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Thursday 5 April 2018

एशियन अस्पताल के डाॅक्टरों ने महिला को पेषाब लीक होने की समस्या से निजात दिलाई

एशियन अस्पताल के डाॅक्टरों ने महिला को पेषाब लीक होने की समस्या से निजात दिलाई

फरीदाबाद : 5 मार्च ।  कन्नौज उत्तर प्रदेश निवासी 32 वर्षीय सुनीता को पिछले कुछ समय से पेशाब लीक होने की समस्या हो रही थी। पहले सुनीता नेे शर्म के कारण समस्या को अनदेखा किया, लेकिन एक दिन अचानक से पेशाब अनियंत्रित होकर निकलने लगा तो सुनीता के परिजन उसे फरीदाबाद सेक्टर-21 स्थित एशियन अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर पहंुचे। 

एशियन अस्पताल आकर वे सीनियर कंसलटेंट यूरोलाॅजी एवं एचओडी किड़नी ट्रांसप्लांट डाॅ. विकास अग्रवाल से मिले और उन्हें मरीज की स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी दी। डाॅ. विकास अग्रवाल ने बताया कि सुनीता को दाखिल करके जांच की जाएगी और पेशाब के रास्ते नल्की लगाई गई। इसके बावजूद भी पेशाब लीक होने की समस्या से निजात नहीं मिली क्योंकि पेशाब बच्चेदानी की ओर से लीक हो रहा था। मरीज का एक महीने पहले ही सिजेरियन हुआ था। सिजेरियन के दस दिन बाद जब पेशाब की नल्की निकाली गई। उसके बाद से पेशाब लीक होने की समस्या शुरू हो गई। मरीज का पहले भी दो बार सिजेरियन हो चुका है। 

डाॅ. विकास ने बताया कि पेशाब लीक होने की वजह जानने के लिए मरीज की सिस्टोस्कोपी (दूरबीन द्वारा पेशाब की नली की जांच) की गई जिसमें पाया गया कि मरीज की पेशाब की थैली में बहुत बड़ा छेद है। इस छेद के कारण पेशाब, पेशाब की थैली से निकलकर बच्चेदानी से होते हुए लीक कर रहा था। मरीज का सीटी स्कैन किया गया जिसमें मरीज की पेशाब की थैली व बच्चादानी एक छेद से जुड़ी हुई पाई गई। दूरबीन के द्वारा मरीज की सर्जरी की गई। सर्जरी के दौरान पाया गया कि मरीज की बच्चेदानी नीचे से पूरी तरह से खराब हो चुकी थी और खुली हुई थी। मरीज और परिजनों को पहले से ही जानकारी दे दी गई थी कि दो बार सिजेरियन के कारण बच्चेदानी पर प्रभाव हुआ है, अगर जरूरत पड़ी तो निकाला जा सकता है। परिजनों द्वारा स्वीकृति दिए जाने के बाद सर्जरी के दौरान दूरबीन द्वारा बच्चेदानी और पेशाब की थैली को अलग-अलग कर दिया गया। बच्चेदानी को निकालकर इस रास्ते को बंद कर दिया गया। पेशाब की थैली को दूरबीन द्वारा रिपेयर किया गया। यह सर्जरी डाॅ. विकास अग्रवाल और डाॅ. प्रवीन पुष्कर की टीम ने मिलकर सफलतापूर्वक सर्जरी की। 

डाॅ. विकास ने कहा कि यह एक बेहद जटिल सर्जरी थी। महिला के दो सिजेरियन हो चुके थे। यह सर्जरी 4घंटे तक चली। इस सर्जरी के बाद महिला को पेशाब लीक होने की समस्या से निजात मिल गई। अब सुनीता पूरी तरह से स्वस्थ है।  

Thursday 29 March 2018

एशियन अस्पताल के डाॅक्टरों ने 10 वर्षीय आंचल की टांग को कटने से बचाया

एशियन अस्पताल के डाॅक्टरों ने 10 वर्षीय आंचल की टांग को कटने से बचाया

Faridabad: 30 मार्च 2018। ग्ररूग्राम की रहने वाली 10 वर्षीय आंचल पांचवी कक्षा की छात्रा है। एक साल पहले उसके पैर में अचानक से दर्द शुरू हुआ और उसे चलने-फिरने व उठने-बैठने में दिक्कत होने लगी। ऐसे में उसे स्कूल जाने व अन्य काम करने में भी परेशानी उठानी पड़ रही थी। आंचल के पजिनों ने उसे विभिन्न अस्पतालों में दिखाया, लेकिन उसे किसी प्रकार का आराम नहीं मिला। ऐसे में समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी। इसके अलावा पैर में सूजन भी हो रही थी। 

डॉक्टर ने पैर की बढ़ती सूजन को देखकर पैर का एक्स-रे कराने की सलाह दी। एक्स-रे की रिपोर्ट से पता चला कि आंचल के पैर की सूजन का कारण कैंसर है। डॉक्टरों ने बताया कि यह कैंसर तो पहले से ही आंचल के पैर की दो अलग-अलग जांघ (Femur) और घुटने से नीचे (Tibia) की हड्डियों में था, लेकिन दर्द के कारण यह उजागर हो गया। आंचल और उसके घरवालों ने कभी  सोचा भी नहीं था कि पैर का यह दर्द उन्हें भयंकर बीमारी से रूबरू कराएगा। एक परिचित की सलाह पर बच्ची को फरीदाबाद स्थित एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज अस्पताल एवं कैंसर सेंटर में लेकर आए।

एशियन अस्पताल पहुंचने पर सबसे पहले बच्ची की रिपोर्ट और स्थिति देखकर बच्ची की बायोप्सी, एक्स-रे, एमआरआई और पेट स्कैन द्वारा जांच की गई। जांच करने पर बच्ची की टांग में ऑस्टीयोसारकोमा नाम का कैंसर पाया गया।  जो 10 से 20 वर्ष की उम्र में होता है। ये कैंसर जल्दी फैलता है। इसलिए डॉक्टरों ने फैंसला किया कि सबसे पहले कीमोथैरेपी दी जाए ताकि कैंसर बच्ची के शरीर के बाकी हिस्सों को प्रभावित न कर सके। इसके अलावा कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करती है। कीमोथैरेपी से गांठ का आकार छोटा होता गया 

जिससे ट्यूमर को छेड़े बिना बच्ची कीे टांग बचाने की सर्जरी संभव हो पाई।
एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट और हैड ऑर्थेपेडिक्स डॉ. कमल बचानी ने बताया कि आंचल को जानलेवा कैंसर था जोकि हड्डियों से शुरू होकर पूरे शरीर में फैल जाता है और इससे ग्रसित 20 से 30 प्रतिशत मरीज केवल 5 वर्ष तक ही जीवित रहते हैं। उन्होंने बताया कि बच्ची कीे टांग से कैंसर की गांठ निकालना अनिवार्य था। इसके अलावा हमने ऑपरेशन के दौरान इस बात को ध्यान में रखा की बच्ची अभी बहुत छोटी है। आगे उम्र के साथ बच्ची के पैर की लंबाई भी बढ़ेगी। एक ऐसा आॅपरेशन जिसमें एक्सपेंडेबल ट्यूमर लगाया गया ;स्पेशल ऑर्डर पर बनवाया गयाद्ध और पांच घटे तक चली बच्ची के घुटने की सर्जरी के दौरान बच्ची के घुटने से जांघ के बीच से निकाली गई ट्यूमर वाली हड्डी व घुटने के जोड़ की जगह पर लगाया गया। इस एक्सपेंडेबल ट्यूमर प्रोस्थेसिस में एक ऐसा स्क्रू लगा होता है जिसके जरिए इम्प्लांट की लंबाई बच्ची के दूसरे पैर की लंबाई के बराबर बढ़ाया जा सके।

एक्सपेंडेबल ट्यूमर प्रोस्थेसिस क्या हैः यह एक ऐसी डिवाइज है जिसे मरीज के शरीर के क्षतिग्रस्त हड्डी की जगह लगाया जाता है। जो छतरी की स्टिक की तरह छोटी और बड़ी हो सकती है, यानि मरीज लंबाई के मुताबिक इस इम्प्लांट की लंबाई को भी बढ़ाया जा सकता है। सर्जरी के दौरान मरीज को हर साल इसकी लंबाई को बढ़ावाना होता है। यह इम्प्लांट मरीज की कद-काठी के अनुसार ऑर्डर देकर बनवाई जाती है। इस तरह के मोडिफाइड इम्प्लांट कठिन घुटना प्रत्यारोपण जैसे इंफेक्शन मंे कारगर सिद्ध हुए हैं।

डॉ. बचानी का कहना है कि यह तकनीक पैर के कैंसर के मरीजों के लिए एक वरदान है क्योंकि पहले पैर के कैंसर होने की स्थिति में डॉक्टर मरीज की जान बचाने के लिए पैर काट दिया करते थे, लेकिन इस तकनीक की मदद से मरीज को अपंग होने से बचाया जा सकता है। यह सर्जरी एशियन अस्पताल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी डायरेक्टर डॉ. प्रवीन कुमार बंसल और सीनीयर कंस्लटेंट और एचओडी एनेस्थीसिया एवं ओटी डॉ. दिवेश अरोड़ा की निगरानी में की गई। 
जीवा आयुर्वेद के नए क्लीनिक को मिलाकर दिल्ली में कुल 12 क्लीनिक

जीवा आयुर्वेद के नए क्लीनिक को मिलाकर दिल्ली में कुल 12 क्लीनिक


नई दिल्ली, 30  मार्च, 2018: प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य और जीवा आयुर्वेद के निदेशक डॉ. प्रताप चौहान ने आसानी से विश्वनीय आयुर्वेदिक उपचार और औषधियां उपलब्ध कराने के लिए आज शालीमार बाग में एक नया क्लीनिक शुरू किया। इसके शुभारंभ के अवसर पर डॉ. प्रताप चौहान ने क्लीनिक में मरीजों को व्यक्तिगत परामर्श प्रदान किया।

