की फूड लेने के दौरान बुरी स्थिति का सामना करना पड़ता है

आर्सेनिक्स एल्बम 30-आर्सेनिकम एल्बम का निर्धारण तब किया जाता है जब नाक के अवरोध नाक एलर्जी के कारण होते हैं। यह मुख्य रूप से निर्धारित होता है जब नाक अवरोध के साथ जल नाक निर्वहन जल रहा है। वहाँ नाक से प्रचुर मात्रा में पानी और उत्तेजक निर्वहन है। तीव्र प्यास है और मरीज को खुली हवा में भी बुरा लगता है।

ग्लेज़ैमियम 30-गिल्सिमियम निर्धारित किया जाता है जब नाक रुकावट में बंद महसूस होने के साथ सुस्त सिरदर्द होता है, और एक धाराप्रवाह नाक निर्वहन होता है।

सिनापिस एनआईजीआरए 30 - सिनापीस नीग्रै एलर्जी के कारण नाक की भीड़ के लिए एक और उपाय है। यह तब निर्धारित होता है जब वैकल्पिक नहर एलर्जी की प्रतिक्रिया के कारण अवरुद्ध होते हैं। नाक और आंखों से भी मुक्ति होती है।

कैलकिया कार्ब 30- नाक पॉलीप के कारण कैल्केरा कार्ब नाक रुकावट के लिए बहुत प्रभावी है कार्ब नाक कणों के लिए एक और उत्कृष्ट होम्योपैथिक दवा है। यह ज्यादातर बाएं पक्षीय नाक कणों के लिए संकेत दिया जाता है। बाएं तरफ नलिका अवरुद्ध लगता है नाक से भ्रूण पीला डिस्पैच के साथ इसमें शामिल किया जा सकता है नाक में दुख और विकृत सनसनी भी महसूस होती है। नाक में आक्रामक गंध भी चिह्नित है नाक की जड़ में बहुत अधिक सूजन होती है। क्लेक्वेरा कार्ब का निर्धारण तब किया जाता है जब लोग आसानी से ले जाते हैं। मौसम में बदलाव नाक की शिकायतों से जुड़ा होता है। कैल्केरा कार्ब वसा, पिलपिला व्यक्तियों के लिए अधिक उपयुक्त है, जिनके अंडे की लालसा है।

लैम्ना लघु 30 - पॉलिप्स के कारण नाक अवरोध को हटाने के लिए लेम्ना माइनर शीर्ष होम्योपैथिक उपाय है। इसका उपयोग करने वाले लक्षण श्वास लेने में कठिनाई के साथ नाक कब्ज और गंध की हानि होते हैं। पोस्टेरियर टपकता भी नाक रुकावट के साथ आते हैं। कुछ व्यक्ति नाक डिस्चार्ज का अनुभव करते हैं, जबकि अन्य में, नाक गुहा शुष्क रहता है। अवरुद्ध नाक में आक्रामक गंध है लेम्ना माइनर पॉलीप के लिए सबसे प्रभावी होम्योपैथिक उपाय है जो गीली मौसम में बिगड़ता है। पॉलीप के मामलों में, लेम्ना माइनर नाक अवरोध को कम कर देता है, श्वसन की समस्या से राहत देता है, और गंध की शक्ति फिर से आती है।

संगीन्रिया नाइट्रिकम 3 एक्स - सोंगुनेरिया नाइट्रिकम, पॉलीप के कारण नाक की भीड़ के लिए भी प्रभावी है और यह नाक को नाक के नाक के साथ अवरुद्ध होने पर भी एक प्रभावी होम्योपैथिक दवा है। डिस्चार्ज प्रकृति में बहुत जलते हैं और व्यक्ति को छींकने का भी अनुभव होता है।

काली बीआईटीमाइकियम 30-काली बिच्रिमिक्यू सिनाइसिस के कारण नाक की भीड़ के लिए एक उत्कृष्ट उपाय है, जहां डिस्चार्ज गले में वापस चला जाता है।

Thursday 5 April 2018

एशियन अस्पताल के डाॅक्टरों ने महिला को पेषाब लीक होने की समस्या से निजात दिलाई

एशियन अस्पताल के डाॅक्टरों ने महिला को पेषाब लीक होने की समस्या से निजात दिलाई

फरीदाबाद : 5 मार्च ।  कन्नौज उत्तर प्रदेश निवासी 32 वर्षीय सुनीता को पिछले कुछ समय से पेशाब लीक होने की समस्या हो रही थी। पहले सुनीता नेे शर्म के कारण समस्या को अनदेखा किया, लेकिन एक दिन अचानक से पेशाब अनियंत्रित होकर निकलने लगा तो सुनीता के परिजन उसे फरीदाबाद सेक्टर-21 स्थित एशियन अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर पहंुचे। 

एशियन अस्पताल आकर वे सीनियर कंसलटेंट यूरोलाॅजी एवं एचओडी किड़नी ट्रांसप्लांट डाॅ. विकास अग्रवाल से मिले और उन्हें मरीज की स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी दी। डाॅ. विकास अग्रवाल ने बताया कि सुनीता को दाखिल करके जांच की जाएगी और पेशाब के रास्ते नल्की लगाई गई। इसके बावजूद भी पेशाब लीक होने की समस्या से निजात नहीं मिली क्योंकि पेशाब बच्चेदानी की ओर से लीक हो रहा था। मरीज का एक महीने पहले ही सिजेरियन हुआ था। सिजेरियन के दस दिन बाद जब पेशाब की नल्की निकाली गई। उसके बाद से पेशाब लीक होने की समस्या शुरू हो गई। मरीज का पहले भी दो बार सिजेरियन हो चुका है। 

डाॅ. विकास ने बताया कि पेशाब लीक होने की वजह जानने के लिए मरीज की सिस्टोस्कोपी (दूरबीन द्वारा पेशाब की नली की जांच) की गई जिसमें पाया गया कि मरीज की पेशाब की थैली में बहुत बड़ा छेद है। इस छेद के कारण पेशाब, पेशाब की थैली से निकलकर बच्चेदानी से होते हुए लीक कर रहा था। मरीज का सीटी स्कैन किया गया जिसमें मरीज की पेशाब की थैली व बच्चादानी एक छेद से जुड़ी हुई पाई गई। दूरबीन के द्वारा मरीज की सर्जरी की गई। सर्जरी के दौरान पाया गया कि मरीज की बच्चेदानी नीचे से पूरी तरह से खराब हो चुकी थी और खुली हुई थी। मरीज और परिजनों को पहले से ही जानकारी दे दी गई थी कि दो बार सिजेरियन के कारण बच्चेदानी पर प्रभाव हुआ है, अगर जरूरत पड़ी तो निकाला जा सकता है। परिजनों द्वारा स्वीकृति दिए जाने के बाद सर्जरी के दौरान दूरबीन द्वारा बच्चेदानी और पेशाब की थैली को अलग-अलग कर दिया गया। बच्चेदानी को निकालकर इस रास्ते को बंद कर दिया गया। पेशाब की थैली को दूरबीन द्वारा रिपेयर किया गया। यह सर्जरी डाॅ. विकास अग्रवाल और डाॅ. प्रवीन पुष्कर की टीम ने मिलकर सफलतापूर्वक सर्जरी की। 

डाॅ. विकास ने कहा कि यह एक बेहद जटिल सर्जरी थी। महिला के दो सिजेरियन हो चुके थे। यह सर्जरी 4घंटे तक चली। इस सर्जरी के बाद महिला को पेशाब लीक होने की समस्या से निजात मिल गई। अब सुनीता पूरी तरह से स्वस्थ है।  

Thursday 29 March 2018

एशियन अस्पताल के डाॅक्टरों ने 10 वर्षीय आंचल की टांग को कटने से बचाया

एशियन अस्पताल के डाॅक्टरों ने 10 वर्षीय आंचल की टांग को कटने से बचाया

Faridabad: 30 मार्च 2018। ग्ररूग्राम की रहने वाली 10 वर्षीय आंचल पांचवी कक्षा की छात्रा है। एक साल पहले उसके पैर में अचानक से दर्द शुरू हुआ और उसे चलने-फिरने व उठने-बैठने में दिक्कत होने लगी। ऐसे में उसे स्कूल जाने व अन्य काम करने में भी परेशानी उठानी पड़ रही थी। आंचल के पजिनों ने उसे विभिन्न अस्पतालों में दिखाया, लेकिन उसे किसी प्रकार का आराम नहीं मिला। ऐसे में समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी। इसके अलावा पैर में सूजन भी हो रही थी। 

