Saturday 1 April 2017

मोबाइल टावरों से संबंधित शिकायत पर तुरंत होगी रेडियशन चैक



चण्डीगढ़ (National24news.com) 1 अप्रैल- हरियाणा के गुरूग्राम में सिटी लेवल टेलीकॉम कॉर्डिनेशन कमेटी का गठन किया जाएगा, जिसमें भारत सरकार के दूरसंचार विभाग, नगर निगम, जिला प्रशासन एवं हुडा विभाग के अधिकारी शामिल होंगे। यह कमेटी मोबाइल टावरों से संबंधित शिकायतों की एक सप्ताह में टर्म सैल से रेडियशन चैक करवाएगी। यह कॉर्डिनेशन कमेटी शहर प्रशासन तथा दूरसंचार विभाग के बीच एक ब्रिज का काम करेगी।

यह जानकारी आज गुरुग्राम के नगर निगम आयुक्त वी. उमाशंकर ने दूरसंचार विभाग भारत सरकार द्वारा आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में दी। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक संगठनों और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मोबाइल टावर से निकलने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक उत्सर्जन के प्रभावों पर विस्तार से अध्ययन किया है और इसका कोई प्रमाण नहीं है कि यह मानव स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है। इस बारे में नागरिकों को जागरूक करने के लिए नगर निगम की वैबसाईट पर टेलीकॉम विभाग तथा स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तैयार की गई प्रैजेंटेशन एवं अन्य लिटरेचर अपलोड किया जाएगा, ताकि लोगों के मस्तिष्क में पैदा हुए भ्रम को दूर किया जा सके।

उन्होंने कहा कि आज मोबाइल बहुत ही जरूरी हो गया है और इस तकनीक ने काफी कार्यों को आसान बना दिया है। मोबाइल फोन नेटवर्क के बिना नहीं चल सकता तथा नेटवर्क टावर से ही मिलेगा। उन्होंने कहा कि दूरसंचार तकनीक काफी तेज गति से चल रही है। जहां हम ४जी का उपयोग कर रहे हैं, वहीं कई देशों में ५जी का इस्तेमाल हो रहा है और ६जी तकनीक शुरू करने पर कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम लोगों के भ्रम को मिटाने में काफी कारगर सिद्ध होंगे तथा ये कार्यक्रम आगे भी गुरूग्राम में किए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि नई तकनीक के साईड इफैक्ट हो सकते हैं, लेकिन वैज्ञानिक ढ़ंग से तकनीक को समाज में समायोजित किया जा सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जब पहली रेलगाड़ी चली थी, तो विलियम नामक एक व्यक्ति पटरी पर यह सुनने के लिए आ गया कि गाड़ी आ रही है या नहीं और वह रेलगाड़ी से मारा गया। इसके बाद यह भ्रम पैदा हो गया कि रेलगाड़ी से जीवन खतरे में है, लेकिन धीरे-धीरे नागरिकों में जागरूकता आई और यह भ्रम दूर हुआ। इसी प्रकार मोबाइल टावरों के रेडियशन के बारे में पैदा हुए भ्रम को भी दूर किया जाए।

स्वास्थ्य मंत्रालय के सलाहकार डा. टी के जोशी ने मोबाइल, टावर, रेडियशन और स्वास्थ्य विषय पर बोलते हुए कहा कि मोबाइल टावरों से स्वास्थ्य को खतरा है, ऐसी भ्रांतियां जायज नहीं हैं। इस बारे में आप आईएआरसी, बीएआरसी, डब्ल्यूएचओ आदि की वैबसाईट पर देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि टावरों से हीटिंग इफैक्ट हो सकता है, लेकिन काफी रिसर्च के बाद यही बात सामने आई है कि मोबाइल टावरों से मानव स्वास्थ्य को कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि मोबाइल टावरों के बारे में एक साइकोलॉजिकल भय बना हुआ है, लेकिन इनसे स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं है। हां अगर कोई व्यक्ति टावर से १०-२० वर्ष लटका रहे तो नुकसान हो सकता है।

दूरसंचार विभाग टर्म सैल के डिप्टी डायरेक्टर जनरल एन के छौकर तथा निदेशक वी के रॉय ने एक प्रैजेंटेशन के माध्यम से बताया कि वायरलैस टैक्नोलॉजी जीवन का एक अहम हिस्सा है तथा मोबाइल सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण टूल है। यह राष्ट्र के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। हालांकि विकास के साथ भ्रांतियां पैदा हो गई हैं, लेकिन काफी रिसर्च के बाद यही निष्कर्ष निकला है कि मोबाइल टावर किसी भी मायने में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं हैं। उन्होंने बताया कि दूरसंचार विभाग की टर्म सैल द्वारा हर वर्ष देश के १० प्रतिशत मोबाइल टावरों को चैक किया जाता है। मोबाइल टावरों के बारे में पूरी जानकारी के लिए विभाग द्वारा तरंग संचार पोर्टल शुरू किया गया है। इसके साथ ही अगर कोई दिक्कत आती है तो टर्म सैल के अधिकारियों से संपर्क करें।
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