जीवा आयुर्वेद अभी 15 लाख लोगों तक पहुंचता है और इसके आगामी क्लीनिकों के शुरू होने से अब जल्द ही 20 लाख लोगों तक इसके पहुंचने की उम्मीद है। नए क्लीनिक का उद्देश्य शालीमार बाग, अशोक नगर और इसके आसपास के क्षेत्र के लोगों को आयुर्वेदिक चिकित्सा की सुविधाएं उपलब्ध कराना है। जीवा आयुर्वेद के पहले से ही रोहिणी और पीतमपुरा में क्लीनिक हैं। नया क्लीनिक जीवा आयुर्वेद के मौजूदा उत्तर दिल्ली के क्लीनिकों की सेवाओं में भी योगदान करेगा।

इसके शुभारंभ के अवसर पर जीवा आयुर्वेद के निदेशक डॉ. प्रताप चौहान ने कहा, ‘‘आयुर्वेद सार्वभौमिक है। दुनिया भर के सभी मनुष्य एक समान हैं और आयुर्वेद राष्ट्रीयता या जाति से परे बहुत कम कीमत पर किसी भी व्यक्ति को ठीक कर सकती है। आयुर्वेद ‘सर्वे भवंतु निरामया’ की फि लास्फ ी में विश्वास करता है और इसे ध्यान में रखते हुए जीवा आयुर्वेद टेली कंसल्टेशन, टेलीविजन कार्यक्रमों और हमारे क्लीनिक नेटवर्क के माध्यम से पूरे भारत में लाखों लोगों तक पहुंचता है। हम न केवल मरीजों का इलाज कर रहे हैं बल्कि ज्ञान का प्रसार भी कर रहे हैं, जिससे लोग रोग से बच सकते हैं और बीमारियों से दूर रह सकते हैं।’’

वर्षों से जीवा आयुर्वेद अपने प्राचीन सिद्धांतों को कायम रखते हुए आयुर्वेद को तकनीकी नवाचारों के साथ सशक्त बनाता रहा है। जीवा का आयुनीक इन्हीं नवाचारों में से एक है। आयुनीक जीवा आयुर्वेद द्वारा पेश किया गया एक विशिष्ट दृष्टिकोण है जो आयुर्वेदिक डॉक्टरों को रोगियों में प्रभावी ढंग से रोग का पता लगाने और उपचार करने में सशक्त करता है। यह पारंपरिक आयुर्वेद, आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान और निष्कर्षों का सबसे अच्छा मिश्रण है। तकनीकी ज्ञान का सहजता से इस्तेमाल करते हुए, आयुनीक संपूर्ण व्यक्तिगत उपचार और देखभाल प्रदान करता है।

शालीमार बाग के नए क्लिनिक में दो चिकित्सक कक्ष होंगे। इस तरह एक ही छत के नीचे, रोगी व्यक्तिगत उपचार, दवाइयां और जीवा आयुर्वेद के विभिन्न वेलनेस उत्पादों को प्राप्त कर सकेंगे। ये सेवाएं सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक उपलब्ध होंगी और यह क्लीनिक सप्ताह के सभी सातों दिन खुला रहेगा। मरीजों की संख्या के आधार पर और जरूरत के अनुसार, जीवा आयुर्वेद इलाज करने वाले और इलाज के बजाय किसी अन्य कार्य में शामिल कर्मचारियों की संख्या को बढ़ाएगा।



Sunday 25 March 2018

हरियाणा के सीएम ने एशियन अस्पताल की कैंसर मोबाइल वैन का उद्घाटन किया

हरियाणा के सीएम ने एशियन अस्पताल की कैंसर मोबाइल वैन का उद्घाटन किया

फरीदाबाद  25 मार्च 2018। फरीदाबाद सेक्टर-21ए स्थित एशियन अस्पताल ने कैंसर मरीजों की जांच के लिए तैयार कैंसर मोबाइल वैन का उद्घाटन हरियाणा के माननीय मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर जी के करकमलों द्वारा किया गया। इस दौरान एशियन अस्पताल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डाॅ. एन.के पांडे उनकी अर्धांगिनी श्रीमति पद्मा पांडे, डाॅ. अनिल जैन राज्यसभा सांसद, उद्योग मंत्री विपुल गोयल, विधायक सीमा त्रिखा, महापौर सुमन बाला, पुलिस कमिशनर अमिताभ ढ़िल्लो, नगर निगम कमिशनर मोहम्मद शाइन, एशियन अस्पताल की ओर से डाॅ. प्रशांत पांडे, श्री अनुपम पांडे, नेहा पांडे, डाॅ. स्मृति पांडे, डाॅ. रमेश चांदना, डाॅ. हिलाल अहमद, डाॅ. रोहित नैय्यर,, डाॅ. पी.एस आहुजा, डाॅ. प्रवीन कुमार बंसल, डाॅ. सुब्रत अखौरी, डाॅ. रितेश शर्मा, डाॅ. अनीता कांत, डाॅ. अरविंद गुप्ता, डाॅ. दिवेश अरोड़ा डाॅ डी.के. केसर, डाॅ. नीतू सिंघल, डाॅ. उमा रानी शैलेश झां आदि अस्पताल के सभी सदस्य मौजूद रहे।

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिससे भारत में हर छह में से एक व्यक्ति जूझ रहा है। यह भयावह बीमारी परिवार को मानसिक व आर्थिक रूप से त्रस्त कर देती है, क्योंकि जब तक इस बीमारी का पता चलता है तब तक इसका इलाज असंभव हो जाता है। स्तन व बच्चेदानी में होने वाला कैंसर हमारे देश में महिलाओं में आमतौर पर होने वाला कैंसर है, वहीं पुरूषों में फेफड़े, मुंह, व गले का कैंसर ज्यादा पाया जाता है कारण गुटखा, बीडी व तंबाकू का सेवन है।

इन बीमारियों का समय रहते पता चल जाए तो इलाज संभव है किंतु लोगों में शर्म व तरह-तरह की भ्रांतियों के कारण लोग शुरूआती जांच के लिए अस्पताल नहीं जाते और यही कारण है कि कैंसर तीसरी व चैथी स्टेज पर पहंुचकर इलाज को असंभव बना देता है। 

इस अवसर पर एशियन अस्पताल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डाॅ. एन.के पांडे ने कहा क़ि एशियन अस्पताल ने कैसर मरीजों के इलाज को आसान बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों से लैस एक कैंसर मोबाइल वैन तैयार की हैं। एशियन द्वारा बनाई गई इस कैंसर वैन का मकसद गांव व अन्य पिछड़े इलाकों में घर-घर जाकर कैंसर की जांच करना है और यह जांच निःशुल्क की जाएगी।  इस मोबाइल वैन में पूरे शरीर का एक्स-रे, मेमोग्राफी, ब्लड एवं स्टूल टेस्ट तथा पैपस्मीयर करने की सुविधा मौजूद हैैै। इस वैन में लगे आधुनिक उपकरण शरीर में पनप रहे कैंसर का शुरूआती स्टेज में पता लगाकर लोगों को बीमारी के बारे में जागरूक एवं कैंसर डिटेक्शन में मदद करेगी। इस वैन में महिला डाॅक्टर, तकनीशियन और रेडियोलाॅजिस्ट मौजूद रहेंगे, जो लोगों को कैंसर के प्रति जागरूक करेंगे। 

यह वैन हरियाणा खासकर फरीदाबाद और राजस्थान के गांवों में जाकर कैंसर की शुरूआती जांच करेगी। हमें खुशी है कि हम देश में तेजी से फैल रही इस भयावह बीमारी की रोकथाम में एक महत्वपूर्ण कदम ले रहे हैं।

Sunday 18 March 2018

सर्वश्रेष्ठ किडनी स्टोन्स होम्योपैथिक उपचार

सर्वश्रेष्ठ किडनी स्टोन्स होम्योपैथिक उपचार

फरीदाबाद 19 मार्च।  होम्योपैथिक किडनी स्टोन उपचार प्रोटोकॉल में क्लासिकली होम्योपैथिक चिकित्सा चयन का प्रयोग किया जाता है जिसमें कुछ स्वाभाविक रूप से माइक्रो-मिनरल आधारित होमियोपैथिक मदर टिंचर होते हैं, जो कि सबसे हठ रीनल रॉक स्टोन को तोड़ने के लिए भी उपयोग किया जाता है।

गुर्दा की पथरी को तोड़ने के लिए, होम्योपैथी प्रकृति की शक्ति का इस्तेमाल करती है। विभिन्न होम्योपैथिक मदर टिंचर जैसे फ़िलेंथस निरूरी, सिकोरीयम इंटीबुस, बोहेराविया डिफुसा, बरबेरीस वुल्गारिस आदि हैं।

होम्योपैथिक दवा जो कि होम्योपैथिक उपचार में गुर्दे की पथरी के लिए उपयोग की जाती है नीचे वर्णित है -
1. Lycopodium
2. Tabaccum
3. Urticaurens
4. Sarsaparilla
5. Cantharis
गुर्दे की पथरी तोड़ने के लिए लक्षणों के अनुसार इन होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग कर सकते हैं। होम्योपैथी उपचार विशुद्ध रूप से प्राकृतिक है और बिना साइड इफेक्ट है।
उपरोक्त औषधि का उपयोग मदर टिंचर के साथ किया जा सकता है साथ में बहुत सारे पानी का सेवन किया जा सकता है।
 1.      Berberis vul
 2.      Phyllanthus niruri
 3.      Cichorium Intybus
 4.      Boerhavia diffusa
 5.      Berginea linguilata
इन सभी 5 होम्योपैथिक टिंचर गुर्दे की पथरी के लिए बहुत प्रभावी दवाइयां हैं। हालांकि विभिन्न कंपनियों के कई होम्योपैथिक दवाइयां हैं, लेकिन मैं अपने रोगियों में इन उपायों का उपयोग कर रहा हूं और उन्हें बहुत सफल पाया।

गुर्दे की पथरी के लिए जोखिम कारक क्या हैं?
• प्रोटीन, कैल्शियम या ऑक्सलेट में समृद्ध आहार
• कम पानी का सेवन
यूटीआई के प्रारंभिक इतिहास - प्राकृतिक पथ संक्रमण
• मोटापा
गुर्दे के पत्थरों का पारिवारिक इतिहास
• सिस्टिनुरिया

