फरीदाबाद :5जुलाई(National24news)औद्योगिक जरूरतों के अनुसार विद्यार्थियों को बेहतर विषय विकल्प देने तथा मौजूदा पाठ्यक्रमों की संख्या को कम करने के उद्देश्य से वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद ने विकल्प आधारित क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के अंतर्गत मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक कार्यक्रम की योजना व पाठ्यक्रम में बदलाव का निर्णय लिया है।
विश्वविद्यालय द्वारा मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक कार्यक्रम की योजना व पाठ्यक्रम में संशोधन के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने मुख्य वक्ता के रूप में किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग सबसे पुराने विभागों में से एक है, जिसने विश्वविद्यालय को मैकेनिकल इंजीनियरिंग क्षेत्र में अलग पहचान दिलाई है। उन्होंने पाठ्यक्रम संशोधन पर सुझाव के लिए आमंत्रित विशेषज्ञों से आग्रह किया कि वे औद्योगिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ऐसा पाठ्यक्रम तैयार करें, जिसमें आगामी पांच वर्षाें तक निरंतरता बनी रहे। इस अवसर पर संकायाध्यक्ष (संस्थान) प्रो. संदीप ग्रोवर तथा मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के सभी संकाय सदस्य उपस्थित थे।
कार्यशाला का आयोजन मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष तथा संकायाध्यक्ष (इंजीनियरिंग व प्रौद्योगिकी) डॉ. तिलक राज की देखरेख में किया गया, जिसमें जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली टैक्नोलॉजीकल युनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन से जुड़े अकादमिक तथा औद्योगिक विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला के दौरान मैकेनिकल इंजीनियरिंग के चार मुख्य क्षेत्रों इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट, प्रोडक्शन इंजीनियरिंग, डिजाइन इंजीनियरिंग तथा थर्मल इंजीनियरिंग पर चर्चा हुई।
विकल्प आधारित क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के अंतर्गत, मैकेनिकल विभाग द्वारा कुछ मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्सेज (मूक्स) शुरू करने का प्रस्ताव है, जिसे विद्यार्थी अपने तीसरे से छठे समेस्टर के बीच कभी भी चुन सकते है। यह भी निर्णय लिया गया है कि मौजूदा पाठ्यक्रम में सभी बेसिक इंजीनियरिंग कोर्सेज तथा एबिलिटी एनहॉसमेंट कम्पलसरी कोर्सेज में क्रेडिट्स को चार से घटाकर तीन किया जाये। इसी प्रकार, डिसिप्लेन स्पेसिफिक इलेक्टिव कोर्सेज चार की जगह पांच तथा जनरल इलेक्टिव कोर्सेज दो की जगह तीन करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, कुछ ऐसे विषय जिन्हें दो समेस्टर्स (बेसिक व एडवांस) में पढ़ाया जा रहा है, या तो परस्पर जोड़ा जायेगा अथवा क्रेडिट्स कम किये जायेंगे। यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि विद्यार्थियों को स्वयं अध्याय के लिए ज्यादा से ज्यादा मिल सके।
उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय अपने मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के लिए विशेष पहचान रखता है जो वर्ष 1969 में इंडो-जर्मन परियोजना के तहत स्थापित वाईएमसीए इंजीनियरिंग संस्थान के समय से संचालित है। विभाग की लैब तथा वर्कशाप जर्मन विशेषज्ञता पर आधारित है और यहां चार वर्षीय बी.टेक पाठ्यक्रम की शुरूआत 1997 में की गई थी। विभाग में इस समय मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक की 120 सीटें है और 24 सीटों पर लेटरल एंट्री से दाखिला होता है।
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