Tuesday, 12 May 2020

अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देने वाले एमएसएमई के लिए बढ़ने वाली है और मुश्किलें: छोटे उद्योगों को राहत की जरूरत : रमणीक प्रभाकर

अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देने वाले एमएसएमई के लिए बढ़ने वाली है और मुश्किलें: छोटे उद्योगों को राहत की जरूरत : रमणीक प्रभाकर

फरीदाबाद : 12 मई I  मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन फरीदाबाद के महासचिव रमणीक प्रभाकर ने कहा एमएसएमई आर्थिक विकास, नवाचार और रोजगार सृजन के सबसे बड़े संवाहक हैं भले ही ये  आकार में छोटे हों, लेकिन देश की तरक्की में उनकी बड़ी अहमियत है मौजूदा कोरोना संकट का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव भी उन पर ही पड़ता दिख रहा है, क्योंकि उनके पास बड़ी कंपनियों जितने संसाधन नहीं हैं। चूंकि मांग में लगातार गिरावट जारी है और हाल-फिलहाल सुधार के आसार नहीं दिखते इसलिए इन उद्यमियों के लिए कर्ज की अदायगी से लेकर कर्मचारियों को वेतन देने जैसी जिम्मेदारियों को पूरा करना भी मुश्किल होगा।

छोटे उद्यमियों के समक्ष वेतन, बिजली बिल, किराया, कर्ज जैसी समस्याएं मुंह बाएं खड़ी हैं

उन समस्याओं का खाका खींचा जाना बेहद आवश्यक है जिनसे एमएसएमई करीब साल भर तक जूझने को मजबूर होंगे।
 लॉकडाउन समाप्ति के कम से कम तीन महीने तक तो ये दुश्वारियां बहुत परेशान करने वाली हैं। तमाम छोटे उद्यमों को इस संकट से भी दो-चार होना पड़ सकता है कि उनके ऑर्डर निरस्त हो जाएं। छोटे उद्यम पीएसयू और बड़ी दिग्गज कंपनियों से भुगतान में लेटलतीफी जैसी समस्याएं भी झेलते हैं। आने वाले महीनों में यह समस्या और विकराल हो सकती है। चूंकि इन इकाइयों में काम करने वाले अधिकांश कामगार अपने गांव-घर की ओर कूच कर गए हैं ऐसे में उन्हेंं सामान्य कामकाज बहाल करने में लंबा समय लग सकता है।

 इसी तरह ऑर्डर निरस्त होने, श्रम विवादों, कर्ज के मूल और ब्याज की अदायगी होने जैसे तमाम कारणों के चलते  कदमों की भी बाढ़ सकती है। मुश्किलों के ऐसे भंवर में फंसे एमएसएमई को उबारने में बैंक और एनबीएफसी भी हिचक दिखाएंगे ऐसी स्थिति में सरकार से अपेक्षाएं बढ़ना स्वाभाविक है। भारत सरकार को कई मोर्चों पर सक्रियता के साथ कदम उठाने होंगे।  इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड संहिता, 2016 यानी आइबीसी के तहत ऋणदाताओं द्वारा एमएसएमई को उचित रियायत दी जाए ताकि उन्हें संपदा बिक्री में बेहतर हिस्सा मिल सके। उनके खिलाफ आइबीसी में मामला भी दर्ज नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि ऐसे अधिकांश मामलों में अभी तक समाधान नहीं निकल सका है और अंतत: वे संपदा बिक्री की ओर ही बढ़ रहे हैं। एक लाख या उससे अधिक के डिफॉल्ट के मामलों में एमएसएमई को इस संहिता के उपयोग की अनुमति दी जानी चाहिए जैसा कि हालिया अधिसूचना से पहले सौ लाख तक के मामले में था।