डॉक्टर ने पैर की बढ़ती सूजन को देखकर पैर का एक्स-रे कराने की सलाह दी। एक्स-रे की रिपोर्ट से पता चला कि आंचल के पैर की सूजन का कारण कैंसर है। डॉक्टरों ने बताया कि यह कैंसर तो पहले से ही आंचल के पैर की दो अलग-अलग जांघ (Femur) और घुटने से नीचे (Tibia) की हड्डियों में था, लेकिन दर्द के कारण यह उजागर हो गया। आंचल और उसके घरवालों ने कभी  सोचा भी नहीं था कि पैर का यह दर्द उन्हें भयंकर बीमारी से रूबरू कराएगा। एक परिचित की सलाह पर बच्ची को फरीदाबाद स्थित एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज अस्पताल एवं कैंसर सेंटर में लेकर आए।

एशियन अस्पताल पहुंचने पर सबसे पहले बच्ची की रिपोर्ट और स्थिति देखकर बच्ची की बायोप्सी, एक्स-रे, एमआरआई और पेट स्कैन द्वारा जांच की गई। जांच करने पर बच्ची की टांग में ऑस्टीयोसारकोमा नाम का कैंसर पाया गया।  जो 10 से 20 वर्ष की उम्र में होता है। ये कैंसर जल्दी फैलता है। इसलिए डॉक्टरों ने फैंसला किया कि सबसे पहले कीमोथैरेपी दी जाए ताकि कैंसर बच्ची के शरीर के बाकी हिस्सों को प्रभावित न कर सके। इसके अलावा कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करती है। कीमोथैरेपी से गांठ का आकार छोटा होता गया 

जिससे ट्यूमर को छेड़े बिना बच्ची कीे टांग बचाने की सर्जरी संभव हो पाई।
एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट और हैड ऑर्थेपेडिक्स डॉ. कमल बचानी ने बताया कि आंचल को जानलेवा कैंसर था जोकि हड्डियों से शुरू होकर पूरे शरीर में फैल जाता है और इससे ग्रसित 20 से 30 प्रतिशत मरीज केवल 5 वर्ष तक ही जीवित रहते हैं। उन्होंने बताया कि बच्ची कीे टांग से कैंसर की गांठ निकालना अनिवार्य था। इसके अलावा हमने ऑपरेशन के दौरान इस बात को ध्यान में रखा की बच्ची अभी बहुत छोटी है। आगे उम्र के साथ बच्ची के पैर की लंबाई भी बढ़ेगी। एक ऐसा आॅपरेशन जिसमें एक्सपेंडेबल ट्यूमर लगाया गया ;स्पेशल ऑर्डर पर बनवाया गयाद्ध और पांच घटे तक चली बच्ची के घुटने की सर्जरी के दौरान बच्ची के घुटने से जांघ के बीच से निकाली गई ट्यूमर वाली हड्डी व घुटने के जोड़ की जगह पर लगाया गया। इस एक्सपेंडेबल ट्यूमर प्रोस्थेसिस में एक ऐसा स्क्रू लगा होता है जिसके जरिए इम्प्लांट की लंबाई बच्ची के दूसरे पैर की लंबाई के बराबर बढ़ाया जा सके।

एक्सपेंडेबल ट्यूमर प्रोस्थेसिस क्या हैः यह एक ऐसी डिवाइज है जिसे मरीज के शरीर के क्षतिग्रस्त हड्डी की जगह लगाया जाता है। जो छतरी की स्टिक की तरह छोटी और बड़ी हो सकती है, यानि मरीज लंबाई के मुताबिक इस इम्प्लांट की लंबाई को भी बढ़ाया जा सकता है। सर्जरी के दौरान मरीज को हर साल इसकी लंबाई को बढ़ावाना होता है। यह इम्प्लांट मरीज की कद-काठी के अनुसार ऑर्डर देकर बनवाई जाती है। इस तरह के मोडिफाइड इम्प्लांट कठिन घुटना प्रत्यारोपण जैसे इंफेक्शन मंे कारगर सिद्ध हुए हैं।

डॉ. बचानी का कहना है कि यह तकनीक पैर के कैंसर के मरीजों के लिए एक वरदान है क्योंकि पहले पैर के कैंसर होने की स्थिति में डॉक्टर मरीज की जान बचाने के लिए पैर काट दिया करते थे, लेकिन इस तकनीक की मदद से मरीज को अपंग होने से बचाया जा सकता है। यह सर्जरी एशियन अस्पताल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी डायरेक्टर डॉ. प्रवीन कुमार बंसल और सीनीयर कंस्लटेंट और एचओडी एनेस्थीसिया एवं ओटी डॉ. दिवेश अरोड़ा की निगरानी में की गई। 
जीवा आयुर्वेद के नए क्लीनिक को मिलाकर दिल्ली में कुल 12 क्लीनिक

जीवा आयुर्वेद के नए क्लीनिक को मिलाकर दिल्ली में कुल 12 क्लीनिक


नई दिल्ली, 30  मार्च, 2018: प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य और जीवा आयुर्वेद के निदेशक डॉ. प्रताप चौहान ने आसानी से विश्वनीय आयुर्वेदिक उपचार और औषधियां उपलब्ध कराने के लिए आज शालीमार बाग में एक नया क्लीनिक शुरू किया। इसके शुभारंभ के अवसर पर डॉ. प्रताप चौहान ने क्लीनिक में मरीजों को व्यक्तिगत परामर्श प्रदान किया।

जीवा आयुर्वेद अभी 15 लाख लोगों तक पहुंचता है और इसके आगामी क्लीनिकों के शुरू होने से अब जल्द ही 20 लाख लोगों तक इसके पहुंचने की उम्मीद है। नए क्लीनिक का उद्देश्य शालीमार बाग, अशोक नगर और इसके आसपास के क्षेत्र के लोगों को आयुर्वेदिक चिकित्सा की सुविधाएं उपलब्ध कराना है। जीवा आयुर्वेद के पहले से ही रोहिणी और पीतमपुरा में क्लीनिक हैं। नया क्लीनिक जीवा आयुर्वेद के मौजूदा उत्तर दिल्ली के क्लीनिकों की सेवाओं में भी योगदान करेगा।

इसके शुभारंभ के अवसर पर जीवा आयुर्वेद के निदेशक डॉ. प्रताप चौहान ने कहा, ‘‘आयुर्वेद सार्वभौमिक है। दुनिया भर के सभी मनुष्य एक समान हैं और आयुर्वेद राष्ट्रीयता या जाति से परे बहुत कम कीमत पर किसी भी व्यक्ति को ठीक कर सकती है। आयुर्वेद ‘सर्वे भवंतु निरामया’ की फि लास्फ ी में विश्वास करता है और इसे ध्यान में रखते हुए जीवा आयुर्वेद टेली कंसल्टेशन, टेलीविजन कार्यक्रमों और हमारे क्लीनिक नेटवर्क के माध्यम से पूरे भारत में लाखों लोगों तक पहुंचता है। हम न केवल मरीजों का इलाज कर रहे हैं बल्कि ज्ञान का प्रसार भी कर रहे हैं, जिससे लोग रोग से बच सकते हैं और बीमारियों से दूर रह सकते हैं।’’

वर्षों से जीवा आयुर्वेद अपने प्राचीन सिद्धांतों को कायम रखते हुए आयुर्वेद को तकनीकी नवाचारों के साथ सशक्त बनाता रहा है। जीवा का आयुनीक इन्हीं नवाचारों में से एक है। आयुनीक जीवा आयुर्वेद द्वारा पेश किया गया एक विशिष्ट दृष्टिकोण है जो आयुर्वेदिक डॉक्टरों को रोगियों में प्रभावी ढंग से रोग का पता लगाने और उपचार करने में सशक्त करता है। यह पारंपरिक आयुर्वेद, आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान और निष्कर्षों का सबसे अच्छा मिश्रण है। तकनीकी ज्ञान का सहजता से इस्तेमाल करते हुए, आयुनीक संपूर्ण व्यक्तिगत उपचार और देखभाल प्रदान करता है।

शालीमार बाग के नए क्लिनिक में दो चिकित्सक कक्ष होंगे। इस तरह एक ही छत के नीचे, रोगी व्यक्तिगत उपचार, दवाइयां और जीवा आयुर्वेद के विभिन्न वेलनेस उत्पादों को प्राप्त कर सकेंगे। ये सेवाएं सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक उपलब्ध होंगी और यह क्लीनिक सप्ताह के सभी सातों दिन खुला रहेगा। मरीजों की संख्या के आधार पर और जरूरत के अनुसार, जीवा आयुर्वेद इलाज करने वाले और इलाज के बजाय किसी अन्य कार्य में शामिल कर्मचारियों की संख्या को बढ़ाएगा।



