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Sunday 18 February 2018

खाद्य एलर्जी के लिए सर्वश्रेष्ठ होमियोपैथी औषधि

खाद्य एलर्जी के लिए सर्वश्रेष्ठ होमियोपैथी औषधि

फरीदाबाद 19 फरवरी ।  इस लेख में हम खाद्य एलर्जी के कारण, लक्षण और होम्योपैथिक उपचार को संबोधित करेंगे। भोजन की प्रतिक्रिया के प्रकार के बीच का अंतर महत्वपूर्ण है जब वे तीव्रता और विभिन्न उपचार की डिग्री दिखाते हैं।

क) खाद्य एलर्जी: यह एक या अधिक प्रकार के भोजन के एक या एक से अधिक प्रोटीन के प्रति प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया है। खाद्य एलर्जी, कुछ मामलों में, गंभीर एनाफिलेक्सिस को जन्म दे सकती है

बी) गैर एलर्जी प्रतिक्रियाओं: प्रतिक्रियाओं है कि प्रतिरक्षा प्रणाली के सक्रियण के कारण नहीं हैं; उनमें से हम लैक्टोज असहिष्णुता, गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स, पेट दर्द, भोजन की जहर, आदि का उल्लेख कर सकते हैं।

खाने से एलर्जी
खाद्य एलर्जी लगभग 8% बच्चों और 3% वयस्कों को प्रभावित करती है। खाद्य एलर्जी एक मजबूत आनुवंशिक घटक है और 70% रोगियों के पास सकारात्मक पारिवारिक इतिहास है। शास्त्रीय भोजन एलर्जी आईजीई बुलाया एक एंटीबॉडी की कार्रवाई के कारण होता है हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को किसी भी विदेशी पदार्थ से लड़ने के लिए क्रमादेशित किया जाता है जो हमारे शरीर पर हमला करता है, तथापि, कुछ सहिष्णुता होती हैं जब ये पदार्थ जठरांत्र प्रणाली से गुजरते हैं। एक व्यक्ति जो कुछ खाद्य पदार्थों से एलर्जी है, उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली कुछ प्रोटीन पर प्रतिक्रिया करती है, क्योंकि यह एक खतरनाक हमलावर है। भोजन एलर्जी के साथ एक रोगी में आमतौर पर अन्य प्रकार की एलर्जी होती है, जैसे कि राइनाइटिस, अस्थमा, त्वचा एलर्जी, आदि, क्योंकि समस्या आईजीई के उत्पादन में है, जो अपर्याप्त लक्ष्य को निर्देशित करता है, अर्थात हमारे शरीर के लिए प्रोटीन हानिकारक नहीं है। एक्जिमा से 1/3 से अधिक बच्चों को भी कुछ खाद्य पदार्थों से एलर्जी है।

उदाहरण के लिए, शेलफिश के लिए एक रोगी एलर्जी वास्तव में इन खाद्य पदार्थों में उपस्थित एक या अधिक प्रोटीन से एलर्जी है। इसलिए, चिंराट के लिए एलर्जी रोगी अन्य क्रस्टेशियंस बर्दाश्त नहीं कर सकता, क्योंकि प्रोटीन बहुत समान हैं। उसी तर्क के बाद, मूँगफली के एलर्जी वाले रोगी सोया, मटर या सेम के घूस पर प्रतिक्रिया कर सकते हैं। जब रोगी को प्रोटीन हाइपर एलर्जी हो तो पाचन ट्रैक में आते हैं, आईजीई एंटीबॉडी भड़काऊ प्रतिक्रिया पैदा करती है, गलती से सोच रही है कि यह प्रोटीन शरीर के लिए हानिकारक है।

जब आईजीई एंटीबॉडी प्रोटीन से जुड़े होते हैं, तो वे अन्य कोशिकाओं को सक्रिय करते हैं, जैसे मस्तूल कोशिकाएं (फेफड़े, गले, त्वचा, नाक और आंतों में बड़ी मात्रा में मौजूद हैं) और बोडोफिल जो रक्त में फैलते हैं। ये कोशिकाएं हिस्टामाइन जैसे रसायनों का उत्पादन करती हैं, जो कि आक्रमणकारी एजेंट के विनाश के लिए जिम्मेदार हैं, अंत में, अंत में एलर्जी के विशिष्ट लक्षण पैदा करने के लिए खाद्य एलर्जी का तंत्र समान है, उदाहरण के लिए, एलर्जी रिनिटिस के मुताबिक
कुछ प्रोटीन की शरीर की प्रतिक्रिया अधिक होती है, और इससे बासोफिल और मस्तूल कोशिकाओं द्वारा रसायनों को छोड़ना और एलर्जी की प्रतिक्रिया अधिक होती है। कुछ मामलों में, प्रतिक्रिया इतनी असभ्य है कि यह रोगी के जीवन को खतरे में डालती है, एनाफिलेक्सिस नामक एक शर्त।

खाद्य एलर्जी की लम्बाई भोजन के घूस के कुछ घंटों के बाद एक भोजन एलर्जी के लक्षण दिखाई देते हैं, हालांकि, यह 4 से 6 घंटे तक लग सकता है। चूंकि फेफड़े, गले, त्वचा, नाक और आंतों में बड़ी संख्या में मास्ट कोशिकाएं होती हैं, एलर्जी के लक्षण आमतौर पर इन अंगों से जुड़े होते हैं।

खाद्य एलर्जी का सबसे आम लक्षण अर्चिसिया, खुजली और लाल (खुजली) सजीले टुकड़े हैं जो आमतौर पर ट्रंक पर स्थित होते हैं। एक अन्य आम लेकिन अधिक खतरनाक लक्षण एंजियोएडेमा है, जो श्लेष्म झिल्ली की सूजन होती है जो आमतौर पर होंठों की सुई के साथ प्रकट होता है। जब एंजियोडियोमा गंभीर हो जाता है, जीभ की सूजन और गले के श्लेष्म झिल्ली हो सकता है, जिससे फेफड़ों में वायु प्रवाह की रुकावट हो सकती है। रोगी हवा की रुकावट के कारण श्वास बंद कर सकता है। अन्य एलर्जी लक्षणों में राइनाइटिस, नेत्रश्लेष्मलाशोथ, अस्थमा, दस्त, पेट में दर्द और उल्टी शामिल होते हैं। यदि बेसोफिल और मस्तूल कोशिकाओं का एक विशाल सक्रियण है, तो प्रतिक्रिया इतनी मजबूत हो सकती है कि इससे अत्यधिक वासोडिलेशन का कारण बनता है, जिससे रोगी को धमनीय सदमे के रूप में जाना जाता है, जिसके कारण परिसंचारी शॉक की स्थिति होती है।

ओरल एलर्जी सिंड्रोम
ओरल एलर्जी सिंड्रोम, जिसे पराग-खाद्य एलर्जी सिंड्रोम भी कहा जाता है, एलर्जी सिंड्रोम के रूप में भी जाना जाता है, जो एलर्जी रेजिटाइटिस से लगभग आधे रोगियों को पराग को प्रभावित करता है। ये रोगी कच्चे फलों और सब्जियों को एलर्जी की एक तस्वीर पेश करते हैं जो उनको खाए जाने के तुरंत बाद प्रकट होते हैं। सबसे आम भोजन केले, तरबूज, तरबूज, सेब, आड़ू, बेर, गाजर, ककड़ी, कद्दू, हेज़लनट, अजवाइन, अन्य के बीच में हैं।

शारीरिक व्यायाम के बाद खाद्य एलर्जी
एक प्रकार की एलर्जी है जो स्वयं को प्रकट करती है अगर मरीज कुछ खाद्य पदार्थ खाने से 4 घंटे तक कुछ शारीरिक गतिविधि का अभ्यास करता है। इस प्रकार की एलर्जी के साथ रोगी चिंराट खा सकता है और कुछ भी नहीं महसूस कर सकता है, लेकिन अगर वह खाती है और कुछ प्रकार के व्यायाम का अभ्यास कर रहा है, तो उसे एनाफिलेक्टिक प्रतिक्रिया भी भुगतनी पड़ सकती है।

खाद्य एलर्जी की विषाक्तता  निदान में नैदानिक ​​इतिहास शामिल है, जहां प्रतिक्रियाओं से पहले खाए गए खाद्य पदार्थों और लक्षणों के प्रकट होने के लिए समय बीतने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

त्वचा परीक्षण मदद कर सकता है इन में, एलर्जी चिकित्सक उन रोगियों के प्रति प्रतिक्रियाओं की तलाश में रोगी के प्रकोष्ठ में कई प्रकार के प्रोटीन का इस्तेमाल करता है। परिणाम में केवल 15 मिनट लगते हैं परीक्षण का मुख्य मूल्य तब होता है जब यह ऋणात्मक होता है, जो कि प्रोटीन को त्यागने के लिए कार्य करता है जो किसी भी प्रतिक्रिया का कारण नहीं था। सकारात्मक परीक्षण यह निश्चित नहीं है कि रोगी इस प्रोटीन से एलर्जी है

कुछ मामलों में एनाफिलेक्टेक्टीक प्रतिक्रिया के उच्च जोखिम के साथ, चिकित्सक अधित्याग के जोखिम के कारण इस परीक्षण को नहीं चुन सकते।

यह अब संभव है कि खून में विशिष्ट आईजीई के खुराक को यह पता चले कि मरीज को एलर्जी कैसे विकसित होता है।

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स्ट्रासबोर्ग यूनिवर्सिटी में मुख्य शोधार्थियों से डॉ0 चौहान की मुलाकात फ़्रांस ,स्पेन व पौलेन्ड के सांइटिस्टों ने दिखाई आयुर्वेद में रुचि

स्ट्रासबोर्ग यूनिवर्सिटी में मुख्य शोधार्थियों से डॉ0 चौहान की मुलाकात फ़्रांस ,स्पेन व पौलेन्ड के सांइटिस्टों ने दिखाई आयुर्वेद में रुचि

फरीदाबाद 18 फरवरी । जीवा आयुर्वेद के डायरेक्टर डॉ0 प्रताप चौहान पौलेन्ड व स्पेन में दो सप्ताह के आयुर्वेदिक व्याख्यान यात्रा से लौट आए हैं।

अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने एलीकेन्ट, स्पेन में प्रमुख साइंटिस्टों डॉ0 मार्को पाया, डॉ0 जैक्स ििनयर, मॉरिस फि लीपन, फ्र ांसिस्को कॉल और जीन पियरे से मुलाकात की। बातचीत के दौरान उन्होंने सहमति जताई कि जीवनशैली से सम्बन्धित रोगों जैसे डायबिटिज, ऑबेसिटि, हाई ब्लड़ प्रेशर और तनाव में आयुर्वेद के साथ रिसर्च प्रोजेक्ट पर कार्य करेंगे।

मीटींग में इस बात पर जोर दिया गया कि रोगों से बचने व इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेद व यूरोप में नियमान प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग करना चाहिए। यूरोप में इंटिग्रेटिव ट्रीटमेंट सेन्टर खोलने के लिए भी आपसी सहमति बनी। जीवा आयुर्वेद इस प्रकार का एक सेन्टर इसी वर्ष फरीदाबाद में खोलने जा रहा है। फ्र ांस की स्ट्रासबोर्ग यूनिवर्सिटी के सांइन्टिस्टों के साथ भी डॉ0 चौहान ने मुलाकात की जिसके साथ वह आयुर्वेदिक औषधियों का महत्व दर्शाने के लिए कार्य कर रहे हैं। इन मीटिंग्स के अतिरिक्त, डॉ0 चौहान ने पौलेन्ड के दो शहर वॉरसॉ व व्रोक्लॉ में आयुर्वेदिक कोर्स भी पढ़ाया।

Friday 16 February 2018

जीवा आयुर्वेद में क्षारसूत्र चिकित्सा पर डॉक्टर्स की सीएमई का आयोजन

जीवा आयुर्वेद में क्षारसूत्र चिकित्सा पर डॉक्टर्स की सीएमई का आयोजन

फरीदाबाद 16 फरवरी । श्रेष्ठ आयुर्वेदिक उपचार व औषधि उपलब्ध कराने में निरन्तर अग्रणी जीवा आयुर्वेद ने 16 फ रवरी को जीवा मेडिकल रिसर्च सेन्टर पर इसकी वार्षिक सीएमई में क्षारसूत्र चिकित्सा परिचर्चा का आयोजन किया। जीवा आयुर्वेद द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्ेश्य जीवा डॉक्टर्स व प्राइवेट प्रैक्टिशनर्स को इस विधि की जानकारी प्रदान करना था।

फ रीदाबाद में कार्यरत 25 से अधिक डॉक्टर्स ने सीएमई में हिस्सा लिया जिनके लिए क्षारसूत्र चिकित्सा विधि की विशेषता को समझना व अपने ज्ञान में वृ़ि़द्ध करने का एक अनोखा अवसर था। जीवा आयुर्वेद के डायरेक्टर डॉ प्रताप चौहान ने, वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ0 सपना भार्गव के साथ, इस चिकित्सा के प्रभाव और फ ायदे के बारे में जानकारी दी। डॉ0 चौहान ने जीवा आयुर्वेद की अन्य उपलब्धियों व डॉक्टर्स के लिए सहभागिता के अवसरों के बारे में चर्चा की। 

गुदा मार्ग संबंधी परेशानियों जैसे पाइल्स, फि शर व फि स्टुला के लिए क्षारसूत्र थैरपी एक प्रभावी, सुरक्षित व कम खर्चीली चिकित्सा पद्धति है। इस विधि में मिनिमल सर्जरी व नहीं के बराबर हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत होती है।

अन्य उपचार प्रणालियों की तुलना में, क्षारसूत्र के उपरान्त रोग के दुबारा उत्पन्न होने की संभावना काफ ी कम होती है। इस चिकित्सा के परिणाम दर्शाते हैं कि एनो-रेक्टल रोगों की एडवांस स्टेज मेें भी यह रोगियों को काफ ी आराम पहुँचाती है।

क्षारसूत्र थैरेपी की अधिक जानकारी के लिए कृपया इस लिंक पर विजिट करें: 

Wednesday 14 February 2018

भुवनेश ढींगडा की आठवी पुण्य तिथि संकल्प दिवस के रुप में मनाई

भुवनेश ढींगडा की आठवी पुण्य तिथि संकल्प दिवस के रुप में मनाई

फरीदाबाद 14 फरवरी । समाजसेवी भाई भुवनेश कुमार ढींगडा की आठवी पुण्य तिथि आज संकल्प दिवस के रुप में मनाई गई। इस मौके पर एक विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया जिसमें 151 युवाओं नेे रक्त दान किया तथा सैकडों युवाओं का रजिस्ट्रैशन किया गया ताकि जरुरत पडने उन युवाओं को रक्त दान के लिए बुलाया जा सके। भाई मित्र मंडल तथा भाई भुवनेश कुमार ढींगडा फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस समारोह में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए प्रदेश के कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने कहा कि आज यहां पर उपस्थित लोगों का हजूम यह दर्शाता है कि भाई ढींगडा का पूरा जीवन किस प्रकार से जनता को समर्पित था। उनके अनुसार आज उनकी याद में जिस प्रकार से युवा रक्तदान का संकल्प ले रहे हैं उसने उनकी पुण्य तिथि को संकल्प दिवस के रुप में मनाना सार्थक कर दिया है। विपुल गोयल ने इस मौके पर रक्तदान करने वाले युवाओं का हौंसला भी बढाया तथा आयोजित प्रभु भजन व भंडारे में भी हिस्सा लिया।



उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कैबिनेट मंत्री ने कहा कि यह भी एक अनौखा उदाहरण है कि एक भाई अपने दूसरे भाई की स्मृति में जिस प्रकार से लगातार पिछले आठ सालों से यह आयोजन कर रहा है, इसके लिए उन्होंने कार्यक्रम के आयोजक पूर्व पार्षद योगेश कुमार ढींगडा को बधाई भी दीे। इस मौके पर भाई भुवनेश कुमार ढींगडा को श्रंदाजली देने पहुंचे प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री चौधरी महेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा आज जिस प्रकार से युवा वर्ग भुवनेश मे अपनी आस्था प्रकट करता है वह इस बात का प्रमाण है कि भुवनेश ने हमेशा समाज के लिए जीवन जीया था और योगेश ढींगढा उनका सही अनुसरण कर रहा है। उन्होंने लोगों को रक्तदान के महत्व को भी बताया कहा कहा कि आज रक्त दान करने व संकल्प लेने वाले दोनों की ही यह भुवनेश को सच्ची श्रंदाजली है।



इस मौके पर भुवनेश कुमार ढींगडा को अपनी श्रंदाजली देते हुए फरीदाबाद की माहापौर सुमन बाला ने कहा कि भाई भुवनेश ढींगडा मैमोरियल पार्क में जिस प्रकार से पूरा शहर एकत्रित होकर भाई को याद करता है वह इस बात का प्रमाण है कि भाई का जीवन हर वर्ग के लिए एक प्ररेणा है जो कि दूसरों की सेवा की शिक्षा देता है।उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से यहां पर प्रभु भजन व भंडारे का आयोजन किया गया है उससे निश्चित तौर पर समाज में भक्तिभाव का संदेश जाएगा। इस मौके पर विधानसभा सदस्य ललित नागर तथा नगेन्द्र भडाना ने लोगों को भुवनेश के साथ विताए अपने दिनों की यादों को सांझा करते हुए कहा कि आज भी वह जब काम करते हैं तो उनको भुवनेश की कही बातें याद आती हैं। यही नहीं उन्होंने कहा कि जब वह यहां पर भुवनेश को श्रंदाजली देने आते हैं तो यहां पर उनके व अपने पुराने साथियों के चेहरेां में उनको भुवनेश दिखाई देता है। समारोह को सम्बोधित करते हुए हरियाणा सरकार में चैयरमेन धनेश अदलक्खा ने कहा कि उनको भाई भुवनेश ढींगडा की कमी आठ साल वाद भी खलती है, असल में भुवनेश ढींगडा एक ऐसी सख्सियत है जो कि अपने कामों से हमेशा के लिए अमर हो गए हैं।



इस मौके पर निगम पार्षद मनेाज नासवा,पार्षद पति कबिन्द्र चौधरी, निगम के पूर्व वरिष्ठ उपमहापौर मुकेश शर्मा, उपमहापौर राजेन्द्र भांमला, बसंत विरमानी, बनारसी दास गुप्ता ट्रस्ट के चैयरमेन अजय गुप्ता, होटल डिलाईट के मालिक बंटी भाटिया, प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष नरेन्द्र गुप्ता, कांग्रेसी नेता मोहम्म्द बिलाल, सत्यवीर डागर, डाक्टर धर्मदेवआर्य, विकास चौधरी, सुमित गौड, गुलशन बगगा, बार एशोशिएसन के प्रधान संजीव चौधरी, आप नेता धर्मवीर भडाना, रोहतास पहलवान, समाजसेवी प्रमोद गुप्ता, डीएवी शताब्दी कालेज के प्राचार्य सतीस आहुजा, वासदेव सलूजा,सुधा रस्तोगी डेंटल कालेज के चैयरमेन धर्मवीर गुप्ता, उद्योगपति एच आर बत्तरा, बी आर भाटिया, भाटिया सेवक समाज के प्रधान सरदार मोहन सिंह भाटिया, सैनिक कालोनी के चैयरमेन राकेश धुन्ना, निदेशक महावीर, पूनम आहुजा, देवेन्द्र आहुजा, सेवा समिति नम्बर एक के प्रधान अजय नौनिहाल, शक्ति सेवा दल के प्रधान मोहन लाल अरोडा, आई एम ए की अध्यक्षा डाक्टर पुनिता हसीजा, फरीदाबाद दवा विक्रेता संघ के प्रधान श्रीचंद मंगला, महासचिव चंद्र प्रकाश, चैयरमेन महेन्द्र लूथरा,प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष राधा नरुला फ्रैंडर्स वेलफेयर एशोशिएसन के प्रधान श्री दौलत राम चढ्ढा, एच एम आर ए के प्रधान व पदाधिकारी, आल इंडिया बन्नू बिरादरी के पूर्व प्रधान सरदार बहादुर सिंह सब्बरबाल, पीर जगन्नाथ के सुपुत्र अजय नाथ, बी आर औझा के सुपुत्र राजन औझा, आर जी एस सी के प्रधान विकास वर्मा अधिवक्ता, जिला प्रधान आल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस डाक्टर सौरव शर्मा, कांग्रेसी नेता तिलक राज शर्मा, होटल राजमंदिर के चैयरमेन गुलशन भाटिया, प्रदेश महासचिव बलजीत कौशिक, मदन मुखी, चंद्र विरमानी, पूर्व पार्षद जगन डागर, जिला बन्नूवाल विरादरी के प्रधान रमेश भाटिया, भाजपा नेता कंवर बालू सिंह, जिला व्यापार प्रकोष्ठ भाजपा के अध्यक्ष राजन मुथरेजा, बन्नू बेलफेयर के प्रधान राकेश भाटिया, शिव शंकर सेवादल के चैयरमेन संजय शर्मा, ओ पी धामा, किशन ठाकुर, पी एल सहगल, आर के चुग, दीपक विरमानी, सरदार उजागर सिंह, प्रीतम सिंह भाटिया, एम एल आहुजा, भोजपुरी अवधी समाज तथा पूर्वी सेवा समिति के सदस्य,   जिला ब्राह्मण सभा के प्रधान प्रहलाद शर्मा, यशपाल जयसिंह, महावीर भडाना, श्री देव गुरु बृहस्पति सेवक ट्रस्ट के सभी सदस्य, वदे भाटिया, दीपक भाटिया, नगर निगम करनाल के मुख्य अभियंता अनिल महत्ता, डाक्टर एम पी सिंह, अनिल चुग, डाक्टरी सुभाष मनचंदा, हरीश मल्हौत्रा, सचिव प्रदेश कांगं्रस ललित भडाना, कांग्रेस सेवादल के चैयरमेन बजरंग लाल वर्मा, पूर्व विधायक के एन गुलाटी के पुत्र हरीश गुलाटी, अकाली नेता रविंद्र राणा, अजय अरोडा, निगम के पूर्व सीटीपी एस सी कुश, मोहन लाल कुकरेजा, उमेश पंडित, सुभाष बवेजा, धनश्याम, यशपाल तनेजा, हरिचंद तनेजा, पीडी मदान, अनिल हशीजा, कुंदर आहुजा, रमेश मदान, सुंदर गाबा,  सहित शहर के गणमान्य लोग, स्वयं स

