Wednesday, 21 June 2017

वाईएमसीए विश्वविद्यालय में किया गया अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन


फरीदाबाद 21 जून(National24news) वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद द्वारा केन्द्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद्, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सभी प्रतिभागियों को पौधे भेंट किये गये तथा दैनिक जीवन में योग को अपनाने तथा पर्यावरण को संरक्षित करने को लेकर संकल्प लिया गया।

कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्जवलन एवं प्रार्थना से हुआ। इसके उपरांत योग सत्र का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन कुलसचिव डॉ. संजय कुमार शर्मा की देखरेख में किया गया। इस अवसर पर सभी संकायाध्यक्ष तथा विभागाध्यक्ष भी उपस्थित थे। सुबह हुई बारिश के बावजूद सभी प्रतिभागियों ने योग सत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सत्र के दौरान योगासन की सभी क्रियाएं योग विशेषज्ञ की देखरेख में संपन्न हुई। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के शिक्षणेत्तर व गैर-शिक्षणेत्तर कर्मचारी, उनके परिवार के सदस्य तथा काफी संख्या में विद्यार्थी सम्मिलित हुए। इस अवसर पर सरकारी स्कूल सराय ख्वाजा की छात्राओं ने भी हिस्सा लिया।

    कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुल सचिव डॉ संजय शर्मा ने कहा कि योग केवल शरीर के लिए ही नहीं अपितु हमारे शरीर, मस्तिष्क, हृदय और आत्मा के लिए भी है। योग का शाब्दिक अर्थ जोड़ना होता है, जो शरीर के साथ सांस, मांसपेशियों के साथ मस्तिष्क और सबसे महत्वपूर्ण आत्मा को परमात्मा के साथ जोड़ता है।
    सत्र को संबोधित करते हुए संकायाध्यक्ष डॉ. संदीप ग्रोवर ने योग दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 27 सितम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा में रखे गये प्रस्ताव पर की गई थी। इस प्रकार, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को मनाना देश के लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि योग एक प्राचीन अनुशासन है जो पूरी दूनिया को भारत के साथ जोड़ता है और भाईचारे व शांति को बढ़ावा देता है। कार्यक्रम के अंत में डॉ अरविंद गुप्ता ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद किया।

    योग सत्र के दौरान सामान्य योग अभ्यासक्रम की अनुपालना करते हुए विभिन्न मुद्राओं में 15 योगासन करवाये गये, जिसमें ताडासन, वृृक्षासन, पाद-हस्तासन, अर्धचक्रासन, त्रिकोणासन, भद्रासन, शशांकासन, अर्धउष्टासन, वक्रासन, भुजंगासन, सलभासन, मकरासन, सेतुबंध, पवन मुक्तासन तथा शवासन करवाये गये। इसके अलावा, कपालभाति और अन्य प्राणायाम की योगिक क्रियाएं भी की गई।
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