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Friday 27 October 2017

सुविधा विद्या का पर्याय नहीं :ऋषिपाल चौहान

सुविधा विद्या का पर्याय नहीं :ऋषिपाल चौहान

फरीदाबाद 27अक्टूबर (National24news) भारत अपनी स यता, शिक्षा एवं संस्कृति के लिए वि यात है। हमारी प्राचीनतम शिक्षण प्रणाली दुनिया के लिए सदैव कौतुहल का विषय रही है। विश्व की अनेक स यताएँ पठन-पाठन के लिए भारत के बताए मार्ग पर चलती हैं नालंदा और तक्षशिला अपनी शिक्षा पद्घति के लिए ही वि यात थे परन्तु आज छवि बदल चुकी है। स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक की स्थिति बदहाल है। सोचने का विषय है कि यह स्थिति क्यों और कैसे बनी है? आज सभी अभिभावक यही सोचते हैं कि वे विद्यालय में अपने बच्चें के लिए शिक्षा अर्जन नहीं बल्कि सुविधाओं के उपयोग के लिए भेज रहे हैं। विद्यालय अब ज्ञान अर्जन की जगह न हो कर सुविधाओं की खरीद फरो त का विषय बन चुका है। समाज में सभी को यह सोचना होगा कि शिक्षा अर्जन के लिए साधना करनी पड़ती है। केवल सुविधाओं के नाम पर व्यवसाय करना या करना गलत है, 

इसी से शिक्षा का मूल उद्ïदेश्य समाप्त हो जाता है। भारत देश में शिक्षा का उद्ïदेश्य बहुत महान हुआ करता था जहाँ शिक्षक की तुलना भगवान से की जाती थी परन्तु नवीन संस्कृति में यह पर परा अब लुप्त हो रही है। अभिभावक अपने बच्चे के लिए शिक्षा की गुणवत्ता को नहीं देखता बल्कि वह वहाँ उपलब्ध सुविधाओं को ही देखता है। सुविधाओं के मामले देखा जाए तो तकनीकी सुविधाएँ होना तो आवश्यक है क्योंकि इससे शिक्षा सरल एवं सहज हो जाती है और भविष्य के लिए तकनीकी ज्ञान आवश्यक होता है क्योंकि इसी के माध्यम से छात्र अपने भविष्य का निर्माण करते हैं। ज्ञान देना व अर्जन करना दोनों ही उद्ïदेश्य महान हैं परन्तु दुर्भाङ्गय का विषय है कि आज आधुनिकिकरण में यह भी एक फैशन बन चुका है। अभिभावक अपने बच्चे को सुविधाओं से सुसज्जित स्कूल में भेजना ही अपना कत्र्तव्य मानते हैं और यहीं शुरू होती है होड़ जो एक खतरनाक मोड़ की ओर ले जाते हैं। अब समय आ चुका है कि सरकार भी इस विषय पर सोचे और विद्या अर्जन के इस महान उद्ïदेश्य को भ्रमित होने से रोकें।


Tuesday 3 October 2017

आ.....अब हम लौट चलें....खुशी की ओर....: कुलदीप सिंह

आ.....अब हम लौट चलें....खुशी की ओर....: कुलदीप सिंह

फरीदाबाद:3 अक्टूबर (National24news) आज शहरों में लोगों की जीवन शैली दिन पर दिन अति आधुनिक होती जा रही है और अपने को आधुनिक का प्रतीक दिखाने के चक्कर में अपनी खुशियों के पैमाने और अर्थ दोनों ही बदलते जा रहे हैं। आजकल लोगों की नये तरीके की जीवन शैली विकास की कमशकश और भागमभाग से त्रास्त दिख रही है। केवल ऊपरी मुस्कान का दिखावा बढ़ रहा है - अंतर की वास्तविक खुशी तो गायब हो रही है। आधुनिक हो रहे जीवन में यदि आराम बढ़ता है तो कोई विवाद नहीं हो सकता, पर आज की आधुनिकता की कीमत परिवार के तनावमुक्त स्वस्थ वातावरण की बलि देकर नहीं चुकाई जा सकती। शायद हमारे बच्चे पहले ही ऐसे वातावरण से वंचित होते जा रहे हैं और हमारे वो संबंध जो हमें आपस में बांधे रखते थे, बड़ी तेजी से समाप्ति की ओर जा रहे हैं।