गुर्दा पत्थर क्या हैं?
गुर्दा की पथरी छोटे, कठोर द्रव्यमान हैं जो गुर्दे के भीतर बनाई जाती हैं।

गुर्दा पत्थरों के लक्षण क्या हैं?
गुर्दे की पथरी पर कोई लक्षण नहीं होते हैं। दूसरी बार, वे मूत्र और / या तरफ या पीठ में गंभीर दर्द का कारण बनते हैं। जब गुर्दा की पथरी बड़ी होती है या एक से अधिक होती है, तो वे मूत्र के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकते हैं।

गुर्दे की पथरी के प्रकार -

मुख्य रूप से 4 प्रकार की गुर्दा की पथरी होती है
 कैल्शियम स्टोन्स: जो लोग इस प्रकार के पत्थर के रूप में बनाते हैं उनके मुंह में कैल्शियम, ऑक्सलेट, या पेशाब में बहुत ज्यादा या साइट्रेट पर्याप्त नहीं है। आहार में नमक की उच्च मात्रा में खपत मूत्र में कैल्शियम के उच्च स्तर की ओर जाता है। कुछ रोगियों में पैराथामोन की अधिक मात्रा में गुर्दे की पथरी होगी, जो कैल्शियम नियंत्रित हार्मोन है। लोग मिथक के साथ हमारे पास आते हैं कि दूध पीना गुर्दे के पत्थरों का कारण हो सकता है जो गलत है। दूध पीने से डॉ। अभिषेक के अनुसार गुर्दे की पथरी नहीं होती है। हालांकि कम पानी पीने से गुर्दे की पथरी का वास्तविक कारण होता है।

स्ट्रावेट स्टोन्स: क्रोनिक जीवाणु मूत्र संक्रमण आमतौर पर इन पत्थरों का कारण बनता है। बैक्टीरियल मूत्र संक्रमण मूत्र के परिणाम के रासायनिक परिवर्तन की ओर जाता है, स्ट्रल्वइट प्रकार के गुर्दे के पत्थर के रूप में। कठोरता के कारण इन पत्थरों को तोड़ना मुश्किल है होम्योपैथिक उपचार जैसे कैंटेरिस और बरबेरीस वूल ऐसे किडनी पत्थरों को तोड़ने के लिए प्रभावी हैं
यूरिक एसिड स्टोन्स: इस तरह के पत्थर के रूप तब होते हैं जब मूत्र बहुत अम्लीय होता है, जिससे अत्यधिक यूरिक एसिड उत्पादन होता है। उच्च प्रोटीन आहार से बचें, पानी की बहुत सारी रोज़ का सेवन करें

सिस्टीन स्टोन्स: ये उन व्यक्तियों में पाए जाते हैं जिनके पास सिस्टीन पत्थर का पारिवारिक इतिहास है शरीर रक्त से सिस्टीन के रसायन को साफ करने में सक्षम नहीं है।


किडनी स्टोन्स शरीर को कैसे छोड़ देते हैं?

कई मामलों में, एक व्यक्ति मूत्र के माध्यम से पत्थर को पारित करेगा यह एक दर्दनाक प्रक्रिया हो सकती है, और इसमें कुछ दिन लग सकते हैं।

आप गुर्दा की पथरी कैसे रोक सकते हैं?

अधिक तरल पदार्थों का सेवन करें: बहुत सारे पानी पीने से प्रति दिन 10-12 ग्लास तरल की सिफारिश की जाती है। पानी और तरल पदार्थ की अधिक मात्रा में मूत्र पतला रखने में मदद मिलती है - जिससे मूत्र में खनिजों के पत्थर बनाने की एकाग्रता कम हो जाती है।

नमक की मात्रा को कम करें जो आपको खाती है: आहार में नमक (सोडियम) को कम करने से मूत्र में कैल्शियम की मात्रा कम हो जाती है जिससे कैल्शियम पत्थर के गठन की प्रवृत्ति कम हो जाती है। डॉ। अभिषेक आहार में कम नमक का सुझाव देते हैं और साथ ही नमकीन नमकीन, प्रसंस्कृत मीट, कैन्ड नूडल्स, चावल, और सूप्स जैसे उच्च सोडियम खाद्य पदार्थों से बचने से बचते हैं।

आहार कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा में समृद्ध होना चाहिए: अन्य मिथक कैल्शियम को कैल्शियम किडनी पत्थरों से पीड़ित रोगियों के आहार में प्रतिबंधित होना चाहिए।


किडनी स्टोन में निम्नलिखित खाद्य से बचें

• Anchovies
• एस्परैगस
• बोउलोन
• जामुन
• बोउलोन
• शोरबा
• चॉकलेट
• कैवियार
• हिलसा
• मूंगफली
• एक प्रकार का फल
• ग्रीन्स
• अंग मांस, यकृत, गुर्दे, दिमाग
• मांस
• स्कैलप्प्स
• चाय
• शंबुक

रेनाल पत्थर के लिए निदान परीक्षण
अल्ट्रासाउंड
• एक्सरे क्यूब
• अंतःशिरा पीललोग्राम
• कुब के सीटी स्कैन - मूत्रमार्ग मूत्राशय

आरा होम्योपैथिक उपचार के लिए गुर्दा की पथरी में हर्बल होम्योपैथिक उपचार और माँ टिंचर के संयोजन का उपयोग किया जाता है जो कि सबसे जिद्दी गुर्दा की पत्थरों को तोड़ने के लिए उपयोग किया जाता है।

कोई भी होम्योपैथी चिकित्सा का उपयोग गुर्दा की पथरी तोड़ सकता है। होम्योपैथिक उपचार किसी भी दुष्प्रभाव के बिना विशुद्ध रूप से प्राकृतिक है।

Friday 16 March 2018

एशियन ने खोला झारखंड के धनबाद में अस्पताल

एशियन ने खोला झारखंड के धनबाद में अस्पताल

झारखंड : 16 मार्च 2018। धनबाद स्थित एशियन द्वार का दास जालान सुपर स्पेश्यालिटी अस्पताल का उद्घाटन झारखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास जी के करकमलों द्वारा किया गया। इस दौरान एशियन अस्पताल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डाॅ. एन.के पांडे उनकी अर्धांगिनी श्रीमति पद्मा पांडे, डाॅ. प्रशांत पांडे, श्री अनुपम पांडे, डाॅ. पी.एस आहुजा,डाॅ. रमेश चांदना, डाॅ. हिलाल अहमद, डाॅ.मृणाल शर्मा, डाॅ. रोहित नैय्यर, डाॅ. सुब्रत अखौरी, शैलेश झां, एशियन द्वारकादास जालान सुपरस्पेश्यालिटी अस्पताल के ट्रस्टी बी.पी. डालमिया चेयरमैन, राजीव शर्मा सेक्रेटरी जीवन रेखा ट्रस्ट, केशव हरोड़िया और संजीव अग्रवाल आदि अस्पताल के अन्य सदस्य भी मौजूद रहे।

एशियन द्वारकादास जालान सुपरस्पेश्यालिटी अस्पताल इस दौर का ऐसा आधुनिक अस्पताल है जहां एक ही छत के नीचे विभिन्न प्रकार के रोगों का इलाज संभव है। इनमें कार्डियोलाॅजी, आॅर्थोपेडिक्स, न्यूरोसर्जरी, यूरोलाॅजी, गैस्ट्रोइंट्रोलाॅजी, प्रसूति एवं स्त्री रोग, बाल रोग, सामान्य रोग, एडवांस सर्जरी, कान, नाक व गला, दंत चिकित्सा, ब्लड बैंक, क्रिटीकल केयर यूनिट आॅपरेशन थियेटर्स, इमेजिंग, रेडियोलाॅजी, पैथोलाॅजी और 24घंटे आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध हैं और यहां जल्दी ही पूर्णतः कैंसर सुविधाओं की भी शुरूआत की जाएगी। इसके साथ ही तैयार किए गए अस्पताल को 150 बैड से बढ़ाकर एक नई इमारत का निर्माण कर उसे 300 बैड का किया जाएगा। 

इस अवसर पर डाॅ. पांडे ने कहा कि धनबाद में अस्पताल बनाना मेरे लिए घर वापसी जैसा है। मैं बिहार के छपरा का रहने वाला हूं और धनबाद में मैने हाई स्कूल की पढ़ाई की है। दिल्ली में अस्पताल बनाने के बाद मेरा सपना था कि मैं अपने मूल स्थान पर लोगांे को दिल्ली के मुकाबले की स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करूं और मुझे खुशी है कि मुझे ऐसा करने का मौका मिला।

किसी भी अस्पताल की रीढ़ की हड्डी वहां के डाॅक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ होता है। हमारी कोशिश है कि हम धनबाद में जल्द ही पैरामेडिकल कोर्सिज़ की शुरूआत करें, जिससे 12वीं के बाद बच्चे दो साल का डिप्लोमा कर लैब टेक्नीशियन, ओटी टेक्नीशियन, रेडियोलाॅजी टेक्नीशियन, डायलिसिस टेक्नीशियन, डेंटल टेक्नीशियन व अन्य टेक्नीकल कोर्स करके अच्छी नौकरी प्राप्त कर सकते हैं। 

डाॅ. पांडे ने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि इस अस्पताल से हम तकरीबन 1500 लोगों को रोजगार की सुविधा प्रदान करेंगे। मेरा सपना है कि हम यहां एक नर्सिंग काॅलेज की भी शुरूआत करें, जिससे हम धनबाद में एक संपूर्ण स्वास्थ्य कंेद्र तैयार कर सकें। अभी तक लोगों को गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए रांची, जमशेदपुर व कोलकाता जाना पड़ता था, लेकिन अब उन्हें कहीं और जाने की जरूरत नहीं पडे़गी। यह अस्पताल 100 से 150 किलोमीटर के दायरे में संपूर्ण स्वास्थ्य चिकित्साएं मुहैया कराएगा। 

