Tuesday 25 July 2017

पद्मश्री जसपाल राणा ने खेल सामानों के आयात पर जीएसटी के खिलाफ आवाज उठाई


नई दिल्ली : 25जुलाई (National24news) निशानेबाज़ी और दूसरे खेलों में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों पर जीएसटी लगाए जाने से नाराज़ भारत के जाने-माने निशानेबाज़ जसपाल राणा ने खेलों के प्रति सरकारी अनदेखी के खिलाफ आवाज़ उठाई है। जसपाल राणा ने कहा कि अब से पहले शूटिंग की बंदूकें और अन्य खेलों के लिये इम्पोर्ट होने वाले सामान पर कभी भी ड्यूटी या टैक्स नहीं लगाया गया। जीएसटी लगने से खिलाडियों पर बोझ बढ़ेगा और और ऐसे में अगर वो अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मेडल नहीं जीत पाए तो ज़िम्मेदारी सरकार की होगी। 

देश की निशानेबाज़ी को बुलंदियों पर लाने वाले भारत के मशहूर निशानेबाज़ और फ़िलहाल भारत की जूनियर पिस्टल शूटिंग टीम के चीफ कोच जसपाल राणा निशानेबाज़ी के खेल में इस्तेमाल होने वाली बंदूकों और दूसरे उपकरणों को इम्पोर्ट करने पर लगाए जा रहे जीएसटी से नाराज़ हैं। जीएसटी लगने से शटिंग के लिये इस्तेमाल होने वाले हथियार इम्पोर्ट करने के लिये कस्टम विभाग अठारह से अठाइस परसेंट जीएसटी वसूल रहा है, दूसरे खेलों के के लिये इम्पोर्ट होने वाले सामान पर भी जीएसटी वसूली जा रही है। जसपाल कहते हैं कि इससे खिलाडियों पर बोझ बढ़ेगा और उनकी परफॉर्मेंस पर असर पड़ेगा।

पद्मश्री जसपाल राणा ने कहा कि ''सब लोगों ने अपील की है, मेरा सरकार ये कहना है कि आज तक खेलों को बढ़ावा देने के लिये न कोई ड्यूटी लगाई गई न ही टैक्स लगाया गया। वो इसलिए ताकि जिनके पास इतने साधन नहीं हैं, वो अंतराष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे हैं। उनके ऊपर अठाइस परसेंट और अठारह परसेंट जीएसटी लगा देने से न तो खेल का भला होगा और न ही देश का भला होगा। खेल ही एक ऐसी चीज़ थी जिससे हम विदेशों में जाकर अपना लोहा मनवा सकते थे। लेकिन अब जो बच्चे ऊपर आ रहे थे उनको जीएसटी के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, जो वेपन एक लाख का आ रहा था, वो एक लाख अठाइस हज़ार का हो जाएगा और जो पांच लाख का आ रहा था वो उस रेशियो के हिसाब से महंगा हो जाएगा।''

पिस्टल और रिवॉल्वर पर अठाइस परसेंट जीएसटी लगा है। राइफल, शॉटगन और कारतूसों पर अठारह परसेंट है और दूसरे खेल उपकरणों को इम्पोर्ट करने पर बारह परसेंट जीएसटी देना पड़ रहा है। बिना जीएसटी दिए कस्टम विभाग शूटिंग और दूसरे खेलों के इम्पोर्टेड सामान को रिलीज़ नहीं कर रहा है, ऐसे में खिलाडियों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है। कुछ निशानेबाज़ों ने तो अपना इम्पोर्ट फ़िलहाल रोक दिया है, इंतज़ार कर रहे हैं कि शायद सरकार इनकी फरियाद सुन ले।

दिल्ली की उभरती निशानेबाज़ कथा कपूर ने बताया कि ''अभी मैंने एम्युनिशन इम्पोर्ट किया जिसपर छप्पन हज़ार रूपए जीएसटी देना पड़ा। इस महीने हमारी गन इम्पोर्ट होने वाली थी, लेकिन हमने नहीं की, इस उम्मीद में कि शायद जीएसटी हट जाए कुछ दिन बाद, छह लाख की गन है जिसपर डेढ़ लाख रूपए जीएसटी देना पड़ेगा, सरकार को खेल उपकरणों के आयात से जीएसटी हटाना चाहिए।''

निशानेबाज़ अमित शर्मा कहते हैं ''जीएसटी लगने से शूटर्स पर बोझ बढ़ा है। एग्ज़म्पशन से खिलाडियों को जो प्रोत्साहन मिलता है, वो खत्म हो जाएगा अगर जीएसटी लगी रहेगी। जीएसटी कौंसिल को इस बारे में सोचना चाहिए था, जीएसटी को पूरी तरह हटा देना चाहिए खेल उपकरणों के इम्पोर्ट से।'' 

भारतीय जूनियर शूटिंग टीम के कोच जसपाल राणा को लगता है कि खेल उपकरणों के आयात पर जीएसटी लगने से उन खिलाडियों को ज़्यादा परेशानी होगी जो आर्थिक रूप से कमज़ोर हैं।

भारतीय जूनियर शूटिंग टीम के चीफ कोच जसपाल राणा ने खेलों के प्रति सरकारी उदासीनता पर अफ़सोस जताते हुए कहा कि ''अगर इसी तरह से रेट बढ़ते चले जाएंगे तो आने वाे समय में एक गरीब बच्चा एक आम बच्चा जिसकी सब बात कर रहे हैं, वो कैसे निकलकर बाहर आएगा। मैं सिर्फ शूटिंग की बात नहीं कर रहा हूँ, रिंग, हॉर्स राइडिंग, बिलियर्ड्स सब जगह विदेशी इक्विपमेंट यूज़ होता है, हमारे देश में वो नहीं बनता है। अगर हमें दुनिया के खिलाडियों से कम्पीट करना है तो वही चीज़ चाहिए जो मार्किट में बेस्ट है, उन चीज़ों पर आप जीएसटी लगा देंगे, ऐसे में अगर हम मेडल नहीं जीत पाए तो उसकी ज़िम्मेदारी भारत सरकार कि होगी।'' 

एक तरफ सरकार खेलों को बढ़ावा देने की बात करती है, गरीबों को आगे लेन की बात करती है। लेकिन ओलिंपिक, एशियन गेम्स और दूसरे बड़े अंतर्राष्ट्रीय खेलों में भारतीय खिलाडी काफी पीछे हैं। इसके लिये काफी हद तक सरकार की नीतियां और खेलों के प्रति अनदेखी भी ज़िम्मेदार है।
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