आज हमें अपने निजी व्यवहार और जीवन शैली में आ गये बदलाव पर अत्यधिक विचार करने की तीव्र आवश्यकता है और इस काम में हमारी परम्पराओं की संस्कृति हमारी सहायता अच्छी तरह कर सकती है। अपने परिवारों के बीच प्रेम और सम्मान का वातावरण तथा परस्पर सद्भावना के निर्माण के लिए ऐसे ही कछ विचारों पर हम ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं जो हमारी मदद हमेशा करते हैं।

1. सेवा: यह एक ऐसा संबोधन है जिसमे ंअपने कर्तव्य बोध के साथ समर्पण भी जुड़ा है। व्यक्तिगत रूप से मेरा अनुभव यही रहा है कि घर की नौकरानी द्वारा दी गई एक कप चाय.....और घर के परिवार के सदस्य पत्नी, पुत्राी और या पुत्रावधू द्वारा प्रस्तुत एक कप चाय...........मिठास का अंतर तो अनुभव हो ही जाता है। पहले वाली चाय में शायद केवल कर्तव्य बोध है जबकि दूसरी में कर्तव्य के साथ अनुराग भी बांध लेता है। यही भावना ही धीरे-धीरे आगे चलकर प्रेम और सम्मान में बदल जाती है।

2. परिवार कक्ष: हमारे घर में एक तो जगह ऐसी जरूर हो, जहां घर के सभी सदस्य मिल बैठकर टीवी देखें और आपसे अपने अनुभव और विचार सांझा करें। आजकल तो बड़े सुन्दर सुन्दर ड्राइंग रूम होते हैं, जो घरों में आने वाले मेहमानों का ही इंतजार करते हैं, परन्तु वहां घर-परिवार के लोग भी तो कभी-कभार ही दिखाई पड़ते हैं। वैसे मोबाईल पफोन पर व्यक्तिगत बातें करने के लिए बड़ा सुविधाजनक स्थान हेाता है - आपका ड्राइंग रूम....।साथ साथ बैठने बात करने के अवसर तो बहुत कम ही घर में मिलते हैं। हमको आपको, आजकल तो हर कोई अपने बैडरूम में टीवी से अपनी आंखें चिपकाए दिखता है.....। इन आधुनिक सुविधाओं ने तो खुशी के नाम पर हमारी पारिवारिक सुख शांति और सह अस्तित्व की भावना को ही ग्रहण लगा दिया है। अगर हम सब साथ बैठे होते तो हो 

सकता था कि सभी मिलकर किसी एक टीवी प्रोग्राम को देखने पर 
एकमत हो जाते। यह भी हो सकता था कि अपनी-अपनी पसंद का 

विवाद होने की स्थिति में समाधान के लिए घर की मुखिया की बात को अंतिम निर्णय मानकर सब साथ होते। हमारे अलग-अलग शयन कक्षों ने तो हमें इस हद तक बांट दिया है कि हमारे अंदर से सहनशीलता और दूसरे विचारों से सांमजस्य बनाने की क्षमता ही समाप्त होती जा रही है।

3. बैंक खाते: घर परिवार े सभी धन कमाने वाले सदस्यों ने अपने पूर्णतः व्यक्तिगत खाते खुलवा रखे हैं और उनमें आपस में समय पर खर्च न करने की होड़ सी लगी होती है। कोई किसी पर आश्रित नहीं है और यह उनकी पूर्ण स्वतन्त्रता है। इस पूर्ण स्वतन्त्राता ने घरों के अंदर की एकता को छिन्न भिन्न कर दिया है। वास्तव मे, आज तो नगरों घर है नहीं, ये तो सभी मकान है....फ्रलैट या पेइंग गेस्ट हाॅस्टल जैसी जगहे हैं.....।

आजकल के 20-30 साल के नौजवानों की घर की समझ को तो शायद आधुनिकता की नजर लग गई है। उन्हें पुरानी घर परम्परा के बारे में तो किसी ने बताया सिखाया नहीं और न ही उन्हें कुछ वैसा शहर में देखने को मिला। उनके लिए तो अपनी स्वतन्त्राता और निजता ही अधिक मायने रखती है। उनकी दुनिया बस उनके अपने दोस्तों तक है, बाकी सारे संबंध तो महत्वहीन या गौण हैं।