Friday 9 February 2018

वेलेंटाइन दिवस पर किसिंग रोग से बचे ,जानिए क्यों ?

वेलेंटाइन दिवस पर किसिंग रोग से बचे ,जानिए क्यों ?

फरीदाबाद : 10 फ़रवरी I क्रोनिक मोनोन्यूक्लिओस जिसे मोनो के नाम से भी जाना जाता है एक तीव्र संक्रामक बीमारी है जो कि रक्त को परिसंचारी रक्त में असामान्य रूप से बड़ी संख्या में मोनोन्यूक्लियर ल्यूकोसाइट्स की उपस्थिति से होता है।
इसे 'चुंबन रोग' कहा जाता है क्योंकि यह चुंबन के माध्यम से फैल सकता है। कुछ अन्य परिस्थितियों जो संभावित रूप से मोनोन्यूक्लियोसिओसिस के संचरण की सुविधा देती हैं, एक संक्रमित व्यक्ति की सर्दी, खाँसी या छींकने का जोखिम होती है; और एक संक्रमित व्यक्ति के साथ साझा चश्मा, व्यंजन या भोजन के बर्तन के माध्यम से

क्रोनिक मोनोन्यूक्लूसिस को 'क्रोनिक थिगम सिंड्रोम' भी कहा जाता है - और इसका सबसे आम कारण एपस्टीन-बार वायरस (ईबीवी) है। इस रोग के लक्षण लक्षण बुखार, थकान और गले में गले हैं; जो आम तौर पर सीधे मौखिक संपर्क, या लार के माध्यम से प्रेषित होता है।

ईबी वायरस में 4-6 सप्ताह का ऊष्मायन अवधि है, और बच्चों के मामले में ऊष्मायन अवधि कम है। हालांकि, संक्रमित होने के कई दिनों बाद वायरस संक्रमित व्यक्ति के लार में रह सकता है। डॉ। अभिषेक कसाना एमडी की सलाह है कि लक्षण कम होने के बावजूद, लंबे समय तक निवारक उपायों को लिया जाना चाहिए।

वर्ष के अन्य मौसमों की तुलना में मोनो या चुंबन रोग की घटना अधिक वसंत ऋतु में अधिक होती है; हालांकि यह आम सर्दी या कुछ श्वसन संक्रमण के रूप में संक्रामक नहीं है। यह रोग मुख्य रूप से बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है

चुंबन बीमारी आमतौर पर बहुत गंभीर बीमारी नहीं होती है लेकिन, एपस्टाइनब्रायर वायरस उन रोगियों में गंभीर बीमारी का कारण हो सकता है जिनके प्रतिरक्षण में बिगड़ा हुआ है, विशेष रूप से रोगी जो एचआईवी या रोगी से ग्रस्त हैं जो अंग प्रत्यारोपण के बाद प्रतिरक्षा दमनकारी दवा पर हैं।

मोनोन्यूक्लियोसिस की रोकथाम के लिए कोई टीका नहीं है, और आज तक मोनो के लिए कोई विशिष्ट उपचार का उल्लेख नहीं है। डॉ। अभिषेक कसाना के अनुसार चुंबन रोग का उपचार मुख्य रूप से लक्षण है; पर्याप्त आराम के साथ, तरल पदार्थ के पर्याप्त सेवन के साथ संतुलित स्वस्थ आहार

क्रोनिक मोनोन्युल्योसिस के लक्षण

• गर्दन और बगल में सुस्ती / बढ़े लिम्फ नोड्स
• सूजन तिल्ली
• गले में गले, जो एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग के बावजूद बनी रहती हैं।
• सूजन टॉन्सिल, जो श्वास को प्रभावित कर सकती है।
• त्वचा के लाल चकत्ते
• बुखार
• थकान
• सरदर्द


कैसरिंग रोग के अनुपालन

• मेनिनजाइटिस, एन्सेफलाइटिस, गुइलेन-बैरी सिंड्रोम और तंत्रिका तंत्र की अन्य जटिलताओं।
तिल्ली का इज़ाफ़ा
• खून की कमी
• सूजन टॉन्सिल के कारण साँस लेने में कठिनाई
• हेपेटाइटिस और जंडीस जैसी लीवर की समस्याएं
• थ्रोम्बोसाइटोपेनिया
• मायोकार्डिटिस



पुरानी मोनोन्यूक्लिओसिस के लिए कोई विशेष होम्योपैथिक चिकित्सा नहीं है, होम्योपैथिक उपचार होम्योपैथिक चिकित्सक द्वारा किए गए विभिन्न उपायों के आसपास घूमता है ताकि लक्षणों को नियंत्रित करके पीड़ित रोगियों को राहत प्रदान किया जा सके।

कुछ होम्योपैथिक दवाएं ईबीवी के साथ क्रोनिक मोनोन्यूक्लियोटिक के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद हो सकती हैं, क्योंकि ये दवा प्रभावी रूप से किसी भी दुष्प्रभाव या जटिलताओं के बिना रोग का प्रबंधन कर सकती हैं।

कुछ होम्योपैथिक दवाएं, जो विशिष्ट रूप से, ईबीवी के साथ क्रोनिक मोनोन्यूक्लिओसिस संक्रमण के प्रबंधन में बेहद उपयोगी साबित हो सकती हैं:

1 कार्बो-शाका, मैगेल-एल, सैर्कोलेक्टिक एसिड, नेट्रम -लल

2 चीन

3 मैगेल-एल

4 साराकोलिक एसिड

5 एन एट्र्रम -लल





Wednesday 7 February 2018

एशियन अस्पताल के डाॅ. रोहित नैय्यर ने 42 वर्षीय महिला के पेट से निकाला 11किलो का ट्यूमर

एशियन अस्पताल के डाॅ. रोहित नैय्यर ने 42 वर्षीय महिला के पेट से निकाला 11किलो का ट्यूमर

फरीदाबाद, 7 फरवरी । बढ़ती उम्र के साथ कुछ स्वास्थ्य समस्याएं होना एक आम बात होती है। ऐसे में इन परेशानियों को नजरअंदाज कर देना कभी-कभी बड़ी बीमारी का रूप धारण कर लेता है। ऐसा ही कुछ हुआ बड़कल निवासी (बदला हुआ नाम) सलमा के साथ। सलमा को तकरीबन एक साल से पेट दर्द की समस्या थी। इसके साथ ही धीरे-धीरे पेट फूलने लगा। पहले से ही डायबिटीज और हाइपरटेंशन से पीड़ित सलमा को सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी। सलमा की इस हालत को देखते हुए उसके परिजनों ने उसका आल्ट्रासाउंड करवाया। आल्ट्रासाउंड कराने पर पता चला कि सलमा के पेट में बहुत बड़ी गांठ है। परिजन उसको लेकर एशियन अस्पताल पहंुचे। 

एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अस्पताल के कैंसर सर्जन डाॅ. रोहित नैय्यर ने सलमा का पेट सीटी स्कैन कराने की सलाह दी। पेट सीटी से बात स्पष्ट हो गई कि सलमा के पेट में बहुत बड़ी गांठ थी। डाॅक्टर ने ट्यूमर की संभावना जताते हुए परिजनों की मरीज की स्थिति के बारे में जानकारी दी और तुरंत सर्जरी कराने की सलाह दी। परिजनों की स्वीकृति मिलने पर सर्जरी की गई। डाॅ. रोहित नैय्यर, डाॅ. थान सिंह तोमर  और डाॅ. विकास जैन सहित आॅन्कोलाॅजी टीम ने सफलतापूर्वक सर्जरी की। ढ़ाई घंटे की सर्जरी के दौरान मरीज के पेट से 30 बाई 28 सेंटीमीटर की 11 किलो का ट्यूमर निकाला। इसके अलावा बीमारी को बढ़ने से रोकने के उद्देश्य से डाॅक्टरों ने मरीज की बच्चादानी और अंडकोश भी निकाला गया। ट्यूमर की जांच फ्रोजन सेक्शन (इस तकनीक के माध्यम से पता चल जाता है कि गांठ कैंसर की है या नहीं) से की गई, जिसकी रिपोर्ट आधे घंटे के भीतर आ गई।

डॉ. रोहित ने बताया कि यह सर्जरी बहुत जटिल सर्जरी थी। महिला को हाइपरटेंशन और डायबिटीज की समस्या थी और उम्रदराज होने के कारण यह समस्या निरंतर बढ़ रही थी। ट्यूमर लेफ्ट ओवरी (बाएं अंडकोश) की ओर से बढ़ रहा था और इसने लिवर को दबा दिया था। पेट को ऊपर की ओर धकेल रहा था, जिसके कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। सर्जरी के बाद अभी सलमा पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं। 

