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Sunday 19 August 2018

एशियन ने आयोजित किया दो दिवसिय अर्थ्रोप्लास्टी कॉन्क्लेव

एशियन ने आयोजित किया दो दिवसिय अर्थ्रोप्लास्टी कॉन्क्लेव

फरीदाबाद 19 अगस्त I  एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज ने दो दिवसिय अर्थ्रोप्लास्टी कॉन्क्लेव का आयोजन 18 व् 19 अगस्त को अस्पताल के प्रांगड़ मैं किया I जिसका शुभारंभ उद्योग मंत्री श्री विपुल गोयल, चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. एन. के. पांडेय, एडमिन डायरेक्टर अनुपम पांडेय, मेडिकल डायरेक्टर डॉ. प्रशांत पांडेय,पी एच सी डारेक्टर प्रभ शरण आहुजा, हड्डी रोग विभाग के एच. ओ. डी डॉ. मृणाल शर्मा ने किया I 

इस कॉन्क्लेव मैं देश भर से तक़रीबन 175 हड्डी रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिसमें एम्स से डॉ. सी एस यादव, मेदांता से डॉ. ए के मर्या, बीएलके अस्पताल से डॉ. प्रदीप शर्मा, मैक्स पटपरगंज से डॉ. अनिल अरोड़ा, शारदा मेडिकल कॉलेज से डॉ. सुधीर व् कई अन्य डॉक्टर शामिल हुए I इस कॉन्क्लेव में लाइव सर्जरी के माद्यम से डॉक्टरों को रोबोटिक घुटना प्रत्यारोपण सिखाया गया व्  घुटने व् हड्डी प्रत्यारोपण के इलाज में आने वाली नयी तकनिकी आयाम के बारे में समझाया गया I 

इस मोके पर अस्पताल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. एन. के पांडेय ने कहा कि हम इस तरह के कॉन्क्लेव व् कांफ्रेंस प्रतिवर्ष आयोजित करते हैं ताकि देशभर के डॉक्टरन को नयी तकनीकों के बारे में अवगत कराया जा सके I 

कॉन्क्लेव के आयोजक व् हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मृणाल शर्मा ने बताया कि हमारा मकसद देश के चुनिंदा डॉक्टरों को एक ही एक सभा में लाना हैं ताकि बाकि सभी डॉक्टर उनसे ईलाज के क्षेत्र में हो रही नयो तकनीकों कि जानकारी हासिल कर सकें हड्डी प्रत्यारोपण क्षेत्र में हो रही नयी तकनीकी सीख सकें I

उद्योग मंत्री श्री विपुल गोयल ने कहा कि आज अर्थ्रोप्लास्टी कॉन्क्लेव के आयोजन के लिए मैं एशियन हॉस्पिटल को बधाई देता हूं और सभी प्रतिष्ठित हॉस्पिटल से आए एक्सपोर्ट डॉक्टर्स का भी अभिवादन करता हूं। चाहे हड्डियों के रोग हो या फिर दूसरी बीमारियां, सवा अरब की आबादी वाले हमारे देश में बीमारियों के उचित इलाज के लिए और सस्ते इलाज के लिए लगातार अनुसंधान भी जरूरी है और एशियन हॉस्पिटल का इसमें जो योगदान है वह काफी सराहनीय है जिसके लिए मैं यहां की पूरी टीम को बधाई देना चाहूंगा।

इस तरह के सेमिनार एक दूसरे के साथ तकनीक साझा करने का अच्छा माध्यम हो सकता है। जब अलग अलग हॉस्पिटल्स के एक्सपोर्ट एक साथ विचार साझा करते हैं तो नए अनुसंधान में निश्चित तौर पर मदद होती है।

Saturday 11 August 2018

स्वास्थय मंत्री अश्विनी चौबे ने एशियन अस्पताल मैं किया पीडियाट्रिक हार्ट सेंटर का उद्घाटन

स्वास्थय मंत्री अश्विनी चौबे ने एशियन अस्पताल मैं किया पीडियाट्रिक हार्ट सेंटर का उद्घाटन

              














फरीदाबाद : 11 अगस्त - एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज देश में हमेशा से ही उच्च स्वास्थ्य सुविधा देने और  स्वास्थ्य क्षेत्र में नए कीर्तिमान इस्थापित करने के लिए जाना जाता है  और आज स्वास्थ्य क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पीडियाट्रिक हार्ट सेंटर का उद्घाटन किया I  यह उद्घाटन माननीय लोकसभा मेम्बर व् स्वास्थय और परिवार कल्याण मंत्री श्री अश्विनी चौबे, चेयरमैन अवं मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. एन के पांडेय, उनकी धर्मपत्नी श्रीमती पदमा पांडेय हृदय विभाग के चेयरमैन डॉ. ऋषि गुप्ता, एडमिन डायरेक्टर अनुपम पांडेय, मेडिकल डायरेक्टर प्रशांत पांडेय इंटरनेशनल पेशेंट डायरेक्टर नेहा पांडेय, पेशेंट केयर डायरेक्टर डॉ स्मृति पांडेय व् डायरेक्टर डॉ. पी एस आहुजा द्वारा किया गया I 

एशियन पीडियाट्रिक हार्ट सेंटर फरीदाबाद का पहला ऐसा हार्ट सेंटर है जिसमे नवजात शिशुओं व् बच्चों मैं होने वाले हृदय घात से सम्बंधित सभी बीमारियों का इलाज किया जाएगा I इस विभाग को तीन डॉक्टरों की निगरानी मैं संचालित किया जाएगा जिसमे पीडियाट्रिक हार्ट सर्जन डॉ. हिमांशु प्रताप, पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट डॉ सुशील कुमार व् पीडियाट्रिक क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ. नीतू वशिष्ट होंगी I 

इस मौके पर अस्पताल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. एन के पांडेय ने बताया कि  देश के केवल चुंनिदा अस्पतालों मैं बच्चों के हार्ट की सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है, एशियन पीडियाट्रिक हार्ट सेंटर से फरीदाबाद, बल्लबगढ़, होडल, कोसी, आगरा, अलीगढ तक के लोगो को फायदा मिलेगा I  पहले उन्हें अपने बच्चों के दिल की बीमारी के इलाज के लिए दिल्ली व् अन्य बड़े शहरों का रुख करना पड़ता था, लकिन अब उन्हें वह जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी, हमारी पीडियाट्रिक कार्डियक टीम को 500  से भी ज्यादा बच्चों की हार्ट सर्जरी करने का अनुभव है I

एशियन पीडियाट्रिक हार्ट सेंटर के  सर्जन डॉ. हिमांशु प्रताप ने बताया कि हमारी टीम बच्चों में जन्मजात विकार जैसे कि दिल में छेद, दिल कि धमनियों कि उल्टी  बनावट ( बच्चे का नीला पड़ना), ( ब्लू बेबी ), बच्चों की वाल्वस कि दिक्कते आदि का इलाज करने में सक्षम हैं I पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट डॉ सुशील कुमार व् क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ. नीतू वशिष्ट ने बताया दिल की सफल शल्य चिकित्सा के लिए बीमारी का सही समय पर पता कर पाना सबसे जरुरी है, दिल की बीमारी के बच्चे अक्सर कमजोर होते है और उन्हें बार- बार सांस सम्बन्धी बीमारियां होती है  जिसके कारण वह नीले पड़ने लगते है ऐसी स्थिति मैं बच्चों को तुरंत हृदय रोग चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए I

एशियन हृदय विभाग के चेयरमैन डॉ. ऋषि गुप्ता ने बताया कि एशियन हमेशा से ही उच्च स्वास्थ्य सुविधा देने में सक्षम रहा है और चिकित्सा क्षेत्र में यह कदम बहुत से माता - पिता के चेहरे पर मुस्कान लाएगा जिन्हे अपने बच्चों के इलाज के लिए दिल्ली के अस्पतालों में लम्बे समय तक इंतज़ार करना पड़ता था I अब एशियन देश के चनिन्दा अस्पतालों में शामिल है जहां एक ही छत के नीचे हृदय सम्बन्धी सभी सुविधाएं मौजूद हैं I

मौके पर ख़ुशी जताते हुए स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री अश्विनी चौबे ने एशियन की बच्चों की हार्ट सर्जरी टीम को बधाई दी और बच्चों के हृदय रोग की सर्जरी शुरू करने के लिए धन्यवाद दिया I

Sunday 29 July 2018

मेट्रो हॉस्पिटल मैं विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया

मेट्रो हॉस्पिटल मैं विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया

फरीदाबाद 29 जुलाई । दुनिया भर में हेपेटाइटिस के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। इस दिन दुनियाभर के स्वास्थय संगठन आम जनता को हेपेटाइटिस के रोकथाम एवं उपचार के प्रति प्रोत्साहित करते है| विश्व हेपेटाइटिस दिवस का इस साल का विषय 'Find the Missing millions - एलिमिनेट हेपेटाइटिस " रखा गया है| इसी उद्देशय को ध्यान में रखते हुए, मेट्रो अस्पताल फरीदाबाद ने हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी की मुफ्त स्क्रीनिंग का आयोजन किया, जिसमे तक़रीबन 600 लोगो ने अपनी जांच करवाई । फ्री स्क्रीनिंग के बाद हेपेटाइटिस अवेयरनेस टॉक का आयोजन किया गया था जिसमे डॉ. विशाल खुराना ने आम जनता को हेपेटाइटिस से जुड़ी जानका री दी ।

डॉ विशाल खुराना, वरिष्ठ गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट ने हेपेटाइटिस अवेयरनेस हेल्थ टॉक को सम्बोधित करते हुए बताया, "भारत में तक़रीबन तीन से चार फीसदी जनता हेपेटाइटिस बी संक्रमण से जूझ रही है| उन्होंने हेपेटाइटिस बी  फैलने के प्रमुख कारण व उन्हें रोकने के उपाय लोगो को बताये जिसमे सबसे प्रमुख मां से बच्चे में वायरस का संचारित होना है| असुरक्षित सुइयों का इस्तेमाल, असुरक्षित यौन संबंध, असुरक्षित रक्त संक्रमण हेपेटाइटिस B एवं C के संचरण प्रमुख  कारण है| हेपेटाइटिस A  एवं E दूषित भोजन या पानी से फैलता है |

डॉ विशाल के अनुसार कई मरीज़ों में बीमारी के कोई विशेष लक्षण नजर नहीं आता है| बीमारी के बढ़ने पर त्वचा का रंग  पीला पड़ जाना, भूख न लगना, उल्टी आना, बुखार व थकान हो सकती है | ऐसी स्थिति में गैस्ट्रोएलट्रोलॉजिस्ट से परामर्श करना चाहिए क्यूंकि इस रोग में लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है| 