अभी हाल ही में, मैंने कुछ हफ्रतों का समय एक ग्रामीण परिवार के संग बिताया, जहां मुझे लगा कि मैं स्वर्ग में हूं भले ही वह एक गांव था। उस परिवार के मुखिया का सम्मान, उस घर के सभी सदस्य बिना कहे ही कर रहे थे। किसी को कुछ भी बताने या कहने की जरूरत ही नहीं थी। ‘घर की समझ’ के साथ वास्तव में पूरी तरह यही उचित वंशानुक्रम (वंश में श्रेष्ठता क्रम) का एक सवोत्तम उदाहरण था। अलग-अलग बेडरूमों या शयनकक्षों की उन लोगों के लिए, जिन्होंने पुरानी परम्पराओं का समय देखा है और घर परिवार का अर्थ सही मायने में जानते हैं उनकी इन मूल्यों के प्रति समाज को जागरूक करने की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। आज इस बात की जरूरत है कि स्कूल और घरों में बच्चों को इन जीवन मूल्यों को सिखाया जाये। कुछ लोग कह सकते हैं कि सेवा, अनुक्रम, सम्मान आदि पुरातनपंथी विचार है, परन्तु आज इसी पुरातन की अति आवश्यकता है। अतः इससे पहले कि हम जीवन की अंधी दौड़ में बहुत दूर निकल जाएं, अच्छा होगा कि आ अब हम लौट चलें....।



Wednesday 26 July 2017

राष्‍ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद का प्रोफाइल

राष्‍ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद का प्रोफाइल

नई दिल्ली : 26 जुलाई (National24news) सार्वजनिक जीवन और समाज में समतावाद तथा अखण्‍डता के पैरोकार रहे वकील, दिग्‍गज राजनीतिक प्रतिनिधि श्री रामनाथ कोविंद का जन्‍म 01 अक्‍टूबर, 1945 को उत्‍तर प्रदेश में कानपुर के निकट परौंख में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री मैकूलाल और माता का नाम श्रीमती कलावती था।

 25 जुलाई, 2017 को भारत के 14वें राष्‍ट्रपति का कार्यभार ग्रहण करने से पहले श्री कोविंद ने 16 अगस्‍त, 2015 से 20 जून, 2017 तक बिहार के 36वें  राज्‍यपाल के रूप में अपनी सेवा दी ।

शैक्षिक योग्‍यता और व्‍यावसायिक पृष्‍ठभूमि

    श्री कोविंद ने अपनी स्‍कूली शिक्षा कानपुर में ग्रहण की और कानपुर विश्‍वविद्यालय से बी.कॉम त‍था एलएलबी की डिग्री हासिल की। 1971 में उन्‍होंने दिल्‍ली बार काउंसिल के साथ एक वकील के रूप में नामांकन किया।

   श्री कोविंद 1977 से लेकर 1979 तक दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय में केन्‍द्र सरकार के वकील रहे तथा 1980 से 1993 तक उच्‍चतम न्‍यायालय में केन्‍द्र सरकार के वकील रहे। 1978 में वे उच्‍चतम न्‍यायालय के ‘एडवोकेट-ऑन-रिकार्ड’ बने। 1993 तक उन्‍होंने कुल 16 साल तक दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय और उच्‍चतम न्‍यायालय में वकालत की।

संसदीय और सार्वजनिक जीवन

   श्री कोविंद को अप्रैल, 1994 में उत्‍तर प्रदेश से राज्‍यसभा का सदस्‍य चुना गया। उन्‍होंने लगातार दो बार राज्‍यसभा के सदस्‍य के रूप में मार्च, 2006 तक कार्य किया। श्री कोविंद ने विभिन्‍न संसदीय समितियों जैसे अनुसूचित जाति/जनजाति कल्‍याण संबंधी संसदीय समिति, गृह मामलों की संसदीय समिति, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस पर संसदीय समिति, सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता संबंधी संसदीय समिति और कानून और न्‍याय संबंधी संसदीय समितियों में सेवा की। वह राज्‍यसभा हाउस कमेटी के चेयरमैन भी रहे।

   श्री कोविंद बी.आर. अम्‍बेडकर विश्‍वविद्यालय के प्रबंधन बोर्ड के सदस्‍य तथा भारतीय प्रबंधन संस्‍थान कोलकाता के बोर्ड ऑफ गवर्नस के सदस्‍य भी रहे। वह संयुक्‍त राष्‍ट्र में गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्‍य भी रहे और अक्‍टूबर, 2002 में संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा को संबोधित किया।