Saturday 3 February 2018

 एशियन अस्पताल द्वारा कैंसर के प्रति जागरूकता रैली का आयोजन किया गया

एशियन अस्पताल द्वारा कैंसर के प्रति जागरूकता रैली का आयोजन किया गया

 फरीदाबाद 4 फरवरी 2018। ”कैंसर को डिटेक्ट करो, खुद को प्रोटेक्ट करो” के नारे के साथ एशियन अस्पताल  द्वारा कैंसर दिवस के मौके पर एक कैंसर जागरूकता रैली का आयोजन किया गया । इस रैली में तकरीबन 300 लोगों ने भाग लिया। इस मौके पर एशियन अस्पताल के चेयरमैन एवं मेनेजिंग डायरेक्टर डाॅ. एन.के पांडे, अनुपम पांडे, डॉ. पी.एस आहुजा, डॉ. नीतू सिंघल, डॉ. रोहित नैय्यर, डाॅ. प्रवीन कुमार बंसल, और डाॅ. राहुल अरोड़ा आदि मौजूद रहे। 
एशियन अस्पताल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डाॅ. एन.के पांडे ने रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रैली में लोगों को जागरूक करने के लिए पोस्टर व बैनर के माध्यम से संदेश दिए गए। एशियन अस्पताल से अनखीर चैक होते हुए वापस एशियन अस्पताल पहंुचे।

डाॅ. पांडे ने कहा कि हमारे देश में धूम्रपान और तंD BHYबाकू के सेवन के चलते सबसे ज्यादा मुंह और गले के कैंसर के रोगी पाए जाते हैं। सिगरेट, धूम्रपान, गुटखा, खैनी पान, जर्दा व पान-मसाला आदि कुछ ऐसे कारण हैं जो व्यक्ति के हाथ में हैं। कि अगर व्यक्ति इनका सेवन बंद कर दे तो कैंसर से पूरी तरह से बचा जा सकता है।

एशियन अस्पताल के कैंसर सर्जन डाॅ. रोहित नैय्यर ने बताया कि जागरूकता के अभाव में लोग समय पर कैंसर के इलाज के लिए अस्पताल में नहीं पहंुच पाते। अधिकतर मरीज तीसरी या चैथी स्टेज में अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं। एडवांस स्टेज में इलाज होने की वजह से उस कैंसर का पूर्णतया इलाज संभव नहीं है। अतः इससे बचने केे लिए या जल्दी इलाज कराने के लिए 35 वर्ष की उम्र के बाद नियमित रूप से पूरे शरीर का चैकअप कराना चाहिए। ताकि समय रहते बीमारी का पता चल सके। 

एशियन अस्पताल के मेडिकल आन्कोलाॅजिस्ट डाॅ. प्रवीन कुमार बंसल ने बताया कि आज की व्यस्त जीवनशैली में लोग अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज करते हैं और अपने खान-पान की ओर भी ध्यान नहीं देेते। ऐसे में उन्हें स्वस्थ रहने के लिए नियमित व्यायाम करना चाहिए और बाहरी खाने व जंक फूड के सेवन से परहेज करना चाहिए। 
अगली पीढ़ी को साफ और हरित पर्यावरण वापिस करना हमारा कर्तव्य है': डॉ.हर्षवर्धन

अगली पीढ़ी को साफ और हरित पर्यावरण वापिस करना हमारा कर्तव्य है': डॉ.हर्षवर्धन

नई दिल्ली :3 फ़रवरी I केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने शिक्षक समुदाय को अपने हरित सामाजिक उत्तरदायित्व की याद दिलाई,शिक्षकों को "हरित,अच्छे कार्यों" के अभियान में सम्मिलित होने का आह्वान किया

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ.हर्षवर्धन ने शिक्षक समुदाय से "हरित, अच्छे कार्यों" के अभियान में सम्मिलित होने का आह्वान किया है, जो कि लोगों और छात्रों को विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के विषय पर संवेदनशील बनाने के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था।

उत्तर दिल्ली नगर निगम के सभी सरकारी विद्यालयों के लगभग 700 प्रधानाचार्यों को संबोधित करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि पर्यावरण वैश्विक चिंता का विषय है, जितना आज से पहले कभी नहीं था।

"सम्पूर्ण विश्व ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के खतरों से चिंतित है। दिल्ली में लोग पहले ही वायु प्रदूषण का सामना कर रहे हैं। पर्यावरण और जीवन पर उसका प्रभावहर वैश्विक मंच की कार्य सूची पर हैं, हर कोई अपेक्षा के साथ भारत की ओर देख रहा है क्योंकि उन्हें लगता है कि भारतवासियों के पास पर्यावरण की सुरक्षा डीएनए में है।

हमारे पूर्वजों ने पर्यावरण की सुरक्षा को अपनी जीवन शैली का एक हिस्सा बना दिया था। यह हमारी संस्कृति का अभिन्नअंगथा – हमारे पूर्वजों ने नदियों, वायु, पेड़ों, जंगलों और पृथ्वी की पूजा की और वे ज़मीन के साथ सामंजस्य से जीवन व्यतीत करते थे,"डॉ.हर्षवर्धन ने कहा


मंत्री महोदय ने प्रधानाचार्यों से अपने "हरित सामाजिक दायित्व" के विषय में याद कराया, जो की कॉर्पोरेट जगत के सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के समान है। पल्स पोलियो अभियान में नगर निगम विद्यालयों के  "पोलियो सैनिकों" द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होंने "हरित सैनिकों" की आवश्यकता को रेखांकित किया और हरित अच्छे कार्यों के आंदोलन को व्यापक बनाने पर और इसे जमीनी स्तर पर सफलता पूर्वक ले जाने पर बल दिया।

डॉ.हर्षवर्धन ने कहा कि हमारे लिए स्वच्छ और हरित पर्यावरण को बहाल करना असंभव नहीं है। उन्होंने कहा, "यह केवल एक तकनीकी मुद्दा नहीं है, अपितु एक नैतिक उत्तरदायित्व है जोकि अगले पीढ़ी को स्वच्छ और हरित पर्यावरण को बहाल करे और उसे वापिस लौटा दे।" इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने "हरित अच्छे कार्यों " के नाम से एक लोकोन्मुख अभियान आरम्भ किया है। उन्होंने कहा कि यह अभियान को शिक्षकों, छात्रों और अन्य स्वैच्छिक संगठनों की भागीदारी के द्वारा ही व्यापक बनाया जाए।


डॉ.हर्षवर्धन प्रधानाचार्यों को सम्बोधित करते हुए

'डॉ.हर्षवर्धन'  के नाम से एक मोबाइल एप्लिकेशन –



अभियान पर पूरे भारत में लोगों तक पहुंचने के लिए तैयार किया गया है, जिसे हाल ही में आरम्भ किया गया है।

डॉ.हर्षवर्धन ने प्रधानाध्यापकों की सभा को संबोधित करते हुए डिजिटल प्रौद्योगिकी के सीमावर्ती क्षेत्रों में शोध के लिए बजटीय आवंटन का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री जी को 2018 के आम बजट में धन आबंटित करने के लिए उनके व्यावहारिक दृष्टिकोण के लिए धन्यवाद दिया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग साइबर भौतिक सिस्टम पर एक मिशन लॉन्च करेगा जिस सेरोबोटिक्स, कृत्रिमबुद्धि, डिजिटल निर्माण, बड़े डेटा विश्लेषण, क्वांटम संचार और चीजों के इंटरनेट के क्षेत्र में उत्कृष्टता के केंद्रों की स्थापना का समर्थन हो सकेगा।, "भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दुनिया के किसी भी देश से पीछे नहीं है,"डॉ. हर्षवर्धन ने कहा।

Thursday 1 February 2018

जीवा आयुर्वेद प्रस्तुत करते हैं, बाल ओजस - बच्चों के लिए सभी मौसम में इम्यूनिटीवर्द्धक सम्पूर्ण टॉनिक

जीवा आयुर्वेद प्रस्तुत करते हैं, बाल ओजस - बच्चों के लिए सभी मौसम में इम्यूनिटीवर्द्धक सम्पूर्ण टॉनिक

फरीदाबाद 1 फरवरी : प्रदूषण, तनाव, कम्पीटिशन, इलैक्ट्राॅमैग्नेटिक रेडियशन - वर्तमान में ये सारी नई चुनौतियाँ हैं जिनका सामना आज सभी बच्चे कर रहे हैं। इन सबसे महत्वपूर्ण जो भोजन आज बच्चे करते हैं वह भी अधूरा है। अधिकतर देखा जाता है कि फ़ास्ट - फूड्स जैसी चीज़ें उनके शारीरिक वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति व वातावरण में मौजूद रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं - कीटाणुओं से लड़ने की क्षमता के लिए अनुचित है। 

बाज़ार में मौजूद अन्य उत्पाद बच्चांे की इस विशेष आवश्यकता को उचित प्रकार से पूरा नहीं करते जिससे उनकी इम्यूनिटी बढ़ सके जिसके परिणामस्वरूप  मौसम बदलने के समय वे बार - बार बीमार पड़ जाते हैं। 

बच्चों की इस विशेष ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए जीवा बाल ओजस एक अद्भुत टॉनिक है। चुनिंदा 45 आयुर्वेदिक जड़ी - बूटियों का यह मिश्रण इम्यूनिटी को मज़बूत करने, सर्दी - ज़ुकाम - खांसी जैसे श्वसन संस्थान सम्बन्धी रोगोें से सुरक्षित रखने व उचित पोषक तत्वों से स्वास्थ्य बनाए रखने में सहायक है। बाल ओजस को लॉन्च करते हुए डॉ. प्रताप चैहान, डायरेक्टर जीवा आयुर्वेद, ने कहा कि “माता - पिता को हर समय बच्चों को बार - बार होने वाली सर्दी - खांसी - श्वास रोग - एलर्जी इत्यादि परेशानियों की चिंता बनी रहती है। जीवा बाल ओजस एक आयुर्वेदिक सुरक्षा चक्र है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्राकृतिक रूप से मज़बूत बनाकर रोगों से बचाने में सहायक है।“

