चंडीगढ़, 10 मई- भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला ने कहा है कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं के पेपर निर्धारित होने के बाद मुख्य परीक्षक से सीधा परीक्षा केंद्र खुलता है। यदि इस पेपर को सरकार खोलकर देखेगी तो परीक्षा की गोपनीयता भंग हो जाएगी। ऐसे में मुख्यमंत्री, बोर्ड चेयरमैन दोषी कैसे हो सकता है। उन्होंने कहा कि घर-दफ्तरों में पेपर सैट करने की परंपरा कांग्रेस शासन में होती थी। आज कांग्रेस राजनीतिक लाभ पाने के लिए इस विवाद को भावनात्मक तरीके से भडक़ाना चाहती है, जिसे आमजन आसानी से समझते हैं।
आज यहां जारी बयान में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा अन्य कांग्रेसी विधायकों के साथ प्रश्न विवाद पर सरकार और आयोग के खिलाफ मामला दर्ज कराने की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस और उनके नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा हमेशा से जात-पात की राजनीति करते आए हैं और भाजपा शासन के दौरान कांग्रेसी किसी न किसी बहाने से जातिवाद की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान परीक्षा के प्रश्नपत्र कांग्रेसी नेताओं के घर-दफ्तर में तैयार होते थे, ताकि अपने चहेते आवेदकों को एडजस्ट किया जा सके। वर्तमान सरकार द्वारा सभी स्वायत्त संस्थाओं को भर्तियों में पारदर्शिता बरतने के निर्देश दिए, ताकि प्रदेश में योग्य युवाओं को उनका हक दिलाया जा सके। उन्होंने प्रश्न को लेकर उठे विवाद पर कहा कि वर्तमान समय में आयोग की परीक्षाओं के लिए मुख्य परीक्षक प्रश्न पत्र तैयार कराते हैं,
जो सीलबंद होने के बाद सीधा परीक्षा केंद्र पर खुलते हैं। यदि पेपर को हम खोलकर जांच करेंगे तो परीक्षा की गोपनीयता भंग होगी। वहीं आयोग को जैसे ही प्रश्न में गडबड़ी का पता चला तो न केवल उन्होंने इसके लिए माफी मांगी, अपितु संबंधित दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए। अब इस प्रक्रिया के लिए मुख्यमंत्री तथा आयोग चेयरमैन कैसे दोषी हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेसी नेता कह रहे हैं कि वह 101 काले ब्राह्मण एकत्रित करके सरकार के सामने अपशकुन करेंगे, जो पूरी तरह से राजनीतिक से प्रेरित योजना है। इसके माध्यम से कांग्रेस ब्राह्मण समुदाय की भावना से खिलवाड़ करते हुए उनका अपमान करने की कोशिश कर रही है।
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