इन पदों पर किया कार्य -

2015-17: बिहार के राज्यपाल

1994-2006: उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य

1971-75 और 1981: महासचिव, अखिल भारतीय कोली समाज

1977-79: दिल्ली उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के वकील

1982-84: सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के अधिवक्‍ता

व्‍यक्तिगत विवरण

    श्री कोविंद का विवाह 30 मई, 1974 को श्रीमती सविता कोविंद से हुई। श्री कोविंद के पुत्र का नाम प्रशांत कुमार और पुत्री का नाम सुश्री स्‍वाति है। पढ़ने-लिखने के शौकिन राष्‍ट्रपति कोविंद को राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तनों, कानून और इतिहास तथा धर्म संबंधी किताबें पढ़ने में गहरी दिलचस्‍पी है।

   अपने लम्‍बे सार्वजनिक जीवन के दौरान श्री कोविंद ने कई देशों की यात्रा की है। संसद सदस्‍य के रूप में उन्‍होंने थाईलैंड, नेपाल, पाकिस्तान, सिंगापुर, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, फ्रांस, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका का दौरा भी किया है। 

Saturday 22 July 2017

बरसात में फूड और जल जनित बीमारियां से बचाव के लिए अपनाएं आयुर्वेदिक नुस्खे :डाॅ प्रताप चौहान  निदेशक जीवा आयुर्वेद

बरसात में फूड और जल जनित बीमारियां से बचाव के लिए अपनाएं आयुर्वेदिक नुस्खे :डाॅ प्रताप चौहान निदेशक जीवा आयुर्वेद

फरीदबाद: 22जुलाई (National24news) तापमान में अचानक परिवर्तन होने के कारण हमारे शरीर की प्रतिरक्षा कम हो जाती है जो हमें कई रोगों के लिए अतिसंवेदनशील बनाता है। 
बरसात के मौसम में संक्रमण और दूसरी अन्य स्वास्थ्य संबंधी गंभीर बीमारियां  पनपने लगती है।
लगातार कई महीने तक झुलसाने वाली सूर्य की तपस से राहत मिलने के दिन आ गए हैं क्योंकि मानसून आने से लगभग हर जगह बारिस का सिलसिला शुरू हो गया है।  यकीनन इससे हमारी बाॅडी और स्किन दोनों को बड़ी राहत मिलेगी। इसके अलावा सूर्य की तेज किरणें, सनबर्न, डिहाईड्रेशन की गंभीर समस्या से भी निजात मिलना तय है। बूंदा बादी और पानी की बौछार से हमारे शरीर को बहुत शीतलता मिलती है लेकिन शरीर के लिए इस अचानक हुए मौसमी परिवर्तन के कारण परेशानी शुरू होने लगती है। जिसकी वजह से लोगों के कई बीमारियों से ग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है। 

बरसात के मौसम में फूड और जल जनित बीमारियां जैसे टायफायड, गैस्ट्रोएन्टेरिटिसिस, फूड विषाक्तता, हेपेटाइटिस ए एंड ई और डायरिया में तेजी दिखाई देती है। स्थाई बारिश के पानी के कारण मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के मामले भी बढ़ जाते हैं। मॉनसून सर्दी, फ्लू, और गले और छाती के संक्रमण जैसे वायरल के लिए जलद्वार खोल देता है। ऐसे में एहतियाती उपायों को अपनाना बहुत महत्वपूर्ण है।

जीवा आयुर्वेदा केे निदेशक डाॅ प्रताप चौहान  के अनुसार गर्मी के जाते ही बरसात का मौसम शुरु हो जाता है। बारिस के आगमन से लोगों को गर्मी से राहत तो मिलती है, परंतु साथ ही उन्हे स्वास्थय से जुड़ी कई बड़ी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। तापमान मे अचानक बदलाव के कारण हमारी रोग प्रतिरोधी क्षमता कम हो जाती है। जिससे हम बिमारीयो के चपेट मे जल्दी आते है। इस मौसम में बाहर का चटपटा खाना जितना अच्छा लगता है वह उतना ही नुकसानदेह भी होता है। इन दिनों फिट रहने के लिए खाने की आदत पर अतिरिक्त ध्यान देना चाहिए, क्योंकि मानसून में दूसरे मौसम की तुलना में पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है। पाचन तंत्र के कमजोर होने से हमारे शरीर का मेटाबोलिजम कम हो जाता है जो वजन बढ़ने का प्रमुख कारण होता है। इस वजह से पेट की बीमारियों के साथ दूसरी कई बीमारियां के प्रबल होने की आशंका बढ़ जाती हंै। 

