चण्डीगढ़, 26 अक्तूबर (National24news) तीन वर्ष पूर्व अपने लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आह्वान पर हरियाणा की जनता ने प्रदेश में पहली बार पूर्ण बहुमत से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाई थी। इससे पूर्व भाजपा गठबंधन सरकारों में केवल कनिष्ठ भागीदार के रूप में थी। इस ऐतिहासिक जनादेश का अर्थ था : ‘‘कोई छोटा-मोटा बदलाव नहीं, हमें एक ऐसी नई व्यवस्था चाहिए, जिसमें योग्यता का सम्मान हो, जो पक्षपात एवं भाई-भतीजावाद रहित हो, जो पारदर्शी हो और जो गरीबों की सुने’’।
मैं अपने 20 वर्षों के राजनैतिक जीवन में पहली बार विधायक बना था। परंतु हरियाणा के विकास की एक नई एवं आधुनिक पहचान बनाने के लिए मुझे सरकार का नेतृत्व करने का दायित्व सौंपा गया। पूरे दिन कार्य की मेरी पुरानी आदत के बावजूद यह मेरे लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। लेकिन मेरे मित्र और सहयोगी श्री नरेन्द्र मोदी जी का 13 वर्षों से भी अधिक समय तक गुजरात के मुख्यमंत्री की सफलता का अनुभव मेरी हिम्मत बढ़ा रहा था। हम दोनों का मानना है कि भारत माता को फिर से महान बनाने के लिए केवल दो सबक सीखने की जरूरत है; राजनेताओं को अधिक बार ‘ना’ कहने और नौकरशाहों को ‘हां’ कहने की आदत डालनी होगी। अब मैं इन सबको अपने गृह राज्य में लागू करवाने की स्थिति में था।
हरियाणा में भ्रष्टाचार की गंगोत्री से सभी अवगत थे। वाणिज्यिक और आवासीय परियोजनाओं और कालोनियों के लिए लाइसेंस और सीएलयू देने की ताकत निदेशक नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग को लाइसेंस जारी करने की कानून द्वारा दी गई शक्तियां 7 अगस्त, 1991 को ‘निदेशक द्वारा लाइसेंस जारी करने से पूर्व ‘‘सरकार की आंतरिक सहमति’’ के नाम पर छीनकर मुख्यमंत्री ने ले ली थी। इस सहमति के बिना कोई भी बिल्डर निदेशक से लाइसेंस प्राप्त नहीं कर सकता था, चाहे उसका आवेदन कितना ही उचित हो। मुख्यमंत्री की बहुमूल्य ‘‘सहमति’’ केवल उनकी कृपा या फिर कीमत चुकाकर मिल सकती थी। बड़े दुख की बात है कि भ्रष्टाचार की इस अवैध व्यवस्था को मेरे से पूर्व किसी मुख्यमंत्री ने इसे बदलने का प्रयास नहीं किया। हैरानी तो यह है कि इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध किसी ने भी उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल नहीं की।
मुझे इस बात की खुशी है कि गत वर्ष हरियाणा के गठन के स्वर्ण जयंती वर्ष के शुभारंभ समारोह के ऐतिहासिक दिन पर मैंने इस व्यवस्था को खत्म कर दिया और कानून के अनुसार जिसे यह शक्तियां मिलनी थी, उसे दे दी गई। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि सभी सीएलयू 30 दिनों से भी कम समय में ऑनलाइन हो जाते हैं। मुख्यमंत्री की बात तो छोडि़ए, अब किसी भी आवेदक को किसी अधिकारी से भी नहीं मिलना पड़ता। लेकिन जब मैं इस सुधार पर विचार करता हूँ तो मैं अपने इस अधूरे ज्ञान पर मुस्कुराए बिना नहीं रह सकता। यह भ्रष्ट व्यवस्था उन राजनीतिज्ञों की देन थी, जिन्होंने भ्रष्ट तरीके से ‘‘न’’ कहने की शक्तियां हासिल कर ली थी, चाहे एक कर्तव्यनिष्ठ ईमानदार नौकरशाह ‘‘हां’’ कह भी रहा हो।
मैं अक्सर हैरान होता हूँ कि मेरे राजनैतिक विरोधी राज्य के एक उद्योग को बंद करने के लिए मेरा विरोध क्यों नहीं करते। जी हां, अध्यापक स्थानान्तरण उद्योग यह एक शर्मनाक धंधा था लेकिन कोई भी इससे शर्मिंदा नजर नहीं आता था। राजकीय विद्यालयों के शिक्षक मुख्यमंत्री कार्यालयों से स्थानांतरण नोट प्राप्त करने के लिए कोई जुगाड़, सिफारिश या दलाल तलाशने का हरसंभव प्रयास करते थे। इसके बाद वे विभागीय डीलिंग क्लर्क के पास जाते थे और स्थानांतरण आदेश जारी करवाते थे। इस प्रक्रिया में महीनों लगते थे, कई फोन करवाने पड़ते थे, चण्डीगढ़ आना पड़ता था और प्राय: मु_ी भी गर्म करनी पड़ती थी। जब किसी अध्यापक को उसकी मन पसंद का विद्यालय मिल जाता था तो उसकी खुशी ज्यादा देर नहीं रहती। अब उसे इस बात का डर रहता था कि कोई उससे अधिक सिफारिशी उसका स्थानांतरण न करवा दे।