Sunday 25 March 2018

हरियाणा के सीएम ने एशियन अस्पताल की कैंसर मोबाइल वैन का उद्घाटन किया

हरियाणा के सीएम ने एशियन अस्पताल की कैंसर मोबाइल वैन का उद्घाटन किया

फरीदाबाद  25 मार्च 2018। फरीदाबाद सेक्टर-21ए स्थित एशियन अस्पताल ने कैंसर मरीजों की जांच के लिए तैयार कैंसर मोबाइल वैन का उद्घाटन हरियाणा के माननीय मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर जी के करकमलों द्वारा किया गया। इस दौरान एशियन अस्पताल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डाॅ. एन.के पांडे उनकी अर्धांगिनी श्रीमति पद्मा पांडे, डाॅ. अनिल जैन राज्यसभा सांसद, उद्योग मंत्री विपुल गोयल, विधायक सीमा त्रिखा, महापौर सुमन बाला, पुलिस कमिशनर अमिताभ ढ़िल्लो, नगर निगम कमिशनर मोहम्मद शाइन, एशियन अस्पताल की ओर से डाॅ. प्रशांत पांडे, श्री अनुपम पांडे, नेहा पांडे, डाॅ. स्मृति पांडे, डाॅ. रमेश चांदना, डाॅ. हिलाल अहमद, डाॅ. रोहित नैय्यर,, डाॅ. पी.एस आहुजा, डाॅ. प्रवीन कुमार बंसल, डाॅ. सुब्रत अखौरी, डाॅ. रितेश शर्मा, डाॅ. अनीता कांत, डाॅ. अरविंद गुप्ता, डाॅ. दिवेश अरोड़ा डाॅ डी.के. केसर, डाॅ. नीतू सिंघल, डाॅ. उमा रानी शैलेश झां आदि अस्पताल के सभी सदस्य मौजूद रहे।

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिससे भारत में हर छह में से एक व्यक्ति जूझ रहा है। यह भयावह बीमारी परिवार को मानसिक व आर्थिक रूप से त्रस्त कर देती है, क्योंकि जब तक इस बीमारी का पता चलता है तब तक इसका इलाज असंभव हो जाता है। स्तन व बच्चेदानी में होने वाला कैंसर हमारे देश में महिलाओं में आमतौर पर होने वाला कैंसर है, वहीं पुरूषों में फेफड़े, मुंह, व गले का कैंसर ज्यादा पाया जाता है कारण गुटखा, बीडी व तंबाकू का सेवन है।

इन बीमारियों का समय रहते पता चल जाए तो इलाज संभव है किंतु लोगों में शर्म व तरह-तरह की भ्रांतियों के कारण लोग शुरूआती जांच के लिए अस्पताल नहीं जाते और यही कारण है कि कैंसर तीसरी व चैथी स्टेज पर पहंुचकर इलाज को असंभव बना देता है। 

इस अवसर पर एशियन अस्पताल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डाॅ. एन.के पांडे ने कहा क़ि एशियन अस्पताल ने कैसर मरीजों के इलाज को आसान बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों से लैस एक कैंसर मोबाइल वैन तैयार की हैं। एशियन द्वारा बनाई गई इस कैंसर वैन का मकसद गांव व अन्य पिछड़े इलाकों में घर-घर जाकर कैंसर की जांच करना है और यह जांच निःशुल्क की जाएगी।  इस मोबाइल वैन में पूरे शरीर का एक्स-रे, मेमोग्राफी, ब्लड एवं स्टूल टेस्ट तथा पैपस्मीयर करने की सुविधा मौजूद हैैै। इस वैन में लगे आधुनिक उपकरण शरीर में पनप रहे कैंसर का शुरूआती स्टेज में पता लगाकर लोगों को बीमारी के बारे में जागरूक एवं कैंसर डिटेक्शन में मदद करेगी। इस वैन में महिला डाॅक्टर, तकनीशियन और रेडियोलाॅजिस्ट मौजूद रहेंगे, जो लोगों को कैंसर के प्रति जागरूक करेंगे। 

यह वैन हरियाणा खासकर फरीदाबाद और राजस्थान के गांवों में जाकर कैंसर की शुरूआती जांच करेगी। हमें खुशी है कि हम देश में तेजी से फैल रही इस भयावह बीमारी की रोकथाम में एक महत्वपूर्ण कदम ले रहे हैं।

Sunday 18 March 2018

सर्वश्रेष्ठ किडनी स्टोन्स होम्योपैथिक उपचार

सर्वश्रेष्ठ किडनी स्टोन्स होम्योपैथिक उपचार

फरीदाबाद 19 मार्च।  होम्योपैथिक किडनी स्टोन उपचार प्रोटोकॉल में क्लासिकली होम्योपैथिक चिकित्सा चयन का प्रयोग किया जाता है जिसमें कुछ स्वाभाविक रूप से माइक्रो-मिनरल आधारित होमियोपैथिक मदर टिंचर होते हैं, जो कि सबसे हठ रीनल रॉक स्टोन को तोड़ने के लिए भी उपयोग किया जाता है।

गुर्दा की पथरी को तोड़ने के लिए, होम्योपैथी प्रकृति की शक्ति का इस्तेमाल करती है। विभिन्न होम्योपैथिक मदर टिंचर जैसे फ़िलेंथस निरूरी, सिकोरीयम इंटीबुस, बोहेराविया डिफुसा, बरबेरीस वुल्गारिस आदि हैं।

होम्योपैथिक दवा जो कि होम्योपैथिक उपचार में गुर्दे की पथरी के लिए उपयोग की जाती है नीचे वर्णित है -
1. Lycopodium
2. Tabaccum
3. Urticaurens
4. Sarsaparilla
5. Cantharis
गुर्दे की पथरी तोड़ने के लिए लक्षणों के अनुसार इन होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग कर सकते हैं। होम्योपैथी उपचार विशुद्ध रूप से प्राकृतिक है और बिना साइड इफेक्ट है।
उपरोक्त औषधि का उपयोग मदर टिंचर के साथ किया जा सकता है साथ में बहुत सारे पानी का सेवन किया जा सकता है।
 1.      Berberis vul
 2.      Phyllanthus niruri
 3.      Cichorium Intybus
 4.      Boerhavia diffusa
 5.      Berginea linguilata
इन सभी 5 होम्योपैथिक टिंचर गुर्दे की पथरी के लिए बहुत प्रभावी दवाइयां हैं। हालांकि विभिन्न कंपनियों के कई होम्योपैथिक दवाइयां हैं, लेकिन मैं अपने रोगियों में इन उपायों का उपयोग कर रहा हूं और उन्हें बहुत सफल पाया।

गुर्दे की पथरी के लिए जोखिम कारक क्या हैं?
• प्रोटीन, कैल्शियम या ऑक्सलेट में समृद्ध आहार
• कम पानी का सेवन
यूटीआई के प्रारंभिक इतिहास - प्राकृतिक पथ संक्रमण
• मोटापा
गुर्दे के पत्थरों का पारिवारिक इतिहास
• सिस्टिनुरिया

गुर्दा पत्थर क्या हैं?
गुर्दा की पथरी छोटे, कठोर द्रव्यमान हैं जो गुर्दे के भीतर बनाई जाती हैं।

गुर्दा पत्थरों के लक्षण क्या हैं?
गुर्दे की पथरी पर कोई लक्षण नहीं होते हैं। दूसरी बार, वे मूत्र और / या तरफ या पीठ में गंभीर दर्द का कारण बनते हैं। जब गुर्दा की पथरी बड़ी होती है या एक से अधिक होती है, तो वे मूत्र के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकते हैं।

गुर्दे की पथरी के प्रकार -

मुख्य रूप से 4 प्रकार की गुर्दा की पथरी होती है
 कैल्शियम स्टोन्स: जो लोग इस प्रकार के पत्थर के रूप में बनाते हैं उनके मुंह में कैल्शियम, ऑक्सलेट, या पेशाब में बहुत ज्यादा या साइट्रेट पर्याप्त नहीं है। आहार में नमक की उच्च मात्रा में खपत मूत्र में कैल्शियम के उच्च स्तर की ओर जाता है। कुछ रोगियों में पैराथामोन की अधिक मात्रा में गुर्दे की पथरी होगी, जो कैल्शियम नियंत्रित हार्मोन है। लोग मिथक के साथ हमारे पास आते हैं कि दूध पीना गुर्दे के पत्थरों का कारण हो सकता है जो गलत है। दूध पीने से डॉ। अभिषेक के अनुसार गुर्दे की पथरी नहीं होती है। हालांकि कम पानी पीने से गुर्दे की पथरी का वास्तविक कारण होता है।

स्ट्रावेट स्टोन्स: क्रोनिक जीवाणु मूत्र संक्रमण आमतौर पर इन पत्थरों का कारण बनता है। बैक्टीरियल मूत्र संक्रमण मूत्र के परिणाम के रासायनिक परिवर्तन की ओर जाता है, स्ट्रल्वइट प्रकार के गुर्दे के पत्थर के रूप में। कठोरता के कारण इन पत्थरों को तोड़ना मुश्किल है होम्योपैथिक उपचार जैसे कैंटेरिस और बरबेरीस वूल ऐसे किडनी पत्थरों को तोड़ने के लिए प्रभावी हैं
यूरिक एसिड स्टोन्स: इस तरह के पत्थर के रूप तब होते हैं जब मूत्र बहुत अम्लीय होता है, जिससे अत्यधिक यूरिक एसिड उत्पादन होता है। उच्च प्रोटीन आहार से बचें, पानी की बहुत सारी रोज़ का सेवन करें

सिस्टीन स्टोन्स: ये उन व्यक्तियों में पाए जाते हैं जिनके पास सिस्टीन पत्थर का पारिवारिक इतिहास है शरीर रक्त से सिस्टीन के रसायन को साफ करने में सक्षम नहीं है।


किडनी स्टोन्स शरीर को कैसे छोड़ देते हैं?