बाल ओजस में प्रयुक्त जड़ी - बूटियों में पृष्नपर्णी एंटी माइक्रोबीयल व एक्सपेक्टोरेन्ट का काम करती है। विभीतकी व कन्टकारी श्वसन संस्थान व गले के इन्फेक्शन को रोकने में उपयोगी है। पाटला हृदय के लिए शोथहर माना जाता है। गंगेरन श्वसन - अंगों को मज़बूत बनाने में प्रभावी है। बाल ओजस बाहरी व आंतरिक हानिकारक तत्वों के विरुद्ध  इम्यूनिटी बढ़ाकर शरीर को स्वस्थ - सुदृढ़ बनता है।

जीवा बाल ओजस सभी प्रमुख स्टोर्स व ऑन लाइन स्टोर.जीवा.कॉम पर 300 ग्राम की पैकिंग में 155 रुपये में उपलब्ध है।   

Wednesday 31 January 2018

 गंभीर निमोनिया से ग्रस्त युवक को एक्मो तकनीक द्वारा नया जीवन

गंभीर निमोनिया से ग्रस्त युवक को एक्मो तकनीक द्वारा नया जीवन

फरीदाबाद, 31 जनवरी  I मेरठ निवासी 19 वर्षीय यश गंभीर निमोनिया से पीड़ित होने के कारण उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। तकलीफ इतनी ज्यादा थी कि घबराहट महसूस होने लगी। यश की स्थिति देखकर परिजन भी बेहद परेशान थे। उन्होंने आनन-फानन में परिजन को नजदीकी अस्पताल में दाखिल कराया, लेकिन यश की स्थिति को देखते हुए वहां के डाॅक्टरों ने मरीज को दिल्ली के अस्पताल में दिखाने की सलाह दी। दिल्ली में डाॅक्टरों ने हाइ-रिस्क केस होने के कारण इलाज करने से मना कर दिया। ऐसे में परिजन यश को गंभीर हालत में सेक्टर-21 ए स्थित एशियन अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर पहंुचे।

क्या है निमोनिया: निमोनिया में फेफड़ों में संक्रमण होने के कारण सांस लेने में तकलीफ होती है। दोनो फेफड़ों में तरल पदार्थ और पस भर जाने के कारण आक्ॅसीजन  लेने में तकलीफ होती है। इसकी शुरूआत खासी-जुकाम से होती है, जो धीरे-धीरे निमोनिया में बदल जाती है। यह संक्रमण वायरस,बैक्टीरिया और फंगल इंफ्ेक्शन के कारण होता है।
एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अस्पताल के श्वांस रोग विशेषज्ञ डाॅ. मानव मनचंदा ने मरीज की जांच की तो पता चला कि गंभीर निमोनिया के कारण यश के फेफड़ों में संक्रमण बढ़ने के कारण उसके शरीर में  कार्बनडाई आॅक्साइड की मात्रा बढ़ गई और आॅक्सीजन लेवल कम हो गया। जब वेंटीलेटर पर डालने के बाद भी मरीज की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा था तो उसकी स्थिति को ध्यान में रखते हुए डाॅ. मानव ने परिजनांे को मरीज का एक्मो (एक प्रकार की डायलिसिस) कराने की सलाह दी। 

क्या है एक्मोः इस तकनीक के माध्यम से शरीर के अंदर अधिक मात्रा में मौजूद कार्बन डाई आॅक्साइड को शरीर से बाहर निकाला जाता है और आॅक्सीजन शरीर के अंदर डाला जाता है। इस प्रक्रिया का इस्तेमाल ऐसी स्थिति में किया जाता है जब मरीज को वेंटीलेटर पर डालने पर भी उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं नज़र आता।  इस प्रक्रिया के इस्तेमाल से मरीज को सांस लेने बहुत मदद मिलती है।

एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अस्पताल के कार्डियोवेस्कुलर सर्जरी विभाग के सीनियर कंसलटेंट डाॅ. अमित चधरी ने बताया कि एक्मो एक ऐसी तकनीक है जिसमें हम मशीन के माध्यम से (कृत्रिम फेफड़ों) फेफड़ों को चलाते हैं। कई ऐसे कारण हैं जो सांस लेने में तकलीफ और गंभीर निमोनिया के कारण बनते हैं। इनमें डेंगू और स्वाइन फ्लू के वायरस मुख्य हैं। इस तकनीक में पैर की नस से अशुद्ध रक्त लेते हैं और इसे एक विशेष मशीन में शुद्ध (प्यूरीफाई) किया जाता है। मशीन से शुद्ध रक्त रोगी की गर्दन की नस के माध्यम से डाला जाता है। यह प्रक्रिया तब तक जारी रखी जाती है जब तक मरीज के फेफड़े सामान्य रूप से सांस लेने में सक्षम नहीं हो जाते हैं। इस प्रक्रिया में  4 हफ्ते तक तक समय लग सकता है।

Friday 26 January 2018

कानों में शोर या बजने के रोग का होम्योपैथिक उपचार ( टिनिटस मेनियेयर )

कानों में शोर या बजने के रोग का होम्योपैथिक उपचार ( टिनिटस मेनियेयर )

फरीदाबाद, 27 जनवरी। यह अच्छी तरह से कहा जाता है कि अंधापन हमें चीजों से दूर कर देता है लेकिन बहरापन हमें लोगों से दूर कर देता है। कान की समस्याएं आपको कभी-कभी रोएं।

Meniere रोग भी आंतरिक कान के विकार सुन रहा है जो केवल एक कान को प्रभावित करता है यह विकार है जिससे सुनवाई के स्थायी नुकसान हो सकते हैं। यह विकार है जिसमें किसी को कताई (चक्कर), कान (टिन्निटस), कान में दबाव और श्रवण हानि बढ़ने जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जिसमें प्रगतिशील अंतिम स्थायी सुनवाई का नुकसान हो सकता है।


क्या मेनियर की बीमारी के लक्षण देख सकते हैं?
• चक्कर के आवर्ती एपिसोड - जब किसी व्यक्ति को एक कताई अनुभूति होती है जो स्वस्थ रूप से होती है चक्कर के एपिसोड आमतौर पर 20 मिनट से लेकर कई घंटों तक आते हैं। ऊपरी और उल्टी गंभीर चक्कर में हो सकती है
• सुनवाई हानि - प्रगतिशील स्थायी सुनवाई हानि के साथ सुनवाई के नुकसान में उतार चढ़ाव।
• कान (टिन्निटस) में घूमना - कान में घूमने, बजते, गूंजना, सीटी बजाते हुए
• कान में पूर्णता का अनुभव - जो लोग मेनियर के रोग से प्रभावित कान में दबाव या पूर्णता महसूस करते हैं
मेनियर की बीमारी के कारण?
उपचार के भाग में जाने से पहले मेनईयर रोग के साथ जुड़े कारणों को देखते हैं
कारक, जो द्रव को प्रभावित करते हैं, Meniere रोग में योगदान कर सकते हैं नीचे सूचीबद्ध हैं -
1 एनाटॉमिक असामान्यता या रुकावट के कारण अनुचित द्रव जल निकासी।
2 एलर्जी
3 हेड आघात
4 माइग्रेन
5 वायरल संक्रमण
6 आनुवंशिक प्रकृति
7 असामान्य प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया
जटिलताओं
Meniere की बीमारी को हल्के ढंग से न लें क्योंकि इससे स्थायी सुनवाई हानि हो सकती है। यह रोग भी आपके जीवन को परेशान करता है और थकान, भावनात्मक तनाव, अवसाद और चिंता में परिणाम देता है। इस बीमारी के आवर्ती एपिसोड की वजह से संतुलन कम हो सकता है जिससे दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है और भारी मशीनरी चलाने या ड्राइविंग करते समय गिरता है।

शास्त्रीय होम्योपैथी पूरे व्यक्ति के रूप में व्यवहार करता है सिर का चक्कर के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सा का चयन पूर्ण रोगीकरण के आधार पर किया जाता है और रोगी के शारीरिक, मानसिक और पिछला चिकित्सा इतिहास सहित मामले का पूर्ण विश्लेषण करता है। संविधान के साथ, मस्तिष्क प्रवृत्ति, गड़बड़ी या संवेदनशीलता और रूपरेखाओं को ध्यान में रखा जाता है। योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर द्वारा पेशेवर सलाह के बिना चक्कर के लिए होम्योपैथिक दवा नहीं ली जानी चाहिए।


Conium
मेनियर का वृद्ध व्यक्ति तम्बाकू के अत्यधिक उपयोग के साथ है सेरेब्रल एनीमिया सनसनीखेज रोगी की शिकायत जैसे कि ऑब्जेक्ट एक सर्कल में बदल रहा है। विशेष रूप से सीढ़ियों से ऊपर उठने या नीचे जाने पर, बड़ी कमजोरी, दुर्बलता और सोने की झुकाव मस्तिष्क में अस्वस्थता जैसे कि वह घिनौना है, बिस्तर पर मोड़ के दौरान स्थिति खराब हो जाती है।

अंबा ग्रीस
पुराने रोगी में तंत्रिका चक्कर यह मस्तिष्क रोग के साथ परेशान व्यक्ति में बहुत उपयोगी है।

आयोडीन
पुरानी मरीज में पुराना कन्सेस्टीव चक्कर

फेरम मेटलिकम
अनीमिक चक्कर, अचानक बैठे / झूठ बोल से उगने के कारण उत्तेजना पहाड़ी नीचे जाने या पानी पार करते समय मंडलियां

ब्रोमिन
रोगी शिकायत करते हैं कि चक्कर चलने के कारण बदतर हो रहा है जब वह पानी चलाने पर दिखता है।

कुचला
हाइपरैमिक या श्रवण संबंधी चक्कर, जो सिर बढ़ाने पर बुरा हो जाता है

Cocculus
इसमें सौर जाल पर सबसे अच्छी कार्रवाई होती है, और पाचन समस्याओं के कारण चक्कर आती है, रोगी ओसीसीपेटल सिरदर्द की शिकायत करता है, लूम्बो-पवित्र जलन, फ्लाई चेहरे और गर्म सिर के साथ। उत्तेजना बैठे और एक गाड़ी में सवारी और खाने के बाद

Bryonia
रोगी मतली के साथ गैस्ट्रिक चक्कर की शिकायत करता है रोगी को लचीला स्थिति से बढ़ने और गति के साथ बेहोश होने, उत्तेजना के लिए आसान स्वभाव होता है।

