सोनीपत:9 जून(National24news) शहरी स्थानीय निकाय, महिला एवं बाल विकास मंत्री कविता जैन ने कहा कि देश के इतिहास में ऐसे अनेकों महापुरूष हुए हैं, जिन्होंने आध्यात्मिक एवं जीवन दर्शन से जुड़े रहस्यों को सीधे और सरल शब्दों में समझाने का प्रयास किया है। इन्हीं में से एक महान कवि कबीरदास को भी कभी भुलाया नहीं जा सकता। श्रीमती जैन शुक्रवार को वार्ड नंबर तीन स्थित संत कबीरदास भवन का लोकार्पण करने के बाद जिला स्तरीय संत कबीरदास जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थी। यहां उन्होंने संत कबीर भवन में शैड, शौचालय और रसोईघर बनाने की भी घोषणा की। इसके साथ ही जैनपुर टिकौला गांव को जाने वाली सडक़ का नाम पिछले दिनों सुकमा में शहीद हुए गांव के एएसआई नरेश कुमार के नाम पर रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि संत कबीर ने अंधविश्वास, जात-पात, रूढि़वादी तथा सामाजिक एवं आर्थिक गुलामी से जकड़े समाज को नया रास्ता दिखाया। ऐसी स्थिति में एक ऐसे पथ-प्रदर्शक की आवश्यकता थी, जो जनता को न केवल सही रास्ता दिखा सके बल्कि उनके मूलभूत प्रश्नों का हल भी सरल भाषा में कर सके।
उन्होने कहा कि हरियाणा सरकार ने संत रविदास, कबीरदास, गुरू बंदा बहादुर एवं डां. भीमराव अम्बेडकर सहित अन्य महापुरूषों की जयंती सरकारी तौर पर मनाने का निर्णय लिया है। इससे न केवल महापुरूषों के सम्मान में वृद्घि होती है बल्कि लोगों को उनके विषय में विस्तार से जानने का भी अवसर मिलता है। हरियाणा सरकार द्वारा सभी क्षेत्रों एवं वर्गों का समान विकास करवाने के लिए अनेक योजनाएं बनाई जा रही है। इसके अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए भी अनेक कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं। इसके लिए विभाग के वर्ष 2017-18 के बजट में 724.97 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जोकि वर्ष 2016-17 से 7.50 प्रतिशत अधिक है।
इस वर्ग की विधवाओं/निराश्रित महिलाओं/ लड़कियों के लिए सिलाई का एक वर्षीय प्रशिक्षण देकर स्वरोजग़ार उपलब्ध करवाया जा रहा है। उन्हें कच्चा सामान खरीदने के लिए 150 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये करने का निर्णय लिया है तथा 100 रुपये का मासिक भत्ता दिया जाता है। इसके साथ ही सरकार ने सिलाई प्रशिक्षण के लिए दिए जाने वाले मासिक वजीफे में 500 रुपये की वृद्घि करने की भी घोषणा की है। इस समय राज्य में कुल 64 कल्याण केन्द्र चलाये जा रहे हैं। इस वर्ग के 1.50 लाख रूपये से कम पारिवारिक आय वाले बेरोजगार युवकों को कम्पयूटर के माध्यम से टंकण तथा डाटा एन्ट्री में कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाता है।
हरियाणा श्रम विभाग ने श्रमिकों के कल्याण के लिए अनेक योजनाएं शुरू की है। दिव्यांग पैंशन को 300 से बढाकर 3000 रुपये तक किया गया है। कन्यादान सहायता राशि को शादी से तीन दिन पहले दिये जाने का प्रावधान किया गया है। विभाग द्वारा पंजीकृत 60 हजार महिला श्रमिकों को सिलाई मशीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के हाथों से वितरित करवाई जाएगी। इसके अलावा श्रमिकों को सस्ती दर पर मात्र 10 रुपये में कैंटीन में भोजन की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए 6 जिलों में कैंटीन खोली जा रही है।
केन्द्र सरकार ने भी श्रमिकों के कल्याण के लिए नये नियम एवं योजनाएं बनाई है जिनमें ईएसआई सुविधा, श्रमिक महिलाओं को 26 सप्ताह का अवकाश, दूसरे बच्चे पर 12 सप्ताह का अवकाश आदि क्रांतिकारी कदम शामिल है। हरियाणा सरकार देश व प्रदेश के महान पुरूषों के नामों पर अनेक योजनाएं शुरू कर रही है। इससे न केवल महापुरूषों के तेज से समाज को गति मिलती है बल्कि उन योजनाओं से भी समाज उन्नति करता है। आज उनकी जयंती के अवसर पर हमें भी समाज सेवा के लिए प्रण लेना चाहिए,
जिससे लोगों के जीवन को सार्थक बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान मुख्यमंत्री विवाह योजना के तहत 1575 लाभपात्रों को 4 करोड़ 27 लाख 30 हजार रुपए, एससी वर्ग के लोगों को घर मरम्मत के लिए 27 लाख 75 हजार, मुख्यमंत्री सहायता एट्रोसिटी एक्ट के तहत 9 लाख 92 हजार 500, डा. अंबेडकर मेधावी छात्र योजना के तहत 13 लाख 68 हजार, पोस्ट मैट्रिक स्कीम के तहत 6 करोड़ 87 लाख 69 हजार 417 रुपये और पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप योजना ओबीसी के तहत 10 लाख 57 हजार 300 रुपये देने का लक्ष्य तय किया गया है।
इस दौरान भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी राजीव जैन ने संत कबीर जयंती की बधाई देते हुए कहा कि वर्तमान प्रदेश व केंद्र सरकार भी प्रत्येक वर्ग के विकास के लिए कार्य कर रही हैं। उन्होंने उपस्थित लोगों से प्रधानमंत्री बीमा योजना जैसी योजनाओं का लाभ उठाने का आह्वान किया। इसके बाद ही उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में सभी को घर देने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी की शुरूआत की गई है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त के मकरंद पांडुरंग ने कहा कि संत कबीर दास एक ऐसी शख्शियत थे जिसने कभी शास्त्र नही पढ़ा फिर भी ज्ञानियों की श्रेणी में सर्वोपरी थे। कबीर, एक ऐसा नाम जिसे फकीर भी कह सकते हैं और समाज सुधारक भी।
श्री पांडुरंग ने कहा कि संत कबीर को बचपन से ही साधु संगति बहुत प्रिय थी। कपड़ा बुनने का पैतृक व्यवसाय वो आजीवन करते रहे। बाह्य आडम्बरों के विरोधी कबीर निराकार ब्रह्म की उपासना पर जोर देते हैं। कबीर का बचपन बहुत सी जङ़ताओं एवं रूढीयों से जूझते हुए बीत रहा था। वे सदैव सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध थे और इसे कैसे दूर किया जाये इसी विचार में रहते थे। जीवन में गुरू के महत्व का वर्णन कबीर दास जी ने अपने दोहों में पूरी आत्मियता से किया है। कबीर जाति-पाति और ऊच-नीच के बंधनो से परे फक्कड़ अलमस्त और क्रांतिदर्शी थे। उन्होने र