मेट्रो अस्पताल फरीदाबाद में गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी विभाग अपने मरीजों को एक व्यापक और अत्याधुनिक सेवा प्रदान करता है| हमारे यहाँ अनुभवी गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट, जीआई सर्जन, कुशल पैरामेडिकल स्टाफ, और प्रशिक्षित तकनीशियन शामिल है | गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी विभाग में  लिवर, पैंक्रियास एवं पेट से जुड़े रोगो का  इलाज किया जाता है। मेट्रो अस्पताल फरीदाबाद में की विशिष्ट सेवाओं में ERCP, कैप्सूल एंडोस्कोपी तथा बड़ी एवं छोटी आँतों की विशेष जांच शामिल है| 

Friday 27 July 2018

इन्डियन मैडिकल एसोसिएशन के आवाहन पर *28 जुलाई को 'धिक्कार दिवस* हड़ताल :डॉ पुनिता हसीजा

इन्डियन मैडिकल एसोसिएशन के आवाहन पर *28 जुलाई को 'धिक्कार दिवस* हड़ताल :डॉ पुनिता हसीजा

फरीदाबाद 27 जुलाई । नैशनल मैडिकल कमीशन बिल के विरोध में  पूरे भारत वर्ष में सभी निजी चिकित्सा संस्थान सुबह 6 बजे से सायं 6 बजे तक बन्द रहेगे। राष्ट्रीय  इन्डियन मैडिकल एसोसिएशन के  आवाहन पर *28 जुलाई को 'धिक्कार दिवस* ' घोषित किया गया है।

नैशनल मैडिकल कमीशन बिल चिकित्सा सेवा प्रणाली के स्तर की गुणवत्ता को और नीचे धकेल देगा तथा इलाज के खर्च को बढ़ावा देने वाला  साबित होगा।

विभिन्न प्रकार की बेमेल चिकित्सा पद्धतियो के चिकित्सकों को बरिज कोर्स करने का प्रावधान, सभी पद्धतियो के लिए आत्मघाती हो सकता है।

चिकित्सा शिक्षा तथा  चिकित्सकों के अनुशासन के उद्देश्य के प्रस्तावित यह कानून, न तो आम जनता के हित में, न ही चिकित्सक सेवा प्रणाली के।

इस का स्वरूप न तो नैशनल है, न ही यह पूर्ण रूप से मैडिकल कहाँ जा सकता है। इसे कमीशन या आयोग कहना भी अनुचित होगा।

आई एम ए के अनुरोध तथा सुझावों के विपरीत , भारत सरकार का यह कदम, लड़खड़ाती चिकित्सा सेवा प्रणाली को सहारा देने के बजाय, मंहगा तथा निम्न स्तर का बना देगा।
इस बिल पर पुनर्विचार की सख्त आवश्यकता है।
इस के दूरगामी परिणामों पर विचार करने के बाद ही इसे स्वीकृति देनी चाहिए।

Monday 23 July 2018

एशियन अस्पताल में हुआ दूरबीन द्धारा गदूद के कैंसर का पहला सफल ऑपरेशन

एशियन अस्पताल में हुआ दूरबीन द्धारा गदूद के कैंसर का पहला सफल ऑपरेशन

फरीदाबाद 23 जुलाई । प्रोस्टेट यानि गदूद का बढ़ना 50  साल से ज़्यादा उम्र वाले पुरुषों में एक आम समस्या है जिसकी वजह से पेशाब करने मैं तकलीफ देखी जाती है I गदूद का बढ़ना हमेशा कैंसर नहीं होता लेकिन PSA   एक ऐसा टेस्ट है जिससे प्रोस्टेट कैंसर होने की समभावना का पता लगाया जा सकता  है I 

एशियन अस्पताल मैं 76  साल के श्री के के शोरी जिनको काफी समय से पेशाब की तकलीफ थी और उनका PSA भी बड़ा हुआ था उन्होंने एशियन अस्पताल के यूरोलॉजी व् किडनी ट्रांस्प्लांड हेड डॉ विकास अग्रवाल से सलाह ली और जांच के बाद उनका गदूद का वजन 90  ग्राम था व् प्रोस्टेट की बाओप्सी में कैंसर पाया गया I डॉ विकास ने मरीज की बाकि जांच कराई जिससे यह पता चला कि कैंसर केवल प्रोस्टेट तक ही सिमित है और मरीज को सर्जरी की  सलाह दी I

डॉ विकास अग्रवाल ने यह ऑपरेशन दूरबीन के माध्यम से किया, रेडिकल प्रोस्टेक्टॉमी जो एक जटिल सर्जरी हैं जिसमे प्रोस्टेट को पूरा निकला जाता है और पेशाब की नलकी से दुबारा जोड़ा जाता है, दूरबीन के द्वारा इस कैंसर को मरीज को बिना कोई  तकलीफ दिए निकला जा सकता है, ऑपरेशन के एक महीने के बाद मरीज का PSA  लेवल जीरो  आया जिससे यह पता चला कि उनका कैंसर अब पूरी तरह निकल चूका है I 

ऑपरेशन के 1  हफ्ते  बाद अब के के शोरी जी पूरी तरह स्वस्थ हैं और अपने काम पर वापिस जा रहे हैं I

Sunday 8 July 2018

बेस्ट फ्लू इन्फ्लुएंजा होम्योपैथी मेडिसिन

बेस्ट फ्लू इन्फ्लुएंजा होम्योपैथी मेडिसिन

फरीदाबाद 9 जुलाई। इन्फ्लुएंजा इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण एक तीव्र ऊपरी श्वसन पथ संक्रमण है, जो विशेष रूप से सर्दी के दौरान दुनिया भर में प्रकोप और महामारी में होता है।

यद्यपि यह अस्थायी रूप से कमजोर पड़ रहा है, फ्लू आमतौर पर स्वस्थ लोगों में एक आत्म-सीमित संक्रमण होता है, जो अधिकांश मामलों में कुछ दिनों के बाद स्वचालित रूप से उपचार करता है।

हालांकि, कुछ जोखिम समूहों में, इन्फ्लूएंजा में अधिक आक्रामक कोर्स हो सकता है, जिससे साइनसिसिटिस, ओटिटिस मीडिया, निमोनिया, ब्रोंकाइटिस और दिल की मांसपेशियों की सूजन और दिल को कवर करने वाली झिल्ली यानी मायोकार्डिटिस और पेरीकार्डिटिस जैसी जटिलताओं का कारण बन सकता है। शिशुओं, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, immunodeficiency वाले लोगों या पुरानी दिल या फेफड़ों की बीमारियों के साथ समूह गंभीर फ्लू के विकास के सबसे बड़े जोखिम पर समूह हैं

इस लेख में हम इन्फ्लूएंजा के मुख्य लक्षणों और उन लक्षणों के बारे में बात करेंगे जो जटिलताओं की घटना को इंगित करते हैं।

इन्फ्लूएंजा के मुख्य लक्षणों और लक्षणों की सूची जो इस आलेख में संबोधित की जाएगी, निम्नानुसार है:

38ºC से ऊपर, उच्च बुखार।

खांसी

· गले में खरास।

Coriza और sinusitis।

· छींक आना।

· सरदर्द।

· मांसपेशियों में दर्द।

थकावट और कमजोरी।

· भूख में कमी।

उल्टी और दस्त (बच्चों में सबसे आम)।

फ्लू के संकेत और लक्षण
24 से 9 6 घंटों तक की ऊष्मायन अवधि के बाद, फ्लू के संकेत और लक्षण आमतौर पर इतने अचानक प्रकट होते हैं कि कई रोगी बीमारी शुरू होने के ठीक समय बता सकते हैं। शरीर में उच्च बुखार, कमजोरी और दर्द, श्वास, गले में गले और राइनाइटिस जैसे श्वसन संबंधी लक्षण आमतौर पर बीमारी के पहले कुछ घंटों में मौजूद होते हैं।

हालांकि, किसी भी संक्रमण की तरह, इन्फ्लूएंजा की नैदानिक ​​तस्वीर सभी मरीजों के लिए जरूरी नहीं है। बुखार और हल्के लक्षणों के बिना फ्लू के मामले हैं। ऐसे मरीज़ भी हैं जो भूख, कमजोरी और चक्कर आना चाहते हैं।

युवा बच्चे और बुजुर्ग मरीज़ वे होते हैं जो अक्सर अकल्पनीय लक्षण होते हैं, जो आमतौर पर निदान करने के लिए डॉक्टर के लिए कुछ कठिनाई पैदा करते हैं।

असम्बद्ध इन्फ्लूएंजा वाले मरीज़ आमतौर पर दो से पांच दिनों में लगातार सुधार करते हैं, हालांकि इन्फ्लूएंजा चित्र जो 7 दिनों से अधिक समय तक चलते हैं, असामान्य नहीं हैं। कुछ रोगियों ने श्वसन लक्षणों में सुधार किया है, लेकिन वे अभी भी कई दिनों के लिए कमजोरी या थकावट के लक्षणों का अनुभव करते हैं।

फ्लू की जटिलताओं आमतौर पर बीमारी के कुछ दिनों के बाद होती है। आम तौर पर, रोगी सुधार के लक्षण दिखाना शुरू करता है, जैसे बुखार में कमी और श्वसन लक्षणों में कमी, और अचानक, फिर से, नए बुखार स्पाइक्स और सामान्य गिरावट के साथ।

हम आगे समझाएंगे इन्फ्लूएंजा के 10 सबसे आम लक्षण। जाहिर है, मरीजों को उन सभी लक्षणों की आवश्यकता नहीं है जिन्हें हम सूचीबद्ध करने जा रहे हैं; अधिकांश नहीं करते हैं। हालांकि, सूची और आपके लक्षणों के बीच पत्राचार जितना अधिक होगा, उतनी अधिक संभावना है कि आपकी तस्वीर वास्तव में इन्फ्लूएंजा है।

1- उच्च फीवर
बुखार फ्लू के सबसे आम संकेतों में से एक है। यह आमतौर पर 38 डिग्री सेल्सियस और 41 डिग्री सेल्सियस के बीच उच्च होता है, और अचानक शुरू होता है। बच्चों में बुखार 9 5% मामलों में होता है, जिसमें आधा से अधिक रोगी 39 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान तक पहुंचते हैं। बुजुर्गों में, बुखार कम या यहां तक ​​कि मौजूद नहीं हो सकता है।

विभिन्न प्रकार के वायरस के कारण बुखार के विपरीत जो सर्दी का कारण बनता है, जो आमतौर पर केवल 24 से 48 घंटे तक रहता है, इन्फ्लूएंजा बुखार आमतौर पर 2 से 5 दिनों तक रहता है।

पसीना और ठंड दो संकेत हैं जो अक्सर बुखार के साथ होते हैं। फ्लू के कई व्यवस्थित लक्षण, जैसे शरीर में दर्द, सिरदर्द, कमजोरी, थकावट और भूख की कमी, बुखार उच्चतम होने पर कई बार गहन हो जाती है।