कई मामलों में, एक व्यक्ति मूत्र के माध्यम से पत्थर को पारित करेगा यह एक दर्दनाक प्रक्रिया हो सकती है, और इसमें कुछ दिन लग सकते हैं।

आप गुर्दा की पथरी कैसे रोक सकते हैं?

अधिक तरल पदार्थों का सेवन करें: बहुत सारे पानी पीने से प्रति दिन 10-12 ग्लास तरल की सिफारिश की जाती है। पानी और तरल पदार्थ की अधिक मात्रा में मूत्र पतला रखने में मदद मिलती है - जिससे मूत्र में खनिजों के पत्थर बनाने की एकाग्रता कम हो जाती है।

नमक की मात्रा को कम करें जो आपको खाती है: आहार में नमक (सोडियम) को कम करने से मूत्र में कैल्शियम की मात्रा कम हो जाती है जिससे कैल्शियम पत्थर के गठन की प्रवृत्ति कम हो जाती है। डॉ। अभिषेक आहार में कम नमक का सुझाव देते हैं और साथ ही नमकीन नमकीन, प्रसंस्कृत मीट, कैन्ड नूडल्स, चावल, और सूप्स जैसे उच्च सोडियम खाद्य पदार्थों से बचने से बचते हैं।

आहार कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा में समृद्ध होना चाहिए: अन्य मिथक कैल्शियम को कैल्शियम किडनी पत्थरों से पीड़ित रोगियों के आहार में प्रतिबंधित होना चाहिए।


किडनी स्टोन में निम्नलिखित खाद्य से बचें

• Anchovies
• एस्परैगस
• बोउलोन
• जामुन
• बोउलोन
• शोरबा
• चॉकलेट
• कैवियार
• हिलसा
• मूंगफली
• एक प्रकार का फल
• ग्रीन्स
• अंग मांस, यकृत, गुर्दे, दिमाग
• मांस
• स्कैलप्प्स
• चाय
• शंबुक

रेनाल पत्थर के लिए निदान परीक्षण
अल्ट्रासाउंड
• एक्सरे क्यूब
• अंतःशिरा पीललोग्राम
• कुब के सीटी स्कैन - मूत्रमार्ग मूत्राशय

आरा होम्योपैथिक उपचार के लिए गुर्दा की पथरी में हर्बल होम्योपैथिक उपचार और माँ टिंचर के संयोजन का उपयोग किया जाता है जो कि सबसे जिद्दी गुर्दा की पत्थरों को तोड़ने के लिए उपयोग किया जाता है।

कोई भी होम्योपैथी चिकित्सा का उपयोग गुर्दा की पथरी तोड़ सकता है। होम्योपैथिक उपचार किसी भी दुष्प्रभाव के बिना विशुद्ध रूप से प्राकृतिक है।

Friday 16 March 2018

एशियन ने खोला झारखंड के धनबाद में अस्पताल

एशियन ने खोला झारखंड के धनबाद में अस्पताल

झारखंड : 16 मार्च 2018। धनबाद स्थित एशियन द्वार का दास जालान सुपर स्पेश्यालिटी अस्पताल का उद्घाटन झारखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास जी के करकमलों द्वारा किया गया। इस दौरान एशियन अस्पताल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डाॅ. एन.के पांडे उनकी अर्धांगिनी श्रीमति पद्मा पांडे, डाॅ. प्रशांत पांडे, श्री अनुपम पांडे, डाॅ. पी.एस आहुजा,डाॅ. रमेश चांदना, डाॅ. हिलाल अहमद, डाॅ.मृणाल शर्मा, डाॅ. रोहित नैय्यर, डाॅ. सुब्रत अखौरी, शैलेश झां, एशियन द्वारकादास जालान सुपरस्पेश्यालिटी अस्पताल के ट्रस्टी बी.पी. डालमिया चेयरमैन, राजीव शर्मा सेक्रेटरी जीवन रेखा ट्रस्ट, केशव हरोड़िया और संजीव अग्रवाल आदि अस्पताल के अन्य सदस्य भी मौजूद रहे।

एशियन द्वारकादास जालान सुपरस्पेश्यालिटी अस्पताल इस दौर का ऐसा आधुनिक अस्पताल है जहां एक ही छत के नीचे विभिन्न प्रकार के रोगों का इलाज संभव है। इनमें कार्डियोलाॅजी, आॅर्थोपेडिक्स, न्यूरोसर्जरी, यूरोलाॅजी, गैस्ट्रोइंट्रोलाॅजी, प्रसूति एवं स्त्री रोग, बाल रोग, सामान्य रोग, एडवांस सर्जरी, कान, नाक व गला, दंत चिकित्सा, ब्लड बैंक, क्रिटीकल केयर यूनिट आॅपरेशन थियेटर्स, इमेजिंग, रेडियोलाॅजी, पैथोलाॅजी और 24घंटे आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध हैं और यहां जल्दी ही पूर्णतः कैंसर सुविधाओं की भी शुरूआत की जाएगी। इसके साथ ही तैयार किए गए अस्पताल को 150 बैड से बढ़ाकर एक नई इमारत का निर्माण कर उसे 300 बैड का किया जाएगा। 

इस अवसर पर डाॅ. पांडे ने कहा कि धनबाद में अस्पताल बनाना मेरे लिए घर वापसी जैसा है। मैं बिहार के छपरा का रहने वाला हूं और धनबाद में मैने हाई स्कूल की पढ़ाई की है। दिल्ली में अस्पताल बनाने के बाद मेरा सपना था कि मैं अपने मूल स्थान पर लोगांे को दिल्ली के मुकाबले की स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करूं और मुझे खुशी है कि मुझे ऐसा करने का मौका मिला।

किसी भी अस्पताल की रीढ़ की हड्डी वहां के डाॅक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ होता है। हमारी कोशिश है कि हम धनबाद में जल्द ही पैरामेडिकल कोर्सिज़ की शुरूआत करें, जिससे 12वीं के बाद बच्चे दो साल का डिप्लोमा कर लैब टेक्नीशियन, ओटी टेक्नीशियन, रेडियोलाॅजी टेक्नीशियन, डायलिसिस टेक्नीशियन, डेंटल टेक्नीशियन व अन्य टेक्नीकल कोर्स करके अच्छी नौकरी प्राप्त कर सकते हैं। 

डाॅ. पांडे ने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि इस अस्पताल से हम तकरीबन 1500 लोगों को रोजगार की सुविधा प्रदान करेंगे। मेरा सपना है कि हम यहां एक नर्सिंग काॅलेज की भी शुरूआत करें, जिससे हम धनबाद में एक संपूर्ण स्वास्थ्य कंेद्र तैयार कर सकें। अभी तक लोगों को गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए रांची, जमशेदपुर व कोलकाता जाना पड़ता था, लेकिन अब उन्हें कहीं और जाने की जरूरत नहीं पडे़गी। यह अस्पताल 100 से 150 किलोमीटर के दायरे में संपूर्ण स्वास्थ्य चिकित्साएं मुहैया कराएगा। 

उन्होंने यह भी कहा कि हमारा लक्ष्य केवल यहीं तक नहीं है हमारी कोशिश है कि हम झारखंड की राजधानी रांची में 400 से 500 बेड का सुपरस्पेश्यालिटी अस्पताल लेकर आएं। वहां भी हम सभी तरीके के पैरामेडिकल कोर्सिज़ व नर्सिंग काॅलेज की शुरूआत करेंगे।

Sunday 11 March 2018

एनएमसी बिल के विरोध में डाक्टरों और मेडिकल छात्रों ने निकाली साईकिल रैली

एनएमसी बिल के विरोध में डाक्टरों और मेडिकल छात्रों ने निकाली साईकिल रैली


फरीदाबाद : 11 मार्च । फरीदाबाद ईएसआई मेडिकल कालेज से आईएमए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के द्वारा एनएमसी बिल के विरोध में साइकिल रैली निकली गई। इस साइकिल रैली में शहर के सैंकड़ों डॉक्टर और मेडिकल छात्र शामिल हुए।डा. पुनीता हसीजा, प्रधान आईएमए। 