एमएसएमई से जुड़े मामलों में त्वरित फैसलों के लिए सरकार को अलग ट्रिब्यूनल्स गठित करने चाहिए। सराफेसी एक्ट को भी एक साल के लिए ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए। लॉकडाउन के दौरान दिए गए वेतन और मजदूरी के 50 प्रतिशत हिस्से को कैरी फारवर्ड प्रावधान के साथ आयकर में छूट दी जानी चाहिए या फिर उसका भुगतान ईएसआइसी-सरकार द्वारा किया जाए। बिजली के मामले में भी बिजली का  कनेक्शन किसी सूरत में काटा जाए। इसके साथ ही भुगतान परिदृश्य के आधार पर ही एमएसएमई को उनका जीएसटी बकाया अदा करने की अनुमति दी जाए।  एमएसएमई की समस्याएं इतनी व्यापक हैं कि केवल सरकार के भरोसे ही उनका समाधान संभव नहीं, इसलिए भारतीय रिजर्व बैंक जैसे संस्थान की भी अहम भूमिका है। एमएसएमई ने किसी किसी बैंक या वित्तीय संस्थान से मियादी कर्ज लिया होता है। ऐसे में उन्हें राहत देने के लिए लॉकडाउन हटाए जाने के छह महीने तक इनकी किस्तों की मियाद नए सिरे से तय की जाए। इन मियादी कर्जों के तीन वर्षों में पुनर्भुगतान के प्रावधान के साथ ही उसमें छह महीनों की स्थगन अवधि की भी गुंजाइश हो।  रिजर्व बैंक को लॉकडाउन के दौरान सभी कर्जों पर ब्याज माफ कर देना चाहिए। सभी एमएसएमई को एक बार कर्ज पुनर्गठन का मौका मिले जिसमें एनपीए खातों को भी शामिल किया जाए। पुनगर्ठन के बाद सभी एमएसएमई को स्डैंडर्ड रूप में वर्गीकृत करें। विल्फुल डिफॉल्टरों को इस योजना से अलग रखा जा सकता है। 

बाहरी क्रेडिट रेटिंग-सिबिल की आवश्यकता को भी अगले दो वर्षों के लिए खत्म कर देना चाहिए। मौजूदा इकाइयों के लिए अतिरिक्त तदर्थ कार्यशील पूंजी में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाए। आरबीआइ और भारतीय बैंक संघ यानी आइबीए को चाहिए कि वे बैंकों से एमएसएमई के लिए एक साझा राहत योजना तैयार करने के लिए कहें।  चूंकि कोरोना के कहर के चलते इतनी दिक्कतें अचानक से गई हैं तो भुगतान के मोर्चे पर समस्याएं भी आएंगी। ऐसे में समय रहते उनके समाधान पर भी विचार किया जाए। इस स्थिति में पीएसयू और सभी सरकारी विभागों द्वारा एमएसएमई के बकाये का तत्काल भुगतान किया जाना चाहिए। यदि लॉकडाउन से पहले किसी ऑर्डर के मामले में आदेश एमएसएमई के पक्ष में आया हो तो उनके खिलाफ अपील की अनुमति दी जाए। अपने सभी आर्पूितकर्ता एमएमएमई के लिए पीएसयू-सरकारी विभागों द्वारा लैटर ऑफ क्रेडिट जारी किया जाना चाहिए। उचित खरीदारों के साथ एमएसएमई के सभी लेनदेन केवल टीआरईडीएस के जरिये होने चाहिए।  संकट के दौर में हमें सूक्ष्म एवं लघु उपक्रम सुविधा परिषदों यानी एमएसईएफसी को भी सशक्त बनाना होगा। प्रत्येक जिले में इसकी एक शाखा गठित की जाए जिनकी सुनवाई के लिए राज्य स्तर पर अपीलीय इकाई बने। इसमें सभी एमएसएमई को शामिल किया जाए। ऑनलाइन कॉज लिस्ट और आदेश एमएसईएफसी की एक साझा वेबसाइट पर उपलब्ध होने चाहिए। इसके फैसलों को राजस्व वसूली अधिनियम के तहत प्रर्वितत किया जाना चाहिए।

कोरोना वायरस के संक्रमण से उपजा संकट एक बहुत बड़ी आपदा है फिर भी विश्वास है कि हम भारतीय इस आपदा को एक अवसर बनाएंगे। एमएमएमई मंत्री नितिन गडकरी ने भी बार-बार इस संकल्प को दोहराया है। सस्ते श्रम, युवा पीढ़ी और नई कंपनियों के लिए कर की न्यूनतम दर जैसे कई आकर्षक पहलू इस दौर में भारत को आकर्षक बनाते हैं। वहीं अमेरिका और चीन के बीच तनातनी भी भारत के लिए फायदेमंद हो सकती है।


Sunday, 10 May 2020

सरबत दा भला ने श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा में कोरोना महामारी से बचाव हेतु आटोमेटिक सैनिटाइजर मशीन भेंट की

सरबत दा भला ने श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा में कोरोना महामारी से बचाव हेतु आटोमेटिक सैनिटाइजर मशीन भेंट की