बुखार से जुड़ी जटिलताओं

एक लगातार उच्च बुखार जो 4 या 5 दिनों के बाद सुधार के संकेत नहीं दिखाता है, कुछ जटिलताओं के अस्तित्व का सुझाव दे सकता है। एक और व्यवहार जो जटिलताओं को इंगित कर सकता है वह 1 या 2 दिनों के लिए बुखार में कमी है, यह बताता है कि प्रक्रिया संकल्प में है, इसके बाद उच्च बुखार के नए चोटियों और रोगी की सामान्य स्थिति में बिगड़ती है।

2- COUGH
खांसी एक लक्षण है जो लगभग 80% फ्लू रोगियों में होता है। ज्यादातर मामलों में, खांसी सूखी होती है, लेकिन यह दिनों में प्रत्याशा के साथ उत्पादक बन सकती है।

खांसी बीमारी की शुरुआत में हमेशा मौजूद नहीं होती है और स्थिति के समाधान के बाद गायब होने वाले अंतिम लक्षणों में से एक हो सकती है। अक्सर रोगी के पास कोई अन्य लक्षण नहीं होता है, लेकिन कुछ और दिनों तक सूखी खांसी रखता है।

खांसी को बाधित करने वाली दवाओं का उपयोग इंगित नहीं किया जाता है, क्योंकि वे स्थिति को बढ़ा सकते हैं और जटिलताओं की घटना का पक्ष ले सकते हैं, खासकर यदि रोगी की अपेक्षा है। रोगी को हाइड्रेटेड रखने और स्राव के कमजोर पड़ने के लिए बहुत सारे पानी पीना सबसे सही है। रात्रि खांसी से राहत में शहद प्रभावी प्रतीत होता है।

खांसी से जुड़ी जटिलताओं

संकेतों में से एक जो चल रहे जटिल संकेत दे सकता है
संकेतों में से एक संकेत जो एक चल रही जटिलता का संकेत दे सकता है वह छाती में दर्द, सांस की तकलीफ और उच्च बुखार से जुड़ी बहुत हरी या पीले रंग की प्रत्यारोपण खांसी की उपस्थिति है। इन मामलों में, निमोनिया को रद्द करना आवश्यक है।

3- थ्रेट दर्द
गले की सूजन फ्लू का एक और आम लक्षण है और आम तौर पर बीमारी के पहले दिन मौजूद होती है।

इन्फ्लूएंजा गले में गले को बहुत लाल रंग की फेरींगिटिस की विशेषता है, लेकिन टन्सिल में पुस की उपस्थिति के बिना, जो स्ट्रेप्टोकोकल फेरींगिटिस का एक सामान्य संकेत है।

इन्फ्लूएंजा वाले सभी मरीज़ फेरींगिटिस विकसित नहीं करते हैं, लेकिन उन मामलों में, गले में गले अक्सर गंभीर होते हैं, जिससे ठोस खाद्य पदार्थ निगलने या यहां तक ​​कि लार निगलने में कठिनाई होती है।

4- CoryZA और स्टूफी नोएएस
ठंडा coryza और नाक सर्दी और एलर्जीय rhinitis के विशिष्ट लक्षण हैं। हालांकि, ये लक्षण फ्लू में भी हो सकते हैं, खासकर बच्चों में, जहां वे 80% मामलों में मौजूद हैं।

नमकीन पानी के साथ नाक गुहा धोना अधिक प्रभावी लगता है और प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं के जोखिम नहीं लेता है।

Rhinitis से जुड़े जटिलताओं

राइनाइटिस साइनसिसिटिस में प्रगति कर सकती है, खासतौर पर विचलित सेप्टम या अन्य शारीरिक परिवर्तनों वाले रोगियों में जो परानाल साइनस की बाधा उत्पन्न करती है।

एक साइनसिसिटिस जो 5 से 7 दिनों के बाद सुधार के संकेत नहीं दिखाती है या जो कोई स्पष्ट और पारदर्शी स्राव नहीं छोड़ती है और बुखार और पीले रंग की हो जाती है, जो बुखार या बुखार की वापसी से जुड़ी होती है, बैक्टीरिया साइनसिसिटिस में साइनसिसिटिस वायरल संक्रमण के परिवर्तन को इंगित कर सकती है।

साइनसिसिटिस के साथ, ओटिटिस मीडिया इन्फ्लूएंजा और गंभीर राइनाइटिस वाले मरीजों की जटिलता भी हो सकती है, खासकर बच्चों में।

5- स्नीज़िंग
राइनाइटिस की तरह, छींकना सर्दी और एलर्जी का एक सामान्य लक्षण है, लेकिन यह फ्लू में भी मौजूद हो सकता है।

छींकने से संबंधित कोई जटिलता या विशिष्ट उपचार नहीं है।

6- हेडैच
बच्चों की तुलना में वयस्कों में फ्लू-जैसे सिरदर्द एक आम लक्षण है। यह आमतौर पर उन रोगियों में अधिक गंभीर होता है जो साइनसिसिटिस विकसित करते हैं या जब बुखार अधिक होता है।

दर्द खोपड़ी में फैल सकता है या आंखों के चारों ओर या गर्दन के नाप के क्षेत्र में अधिक स्थानीयकृत हो सकता है।

यदि कोई विरोधाभास नहीं है, तो दर्द को नियंत्रित करने के लिए आम एनाल्जेसिक या एंटी-इंफ्लैमेटरीज का उपयोग किया जा सकता है। शांत और मंद प्रकाश वाले स्थान आमतौर पर कुछ राहत लाते हैं।

7- मस्तिष्क दर्द
पूरे शरीर में मांसपेशी दर्द वयस्कों में एक सामान्य फ्लू लक्षण है, लेकिन यह केवल बच्चों के एक छोटे से हिस्से में मौजूद है।

निचले हिस्से, बाहों और पैरों की मांसपेशियों को अक्सर सबसे ज्यादा प्रभावित किया जाता है। मांसपेशियों के अलावा, जोड़ भी दर्द हो सकता है।

मांसपेशी दर्द एक सामान्य फ्लू लक्षण है। सर्दी में, यह असामान्य है, और जब मौजूद है, आमतौर पर कमजोर है।

8- थकान और कमजोरी
थकान की कमी और ताकत की कमी सर्दी के संबंध में एक सामान्य फ्लू लक्षण भी है। थकान सभी उम्र में होती है, लेकिन यह बच्चों में अधिक ध्यान देने योग्य है, खासकर जब बुखार अधिक होता है।

थकावट एक लक्षण है जो तस्वीर में जल्दी दिखाई देता है और उपचार के कई दिनों तक रह सकता है। कुछ रोगी 3 सप्ताह तक ताकत और मनोदशा की कमी की भावना की रिपोर्ट करते हैं।

थकान से जुड़ी जटिलताओं

इन्फ्लूएंजा की एक दुर्लभ जटिलता मायोकार्डिटिस है, जो दिल की मांसपेशियों की सूजन है। एक मरीज, जो फ्लू को ठीक करने के कुछ दिनों के बाद, फिर से तीव्र थकान, सांस की तकलीफ और पैरों में सूजन की प्रगतिशील बीमारी के साथ प्रस्तुत करता है, कार्डियक भाग के लिए मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

9- भूख की कमी
बीमारी के पहले 48 घंटों में भूख की कमी बहुत आम है, खासतौर पर उस चरण के दौरान जब बुखार उच्चतम होता है।

आपको बेताब सोचने की ज़रूरत नहीं है कि रोगी को हर कीमत पर खाना चाहिए। पहले दो दिनों के लिए, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रोगी को हाइड्रेटेड रखना है। भूख आमतौर पर धीरे-धीरे लौटती है।

जो रोगी अच्छी तरह से भोजन नहीं कर रहा है, उसके लिए सबसे अच्छी रणनीति यह है कि बुखार सबसे कम होने पर भोजन की पेशकश करना है।

10- वोटिंग और डायरेरिया (इन्फैंट्स में सबसे ज्यादा कॉमन)
उल्टी, दस्त और पेट दर्द वायरल उत्पत्ति के गैस्ट्रोएंटेरिटिस के लक्षण हैं, लेकिन शायद ही कभी वयस्क फ्लू में होते हैं।

हालांकि, 13 साल से कम उम्र के बच्चों के लगभग 10% फ्लू के कारण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण हैं। उल्टी आमतौर पर अतिसार से अधिक आम है।

उल्टी और दस्त से जुड़ी जटिलताओं

निर्जलीकरण मुख्य जटिलता है जो उल्टी और / या दस्त का अनुभव करने वाले बच्चों में हो सकती है। घर का बना सीरम या मौखिक रिहाइड्रेशन सेरा इन तस्वीरों के इलाज और रोकथाम के सबसे उपयुक्त तरीके हैं।


1. एकोनाइट नेपेलस: फ्लो के पहले चरण के लिए एकोनाइट सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवा है। एकोनाइट रोगी फ्लू के लक्षण बहुत जल्दी आते हैं, और रोगी बहुत चिंतित और बेचैन होता है। शुष्क, ठंडी हवा के संपर्क से बीमारी। शिखर और ठंडी तरंगें शरीर के माध्यम से उच्च बुखार के साथ गुजरती हैं।

2. आर्सेनिकम एल्बम: रोगी गर्म चेहरे और शरीर की ठंड के साथ चिंता और बेचैनी से भरा है। शारीरिक तनावहीनता के कारण कई बार थकावट के साथ रोगी पतन हो जाता है। बुखार के बाद ठंड और कठोरता के साथ मतली, उल्टी और दस्त की रोगी शिकायतें। रोगी को पानी के छोटे सिप्स के लिए प्यास है और कंपनी चाहता है। मृत्यु का बहुत डर है।


3. बेलाडोना: फ्लू की अचानक शुरुआत की रोगी शिकायत। पतले विद्यार्थियों और चमकीले आंखों के साथ गर्म, लाल चेहरे की रोगी शिकायत। बहुत गंभीर थ्रोबिंग सिरदर्द की रोगी शिकायत जो गति से भी बदतर हो जाती है। मरीज को पानी के लिए बहुत कम या प्यास के साथ बुखार होता है। शरीर गर्म होने के बावजूद हाथों और पैरों की बर्फीली ठंडीता। बुखार के साथ Delirium। सभी इंद्रियों की संवेदनशीलता से अधिक, इसलिए रोगी प्रकाश, या छूने और शोर के लिए और भी बुरा महसूस करता है। लक्षण 3 बजे खराब हो जाते हैं।