ऐसे रख सकते है हम मानसून के दौरान अपने सेहत का ख्याल-

गहरे तेल में तला हुआ, जंक फूड, ज्यादा गर्म, खटृा और नमकीन भोजन को खाने से बचना चाहिए क्योंकि बरसात के समय हमारी पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है। 

मनसून में हल्के और आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थ, पकी हुई या स्टीम सब्जियां, कददू, फल, मूंग दाल, खिचड़ी,काॅर्न, काबुली चने का आटा और ओटमील आदि खाने चाहिए। इसके अलावा कच्चे सलाद की जगह स्टीम सलाद लेना चाहिए।

मानसून में बहुत अधिक भारी, गर्म, खट्टे जैसे चटनी, अचार, मिर्ची, दही, करी आदि खाद्य पदार्थों को खाने से वाटर रिटेंशन, अपचन, एसीडिटी और पेट दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए तले हुए पदार्थ, जंक फूड, मिर्च मसालों से भरपूर खानो से बचना चाहिए। 

कसैला स्वाद पित्त को निष्प्रभावित करने में मदद करता है। इसलिए कड़वी सब्जियां जैसे करेला और कड़वी जड़ी-बूटियां जैसे नीम, सूखी मेथी और हल्दी अधिक खाएं। इसके अलावा ये सब चीजें आपको संक्रमण से बचाती हैं।

मानसून में गरम हरबल चाय पीना चाहिए क्योेकि ये जीवाणुरोधी होते है।

सब्जियो और फलो को अच्छे से धो कर ही इस्तेमाल करना चाहिए।

मानसून के समय हमे पत्तेदार सब्जियां और सलाद खाने से बचना चाहिए क्योकि इस मौसम में बैक्टीरिया अधिक होते हैं जो हमें बीमार कर सकते है।
हप्ते मे कम से कम दो बार तिल के तेल से अपने शरीर की मालीश करना चाहिए ये बरसात के दौरान शारीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। जिन लोगो को तिल का तेल शूट नहीं करता उन्हे नारियल के तेल का इस्तेमाल करना चाहिए।
बरसात के दौरान हमें ज्यादा मेहनत वाले व्यायाम जैसे दौड़ना, तेज साईकिल चलाना, हाईकिंग से बचना चाहिए क्योकि ये भी पित (गर्मी) को बढ़ाने का काम करते है। इसकी बजाय योग, सुबह की सैर, तैराकी और स्ट्रेचिंग करें 
जब भी खाना खाए तब हमे इस बात का ध्यान रखना चाहिए की वो जगह साफ सूथरी हो। बरसात के दौरान ऐसा कुछ भी खाने से बचना चाहिए जो खुले में रखा हो और ठेले व खमुचे वालो से खाने से बचना चाहिए।
बरसात के दौरान हमे सरसो का तेल, फली का तेल, मक्खन और ऐसे तेल के उपयोग से बचना चाहिए जो शरीर को गरम करता है। इनके बदले हमे सनफलावर आयल, कार्न आयल, घी, ओलिव आयल का ही खाना बनाने में उपयोग करना चाहिए।

स्वस्थ शरीर में एक स्वस्थ मन निवास करता है। यह वही है जिस पर हम विश्वास करते हैं और अपने शरीर को देखभाल को लेकर आपको कभी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। इसलिए स्वयं और अपने प्रियजनों को सुरक्षित और स्वस्थ रखें और सुंदर मौसम का आनंद लें।

जीवा आयुर्वेद के बारे में
जीवा आयुर्वेद को असाध्य कही जाने वाली और अनेक लाइफस्टाइल बीमारियों जैसे आर्थराइटिस और अन्य जोड़ों के दर्द व हड्डियों के विकार, पाचन की तकलीफें, हाइपरटेंशन, मधुमेह, स्त्री रोग व त्वचा रोग के उपचार में विशेषज्ञता हासिल है। जीवा आयुर्वेद अपने टेलीमेडिसिन सेंटर और क्लीनिकों के जरिए हर महीने करीब 25 हजार रोगियों तक पहुंचता है। जीवा आयुर्वेद टेलीमेडिसिन सेंटर, फरीदाबाद, हरियाणा दुनिया में अपनी तरह का अकेला ऐसा हेल्थ सेंटर हैं, जहां 300 से अधिक आयुर्वेदिक डॉक्टर और सलाहकार देश के 1200 छोटे-बड़े शहरों के रोगियों को सलाह देते हैं। जीवा एमआरसी, क्लिनिक और 600 औषधीय योगों के माध्यम से जीवा आयुर्वेद हर महीने 25,000 से अधिक रोगियों तक पहुंचता है।