फरीदाबाद, 10  मई। सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट (रजि.) की ओर से श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा सेक्टर-15 में कोरोना महामारी से बचाव हेतु आटोमेटिक सैनिटाइजर मशीन भेंट की, जिसका यहां आने वाले सेवादार व अन्य व्यक्ति उपयोग कर सकेंगे।  उपस्थित सेवादारों को संबोधित करते हुए दिनेश छाबड़ा, जोध सिंह वालिया, टोनी पहलवान तथा कुलदीप सिंह साहनी ने संयुक्त रूप से कहा कि सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट (रजि.) की ओर से श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा सेक्टर-15 में आटोमेटिक सैनिटाइजर मशीन भेंट की गई। अब यहां आने वाले सेवादार अपने हाथों को स्वच्छ रखने के लिए इस ऑटोमेटिक  मशीन का उपयोग करें। उन्होंने सभी लोगों से अपील की कि जागरूकर रहकर ही कोरोना संक्रमण पर काबू पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संकट के इस दौर में प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और हर समय देशसेवा के लिए तैयार रहना चाहिए। 

मुख्यमंत्री की औद्योगिक प्रतिनिधियों के साथ बैठक : आईएमएस‌एम‌ई ऑफ इंडिया ने दिए कई सुझाव : राजीव चावला

मुख्यमंत्री की औद्योगिक प्रतिनिधियों के साथ बैठक : आईएमएस‌एम‌ई ऑफ इंडिया ने दिए कई सुझाव : राजीव चावला

फरीदाबाद: 10 मई । हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने उद्योग प्रबंधकों को आश्वस्त किया है कि लाक डाउन के कारण बंद पड़े औद्योगिक संस्थानों को पुनः आरंभ कराने की प्रक्रिया में यथासंभव सहयोग दिया जाएगा। यहां प्रदेश के औद्योगिक प्रतिनिधियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस में बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने बिजली संबंधी बिल जमा कराने की अंतिम तिथि 15 मई से बढ़ाकर 31 मई तक करने की घोषणा की। इसके साथ ही उपभोक्ताओं द्वारा दिए गए सिक्योरिटी डिपाजिट का दो माह का ब्याज आगामी बिलों में एडजस्ट किया जाएगा। फिक्स्ड एनर्जी चार्ज में दी गई 25% राहत की अवधि भी 2 माह से बढ़ाकर 3 माह तक करने की घोषणा मुख्यमंत्री ने की। मुख्यमंत्री ने वेतन के लिए दिए जाने वाले ऋण पर 6 माह तक तक 8% ब्याज दर सरकार द्वारा देने की घोषणा को भी दोहराया। औद्योगिक प्रतिनिधियों की विभिन्न मांगों पर मुख्यमंत्री ने विश्वास दिलाया कि औद्योगिक प्रगति के लिए सरकार अपनी सकारात्मक नीति जारी रखेगी। आई एम एसएमई ऑफ इंडिया के चेयरमैन श्री राजीव चावला द्वारा प्रदेश की औद्योगिक नीति में जिस सब्सिडी को कुछ जोन के लिए दिया जाता है, उसे सभी जोन में लागू करने की मांग पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में विचार विमर्श कर नई नीति में लागू किया जाएगा।

हरियाणा व दिल्ली के बीच आवागमन की अनुमति देने हेतु मूवमेंट पास जारी करने की मांग करते हुए श्री चावला ने कहा कि हरियाणा से कुछ लोगों को दिल्ली मूवमेंट के लिए अनुमति दी जानी चाहिए ताकि औद्योगिक गतिविधियों को गति मिल सके। चावला ने उद्योगों से जुड़े प्रतिष्ठानों व रॉ मेटीरियल उपलब्ध कराने वाली दुकानों को खोलने की अनुमति भी देने का आग्रह मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री से किया।  चावला ने वेतन के लिए बैंक ऋण पर सरकार द्वारा छह माह के लिए ब्याज देने की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि इससे निश्चित रूप से उद्योगों को काफी राहत मिलेगी। विभिन्न प्रदेशों के श्रमिकों द्वारा हरियाणा में वापस काम पर लौटने पर क्वांरटाईन समय में उनके रहने की व्यवस्था करने की मांग को भी मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया। इसके साथ साथ श्री चावला ने एमएसएमई सेक्टर के लिए विशेष प्रमोशन पॉलिसी क्रियान्वित करने का आग्रह भी प्रदेश सरकार से किया। चावला ने कहा कि कोरोनावायरस के कारण जो स्थिति रही उससे कई व्यवसायों में बिजनेस के कंसेप्ट बदलेंगे, जिन्हें सहयोग देने के लिए प्रभावी नीति बनाई जानी चाहिए। इसके साथ-साथ विभिन्न विभागों से संबंधित समस्याओं व शिकायतों के तुरंत समाधान के लिए नीति तैयार करने, वैट रिफंड को तुरंत मुहैया कराने का आग्रह भी प्रदेश सरकार से किया गया।