4. ब्रायोनिया अल्बा: फ्लू की रोगी शिकायतों जो धीरे-धीरे सेट होती है और धीरे-धीरे प्रगति करती है। रोगी बहुत चिड़चिड़ाहट है और अकेले रहना पसंद करता है। उनके सभी लक्षण, संयुक्त या मांसपेशियों में दर्द से अलग, आंदोलन से भी बदतर हैं और आराम से बेहतर हैं। रोगी बड़ी मात्रा में पानी के लिए बहुत प्यास है, और जूल में पीते हैं। रोगी को त्वचा की सूखापन की भी शिकायतें, लेपित जीभ के साथ, होंठ टूट जाते हैं। बाएं पक्षीय गंभीर सिरदर्द जो गति के साथ बढ़ता है। बुखार के दौरान डिलिरियम, मरीज घर जाना चाहता है हालांकि वह पहले से ही घर पर है।


5. जेल्समियम: गेल्सिमियम सबसे अच्छी होम्योपैथिक दवा है जहां फ्लू के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं। रोगी की भारीता, कमजोरी की शिकायतें। रोगी बहुत सुस्त और सुस्त है। कमजोरी के साथ कमजोरी है।


 6. यूपेटोरियम पेरोफियाटियम: फ्लू के दौरान मांसपेशियों और हड्डियों में उच्च बुखार और गंभीर दर्द की रोगी शिकायतें। रोगी को लगता है जैसे उसकी हड्डियां टूट गई हैं। रोगी ठंडा है, लेकिन शीतल पेय की इच्छा है। ठंडा होने से ठीक पहले बहुत प्यास है। बुखार के साथ गंभीर सिरदर्द की रोगी शिकायतें। लक्षण 7 से 9 बजे के बीच बढ़ जाते हैं। शरीर में दर्द और शव पूरे रीढ़ की हड्डी को ऊपर और नीचे चलाते हैं। सिरदर्द की रोगी शिकायतें जो पीछे से शुरू होती हैं और अपने माथे पर विकिरण करती हैं।


Monday 2 July 2018

एशियन अस्पताल ने किया न्यूरो आई सी यू का उद्घाटन

एशियन अस्पताल ने किया न्यूरो आई सी यू का उद्घाटन

फरीदाबाद 2  जुलाई 2018 - एशियन अस्पताल ने आज आधुनिक तकनीकों से लेस एक न्यूरो आई सी यु का उद्घाटन किया, इस मौके पर अस्पताल के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ एन के पांडेय, चेयरमैन, इंटरनल  मेडिसिन डॉ देव केसर, मेडिकल सर्विसेज डायरेक्टर डॉ प्रशांत पांडेय, न्यूरोसर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ कमल वर्मा, न्यूरोलॉजी विभाग के हेड डॉ कुणाल बेहरानी,  आई सी यू  विभाग के डायरेक्टर डॉ संदीप भट्टाचार्य व् अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ हिलाल अहमद ने रिबन काटकर न्यूरो आई सी यू का उद्घाटन किया I 

एशियन अस्पताल के न्यूरो विभाग के डायरेक्टर डॉ कमल वर्मा एवं न्यूरोलॉजी विभाग के हेड डॉ कुणाल बेहरानी ने बताया की इस आई सी यू मैं हम गंम्भीर बीमारी के मरीज जैसे ब्रेन ट्यूमर, ब्रेन स्ट्रोक, ब्रेन हैमरेज व् एक्सीडेंट के दौरान होने वाली गंम्भीर चोट के मरीजों का इलाज करेंगे I 

आई सी यू  विभाग के डायरेक्टर डॉ संदीप भट्टाचार्य ने बताया की दिमागी मरीजों को सक्षम ईलाज की जरुरत होती है जो हम इस आई सी यू  मैं दे सकेंगे I 

एशियन अस्पताल के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ एन के पांडेय ने कहा कि सीरियस दिमागी बिमारियों के मरीजों को अलग अलग ईलाज कि जरूरत पड़ती है इसलिए हमने इस न्यूरो आई सी यू की शुरुआत की है I  फरीदाबाद मैं इस तरह का यह पहला आई सी यू है I 

Friday 29 June 2018

यूनिवर्सल अस्पताल ने पैर काटने से बचा कर जिंदगी लौटाई

यूनिवर्सल अस्पताल ने पैर काटने से बचा कर जिंदगी लौटाई

फरीदाबाद 29 जून। कम्पनी में काम करते हुए एक मजदूर इन्द्र निवासी सुभाष नगर का लोहे से पैर कटने के कारण पैर में मवाद भर गयी थी उसने विभिन्न अस्पतालों सहित सफदरजंग अस्पताल में भी दिखाया परंतु वहां भी उसे डाक्टरो ने पैर काटने की सलाह दी परंतु जब वह यूनिवर्सिल अस्पताल में आया तो हमारी टीम ने उसके पैर के लिए नई तकनीक (हायरपर बारिग आक्सीजन थेरेपी) के द्वारा उसके पैर को कटने से बचाया एवं अब मरीज पूरी तरह से दुरूस्त है यह जानकारी यूनिवर्सिल अस्पताल के चेयरमैन डा. शैलेश जैन ने दी। 

डा. शैलेश जैन ने बताया कि जब मरीज इन्द्र हमारे अस्पताल में आया था तब उसके पैर की हालत काफी नाजुक थी उसके पूरे पैर में मवाद भर गया था और पूरे पैर में सैफटीक हो गया था जिसका ईलाज काफी समझदारी एवं सावधानी पूर्वक करना था जिसके लिए उन्होंने अस्पताल के डा. निधि अग्रवाल, डा. नमन गोयल, डा. गजेन्द्र, डा. पारितोष से विचार विमर्श किया व उसकी नई तकनीक (हायरपर बारिग आक्सीजन थेरेपी) की जिससे उसके पैर में सुधार आने लगा और उसका मवाद सूखने लगा और वह पूरी तरह से स्वस्थ हो गया। 

मरीज इन्द्र ने बताया कि उसको सभी जगह से निराशा मिल रही थी और वह पूरी तरह से निराश था जब किसी दोस्त ने यूनिवर्सल अस्पताल के बारे में बताया और वह यहां आया और डा. शैलेश जैन से मिला जिस पर उन्होंने मुझे पूर्ण आश्वासन दिया और आज उनका विश्वास ने मुझे व मेरे पैर को बचा दिया।

Thursday 28 June 2018

एशियन हॉस्पिटल ने मैचिंग ब्लड़ ग्रप न होने पर भी किडनी ट्रांसप्लांट संभव किया

एशियन हॉस्पिटल ने मैचिंग ब्लड़ ग्रप न होने पर भी किडनी ट्रांसप्लांट संभव किया

फरीदाबाद 28 जून।  किडनी फेल होने पर परिवार में मैचिंग डोनर न मिलने पर किडनी ट्रांसप्लांट की दिक्कत परिवार को बेसहारा कर देती है, एक साल से कुछ ऐसा ही  महसूस कर रहे थे दिनेश गुप्ता और उनका परिवार! फिर उन्हे पता चला मिसमैच किडनी ट्रांसप्लांट के बारे में, बावजूद इसके उनकी पत्नि को डायब्टिीज़ होने के कारण वह ट्रांसप्लांट कराने में अस्मर्थ थे, छोटे भाई दिनेश की हालत देख बडी बहन कोमल गुप्ता ने उन्हे किडनी डोनेट करने का फैसला किया ।

एशियन इंसटीटयूट आॅफ मेडिकल साइंसिस के किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के डायरेक्टर डाॅ रितेश शर्मा ने बताया कुछ साल पहले तक मिसमैच किडनी ट्रांसप्लांट नही होते थे लेकिन पिछले कुछ सालों से मिसमैच किडनी ट्रांसप्लांट अब दिल्ली एनसीआर में होने लगे है ।

क्या है ब्लड ग्रप मिसमैच किडनी ट्रांसप्लांट

डाॅ रितेश शर्मा ने बताया मिसमैच किडनी ट्रांसप्लांट में खून में मौजूद  प्लाज़मा से एंटीबौडीज कम की जाती हैं  आमतौर पर प्लाज़मा एक्सचैज के माध्यम से यह एंटीबौडीज कम की जाती है लेकिन एशियन अस्पताल में इम्यूनोएबजोरबशन की आधुनिक तकनीक के माध्यम से एंटीबौडीज को नैगिटिव  किया गया ऐसा करने से किडनी रिजेक्शन का रिस्क नही होता और शरीर अनमैच वाले ब्लड़ की किडनी को स्वीकार कर लेती हैं।  

एशियन इंसटीटयूट आॅफ मेडिकल साइंसिस के किडनी ट्रांसप्लांट विभाग सर्जन डाॅ विकास अग्रवाल ने बताया कि दिनेश के ट्रांसप्लांट में और भी दिक्कते थी कोमल के टैस्ट करने पर पता चला कि उनकी 2 यूरेटर, 2 खून ले जानी वाली धमनिया थी ऐसा सिर्फ हजारों में से किसी एक ही व्यक्ति में होता है दूरबीन के माध्यम से बिना
चीर फाड किए कोमल की किडनी सुरक्षित निकाली गई फिर दोनो खून ले जाने वाली धमनिया जोडी गई और दिनेश के शरीर में दोनो यूरेटर की नलियों को अलग-अलग छेद बनाकर जोडा गया ।



डाॅ विकास अग्रवाल ने बताया की इस केस में बहुत सी तकनीकी चुनौतियां थी, अलग-अलग यूरेटर और खून ले जाने वाली धमनिया होने के कारण सर्जरी का समय बढ़ गया और दिनेश के शरीर में भी अलग तरह से जोडा गया! ट्रांसप्लांट के अगले ही दिन दिनेश ब्लड रिपोर्ट नोरमल होने लगीं और बदली गई किडनी भी ठीक तरह से काम कर रही है । ट्रांसप्लांट के बाद दिनेश और उनका पूरा परिवार बेहद खुश है कि उन्हे नया जीवनदान मिला ।

Monday 18 June 2018

हार्टफेल होने के बाद भी मरीज को जीवनदान दिया यूनिवर्सल अस्पताल ने : डा. शैलेश जैन

हार्टफेल होने के बाद भी मरीज को जीवनदान दिया यूनिवर्सल अस्पताल ने : डा. शैलेश जैन

फरीदाबाद 18 जून। यूनिवर्सल अस्पताल ने एक मरीज को हार्ट फेल होने के बावजूद ईसीएमओ से नई जान दी यह जानकारी आज अस्पताल के चेयरमैन डा. शैलेश जैन एवं मैनेजिंग डाईरेक्टर डा. रीति जैन ने दी। उन्होंने बताया कि प्रताप नामक दिल का मरीज को उसके रिश्तेदार यहां लेकर आये थे। मरीज अटक अटक कर सांस ले रहा था। अस्पताल पहुंचने पर डाक्टरो ने देखने पर बताया की मीरज के बचने की संभावना नहीं है। दिल काम नहीं कर रहा था मरीज को तुंरत ईसीएमओ मशीन जो एक तरीके से कृत्रिम फेेफडों तथा दिल का काम करती है पर रखा गया। 48 घंटे मशीन पर रखे जाने के बाद मरीज को धीरे धीरे मशीन से हटाया गया। डा. जैन ने बताया कि मशीजन से हटाने के बाद मरीज पूर्णतया तरीके से सही हो गया। 