Tuesday 18 July 2017

बालों के झड़ने के इलाज में होम्योपैथी की भूमिका: डॉ.अभिषेक कसाना

बालों के झड़ने के इलाज में होम्योपैथी की भूमिका: डॉ.अभिषेक कसाना

फरीदबाद: 19 जुलाई (National24news) बालों का झड़ना एक प्रक्रिया है जो हर रोज़ होता है। एक ही दिन आप कर सकते हैं  पचास से सौ बाल के बीच कहीं भी खो दें लेकिन, चूंकि इसे बदल दिया गया है हर रोज़, हम शायद ही कोई अंतर देखते हैं। अलार्म घंटी हालांकि, शुरू जब बाल गिरने की दर बालों की दर से तेज होती है, तब बजती है विकास। इससे बालों को कम करने और अंततः, गंजापन हो सकता है परंतु, ऐसे तरीके हैं जो आप बालों के झड़ने को रोकने के लिए उपयोग कर सकते हैं। एक स्वस्थ बनाए रखना जीवनशैली प्राकृतिक बालों के झड़ने की रोकथाम के लिए सबसे अच्छा उपाय है - एक संतुलित आहार खाएं, अच्छा व्यायाम करें, अच्छी तरह सोएं और जंक फूड से बचें
और अपने बालों पर रासायनिक उपचार।


1) टिनिया कैपिटास, सेबोरहाउआ (रूसी), खोपड़ी की एक्जिमा, या लिकेंस प्लिनस के रूप में जाना जाता स्कैल्प के फंगल संक्रमण जैसे खोपड़ी को प्रभावित करने वाली त्वचा रोग।

2) आनुवंशिक कारक

3) हार्मोनल परिवर्तन जिनमें बच्चे के जन्म के दौरान और रजोनिवृत्ति के दौरान होने वाले उन लोगों सहित

4) एक आहार के कारण पोषक तत्वों की कमी, जो लोहे की कमी होती है (एनीमिया के लिए अग्रणी), और प्रोटीन सेवन की कमी भी।

5) तीव्र बुखार जैसे टाइफाइड और इरिस्पिल्स से प्राप्त होने से बालों के झड़ने को फैलाना होता है

6) ड्रग उन लोगों की तरह उपयोग होती है जिनका उपयोग उच्च रक्तचाप, संयुक्त दर्द, कैंसर या अवसाद के इलाज में किया जाता है। एनाजेन फफूवियम कैंसर रोगी में कीमोथेरेपी के कारण बालों के झड़ने की स्थिति को संदर्भित करता है।

7) शारीरिक चोट / सिर को चोट

8) एक पारिवारिक सदस्य / करीबी दोस्त की हानि के कारण लगातार तनाव या दुःख जैसे भावनात्मक आघात

9) सामान्य बीमारियों जैसे मधुमेह रोग, तपेदिक, हाइपोथायरायडिज्म, या एड्स।

10) स्वत: प्रतिरक्षा संबंधित बालों के झड़ने जिसमें बालों की कोशिकाओं को एक विदेशी शरीर के लिए गलत किया जाता है और शरीर के प्रतिरक्षा कोशिकाओं द्वारा नष्ट कर दिया जाता है।

11) हेयरस्टाइल जैसे तंग ब्रैड्स या पॉनीटेल, जहां बाल कसकर पीछे की तरफ खींचते हैं, जो कर्षण की खाई के लिए अग्रणी होते हैं; बालों के रंगों और बालों के सीधा संबंधों के अंधाधुंध उपयोग

12) त्रिचीोटिलोमानिया, जो एक मानसिक विकार है जिसमें प्रभावित व्यक्ति स्वेच्छा से उसकी / उसके खोपड़ी के बाल बाहर खींचती है।