 लॉक डाउन के कारण उद्योगों पर पड़े नाकारात्मक प्रभाव का जिक्र करते हुए श्री चावला ने कहा कि एमएसएमई सेक्टर को सरल वित्तीय सहायता के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए, इसके साथ ही प्रदेश सरकार से आग्रह किया गया कि वह केंद्र सरकार से एमएसएमई सेक्टर के लिए इकनोमिक पैकेज की मांग करें ताकि हरियाणा के औद्योगिक विकास को पुनः तीव्र गति प्रदान की जा सके। वीडियो कांफ्रेंस में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला सहित मुख्य सचिव, प्रधान सचिव व उद्योग व श्रम सहित लगभग सभी विभागों के उच्च अधिकारियो की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। लगभग 3 घंटे चली इस मीटिंग में औद्योगिक प्रतिनिधियों से सुझाव मांगे गए ताकि प्रदेश के औद्योगिक विकास को पुनः नई गति प्रदान की जा सके।

एमएसएमई सेक्टर को पुनः आरंभ करने के लिए स्मार्ट पैकेज की घोषणा करें : जेपी मल्होत्रा

एमएसएमई सेक्टर को पुनः आरंभ करने के लिए स्मार्ट पैकेज की घोषणा करें : जेपी मल्होत्रा

फरीदाबाद : 10  मई । डीएलएफ इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के प्रधान श्री जेपी मल्होत्रा ने मौजूदा समय में एमएसएमई सेक्टर के समक्ष आ रही वित्तीय समस्या की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए इस संबंध में बैंकों व वित्तीय संस्थानों को यह निर्देश देने का आग्रह किया है कि वह एमएसएमई सेक्टर को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने में तत्परता से कार्य करें। श्री मल्होत्रा के अनुसार लाक डॉउन के दौरान उद्योगों में कार्य आरंभ करने की प्रक्रिया में काफी समस्याओ का सामना उद्योगों को करना पड़ रहा है।

 आपने बताया कि बैंक एमएसएमई इकाइयों को वित्तीय सहायता देने से संकोच कर रहे हैं जबकि आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि बड़े उद्योगों की तुलना में लाक डाउन आरंभ होने के समय तक एमएसएमई इकाइयों का एनपीए रेट 20% की तुलना में 12% ही था।  श्री मल्होत्रा के अनुसार एमएसएमई सेक्टर को 1800000 करोड रुपए के क्रेडिट देने की व्यवस्था की जानकारी भी मिली है, जोकि बड़े उद्योगों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता का एक तिहाई ही है।  श्री मल्होत्रा के अनुसार आवश्यकता इस बात की है कि एमएसएमई सेक्टर के लिए एक स्पष्ट नीति क्रियान्वित की जाए और वित्तीय संस्थानों तथा बैंकों को स्पष्ट निर्देश दिए जाएं कि वे एमएसएमई सेक्टर की मांग के अनुरूप उन्हें तत्परता से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएं। मल्होत्रा के अनुसार एमएसएमई सेक्टर को वर्तमान में श्रमिकों का वेतन, संस्थान में मेंटेनेंस, बिजली और एनर्जी बिल देने के लिए वित्त की काफी आवश्यकता है, ऐसे में यदि एमएसएमई सेक्टर को वित्तीय सहायता उपलब्ध नहीं कराई जाती तो इस सेक्टर के समक्ष आर्थिक चुनौतियां और अधिक बढ़ जाएंगी जिससे निपटना कठिन नहीं नहीं नहीं असंभव होगा। श्री मल्होत्रा ने बताया कि उद्योगों में उत्पादन पुनः आरंभ करने से पहले एमएसएमई सेक्टर को संस्थान में मेंटेनेंस का कार्य करना है, सैनिटाइजेशन पर ध्यान देना है और इसके साथ सोशल डिस्टेंस के लिए कार्य करते हुए स्वच्छता संबंधी प्रावधानों पर ध्यान दिया जाना जरूरी है और इन सब कार्यों के लिए भी वित्तीय सहायता आवश्यक है। श्री मल्होत्रा ने हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल से भी आग्रह किया है कि वह एमएसएमई सेक्टर को पुनः आरंभ करने के लिए स्मार्ट पैकेज की घोषणा करें। आपने इसके साथ-साथ श्रमिकों के अप्रैल माह का वेतन जो कि एमएसएमई सेक्टर के लिए एक बड़ी समस्या है, पर ध्यान देने और इसे ईएसआईसी या अन्य फंड द्वारा देने की मांग भी की है।

श्री मल्होत्रा के अनुसार एमएसएमई सेक्टर के लिए सरकार द्वारा जो नीतियां घोषित की गई है, उन्हें तुरंत प्रभाव से क्रियान्वित किया जाना चाहिए ताकि लाक डाउन के कारण बंद औद्योगिक गतिविधियां को पुनः आरंभ कराने की योजना को वास्तविकता में मूर्त रूप मिल सके। श्री मल्होत्रा ने डीएलएफ इंडस्ट्रियल एसोसिएशन व कंफरडेशन ऑफ फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की ओर से भी उद्योगों के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने हेतु प्रभावी पग उठाने का आग्रह किया है।  श्री मल्होत्रा का मानना है कि इससे जहां रोजगार को बढ़ावा मिलेगा, वही पलायन कर रहे श्रमिकों को भी रोका जा सकेगा। श्री मल्होत्रा ने इसके साथ-साथ एसोसिएशन के सभी सदस्यों व उद्योग प्रबंधकों से भी आहवान किया है कि वे अपने संस्थानों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी सुरक्षा प्रबंधों पर ध्यान दें और सैनिटाइजेशन तथा सुरक्षा संबंधी अन्य मानक अवश्य अपनाएं।  एसोसिएशन के महासचिव श्री विजय राघवन ने श्री मल्होत्रा की मांग व विचारों का समर्थन करते हुए जिला उपायुक्त श्री यशपाल यादव के उन निर्देशों का स्वागत किया है जिसमें कहा गया है कि जब जिला स्तरीय की टीम किसी उद्योग में विजिट करती है तो उसके साथ स्थानीय एसोसिएशन के प्रतिनिधि भी शामिल हो सकते हैं। सर्वश्री जेपी मल्होत्रा व विजय राघवन के अनुसार जिला उपायुक्त का यह निर्णय परस्पर विश्वास को बढ़ाएगा और प्रशासन तथा उद्योग प्रबंधक पुलिस व चिकित्सा वर्ग के सहयोग से कोरोना वायरस से निपटने में निश्चित रूप से सफल रहेंगे।

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने किया मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री एवं उपायुक्त का धन्यवाद :

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने किया मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री एवं उपायुक्त का धन्यवाद :

फरीदाबाद : 10 मई  I प्रदेश सरकार ने निजी स्कूलों को राहत देते हुए स्कूलों में प्रशासनिक कार्यालय खोलने की अनुमति दे दी है। सरकार के आदेशानुसार प्रशासनिक कार्यालय के कार्यों को निपटाने के लिए सीमित स्टाफ के साथ काम करने की अनुमति मिली है। प्रदेश सरकार के इस फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, हरियाणा ने मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल एवं  शिक्षा  मंत्री श्री कँवर पाल का धन्यवाद् प्रकट किया। एसोसिएशन के प्रधान श्री रमेश डागर, महासचिव गौरव पराशर एवं प्रवक्ता दीपक यादव ने आभार प्रकट करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार का फैसला स्वागत योग्य है। इसके लिए वे उपायुक्त श्री यशपाल यादव का भी धन्यवाद् करते हैं जिन्होंने एसोसिएशन की बात को सरकार तक पहुंचाया।

 रमेश डागर ने विश्वास दिलाया हैं कि सभी स्कूल प्रदेश सरकार के तय मनको का पालन करते हुए स्कूल का संचालन करेंगे। दीपक यादव ने कहा की यह फैसला काफी सकारात्मक है। इससे काफी समय से बंद चल रहे स्कूल
में ऊर्जा का संचार  होगा। साथ ही उन अभिभावकों को भी राहत मिलेगी जो ऑनलाइन फीस जमा नहीं करा पा रहे थे। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने कोविड-19 के चलते लॉकडाउन के कारण प्रदेश भर के सभी सरकारी व निजी स्कूल पूर्ण रूप से बंद कर दिए गए थे। ऐसा होने से निजी स्कूलों को उनके प्रशासनिक व दिन की गतिविधियों को पूरा करने में आ रही कठिनाइयों के कारण  प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रयास पर  हरियाणा के राज्य सरकार ने हरियाणा के निजी स्कूलों को अपने प्रशासनिक कार्यालय खोलने की अनुमति देने का फैसला किया है, ताकि वेतन की तैयारी और अन्य जरूरी और अपरिहार्य प्रशासनिक कार्य किए जा सकें।