उन्होंने बताया कि फरीदाबाद में हृदय के मरीजो के लिए यह एक वरदान की तरह है। यूनिवर्सल असपताल में सभी तरह की बीमारियों के ईलाज की सुविधा आधुनिक मशीनो से की जाती है एवं अनुभवी डाक्टरो की टीम मरीजो की सेवा के लिए लिए हर दम तैयार रहती है।यूनिवर्सल अस्पताल में पैरो में सूजन, नस फूलना पैर काला पडना के ईलाज की सुविधा विशेष रूप से उपलब्ध है और अस्पताल समय समय पर इस बीमारी के लिए निशुल्क शिविरो का भी आयोजन करता रहता है यह जानकारी देते हुए अस्पताल के चेयरमैन डा. शैलेश जैन ने बताया कि अस्पताल में आधुनिकत तरीके से हाई की बीमारियों का ईलाज किया जाता है। यूनिवर्सल अस्पताल सीजीएसएस, एमटीएनएल, बीएसएनएल, बीएसईएस  तथा अन्य सभी इन्श्योरेंस कम्पनी के पैनल पर है जिसके तहत मरीजों ईलाज कराने में आसानी होगी।अस्पताल की मेनेजिंग डाईरेक्टर डा. रीति अग्रवाल के ने बताया कि यूनिवर्सल अस्पताल में सभी सुविधाएं जैसे आईसीयू, वेंटीलेटर, ओटी आदि रियायती दरो में मरीजों को उपलब्ध है। 


Wednesday 2 May 2018

Homeopathy for Cold cough Flu

Homeopathy for Cold cough Flu

FARIDABAD : 2 MY I भरी हुई नाक तब होती है जब नाक और आसन्न ऊतकों और रक्त वाहिकाओं को अधिक तरल पदार्थ के साथ सूज हो जाता है, जिससे "घृणित" लग रहा हो। नाक की भीड़ या अनुनासिक निर्वहन या "बहुरंगी नाक" के साथ नहीं हो सकती है।


आमतौर पर नाक की भीड़ पुराने बच्चों और वयस्कों के लिए एक झुंझलाहट है। लेकिन नाक की भीड़ उन बच्चों के लिए गंभीर हो सकती है जिनकी नींद उनकी नाक की भीड़ या शिशुओं से परेशान होती है, जिनके परिणामस्वरूप एक कठिन समय पर भोजन हो सकता है।


कारण - नाक की भीड़ किसी भी चीज के कारण हो सकती है जो अनुनासिक ऊतकों को उत्तेजित या उत्तेजित करती है। संक्रमण - जैसे सर्दी, फ्लू या साइनसाइटिस - एलर्जी और विभिन्न परेशानी, जैसे कि तम्बाकू धूम्रपान, सब कुछ नाक का कारण हो सकता है कुछ लोगों को बिना किसी स्पष्ट कारण के लिए लंबे समय से चलने वाले नाक हैं - एक शर्त जिसे नॉनलार्लिक राइनाइटिस या वासोमोटर रिनिटिस (वीएमआर) कहा जाता है।

कम सामान्यतः, नाक की भीड़ कणिकाओं या एक ट्यूमर के कारण हो सकती है।


नाक की भीड़ के संभावित कारणों में शामिल हैं: तीव्र साइनसाइटिस, एलर्जी, क्रोनिक साइनसिस, सामान्य सर्दी, डिकॉग्स्टेस्टेंट नाक स्प्रे अति प्रयोग, विच्छेदन सेप्टम, मादक पदार्थों की लत, सूखी हवा, बढ़े हुए एनोनेओड्स, नाक में विदेशी शरीर, हार्मोनल परिवर्तन, फ्लू, दवाएं, जैसे कि उच्च रक्तचाप की दवाएं, नाक जंतु, गैर एलर्जी रैनिटिस, व्यवसायिक अस्थमा, गर्भावस्था, श्वसन संक्रमण संबंधी वायरस, तनाव, थायराइड विकार, तंबाकू का धुआं, बहुभुज के साथ ग्रैनुलोमेटोसिस





NUX VOMICA 30-Nux Vomica नाक बाधा रात के समय में अपने चरम पर है जब राहत प्रदान करने में महान मदद के प्रभावी होम्योपैथिक उपाय नक्स वोमिका रात के घंटों में बेहद भरे हुए नाक वाले रोगियों को आराम प्रदान करने में बहुत फायदेमंद है। रोगियों को इस होम्योपैथिक उपाय की आवश्यकता होती है, रात के समय तीव्र नाक भराई होती है। व्यक्ति यह भी वर्णन कर सकता है कि दिन के दौरान, रात में नाक निर्वहन होता है, इसे अवरुद्ध कर दिया जाता है। इसके अलावा मरीज़ एक तरफ नाक की बाधा और अन्य पर मुक्ति के मुक्त महसूस कर सकते हैं। खुली हवा में जाकर नाक अवरोध को भी बिगड़ता है।

सैम्बुक्स एनआईजी 30-सॅंबुबुस नाक रुकावट के लिए एक और शीर्ष होम्योपैथिक दवा है जो अत्यंत नाक नाक छिद्रों के साथ है। रुकावट के कारण सांस लेने में बहुत मुश्किल है और यह व्यक्ति को बैठने के लिए मजबूर करता है। अधिकतर रात में, घुटन और साँस लेने में कठिनाई के कारण व्यक्ति को नींद से बैठना पड़ता है। नाक अवरोध के लिए शिशुओं को दिया जाने पर सैंबुबुस भी बहुत प्रभावशाली होता है। रुकावट घुटन और मुँह में सांस लेने की ओर जाता है और शिशु को मां की फूड लेने के दौरान बुरी स्थिति का सामना करना पड़ता है

आर्सेनिक्स एल्बम 30-आर्सेनिकम एल्बम का निर्धारण तब किया जाता है जब नाक के अवरोध नाक एलर्जी के कारण होते हैं। यह मुख्य रूप से निर्धारित होता है जब नाक अवरोध के साथ जल नाक निर्वहन जल रहा है। वहाँ नाक से प्रचुर मात्रा में पानी और उत्तेजक निर्वहन है। तीव्र प्यास है और मरीज को खुली हवा में भी बुरा लगता है।

ग्लेज़ैमियम 30-गिल्सिमियम निर्धारित किया जाता है जब नाक रुकावट में बंद महसूस होने के साथ सुस्त सिरदर्द होता है, और एक धाराप्रवाह नाक निर्वहन होता है।

सिनापिस एनआईजीआरए 30 - सिनापीस नीग्रै एलर्जी के कारण नाक की भीड़ के लिए एक और उपाय है। यह तब निर्धारित होता है जब वैकल्पिक नहर एलर्जी की प्रतिक्रिया के कारण अवरुद्ध होते हैं। नाक और आंखों से भी मुक्ति होती है।

कैलकिया कार्ब 30- नाक पॉलीप के कारण कैल्केरा कार्ब नाक रुकावट के लिए बहुत प्रभावी है कार्ब नाक कणों के लिए एक और उत्कृष्ट होम्योपैथिक दवा है। यह ज्यादातर बाएं पक्षीय नाक कणों के लिए संकेत दिया जाता है। बाएं तरफ नलिका अवरुद्ध लगता है नाक से भ्रूण पीला डिस्पैच के साथ इसमें शामिल किया जा सकता है नाक में दुख और विकृत सनसनी भी महसूस होती है। नाक में आक्रामक गंध भी चिह्नित है नाक की जड़ में बहुत अधिक सूजन होती है। क्लेक्वेरा कार्ब का निर्धारण तब किया जाता है जब लोग आसानी से ले जाते हैं। मौसम में बदलाव नाक की शिकायतों से जुड़ा होता है। कैल्केरा कार्ब वसा, पिलपिला व्यक्तियों के लिए अधिक उपयुक्त है, जिनके अंडे की लालसा है।

लैम्ना लघु 30 - पॉलिप्स के कारण नाक अवरोध को हटाने के लिए लेम्ना माइनर शीर्ष होम्योपैथिक उपाय है। इसका उपयोग करने वाले लक्षण श्वास लेने में कठिनाई के साथ नाक कब्ज और गंध की हानि होते हैं। पोस्टेरियर टपकता भी नाक रुकावट के साथ आते हैं। कुछ व्यक्ति नाक डिस्चार्ज का अनुभव करते हैं, जबकि अन्य में, नाक गुहा शुष्क रहता है। अवरुद्ध नाक में आक्रामक गंध है लेम्ना माइनर पॉलीप के लिए सबसे प्रभावी होम्योपैथिक उपाय है जो गीली मौसम में बिगड़ता है। पॉलीप के मामलों में, लेम्ना माइनर नाक अवरोध को कम कर देता है, श्वसन की समस्या से राहत देता है, और गंध की शक्ति फिर से आती है।

संगीन्रिया नाइट्रिकम 3 एक्स - सोंगुनेरिया नाइट्रिकम, पॉलीप के कारण नाक की भीड़ के लिए भी प्रभावी है और यह नाक को नाक के नाक के साथ अवरुद्ध होने पर भी एक प्रभावी होम्योपैथिक दवा है। डिस्चार्ज प्रकृति में बहुत जलते हैं और व्यक्ति को छींकने का भी अनुभव होता है।

काली बीआईटीमाइकियम 30-काली बिच्रिमिक्यू सिनाइसिस के कारण नाक की भीड़ के लिए एक उत्कृष्ट उपाय है, जहां डिस्चार्ज गले में वापस चला जाता है।

Thursday 5 April 2018

एशियन अस्पताल के डाॅक्टरों ने महिला को पेषाब लीक होने की समस्या से निजात दिलाई

एशियन अस्पताल के डाॅक्टरों ने महिला को पेषाब लीक होने की समस्या से निजात दिलाई

फरीदाबाद : 5 मार्च ।  कन्नौज उत्तर प्रदेश निवासी 32 वर्षीय सुनीता को पिछले कुछ समय से पेशाब लीक होने की समस्या हो रही थी। पहले सुनीता नेे शर्म के कारण समस्या को अनदेखा किया, लेकिन एक दिन अचानक से पेशाब अनियंत्रित होकर निकलने लगा तो सुनीता के परिजन उसे फरीदाबाद सेक्टर-21 स्थित एशियन अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर पहंुचे। 

एशियन अस्पताल आकर वे सीनियर कंसलटेंट यूरोलाॅजी एवं एचओडी किड़नी ट्रांसप्लांट डाॅ. विकास अग्रवाल से मिले और उन्हें मरीज की स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी दी। डाॅ. विकास अग्रवाल ने बताया कि सुनीता को दाखिल करके जांच की जाएगी और पेशाब के रास्ते नल्की लगाई गई। इसके बावजूद भी पेशाब लीक होने की समस्या से निजात नहीं मिली क्योंकि पेशाब बच्चेदानी की ओर से लीक हो रहा था। मरीज का एक महीने पहले ही सिजेरियन हुआ था। सिजेरियन के दस दिन बाद जब पेशाब की नल्की निकाली गई। उसके बाद से पेशाब लीक होने की समस्या शुरू हो गई। मरीज का पहले भी दो बार सिजेरियन हो चुका है। 

