Thursday, 26 October 2017

पार्षद वीर सिंह नैन ने शनि काली भैरव मंदिर में छठ महापर्व का आयोजन किया


फरीदाबाद 26 अक्टूबर (National24news) श्री शनि काली भैरव मंदिर समिति द्वारा वार्ड 7 में छठ महापर्व मनाया गया। इस महापर्व में मुख्य अतिथि के रूप में वार्ड के पार्षद श्री वीर सिंह नैन ने शिरकत की। इस अवसर पर मुख्य रूप से राम सिंह आहूजा, प्रेम सिंह नैन, आशा राम, दीपक मोहन, भारत भूषण, कमल शर्मा, रंगीला आदि उपस्थित रहे। इस अवसर पर समिति के प्रधान ओमप्रकाश, कोषाध्यक्ष रतन लाल, महासचिव तारा नाहर सहित मनोज नाहर, विनोद नाहर व शिवचंद ने मुख्य अतिथि श्री वीर सिंह नैन का पगडी पहनाकर स्वागत भी किया। 

इस अवसर पर उपस्थितजनो को सम्बोधित करते हुए श्री वीर सिंह नैन ने कहा छठ पर्व प्रति वर्ष भारत में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह एक बहुत ही प्राचीन त्यौहार है जिसको डाला छठ, डाला पुजा, सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है जिसमे भगवान सूर्य की आराधना की जाती है। साथ ही लोग सूर्य से अपने परिवार के लिए सुख.शांति, सफलता, की कामना करते हैं। हिन्दू संस्कृति के अनुसार सूर्य की कामना एक रोग मुक्त, स्वास्थ्य जीवन की कामना होती है।

श्री नैन ने कहा भारत में सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व है छठ- मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है। यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। पारिवारिक सुख.समृद्धी तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है। स्त्री और पुरुष समान रूप से इस पर्व को मनाते हैं। छठ व्रत के सम्बन्ध में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं उनमें से एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गये तब श्री कृष्ण द्वारा बताये जाने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। तब उनकी मनोकामनाएँ पूरी हुईं तथा पांडवों को राजपाट वापस मिला। लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई.बहन का है। लोक मातृका षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी। 
उन्होंने छठ महापर्व पर समस्त पूर्वांचल वासियो को मुबारक बाद दी और सभी का इस पर्व कों संयम व शान्ति पूर्ण मनाने के लिए आभार भी जताया। 


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