Tuesday, 24 October 2017

अफगानिस्‍तान के राष्‍ट्रपति ने राष्‍ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद से मुलाकात की


नई दिल्ली :24 अक्तूबर। अफगानिस्‍तान इस्‍लामिक गणराज्‍य के राष्‍ट्रपति महामहिम श्री अशरफ गनी ने आज (24 अक्‍टूबर, 2017) राष्‍ट्रपति भवन में राष्‍ट्रप‍ति श्री रामनाथ कोविंद से मुलाकात की।

राष्‍ट्रपति श्री कोविंद ने अफगनिस्‍तान के राष्‍ट्रपति का स्‍वागत किया और उनकी सराहना करते हुए कहा कि श्री गनी ने कठिन समय में अफगानिस्‍तान का कुशल नेतृत्‍व किया। उन्‍होंने भारत और अफगानिस्‍तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए भी गनी की प्रशंसा की।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत के लिए अफगानिस्‍तान न केवल एक रणनीतिक साझेदार है बल्कि स्‍नेह का प्रतीक भी है। उन्‍होंने 2016 में अमृतसर में हार्ट ऑफ एशिया शिखर सम्‍मेलन में राष्‍ट्रप‍ति गनी के भाषण और स्‍वर्ण मंदिर की उनकी यात्रा का स्‍मरण किया। उन्‍होंने कहा कि सामाजिक संबंध और लोगों के आपसी संपर्क से हमारी मित्रता को मजबूत आधार मिला है।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि हाल ही में दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी बढ़ी है। नई दिल्‍ली में आयोजित भारत-अफगानिस्‍तान व्‍यापार और निवेश प्रदर्शनी से हमारे कारोबारी एकजुट हुए और 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर से भी अधिक का कारोबार किया। 

राष्‍ट्रपति ने कंधार और काबुल तथा दिल्‍ली के बीच एयर फ्रेट कॉरिडोर शुरू होने पर प्रसन्नता व्‍यक्‍त की। उन्‍होंने यह भी कहा कि अफगानिस्‍तान के मजार-ए-शरीफ और हैरात शहर सीधे हवाई मार्ग के जरिए दिल्‍ली से जुड़े हुए हैं।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि अफगानिस्‍तान को आर्थिक सुधार और विकास के मार्ग पर रखने के लिए निरंतर शान्ति और सुरक्षा बनाए रखना महत्‍वपूर्ण सिद्धांत है। दुर्भाग्‍य से अफगानिस्‍तान के लोगों पर सोचविहीन और निरर्थक हिंसा थोपी जा रही है। राष्‍ट्रपति श्री कोविंद ने काबुल, कंधार, गजनी और पख्तिया प्रांत सहित अफगानिस्‍तान में हुए हाल ही के आतंकी हमलों की निंदा की जिनमें 200 से अधिक निर्दोष मारे गए।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत भी दशकों से देश प्रायोजित और सीमा पार से होने वाले आतंकवाद से पीडि़त है। उन्‍होंने कहा कि अफगानिस्‍तान के नागरिकों द्वारा उनके देश में शान्ति बनाये रखने के प्रयासों के प्रति हमारी पूरी सहानुभूति है। भारत का मानना है कि अफगानिस्‍तान में शान्ति लाने के लिए जो भी कदम उठाये जाए वे अफगानिस्‍तान के नेतृत्‍व और अफगानिस्‍तान के नियंत्रण में होने चाहिए। 
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