डाॅ. विकास ने बताया कि पेशाब लीक होने की वजह जानने के लिए मरीज की सिस्टोस्कोपी (दूरबीन द्वारा पेशाब की नली की जांच) की गई जिसमें पाया गया कि मरीज की पेशाब की थैली में बहुत बड़ा छेद है। इस छेद के कारण पेशाब, पेशाब की थैली से निकलकर बच्चेदानी से होते हुए लीक कर रहा था। मरीज का सीटी स्कैन किया गया जिसमें मरीज की पेशाब की थैली व बच्चादानी एक छेद से जुड़ी हुई पाई गई। दूरबीन के द्वारा मरीज की सर्जरी की गई। सर्जरी के दौरान पाया गया कि मरीज की बच्चेदानी नीचे से पूरी तरह से खराब हो चुकी थी और खुली हुई थी। मरीज और परिजनों को पहले से ही जानकारी दे दी गई थी कि दो बार सिजेरियन के कारण बच्चेदानी पर प्रभाव हुआ है, अगर जरूरत पड़ी तो निकाला जा सकता है। परिजनों द्वारा स्वीकृति दिए जाने के बाद सर्जरी के दौरान दूरबीन द्वारा बच्चेदानी और पेशाब की थैली को अलग-अलग कर दिया गया। बच्चेदानी को निकालकर इस रास्ते को बंद कर दिया गया। पेशाब की थैली को दूरबीन द्वारा रिपेयर किया गया। यह सर्जरी डाॅ. विकास अग्रवाल और डाॅ. प्रवीन पुष्कर की टीम ने मिलकर सफलतापूर्वक सर्जरी की। 

डाॅ. विकास ने कहा कि यह एक बेहद जटिल सर्जरी थी। महिला के दो सिजेरियन हो चुके थे। यह सर्जरी 4घंटे तक चली। इस सर्जरी के बाद महिला को पेशाब लीक होने की समस्या से निजात मिल गई। अब सुनीता पूरी तरह से स्वस्थ है।  

Thursday 29 March 2018

एशियन अस्पताल के डाॅक्टरों ने 10 वर्षीय आंचल की टांग को कटने से बचाया

एशियन अस्पताल के डाॅक्टरों ने 10 वर्षीय आंचल की टांग को कटने से बचाया

Faridabad: 30 मार्च 2018। ग्ररूग्राम की रहने वाली 10 वर्षीय आंचल पांचवी कक्षा की छात्रा है। एक साल पहले उसके पैर में अचानक से दर्द शुरू हुआ और उसे चलने-फिरने व उठने-बैठने में दिक्कत होने लगी। ऐसे में उसे स्कूल जाने व अन्य काम करने में भी परेशानी उठानी पड़ रही थी। आंचल के पजिनों ने उसे विभिन्न अस्पतालों में दिखाया, लेकिन उसे किसी प्रकार का आराम नहीं मिला। ऐसे में समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी। इसके अलावा पैर में सूजन भी हो रही थी। 

डॉक्टर ने पैर की बढ़ती सूजन को देखकर पैर का एक्स-रे कराने की सलाह दी। एक्स-रे की रिपोर्ट से पता चला कि आंचल के पैर की सूजन का कारण कैंसर है। डॉक्टरों ने बताया कि यह कैंसर तो पहले से ही आंचल के पैर की दो अलग-अलग जांघ (Femur) और घुटने से नीचे (Tibia) की हड्डियों में था, लेकिन दर्द के कारण यह उजागर हो गया। आंचल और उसके घरवालों ने कभी  सोचा भी नहीं था कि पैर का यह दर्द उन्हें भयंकर बीमारी से रूबरू कराएगा। एक परिचित की सलाह पर बच्ची को फरीदाबाद स्थित एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज अस्पताल एवं कैंसर सेंटर में लेकर आए।

एशियन अस्पताल पहुंचने पर सबसे पहले बच्ची की रिपोर्ट और स्थिति देखकर बच्ची की बायोप्सी, एक्स-रे, एमआरआई और पेट स्कैन द्वारा जांच की गई। जांच करने पर बच्ची की टांग में ऑस्टीयोसारकोमा नाम का कैंसर पाया गया।  जो 10 से 20 वर्ष की उम्र में होता है। ये कैंसर जल्दी फैलता है। इसलिए डॉक्टरों ने फैंसला किया कि सबसे पहले कीमोथैरेपी दी जाए ताकि कैंसर बच्ची के शरीर के बाकी हिस्सों को प्रभावित न कर सके। इसके अलावा कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करती है। कीमोथैरेपी से गांठ का आकार छोटा होता गया 

जिससे ट्यूमर को छेड़े बिना बच्ची कीे टांग बचाने की सर्जरी संभव हो पाई।
एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट और हैड ऑर्थेपेडिक्स डॉ. कमल बचानी ने बताया कि आंचल को जानलेवा कैंसर था जोकि हड्डियों से शुरू होकर पूरे शरीर में फैल जाता है और इससे ग्रसित 20 से 30 प्रतिशत मरीज केवल 5 वर्ष तक ही जीवित रहते हैं। उन्होंने बताया कि बच्ची कीे टांग से कैंसर की गांठ निकालना अनिवार्य था। इसके अलावा हमने ऑपरेशन के दौरान इस बात को ध्यान में रखा की बच्ची अभी बहुत छोटी है। आगे उम्र के साथ बच्ची के पैर की लंबाई भी बढ़ेगी। एक ऐसा आॅपरेशन जिसमें एक्सपेंडेबल ट्यूमर लगाया गया ;स्पेशल ऑर्डर पर बनवाया गयाद्ध और पांच घटे तक चली बच्ची के घुटने की सर्जरी के दौरान बच्ची के घुटने से जांघ के बीच से निकाली गई ट्यूमर वाली हड्डी व घुटने के जोड़ की जगह पर लगाया गया। इस एक्सपेंडेबल ट्यूमर प्रोस्थेसिस में एक ऐसा स्क्रू लगा होता है जिसके जरिए इम्प्लांट की लंबाई बच्ची के दूसरे पैर की लंबाई के बराबर बढ़ाया जा सके।

एक्सपेंडेबल ट्यूमर प्रोस्थेसिस क्या हैः यह एक ऐसी डिवाइज है जिसे मरीज के शरीर के क्षतिग्रस्त हड्डी की जगह लगाया जाता है। जो छतरी की स्टिक की तरह छोटी और बड़ी हो सकती है, यानि मरीज लंबाई के मुताबिक इस इम्प्लांट की लंबाई को भी बढ़ाया जा सकता है। सर्जरी के दौरान मरीज को हर साल इसकी लंबाई को बढ़ावाना होता है। यह इम्प्लांट मरीज की कद-काठी के अनुसार ऑर्डर देकर बनवाई जाती है। इस तरह के मोडिफाइड इम्प्लांट कठिन घुटना प्रत्यारोपण जैसे इंफेक्शन मंे कारगर सिद्ध हुए हैं।

डॉ. बचानी का कहना है कि यह तकनीक पैर के कैंसर के मरीजों के लिए एक वरदान है क्योंकि पहले पैर के कैंसर होने की स्थिति में डॉक्टर मरीज की जान बचाने के लिए पैर काट दिया करते थे, लेकिन इस तकनीक की मदद से मरीज को अपंग होने से बचाया जा सकता है। यह सर्जरी एशियन अस्पताल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी डायरेक्टर डॉ. प्रवीन कुमार बंसल और सीनीयर कंस्लटेंट और एचओडी एनेस्थीसिया एवं ओटी डॉ. दिवेश अरोड़ा की निगरानी में की गई। 
जीवा आयुर्वेद के नए क्लीनिक को मिलाकर दिल्ली में कुल 12 क्लीनिक

जीवा आयुर्वेद के नए क्लीनिक को मिलाकर दिल्ली में कुल 12 क्लीनिक


नई दिल्ली, 30  मार्च, 2018: प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य और जीवा आयुर्वेद के निदेशक डॉ. प्रताप चौहान ने आसानी से विश्वनीय आयुर्वेदिक उपचार और औषधियां उपलब्ध कराने के लिए आज शालीमार बाग में एक नया क्लीनिक शुरू किया। इसके शुभारंभ के अवसर पर डॉ. प्रताप चौहान ने क्लीनिक में मरीजों को व्यक्तिगत परामर्श प्रदान किया।

जीवा आयुर्वेद अभी 15 लाख लोगों तक पहुंचता है और इसके आगामी क्लीनिकों के शुरू होने से अब जल्द ही 20 लाख लोगों तक इसके पहुंचने की उम्मीद है। नए क्लीनिक का उद्देश्य शालीमार बाग, अशोक नगर और इसके आसपास के क्षेत्र के लोगों को आयुर्वेदिक चिकित्सा की सुविधाएं उपलब्ध कराना है। जीवा आयुर्वेद के पहले से ही रोहिणी और पीतमपुरा में क्लीनिक हैं। नया क्लीनिक जीवा आयुर्वेद के मौजूदा उत्तर दिल्ली के क्लीनिकों की सेवाओं में भी योगदान करेगा।

इसके शुभारंभ के अवसर पर जीवा आयुर्वेद के निदेशक डॉ. प्रताप चौहान ने कहा, ‘‘आयुर्वेद सार्वभौमिक है। दुनिया भर के सभी मनुष्य एक समान हैं और आयुर्वेद राष्ट्रीयता या जाति से परे बहुत कम कीमत पर किसी भी व्यक्ति को ठीक कर सकती है। आयुर्वेद ‘सर्वे भवंतु निरामया’ की फि लास्फ ी में विश्वास करता है और इसे ध्यान में रखते हुए जीवा आयुर्वेद टेली कंसल्टेशन, टेलीविजन कार्यक्रमों और हमारे क्लीनिक नेटवर्क के माध्यम से पूरे भारत में लाखों लोगों तक पहुंचता है। हम न केवल मरीजों का इलाज कर रहे हैं बल्कि ज्ञान का प्रसार भी कर रहे हैं, जिससे लोग रोग से बच सकते हैं और बीमारियों से दूर रह सकते हैं।’’