पिछले एक साल से भी अधिक समय से राजकीय अध्यापक बिना स्थानांतरण की चिंता के अपने विद्यार्थियों को मन लगाकर पढ़ा रहे हैं। अब उसे पता है कि प्रदेश में कोई भी मनमाने ढंग से उसका स्थानांतरण नहीं करवा सकता, मैं भी नहीं। उसे विभाग की वैबसाइट पर केवल अपनी पसंद के स्थान और सेवा रिकॉर्ड को अपलोड करना होता है। एक बटन दबाने से ही न केवल उसे पसंद का कोई स्थान मिल जाएगा। वरन उसे यह पता चलेगा कि बाकी स्थान दूसरे अध्यापक को क्यों मिले। असल में यह प्रक्रिया मेरे द्वारा ही लिखी गई है। अधिकारियों और राजनेताओं में किसी को भी रूचि न थी। अंत तक दोनों ही न कर रहे थे। लेकिन ऑनलाइन स्थानांतरण पद्धति के सफल प्रयोग से अब दोनों खुश हैं। अब वे अपने समय को बेहतर कामों में लगा सकते हैं।
दुर्भाग्य से हरियाणा में सरकारी नौकरियां हमेशा सत्ता में रहने वाले राजनेताओं के वफादारों को या इनके लिए सबसे अधिक रकम देने वालों को मिलती थी। बेरोजगार युवकों के अभिभावकों द्वारा अपने बच्चों को सरकारी नौकरी चाहे वह सिपाही की हो या लिपिक की हो या अधिकारी की हो, दिलवाने के लिए अपनी जमीन बेचने की चर्चा गांवों की चैपालों में सुनने को मिलती थी। सरकार में एक विधायक के प्रभाव और ताकत का यह पैमाना होता था कि वह अपने विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से कितने प्रतिशत अभ्यार्थियों को नौकरी दिलवाता था।
हमने बिना किसी भेदभाव के योग्यता के आधार पर नौकरियां देने का फैसला किया। यह सुस्पष्ट संदेश था कि सरकारी नौकरी के लिए केवल और केवल योग्यता ही एक पैमाना है। इस व्यवस्था के चलते हरियाणा में एक कुल्फी बेचने वाले और एक पोस्टमैन के बेटे ने 2016 में हरियाणा सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की, जिसकी पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। हमने 25 हजार से भी अधिक व्यक्तियों को नियमित सरकारी नियुक्तियां दी हैं। इनमें पिछली सरकार द्वारा चयनित 10 हजार व्यक्ति भी शामिल हैं, जिनकी विभिन्न न्यायिक मामलों के कारण नियुक्तियों पर रोक लगी हुई थी। सभी नव चयनित 15 हजार व्यक्तियों को इस बात का विश्वास नहीं हो रहा है कि उन्हें किसी साक्षात्कार का सामना नहीं करना पड़ा या अंतिम साक्षात्कार के कुछ ही घण्टों के अंतराल पर उनका परिणाम घोषित कर दिया गया। हरियाणा में यह बातें पहले कभी नहीं हुई थी। अब ये सामान्य बातें हैं।
मुझे उन लोगों पर तरस आ रहा है, जो सरकार का विरोध कर रहे हैं। वे ऐसे लोग है, जो राज्य में ऐसी भ्रष्ट व्यवस्था के माध्यम से पैसा बनाने के अपने व्यवसाय से वंचित हैं। मुझे खुशी है कि बड़े पैमाने पर लोग हमारी नीतियों से लाभ उठा रहे हैं। हमारे लिए कोई भी व्यक्ति महत्वपूर्ण नहीं है। हमने हमेशा पार्टी के हित से राज्य हित को ऊपर रखा है।
बिजली के बिलों का भुगतान करना कई लोगों के लिए एक प्रतिष्ठा का प्रतीक था। जो अधिकतम बिजली की चोरी करता था, वह अपने आपको वीआईपी मानता था। हमने इस व्यवस्था को खत्म करने का निर्णय लिया। बिजली बिल का भुगतान करने वालों की संख्या 60 लाख है और बिजली चोरी करने वालों की संख्या 60 हजार के आसपास है। बकायादारों का बोझ उन लोगों पर आ रहा था जो ईमानदारी से और नियमित रूप से अपने बिजली के बिलों का भुगतान कर रहे थे। हरियाणा में बिजली की हानि 34 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। बिजली की चोरी करने वालों पर अंकुश लगाने से लाइन लोस कम होकर 24 प्रतिशत रह गये हैं। इसके फलस्वरूप हमने अपनी टेरिफ में कटौती की है और बिजली की दरों में और कमी लाने पर काम कर रहे हैं। आज हम बिजली बिलों का नियमित भुगतान करने वाले 1100 गांवों को प्रतिदिन 24 घंटे बिजली आपूर्ति कर रहे हैं। तीन जिलों नामत: पंचकूला, गुरुग्राम और अम्बाला में हम 24 घंटे बिजली की आपूर्ति कर रहे हैं। फरीदाबाद जिले में भी यह सुविधा शीघ्र उपलब्ध करवा दी जाएगी।
0 comments: