Saturday 22 July 2017

बरसात में फूड और जल जनित बीमारियां से बचाव के लिए अपनाएं आयुर्वेदिक नुस्खे :डाॅ प्रताप चौहान निदेशक जीवा आयुर्वेद


फरीदबाद: 22जुलाई (National24news) तापमान में अचानक परिवर्तन होने के कारण हमारे शरीर की प्रतिरक्षा कम हो जाती है जो हमें कई रोगों के लिए अतिसंवेदनशील बनाता है। 
बरसात के मौसम में संक्रमण और दूसरी अन्य स्वास्थ्य संबंधी गंभीर बीमारियां  पनपने लगती है।
लगातार कई महीने तक झुलसाने वाली सूर्य की तपस से राहत मिलने के दिन आ गए हैं क्योंकि मानसून आने से लगभग हर जगह बारिस का सिलसिला शुरू हो गया है।  यकीनन इससे हमारी बाॅडी और स्किन दोनों को बड़ी राहत मिलेगी। इसके अलावा सूर्य की तेज किरणें, सनबर्न, डिहाईड्रेशन की गंभीर समस्या से भी निजात मिलना तय है। बूंदा बादी और पानी की बौछार से हमारे शरीर को बहुत शीतलता मिलती है लेकिन शरीर के लिए इस अचानक हुए मौसमी परिवर्तन के कारण परेशानी शुरू होने लगती है। जिसकी वजह से लोगों के कई बीमारियों से ग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है। 

बरसात के मौसम में फूड और जल जनित बीमारियां जैसे टायफायड, गैस्ट्रोएन्टेरिटिसिस, फूड विषाक्तता, हेपेटाइटिस ए एंड ई और डायरिया में तेजी दिखाई देती है। स्थाई बारिश के पानी के कारण मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के मामले भी बढ़ जाते हैं। मॉनसून सर्दी, फ्लू, और गले और छाती के संक्रमण जैसे वायरल के लिए जलद्वार खोल देता है। ऐसे में एहतियाती उपायों को अपनाना बहुत महत्वपूर्ण है।

जीवा आयुर्वेदा केे निदेशक डाॅ प्रताप चौहान  के अनुसार गर्मी के जाते ही बरसात का मौसम शुरु हो जाता है। बारिस के आगमन से लोगों को गर्मी से राहत तो मिलती है, परंतु साथ ही उन्हे स्वास्थय से जुड़ी कई बड़ी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। तापमान मे अचानक बदलाव के कारण हमारी रोग प्रतिरोधी क्षमता कम हो जाती है। जिससे हम बिमारीयो के चपेट मे जल्दी आते है। इस मौसम में बाहर का चटपटा खाना जितना अच्छा लगता है वह उतना ही नुकसानदेह भी होता है। इन दिनों फिट रहने के लिए खाने की आदत पर अतिरिक्त ध्यान देना चाहिए, क्योंकि मानसून में दूसरे मौसम की तुलना में पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है। पाचन तंत्र के कमजोर होने से हमारे शरीर का मेटाबोलिजम कम हो जाता है जो वजन बढ़ने का प्रमुख कारण होता है। इस वजह से पेट की बीमारियों के साथ दूसरी कई बीमारियां के प्रबल होने की आशंका बढ़ जाती हंै। 

ऐसे रख सकते है हम मानसून के दौरान अपने सेहत का ख्याल-

गहरे तेल में तला हुआ, जंक फूड, ज्यादा गर्म, खटृा और नमकीन भोजन को खाने से बचना चाहिए क्योंकि बरसात के समय हमारी पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है। 

मनसून में हल्के और आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थ, पकी हुई या स्टीम सब्जियां, कददू, फल, मूंग दाल, खिचड़ी,काॅर्न, काबुली चने का आटा और ओटमील आदि खाने चाहिए। इसके अलावा कच्चे सलाद की जगह स्टीम सलाद लेना चाहिए।

मानसून में बहुत अधिक भारी, गर्म, खट्टे जैसे चटनी, अचार, मिर्ची, दही, करी आदि खाद्य पदार्थों को खाने से वाटर रिटेंशन, अपचन, एसीडिटी और पेट दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए तले हुए पदार्थ, जंक फूड, मिर्च मसालों से भरपूर खानो से बचना चाहिए। 

कसैला स्वाद पित्त को निष्प्रभावित करने में मदद करता है। इसलिए कड़वी सब्जियां जैसे करेला और कड़वी जड़ी-बूटियां जैसे नीम, सूखी मेथी और हल्दी अधिक खाएं। इसके अलावा ये सब चीजें आपको संक्रमण से बचाती हैं।

मानसून में गरम हरबल चाय पीना चाहिए क्योेकि ये जीवाणुरोधी होते है।

सब्जियो और फलो को अच्छे से धो कर ही इस्तेमाल करना चाहिए।

मानसून के समय हमे पत्तेदार सब्जियां और सलाद खाने से बचना चाहिए क्योकि इस मौसम में बैक्टीरिया अधिक होते हैं जो हमें बीमार कर सकते है।
हप्ते मे कम से कम दो बार तिल के तेल से अपने शरीर की मालीश करना चाहिए ये बरसात के दौरान शारीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। जिन लोगो को तिल का तेल शूट नहीं करता उन्हे नारियल के तेल का इस्तेमाल करना चाहिए।
बरसात के दौरान हमें ज्यादा मेहनत वाले व्यायाम जैसे दौड़ना, तेज साईकिल चलाना, हाईकिंग से बचना चाहिए क्योकि ये भी पित (गर्मी) को बढ़ाने का काम करते है। इसकी बजाय योग, सुबह की सैर, तैराकी और स्ट्रेचिंग करें 
जब भी खाना खाए तब हमे इस बात का ध्यान रखना चाहिए की वो जगह साफ सूथरी हो। बरसात के दौरान ऐसा कुछ भी खाने से बचना चाहिए जो खुले में रखा हो और ठेले व खमुचे वालो से खाने से बचना चाहिए।
बरसात के दौरान हमे सरसो का तेल, फली का तेल, मक्खन और ऐसे तेल के उपयोग से बचना चाहिए जो शरीर को गरम करता है। इनके बदले हमे सनफलावर आयल, कार्न आयल, घी, ओलिव आयल का ही खाना बनाने में उपयोग करना चाहिए।

स्वस्थ शरीर में एक स्वस्थ मन निवास करता है। यह वही है जिस पर हम विश्वास करते हैं और अपने शरीर को देखभाल को लेकर आपको कभी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। इसलिए स्वयं और अपने प्रियजनों को सुरक्षित और स्वस्थ रखें और सुंदर मौसम का आनंद लें।

जीवा आयुर्वेद के बारे में
जीवा आयुर्वेद को असाध्य कही जाने वाली और अनेक लाइफस्टाइल बीमारियों जैसे आर्थराइटिस और अन्य जोड़ों के दर्द व हड्डियों के विकार, पाचन की तकलीफें, हाइपरटेंशन, मधुमेह, स्त्री रोग व त्वचा रोग के उपचार में विशेषज्ञता हासिल है। जीवा आयुर्वेद अपने टेलीमेडिसिन सेंटर और क्लीनिकों के जरिए हर महीने करीब 25 हजार रोगियों तक पहुंचता है। जीवा आयुर्वेद टेलीमेडिसिन सेंटर, फरीदाबाद, हरियाणा दुनिया में अपनी तरह का अकेला ऐसा हेल्थ सेंटर हैं, जहां 300 से अधिक आयुर्वेदिक डॉक्टर और सलाहकार देश के 1200 छोटे-बड़े शहरों के रोगियों को सलाह देते हैं। जीवा एमआरसी, क्लिनिक और 600 औषधीय योगों के माध्यम से जीवा आयुर्वेद हर महीने 25,000 से अधिक रोगियों तक पहुंचता है।

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