Friday, 30 June 2017

हरियाणा में बिजली कुप्रबंधन की मिसाल कायम की थी हुड्डा सरकार ने, बिजली बिल माफी का दावा झूठा –जवाहर यादव



चंडीगढ :30 जून(National24news) किसान सम्मेलन के बहाने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा में जगह-जगह अपनी खोई हुई सियासी ज़मीन की तलाश में घूम रहे हैं। राजनीतिक तौर पर यह उनका अधिकार है और हमें कोई एतराज भी नहीं, लेकिन इस दौरान वे झूठे दावों और अपनी गलतियों पर पर्दा डालने की नाकाम कोशिश का इतिहास भी लिख रहे हैं।

हुड्डा जी खासकर बिजली के मामले में हरियाणा के आम लोगों और खासकर किसानों को सरासर झूठ बोल रहे हैं। अपने कार्यकाल में ग्रामीणों के 1600 करोड़ रुपए के बिजली बिल माफ करने के मामले में तो कतई सच्चाई नहीं है। कांग्रेस सरकार ने वाहवाही तो 1600 करोड़ रुपए के बिजली बिल सीधे तौर पर माफ करने की ली थी लेकिन असल में लोगों पर 20 बिल लगातार भरने जैसी कई शर्त लगाकर उन्हीं के पैसों से कुछ बिल माफ किए गए थे।  शर्त यह थी कि 17 जून 2005 के बाद कोई डिफॉल्टर बिजली उपभोक्ता 20 बिल रेगुलर भरेगा तो उसका पुराना सरचार्ज और बिजली बिल माफ हो जाएगा। उस समय 13 लाख 86 हजार 922 ग्रामीण बिजली उपभोक्ताओं के ऊपर 1781 करोड़ 69 लाख रुपए का बकाया था। लेकिन, मात्र 44 फीसदी ग्रामीण उपभोक्ताओं ने ही इस स्कीम का फायदा उठाया और 998 करोड़ 79 लाख रुपए ही ग्रामीणों के माफ हुए थे, वो भी करीब इतनी ही रकम नए बिजली बिल के रूप में वसूलने के बाद। इसलिए हुड्डा साहब झूठ बोलना बंद करें कि आपने 1600 करोड़ के बिल स्पष्ट तौर पर माफ किए थे।

दूसरा हुड्डा जी कहते हैं कि हरियाणा की भाजपा सरकार ने झाड़ली थर्मल प्लांट की बिजली सरेंडर कर दी। यह भी आप झूठ बोल रहे हैं, कोई बिजली सरेंडर नहीं की कई है। झाड़ली थर्मल प्लांट से हरियाणा को आज भी करीब 692 मेगावाट बिजली रोजाना मिलती है। 
10 साल के दौरान हुड्डा सरकार ने बिजली क्षेत्र में जो कुप्रबंधन किया, उसका नतीजा यह है कि आज बिजली वितरण कंपनियां यूएचबीवीएन और डीएचबीवीएन पर 36 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है। इस कर्जे पर हर साल का ब्याज ही इतना ज्यादा था कि अतीत के नीति निर्धारकों की समझ पर हैरानी होती है। भाजपा सरकार ने इस कर्ज के बड़े हिस्से को अपने खाते में ट्रांसफर करवाकर हर साल करीब 1000 करोड़ के ब्याज की बचत का ऐतिहासिक काम किया है।

हुड्डा जी की कांग्रेस सरकार ने जो बिजली खरीद के प्राइवेट बिजली कंपनियों से भारी संख्या में पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) किए हुए हैं, उन्हीं की वजह से आज बिजली कंपनियों की आर्थिक स्थिति खराब हुई। जमीनों में तो कांग्रेस सरकार ने सीएलयू करके लूट मचाई ही, साथ ही जो पीपीए हैं यह भी एक तरह से बिजली का सीएलयू है। अपने चहेते लोगों के साथ हुड्डा सरकार ने पीपीए किए हुए हैं जिनको लंबे समय तक पैसा मिलता रहेगा। इन्हीं की वजह से राज्य के बिजली कारखाने सफेद हाथी बनने पर मजबूर होते गए हैं। बिजली के क्षेत्र का यह खेल राज्य के साथ एक बहुत बड़ा आर्थिक अपराध है जिसे हुड्डा जी को स्वीकार करना चाहिए।