Theridion
नर्वस चक्कर, नली के साथ अपनी आँखें बंद करने पर, जो शोर और गति के कारण बहुत अधिक तेज है



आरा होमियोपैथी ने मेनियेयर रोग के शास्त्रीय उपचार की पेशकश की है। उपयोग किए गए सभी होम्योपैथिक दवाएं पूरी तरह से उपयोग के लिए सुरक्षित हैं और 100% किसी भी रसायन से मुक्त हैं।
लाभ
1. मानसिक थकान को ठीक करने के लिए होम्योपैथिक दवा बहुत प्रभावी होती है।
2. मेनियेयर रोग के उपचार के लिए यह बहुत प्रभावी है। यह मेनियर की बीमारी के लक्षणों का प्रबंधन करने में मदद करता है जैसे कंधे के आवर्तक एपिसोड और कान में दबाव।
3. मेनियोयर रोग के लिए इस्तेमाल होम्योपैथिक दवा को तंत्रिका टॉनिक माना जाता है और इस तरह तंत्रिका तंत्र को शांत करने में मदद मिलती है।
4. होम्योपैथिक दवा अच्छा मस्तिष्क स्वास्थ्य का समर्थन करती है और मेनियेरे की बीमारी जैसे कताई (चक्कर), कान (टिनिटस), और कान में दबाव की तरह लक्षणों में राहत प्रदान करने में सहायता करती है। यह दवा उल्टी के पुनरावर्ती एपिसोड को भी प्रबंधित करने में मदद करती है जो उल्टी और मितली के साथ जुड़ी होती है।


जीवन शैली
• चक्कर के एक एपिसोड के दौरान, टेलिविजन देखना, पढ़ने, उज्ज्वल रोशनी और अचानक आंदोलनों से बचने के दौरान जब आप प्रकाश का नेतृत्व करते हैं तो बैठें या झूठ बोलें।
• हमलों के दौरान और बाद में उचित आराम करें - अपने सामान्य गतिविधियों पर वापस जाने से बचें।
• सावधान रहें कि आप अपना संतुलन खो सकते हैं - शेष हानि के कारण गंभीर चोट लग सकती है। तो स्थिरता के लिए एक छड़ी के साथ चलने पर विचार करें
• वाहनों को चलाने या भारी मशीनरी का संचालन करने से बचें - अगर किसी को घुमाव के लगातार एपिसोड होते हैं तो इन चीजों से बचें क्योंकि चोट या दुर्घटना हो सकती है।

सुझाव
कम नमक भोजन लें और तनाव से बचें

Friday 5 January 2018

 अब डॉक्टर्स बनेंगे 'विराट और धोनी' : देश में पहली बार पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कॉलेज में स्पोर्ट्स एंड कल्चरल फेस्ट का हो रहा है आयोजन

अब डॉक्टर्स बनेंगे 'विराट और धोनी' : देश में पहली बार पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कॉलेज में स्पोर्ट्स एंड कल्चरल फेस्ट का हो रहा है आयोजन

नई दिल्‍ली:5 जनवरी  । डॉक्टरों को अपनी मेडिकल प्रैक्टिस के अलावा खेल और मनोरंजन के जरिये एकसाथ जोड़ने के लिए ऐसी ही कवायद की गई है जिसमें वो अपनी प्रैक्टिस के बाद खेल के मैदान में चौके छक्के लगाते नजर आएंगे। राजधानी दिल्ली स्थित पीजीआईएमईआर एंड डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एनुअल स्पोर्ट्स एंड कल्चरल फेस्ट 'रिविल्स-2018' का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से हजारों डॉक्टर्स शामिल होंगे। 

आयोजनकर्ता रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) प्रेजीडेंट डॉ सुमेध के मुताबिक 8 से 14 जनवरी तक होने वाले फेस्ट 'रिविल्स-2018' में हमने देशभर के डॉक्टरों को बुलाने की योजना बनाई है। देश में पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कॉलेज में पहली बार स्पोर्ट्स एंड कल्चरल फेस्ट का आयोजन हो रहा है। ऐसे में फेस्ट में देशभर के डॉक्टरों को बुलाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। आरडीए वाइस प्रेजीडेंट डॉ. मनीष निगम और डॉ. सिद्धार्थ यादव ने बताया कि फेस्ट में विभिन्न राज्यों डॉक्टरों की टीमें हिस्सा लेगी। टीमों के आने से लेकर उनके ठहरने की व्यवस्था के लिए डॉक्टरों की अलग अलग कमेटियों का गठन किया गया है ताकि प्रतियोगिता में आने वाली टीमों को कोई परेशानी न आए। 

स्पोर्ट्स इंचार्ज डॉ. हेमंत और डॉ. श्रीनिवास के मुताबिक केंद्रीय विद्यालय नंबर एक के मैदान में होने वाले आयोजन में क्रिकेट के अलावा, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, वॉलीबाल, कैरमबोर्ड के अलावा एथलेटिक्स गेम्स का आयोजन किया जाएगा। जिसमें डॉक्टर्स मैदान में दो-दो हाथ करते नजर आएंगे। इसके अलावा महिला डॉक्टरों के लिए क्रिकेट समेत अलग अलग स्पोर्ट्स इवेंट रखे गए है। इसके अलावा क्विज कांपीटिशन, चित्रकला प्रतियोगिता, बैंड परफोर्मेंस, सिंगिंग, डांसिंग कांपीटिशन और फैशन शो के अलावा बॉलीवुड नाइट का भी आयोजन किया गया है।  

Monday 1 January 2018

एशियन हॉस्पिटल ने दूसरे कैथ लैब का उद्घाटन किया

एशियन हॉस्पिटल ने दूसरे कैथ लैब का उद्घाटन किया

 फरीदाबाद : 1 जनवरी ।  सेक्टर 21 स्थित एशियन अस्पताल में हृदयधात के मरीजों को तुरंत प्राथमिक उपचार मुहैया कराने के लिए अधुनिक उपकरणों से लैस दूसरी कैथ लैब का शुभारंभ किया गया। हृदय रोगियों को बेहतर सुविधा मुहैया कराने के लिए जर्मनी से करीब 2.5 (ढ़ाई करोड़) रुपये की लागत से आधुनिक तकनीक की मशीन मंगाई गई है। इसके माध्यम से हृदयधात के मरीजों की नसों में हुई रुकावट को आसानी से पहचान ड्रील के माध्यम से खोला जा सकता है। यह जानकारी अस्पताल में प्रबंधनिदेशक डॉ. एनके पांडे और हृदय रोग निदेशक डॉ. ऋषी गुप्ता ने दी।

 उन्होंने बताया कि अस्पताल में पहले से हृदय रोगियों के उपचार के लिए एक कैथलैब है। लेकिन कई कैथ लैब में मरीज का उपचार की प्रकिया (प्रोसिडोर) जारी होने के कारण गंभीर रोगियों को उपचार के लिए इंतजार करना पड़ता था। इससे कई बार दिक्कते आती थी। इसे ध्यान में रखते हुए अस्पताल में एक और आधुनिक उपकरणों से लैस कैथ लैब मशीन लगाई गई है। इससे हृदयधात के गंभीर रोगियों को सप्ताह के सभी दिन (24 / 7) तुरंत उपचार संभव हो सकेंगा। इस मशीन के माध्यम से मरीज के हृदय में ब्राडर लाइन (सीमा लाइन) मरीजों को स्टंड डालने की जरुरत है या नहीं इसका आसानी से पता लगाया जा सकता है। जिससे मरीज को बगैर जरुरत स्टंड डालने से भी बचाया जा सकता है। वहीं, नसों में कठोर रुकावट को भी ड्रीलकर आसानी से खोला जा सकता है। कई बार इसे खोलने में दिक्कते आती थी।

नसों के अंडर अट्रासाउंड भी किया जा सकता है। अभी तक  नसों में एक विशेष प्रकार का केमिकल डालकर एक्स-रे के माध्यम से देखा जाता था। लेकिन इस मशीन के माध्यम से नसों में रूकावट देखने के लिए केमिकल डालने की जरुरत नहीं पड़ेगी। नस के अंडर क्या है उसे आसानी से कम्प्यूटर स्क्रीन पर देखा जा सकता है। इससे मरीज को उपचार के दौरान परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

Saturday 23 December 2017

डा. पुनीता हसीजा चुनी गई आईएमए की नई प्रधान

डा. पुनीता हसीजा चुनी गई आईएमए की नई प्रधान

फरीदाबाद:23 दिसम्बर ।  इंडियन मेडिकल एसो. (आईएमए) जिला फरीदाबाद कार्यकारिणी की बैठक नीलम-बाटा रोड स्थित होटल डिलाईट ग्रैंड में सम्पन्न हुई। बैठक में कार्यकारिणी के वार्षिक चुनाव सभी सम्पन्न हुए, जिसमें सर्व सम्मति से डा. पुनीता हसीजा को प्रधान चुना गया, जबकि डा. अजय कपूर को वरिष्ठ उपप्रधान एवं डा. अनिता ललित एवं डा. अनिता गर्ग को उपप्रधान मनोनीत किया गया। चुनी गई नई कार्यकारिणी के कार्यकाल की शुरुआत 1 जनवरी से होगी और यह एक वर्ष तक रहेगी। नवनियुक्त आईएमए प्रधान डा. पुनीता हसीजा ने अपनी नियुक्ति पर सभी सदस्यों का आभार जताते हुए कहा कि संगठन ने जो जिम्मेदारी उन्हें सौंपी है, उसे वह पूरी निष्ठा से निभाएंगी और सभी समस्याओं का मिलकर समाधान करवाने का प्रयास करेगी। उन्होंने डा. शिप्रा गुप्ता को कार्यकारिणी का सचिव एवं डा. राजीव जैन को कोषाध्यक्ष घोषित किया। बैठक में आईएएम के पूर्व प्रधान डा. सुरेश अरोड़ा ने चुने हुए नए पदाधिकारियों का आभार जताते हुए उम्मीद जताई कि संगठन के पदाधिकारी पहले की तरह सांगठित होकर कार्य करेंगे और आने वाली समस्याओं का समाधान आपसी विचार विमर्श से करेंगे। उन्होंने कहा कि यह बड़े हर्ष का विषय है कि इस बार आईएमए के प्रधान पद पर एक महिला को चुना गया है और यह संगठन पहले की तरह इसी तरह डॉक्टरों के हितों के लिए कार्य करता रहेगा। बैठक में डा. ललित हसीजा, पूर्व प्रधान अनिल गोयल, डा. संजय टुटेजा, डा. राजीव गुम्बर, डा. राकेश, डा. लौहान, डॉ कुंडु, बातिश, डा बब्बर, डा राकेश कपूर, डा. राशि टुटेजा आदि मौजूद थे।

Monday 18 December 2017

ब्रिटिश नागरिक ने उच्च जोखिम हार्ट सर्जरी के लिए फरीदाबाद के मैट्रो अस्पताल एवं डाक्टरों को चुना

ब्रिटिश नागरिक ने उच्च जोखिम हार्ट सर्जरी के लिए फरीदाबाद के मैट्रो अस्पताल एवं डाक्टरों को चुना

फरीदाबाद: 19 दिसम्बर । 79वर्षीय श्री घनीस दूनट्रिपल वैसल डिसीज, गुर्दे की बीमारी एवं पहले से ही ब्रेनस्ट्रोक से पीड़ित थे।सीने में दर्द की शिकायत के रहते वह मैट्रो अस्पताल फरीदाबाद में दाखिल हुए।वह एक ब्रिटिश नागरिक (लंदन सिटी) है और राष्ट्रीष्य स्वास्थ्य सेवाओं (एन.एच.एस.) के तहतनिःशुल्क इलाज के लाभार्थी है।उन्होंने लंदन में एन.एच.एस. के एक विशिष्ट अस्पताल से कोरो नरी एंजियोग्राफी करवाई जहाँ उन्हें ट्रिपल वैसल बीमारी का रोगी पाया गया।इस के साथ वह गुर्दे की बीमारी से भी पीड़ित थे।जिसके रहते हृदय रोग विशेषज्ञ ने उन्हें बाईपास सर्जरी करवाने की सलाह दी।डाक्टरों ने मरीज की एंजियोप्लास्टी नहीं की।उनकी उम्र एवं अन्य बीमारियों के चलते बाईपास सर्जरी कठिन हो सकती थी इसलिये वह थोड़ा डरे हुए भी थे।उसी दौरा नमरीज ने इन्टरनेट के द्वारा ये जानकारी प्राप्त की किभारतमें डा. एस.एस. बंसल, वरिष्ठहृदय रोगविशेषज्ञ, अत्यधिकजटिल एंजियोप्लास्टीकरतेहैतथा एक इराकीमहिला की हृदय, ब्रेनतथाकिडनी की एंजियोप्लास्टीकरउसेबचायाथा।इससे उन्हें कुछ राहत मिली और उम्मीद भीकि वो शायदअपनीतकलीफो से अबबचजायेगे।

भारत में रहने वाले अपने रिश्तेदारों एवं सगे सम्बन्धियों के सलाह के बाद उन्होंने मैट्रो हृदय संस्थान एवं मल्टीस्पेशलटी अस्पताल फरीदाबाद के डा. एस.एस. बंसल, सीनियर कार्डियोलोजिस्ट एवं मैनेजिंग डायरेक्टर मैट्रो अस्पताल से तुरन्त सम्पर्क किया तथा अपना इलाज मैट्रो अस्पताल में कराने का निर्णय लिया।मरीज ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए डा. बंसल को बताया कि वेबाई पास नहीं करवाना चाहते है। डा. बंसल ने उन्हें समझाया कि उनके के समें एंजियोप्लास्टी एक चुनौतीपूर्ण एवं मुश्किल कार्य है।क्यो कि उनकी स्थिति के अनुसार उनकी अधिक उम्र व गुर्दे की बीमारी के चलते यह काफी कठिन कार्य था।जाँच के उपरान्त पता चला कि उनकी बाई आटर्रीमें कई हार्ड ब्लाॅक थे।सभी जाँचों एवं उनकी गुर्दे की बीमारी की स्थिति थोड़ी सम्भलने के पश्चात डा. बंसल एवं उनकी टीम ने एंजियोप्लास्टी करने का फैसला किया।आॅपरेशन के दौरान मरीज को 4 ड्रगकोटिड स्टेंट सफलात पूर्वक लगाये गये।

सर्जरी के बादमरीज की स्थिति अबस्थिर है वह बहुत खुश है।मरीज को एन.एच.एस. के तहतनिःशुल्क इलाज की सुविधा प्राप्त हो रही थी लेकिन उन्होंने फिर भी भारत आकर, भारतीय डाक्टरों से इलाज करवाने का निर्णय लिया। यह विश्वास दिलाता है कि भारतीय अस्पताल एवं डाक्टर दुनिया भर में अपनी कुशलता के लिए जाने जाते है। डा. बंसल ने कहा कि भारतीय मडिकल व्यवस्था के लिए यह एक गर्व कि बात है कि विकसित देशों के नागरिक भी अपना इलाज यहाँ आकर करवाना चाहते है।भारत में ऐसा पहली बार हुआ है कि मरीज ने मुफ्त इलाज न करवाकर भारतीय अस्पताल को अपनी गंभीर हृदय रोग के इलाज के लिए चुना।यह हम सब के लिए गर्व की बात है कि भारत एक मैडिकल हब बन चुका है और खासतौर पर फरीदाबाद जोकि एक स्मार्टसिटी के रूप में विकसित हो रही है जैसा कि हमारे आदरणीय प्रधानमन्त्री जी चाहते है।

Saturday 16 December 2017

एशियन अस्पताल द्वारा गांव अटाली में चैपाल मीटिंग आयोजित की

एशियन अस्पताल द्वारा गांव अटाली में चैपाल मीटिंग आयोजित की

फरीदाबाद, 16 दिसंबर,।  एशियन अस्पताल द्वारा गांव अटाली में एक चैपाल मीटिंग का आयोजन किया गया। इसमें गांव के करीब 150 लोगों ने भाग लिया। इस दौरान एशियन अस्पताल के लेप्रोस्कोपिक सर्जन डाॅ. पंकज हंस द्वारा लोगों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी प्रदान की गई, और लोगों की ब्लड शुगर और रक्तचाप की निःशुल्क जांच व परामर्श भी दिया गया।

इस दौरान डाॅ. पंकज हंस ने लोगों को हर्निया, बवासीर के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि किसी भी प्रकार की समस्या होने पर हमें अनेदखी नहीं करनली चाहिए, बल्कि तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करना चाहिए, ताकि समय रहते बीमारी का पता चल सके और उसका समय पर इलाज कर बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सके। 

इस मौके पर मनोज भाटी बीजेपी मण्डल, विधानसभा पृथला, अमित चैधरी, तारा चैधरी, राजपाल  शाहजहांपुर और रघुराज राठी छांयसा से मौजूद रहे।

Friday 15 December 2017

 आईएमए के तत्वाधान में शहर में डाक्टरों ने रखी शटडाऊन हड़ताल

आईएमए के तत्वाधान में शहर में डाक्टरों ने रखी शटडाऊन हड़ताल

फरीदाबाद :15 दिसम्बर I हरियाणा क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट को लागू करने के विरोध में आई एम ए के बैनर तले आज प्राइवेट नर्सिंग होम्स और कारपोरेट हॉस्पिटल्स के डाक्टरों ने एक दिन का शट डाऊन करते हुए अपना विरोध जताया। विरोध स्वरूप फरीदाबाद के तमाम नर्सिंग होम और सात कारपोरेट हॉस्पिटल आज शट डाऊन रहेंगे और यहाँ तक की एमरजेंसी सेवाएं भी बंद रहेंगी। शहर के तमाम डॉक्टर्स आज सुबह ही बी के चौक पर इकठ्ठा होना शुरू हो गए थे. तमाम डॉक्टर्स ने यहाँ एक सभा का आयोजन किया जिसमे जाने माने डॉक्टर्स ने इस एक्ट के विरोध में अपने विचार रखे. इस शट डाऊन में फरीदाबाद के करीब 225 नर्सिंग होम और 7 कारपोरेट हॉस्पिटल शामिल हुए और यह शट डाउन आज रात 12 बजे तक रहेगा।  डाक्टरों ने चेतवानी दी की यदि उनपर यह एक्स थोपा गया तो वह अनिश्चित कालीन शट डाउन भी कर सकते है. 

फरीदाबाद के बी के चौक पर अपना विरोध प्रदर्शन करते नज़र आ रहे यह सभी डॉक्टर्स आईएमए के बैनर तले हरियाणा क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में जमा हुए है. एक दिन के शट डाउन में फरीदाबाद के करीब 225 नर्सिंग होम और 7 कारपोरेट हॉस्पिटल शामिल हैं. एक्ट का पुरजोर विरोध करते हुए आईएमए के जिलाध्यक्ष और अन्य डॉक्टर्स ने बताया की  हरियाणा क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में आज उन्होंने तमाम मेडिकल सेवाओं का शट डाउन किया है उन्होंने कहा की इस एक्ट के लागू होने से तमाम छोटे और बड़े नर्सिंग होम्स बंद होने के कागार पर आ  जाएंगे ,
 मेडिकल ट्रीटमेंट महंगा हो जाएगा जो की डॉक्टर्स और मरीजों के हित  में नहीं होगा। हमारी मुख्य मांग यह है की पहले तो यह एक्ट लगना ही नहीं चाहिए और यदि लगाया जाता है तो इसमें संशोधन किया जाना चाहिए। आज फरीदाबाद जिले के तमाम नर्सिंग होम्स और कारपोरेट हॉस्पिटल्स पूर्णता बंद है. उन्होंने कहा की आज किसी भी मरीज का इलाज नहीं किया जाएगा और अगर ऐसे मरीज उनके पास आते है तो उन्हें सरकारी हस्पताल में भेज दिया जाएगा। उन्होंने कहा की विरोध स्वरूप आज उन्होंने यहाँ बीके चौक पर धरना दिया है और इसके बाद मार्च पास्ट करते हुए मुख्यमंत्री में नाम डीसी को ज्ञापन सपा जाएगा। 

 इस मोके पर डाक्टर सुरेश अरोड़ा - जिला अध्यक्ष - आईएमए फरीदाबाद ,डाक्टर पुनिता हसीजा ,संजय टुटेजा ,राकेश कपूर ,पी सी सेठ , डॉ बी के बक्षी ,डॉ भारती गुप्ता ,डॉ राजीव गुम्बर ,डॉ निशा कपूर ,डॉ अनिल गोयल ,डॉ नरेश जिंदल ,डॉ महेंदर आहूजा ,डॉ बी के आहूजा ,डॉ नरेंदर घई ,डॉ कपिल भाटिया उपस्थित थे  I 