 यह रैली मेडिकल कालेज से बीके चौक  होते हुए नीलम चौक तक निकाली, शहर में साइकिल रैली के माध्यम से एनएमसी यानी कि नेशनल मेडिकल कमीशन बिल का विरोध किया गया और इस बिल के संबंध में जनता को भी जागरूक किया। डॉक्टरों ने दवा किया कि एनएमसी बिल आने से डॉक्टर और जनता का होगा बहुत बड़ा नुकसान होगा। यह रैली फरीदबााद में ही नहीं देश की 1722 ब्रांचों पर भी निकाली जा रही है। डाक्टरों ने बताया कि आईएमए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रधान रवि 25 मार्च को  एनएमसी यानी कि नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में दिल्ली में महापंचायत करेंगे।

 पिछले लंबे अर्से से निजी अस्पताल और उनमें काम करने वाले डाक्टर एनएमसी यानी कि नेशनल मेडिकल कमीशन बिल का पूरे देश में विरोध कर रहे है, इसी कडी में आज फरीदाबाद में आईएमए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के द्वारा एनएमसी बिल के विरोध में साइकिल रैली निकली गई। रैली में सैंकडों डाक्टर हाथें में तख्ती पोस्टर लेकर एन एम सी बिल का विरोध करते हुए सडकों पर उतरे और लोगो को इस बिल के विरोध में जागरूक किया। जागरूकता साईकिल रैली को ईएसआई मेडिकल कालेज से निकला गया जिसने पूरे शहर में एनएमसी बिल का विरोध किया। 

फरीदाबाद आईएमए के पूर्व प्रधान सुरेश अरोडा ने बताया कि उन्होंने आज साईकिल रैली के माध्यम से पूरे शहर को एनएमसी बिल के लिये जागरूक किया है क्योंकि एनएमसी बिल पास होने से न केवल डाक्टरों के पेशे को भारी नुक्सान होगा बल्कि पूरे देश की जनता को भी बहुत बडा नुक्सान झेलना पडेगा। इसलिये आज साइकिल रैली में डाक्टर ही नहीं बल्कि मेडिकल छात्र भी शामिल हुए हैं क्योंकि डाक्टरी क्षेत्र में आने वाले भविष्य मेडिकल छात्र हैं जिन्हें बहुत बडा नुक्सान होगा, इसलिये पूरे देश की 1722 ब्रांचों से यह रैली निकाली जा रही है जो कि 25 मार्च को दिल्ली पहुंचेगी और वहां आईएमए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रधान रवि 25 मार्च को  एनएमसी यानी कि नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में  महापंचायत करेंगे।


 डा. सुरेश अरोडा, आईएमए पूर्व प्रधान फरीदाबाद।


Saturday 10 March 2018

सर्वोदय हॉस्पिटल देगा अब कैंसर को मुंहतोड़ जवाब

सर्वोदय हॉस्पिटल देगा अब कैंसर को मुंहतोड़ जवाब

फरीदाबाद 10  मार्च।  सर्वोदय अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर अपने नाम को सार्थक करते हुए मेडिकल अनुसंधान और रिसर्च के लिए कार्य करता रहता है जिसका वर्तमान उदाहरण 10 -11  मार्च को ब्रैस्ट कैंसर फाउंडेशन-  इंडिया की वार्षिक कांफ्रेंस की मेजबानी करना था | ज्ञात हो कि सर्वोदय अस्पताल में कैंसर के लिए विश्वस्तरीय तकनीकी सुविधा के साथ शहर की सबसे अनुभवी कैंसर विज्ञान की टीम है जो डॉ. सुमंत गुप्ता के दिशानिर्देश पर कार्य कर रही है 
इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए ब्रैस्ट कैंसर फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया की कार्यकारिणी कमेटी ने इस वर्ष की वार्षिक कांफ्रेंस सर्वोदय हॉस्पिटल के साथ होना निर्धारित किया था | 

सर्वोदय अस्पताल के वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. सुमंत गुप्ता ने बताया  कि कांफ्रेंस में भारत के प्रसिद्ध स्तन कैंसर विशेषज्ञों के साथ हमारी कैंसर विशेषज्ञों की टीम ने "स्तन कैंसर के प्रारंभिक निदान और उपचार" विषय और इसके लिए नई रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया | डॉ. गुप्ता ने आगे जोड़ते हुए बताया कि इस कांफ्रेंस में 800 से अधिक दुनिया भर से आये कैंसर विशेषज्ञों ने शिरकत की | 

जिसमें 6 पदमश्री और 2 पदमभूषण डॉक्टरों ने भी अपनी उपस्थति दर्ज कराई | सर्वोदय अस्पताल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवम् वत्सल ने हुए बताया कि भारत में स्तन कैंसर शहर में सबसे अधिक और गांव में दूसरा सबसे ज़्यादा होने वाले कैंसरों में से एक है और स्तन कैंसर पर विशेषकर भारत में चर्चा करना सराहा नहीं जाता है और आखिरी दशक से ब्रैस्ट कैंसर के मरीजों में बहुत तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है क्यूंकि इंडियन मेडिकल काउंसिल और रिसर्च के अनुसार वर्ष 2016 में डेढ़ लाख नए कैंसर के मरीज पाये गए | डॉ. वत्सल ने आगे जोड़ते हुए बताया कि इस दो दिवसीय कांफ्रेंस में पहला दिन ब्रैस्ट कैंसर के कारण, निदान और उपचार विषय पर गंभीर चर्चा के नाम रहा जिसमें कांफ्रेंस को 5 सत्रों में बाँटा गया था जिसके माध्यम से इस जानलेवा बीमारी को विस्तार से समझा और रोका जा सके इसमें साथ ही कैंसर विज्ञान में आयी नई तकनीक, रेडिएशन थेरपि, 

हार्मोन थेरेपि और कैंसर  क्षेत्र में आयी नई दवाइयों पर भी चर्चा हुई | इस सम्मेलन का आयोजन स्तन कैंसर के खिलाफ लड़ाई को उच्च स्तर तक ले जाने और शहर को एकजुट करने के लिए  किया गया था ताकि स्तन कैंसर पर सार्वजनिक रूप से चर्चा करने की चुप्पी और शर्म को तोड़ा जा सकें। कांफ्रेंस का समापन 11 मार्च को मानव रचना एजुकेशनल इंस्टीटूशन्स  के सहयोग से, मानव रचना एजुकेशनल इंस्टीटूशन्स के प्रांगण में  "द पिंक रिबन ऑर्ट फेस्टिवल" का आयोजन करके किया जाएगा जिसमे एक पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया
जाएगा - जहां कला का उपयोग स्तन कैंसर के बारे में बातचीत शुरू करने के एक माध्यम के रूप में किया जाएगा। जहाँ एक साथ दिल्ली - एन० सी० आर० के लगभग 1500 लोग ब्रैस्ट कैंसर जागरूकता और नारी सशक्तिकरण के लिए चित्रकारी करेंगे  और ब्रैस्ट कैंसर और उससे जुडी सभी जानकारियों को प्राप्त करेंगे इसका मुख्य उद्देश्य समाज में इस कैंसर के प्रति सजगता विकसित हो सके |


सर्वोदय अस्पताल के चेयरमैन डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया कि सर्वोदय  अस्पताल एक स्वस्थ समाज बनाने के लिए प्रतिबद्ध है जिसमें महिलाओं को केंद्र में रखकर समय- समय पर सर्वोदय अस्पताल महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाये रखने के लिए कार्य करता रहता है इसी दिशा में सर्वोदय अस्पताल पूरे मार्च माह में महिलाओं के स्तन कैंसर की जाँच के लिए मात्र 1 रूपये में मेमोग्राफी की सुविधा दे रहा है | हमें पूरा भरोसा है कि सर्वोदय अस्पताल की यह कोशिश महिलाओं की झिझक को ख़त्म करके उन्हें स्तन कैंसर की जाँच के लिए प्रोत्साहित करेगी | जिससे स्तन कैंसर का समय रहते पता लगाया जा सके और इसका उपयुक्त ईलाज करवाया जा सके |

Friday 9 March 2018

 एशियन अस्पताल में किडनी रोगियों को किया लोट-पोट

एशियन अस्पताल में किडनी रोगियों को किया लोट-पोट

फरीदाबाद 9 मार्च।  एशियन अस्पताल में हो रहे विश्व किडनी दिवस और महिला दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस मौके पर आर.जे रौनक (बउआ 93.5 RED FM) ने अस्पताल में शिरकत की। अस्पताल के डायरेक्टर पद्मश्री डॉ. एन.के पांडे श्रीमति पदमा पांडे, श्री अनुपम पांडे, नेहा पांडे, डॉ. प्रशांत पांडे, डाॅ. पी.एस आहुजा, डाॅ. रितेश शर्मा और डाॅ.बी.के उपध्याय ने दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस मौके पर अस्पताल द्वारा अस्पताल में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए फ्री वाई-फाई सुविधा का भी अनावरण किया गया।

