फरीदाबाद, 9 जुलाई - अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (एआईसीटीई) द्वारा निर्धारित मॉडल पाठ्यक्रम के अंतर्गत नये शैक्षणिक सत्र में शुरू किये जा रहे तीन सप्ताह के अनिवार्य प्रेरण कार्यक्रम (इंडक्शन प्रोग्राम) को बेहतर ढंग से लागू करने के दृष्टिगत वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद में तीन दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट (एफडीपी) कार्यक्रम संपन्न हो गया।
तीन दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम में फरीदाबाद, गुड़गांव, झज्जर, महेन्द्रगढ़, नूंह, मेवात, पलवल, रेवाड़ी और दिल्ली के सरकारी व निजी इंजीनियरिंग व प्रौद्योगिकी संस्थानों के लगभग 200 संकाय सदस्यों ने हिस्सा लिया, जिसका उद्देश्य संकाय सदस्यों को अनिवार्य प्रेरण कार्यक्रम के आयोजन के लिए प्रशिक्षित करना है ताकि वे अपने संस्थानों में अनिवार्य प्रेरक कार्यक्रम का आयोजन करने में सक्षम हो सके।
समापन समारोह में कुलपति प्रो. दिनेश कुमार मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने कार्यक्रम की सफलता पर आयोजकों को बधाई दी तथा कहा कि ऐसे कार्यक्रम शैक्षणिक गुणवत्ता की पहल को बेहतर ढंग से लागू करने में उपयोगी सिद्ध होते है। उन्होंने कहा कि आगामी शैक्षणिक सत्र से शुरू किया जा रहा अनिवार्य प्रेरण कार्यक्रम शिक्षकों की भूमिका में बदलाव लाने में अहम साबित होगा। उन्होंने कहा कि नैतिकता तथा मावनीय मूल्यों की शिक्षा विद्यार्थियों के साथ बेहद जरूरी है, ताकि वे समाज में बेहतर नागरिक बन सके। उन्होंने कहा कि नैतिकता तथा मावनीय मूल्यों की शिक्षा के लिए शिक्षक को भी अपनी भूमिका बदलनी होगी।
पंजाब तकनीकी विश्वविद्यालय के सार्वभौमिक मानवीय मूल्य एवं नीतिशास्त्र के अंतर्राष्ट्रीय संसाधन केन्द्र में सहायक कुलसचिव तथा एआईसीटीई द्वारा नामित राज्य अकादमिक समन्वयक श्री जितेन्द्र नरूला मुख्य वक्ता रहे तथा तीन दिवसीय कार्यक्रम का संचालन किया। विश्वविद्यालय के डीन (अकादमिक) डॉ. विक्रम सिंह की देखरेख में आयोजित कार्यक्रम का समन्वयन सहायक प्रोफेसर ललित राय ने किया। श्री नरूला ने कहा कि मानवीय मूल्यों पर व्याख्यान देते हुए मौजूदा परिदृश्य में इसकी उपयोगिता पर विचार रखे। कार्यक्रम मुख्यतः समाज व प्रकृति के साथ मानवीय संबंधों पर केन्द्रीय रहा। कार्यक्रम के दौरान जीवन में प्रसन्नता, आकांक्षा, लक्ष्य प्राप्ति तथा सफलता जैसे विषयों पर भी विस्तार से चर्चा की गई।
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