1. पी बैलेंस
2. डी-टोकिफिकेशन और स्कैल्प उपचार
3. नए विकास के लिए विकास कारक
होम्योपैथिक उपचार के शुरुआती चरण के दौरान हमें आहार में ज्यादा आवश्यकता नहीं है, बस एक अच्छा संतुलन आहार लेने की कोशिश करें और निम्नलिखित का पालन करें: -
I) स्वस्थ आदतें: प्राकृतिक बालों के झड़ने की रोकथाम के लिए पौष्टिक भोजन की बहुत महत्वपूर्ण है। एक स्वस्थ और संतुलित आहार सभी को प्रदान करता है

स्वस्थ स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक विटामिन और खनिज प्राकृतिक बाल
हानि की रोकथाम संभव है यदि आप प्रोटीन में समृद्ध आहार शामिल करते हैं,
कैल्शियम, आयोडीन, लोहा, मैग्नीशियम, सेलेनियम, सल्फर, सिलिका और जस्ता।

Ii) समुद्री भोजन, चावल, साबुत अनाज, सोया, हरे रंग की नियमित और संतुलित मात्रा में
सब्जियां, प्याज, मांस, मछली, शराब बनानेवाला के खमीर और डेयरी उत्पाद दे
आप सभी आवश्यक विटामिन और खनिज अपने बालों को स्वस्थ रखने के लिए

इसके अलावा जंक फूड और कैफीन से बचें

Iii) स्वस्थ में स्कैल्प सहायता के भोजन, सफाई और मालिश के अलावा
बालों की बढ़वार। बाहरी सफाई खोपड़ी से और गंदगी को हटा देती है
गंभीर बालों के झड़ने की स्थिति

Iv) आपको शरीर के आंतरिक निराकरण की आवश्यकता हो सकती है। विषाक्त पदार्थों कर सकते हैं
शरीर के सिस्टम पर प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं जिसके परिणामस्वरूप सिरप रोग होते हैं।

V) मालिश से बालों के रोम में खून का प्रवाह बढ़ता है और इससे मदद मिलती है
बालों के झड़ने बंद करो

Vi) प्राकृतिक बालों के झड़ने की रोकथाम में व्यायाम भी प्रमुख भूमिका निभाता है।
व्यायाम शरीर के सभी प्रणालियों में रक्त के प्रवाह को बेहतर बनाता है और
हर अंग स्वस्थ रहता है उस पर अप्रत्यक्ष रूप से सकारात्मक प्रभाव पड़ता है
आपके बाल।

Vii) शरीर को स्वस्थ होने के लिए नींद आवश्यक है और यह भी एक है
आपके सिर पर अप्रत्यक्ष लेकिन सकारात्मक प्रभाव

Viii) उचित बालों की देखभाल बालों के झड़ने को रोक सकती है और आपको गंजे बनने से बचा सकता है।
बालों के झड़ने हार्मोन या वंशानुगत कारकों के प्रभाव के कारण हो सकते हैं।
बालों के झड़ने के कारण बालों का इलाज, बालों पर रासायनिक उपयोग,
बीमारी, भोजन सेवन में पर्याप्त विटामिन और खनिजों की कमी और
मानसिक तनाव।

बाल गिरने के नियंत्रण के लिए कुछ महत्वपूर्ण और सरल सुझाव यहां दिए गए हैं।

1. अपने बाल से तेल लगाने से पहले कम से कम दो बार सो जाओ।
और इसे पूरी तरह से तेल मुक्त रखने के लिए अगली सुबह इसे धो लें नियमित
तेल के आवेदन को मजबूत जड़ों मजबूत रखता है

2. अपने बालों को बारिश में गीला न होने दें।

3. हमेशा अपने चेहरे को कुछ या दूसरे समय के साथ कवर करने की कोशिश करें
बाइक पर सवारी यह आपके बालों को खतरनाक प्रदूषण से बचाता है
4. स्नान के तुरंत बाद गीली बाल को तलाक से बचें।

5. अपने बालों को सूखने के लिए बालों की सूखे का प्रयोग न करें क्योंकि यह आपके बालों को नुकसान पहुंचा सकता है

और इसे बहुत शुष्क बनाते हैं
6. अपने बालों को कभी भी बहुत ठंडा या बहुत गर्म पानी से न धोएं। यह
आपके सिर और

डॉ.अभिषेक कसाना   बीएचएमएस, सीएफ एन-दिल्ली,
                                  डी.आई (होम) लंदन, पीजी डी पी एच एच चेन्नई,
                                  एमडी होम्योपैथी
 पूर्व वरिष्ठ सलाहकार और केंद्र प्रमुख Bakson होम्योपैथी एलर्जी केंद्र