गुड़गांव :28 जुलाई (National24news) किसी पूर्व मुख्यमंत्री को ‘समस्या’ कहना मेरे लिए भी दुखद है क्योंकि वे भी लाखों लोगों की पसंद और भरोसे से सत्ता में आए होंगे, और हर विचारधारा व राजनीतिक मंच के प्रति मेरे मन में आदर भी है। लेकिन आज उपरोक्त शीर्षक देने का एक विशेष कारण है। मेरे पास कई वजहें हैं यह कहने की कि हुड्डा साहब ने प्रदेश के संसाधनों को व्यर्थ कर समस्याएं पैदा की, जिन्हें मनोहर लाल जी सुलझा रहे हैं।
बीते दिनों गुड़गांव के होन्डा चौक पर फ्लाइओवर के उद्घाटन के वक्त यह आम चर्चा रही कि पिछली सरकार ने बेहद महत्वपूर्ण शहर गुड़गांव की समस्याओं को दूर करने के लिए ध्यान क्यों नहीं दिया। क्यों होन्डा चौक पर वर्षों से लोग अपना वक्त और ईंधन फूंकते रहे ? तभी पता चला कि हुड्डा सरकार ने उस शहर में जो काम करवाए भी, वे भी गलत प्लानिंग और सार्वजनिक हितों की बजाय निजी हितों को ध्यान में रखकर किए गए। मिसाल के तौर पर सुभाष चौक पर फ्लाइओवर की जरूरत और तकनीकी विभाग की सिफारिश राजीव चौक से सोहना की दिशा में बनाए जाने की थी। गुड़गांव-अलवर रोड के उस हिस्से पर भारी ट्रेफिक रहता है, लेकिन पुल बना दिया गया हुड्डा सिटी सेन्टर से सेक्टर-34 जाने वाली दिशा में। मतलब प्रदेश के करोड़ों रूपये खर्च भी हुए लेकिन फायदा जितना मिलना चाहिए था, उसका एक चौथाई भी नहीं मिला। स्थानीय लोग बताते हैं कि ऐसा कुछ लोगों के मामूली एतराज और निजी हितों की वजह से किया गया । अब मनोहर सरकार ने सुभाष चौक के उस चौराहे पर राजीव चौक से सोहना की दिशा में अंडरपास बनाने की शुरूआत कर रही है जिसकी जरूरत ना होती अगर फ्लाईओवर सही दिशा में बनाया जाता।
इसी तरह गुड़गांव के विकास और मास्टरप्लान का सर्वाधिक महत्वपूर्ण हिस्सा, साऊदर्न पेरिफिरल रोड और नॉरदर्न पेरिफिरल रोड, भी गलत प्लानिंग का शिकार रहे। इन दोनों मार्गों को खेड़की दौला के पास मिलना था लेकिन कुछ विशेष व्यक्तियों को फायदा पहुंचाने के लिए डिजाइन में मनमाने और बेहिसाब बदलाव करवाए गए। नतीजा ये रहा कि सैंकड़ों करोड़ की योजना का फायदा आधा भी नहीं रहा। अब हमारी सरकार वहां विशेष गोलाकार डिजाइन वाले फ्लाइओवर बनवाकर दोनों सड़कों को जोड़ेगी जिससे ट्रेफिक की समस्या बहुत कम हो पाएगी।
शहरों से थोड़ा बाहर निकलें तो दिखता है दक्षिण हरियाणा का बर्बाद हो चुका नेहरी नेटवर्क। राजनीतिक खींचतान और द्वेष के चलते नहरी पानी राजस्थान की सीमा वाले जिलों में पहुंचने की बजाय रास्ते में ही चोरी होता रहा। नतीजा ये हुआ कि हजारों करोड़ रूपये का नहरी तंत्र खुर्द बुर्द हो गया। कहीं लोग नहर को समतल कर खेती करने लगे तो कहीं रास्ते बन गए क्योंकि पानी आने की उम्मीद ही नहीं थी। वाटर लिफ्टिंग के पंप बिना सर्विस जंग खाते रहे और काम आने लायक तक नहीं बचे। यह भी सरकारी संपत्ति की बर्बादी का ऐतिहासिक काम हुड्डा सरकार के दौरान हुआ जिसे रोकने की कोशिश तक नहीं हुई। अब हमारी सरकार नहरों, पंपों की मरम्मत करवा रही है और दशको बाद आखिरी छोर तक पानी पहुंच रहा है।