उन्होंने यह भी कहा कि हमारा लक्ष्य केवल यहीं तक नहीं है हमारी कोशिश है कि हम झारखंड की राजधानी रांची में 400 से 500 बेड का सुपरस्पेश्यालिटी अस्पताल लेकर आएं। वहां भी हम सभी तरीके के पैरामेडिकल कोर्सिज़ व नर्सिंग काॅलेज की शुरूआत करेंगे।

Sunday 11 March 2018

एनएमसी बिल के विरोध में डाक्टरों और मेडिकल छात्रों ने निकाली साईकिल रैली

एनएमसी बिल के विरोध में डाक्टरों और मेडिकल छात्रों ने निकाली साईकिल रैली


फरीदाबाद : 11 मार्च । फरीदाबाद ईएसआई मेडिकल कालेज से आईएमए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के द्वारा एनएमसी बिल के विरोध में साइकिल रैली निकली गई। इस साइकिल रैली में शहर के सैंकड़ों डॉक्टर और मेडिकल छात्र शामिल हुए।डा. पुनीता हसीजा, प्रधान आईएमए। 

 यह रैली मेडिकल कालेज से बीके चौक  होते हुए नीलम चौक तक निकाली, शहर में साइकिल रैली के माध्यम से एनएमसी यानी कि नेशनल मेडिकल कमीशन बिल का विरोध किया गया और इस बिल के संबंध में जनता को भी जागरूक किया। डॉक्टरों ने दवा किया कि एनएमसी बिल आने से डॉक्टर और जनता का होगा बहुत बड़ा नुकसान होगा। यह रैली फरीदबााद में ही नहीं देश की 1722 ब्रांचों पर भी निकाली जा रही है। डाक्टरों ने बताया कि आईएमए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रधान रवि 25 मार्च को  एनएमसी यानी कि नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में दिल्ली में महापंचायत करेंगे।

 पिछले लंबे अर्से से निजी अस्पताल और उनमें काम करने वाले डाक्टर एनएमसी यानी कि नेशनल मेडिकल कमीशन बिल का पूरे देश में विरोध कर रहे है, इसी कडी में आज फरीदाबाद में आईएमए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के द्वारा एनएमसी बिल के विरोध में साइकिल रैली निकली गई। रैली में सैंकडों डाक्टर हाथें में तख्ती पोस्टर लेकर एन एम सी बिल का विरोध करते हुए सडकों पर उतरे और लोगो को इस बिल के विरोध में जागरूक किया। जागरूकता साईकिल रैली को ईएसआई मेडिकल कालेज से निकला गया जिसने पूरे शहर में एनएमसी बिल का विरोध किया। 

फरीदाबाद आईएमए के पूर्व प्रधान सुरेश अरोडा ने बताया कि उन्होंने आज साईकिल रैली के माध्यम से पूरे शहर को एनएमसी बिल के लिये जागरूक किया है क्योंकि एनएमसी बिल पास होने से न केवल डाक्टरों के पेशे को भारी नुक्सान होगा बल्कि पूरे देश की जनता को भी बहुत बडा नुक्सान झेलना पडेगा। इसलिये आज साइकिल रैली में डाक्टर ही नहीं बल्कि मेडिकल छात्र भी शामिल हुए हैं क्योंकि डाक्टरी क्षेत्र में आने वाले भविष्य मेडिकल छात्र हैं जिन्हें बहुत बडा नुक्सान होगा, इसलिये पूरे देश की 1722 ब्रांचों से यह रैली निकाली जा रही है जो कि 25 मार्च को दिल्ली पहुंचेगी और वहां आईएमए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रधान रवि 25 मार्च को  एनएमसी यानी कि नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में  महापंचायत करेंगे।


 डा. सुरेश अरोडा, आईएमए पूर्व प्रधान फरीदाबाद।


Saturday 10 March 2018

सर्वोदय हॉस्पिटल देगा अब कैंसर को मुंहतोड़ जवाब

सर्वोदय हॉस्पिटल देगा अब कैंसर को मुंहतोड़ जवाब

फरीदाबाद 10  मार्च।  सर्वोदय अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर अपने नाम को सार्थक करते हुए मेडिकल अनुसंधान और रिसर्च के लिए कार्य करता रहता है जिसका वर्तमान उदाहरण 10 -11  मार्च को ब्रैस्ट कैंसर फाउंडेशन-  इंडिया की वार्षिक कांफ्रेंस की मेजबानी करना था | ज्ञात हो कि सर्वोदय अस्पताल में कैंसर के लिए विश्वस्तरीय तकनीकी सुविधा के साथ शहर की सबसे अनुभवी कैंसर विज्ञान की टीम है जो डॉ. सुमंत गुप्ता के दिशानिर्देश पर कार्य कर रही है 
इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए ब्रैस्ट कैंसर फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया की कार्यकारिणी कमेटी ने इस वर्ष की वार्षिक कांफ्रेंस सर्वोदय हॉस्पिटल के साथ होना निर्धारित किया था | 

सर्वोदय अस्पताल के वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. सुमंत गुप्ता ने बताया  कि कांफ्रेंस में भारत के प्रसिद्ध स्तन कैंसर विशेषज्ञों के साथ हमारी कैंसर विशेषज्ञों की टीम ने "स्तन कैंसर के प्रारंभिक निदान और उपचार" विषय और इसके लिए नई रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया | डॉ. गुप्ता ने आगे जोड़ते हुए बताया कि इस कांफ्रेंस में 800 से अधिक दुनिया भर से आये कैंसर विशेषज्ञों ने शिरकत की | 

जिसमें 6 पदमश्री और 2 पदमभूषण डॉक्टरों ने भी अपनी उपस्थति दर्ज कराई | सर्वोदय अस्पताल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवम् वत्सल ने हुए बताया कि भारत में स्तन कैंसर शहर में सबसे अधिक और गांव में दूसरा सबसे ज़्यादा होने वाले कैंसरों में से एक है और स्तन कैंसर पर विशेषकर भारत में चर्चा करना सराहा नहीं जाता है और आखिरी दशक से ब्रैस्ट कैंसर के मरीजों में बहुत तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है क्यूंकि इंडियन मेडिकल काउंसिल और रिसर्च के अनुसार वर्ष 2016 में डेढ़ लाख नए कैंसर के मरीज पाये गए | डॉ. वत्सल ने आगे जोड़ते हुए बताया कि इस दो दिवसीय कांफ्रेंस में पहला दिन ब्रैस्ट कैंसर के कारण, निदान और उपचार विषय पर गंभीर चर्चा के नाम रहा जिसमें कांफ्रेंस को 5 सत्रों में बाँटा गया था जिसके माध्यम से इस जानलेवा बीमारी को विस्तार से समझा और रोका जा सके इसमें साथ ही कैंसर विज्ञान में आयी नई तकनीक, रेडिएशन थेरपि, 

हार्मोन थेरेपि और कैंसर  क्षेत्र में आयी नई दवाइयों पर भी चर्चा हुई | इस सम्मेलन का आयोजन स्तन कैंसर के खिलाफ लड़ाई को उच्च स्तर तक ले जाने और शहर को एकजुट करने के लिए  किया गया था ताकि स्तन कैंसर पर सार्वजनिक रूप से चर्चा करने की चुप्पी और शर्म को तोड़ा जा सकें। कांफ्रेंस का समापन 11 मार्च को मानव रचना एजुकेशनल इंस्टीटूशन्स  के सहयोग से, मानव रचना एजुकेशनल इंस्टीटूशन्स के प्रांगण में  "द पिंक रिबन ऑर्ट फेस्टिवल" का आयोजन करके किया जाएगा जिसमे एक पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया
जाएगा - जहां कला का उपयोग स्तन कैंसर के बारे में बातचीत शुरू करने के एक माध्यम के रूप में किया जाएगा। जहाँ एक साथ दिल्ली - एन० सी० आर० के लगभग 1500 लोग ब्रैस्ट कैंसर जागरूकता और नारी सशक्तिकरण के लिए चित्रकारी करेंगे  और ब्रैस्ट कैंसर और उससे जुडी सभी जानकारियों को प्राप्त करेंगे इसका मुख्य उद्देश्य समाज में इस कैंसर के प्रति सजगता विकसित हो सके |


सर्वोदय अस्पताल के चेयरमैन डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया कि सर्वोदय  अस्पताल एक स्वस्थ समाज बनाने के लिए प्रतिबद्ध है जिसमें महिलाओं को केंद्र में रखकर समय- समय पर सर्वोदय अस्पताल महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाये रखने के लिए कार्य करता रहता है इसी दिशा में सर्वोदय अस्पताल पूरे मार्च माह में महिलाओं के स्तन कैंसर की जाँच के लिए मात्र 1 रूपये में मेमोग्राफी की सुविधा दे रहा है | हमें पूरा भरोसा है कि सर्वोदय अस्पताल की यह कोशिश महिलाओं की झिझक को ख़त्म करके उन्हें स्तन कैंसर की जाँच के लिए प्रोत्साहित करेगी | जिससे स्तन कैंसर का समय रहते पता लगाया जा सके और इसका उपयुक्त ईलाज करवाया जा सके |

Friday 9 March 2018

 एशियन अस्पताल में किडनी रोगियों को किया लोट-पोट

एशियन अस्पताल में किडनी रोगियों को किया लोट-पोट

फरीदाबाद 9 मार्च।  एशियन अस्पताल में हो रहे विश्व किडनी दिवस और महिला दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस मौके पर आर.जे रौनक (बउआ 93.5 RED FM) ने अस्पताल में शिरकत की। अस्पताल के डायरेक्टर पद्मश्री डॉ. एन.के पांडे श्रीमति पदमा पांडे, श्री अनुपम पांडे, नेहा पांडे, डॉ. प्रशांत पांडे, डाॅ. पी.एस आहुजा, डाॅ. रितेश शर्मा और डाॅ.बी.के उपध्याय ने दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस मौके पर अस्पताल द्वारा अस्पताल में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए फ्री वाई-फाई सुविधा का भी अनावरण किया गया।