वर्षों से जीवा आयुर्वेद अपने प्राचीन सिद्धांतों को कायम रखते हुए आयुर्वेद को तकनीकी नवाचारों के साथ सशक्त बनाता रहा है। जीवा का आयुनीक इन्हीं नवाचारों में से एक है। आयुनीक जीवा आयुर्वेद द्वारा पेश किया गया एक विशिष्ट दृष्टिकोण है जो आयुर्वेदिक डॉक्टरों को रोगियों में प्रभावी ढंग से रोग का पता लगाने और उपचार करने में सशक्त करता है। यह पारंपरिक आयुर्वेद, आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान और निष्कर्षों का सबसे अच्छा मिश्रण है। तकनीकी ज्ञान का सहजता से इस्तेमाल करते हुए, आयुनीक संपूर्ण व्यक्तिगत उपचार और देखभाल प्रदान करता है।

शालीमार बाग के नए क्लिनिक में दो चिकित्सक कक्ष होंगे। इस तरह एक ही छत के नीचे, रोगी व्यक्तिगत उपचार, दवाइयां और जीवा आयुर्वेद के विभिन्न वेलनेस उत्पादों को प्राप्त कर सकेंगे। ये सेवाएं सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक उपलब्ध होंगी और यह क्लीनिक सप्ताह के सभी सातों दिन खुला रहेगा। मरीजों की संख्या के आधार पर और जरूरत के अनुसार, जीवा आयुर्वेद इलाज करने वाले और इलाज के बजाय किसी अन्य कार्य में शामिल कर्मचारियों की संख्या को बढ़ाएगा।



Sunday 25 March 2018

हरियाणा के सीएम ने एशियन अस्पताल की कैंसर मोबाइल वैन का उद्घाटन किया

हरियाणा के सीएम ने एशियन अस्पताल की कैंसर मोबाइल वैन का उद्घाटन किया

फरीदाबाद  25 मार्च 2018। फरीदाबाद सेक्टर-21ए स्थित एशियन अस्पताल ने कैंसर मरीजों की जांच के लिए तैयार कैंसर मोबाइल वैन का उद्घाटन हरियाणा के माननीय मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर जी के करकमलों द्वारा किया गया। इस दौरान एशियन अस्पताल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डाॅ. एन.के पांडे उनकी अर्धांगिनी श्रीमति पद्मा पांडे, डाॅ. अनिल जैन राज्यसभा सांसद, उद्योग मंत्री विपुल गोयल, विधायक सीमा त्रिखा, महापौर सुमन बाला, पुलिस कमिशनर अमिताभ ढ़िल्लो, नगर निगम कमिशनर मोहम्मद शाइन, एशियन अस्पताल की ओर से डाॅ. प्रशांत पांडे, श्री अनुपम पांडे, नेहा पांडे, डाॅ. स्मृति पांडे, डाॅ. रमेश चांदना, डाॅ. हिलाल अहमद, डाॅ. रोहित नैय्यर,, डाॅ. पी.एस आहुजा, डाॅ. प्रवीन कुमार बंसल, डाॅ. सुब्रत अखौरी, डाॅ. रितेश शर्मा, डाॅ. अनीता कांत, डाॅ. अरविंद गुप्ता, डाॅ. दिवेश अरोड़ा डाॅ डी.के. केसर, डाॅ. नीतू सिंघल, डाॅ. उमा रानी शैलेश झां आदि अस्पताल के सभी सदस्य मौजूद रहे।

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिससे भारत में हर छह में से एक व्यक्ति जूझ रहा है। यह भयावह बीमारी परिवार को मानसिक व आर्थिक रूप से त्रस्त कर देती है, क्योंकि जब तक इस बीमारी का पता चलता है तब तक इसका इलाज असंभव हो जाता है। स्तन व बच्चेदानी में होने वाला कैंसर हमारे देश में महिलाओं में आमतौर पर होने वाला कैंसर है, वहीं पुरूषों में फेफड़े, मुंह, व गले का कैंसर ज्यादा पाया जाता है कारण गुटखा, बीडी व तंबाकू का सेवन है।

इन बीमारियों का समय रहते पता चल जाए तो इलाज संभव है किंतु लोगों में शर्म व तरह-तरह की भ्रांतियों के कारण लोग शुरूआती जांच के लिए अस्पताल नहीं जाते और यही कारण है कि कैंसर तीसरी व चैथी स्टेज पर पहंुचकर इलाज को असंभव बना देता है। 

इस अवसर पर एशियन अस्पताल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डाॅ. एन.के पांडे ने कहा क़ि एशियन अस्पताल ने कैसर मरीजों के इलाज को आसान बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों से लैस एक कैंसर मोबाइल वैन तैयार की हैं। एशियन द्वारा बनाई गई इस कैंसर वैन का मकसद गांव व अन्य पिछड़े इलाकों में घर-घर जाकर कैंसर की जांच करना है और यह जांच निःशुल्क की जाएगी।  इस मोबाइल वैन में पूरे शरीर का एक्स-रे, मेमोग्राफी, ब्लड एवं स्टूल टेस्ट तथा पैपस्मीयर करने की सुविधा मौजूद हैैै। इस वैन में लगे आधुनिक उपकरण शरीर में पनप रहे कैंसर का शुरूआती स्टेज में पता लगाकर लोगों को बीमारी के बारे में जागरूक एवं कैंसर डिटेक्शन में मदद करेगी। इस वैन में महिला डाॅक्टर, तकनीशियन और रेडियोलाॅजिस्ट मौजूद रहेंगे, जो लोगों को कैंसर के प्रति जागरूक करेंगे। 

यह वैन हरियाणा खासकर फरीदाबाद और राजस्थान के गांवों में जाकर कैंसर की शुरूआती जांच करेगी। हमें खुशी है कि हम देश में तेजी से फैल रही इस भयावह बीमारी की रोकथाम में एक महत्वपूर्ण कदम ले रहे हैं।

Sunday 18 March 2018

सर्वश्रेष्ठ किडनी स्टोन्स होम्योपैथिक उपचार

सर्वश्रेष्ठ किडनी स्टोन्स होम्योपैथिक उपचार

फरीदाबाद 19 मार्च।  होम्योपैथिक किडनी स्टोन उपचार प्रोटोकॉल में क्लासिकली होम्योपैथिक चिकित्सा चयन का प्रयोग किया जाता है जिसमें कुछ स्वाभाविक रूप से माइक्रो-मिनरल आधारित होमियोपैथिक मदर टिंचर होते हैं, जो कि सबसे हठ रीनल रॉक स्टोन को तोड़ने के लिए भी उपयोग किया जाता है।

गुर्दा की पथरी को तोड़ने के लिए, होम्योपैथी प्रकृति की शक्ति का इस्तेमाल करती है। विभिन्न होम्योपैथिक मदर टिंचर जैसे फ़िलेंथस निरूरी, सिकोरीयम इंटीबुस, बोहेराविया डिफुसा, बरबेरीस वुल्गारिस आदि हैं।

होम्योपैथिक दवा जो कि होम्योपैथिक उपचार में गुर्दे की पथरी के लिए उपयोग की जाती है नीचे वर्णित है -
1. Lycopodium
2. Tabaccum
3. Urticaurens
4. Sarsaparilla
5. Cantharis
गुर्दे की पथरी तोड़ने के लिए लक्षणों के अनुसार इन होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग कर सकते हैं। होम्योपैथी उपचार विशुद्ध रूप से प्राकृतिक है और बिना साइड इफेक्ट है।
उपरोक्त औषधि का उपयोग मदर टिंचर के साथ किया जा सकता है साथ में बहुत सारे पानी का सेवन किया जा सकता है।
 1.      Berberis vul
 2.      Phyllanthus niruri
 3.      Cichorium Intybus
 4.      Boerhavia diffusa
 5.      Berginea linguilata
इन सभी 5 होम्योपैथिक टिंचर गुर्दे की पथरी के लिए बहुत प्रभावी दवाइयां हैं। हालांकि विभिन्न कंपनियों के कई होम्योपैथिक दवाइयां हैं, लेकिन मैं अपने रोगियों में इन उपायों का उपयोग कर रहा हूं और उन्हें बहुत सफल पाया।

गुर्दे की पथरी के लिए जोखिम कारक क्या हैं?
• प्रोटीन, कैल्शियम या ऑक्सलेट में समृद्ध आहार
• कम पानी का सेवन
यूटीआई के प्रारंभिक इतिहास - प्राकृतिक पथ संक्रमण
• मोटापा
गुर्दे के पत्थरों का पारिवारिक इतिहास
• सिस्टिनुरिया

गुर्दा पत्थर क्या हैं?
गुर्दा की पथरी छोटे, कठोर द्रव्यमान हैं जो गुर्दे के भीतर बनाई जाती हैं।

गुर्दा पत्थरों के लक्षण क्या हैं?
गुर्दे की पथरी पर कोई लक्षण नहीं होते हैं। दूसरी बार, वे मूत्र और / या तरफ या पीठ में गंभीर दर्द का कारण बनते हैं। जब गुर्दा की पथरी बड़ी होती है या एक से अधिक होती है, तो वे मूत्र के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकते हैं।

गुर्दे की पथरी के प्रकार -

मुख्य रूप से 4 प्रकार की गुर्दा की पथरी होती है
 कैल्शियम स्टोन्स: जो लोग इस प्रकार के पत्थर के रूप में बनाते हैं उनके मुंह में कैल्शियम, ऑक्सलेट, या पेशाब में बहुत ज्यादा या साइट्रेट पर्याप्त नहीं है। आहार में नमक की उच्च मात्रा में खपत मूत्र में कैल्शियम के उच्च स्तर की ओर जाता है। कुछ रोगियों में पैराथामोन की अधिक मात्रा में गुर्दे की पथरी होगी, जो कैल्शियम नियंत्रित हार्मोन है। लोग मिथक के साथ हमारे पास आते हैं कि दूध पीना गुर्दे के पत्थरों का कारण हो सकता है जो गलत है। दूध पीने से डॉ। अभिषेक के अनुसार गुर्दे की पथरी नहीं होती है। हालांकि कम पानी पीने से गुर्दे की पथरी का वास्तविक कारण होता है।

स्ट्रावेट स्टोन्स: क्रोनिक जीवाणु मूत्र संक्रमण आमतौर पर इन पत्थरों का कारण बनता है। बैक्टीरियल मूत्र संक्रमण मूत्र के परिणाम के रासायनिक परिवर्तन की ओर जाता है, स्ट्रल्वइट प्रकार के गुर्दे के पत्थर के रूप में। कठोरता के कारण इन पत्थरों को तोड़ना मुश्किल है होम्योपैथिक उपचार जैसे कैंटेरिस और बरबेरीस वूल ऐसे किडनी पत्थरों को तोड़ने के लिए प्रभावी हैं
यूरिक एसिड स्टोन्स: इस तरह के पत्थर के रूप तब होते हैं जब मूत्र बहुत अम्लीय होता है, जिससे अत्यधिक यूरिक एसिड उत्पादन होता है। उच्च प्रोटीन आहार से बचें, पानी की बहुत सारी रोज़ का सेवन करें

सिस्टीन स्टोन्स: ये उन व्यक्तियों में पाए जाते हैं जिनके पास सिस्टीन पत्थर का पारिवारिक इतिहास है शरीर रक्त से सिस्टीन के रसायन को साफ करने में सक्षम नहीं है।


किडनी स्टोन्स शरीर को कैसे छोड़ देते हैं?

