Friday 27 October 2017

स्टार्टअप संगम के तहत मानव रचना के इनोवेटिव रिसर्च को मिला 1.72 करोड़ का अनुदान


फरीदाबाद 27अक्टूबर (National24news) देश की 10 ऑयल व गैस क्षेत्र की पीएसयू के द्वारा स्टार्टअप कंपनियों को अनुदान देकर प्रोत्साहित करने के बनाए गए स्टार्टअप संगम की शुरुआत हो चुकी है। हॉल ही में दिल्ली में आयोजित हुए कार्य़क्रम में पैट्रोलियम व नैचुरल गैस व स्किल डिवेलपमेंट एंड एंटरप्रय्नोरशिप श्री धर्मेंद्र प्रधान की उपस्थिति में मानव रचना इंटरनैशनल यूनिवर्सिटी (एमआरआईयू) को 320 करोड़ के इस कोष में से 1.72 करोड़ का अनुदान प्राप्त हुआ है। 10 पीएसयू ने मिलकर 320 करोड़ का कोष तैयार किया है। 3 साल के लिए यह कोष तैयार किया गया है और इस कोष में से स्टार्टअप पहल को अनुदान दिया जाएगा। इसी के तहत मानव रचना हरियाणा की पहली यूनिवर्सिटी बनी है जिसको यह अनुदान प्राप्त हुआ है।

मानव रचना की महिला टीम ने अपने इस कार्य व सोच से संस्थान को गौरांवित किया है। त्रिचोअग्रोनिका प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का जन्म मानव रचना इंटरनैशनल यूनिवर्सिटी में हुआ और कुछ महिलाओं के द्वारा के ऐसा सोल्यूशन तैयार किया गया जो कि टमाटर की पैदावार में बाधा बनने वाले वायरस का नाश कर सकता है। कंपनी की इसी अलग सोच को 1.72 करोड़ का अनुदान प्राप्त हुआ है। इस टीम में मानव रचना इंटरनैशनल यूनिवर्सिटी (एमआरआईयू) की प्रोफेसर एंड डीन रिसर्च डॉ. सरिता सचदेवा, डिपार्टमेंट ऑफ बायोटैक की प्रोफेसर व हैड डॉ. अभिलाषा शौरी, बायोटैक की असिस्टैंट प्रोफेसर डॉ. निधी डिडवानिआ व बायोटैक की रिसर्च स्कोलर सुश्री दीप्ति सदाना शामिल है। इस टीम ने बेहतर मजबूत चयन प्रोसेस के बाद यह अनुदान हासिल किया है।

गौरतलब है कि मानव रचना पहली ऐसी प्राइवेट यूनिवर्सिटी है जो कि अब तक 40 स्टार्टअप कर चुकी है जिसको आईआईएम व आईआईटी व इंटरनैशनल यूनिवर्सिटियों से संबंद्ध स्थापित है। मानव रचना को मिले अनुदान के मौके पर मानव रचना इंटरनैशनल यूनिवर्सिटी व इंडिया ऑयल कोरपोरेशन के बीच एमओयू साइन किया गया। यह एमओयू श्री धर्मेंद्र प्रधान व श्री अमिताभ कांत की उपस्थिति में किया गया।

डॉ. सरिता सचदेवा ने बताया कि टीम के द्वारा गहन रिसर्च के साथ बनाया गया यह पाउडर टमाटर की पैदावार में बढ़ोत्तरी में मदद करता है क्योंकि यह टमाटर की पैदावार को नष्ट करने वाले वायरस को पूरी तरह से नष्ट कर देता है। यह पहल प्रदर्शन में सफल हुई है। उम्मीद है कि अनुदान को प्रयोग अच्छी तरह से करके इसका फायदा किसानों को मिल पाएगा।

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