कार्यक्रम का मंच संचालन करते हुए बउआ ने किडनी रोग से जूझ रहे लोगों और किडनी रोग को मात देकर जिंदगी में आगे बढने वाले लोगों को खुशहाल जीवन जीने का संदेश दिया और उन्हें अपनी लक्ष्य को सफलतापूर्वक हांसिल करने के लिए प्रोत्साहित किया। किडनी दिवस के अवसर पर एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अस्पताल ने लोगों को कार्यक्रम के माध्यम से जागरुक किया। 

रौनक ने किडनी रोगियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि एशियन अस्पताल में आकर मुझे बहुत अच्छा लगा। किडनी हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है, लेकिन इसके खराब होने या  इसमें किसी प्रकार की कमी आ जाने का यह मतलब नहीं होता कि हमारी जिंदगी यहीं खत्म हो गई है। डायलासिस एक माध्यम है जिससे जिंदगी को जिया जा सकता है। आज मै यहां आया हँू आप लोगों के बीच आकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। किडनी रोग से जूझ रहे लोग और किडनी रोग को मात देकर जिंदगी में आगे बढने वाले लोग खुशहाल जीवन जी सकते हैं। यहां आकर मुझे कई ऐसे उदाहरण भी जानने को मिले जिनसे मुझे प्रेरणा मिलती है। साथ ही उन्होंने अपनी हास्यस्पद बातों से लोगों का दिल बहलाया।

इस मौके पर एशियन अस्पताल के गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. रितेश शर्मा और डॉ बी.के उपाध्याय ने लोगों को किडनी रोग से लडने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि सही खानपान और नियमित डॉक्टरी जांच के द्वारा ही किडनी रोग से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि किडनी रोग से डरने की नहीं बल्कि उसे लडने की जरूरत है। मरीज डायलासिस कराते हुए और किडनी ट्रांसप्लांट के बाद भी एक आम व्यक्ति की तरह जीवन व्यतीत कर सकता है। नेफ्रालोजिस्ट डॉ.बी.के उपाध्याय का कहना है कि किडनी रोगियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और इस पर नियंत्रण रखने के लिए मरीजों का फॉलोअप होना जरूरी होता है।

इस कार्यक्रम के दौरान किडनी रोग से पीड़ित रोगियों और किडनी ट्रांसप्लांट करा चुके लोगों ने भी लघु नाटिका, डांस और भंगड़ा आदि के माध्यम से ये बताया कि किस प्रकार खुश रहकर किसी भी प्रकार की बीमारी को मात दी जा सकती है। इस मौके पर किडनी रोगी फरहाना,, वींरांगना, रूपाली, चंद्रकांता, संजय और संजीव आदि ने अपने अनुभव सांझा किए। दो बार किड़नी ट्रांसप्लांट करा चुकी डाॅ. मिनाक्षी ने कहा कि पॉजीटिव एटीट्यूड के साथ ही सफलता हांसिल की जा सकती है। किडनी रोगियों और कार्यशाला के सदस्यों ने गाना गाया और डांस भी किया। कार्यक्रम के दौरान डाॅ. रिषी गुप्ता, डाॅ. सिम्म्ी मनोचा, डाॅ. विकास अग्रवाल, डाॅ. मानव मनचंदा, डाॅ. उमेश कोहली, डाॅ. मृणाल शर्मा, डॉ. जया, डॉ. पंकज आदि अस्पताल के सभी सदस्य मौजूद रहे।

Sunday 4 March 2018

सिविल हस्पताल की बंद पड़ी लिफ्ट में लगी आग - एमरजेंसी वार्ड से मरीजों को बाहर निकाला

सिविल हस्पताल की बंद पड़ी लिफ्ट में लगी आग - एमरजेंसी वार्ड से मरीजों को बाहर निकाला

फरीदाबाद : 4 मार्च । फरीदाबाद के सिविल हस्पताल में आज दोपहर अचानक तीसरी मंजिल पर तेज धुँआ निकलने लगा जांच करने के बाद पता चला की यह आग बंद पड़ी पुरानी लिफ्ट में शॉट  सर्किट की वजह से लगी है आनन - फानन में दमकल विभाग को सूचना दी गयी मौके और पहुंची दमकल की गाडी ने आग पर काबू पाने की कोशिश शुरू कर दी. लेकिन धुँआ तीसरी मंजिल से नीचे ग्राउंड फ्लोर पर एमरजेंसी में फ़ैल गया. जिसके चलते एमरजेंसी में दाखिल मरीजों को वहां से बाहर निकाला गया. हस्प्ताल के डाक्टर ने बताया की यह आग पुरानी लिफ्ट में शॉट  सर्किट के कारण लगी है जिसका धुँआ एमरजेंसी तक पहुंच गया था इसलिए मरीजों को बाहर निकाला गया. उन्होंने बताया की स्तिथि काबू में है. 

वहीँ बाहर निकाले गए मरीज के एक परिजन ने बताया की एमरजेंसी में धुँआ भर गया था जिसके चलते मरीजों को बाहर निकाला गया है.

वहीँ आग पर काबू करने में जुटे दमकल कर्मचारी ने बताया की आग पर काबू पाया जा चुका  है और फिलहाल बिल्डिंग में धुँआ भरा हुआ है. 

शॉट  सर्किट से लगी आग पर दमकल कर्मचारियों के अनुसार काबू पा लिया गया है लेकिन यह हादसा बड़ा रूप भी ले सकता था फिलहाल यह जांच का विषय है की बंद पड़ी लिफ्ट में आखिरकार शॉट  सर्किट से आग क्यों लगी ???

Thursday 22 February 2018

सिविल हॉस्पिटल में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने किया कैथ लैब का शुभारम्भ

सिविल हॉस्पिटल में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने किया कैथ लैब का शुभारम्भ

फरीदाबाद  22 फरवरी, : फरीदाबाद पहुचे स्वस्थ एवं खेल मंत्री अनिल विज ने आज  जिला सिविल हॉस्पिटल में नवनिर्मित कैथलैब और डायलेसिस सेंटर का रिबन काटकर शुभारंभ किया। अब इस कैथ लैब के शुरू हो जाने से हृदय रोगियों को प्राइवेट हॉस्पिटल की तर्ज पर सस्ता इलाज उपलब्ध हो पायेगा। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा की यह हमारे पायलेट प्रोजेक्ट है और जल्दी ही गुरुग्राम ओर पंचकूला में भी कैथलैब का होगा शुभारंभ किया जाएगा। उन्होंने कहा की स्वास्थ्य के क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर हरियाणा देश का पहला राज्य बन चुका  है. इस मौके पर केबिनेट मंत्री विपुल गोयल ओर स्थानीय विधायक भी मौजूद रहे ।

 हृदय रोगियों को स्वास्थ्यमंत्री अनिल विज ने सौगात देते हुए जिला सरकारी हस्पताल में कैथलैब और डायलेसिस सेंटर का रिबन काटकर शुभारम्भ किया। उन्होंने दीप  प्रज्वलित कर इसे स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम बताते हुए कहा की  स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर हरियाणा देश का पहला राज्य बन चुका है. इस मौके पर केबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने उन्हें बूके देकर उनका स्वागत किया। पत्रकारों से बातचीत करते हुए स्वाथ्य मंत्री ने कहा की आज कैथलैब का फरीदाबाद में शुभारम्भ किया गया है और जल्दी ही गुरुग्राम ओर पंचकूला में भी कैथलैब का होगा शुभारंभ किया जाएगा। उन्होंने बताया की  जहाँ प्राइवेट हॉस्पिटलों में डेढ़ से दो लाख के खर्चे पर स्टंट डाला जाता है वह स्टंट यहाँ मात्र 46 हजार रूपये में डाला जाएगा। हालांकि बीपीएल कार्ड धारको को यह स्टंट बिलकुल मुफ्त डाला जाएगा। उन्होंने हरियाणा में इसे क्रांतिकारी कदम बताया।  

अनिल विज - स्वास्थ्य मंत्री 

वीओ : प्रदेश में डाक्टरों की कमी के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा की वैसे तो पूरे देश में डाक्टरों की कमी है लेकिन हरियाणा सरकार ने हाल ही में 554 डाक्टरों की नियुक्तियां की है जिसमे से करीब 350 डॉक्टर्स डियूटी ज्वाइन  कर चुके है. बाकी डॉक्टर्स भी जल्दी ही अपनी डियूटियाँ ज्वाइन कर लेंगे इससे बड़ी राहत मिलेगी। इसके अलावा हमने फैसला किया है की हरियाणा के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस करके डाक्टर बनने वालो को दो साल के लिए हरियाणा में अपनी सेवाएं देनी होंगी। जिसके चलते हमे 800 सरप्लस डॉक्टर्स मिल जाएंगे और डाक्टरों की कमी पूरी तरह से खत्म हो जायेगी।  

अनिल विज - स्वास्थ्य मंत्री     

Tuesday 20 February 2018

22 फरवरी को हृदय रोगियों के लिए कैथलैब का शुभाआरम्भ स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज करेंगे

22 फरवरी को हृदय रोगियों के लिए कैथलैब का शुभाआरम्भ स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज करेंगे

फरीदाबाद 20 फरवरी । फरीदाबाद के सिविल हस्पताल में आगामी 22 फरवरी को हृदय रोगियों के लिए कैथलैब का शुभाआरम्भ स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज करेंगे। जिसके लिए हस्पताल प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है. इस बात की जानकारी  जिला सिविल सर्जन डाक्टर गुलशन अरोड़ा ने आज एक प्रेसवार्ता के ज़रिए दी. इस कैथलैब में हृदय से संबंधित तमाम रोगों का इलाज अब संभव हो पायेगा। सिविल सर्जन के अनुसार सरकारी हस्पताल में हृदय रोगियों को मात्र 48 हजार में स्टंट डाला जा सकेगा। हृदय रोगियों का कहना था की इस सुविधा के बाद अब लगता है की अच्छे दिन आ गए है।  गौरतलब है की प्रदेश में पंचकुला ओर अम्बाला के बाद अब फरीदाबाद में भी हृदय रोगियों का इलाज किया जाएगा और इससे पलवल ओर मेवात के मरीजों को भी लाभ मिलेगा ।

