Wednesday, 12 April 2017

स्टेशनरी की दुकान चलाने वाले की बेटी का इसरो में चयन


फरीदाबाद : 12 अप्रैल(National24News.com)  बचपन में अंतरिक्ष पर दो टूक सवाल-जवाब करती थी। लेकिन पता नहीं था कि मेरी यह बेटी अंतरिक्ष की ऊंचाइयां छूने के लिए ही बनी है। इसने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंघान संगठन (इसरो) में चयन होकर यह साबित कर दिया कि सफल होने के लिए एक दृढ़ इच्छा शक्ति की जरूरत होती है। घर के कामों में हाथ बंटाते-बंटाते कब इसने पढ़ाई कर इस बुलंदी को छू लिया पता ही नहीं चला। लेकिन काफी गर्व महसूस हो रहा है कि इसने 56 हजार परीक्षार्थियों में से इसरो के लिए चयनित होकर प्रदेश का गौरव बढ़ाया। यह कहना है इसरो में चयनित होने वाली प्रियंका मंगला के पिता कमल कुमार का। जो इंद्रा कॉलोनी फरीदाबाद में एक छोटी सी स्टेशनरी की दुकान चलाते हैं। इसरो से फोन पर प्रियंका के चयन की सूचना मिलने पर खुशी से फूले नहीं समां रहे हैं।.

- इलेक्ट्रॉनिक वैज्ञानिक के तौर पर हुआ चयन, एक लाख रुपए मासिक मिलेगा।
- उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी राकेटों व भू-प्रणाली शोध में रहेगी भूमिका।
- 56 हजार परीक्षािर्थयों में बनाई जगह, मई महीने में ट्रेनिंग के लिए जाएगी।

कलाम से मिली प्रेरणा
प्रियंका मंगला ने बताया कि पापा से वह जरूर अंतरिक्ष के विषयों को लेकर सवाल करतीं। लेकिन उनको उनकी दुकान की किताबों से ही स्वर्गीय डॉ. एपीजे कलाम के बारे में जानकार प्रेरणा मिली। क्योंकि मुझे किताबें पढ़ने का काफी शौक है। यही मेरी हॉबी है। खासकर अंतरिक्ष विज्ञान और इलेक्ट्रॉनिक से संबंधित किताबें अगर मिल जाएं तो। इससे ही वह शुरू से ही इस क्षेत्र की ओर अग्रसर हुईं। उनको इसमें मागदर्शन उनके स्कूल प्रिंसिपल एसएस गुंसाई ने दिया। जिन्होंने मेरी पढ़ाई की वजह से मेरी 40 फीसदी फीस भी माफ रखी। क्योंकि मेरे पापा की आर्थिक स्थिति एेसी नहीं है कि वह अच्छे स्कूल एवं कॉलेज में मुझे पढ़ा सकते। जिससे वह यहां तक पहुंच सकीं। उनका कहना है कि उनके पापा ने उनकी बात कभी नहीं टाली। पढ़ाई को लेकर उनका सपोर्ट रहा। अच्छे स्कूल में पढ़ाने के लिए उन्हें मैंने कई लोगों के आगे झुकते भी देखा। इस वजह से ही मैं मानव रचना यूनिवर्सिटी से बीटेक (इलेक्ट्रानिक एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग) कर सकी। और इसरो के लिए चयन परीक्षा में बैठ सकी। अब मेरा लक्ष्य इस क्षेत्र में मुकाम बनाते हुए अपने पिता को सम्मान दिलाना है। साथ ही देश का भी मान बढ़ाना है। उनका कहना है कि वह टीवी कम देखती हैं। लेकिन देखती हैं तो नॉलेज वाले चैनल देखना उन्हें पसंद है। खेल में उनका पसंदीदा क्रिकेट है।

मई में ट्रेनिंग के लिए जुड़ेंगी
23 वर्षीय प्रियंका ने बताया कि वह इसरो में बतौर इलेक्ट्रॉनिक वैज्ञानिक के तौर पर चुनी गई हैं। इसके लिए 2016 मई में आईसीआरबी (इसरो सेंट्रलाइज्ड रिक्यूटमेंट फॉर द पोस्ट ऑफ साइंटिस्ट) की परीक्षा में वह बैठी थीं। 216 पद के लिए देशभर से 56 हजार परीक्षािर्थयों ने भाग लिया था। इसका परिणाम हाल ही में घोषित हुआ है। उन्हें इसरो की ओर से भी फोन पर चयन की सूचना दी गई है। अब बंगलूरू मुख्यालय में एक महीने की ट्रेनिंग उनकी होगी। प्रियंका का कहना है कि उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी राकेटों और भू-प्रणाली शोध कार्य में उनकी भूमिका रहेगी। उम्मीद है इसमें खरी उतरूंगी। एक लाख रुपए महीने की तनख्वाह उन्हें मिलेगी।
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