कार्यक्रम का मंच संचालन करते हुए बउआ ने किडनी रोग से जूझ रहे लोगों और किडनी रोग को मात देकर जिंदगी में आगे बढने वाले लोगों को खुशहाल जीवन जीने का संदेश दिया और उन्हें अपनी लक्ष्य को सफलतापूर्वक हांसिल करने के लिए प्रोत्साहित किया। किडनी दिवस के अवसर पर एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अस्पताल ने लोगों को कार्यक्रम के माध्यम से जागरुक किया। 

रौनक ने किडनी रोगियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि एशियन अस्पताल में आकर मुझे बहुत अच्छा लगा। किडनी हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है, लेकिन इसके खराब होने या  इसमें किसी प्रकार की कमी आ जाने का यह मतलब नहीं होता कि हमारी जिंदगी यहीं खत्म हो गई है। डायलासिस एक माध्यम है जिससे जिंदगी को जिया जा सकता है। आज मै यहां आया हँू आप लोगों के बीच आकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। किडनी रोग से जूझ रहे लोग और किडनी रोग को मात देकर जिंदगी में आगे बढने वाले लोग खुशहाल जीवन जी सकते हैं। यहां आकर मुझे कई ऐसे उदाहरण भी जानने को मिले जिनसे मुझे प्रेरणा मिलती है। साथ ही उन्होंने अपनी हास्यस्पद बातों से लोगों का दिल बहलाया।

इस मौके पर एशियन अस्पताल के गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. रितेश शर्मा और डॉ बी.के उपाध्याय ने लोगों को किडनी रोग से लडने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि सही खानपान और नियमित डॉक्टरी जांच के द्वारा ही किडनी रोग से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि किडनी रोग से डरने की नहीं बल्कि उसे लडने की जरूरत है। मरीज डायलासिस कराते हुए और किडनी ट्रांसप्लांट के बाद भी एक आम व्यक्ति की तरह जीवन व्यतीत कर सकता है। नेफ्रालोजिस्ट डॉ.बी.के उपाध्याय का कहना है कि किडनी रोगियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और इस पर नियंत्रण रखने के लिए मरीजों का फॉलोअप होना जरूरी होता है।

इस कार्यक्रम के दौरान किडनी रोग से पीड़ित रोगियों और किडनी ट्रांसप्लांट करा चुके लोगों ने भी लघु नाटिका, डांस और भंगड़ा आदि के माध्यम से ये बताया कि किस प्रकार खुश रहकर किसी भी प्रकार की बीमारी को मात दी जा सकती है। इस मौके पर किडनी रोगी फरहाना,, वींरांगना, रूपाली, चंद्रकांता, संजय और संजीव आदि ने अपने अनुभव सांझा किए। दो बार किड़नी ट्रांसप्लांट करा चुकी डाॅ. मिनाक्षी ने कहा कि पॉजीटिव एटीट्यूड के साथ ही सफलता हांसिल की जा सकती है। किडनी रोगियों और कार्यशाला के सदस्यों ने गाना गाया और डांस भी किया। कार्यक्रम के दौरान डाॅ. रिषी गुप्ता, डाॅ. सिम्म्ी मनोचा, डाॅ. विकास अग्रवाल, डाॅ. मानव मनचंदा, डाॅ. उमेश कोहली, डाॅ. मृणाल शर्मा, डॉ. जया, डॉ. पंकज आदि अस्पताल के सभी सदस्य मौजूद रहे।

Sunday 4 March 2018

सिविल हस्पताल की बंद पड़ी लिफ्ट में लगी आग - एमरजेंसी वार्ड से मरीजों को बाहर निकाला

सिविल हस्पताल की बंद पड़ी लिफ्ट में लगी आग - एमरजेंसी वार्ड से मरीजों को बाहर निकाला

फरीदाबाद : 4 मार्च । फरीदाबाद के सिविल हस्पताल में आज दोपहर अचानक तीसरी मंजिल पर तेज धुँआ निकलने लगा जांच करने के बाद पता चला की यह आग बंद पड़ी पुरानी लिफ्ट में शॉट  सर्किट की वजह से लगी है आनन - फानन में दमकल विभाग को सूचना दी गयी मौके और पहुंची दमकल की गाडी ने आग पर काबू पाने की कोशिश शुरू कर दी. लेकिन धुँआ तीसरी मंजिल से नीचे ग्राउंड फ्लोर पर एमरजेंसी में फ़ैल गया. जिसके चलते एमरजेंसी में दाखिल मरीजों को वहां से बाहर निकाला गया. हस्प्ताल के डाक्टर ने बताया की यह आग पुरानी लिफ्ट में शॉट  सर्किट के कारण लगी है जिसका धुँआ एमरजेंसी तक पहुंच गया था इसलिए मरीजों को बाहर निकाला गया. उन्होंने बताया की स्तिथि काबू में है. 

वहीँ बाहर निकाले गए मरीज के एक परिजन ने बताया की एमरजेंसी में धुँआ भर गया था जिसके चलते मरीजों को बाहर निकाला गया है.

वहीँ आग पर काबू करने में जुटे दमकल कर्मचारी ने बताया की आग पर काबू पाया जा चुका  है और फिलहाल बिल्डिंग में धुँआ भरा हुआ है. 

शॉट  सर्किट से लगी आग पर दमकल कर्मचारियों के अनुसार काबू पा लिया गया है लेकिन यह हादसा बड़ा रूप भी ले सकता था फिलहाल यह जांच का विषय है की बंद पड़ी लिफ्ट में आखिरकार शॉट  सर्किट से आग क्यों लगी ???

Thursday 22 February 2018

सिविल हॉस्पिटल में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने किया कैथ लैब का शुभारम्भ

सिविल हॉस्पिटल में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने किया कैथ लैब का शुभारम्भ

फरीदाबाद  22 फरवरी, : फरीदाबाद पहुचे स्वस्थ एवं खेल मंत्री अनिल विज ने आज  जिला सिविल हॉस्पिटल में नवनिर्मित कैथलैब और डायलेसिस सेंटर का रिबन काटकर शुभारंभ किया। अब इस कैथ लैब के शुरू हो जाने से हृदय रोगियों को प्राइवेट हॉस्पिटल की तर्ज पर सस्ता इलाज उपलब्ध हो पायेगा। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा की यह हमारे पायलेट प्रोजेक्ट है और जल्दी ही गुरुग्राम ओर पंचकूला में भी कैथलैब का होगा शुभारंभ किया जाएगा। उन्होंने कहा की स्वास्थ्य के क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर हरियाणा देश का पहला राज्य बन चुका  है. इस मौके पर केबिनेट मंत्री विपुल गोयल ओर स्थानीय विधायक भी मौजूद रहे ।

 हृदय रोगियों को स्वास्थ्यमंत्री अनिल विज ने सौगात देते हुए जिला सरकारी हस्पताल में कैथलैब और डायलेसिस सेंटर का रिबन काटकर शुभारम्भ किया। उन्होंने दीप  प्रज्वलित कर इसे स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम बताते हुए कहा की  स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर हरियाणा देश का पहला राज्य बन चुका है. इस मौके पर केबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने उन्हें बूके देकर उनका स्वागत किया। पत्रकारों से बातचीत करते हुए स्वाथ्य मंत्री ने कहा की आज कैथलैब का फरीदाबाद में शुभारम्भ किया गया है और जल्दी ही गुरुग्राम ओर पंचकूला में भी कैथलैब का होगा शुभारंभ किया जाएगा। उन्होंने बताया की  जहाँ प्राइवेट हॉस्पिटलों में डेढ़ से दो लाख के खर्चे पर स्टंट डाला जाता है वह स्टंट यहाँ मात्र 46 हजार रूपये में डाला जाएगा। हालांकि बीपीएल कार्ड धारको को यह स्टंट बिलकुल मुफ्त डाला जाएगा। उन्होंने हरियाणा में इसे क्रांतिकारी कदम बताया।  

अनिल विज - स्वास्थ्य मंत्री 

वीओ : प्रदेश में डाक्टरों की कमी के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा की वैसे तो पूरे देश में डाक्टरों की कमी है लेकिन हरियाणा सरकार ने हाल ही में 554 डाक्टरों की नियुक्तियां की है जिसमे से करीब 350 डॉक्टर्स डियूटी ज्वाइन  कर चुके है. बाकी डॉक्टर्स भी जल्दी ही अपनी डियूटियाँ ज्वाइन कर लेंगे इससे बड़ी राहत मिलेगी। इसके अलावा हमने फैसला किया है की हरियाणा के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस करके डाक्टर बनने वालो को दो साल के लिए हरियाणा में अपनी सेवाएं देनी होंगी। जिसके चलते हमे 800 सरप्लस डॉक्टर्स मिल जाएंगे और डाक्टरों की कमी पूरी तरह से खत्म हो जायेगी।  

अनिल विज - स्वास्थ्य मंत्री     

Tuesday 20 February 2018

22 फरवरी को हृदय रोगियों के लिए कैथलैब का शुभाआरम्भ स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज करेंगे

22 फरवरी को हृदय रोगियों के लिए कैथलैब का शुभाआरम्भ स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज करेंगे

फरीदाबाद 20 फरवरी । फरीदाबाद के सिविल हस्पताल में आगामी 22 फरवरी को हृदय रोगियों के लिए कैथलैब का शुभाआरम्भ स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज करेंगे। जिसके लिए हस्पताल प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है. इस बात की जानकारी  जिला सिविल सर्जन डाक्टर गुलशन अरोड़ा ने आज एक प्रेसवार्ता के ज़रिए दी. इस कैथलैब में हृदय से संबंधित तमाम रोगों का इलाज अब संभव हो पायेगा। सिविल सर्जन के अनुसार सरकारी हस्पताल में हृदय रोगियों को मात्र 48 हजार में स्टंट डाला जा सकेगा। हृदय रोगियों का कहना था की इस सुविधा के बाद अब लगता है की अच्छे दिन आ गए है।  गौरतलब है की प्रदेश में पंचकुला ओर अम्बाला के बाद अब फरीदाबाद में भी हृदय रोगियों का इलाज किया जाएगा और इससे पलवल ओर मेवात के मरीजों को भी लाभ मिलेगा ।

फरीदाबाद के सरकारी हस्पताल के सिविल सर्जन ने प्रेस को जानकारी देते हुए बताया की परसो 22 फ़रवरी को हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज अम्बाला और पंचकुला के बाद प्रदेश की तीसरी कैथलैब का शुभारम्भ करेंगे जिसके लिए तमाम तैयारियां पूरी कर  ली गयी है।  उन्होंने बताया की इस सुविधा से सिर्फ फरीदाबाद के हृदय रोगियों को ही लाभ नहीं होगा बल्कि पलवल और मेवात जिले के हृदय रोगियों को भी  लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया की सरकारी हस्पताल में हृदय रोगियों को मात्र 48 हजार  रूपये में स्टंट डाला जाएगा जबकि प्राइवेट में हॉस्पिटल में मरीज का डेढ़ से दो लाख खर्च आता है।   उन्होंने बताया की इस सुविधा के लिए हार्ट स्पेशलिस्ट दो डाक्टर मौजूद रहेंगे। 

 गुलशन अरोड़ा - सिविल सर्जन  

वीओ : दिखाई दे रहा यह नज़ारा कैथ लैब का है जहाँ सिविल सर्जन कैथलैब के बारे में  पत्रकारों को जानकारी दे रहे है और कैथ लैब की सुविधाएं दिखा रहे है। कैथ लैब के शुभारम्भ होने से पहले ही कई हृदय रोगी यहाँ दाखिल हो चुके है. यहाँ दाखिल एक हृदय रोगी ने  बताया  की दस साल पहले उन्होंने लाखो रूपये खर्च करके प्राइवेट हॉस्पिटल से स्टंट डलवाया था लेकिन अब दुबारा परेशानी होने पर वह सरकारी हस्पताल में दाखिल हुए है और यहाँ अब वही स्टंट उन्हें 48 हजार में डाला जाएगा। उन्होंने सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा की लगता है  अब  अच्छे दिन आ गए है. 

 मुकेश वर्मा -  हृदय रोगी    

Sunday 18 February 2018

खाद्य एलर्जी के लिए सर्वश्रेष्ठ होमियोपैथी औषधि

खाद्य एलर्जी के लिए सर्वश्रेष्ठ होमियोपैथी औषधि

फरीदाबाद 19 फरवरी ।  इस लेख में हम खाद्य एलर्जी के कारण, लक्षण और होम्योपैथिक उपचार को संबोधित करेंगे। भोजन की प्रतिक्रिया के प्रकार के बीच का अंतर महत्वपूर्ण है जब वे तीव्रता और विभिन्न उपचार की डिग्री दिखाते हैं।

क) खाद्य एलर्जी: यह एक या अधिक प्रकार के भोजन के एक या एक से अधिक प्रोटीन के प्रति प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया है। खाद्य एलर्जी, कुछ मामलों में, गंभीर एनाफिलेक्सिस को जन्म दे सकती है

बी) गैर एलर्जी प्रतिक्रियाओं: प्रतिक्रियाओं है कि प्रतिरक्षा प्रणाली के सक्रियण के कारण नहीं हैं; उनमें से हम लैक्टोज असहिष्णुता, गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स, पेट दर्द, भोजन की जहर, आदि का उल्लेख कर सकते हैं।

खाने से एलर्जी
खाद्य एलर्जी लगभग 8% बच्चों और 3% वयस्कों को प्रभावित करती है। खाद्य एलर्जी एक मजबूत आनुवंशिक घटक है और 70% रोगियों के पास सकारात्मक पारिवारिक इतिहास है। शास्त्रीय भोजन एलर्जी आईजीई बुलाया एक एंटीबॉडी की कार्रवाई के कारण होता है हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को किसी भी विदेशी पदार्थ से लड़ने के लिए क्रमादेशित किया जाता है जो हमारे शरीर पर हमला करता है, तथापि, कुछ सहिष्णुता होती हैं जब ये पदार्थ जठरांत्र प्रणाली से गुजरते हैं। एक व्यक्ति जो कुछ खाद्य पदार्थों से एलर्जी है, उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली कुछ प्रोटीन पर प्रतिक्रिया करती है, क्योंकि यह एक खतरनाक हमलावर है। भोजन एलर्जी के साथ एक रोगी में आमतौर पर अन्य प्रकार की एलर्जी होती है, जैसे कि राइनाइटिस, अस्थमा, त्वचा एलर्जी, आदि, क्योंकि समस्या आईजीई के उत्पादन में है, जो अपर्याप्त लक्ष्य को निर्देशित करता है, अर्थात हमारे शरीर के लिए प्रोटीन हानिकारक नहीं है। एक्जिमा से 1/3 से अधिक बच्चों को भी कुछ खाद्य पदार्थों से एलर्जी है।

उदाहरण के लिए, शेलफिश के लिए एक रोगी एलर्जी वास्तव में इन खाद्य पदार्थों में उपस्थित एक या अधिक प्रोटीन से एलर्जी है। इसलिए, चिंराट के लिए एलर्जी रोगी अन्य क्रस्टेशियंस बर्दाश्त नहीं कर सकता, क्योंकि प्रोटीन बहुत समान हैं। उसी तर्क के बाद, मूँगफली के एलर्जी वाले रोगी सोया, मटर या सेम के घूस पर प्रतिक्रिया कर सकते हैं। जब रोगी को प्रोटीन हाइपर एलर्जी हो तो पाचन ट्रैक में आते हैं, आईजीई एंटीबॉडी भड़काऊ प्रतिक्रिया पैदा करती है, गलती से सोच रही है कि यह प्रोटीन शरीर के लिए हानिकारक है।

जब आईजीई एंटीबॉडी प्रोटीन से जुड़े होते हैं, तो वे अन्य कोशिकाओं को सक्रिय करते हैं, जैसे मस्तूल कोशिकाएं (फेफड़े, गले, त्वचा, नाक और आंतों में बड़ी मात्रा में मौजूद हैं) और बोडोफिल जो रक्त में फैलते हैं। ये कोशिकाएं हिस्टामाइन जैसे रसायनों का उत्पादन करती हैं, जो कि आक्रमणकारी एजेंट के विनाश के लिए जिम्मेदार हैं, अंत में, अंत में एलर्जी के विशिष्ट लक्षण पैदा करने के लिए खाद्य एलर्जी का तंत्र समान है, उदाहरण के लिए, एलर्जी रिनिटिस के मुताबिक
कुछ प्रोटीन की शरीर की प्रतिक्रिया अधिक होती है, और इससे बासोफिल और मस्तूल कोशिकाओं द्वारा रसायनों को छोड़ना और एलर्जी की प्रतिक्रिया अधिक होती है। कुछ मामलों में, प्रतिक्रिया इतनी असभ्य है कि यह रोगी के जीवन को खतरे में डालती है, एनाफिलेक्सिस नामक एक शर्त।

खाद्य एलर्जी की लम्बाई भोजन के घूस के कुछ घंटों के बाद एक भोजन एलर्जी के लक्षण दिखाई देते हैं, हालांकि, यह 4 से 6 घंटे तक लग सकता है। चूंकि फेफड़े, गले, त्वचा, नाक और आंतों में बड़ी संख्या में मास्ट कोशिकाएं होती हैं, एलर्जी के लक्षण आमतौर पर इन अंगों से जुड़े होते हैं।

