फरीदाबाद : 14 अप्रैल (National24News.com) रामानुज संप्रदाय के पवित्र तीर्थ क्षेत्र श्री सिद्धदाता आश्रम एवं श्री लक्ष्मीनारायण दिव्य धाम के अधिपति श्रीमद जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने कहा कि नामदान परंपरा में पांच विधियों में अंतिम और प्रमुख शरणागति है। शरणागत भक्त के पापों को भी भगवान माफ कर देते हैं। वह यहां आयोजित नामदान कार्यक्रम में भक्तों को प्रवचन कह रहे थे। आज पंचविधि से 172 व्यक्तियों ने दीक्षा प्राप्त कर भगवान की शरण ली।
सिद्धदाता आश्रम एवं श्री लक्ष्मीनारायण में आज नामदान का आयोजन किया गया जिसके लिए सुबह से ही सैकड़ों भक्त उत्सुकता से प्रतीक्षारत थे। वह अपने परिजनों के साथ गुरु की शरण लेने पहुंचे। जहां उनको रामानुज संप्रदाय में दीक्षित करने के लिए तय पांचों विधियों यज्ञ, यज्ञोपवीत, नाम, तप्त चक्रांकन और शरणागति से दक्ष किया गया।
इस अवसर पर श्रीमद् जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने कहा कि इस दीक्षा को प्राप्त करने के बाद आत्मा परमात्मा के नाम सिमरण में लग जाती है और उसके पापों का अंत होने लगता है। इसमें सबसे बड़ा भाव शरणागति का है जिसको प्राप्त करने के बाद भक्त के पापों को भी भगवान अनदेखा करते हैं। वहीं गुरु भी अपने शिष्य के पापों और संकटों को दूर करते हैं।
स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने कहा कि आपने गुरु स्वीकार किया है तो गुरु ने भी आपको अपनी ओट में लिया है। लेकिन इस संबंध के बन जाने के बाद गुरु पर किसी प्रकार का संशय न करें। यह ऐसी व्यवस्था है जहां पर जैसा भाव रखोगे, वहां वैसा ही प्राप्त करोगे। उन्होंने 172 लोगों को दीक्षा देकर नाम प्रदान किया।
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