फरीदाबाद के सरकारी हस्पताल के सिविल सर्जन ने प्रेस को जानकारी देते हुए बताया की परसो 22 फ़रवरी को हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज अम्बाला और पंचकुला के बाद प्रदेश की तीसरी कैथलैब का शुभारम्भ करेंगे जिसके लिए तमाम तैयारियां पूरी कर  ली गयी है।  उन्होंने बताया की इस सुविधा से सिर्फ फरीदाबाद के हृदय रोगियों को ही लाभ नहीं होगा बल्कि पलवल और मेवात जिले के हृदय रोगियों को भी  लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया की सरकारी हस्पताल में हृदय रोगियों को मात्र 48 हजार  रूपये में स्टंट डाला जाएगा जबकि प्राइवेट में हॉस्पिटल में मरीज का डेढ़ से दो लाख खर्च आता है।   उन्होंने बताया की इस सुविधा के लिए हार्ट स्पेशलिस्ट दो डाक्टर मौजूद रहेंगे। 

 गुलशन अरोड़ा - सिविल सर्जन  

वीओ : दिखाई दे रहा यह नज़ारा कैथ लैब का है जहाँ सिविल सर्जन कैथलैब के बारे में  पत्रकारों को जानकारी दे रहे है और कैथ लैब की सुविधाएं दिखा रहे है। कैथ लैब के शुभारम्भ होने से पहले ही कई हृदय रोगी यहाँ दाखिल हो चुके है. यहाँ दाखिल एक हृदय रोगी ने  बताया  की दस साल पहले उन्होंने लाखो रूपये खर्च करके प्राइवेट हॉस्पिटल से स्टंट डलवाया था लेकिन अब दुबारा परेशानी होने पर वह सरकारी हस्पताल में दाखिल हुए है और यहाँ अब वही स्टंट उन्हें 48 हजार में डाला जाएगा। उन्होंने सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा की लगता है  अब  अच्छे दिन आ गए है. 

 मुकेश वर्मा -  हृदय रोगी    

Sunday 18 February 2018

खाद्य एलर्जी के लिए सर्वश्रेष्ठ होमियोपैथी औषधि

खाद्य एलर्जी के लिए सर्वश्रेष्ठ होमियोपैथी औषधि

फरीदाबाद 19 फरवरी ।  इस लेख में हम खाद्य एलर्जी के कारण, लक्षण और होम्योपैथिक उपचार को संबोधित करेंगे। भोजन की प्रतिक्रिया के प्रकार के बीच का अंतर महत्वपूर्ण है जब वे तीव्रता और विभिन्न उपचार की डिग्री दिखाते हैं।

क) खाद्य एलर्जी: यह एक या अधिक प्रकार के भोजन के एक या एक से अधिक प्रोटीन के प्रति प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया है। खाद्य एलर्जी, कुछ मामलों में, गंभीर एनाफिलेक्सिस को जन्म दे सकती है

बी) गैर एलर्जी प्रतिक्रियाओं: प्रतिक्रियाओं है कि प्रतिरक्षा प्रणाली के सक्रियण के कारण नहीं हैं; उनमें से हम लैक्टोज असहिष्णुता, गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स, पेट दर्द, भोजन की जहर, आदि का उल्लेख कर सकते हैं।

खाने से एलर्जी
खाद्य एलर्जी लगभग 8% बच्चों और 3% वयस्कों को प्रभावित करती है। खाद्य एलर्जी एक मजबूत आनुवंशिक घटक है और 70% रोगियों के पास सकारात्मक पारिवारिक इतिहास है। शास्त्रीय भोजन एलर्जी आईजीई बुलाया एक एंटीबॉडी की कार्रवाई के कारण होता है हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को किसी भी विदेशी पदार्थ से लड़ने के लिए क्रमादेशित किया जाता है जो हमारे शरीर पर हमला करता है, तथापि, कुछ सहिष्णुता होती हैं जब ये पदार्थ जठरांत्र प्रणाली से गुजरते हैं। एक व्यक्ति जो कुछ खाद्य पदार्थों से एलर्जी है, उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली कुछ प्रोटीन पर प्रतिक्रिया करती है, क्योंकि यह एक खतरनाक हमलावर है। भोजन एलर्जी के साथ एक रोगी में आमतौर पर अन्य प्रकार की एलर्जी होती है, जैसे कि राइनाइटिस, अस्थमा, त्वचा एलर्जी, आदि, क्योंकि समस्या आईजीई के उत्पादन में है, जो अपर्याप्त लक्ष्य को निर्देशित करता है, अर्थात हमारे शरीर के लिए प्रोटीन हानिकारक नहीं है। एक्जिमा से 1/3 से अधिक बच्चों को भी कुछ खाद्य पदार्थों से एलर्जी है।

उदाहरण के लिए, शेलफिश के लिए एक रोगी एलर्जी वास्तव में इन खाद्य पदार्थों में उपस्थित एक या अधिक प्रोटीन से एलर्जी है। इसलिए, चिंराट के लिए एलर्जी रोगी अन्य क्रस्टेशियंस बर्दाश्त नहीं कर सकता, क्योंकि प्रोटीन बहुत समान हैं। उसी तर्क के बाद, मूँगफली के एलर्जी वाले रोगी सोया, मटर या सेम के घूस पर प्रतिक्रिया कर सकते हैं। जब रोगी को प्रोटीन हाइपर एलर्जी हो तो पाचन ट्रैक में आते हैं, आईजीई एंटीबॉडी भड़काऊ प्रतिक्रिया पैदा करती है, गलती से सोच रही है कि यह प्रोटीन शरीर के लिए हानिकारक है।

जब आईजीई एंटीबॉडी प्रोटीन से जुड़े होते हैं, तो वे अन्य कोशिकाओं को सक्रिय करते हैं, जैसे मस्तूल कोशिकाएं (फेफड़े, गले, त्वचा, नाक और आंतों में बड़ी मात्रा में मौजूद हैं) और बोडोफिल जो रक्त में फैलते हैं। ये कोशिकाएं हिस्टामाइन जैसे रसायनों का उत्पादन करती हैं, जो कि आक्रमणकारी एजेंट के विनाश के लिए जिम्मेदार हैं, अंत में, अंत में एलर्जी के विशिष्ट लक्षण पैदा करने के लिए खाद्य एलर्जी का तंत्र समान है, उदाहरण के लिए, एलर्जी रिनिटिस के मुताबिक
कुछ प्रोटीन की शरीर की प्रतिक्रिया अधिक होती है, और इससे बासोफिल और मस्तूल कोशिकाओं द्वारा रसायनों को छोड़ना और एलर्जी की प्रतिक्रिया अधिक होती है। कुछ मामलों में, प्रतिक्रिया इतनी असभ्य है कि यह रोगी के जीवन को खतरे में डालती है, एनाफिलेक्सिस नामक एक शर्त।

खाद्य एलर्जी की लम्बाई भोजन के घूस के कुछ घंटों के बाद एक भोजन एलर्जी के लक्षण दिखाई देते हैं, हालांकि, यह 4 से 6 घंटे तक लग सकता है। चूंकि फेफड़े, गले, त्वचा, नाक और आंतों में बड़ी संख्या में मास्ट कोशिकाएं होती हैं, एलर्जी के लक्षण आमतौर पर इन अंगों से जुड़े होते हैं।

खाद्य एलर्जी का सबसे आम लक्षण अर्चिसिया, खुजली और लाल (खुजली) सजीले टुकड़े हैं जो आमतौर पर ट्रंक पर स्थित होते हैं। एक अन्य आम लेकिन अधिक खतरनाक लक्षण एंजियोएडेमा है, जो श्लेष्म झिल्ली की सूजन होती है जो आमतौर पर होंठों की सुई के साथ प्रकट होता है। जब एंजियोडियोमा गंभीर हो जाता है, जीभ की सूजन और गले के श्लेष्म झिल्ली हो सकता है, जिससे फेफड़ों में वायु प्रवाह की रुकावट हो सकती है। रोगी हवा की रुकावट के कारण श्वास बंद कर सकता है। अन्य एलर्जी लक्षणों में राइनाइटिस, नेत्रश्लेष्मलाशोथ, अस्थमा, दस्त, पेट में दर्द और उल्टी शामिल होते हैं। यदि बेसोफिल और मस्तूल कोशिकाओं का एक विशाल सक्रियण है, तो प्रतिक्रिया इतनी मजबूत हो सकती है कि इससे अत्यधिक वासोडिलेशन का कारण बनता है, जिससे रोगी को धमनीय सदमे के रूप में जाना जाता है, जिसके कारण परिसंचारी शॉक की स्थिति होती है।

ओरल एलर्जी सिंड्रोम
ओरल एलर्जी सिंड्रोम, जिसे पराग-खाद्य एलर्जी सिंड्रोम भी कहा जाता है, एलर्जी सिंड्रोम के रूप में भी जाना जाता है, जो एलर्जी रेजिटाइटिस से लगभग आधे रोगियों को पराग को प्रभावित करता है। ये रोगी कच्चे फलों और सब्जियों को एलर्जी की एक तस्वीर पेश करते हैं जो उनको खाए जाने के तुरंत बाद प्रकट होते हैं। सबसे आम भोजन केले, तरबूज, तरबूज, सेब, आड़ू, बेर, गाजर, ककड़ी, कद्दू, हेज़लनट, अजवाइन, अन्य के बीच में हैं।

शारीरिक व्यायाम के बाद खाद्य एलर्जी
एक प्रकार की एलर्जी है जो स्वयं को प्रकट करती है अगर मरीज कुछ खाद्य पदार्थ खाने से 4 घंटे तक कुछ शारीरिक गतिविधि का अभ्यास करता है। इस प्रकार की एलर्जी के साथ रोगी चिंराट खा सकता है और कुछ भी नहीं महसूस कर सकता है, लेकिन अगर वह खाती है और कुछ प्रकार के व्यायाम का अभ्यास कर रहा है, तो उसे एनाफिलेक्टिक प्रतिक्रिया भी भुगतनी पड़ सकती है।