इसके साथ ही करीब 2000 करोड़ रूपये की योजना से पश्चिमी यमुना नहर में 5000 क्यूसिक अतिरिक्त पानी लाने की योजना पर काम चल रहा है। इस नहर की क्षमता बढ़ाने के साथ नई नहरें खोदी जाएंगी ताकि लगभग 10 जिलों को लगातार पानी पहले से ज्यादा पंहुचता रहे और वहां के किसान भी तरक्की की राह पकड़ें।
इन्हीं ग्रामीण इलाकों में नज़र आते हैं हुड्डा सरकार के लोकलुभावन और सूखी वाहवाही लेने के कामों की एक और मिसाल। हुड्डा सरकार ने अपने चहेते लोगों और ठेकेदारों को राजी करने के लिए बहुत से गांवों में 60-60 लाख रूपये की लागत से ग्रामीण स्टेडियम बनाने का नाटक रचा। करोड़ों रूपया इस काम पर लगाया भी, लेकिन प्लानिंग और नीयत का दिवालियापन देखिए की लगभग किसी भी ग्रामीण स्टेडियम के लिए स्टाफ की भर्ती नहीं की, ना ही खेलने का सामान उपलब्ध करवाया। कोच व प्रशिक्षण सुविधाएं ना होने की वजह से ये स्टेडियम कहीं तालाब बन गए, कहीं जंगल... कहीं इनमें मवेशियों का ठिकाना बन गया तो कहीं सरकारी खर्चे पर शराबियों और अपराधियों को आरामगाह मिल गई। अब हमारी सरकार बड़े स्तर पर खेल प्रशिक्षकों की भर्ती कर रही है जिससे गांवों में प्रतिभाओं को निखारने का काम असल में शुरू होगा। यह भी तय है कि जितने पैसों की हुड्डा साहब ने इन स्टेडियमों को बनवाने में बंदरबांट की, उससे ज्यादा शायद हमें इनकी साफ सफाई, मरम्मत और खेल सामान पर खर्च करने होंगे। खेलों, युवाओं और ग्रामीणों के नाम पर यह अप्रत्यक्ष भ्रष्टाचार और गलत प्लानिंग की एक और मिसाल है।
इसी तरह मुख्यमंत्री रहते हुए हुड्डा साहब ने गोहाना रैली में खुद घोषणा की कि 204 एडिड स्कूलों के स्टाफ को सरकारी सेवा में लिया जाएगा। लगभग 2200 परिवारों को खुश करके उनसे लोकसभा चुनाव में वोट भी ले लिए लेकिन अपना वायदा पूरा नहीं किया क्योंकि इससे हुड्डा जी के एक चहेते कांग्रेसी नेता को नुकसान हो जाता। ये नेता हुड्डा जी के शहर रोहतक में ही एडिड स्कूल चलाते हैं और कर्मचारियों की मांग पूरी होने से उन्हें नुकसान हो जाता। इतने छोटे और निजी स्वार्थ वाले स्तर पर जाकर फैसले लेना क्या किसी मुख्यमंत्री को शोभा देता है ? अब मनोहर सरकार, हुड्डा साहब के 10 नवंबर 2013 के गोहाना में किए वायदे को एक मुख्यमंत्री और जनता के मुख्य सेवक के रूप में क्रियान्वित कर रहे हैं।
ऐसे ही दर्जनों उदाहरण और हैं जहां सरकारी कलम को अपने स्वार्थ के मुताबिक चलाया गया, सरकार का पैसा बर्बाद किया गया और आम लोगों को बेवकूफ बनाया गया। कुल मिलाकर, सत्ता की ताकत का इस्तेमाल अतीत में जनहित या विकास के लिए कम और भ्रष्टाचार, निजी हितों के लिए ज्यादा किया गया। अब भारतीय जनता पार्टी की मनोहर सरकार उन गड्ढों को भर रही है और सरकारी खजाने के दुरूपयोग को पू
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