Tuesday 1 August 2017

वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में भारत का झंडा बुलंद करने वाले जूनियर निशानेबाज़ों को पूछने वाला कोई नहीं: किसी मंत्री या अफसर ने न तो शाबाशी दी न ही प्रोत्साहन


नई दिल्ली :2 अगस्त (National24news) वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में तीन गोल्ड मेडल, दो सिल्वर मेडल, तीन ब्रॉन्ज़ मेडल, और साथ ही दो इवेंट्स में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के बावजूद भारत के जूनियर निशानेबाज़ों को पूछने वाला कोई नहीं। पिछले महीने जर्मनी में हुई 'आई.एस.एस.एफ. वर्ल्ड शूटिंग चैम्पियनशिप में भारत की जूनियर निशानेबाज़ी टीम दुनिया के साठ देशों के मुकाबले में चीन के बाद दूसरे स्थान पर रही। इतनी बड़ी उपलब्धि के बावजूद सरकार की तरफ से किसी ने न तो शाबाशी दी, न कोई प्रोत्साहन मिला। किसी मंत्री या बड़े अधिकारी को भारत का झंडा बुलंद करने वाले इन निशानेबाज़ों से मिलने या बात करने का टाइम तक नहीं मिला। इन निशानेबाज़ों में कई दिल्ली और एनसीआर के हैं, जो सरकार की इस बेरुखी और लापरवाही से मायूस हैं। 
हरियाणा के पंद्रह साल के लड़के अनीश भनवाला ने जूनियर वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया और पच्चीस मीटर स्टैंडर्ड पिस्टल इवेंट में गोल्ड मेडल जीता। इसके अलावा कुल मिलाकर पांच मेडल जीते। इस जूनियर चैम्पियन को उम्मीद थी कि अपने देश लौटूंगा तो सरकार सर आँखों पर बिठा लेगी, लेकिन वापस लौटकर मायूसी ही हाथ लगी।  

अनीश भनवाला ने कहा कि  "हम अभी जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में भाग लेकर आए हैं, वहां मैंने दो इंडिविजुअल और तीन टीम मेडल जीते हैं, जिसमे से एक गोल्ड था वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ स्टैंडर्ड पिस्टल में। हमारी टीम का अच्छा प्रदर्शन रहा, ओवरऑल सेकंड पोज़िशन थी। मगर जैसी उम्मीद थी कि इंडिया आकर बहुत स्वागत होगा, कुछ नहीं हुआ, सरकार की तरफ से कोई प्रोत्साहन या शाबाशी नहीं मिली। मायूसी हो रही है कि कुछ तो प्रोत्साहन मिलना चाहिए था।"
दस मीटर पिस्टल इवेंट में हरियाणा की ही यशस्विनी देसवाल ने वर्ल्ड रिकॉर्ड की बराबरी की। वहीँ दिल्ली के शिवम शुक्ला ने एक टीम गोल्ड और एक ब्रॉन्ज़ मेडल जीता। हरियाणा के अनमोल जैन ने दो मेडल और मुस्कान ने एक मेडल जाता। इन सब निशानेबाज़ों को इस बात का दुःख है कि खेल मंत्रालय या खेल विभाग से किसी ने भी इनसे मिलना तक ज़रूरी नहीं समझा। 

शिवम शुक्ला ने मायूसी के साथ कहा कि "मैंने रैपिड फायर में एक टीम गोल्ड और एक ब्रॉन्ज़ जीता, हमारी टीम का अच्छा प्रदर्शन होने के बाद यहां हमें कोई प्रोत्साहन नहीं मिला जैसी कि उम्मीद थी कि भारत आकर हमारा अच्छा स्वागत होगा, लेकिन यहां खेल मंत्रालय या विभाग की तरफ से कोई मिलने तक नहीं आया।"

गुड़गांव की निशानेबाज़ मुस्कान कहती है कि 'मैंने जूनियर वर्ल्ड चैम्पयनशिप में टीम मेडल जीता, और साठ देशों में हमारी टीम सेकंड आई, लग रहा था कि एयरपोर्ट पर हमारा भव्य स्वागत होगा मगर कुछ नहीं हुआ।'' 

अनमोल जैन ने भी दुखी मन से कहा कि ''वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेरे दो मेडल थे, एक गोल्ड एक सिल्वर, अभी तक हमें सरकार की तरफ से कुछ नहीं मिला, महसूस हो रहा है कि हमें किसी ने पूछा तक नहीं।'' 
भारत की जूनियर शूटिंग टीम के चीफ कोच और जाने-माने निशानेबाज़ पद्मश्री जसपाल राणा भी इस बात से काफी नाराज़ हैं, और इसे वो इन जूनियर खिलाडियों का अपमान मान रहे हैं। इतने बेहतर प्रदर्शन और इतनी बड़ी कामयाबी के बावजूद इनसे मिलना तो दूर किसी मंत्री या बड़े अफसर ने इन बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए एक ट्वीट तक नहीं किया।

जसपाल राणा ने सरकारी रवैय्ये पर सवाल उठाते हुए कहा कि ''इंडियन जूनियर शूटिंग टीम के बच्चों ने वर्ल्ड कप में इतना अच्छा परफॉर्म किया, हम वर्ल्ड में दूसरे नंबर पर आए। लेकिन गवर्नमेंट का रवैय्या बेहद अफसोसनाक है। पहले जब मैं शूटिंग करता था तो बच्चों सीधा एयरपोर्ट से प्राइम मिनिस्टर हाउस ले जाते थे। तो गर्व महसूस होता था कि हमने देश के लिए कुछ किया, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि बच्चों को एक फोन तक नहीं आया, बधाई का संदेश तक नहीं आया। किसी ने एक ट्वीट तक नहीं किया जिसमे ये कहा गया हो कि बच्चों ने बहुत अच्छा किया, खास तौर से उन बच्चों ने जो देश का नाम रोशन करके आए, वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर आए। ये वो बच्चे हैं जो कल को ओलिंपिक मेडल जीतेंगे, लेकिन अभी हम इनका प्रोत्साहन नहीं करेंगे तो आगे के भविष्य का भगवान ही मालिक है। मैं ये गुज़ारिश करूंगा खेल मंत्री से और खेल विभाग से कि आप इन बच्चों का हौसला बढ़ाइए, बाकि सुवधाएं आप दे रहे हैं, लेकिन प्रोत्साहन न मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है।'' 

इस बारे में बात करने के लिए हमने केंद्रीय खेल मंत्री विजय गोयल से कई बार सम्पर्क करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं हो पाई।  सरकारी बेरुखी से नाराज़ जसपाल राणा मानते हैं कि ''इस बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में हम दूसरे नंबर पर आए, चाइना को हराने के लिए हमें बहुत मेहनत की ज़रूरत है। लेकिन जिस तरह हमारी टीम ने रशिया, अमेरिका और यूरोपियन कंट्रीज़ को हराया है, उससे नहीं लगता कि वो लोग आराम से बैठेंगे, और इस हार को कुबूल कर पाएंगे। हम यहां तक अपनी मेहनत से पहुंचे हैं, लेकिन इस पोज़िशन को बनाए रखना भी मुश्किल होगा। अगर सही प्रोत्साहन नहीं मिलेगा तो इन उभरते निशानेबाज़ों का मनोबल टूट सकता है। 
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