Saturday 1 July 2017

आम जन तक कानूनी सहायता पहुंचा रहा नालसा



नई दिल्ली;1जुलाई (National24news) राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण (नालसा) का नाम भले ही आम जन की सोच से अलग हो, लेकिन यह नाम आम जन की पहुंच देश के अहम कानून तक पहुंचाने से लेकर उनको इन कानूनों के प्रति जागरुक करने में अहम भूमिका निभा रहा है। जन जागृति के अभियान में जुड़े नालसा का नाम पहली बार सुनने से लेकर उसके बारे में अपनी सोच व विचारधारा बनाने तक के सफर के बारे में बताया अभय प्रताप सिंह ने: 

बतौर लॉ स्टूडेंट व सिविल जज मेरी जानकारी राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण (नालसा) के बारे में बहुत ही सीमित थी। मुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि मुझे इसके बारे में गहराई में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए, लेकिन फिर एक कार्यक्रम का हिस्सा बनने के बाद मुझे राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण के बारे में जानकारी प्राप्त करने की जरूरत महसूस हुई। मैंने एक कार्यक्रम में नालसा के द्वारा किए जा रहे कार्यों, अलग-अलग योजनाओं व कानूनों के बारे में जानने का मौका मिला, जो कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए चलाई जा रही है। इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया के माननीय न्यायाधीश व नैशनल लीगल सर्विसिज एथॊरिटी (नालसा) के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन श्री दीपक मिश्रा के द्वारा दिए गए भाषण ने मेरे मन को छू लिया और नालसा के द्वारा किए जा रहे सराहनीय कार्यों ने मेरी सोच को नालसा के प्रति पूरी तरह से बदल दिया और जब मुझे पारा लीगल वॉलिंटियर्स की नैशनल मीट के लिए निमंत्रण मिला तब मुझे पता चला कि आम जन की पहुंच कानूनों तक पहुंचाने में पारा लीगल वॉलिंटियर्स कितनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। 

भारत के लीगल सिस्टम से जुड़ी मुझे सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात है कि यहां पर करीब 3 करोड़ कोर्ट केस लंबित पड़े हैं, जो कि इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं। देश की लगभग अरब जनसंख्या में 2.5 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो कि आज मुकद्दमों में उलझे हुए हैं। 

शुक्र है इंसाफ की राह नहीं तलाश पा रहे ऐसे लोगों को जागरुक करने के लिए 60 हजार पैरा लीगल वॉलंटियर्स (पीएलवीएस) का नैटवर्क उपलब्ध है। पीएलवीएस की सोच साल 2009 में नालसा में शुरू हुई। पीएलवीएस में सामाजिक जिम्मेदारी समझने वाले जैसे स्टूडेंट्स, रिटायर्ड टीचर्स, रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी, आंगवाड़ी कर्मी, डॉक्टर, गैर सरकारी संगठन के सदस्य आदि के लोग शामिल हैं। इनको कानूनी जानकारी, देश की कानूनी प्रणाली, सरकारी विभागों आदि की जानकारी प्रदान की गई है ताकि यह सेना जरूरतमंदों को कानूनी अधिकारों की जानकारी दे सके और कानूनी संस्थाओं से इनका संबंद्ध स्थापित करवा सके। 

मेरी नालसा को गहराई तक जानने की इच्छा यहीं तक सीमित नहीं रही, बल्कि नालसा को और गहराई से जानने के लिए किए गए रिसर्च मुझे कुछ और पहलुओं तक ले आया। लोक अदालत संकल्पना बहुत प्रभावी है। यह केवल मुकदमा दायर होने की स्थिति में ही नहीं, बल्कि उससे पहले भी काफी प्रभावी साबित हो रही है। नालसा लोक आदलतों का आयोजन महीने में 2 बार करती है। फरवरी 11, 2017 को आयोजित हुई नैशनल लोक अदालत में पूर्व मुकद्दमेबाजी के 3.02 लाख व लंबित पड़े  व अप्रैल 8, 2017 को 6.51 लाख लंबित पड़े मुकद्दमों का निपटारा किया गया, वहीं अप्रैल 8, 2017 को आयोजित हुई लोक अदालत में 5.32 पूर्व मुकदमें व 4.13 लंबित पड़े मुकदमों का निपटारा किया गया। इससे करीब 19 लाख लंबित  व पूर्व मुकदमों का निवारण किया गया। लोक अदालत के लिए लोगों को जागरुक करने के लिए माननीय न्यायाधीश श्री दीपक मिश्रा ने दूरदर्शन में सफलता की कहानियों के 26 एपिसोड टैलीकास्ट कराने का निर्णय भी लिया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोंगों तक नालसा व उसके कार्यों को पहुंचाया जा सके। 

नालसा ने एक बढ़ी उपलब्धि को तब प्राप्त किया जब दिल्ली में लीगल असिस्टैंस एस्टैब्लिश्मेंट (एलएई) न्याय संयोग दिल्ली में 17 मई, 2017 को स्थापित किया गया। एलएईएस ने बेहतर व्यवस्था के साथ एक छत के नीच कानूनी अधिकारों से लेकर कानूनी सहायता व लंबिस पड़े मुकदमों की जानकारी तक सभी की प्रदान किया जा रहा है। यह ही नहीं यह जेल में अंडर ट्रायल के लिए पहुंचे लोगों को विडियों कॉन्फ्रेंसिंग की मदद से भी सेवा प्रदान कर रहा है। 

जैसे एक जहाज की कमान उसके मुखिया पर निर्भर करती है वैसे ही नालसा उस जहाज की तरह है जो कि माननीय न्यायाधीश श्री दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में सफलता से आगे बढ़ रहा और नालसा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा रहा है। जैसे कहा जाता है जोखिम के बिना सफलता संभव नहीं, वैसे ही माननीय न्यायाधीश श्री दीपक मिश्रा ने कुछ ऐसे निर्णय लिए जिन्होंने हजारों जोखिमों के बावजूद नालसा को सफलता की कहानियों में शामिल किया। इन्हीं के मार्ग में नालसा देश के हजारों लोगों तक कानूनी सहायता पहुंचाने में सफल हो रही है। 

(लेखक दिल्ली यूनिवर्सिटी फैकल्टी ऑफ लॉ, कैंपस लॉ सेंटर के असिस्टैंट प्रोफेसर हैं)

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