खाद्य एलर्जी की विषाक्तता  निदान में नैदानिक ​​इतिहास शामिल है, जहां प्रतिक्रियाओं से पहले खाए गए खाद्य पदार्थों और लक्षणों के प्रकट होने के लिए समय बीतने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

त्वचा परीक्षण मदद कर सकता है इन में, एलर्जी चिकित्सक उन रोगियों के प्रति प्रतिक्रियाओं की तलाश में रोगी के प्रकोष्ठ में कई प्रकार के प्रोटीन का इस्तेमाल करता है। परिणाम में केवल 15 मिनट लगते हैं परीक्षण का मुख्य मूल्य तब होता है जब यह ऋणात्मक होता है, जो कि प्रोटीन को त्यागने के लिए कार्य करता है जो किसी भी प्रतिक्रिया का कारण नहीं था। सकारात्मक परीक्षण यह निश्चित नहीं है कि रोगी इस प्रोटीन से एलर्जी है

कुछ मामलों में एनाफिलेक्टेक्टीक प्रतिक्रिया के उच्च जोखिम के साथ, चिकित्सक अधित्याग के जोखिम के कारण इस परीक्षण को नहीं चुन सकते।

यह अब संभव है कि खून में विशिष्ट आईजीई के खुराक को यह पता चले कि मरीज को एलर्जी कैसे विकसित होता है।

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स्ट्रासबोर्ग यूनिवर्सिटी में मुख्य शोधार्थियों से डॉ0 चौहान की मुलाकात फ़्रांस ,स्पेन व पौलेन्ड के सांइटिस्टों ने दिखाई आयुर्वेद में रुचि

स्ट्रासबोर्ग यूनिवर्सिटी में मुख्य शोधार्थियों से डॉ0 चौहान की मुलाकात फ़्रांस ,स्पेन व पौलेन्ड के सांइटिस्टों ने दिखाई आयुर्वेद में रुचि

फरीदाबाद 18 फरवरी । जीवा आयुर्वेद के डायरेक्टर डॉ0 प्रताप चौहान पौलेन्ड व स्पेन में दो सप्ताह के आयुर्वेदिक व्याख्यान यात्रा से लौट आए हैं।

अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने एलीकेन्ट, स्पेन में प्रमुख साइंटिस्टों डॉ0 मार्को पाया, डॉ0 जैक्स ििनयर, मॉरिस फि लीपन, फ्र ांसिस्को कॉल और जीन पियरे से मुलाकात की। बातचीत के दौरान उन्होंने सहमति जताई कि जीवनशैली से सम्बन्धित रोगों जैसे डायबिटिज, ऑबेसिटि, हाई ब्लड़ प्रेशर और तनाव में आयुर्वेद के साथ रिसर्च प्रोजेक्ट पर कार्य करेंगे।

मीटींग में इस बात पर जोर दिया गया कि रोगों से बचने व इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेद व यूरोप में नियमान प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग करना चाहिए। यूरोप में इंटिग्रेटिव ट्रीटमेंट सेन्टर खोलने के लिए भी आपसी सहमति बनी। जीवा आयुर्वेद इस प्रकार का एक सेन्टर इसी वर्ष फरीदाबाद में खोलने जा रहा है। फ्र ांस की स्ट्रासबोर्ग यूनिवर्सिटी के सांइन्टिस्टों के साथ भी डॉ0 चौहान ने मुलाकात की जिसके साथ वह आयुर्वेदिक औषधियों का महत्व दर्शाने के लिए कार्य कर रहे हैं। इन मीटिंग्स के अतिरिक्त, डॉ0 चौहान ने पौलेन्ड के दो शहर वॉरसॉ व व्रोक्लॉ में आयुर्वेदिक कोर्स भी पढ़ाया।

Friday 16 February 2018

जीवा आयुर्वेद में क्षारसूत्र चिकित्सा पर डॉक्टर्स की सीएमई का आयोजन

जीवा आयुर्वेद में क्षारसूत्र चिकित्सा पर डॉक्टर्स की सीएमई का आयोजन

फरीदाबाद 16 फरवरी । श्रेष्ठ आयुर्वेदिक उपचार व औषधि उपलब्ध कराने में निरन्तर अग्रणी जीवा आयुर्वेद ने 16 फ रवरी को जीवा मेडिकल रिसर्च सेन्टर पर इसकी वार्षिक सीएमई में क्षारसूत्र चिकित्सा परिचर्चा का आयोजन किया। जीवा आयुर्वेद द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्ेश्य जीवा डॉक्टर्स व प्राइवेट प्रैक्टिशनर्स को इस विधि की जानकारी प्रदान करना था।

फ रीदाबाद में कार्यरत 25 से अधिक डॉक्टर्स ने सीएमई में हिस्सा लिया जिनके लिए क्षारसूत्र चिकित्सा विधि की विशेषता को समझना व अपने ज्ञान में वृ़ि़द्ध करने का एक अनोखा अवसर था। जीवा आयुर्वेद के डायरेक्टर डॉ प्रताप चौहान ने, वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ0 सपना भार्गव के साथ, इस चिकित्सा के प्रभाव और फ ायदे के बारे में जानकारी दी। डॉ0 चौहान ने जीवा आयुर्वेद की अन्य उपलब्धियों व डॉक्टर्स के लिए सहभागिता के अवसरों के बारे में चर्चा की। 

गुदा मार्ग संबंधी परेशानियों जैसे पाइल्स, फि शर व फि स्टुला के लिए क्षारसूत्र थैरपी एक प्रभावी, सुरक्षित व कम खर्चीली चिकित्सा पद्धति है। इस विधि में मिनिमल सर्जरी व नहीं के बराबर हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत होती है।

अन्य उपचार प्रणालियों की तुलना में, क्षारसूत्र के उपरान्त रोग के दुबारा उत्पन्न होने की संभावना काफ ी कम होती है। इस चिकित्सा के परिणाम दर्शाते हैं कि एनो-रेक्टल रोगों की एडवांस स्टेज मेें भी यह रोगियों को काफ ी आराम पहुँचाती है।

क्षारसूत्र थैरेपी की अधिक जानकारी के लिए कृपया इस लिंक पर विजिट करें: 

Wednesday 14 February 2018

भुवनेश ढींगडा की आठवी पुण्य तिथि संकल्प दिवस के रुप में मनाई

भुवनेश ढींगडा की आठवी पुण्य तिथि संकल्प दिवस के रुप में मनाई

फरीदाबाद 14 फरवरी । समाजसेवी भाई भुवनेश कुमार ढींगडा की आठवी पुण्य तिथि आज संकल्प दिवस के रुप में मनाई गई। इस मौके पर एक विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया जिसमें 151 युवाओं नेे रक्त दान किया तथा सैकडों युवाओं का रजिस्ट्रैशन किया गया ताकि जरुरत पडने उन युवाओं को रक्त दान के लिए बुलाया जा सके। भाई मित्र मंडल तथा भाई भुवनेश कुमार ढींगडा फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस समारोह में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए प्रदेश के कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने कहा कि आज यहां पर उपस्थित लोगों का हजूम यह दर्शाता है कि भाई ढींगडा का पूरा जीवन किस प्रकार से जनता को समर्पित था। उनके अनुसार आज उनकी याद में जिस प्रकार से युवा रक्तदान का संकल्प ले रहे हैं उसने उनकी पुण्य तिथि को संकल्प दिवस के रुप में मनाना सार्थक कर दिया है। विपुल गोयल ने इस मौके पर रक्तदान करने वाले युवाओं का हौंसला भी बढाया तथा आयोजित प्रभु भजन व भंडारे में भी हिस्सा लिया।



उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कैबिनेट मंत्री ने कहा कि यह भी एक अनौखा उदाहरण है कि एक भाई अपने दूसरे भाई की स्मृति में जिस प्रकार से लगातार पिछले आठ सालों से यह आयोजन कर रहा है, इसके लिए उन्होंने कार्यक्रम के आयोजक पूर्व पार्षद योगेश कुमार ढींगडा को बधाई भी दीे। इस मौके पर भाई भुवनेश कुमार ढींगडा को श्रंदाजली देने पहुंचे प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री चौधरी महेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा आज जिस प्रकार से युवा वर्ग भुवनेश मे अपनी आस्था प्रकट करता है वह इस बात का प्रमाण है कि भुवनेश ने हमेशा समाज के लिए जीवन जीया था और योगेश ढींगढा उनका सही अनुसरण कर रहा है। उन्होंने लोगों को रक्तदान के महत्व को भी बताया कहा कहा कि आज रक्त दान करने व संकल्प लेने वाले दोनों की ही यह भुवनेश को सच्ची श्रंदाजली है।



इस मौके पर भुवनेश कुमार ढींगडा को अपनी श्रंदाजली देते हुए फरीदाबाद की माहापौर सुमन बाला ने कहा कि भाई भुवनेश ढींगडा मैमोरियल पार्क में जिस प्रकार से पूरा शहर एकत्रित होकर भाई को याद करता है वह इस बात का प्रमाण है कि भाई का जीवन हर वर्ग के लिए एक प्ररेणा है जो कि दूसरों की सेवा की शिक्षा देता है।उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से यहां पर प्रभु भजन व भंडारे का आयोजन किया गया है उससे निश्चित तौर पर समाज में भक्तिभाव का संदेश जाएगा। इस मौके पर विधानसभा सदस्य ललित नागर तथा नगेन्द्र भडाना ने लोगों को भुवनेश के साथ विताए अपने दिनों की यादों को सांझा करते हुए कहा कि आज भी वह जब काम करते हैं तो उनको भुवनेश की कही बातें याद आती हैं। यही नहीं उन्होंने कहा कि जब वह यहां पर भुवनेश को श्रंदाजली देने आते हैं तो यहां पर उनके व अपने पुराने साथियों के चेहरेां में उनको भुवनेश दिखाई देता है। समारोह को सम्बोधित करते हुए हरियाणा सरकार में चैयरमेन धनेश अदलक्खा ने कहा कि उनको भाई भुवनेश ढींगडा की कमी आठ साल वाद भी खलती है, असल में भुवनेश ढींगडा एक ऐसी सख्सियत है जो कि अपने कामों से हमेशा के लिए अमर हो गए हैं।