कई मामलों में, एक व्यक्ति मूत्र के माध्यम से पत्थर को पारित करेगा यह एक दर्दनाक प्रक्रिया हो सकती है, और इसमें कुछ दिन लग सकते हैं।

आप गुर्दा की पथरी कैसे रोक सकते हैं?

अधिक तरल पदार्थों का सेवन करें: बहुत सारे पानी पीने से प्रति दिन 10-12 ग्लास तरल की सिफारिश की जाती है। पानी और तरल पदार्थ की अधिक मात्रा में मूत्र पतला रखने में मदद मिलती है - जिससे मूत्र में खनिजों के पत्थर बनाने की एकाग्रता कम हो जाती है।

नमक की मात्रा को कम करें जो आपको खाती है: आहार में नमक (सोडियम) को कम करने से मूत्र में कैल्शियम की मात्रा कम हो जाती है जिससे कैल्शियम पत्थर के गठन की प्रवृत्ति कम हो जाती है। डॉ। अभिषेक आहार में कम नमक का सुझाव देते हैं और साथ ही नमकीन नमकीन, प्रसंस्कृत मीट, कैन्ड नूडल्स, चावल, और सूप्स जैसे उच्च सोडियम खाद्य पदार्थों से बचने से बचते हैं।

आहार कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा में समृद्ध होना चाहिए: अन्य मिथक कैल्शियम को कैल्शियम किडनी पत्थरों से पीड़ित रोगियों के आहार में प्रतिबंधित होना चाहिए।


किडनी स्टोन में निम्नलिखित खाद्य से बचें

• Anchovies
• एस्परैगस
• बोउलोन
• जामुन
• बोउलोन
• शोरबा
• चॉकलेट
• कैवियार
• हिलसा
• मूंगफली
• एक प्रकार का फल
• ग्रीन्स
• अंग मांस, यकृत, गुर्दे, दिमाग
• मांस
• स्कैलप्प्स
• चाय
• शंबुक

रेनाल पत्थर के लिए निदान परीक्षण
अल्ट्रासाउंड
• एक्सरे क्यूब
• अंतःशिरा पीललोग्राम
• कुब के सीटी स्कैन - मूत्रमार्ग मूत्राशय

आरा होम्योपैथिक उपचार के लिए गुर्दा की पथरी में हर्बल होम्योपैथिक उपचार और माँ टिंचर के संयोजन का उपयोग किया जाता है जो कि सबसे जिद्दी गुर्दा की पत्थरों को तोड़ने के लिए उपयोग किया जाता है।

कोई भी होम्योपैथी चिकित्सा का उपयोग गुर्दा की पथरी तोड़ सकता है। होम्योपैथिक उपचार किसी भी दुष्प्रभाव के बिना विशुद्ध रूप से प्राकृतिक है।

Friday 16 March 2018

एशियन ने खोला झारखंड के धनबाद में अस्पताल

एशियन ने खोला झारखंड के धनबाद में अस्पताल

झारखंड : 16 मार्च 2018। धनबाद स्थित एशियन द्वार का दास जालान सुपर स्पेश्यालिटी अस्पताल का उद्घाटन झारखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास जी के करकमलों द्वारा किया गया। इस दौरान एशियन अस्पताल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डाॅ. एन.के पांडे उनकी अर्धांगिनी श्रीमति पद्मा पांडे, डाॅ. प्रशांत पांडे, श्री अनुपम पांडे, डाॅ. पी.एस आहुजा,डाॅ. रमेश चांदना, डाॅ. हिलाल अहमद, डाॅ.मृणाल शर्मा, डाॅ. रोहित नैय्यर, डाॅ. सुब्रत अखौरी, शैलेश झां, एशियन द्वारकादास जालान सुपरस्पेश्यालिटी अस्पताल के ट्रस्टी बी.पी. डालमिया चेयरमैन, राजीव शर्मा सेक्रेटरी जीवन रेखा ट्रस्ट, केशव हरोड़िया और संजीव अग्रवाल आदि अस्पताल के अन्य सदस्य भी मौजूद रहे।

एशियन द्वारकादास जालान सुपरस्पेश्यालिटी अस्पताल इस दौर का ऐसा आधुनिक अस्पताल है जहां एक ही छत के नीचे विभिन्न प्रकार के रोगों का इलाज संभव है। इनमें कार्डियोलाॅजी, आॅर्थोपेडिक्स, न्यूरोसर्जरी, यूरोलाॅजी, गैस्ट्रोइंट्रोलाॅजी, प्रसूति एवं स्त्री रोग, बाल रोग, सामान्य रोग, एडवांस सर्जरी, कान, नाक व गला, दंत चिकित्सा, ब्लड बैंक, क्रिटीकल केयर यूनिट आॅपरेशन थियेटर्स, इमेजिंग, रेडियोलाॅजी, पैथोलाॅजी और 24घंटे आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध हैं और यहां जल्दी ही पूर्णतः कैंसर सुविधाओं की भी शुरूआत की जाएगी। इसके साथ ही तैयार किए गए अस्पताल को 150 बैड से बढ़ाकर एक नई इमारत का निर्माण कर उसे 300 बैड का किया जाएगा। 

इस अवसर पर डाॅ. पांडे ने कहा कि धनबाद में अस्पताल बनाना मेरे लिए घर वापसी जैसा है। मैं बिहार के छपरा का रहने वाला हूं और धनबाद में मैने हाई स्कूल की पढ़ाई की है। दिल्ली में अस्पताल बनाने के बाद मेरा सपना था कि मैं अपने मूल स्थान पर लोगांे को दिल्ली के मुकाबले की स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करूं और मुझे खुशी है कि मुझे ऐसा करने का मौका मिला।

किसी भी अस्पताल की रीढ़ की हड्डी वहां के डाॅक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ होता है। हमारी कोशिश है कि हम धनबाद में जल्द ही पैरामेडिकल कोर्सिज़ की शुरूआत करें, जिससे 12वीं के बाद बच्चे दो साल का डिप्लोमा कर लैब टेक्नीशियन, ओटी टेक्नीशियन, रेडियोलाॅजी टेक्नीशियन, डायलिसिस टेक्नीशियन, डेंटल टेक्नीशियन व अन्य टेक्नीकल कोर्स करके अच्छी नौकरी प्राप्त कर सकते हैं। 

डाॅ. पांडे ने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि इस अस्पताल से हम तकरीबन 1500 लोगों को रोजगार की सुविधा प्रदान करेंगे। मेरा सपना है कि हम यहां एक नर्सिंग काॅलेज की भी शुरूआत करें, जिससे हम धनबाद में एक संपूर्ण स्वास्थ्य कंेद्र तैयार कर सकें। अभी तक लोगों को गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए रांची, जमशेदपुर व कोलकाता जाना पड़ता था, लेकिन अब उन्हें कहीं और जाने की जरूरत नहीं पडे़गी। यह अस्पताल 100 से 150 किलोमीटर के दायरे में संपूर्ण स्वास्थ्य चिकित्साएं मुहैया कराएगा। 

उन्होंने यह भी कहा कि हमारा लक्ष्य केवल यहीं तक नहीं है हमारी कोशिश है कि हम झारखंड की राजधानी रांची में 400 से 500 बेड का सुपरस्पेश्यालिटी अस्पताल लेकर आएं। वहां भी हम सभी तरीके के पैरामेडिकल कोर्सिज़ व नर्सिंग काॅलेज की शुरूआत करेंगे।

Sunday 11 March 2018

एनएमसी बिल के विरोध में डाक्टरों और मेडिकल छात्रों ने निकाली साईकिल रैली

एनएमसी बिल के विरोध में डाक्टरों और मेडिकल छात्रों ने निकाली साईकिल रैली


फरीदाबाद : 11 मार्च । फरीदाबाद ईएसआई मेडिकल कालेज से आईएमए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के द्वारा एनएमसी बिल के विरोध में साइकिल रैली निकली गई। इस साइकिल रैली में शहर के सैंकड़ों डॉक्टर और मेडिकल छात्र शामिल हुए।डा. पुनीता हसीजा, प्रधान आईएमए। 

 यह रैली मेडिकल कालेज से बीके चौक  होते हुए नीलम चौक तक निकाली, शहर में साइकिल रैली के माध्यम से एनएमसी यानी कि नेशनल मेडिकल कमीशन बिल का विरोध किया गया और इस बिल के संबंध में जनता को भी जागरूक किया। डॉक्टरों ने दवा किया कि एनएमसी बिल आने से डॉक्टर और जनता का होगा बहुत बड़ा नुकसान होगा। यह रैली फरीदबााद में ही नहीं देश की 1722 ब्रांचों पर भी निकाली जा रही है। डाक्टरों ने बताया कि आईएमए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रधान रवि 25 मार्च को  एनएमसी यानी कि नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में दिल्ली में महापंचायत करेंगे।

 पिछले लंबे अर्से से निजी अस्पताल और उनमें काम करने वाले डाक्टर एनएमसी यानी कि नेशनल मेडिकल कमीशन बिल का पूरे देश में विरोध कर रहे है, इसी कडी में आज फरीदाबाद में आईएमए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के द्वारा एनएमसी बिल के विरोध में साइकिल रैली निकली गई। रैली में सैंकडों डाक्टर हाथें में तख्ती पोस्टर लेकर एन एम सी बिल का विरोध करते हुए सडकों पर उतरे और लोगो को इस बिल के विरोध में जागरूक किया। जागरूकता साईकिल रैली को ईएसआई मेडिकल कालेज से निकला गया जिसने पूरे शहर में एनएमसी बिल का विरोध किया। 

फरीदाबाद आईएमए के पूर्व प्रधान सुरेश अरोडा ने बताया कि उन्होंने आज साईकिल रैली के माध्यम से पूरे शहर को एनएमसी बिल के लिये जागरूक किया है क्योंकि एनएमसी बिल पास होने से न केवल डाक्टरों के पेशे को भारी नुक्सान होगा बल्कि पूरे देश की जनता को भी बहुत बडा नुक्सान झेलना पडेगा। इसलिये आज साइकिल रैली में डाक्टर ही नहीं बल्कि मेडिकल छात्र भी शामिल हुए हैं क्योंकि डाक्टरी क्षेत्र में आने वाले भविष्य मेडिकल छात्र हैं जिन्हें बहुत बडा नुक्सान होगा, इसलिये पूरे देश की 1722 ब्रांचों से यह रैली निकाली जा रही है जो कि 25 मार्च को दिल्ली पहुंचेगी और वहां आईएमए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रधान रवि 25 मार्च को  एनएमसी यानी कि नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में  महापंचायत करेंगे।


 डा. सुरेश अरोडा, आईएमए पूर्व प्रधान फरीदाबाद।