Saturday, 22 July 2017

हुड्डा सरकार से चार गुना सरकारी नौकरियां दी हैं मनोहर सरकार ने, आगे और खुलेगा नौकरियों का पिटारा –जवाहर यादव


चंडीगढ़:22 जुलाई (National24news) भाजपा की मनोहर लाल सरकार ने अपने 1000 दिन पूरे करते-करते लगभग साढे 22 हजार लोगों को सरकारी सेवा में ले लिया है। 13,192 लोग नई विज्ञापित भर्तियों से चुनकर आए हैं और 9 हजार से ज्यादा जेबीटी अध्यापकों को पिछली हुड्डा सरकार से चल रही भर्ती प्रक्रिया के तहत ज्वाइन करने के लिए हरी झंडी दिखाई गई है। इनके अलावा चौटाला सरकार के समय के एचसीएस अधिकारियों और औद्योगिक सुरक्षा बल के जवानों को भी ज्वाइन करवाया गया है। इस पूरे अभियान में संख्या, कार्यकुशलता, नीयत और पारदर्शिता का इतिहास रचा गया है।

अगर मनोहर भाजपा सरकार के 1000 दिनों में दी गई नौकरियों की तुलना पिछली सरकारों से करें तो बेहद दिलचस्प बात सामने आती है। हुड्डा सरकार के पहले कार्यकाल के 1000 दिनों में कुल 6100 लोगों को सरकारी नौकरी दी गई जबकि उससे पूर्ववर्ती चौटाला सरकार के शुरूआती 1000 दिनों में तो एक भी सरकारी नौकरी नहीं दी गई। इनके मुकाबले मनोहर सरकार की 13192 नई भर्तियां और 9 हजार पुरानी भर्तियों को ज्वाइनिंग का तोहफा देना एक मिसाल जैसा है। यही नहीं हुड्डा सरकार के पहले कार्यकाल में कुल 20130 नौकरियां दी गई जबकि चौटाला सरकार के पांच सालों में 12800 सरकारी पद भरे गए। मनोहर सरकार ने 1000 दिनों में ही इन्हें तुलना से भी बाहर कर दिया है। इनेलो पार्टी के मित्रों को तो बोलने से पहले ही शर्म आ जानी चाहिए कि उनके 5 साल के कार्यकाल से ज्यादा नई नौकरियां तो 'भर्ती प्रक्रिया शुरू और पूरी' कर हम ढाई साल में ही दे चुके हैं। कांग्रेस के पहले हुड्डा कार्यकाल के 5 सालों की नौकरियों की गिनती भी उस संख्या से कम है जितने लोग मनोहर सरकार के 1000 दिनों में ज्वाइन कर चुके हैं।

यह चमत्कार कैसे हुआ ? इसका सरल विश्लेषण बताता है कि एक तो मनोहर सरकार ने ना सिर्फ पुरानी भर्ती प्रक्रियाओं को बिना किसी पूर्वाग्रह के आगे बढ़ाया, बल्कि ठंडे बस्ते में पड़ी भर्तियों को भी अंजाम तक पंहुचाया व निराश हो चुके युवाओं के घर रोजगार की रोशनी पंहुचाई। जबकि पिछली सरकारें सत्ता में आते ही राजनीतिक द्वेष के चलते पिछली सरकार की चयन प्रक्रियाओं को रद्द कर देती थी। दूसरा महत्वपूर्ण फर्क यह है कि मौजूदा सरकार ने सरकारी भर्ती के काम में तेजी लाई है। सिफारिश का सिस्टम पूरी तरह बंद करने, कई स्तर पर इंटरव्यू खत्म करने और पारदर्शिता बढ़ने से भर्ती का काम साफ सुथरा तो हुआ ही है, इसमें लगने वाला वक्त भी कम हो गया है।

एक अन्य चलन यह दिखता है कि पिछली सरकारें नौकरियों को अगले चुनाव के नजदीक आने तक लटका कर रखती थी ताकि लोग नेताओं के पीछे-पीछे घूमते रहें और चुनाव में नौकरियों का फायदा भी लिया जा सके। भाजपा सरकार ने इस चलन को अतीत की बात बना दिया है। साथ ही, सत्तारूढ़ लोगों में नौकरियों की हिस्सेदारी बंटती थी जिससे रिश्वत का बाज़ार लगता था और भर्ती में देरी होती थी। अब हर दिन बराबर है और हर नागरिक बराबर का हकदार।

मनोहर सरकार ने जो नौकरियां दी हैं, वो 45 से ज्यादा श्रेणी के लिए की हुई हैं। लगभग 54 हजार अन्य पदों के लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है जिनमें क्लर्कों के 6200 और पीजीटी अध्यापकों के 12 हजार पद शामिल हैं।
ये सभी भर्तियां भी पूरी पारदर्शिता के साथ होंगी और पहले के मुकाबले कम समय में प्रक्रिया पूरी की जाएगी। यह बात भी अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है कि अब तक किसी एक भी भर्ती में पैसे के लेनदेन या सिफारिश का आरोप तक नहीं लगा है जबकि पिछली सरकारों में यह हर भर्ती के लिए आम चलन था। पूर्ण पारदर्शिता, बिना रिश्वत और सिफारिश के नौकरी देना भाजपा मनोहर सरकार के लिए मूल सिद्धांतों में शामिल है और इसे प्रतिबद्धता के साथ लागू किया जा रहा है।
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