सोनीपत, 10 जून (National24news) खाद्य एवं पूर्ति राज्य मंत्री कर्णदेव कंबोज ने कहा कि भारत को पुन: विश्वगुरू बनाने के लिए संस्कारों को सुधारना होगा। बच्चों को वैदिक संस्कृति और संस्कारों से जोडक़र गांवों की प्राचीन संस्कृति को दोबारा से जिंदा करना होगा। श्री कंबोज शनिवार को हरियाणा लोक सेवा आयोग के सदस्य कुलबीर छिक्कारा द्वारा अपने पूर्वजों की याद में वैदिक ज्ञान योग महाविद्यालय जुआं में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
श्री कंबोज ने कहा कि पहले गांवों में बच्चे बुजुर्गों के पास बैठकर संस्कार सीखते थे और समाज के हित के लिए आगे बढ़ते थे। आज हमारे पास बच्चों के लिए समय ही नहीं है इसलिए बच्चों को संस्कार खत्म होते जा रहे हैं। हमे दौबारा से समाज की व्यवस्था बदलनी है और वैदिक संस्कृति को जागृत कर पुन: भारत को विश्वगुरू का दर्जा दिलवाना है।
उन्होंने कहा कि हमने चाचा, ताऊ, फूफा, मामा सहित सभी रिश्तों को खत्म कर अंकल तक सीमित कर दिया है। इससे रिश्तों का अर्थ खत्म हो गया है। हमारी संस्कृति बदल गई और संस्कार गिर गए। अगर हमने इन संस्कारों को नहीं बचाया तो समस्याएं खड़ी हो जाएंगी। स्वामी दयानंद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने अंधविश्वास को खत्म कर एक जात-पात मुक्त समाज की रचना की थी। सच्चे ज्ञान की खोज में उन्होंने घर छोडक़र समाज को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया था। गुरुकुल परंपरा को पुन: जिंदा करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि पहले बच्चे गुरुकुलों में पढक़र उस ज्ञान को समाज में प्रचारित करने का काम करते थे और इसी से समाज का उद्धार होता था। आज कितनी भी बड़ी यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर लें वह समाज को कुछ नहीं दे पाता। उन्होंने इस अवसर पर महाविद्यालय के लिए पांच लाख रुपये, गांव की एक गली के लिए एक लाख रुपये और कार्यक्रम में योग का प्रदर्शन करने वाले बच्चों को 51 हजार रुपये देने की घोषणा भी की।
इस अवसर पर हरियाणा पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के चेयरमैन रामचंद्र जांगड़ा ने भी बच्चों को पुन: संस्कारों से जोडऩे का आह्वान किया और कहा कि हमें मैकाले की शिक्षा पद्धति से बाहर निकलना होगा। मैकाले ने कहा था कि मुझे सिर्फ क्लर्क पैदा करने हैं जो सिर्फ अपने बारे में सोचें। इस शिक्षा पद्धति में देश व समाज के लिए कोई स्थान नहीं था और वह तन से तो भारतीय थे लेकिन मन व संस्कारों से अंग्रेज ही थे। उन्होंने कहा कि हमें पुन: गुरुकुल परंपरा को अपनाना होगा और आगे बढऩा होगा।
इस अवसर पर एचपीएससी के सदस्य कुलबीर सिंह छिक्कारा, मा. सुरजीत सिंह प्रधान, सतबीर सिंह छिक्कारा, भक्त फूलसिंह महिला विश्विद्यालय की वीसी आशा कादियान, संजीव आर्य, नरेंद्र सिंह बूरा, संजय पूर्व सरपंच, विनोद सरपंच, मुकेश सरपंच, आचार्य सुकामा, आचार्य चंद्रदेव, भजनोपदेशक कंचन, कर्मवीर छिक्कारा, धर्मवीर, सुरेंद्र सिंह पांचाल मंडल अध्यक्ष, परमवीर सैनी सहित सैकड़ों गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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