चंडीगढ़ : 2 दिसम्बर I हरियाणा में भाजपा की सरकार आने के बाद से ही महिलाओं के सशक्तिकरण, सुरक्षा और समानता के लिए असरदार और ऐतिहासिक कदम उठाए जा रहे हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने में से सबसे कारगर कदम साबित हुए हैं ऑनलाइन शिकायत की सुविधा और महिला थाने। इन दोनों पर मनोहर लाल सरकार का विशेष ज़ोर रहा है और अब हमारी महिलाओं उन पर होने वाले अत्याचारों का डटकर विरोध कर रही हैं। महिला थाने में सुरक्षा का माहौल मिलने से वे शिकायत लेकर आसानी से पहुंचती हैं और वहां भी जो ना जाना चाहें, वे ऑनलाइन ही अपनी शिकायत दे देती हैं। लेकिन राज्य में विपक्ष के कुछ नेताओं को महिलाओं की ये आज़ादी पसंद नहीं क्योंकि वे मूलत: महिला सशक्तिकरण के खिलाफ हैं।
एनसीआरबी के हवाले से महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ने की अधूरी जानकारी को राजनीतिक रंग देकर परोसने में जुटे ये नेता इस बात को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं कि महिलाएं अब उन अपराधों के लिए इन्साफ मांग रही हैं जिन पर पिछली सरकारों के समय उनकी ज़ुबान बंद कर दी जाती थी, अपराध चाहे जितने बढ़ जाए उसकी चिंता न कर एफ़॰आई॰आर॰ करने से कैसे रोका जाय इस पर रहता था । एफ़॰आई॰आर॰ या शिकायतों की संख्या में बढ़ोतरी असल में अपराध के खिलाफ आवाज़ उठाने की आज़ादी का संकेत है। लोग इस बात को समझते हैं, लेकिन राजनीतिक रूप से हाशिये पर गए कुछ लोग इससे नज़रे चुराना चाहते हैं।
मनोहर सरकार ने महिलाओं और बच्चियों में आत्मविश्वास भरने के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। हर 20 किलोमीटर पर महिला कॉलेज खोलना और रोजवेज बस पास की सीमा को 60 किलोमीटर से बढ़ाकर 150 किलोमीटर प्रतिदिन करना इसका बस एक उदाहरण है। बच्चियां पढ़ेंगी तो खुद पर अपराध भी कम सहन करेंगी और कुछ हुआ तो उसके खिलाफ आवाज़ भी उठाएंगी। यह दूरदर्शिता विपक्षियों को समझ नहीं आती।
भाजपा सरकार ने सबसे बड़ा काम तो उन अजन्मी बच्चियों को न्याय दिलवाने का किया है जो गर्भ में ही मारी जाती थी। राज्य ने अपने जन्म की स्वर्ण जयंती मनाई तो उसी साल बच्चियों ने भी यहां जन्म लेने का अधिकतम आंकड़ा छुआ। बच्चों की जन्म दर में लिंग अनुपात अब 920 से ऊपर रहना आम बात हो गई है। हर शहर-कस्बे में धड़ल्ले से चल रहे लिंग जांच केंद्र पूरी तरह बंद हैं,जो चोरी छुपे कर रहे है मनोहर सरकार उन पर सख़्त है । जो सरकार अजन्मे बच्चों के प्रति उनके घरवालों के ही अपराध के खिलाफ इतना सख्त है, उसके लिए महिलाओं को युवतियों के मामलों में संवेदनशीलता और गंभीरता भी सर्वोपरि है।
हमें संतोष है कि हमारी बेटियां और माताएं-बहनें इस बात को समझती हैं और वे जानती हैं कि कुछ राजनीतिक लोग इस बात से खफा क्यों हैं।
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