हुड्डा जी लोगों को बताते हैं कि उन्होंने बिजली के कारखाने लगाए, खेदड़ में 600-600 मेगावाट की दो यूनिटें और यमुनानगर में 300-300 मेगावाट की दो यूनिटें लगाई। लेकिन यह नहीं बताते कि उनकी सरकार ने इनको बनाने का ठेका ऐसी कंपनी को दिया था, जिस कंपनी का हरियाणा में तो छोडि़ए, पूरे देश में कहीं मेन्टेनेन्स का सेंटर तक नहीं है। जब भी ये यूनिटें खराब हुई हैं, चीन के शंघाई से इंजीनियर बुलाने पड़े हैं, क्योंकि इनको शंघाई इलेक्ट्रिकल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने बनाया हुआ है। जितनी इनको बनाने पर लागत आई थी, उससे अधिक तो इनकी मेन्टेनेन्स पर आज तक खर्च आ चुका है। क्या यह कांग्रेस सरकार की गलत नीतियों का परिणाम नहीं है ?
चीनी कम्पनी की बजाए अगर हुड्डा सरकार पानीपत थर्मल प्लांट की छठी, सातवीं और आठवीं यूनिट लगाने वाली भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड कम्पनी से कारखाने लगवाती तो राज्य के हजारों करोड़ रूपये बर्बाद होने से बच जाते। पानीपत थर्मल प्लांट की ये तीनों यूनिट बीएचईएल कंपनी की बनाई हुई हैं और इनकी मेन्टेनेन्स पर ना के बराबर खर्चा आया है। लेकिन, हुड्डा सरकार ने यमुनानगर और खेदड़ प्लांटों को एक प्राइवेट कंपनी से बनवाया जिससे प्रदेश को अब तक करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है।

इसके अलावा सरप्लस बिजली होने और गांवों में पावर कट लगने पर भी हुड्डा जी मौजूदा राज्य सरकार पर कटाक्ष करते हैं। एक वरिष्ठ राजनेता होने और 10 साल तक मुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र सिंह हुड्डा जी को लोगों को बरगलाने का यह तरीका शोभा नहीं देता। हुड्डा जी को अच्छे से पता है कि बिजली सरप्लस होने और पावर कट का सीधा संबंध वैसा नहीं है जैसे वे लोगों को दिखाने की कोशिश करते हैं। बिजली वितरण कंपनियों द्वारा निर्धारित आपूर्ति अवधि के अनुसार बिजली की उपलब्धता के हिसाब से इसे सरप्लस बताया जाता है। बिजली सरप्लस होने के दावे सबसे पहले हुड्डा जी की कांग्रेस सरकार ने ही करने शुरू किए थे। अगर वे आज की सरकार पर आरोप लगाते हैं तो यह भी दावा करके दिखाएं कि उनके समय में जब-जब बिजली सरप्लस बताई जाती थी, तब क्या गांवों, कस्बों में हर रोज 24 घंटे बिजली दी जाती थी ? इस सवाल का जवाब सोचते ही हुड्डा जी और हरियाणा के आम लोगों को बिजली पर कांग्रेस की दोहरी बातों का अहसास हो जाएगा।

राज्य में माननीय मनोहर लाल जी की सरकार बेहद गंभीरता से बिजली कंपनियों की आर्थिक स्थिति सुधारने, वितरण व्यवस्था को आधुनिक बनाने और उपभोक्ताओं को ज्यादा से ज्यादा बिजली उपलब्ध करवाने पर काम कर रही है। हमें बिजली क्षेत्र जिस कुप्रबंधित रूप में मिला था, वह नीति निर्धारण, कार्यकुशलता और प्रशासकीय प्रबंधन में ऐतिहासिक विफलता और गैर जिम्मेदार व्यवहार के रूप में दर्ज़ है। इसके बाव
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