Tuesday 14 August 2018

आयशर विद्यालय में स्पिक मैके द्वारा आयोजित कार्यक्रम विरासत


फरीदाबाद :15 अगस्त । संस्कृति, मन एवं आत्मा का विस्तार होती है। साहित्य, संगीत और कला से विहीन मनुष्य पशु तुल्य माना जाता है। भारतीय संगीत, मूर्तिकला, चित्रकला, वास्तुकला, नृत्यकला आदि को देखने से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारतीय संस्कृति सदैव प्रगतिशील रही है। स्पिक मैके द्वरा आयोजित कार्यक्रम ‘विरासत’ में भारतीय सभ्यता एवं प्रतिभा को बेहतरीन कलाकारों द्वारा दर्शाया जाता है। विरासत जिसका अर्थ है ‘धरोहर’ जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचती है। 

स्पिक मैके संस्था ने अपने कार्यक्रम विरासत के अन्तर्गत संगीत, कला एवं नृत्य से परिपूर्ण भारतीय संस्कृति की धरोहर को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया है। विरासत का शुभारंभ भारत के रमणीय क्षेत्र देहरादून से सर्वप्रथम सन् 1965 में हुआ। स्पिक मैके संस्था शिक्षण संस्थानों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन करती है। जिसमें बच्चे अपने देश की संस्कृति, संगीत, नृत्य, गायन एवं कला से रुबरु होते हैं तथा उसका रसास्वादन करते हैं। इन कार्यक्रमों में भारतीय संस्कृति की विविधता प्रदर्शित होती है। जिसमें लोकनृत्य, शास्त्रीय नृत्य, वाध यंत्रों एवं गायन के विभिन्न सोपानों के साथ रंगमंच कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। ऐसा ही कार्यक्रम ‘विरासत’ आयशर विद्यालय सैक्टर-46 फरीदाबाद में आयोजित किया जा रहा है। जिसमें विश्व प्रसिद्ध नृत्यांगना एवं संगीतकारों के प्रदर्शन से बच्चों के मन में भी अपनी (भारतीय) संस्कृति के प्रति रुझान पैदा होगा। 

कार्यक्रम के प्रथम चरण में दिनांक 16 अगस्त, 2018 को मुख्य आकर्षण का केन्द्र ग्रेमी, पद्म श्री एवं पद्म भूषण आदि उपाधियों से सम्मानित विश्व प्रसिद्ध ‘श्री विश्व मोहन भट्ट एवं बाँसुरीवादक -श्री श्ंाशाक सुब्रमण्यम’ हैं। 
दूसरे चरण में दिनांक 17 अगस्त, 2018 को पद्म भूषण से सम्मानित विश्व विख्यात बाँसुरीवादक ‘श्री हरिप्रसाद चैरसिया’ एवं इमदादखानी घराने के मशहूर सितारवादक ‘उस्ताद शाहिद परवेज़’ आपके समक्ष कर्णप्रिय संगीत प्रस्तुत करेंगे। 

कार्यक्रम के तीसरे चरण में दिनांक 18 अगस्त, 2018 को पद्म भूषण से विभूषित विश्व प्रसिद्ध ‘श्री राजन एवं साजन मिश्र’ बंधु विभिन्न राग-रागनियों को छेड़ते हुए अपने मधुर स्वर से सबको मंत्र-मुग्ध कर देंगे। इन्हीं के साथ बिरजू महाराज की शिष्या प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना श्रीमती शोवना नारायण’ अपने प्रदर्शन से सबका मन मोह लेंगी। 

इनकार्यक्रमों से बच्चों को एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान होता है। इसका उदेश्य देश के हर बच्चे को सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण में सक्रिय प्रतिभागी बनाना है। 

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