Wednesday 13 December 2017

गर्मियों के मुकाबले सर्दी में ब्रेन स्ट्रोक खतरा ज्यादा

गर्मियों के मुकाबले सर्दी में ब्रेन स्ट्रोक खतरा ज्यादा

फरीदाबाद 13 दिसंबर। बदलती लाइफस्टाइल आज लोगों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रही है। देर से सोना, जल्दी जगना, तनाव में रहना, हाइपरटेंशन, अनियमित खान-पान और स्मोकिंग के कारण ब्रेन स्ट्रोक के मामले तेजी से इजाफा हो रहा है,  भागदौड़ भरी लाइफ में अधिकांश लोग इसकी गंभीरता का नजरअंदाज करते हैं। खासकर गर्मी के मुकाबले सर्दी में स्ट्रोक का खतरा ज्यादा बढ़ गया है। ऐसे में नजरअंदाज करना ठीक नहीं। लोगों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है। यह कहना है सेक्टर 16ए स्थित मेट्रो अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ रोहित गुप्ता का। 

डॉ रोहित गुप्ता कहा कि ब्रेन स्ट्रोक का सबसे सामान्य लक्षण होता है शरीर के किसी एक ओर के हिस्से में कमजोरी या लकवा जैसी स्थिति होना या इसके लक्षण दिखाई देना। स्ट्रोक होने पर यह भी देखा गया कि रोगी अपनी मर्जी से एक ओर के हाथ-पैर भी न हिला पाता और कोई संवेदना भी महसूस नहीं होती है। 
मरीज को बोलने में भी दिक्कत आ सकती है। स्ट्रोक आने के बाद कई मरीज अपनी सुनने और देखने की क्षमता खो देते हैं।

ऐसे पड़ता है स्ट्रोक
न्यूरोलॉजिस्ट डाक्टर रोहित गुप्ता बताते हैं कि धमनियों में चर्बी की मात्रा ज्यादा होने से उनमें ब्लाकेज आ जाती है। इससे स्ट्रोक पड़ता है। इसे स्किमियां स्ट्रोक कहते हैं। ब्रेन हेमरेज ब्लड प्रेशर ज्यादा होने से होता है। इसमें ब्रेन के अंदर रक्त नलिकाओं में लीकेज आ जाता है, जिससे ब्रेन हेमरेज हो जाता है।

लक्षणों को न करें नजरअंदाज
कई बार बड़े स्ट्रोक से पहले छोटा स्ट्रोक पड़ता है, जिसमें कुछ समय के लिए आंख की रोशनी चली जाती है और फिर लौट आती है। या फिर अंग का कोई हिस्सा कमजोर हो जाता है और फिर ठीक हो जाता है। ऐसा चक्कर व तेज सिर दर्द हो सकता है, जो जिंदगी में पहली बार हुआ हो।

सर्दियों में लगभग दोगुने हो जाते हैं मरीज
सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की संख्या गर्मियों की अपेक्षा बढ़कर लगभग दाेगुने हो जाती है। इसकी वजह सर्दियों में ब्लड का गाढ़ा होना माना जाता है। शरीर को गर्म रखने के लिए ब्लडप्रेसर भी बढ़ जाता है। जिससे ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा रहता है। 

रोजाना व्यायाम से खुद को रखें फिट
हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटिज , हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं से ग्रस्त लोगों नियमित जांच कराते रहना चाहिए। मोटापे को कंट्रोल करना भी जरूरी है। रोजाना व्यायाम को आदत बना लेना चाहिए। सिगरेट-तंबाकू का सेवन व शराब पीना भी कम कर देना चाहिए।

बरतें सावधानी
वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डाक्टर रोहित गुप्ता का कहना है कि मरीज को स्ट्रोक के बाद जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाने की कोशिश करें। पहले घटे के अंदर ही सही चिकित्सक के पास पहुंचे। हार्ट अटैक की तरह ब्रेन स्ट्रोक में भी पहले तीन घटे गोल्डन ऑवर माने जाते है।

Sunday 10 December 2017

 IMA meeting of council Haryana State

IMA meeting of council Haryana State

KARNAL ; 11 DECEMBER I A State council meeting of IMA Haryana was held at Karnal on 10th Dec. 
It was chaired by State President Dr AP Setia. 
Presidents and Secretaries of all local branches were present. 
It was informed that the Health Minister Sh Anil Vij has been saying now that Govt shall implement central Clinical establishment act. 
However till recently HM and ACS to health Ministry had declared that a modified CEA has been drafted and shall be implemented in Haryana. 

Health Department of Haryana on behalf of Govt and IMA had been discussing the Haryana CEA for the last one year and out 80 amendments suggested by IMA more than 40 were accepted by Govt.
Even Principal Secretary had been involved in the discussion on behalf of Chief Minister. 
Dr Setia the State IMA President  explained in detail the differences between central act and the amended Haryana act.
The central act is much more harsh and draconian.
It is anti people and anti doctor.
 If central act is implemented then almost all the small healthcare units shall be on the verge of closure. 
The treatment cost shall increase heavily. 
The paramedics shall become unemployed. 
There shall be inspector raj and license raj.

Opinions of all the branches present were taken.
Everyone was of the opinion that CEA should not be implemented. Some said that if it is to be implemented then the diluted CEA,which has been drafted after negotiations between Govt nd IMA, should be implemented. 
Now as the Govt has suddenly taken a U turn on its own promise, all the members were agitated. Everyone is feeling cheated.

A decision of total shut down in whole of Haryana  on 15th December has been taken and All members have been asked  to be prepared for an indefinite shut down.

This is a do or die situation. 

A 15 members committee led by Dr Munish Prabhakar , President elect, has been formed to take day to day decisions.
Dr Suresh Arora, Dr Anil Goyal,Dr Ajay Kapoor, Dr Sanjay Tuteja, Dr Punita Hasija,Dr Kapil Bhatia, Dr Anita Lalit from Faridabad attended the meeting.
एशियन अस्पताल के डॉक्टरों ने 9 घंटे की जटिल सर्जरी  कर 73 वर्षीय महिला की जान बचाई

एशियन अस्पताल के डॉक्टरों ने 9 घंटे की जटिल सर्जरी कर 73 वर्षीय महिला की जान बचाई

फरीदाबाद : 10 दिसंबर 2017। मेरठ निवासी 73 वर्षीय उमा रस्तोगी को पिछले कुछ सालों से बार-बार पेशाब जाने की समस्या हो रही हथी। इस समस्या की ओर जयादा ध्यान न देते हुए वे सामान्य जीवन व्यतीत कर रही थीं, लेकिन एक दिन अचानक हालत ये हुई कि उनका बाथरूम तक जाना मुश्किल हो गया। इस दौरान वे अपनी भाभी के पास वड़ोदरा में  थीं। उनकी स्थिति को देखते हुए परिजनों ने उन्हें पास के अस्पताल के यूरोलॉजिस्ट को दिखाया। अस्पताल में उनकी एमआरआई, अल्ट्रसाउंड, सीटी स्कैन और लेप्रोस्कोपिक बायोप्सी जांच की गई। जांच की रिपोर्ट बेहद चौंकाने वाली थी। डॉक्टर ने बताया कि उमा रस्तोगी के पेट में जख्म है और जोकि कैंसर का संकेत दे रहे हैं और बीमारी पूरे पेट में फैली हुई है जिसके कारण उनकी समस्या  निरंतर बढ़ती जा रही है। साथ ही मरीज को सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी।

यूरोलॉजिस्ट ने उन्हें कैंसर विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दी। मरीज परिजनों के साथ दिल्ली, मेरठ के विभिन्न अस्पतालों में उपचार के लिए गया, लेकिन मरीज की उम्र और बीमारी की विकसित स्थिति को देखते हुए सभी डॉक्टरों ने उपचार के लिए मना कर दिया। उम्रदराज होने के कारण सभी डॉक्टरों का यही कहना था कि यह एक हाई रिस्क मामला है और मरीज का ऑपरेशन  करने में बहुत जोखिम है।  

उमा के परिजनों ने अपने एक रिश्तेदार के कहने पर एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ  मेडिकल साइंसेज अस्पताल में लेकर पहुंचे। अस्पताल के ऑन्कोलॉजी सर्जन डॉ. रोहित नय्यर ने मरीज की सभी रिपोर्ट देखीें जिनमें कैंसर के संकेत नजर आ रहे थे। डॉ. रोहित नय्यर, डॉ. थान सिंह तोमर और विकास जैन ने रिपोर्ट और मरीज की स्थिति के आधार पर मरीज की सर्जरी करने की सलाह दी। परिजनों की सहमति के बाद मरीज की टोटल पेरिटोनेक्टोमी एवं साइटोरिडक्शन सर्जरी की गई। 9 घंटे चली इस सर्जरी के दौरान पाया गया कि मरीज के पेट में पानी,गांठे और घाव थे, जिसके कारण मरीज की अमेंटम के हिस्से, छोटी आंत के हिस्से, बड़ी आंत  के हिस्से और बच्चादानी निकालने पड़े। मरीज के पेट में जहां-जहां बीमारी थी उन सभी हिस्सों को निकालकर एक आधुनिक स्पेश्यलिस्ट तरीके  जिसे हाईपैक यानि हाइपरथर्मिक इंट्रापेरिटोनियल कीमोथैरेपी पद्धति कहा जाता है, के माध्यम से सर्जरी के दौरान कीमोथैरेपी की गई। 

सर्जरी से पहले पेट में ट्यूमर को लोड़ बढऩे के कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती थी  और खाना-पीना भी मुश्किल हो गया था। सर्जरी के बाद उमा अपने नियमित जीवनशैली में वापस आ गई है। दस दिन अस्पताल में व्यतीत करने के बाद उनको डिस्चार्ज कर दिया गया। उमा ने बताया कि अब वे उन्हें सांस से संबंधित किसी भी प्रकार को कोई समस्या नहीं है और वे खाना-पीना भी ठीक से खा पा रही हैं। उन्होंने डॉक्टर का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि दिल्ली, वडोदरा और मेरठ के बड़े से बड़े अस्पतालों से इलाज के लिए मना होने पर हमने उम्मीद छोड़ दी थी। एशियन अस्पताल के डॉक्टरों ने मुझे नया जीवन दिया है।