खाद्य एलर्जी का सबसे आम लक्षण अर्चिसिया, खुजली और लाल (खुजली) सजीले टुकड़े हैं जो आमतौर पर ट्रंक पर स्थित होते हैं। एक अन्य आम लेकिन अधिक खतरनाक लक्षण एंजियोएडेमा है, जो श्लेष्म झिल्ली की सूजन होती है जो आमतौर पर होंठों की सुई के साथ प्रकट होता है। जब एंजियोडियोमा गंभीर हो जाता है, जीभ की सूजन और गले के श्लेष्म झिल्ली हो सकता है, जिससे फेफड़ों में वायु प्रवाह की रुकावट हो सकती है। रोगी हवा की रुकावट के कारण श्वास बंद कर सकता है। अन्य एलर्जी लक्षणों में राइनाइटिस, नेत्रश्लेष्मलाशोथ, अस्थमा, दस्त, पेट में दर्द और उल्टी शामिल होते हैं। यदि बेसोफिल और मस्तूल कोशिकाओं का एक विशाल सक्रियण है, तो प्रतिक्रिया इतनी मजबूत हो सकती है कि इससे अत्यधिक वासोडिलेशन का कारण बनता है, जिससे रोगी को धमनीय सदमे के रूप में जाना जाता है, जिसके कारण परिसंचारी शॉक की स्थिति होती है।

ओरल एलर्जी सिंड्रोम
ओरल एलर्जी सिंड्रोम, जिसे पराग-खाद्य एलर्जी सिंड्रोम भी कहा जाता है, एलर्जी सिंड्रोम के रूप में भी जाना जाता है, जो एलर्जी रेजिटाइटिस से लगभग आधे रोगियों को पराग को प्रभावित करता है। ये रोगी कच्चे फलों और सब्जियों को एलर्जी की एक तस्वीर पेश करते हैं जो उनको खाए जाने के तुरंत बाद प्रकट होते हैं। सबसे आम भोजन केले, तरबूज, तरबूज, सेब, आड़ू, बेर, गाजर, ककड़ी, कद्दू, हेज़लनट, अजवाइन, अन्य के बीच में हैं।

शारीरिक व्यायाम के बाद खाद्य एलर्जी
एक प्रकार की एलर्जी है जो स्वयं को प्रकट करती है अगर मरीज कुछ खाद्य पदार्थ खाने से 4 घंटे तक कुछ शारीरिक गतिविधि का अभ्यास करता है। इस प्रकार की एलर्जी के साथ रोगी चिंराट खा सकता है और कुछ भी नहीं महसूस कर सकता है, लेकिन अगर वह खाती है और कुछ प्रकार के व्यायाम का अभ्यास कर रहा है, तो उसे एनाफिलेक्टिक प्रतिक्रिया भी भुगतनी पड़ सकती है।

खाद्य एलर्जी की विषाक्तता  निदान में नैदानिक ​​इतिहास शामिल है, जहां प्रतिक्रियाओं से पहले खाए गए खाद्य पदार्थों और लक्षणों के प्रकट होने के लिए समय बीतने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

त्वचा परीक्षण मदद कर सकता है इन में, एलर्जी चिकित्सक उन रोगियों के प्रति प्रतिक्रियाओं की तलाश में रोगी के प्रकोष्ठ में कई प्रकार के प्रोटीन का इस्तेमाल करता है। परिणाम में केवल 15 मिनट लगते हैं परीक्षण का मुख्य मूल्य तब होता है जब यह ऋणात्मक होता है, जो कि प्रोटीन को त्यागने के लिए कार्य करता है जो किसी भी प्रतिक्रिया का कारण नहीं था। सकारात्मक परीक्षण यह निश्चित नहीं है कि रोगी इस प्रोटीन से एलर्जी है

कुछ मामलों में एनाफिलेक्टेक्टीक प्रतिक्रिया के उच्च जोखिम के साथ, चिकित्सक अधित्याग के जोखिम के कारण इस परीक्षण को नहीं चुन सकते।

यह अब संभव है कि खून में विशिष्ट आईजीई के खुराक को यह पता चले कि मरीज को एलर्जी कैसे विकसित होता है।

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स्ट्रासबोर्ग यूनिवर्सिटी में मुख्य शोधार्थियों से डॉ0 चौहान की मुलाकात फ़्रांस ,स्पेन व पौलेन्ड के सांइटिस्टों ने दिखाई आयुर्वेद में रुचि

स्ट्रासबोर्ग यूनिवर्सिटी में मुख्य शोधार्थियों से डॉ0 चौहान की मुलाकात फ़्रांस ,स्पेन व पौलेन्ड के सांइटिस्टों ने दिखाई आयुर्वेद में रुचि

फरीदाबाद 18 फरवरी । जीवा आयुर्वेद के डायरेक्टर डॉ0 प्रताप चौहान पौलेन्ड व स्पेन में दो सप्ताह के आयुर्वेदिक व्याख्यान यात्रा से लौट आए हैं।

अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने एलीकेन्ट, स्पेन में प्रमुख साइंटिस्टों डॉ0 मार्को पाया, डॉ0 जैक्स ििनयर, मॉरिस फि लीपन, फ्र ांसिस्को कॉल और जीन पियरे से मुलाकात की। बातचीत के दौरान उन्होंने सहमति जताई कि जीवनशैली से सम्बन्धित रोगों जैसे डायबिटिज, ऑबेसिटि, हाई ब्लड़ प्रेशर और तनाव में आयुर्वेद के साथ रिसर्च प्रोजेक्ट पर कार्य करेंगे।

मीटींग में इस बात पर जोर दिया गया कि रोगों से बचने व इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेद व यूरोप में नियमान प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग करना चाहिए। यूरोप में इंटिग्रेटिव ट्रीटमेंट सेन्टर खोलने के लिए भी आपसी सहमति बनी। जीवा आयुर्वेद इस प्रकार का एक सेन्टर इसी वर्ष फरीदाबाद में खोलने जा रहा है। फ्र ांस की स्ट्रासबोर्ग यूनिवर्सिटी के सांइन्टिस्टों के साथ भी डॉ0 चौहान ने मुलाकात की जिसके साथ वह आयुर्वेदिक औषधियों का महत्व दर्शाने के लिए कार्य कर रहे हैं। इन मीटिंग्स के अतिरिक्त, डॉ0 चौहान ने पौलेन्ड के दो शहर वॉरसॉ व व्रोक्लॉ में आयुर्वेदिक कोर्स भी पढ़ाया।

Friday 16 February 2018

जीवा आयुर्वेद में क्षारसूत्र चिकित्सा पर डॉक्टर्स की सीएमई का आयोजन

जीवा आयुर्वेद में क्षारसूत्र चिकित्सा पर डॉक्टर्स की सीएमई का आयोजन

फरीदाबाद 16 फरवरी । श्रेष्ठ आयुर्वेदिक उपचार व औषधि उपलब्ध कराने में निरन्तर अग्रणी जीवा आयुर्वेद ने 16 फ रवरी को जीवा मेडिकल रिसर्च सेन्टर पर इसकी वार्षिक सीएमई में क्षारसूत्र चिकित्सा परिचर्चा का आयोजन किया। जीवा आयुर्वेद द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्ेश्य जीवा डॉक्टर्स व प्राइवेट प्रैक्टिशनर्स को इस विधि की जानकारी प्रदान करना था।

फ रीदाबाद में कार्यरत 25 से अधिक डॉक्टर्स ने सीएमई में हिस्सा लिया जिनके लिए क्षारसूत्र चिकित्सा विधि की विशेषता को समझना व अपने ज्ञान में वृ़ि़द्ध करने का एक अनोखा अवसर था। जीवा आयुर्वेद के डायरेक्टर डॉ प्रताप चौहान ने, वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ0 सपना भार्गव के साथ, इस चिकित्सा के प्रभाव और फ ायदे के बारे में जानकारी दी। डॉ0 चौहान ने जीवा आयुर्वेद की अन्य उपलब्धियों व डॉक्टर्स के लिए सहभागिता के अवसरों के बारे में चर्चा की। 

गुदा मार्ग संबंधी परेशानियों जैसे पाइल्स, फि शर व फि स्टुला के लिए क्षारसूत्र थैरपी एक प्रभावी, सुरक्षित व कम खर्चीली चिकित्सा पद्धति है। इस विधि में मिनिमल सर्जरी व नहीं के बराबर हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत होती है।

अन्य उपचार प्रणालियों की तुलना में, क्षारसूत्र के उपरान्त रोग के दुबारा उत्पन्न होने की संभावना काफ ी कम होती है। इस चिकित्सा के परिणाम दर्शाते हैं कि एनो-रेक्टल रोगों की एडवांस स्टेज मेें भी यह रोगियों को काफ ी आराम पहुँचाती है।

क्षारसूत्र थैरेपी की अधिक जानकारी के लिए कृपया इस लिंक पर विजिट करें: