नई दिल्ली :4 नवंबर I नई दिल्ली खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के निर्माता और वैश्विक नेताओं के बीच आकर मुझे बेहद प्रसन्नता हो रही है। मैं आप सभी का वर्ल्ड फूड इंडिया 2017 में स्वागत करता हूं।
भाइयों और बहनों !
यह कार्यक्रम आपको भारत में ऐसे अवसर उपलब्ध कराएगा जिसका इंतजार आप सभी को है। यह कार्यक्रम आपको पारस्परिक समृद्धि के लिए विभिन्न अंशधारकों से जुड़ने और सहयोग करने का मंच प्रदान करेगा। और यह आपको स्वादिष्ट भोजन भी उपलब्ध कराएगा जिसका स्वाद विश्वभर में मशहूर है।
कृषि के क्षेत्र में भारत की शक्ति को विभिन्न और कई प्रकार से देखा जा सकता है। विश्व की दूसरी सबसे बड़ी कृषि योग्य भूमि और अधिकाधिक 127 विविध कृषि जलवायु क्षेत्र, जो कि केले, आम, गवा, पपीता और ओकरा जैसी फसलों के क्षेत्र में हमें वैश्विक नेतृत्व प्रदान करता है। चावल, गेहूँ ,मछली फल और सब्जियों के उत्पादन के क्षेत्र में विश्व में हम दूसरे नम्बर पर हैं। साथ ही भारत एक बड़ा दूध उत्पादक देश है। पिछले दस वर्षों के दौरान हमारे बागवानी क्षेत्र ने प्रतिवर्ष औसतन 5.5 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की है।
सदियों से भारत ने हमारे खास मसालों की तलाश में आये दूरवर्ती देशों के व्यापारियों का स्वागत किया है। उनकी भारत यात्रा ने कई बार देश इतिहास निर्माण का कारण रही हैं। मसालों के माध्यम से यूरोप और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ हमारे व्यापारिक सहयोग विश्व विदित हैं। यहां तक कि क्रिस्टोफर कोलम्बस भी भारत के मसालों के प्रति आकर्षित था और अमरीका जाकर कहा था कि उसने भारत जाने का एक वैकल्पिक समुद्री मार्ग खोज लिया है।
खाद्य प्रसंस्करण भारत की जीवन शैली है। यह दशकों से चला आ रहा है यहां तक कि छोटे घरों में, आसान, घरेलू तकनीकों जैसे खमीर से हमारे प्रसिद्ध आचार, पापड़, चटनी और मुरब्बा के निर्माण हुआ है जो अब दुनियाभर में विशिष्ट और आम दोनों वर्गों में प्रसिद्ध है।
भाइयों और बहनों !
आइये अब एक बार इसे बड़े पैमाने पर देखते हैं
भारत आज विश्व की तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। वस्तु और सेवा कर या जीएसटी ने करों की बहुलता को समाप्त किया है। भारत ने विश्व व्यापार रैंकिंग में तीस रैंक का उछाल दर्ज किया है। यह भारत का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है और इस साल किसी भी देश द्वारा अकों में की गई सबसे ऊंची छलांग है। वर्ष 2014 की 142 वीं रैंक से अब भारत टॉप 100 शीर्ष रैंकिंग पर पहुंच गया है।
भारत को वर्ष 2016 में ग्रीनफील्ड निवेश में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था। वैश्विक नवाचार सूचकांक, ग्लोबल लॉजिस्टिक इंडेक्स और वैश्विक स्पर्धात्मक सूचकांक में भी भारत की स्थिति में तेजी से प्रगति हो रही है।
भारत में नया व्यापार शुरू करना अब पहले के अपेक्षा अधिक सरल हो गया है। विभिन्न एजेन्सियों से क्लीयरेंस प्राप्त करने की प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है। पुराने कानूनों के स्थान पर नये कानूनों का निर्माण किया गया है और अनुपालन बोझ को कम किया गया है।
अब मैं विशेष रूप से खाद्य प्रसंस्करण की बात करता हूं।
सरकार ने परिवर्तनकारी पहलों की एक श्रृंखला शुरू की है। इस क्षेत्र में निवेश हेतु भारत अब एक सबसे अधिक पसंद किये जाने वाला देश है। यह हमारे ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम में एक प्राथमिक क्षेत्र है। भारत में ई-कॉमर्स के जरिए व्यापार और खाद्य उत्पादों का निर्माण या पैदा करने के लिए भारत में 100 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दी गई है। एकल खिड़की सहायता प्रकोष्ठ विदेशी निवेशकों को सहयोग प्रदान करता है। केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा आकर्षक वित्तीय पहल प्रारंभ की गई हैं। खाद्य और कृषि आधारिक प्रसंस्करण इकाईयों को ऋण प्राप्त करने को सरल बनाने और उसे किफायती दर पर प्राप्त करने के लिए ऋण और कोल्ड चेन को प्राथमिक ऋण सेक्टर के तहत वर्गीकृत किया गया है।
निवेशक बंधु या इन्वेटर्स फ्रेंन्ड पोर्टल जिसे हमने हाल ही में शुरू किया है खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर के लिए उपलब्ध केन्द्रीय और राज्य सरकार की नीतियों और प्रोत्साहन की जानकारी एक साथ उपलब्ध कराता है। यह प्रसंस्करण आवश्यकताओं के साथ स्थानीय स्तर पर संसाधनों को रेखांकित करता है। व्यापार नेटवर्किंग, किसानों, प्रसंस्करणकर्ताओं, व्यापारियों और लॉजिस्टिक ऑपरेटरों का एक मंच भी है।
मित्रों !
मूल्य श्रृंखला के विभिन्न वर्गों में निजी क्षेत्र की सहभागिता में वृद्धि हुई है। हालांकि, अनुबंध कृषि, कच्चा माल प्राप्त करने और कृषि संबंधों के निर्माण में और अधिक निवेश की आवश्यकता है। कई अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां भारत में अनुबंध खेती के लिए आगे आए हैं। भारत को एक प्रमुख आउटसोर्सिंग हब के रूप में देखने वाली वैश्विक सुपर मार्केट के लिए यह एक खुला अवसर है।
एक ओर जहां फसल प्रबंधन के बाद के क्षेत्रों जैसे प्राथमिक प्रसंस्करण और भंडारण, अवसंरचना संरक्षण, कोल्ड चैन और रेफरीजरेटिड परिवहन में अवसर हैं वहीं दूसरी ओर आला क्षेत्रों जैसे जैविक और गढ़वाले भोजन में खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य वर्द्धन हेतु विशाल संभावनाएं हैं
बढ़ते शहरीकरण और उभरते मध्यम वर्ग के कारण पौष्टिक और संसाधित भोजन की मांग बढ़ी है। मैं आपके साथ कुछ आंकड़ें साझा करना चाहूंगा। भारत में एक दिन में ट्रैन की यात्रा के दौरान एक करोड़ से अधिक यात्री भोजन लेते हैं। उनमें से प्रत्येक व्यक्ति खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का एक संभावित ग्राहक है। इस प्रकार के अवसर हैं जो कि उपयोग किये जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
भाइयों और बहनों !
भोजन की गुणवत्ता और प्रकृति के बारे में वैश्विक स्तर पर लाइफस्टाइल डिसीज बढ़ रही हैं। कृत्रिम रंगों, रसायनों और पिजरवेटिव के इस्तेमाल को लेकर विरक्ति आई है। भारत समाधान उपलब्ध करा सकत
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