इस मौके पर निगम पार्षद मनेाज नासवा,पार्षद पति कबिन्द्र चौधरी, निगम के पूर्व वरिष्ठ उपमहापौर मुकेश शर्मा, उपमहापौर राजेन्द्र भांमला, बसंत विरमानी, बनारसी दास गुप्ता ट्रस्ट के चैयरमेन अजय गुप्ता, होटल डिलाईट के मालिक बंटी भाटिया, प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष नरेन्द्र गुप्ता, कांग्रेसी नेता मोहम्म्द बिलाल, सत्यवीर डागर, डाक्टर धर्मदेवआर्य, विकास चौधरी, सुमित गौड, गुलशन बगगा, बार एशोशिएसन के प्रधान संजीव चौधरी, आप नेता धर्मवीर भडाना, रोहतास पहलवान, समाजसेवी प्रमोद गुप्ता, डीएवी शताब्दी कालेज के प्राचार्य सतीस आहुजा, वासदेव सलूजा,सुधा रस्तोगी डेंटल कालेज के चैयरमेन धर्मवीर गुप्ता, उद्योगपति एच आर बत्तरा, बी आर भाटिया, भाटिया सेवक समाज के प्रधान सरदार मोहन सिंह भाटिया, सैनिक कालोनी के चैयरमेन राकेश धुन्ना, निदेशक महावीर, पूनम आहुजा, देवेन्द्र आहुजा, सेवा समिति नम्बर एक के प्रधान अजय नौनिहाल, शक्ति सेवा दल के प्रधान मोहन लाल अरोडा, आई एम ए की अध्यक्षा डाक्टर पुनिता हसीजा, फरीदाबाद दवा विक्रेता संघ के प्रधान श्रीचंद मंगला, महासचिव चंद्र प्रकाश, चैयरमेन महेन्द्र लूथरा,प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष राधा नरुला फ्रैंडर्स वेलफेयर एशोशिएसन के प्रधान श्री दौलत राम चढ्ढा, एच एम आर ए के प्रधान व पदाधिकारी, आल इंडिया बन्नू बिरादरी के पूर्व प्रधान सरदार बहादुर सिंह सब्बरबाल, पीर जगन्नाथ के सुपुत्र अजय नाथ, बी आर औझा के सुपुत्र राजन औझा, आर जी एस सी के प्रधान विकास वर्मा अधिवक्ता, जिला प्रधान आल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस डाक्टर सौरव शर्मा, कांग्रेसी नेता तिलक राज शर्मा, होटल राजमंदिर के चैयरमेन गुलशन भाटिया, प्रदेश महासचिव बलजीत कौशिक, मदन मुखी, चंद्र विरमानी, पूर्व पार्षद जगन डागर, जिला बन्नूवाल विरादरी के प्रधान रमेश भाटिया, भाजपा नेता कंवर बालू सिंह, जिला व्यापार प्रकोष्ठ भाजपा के अध्यक्ष राजन मुथरेजा, बन्नू बेलफेयर के प्रधान राकेश भाटिया, शिव शंकर सेवादल के चैयरमेन संजय शर्मा, ओ पी धामा, किशन ठाकुर, पी एल सहगल, आर के चुग, दीपक विरमानी, सरदार उजागर सिंह, प्रीतम सिंह भाटिया, एम एल आहुजा, भोजपुरी अवधी समाज तथा पूर्वी सेवा समिति के सदस्य,   जिला ब्राह्मण सभा के प्रधान प्रहलाद शर्मा, यशपाल जयसिंह, महावीर भडाना, श्री देव गुरु बृहस्पति सेवक ट्रस्ट के सभी सदस्य, वदे भाटिया, दीपक भाटिया, नगर निगम करनाल के मुख्य अभियंता अनिल महत्ता, डाक्टर एम पी सिंह, अनिल चुग, डाक्टरी सुभाष मनचंदा, हरीश मल्हौत्रा, सचिव प्रदेश कांगं्रस ललित भडाना, कांग्रेस सेवादल के चैयरमेन बजरंग लाल वर्मा, पूर्व विधायक के एन गुलाटी के पुत्र हरीश गुलाटी, अकाली नेता रविंद्र राणा, अजय अरोडा, निगम के पूर्व सीटीपी एस सी कुश, मोहन लाल कुकरेजा, उमेश पंडित, सुभाष बवेजा, धनश्याम, यशपाल तनेजा, हरिचंद तनेजा, पीडी मदान, अनिल हशीजा, कुंदर आहुजा, रमेश मदान, सुंदर गाबा,  सहित शहर के गणमान्य लोग, स्वयं स

Friday 9 February 2018

वेलेंटाइन दिवस पर किसिंग रोग से बचे ,जानिए क्यों ?

वेलेंटाइन दिवस पर किसिंग रोग से बचे ,जानिए क्यों ?

फरीदाबाद : 10 फ़रवरी I क्रोनिक मोनोन्यूक्लिओस जिसे मोनो के नाम से भी जाना जाता है एक तीव्र संक्रामक बीमारी है जो कि रक्त को परिसंचारी रक्त में असामान्य रूप से बड़ी संख्या में मोनोन्यूक्लियर ल्यूकोसाइट्स की उपस्थिति से होता है।
इसे 'चुंबन रोग' कहा जाता है क्योंकि यह चुंबन के माध्यम से फैल सकता है। कुछ अन्य परिस्थितियों जो संभावित रूप से मोनोन्यूक्लियोसिओसिस के संचरण की सुविधा देती हैं, एक संक्रमित व्यक्ति की सर्दी, खाँसी या छींकने का जोखिम होती है; और एक संक्रमित व्यक्ति के साथ साझा चश्मा, व्यंजन या भोजन के बर्तन के माध्यम से

क्रोनिक मोनोन्यूक्लूसिस को 'क्रोनिक थिगम सिंड्रोम' भी कहा जाता है - और इसका सबसे आम कारण एपस्टीन-बार वायरस (ईबीवी) है। इस रोग के लक्षण लक्षण बुखार, थकान और गले में गले हैं; जो आम तौर पर सीधे मौखिक संपर्क, या लार के माध्यम से प्रेषित होता है।

ईबी वायरस में 4-6 सप्ताह का ऊष्मायन अवधि है, और बच्चों के मामले में ऊष्मायन अवधि कम है। हालांकि, संक्रमित होने के कई दिनों बाद वायरस संक्रमित व्यक्ति के लार में रह सकता है। डॉ। अभिषेक कसाना एमडी की सलाह है कि लक्षण कम होने के बावजूद, लंबे समय तक निवारक उपायों को लिया जाना चाहिए।

वर्ष के अन्य मौसमों की तुलना में मोनो या चुंबन रोग की घटना अधिक वसंत ऋतु में अधिक होती है; हालांकि यह आम सर्दी या कुछ श्वसन संक्रमण के रूप में संक्रामक नहीं है। यह रोग मुख्य रूप से बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है

चुंबन बीमारी आमतौर पर बहुत गंभीर बीमारी नहीं होती है लेकिन, एपस्टाइनब्रायर वायरस उन रोगियों में गंभीर बीमारी का कारण हो सकता है जिनके प्रतिरक्षण में बिगड़ा हुआ है, विशेष रूप से रोगी जो एचआईवी या रोगी से ग्रस्त हैं जो अंग प्रत्यारोपण के बाद प्रतिरक्षा दमनकारी दवा पर हैं।

मोनोन्यूक्लियोसिस की रोकथाम के लिए कोई टीका नहीं है, और आज तक मोनो के लिए कोई विशिष्ट उपचार का उल्लेख नहीं है। डॉ। अभिषेक कसाना के अनुसार चुंबन रोग का उपचार मुख्य रूप से लक्षण है; पर्याप्त आराम के साथ, तरल पदार्थ के पर्याप्त सेवन के साथ संतुलित स्वस्थ आहार

क्रोनिक मोनोन्युल्योसिस के लक्षण

• गर्दन और बगल में सुस्ती / बढ़े लिम्फ नोड्स
• सूजन तिल्ली
• गले में गले, जो एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग के बावजूद बनी रहती हैं।
• सूजन टॉन्सिल, जो श्वास को प्रभावित कर सकती है।
• त्वचा के लाल चकत्ते
• बुखार
• थकान
• सरदर्द


कैसरिंग रोग के अनुपालन

• मेनिनजाइटिस, एन्सेफलाइटिस, गुइलेन-बैरी सिंड्रोम और तंत्रिका तंत्र की अन्य जटिलताओं।
तिल्ली का इज़ाफ़ा
• खून की कमी
• सूजन टॉन्सिल के कारण साँस लेने में कठिनाई
• हेपेटाइटिस और जंडीस जैसी लीवर की समस्याएं
• थ्रोम्बोसाइटोपेनिया
• मायोकार्डिटिस



पुरानी मोनोन्यूक्लिओसिस के लिए कोई विशेष होम्योपैथिक चिकित्सा नहीं है, होम्योपैथिक उपचार होम्योपैथिक चिकित्सक द्वारा किए गए विभिन्न उपायों के आसपास घूमता है ताकि लक्षणों को नियंत्रित करके पीड़ित रोगियों को राहत प्रदान किया जा सके।

कुछ होम्योपैथिक दवाएं ईबीवी के साथ क्रोनिक मोनोन्यूक्लियोटिक के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद हो सकती हैं, क्योंकि ये दवा प्रभावी रूप से किसी भी दुष्प्रभाव या जटिलताओं के बिना रोग का प्रबंधन कर सकती हैं।

कुछ होम्योपैथिक दवाएं, जो विशिष्ट रूप से, ईबीवी के साथ क्रोनिक मोनोन्यूक्लिओसिस संक्रमण के प्रबंधन में बेहद उपयोगी साबित हो सकती हैं:

1 कार्बो-शाका, मैगेल-एल, सैर्कोलेक्टिक एसिड, नेट्रम -लल

2 चीन

3 मैगेल-एल

4 साराकोलिक एसिड

5 एन एट्र्रम -लल





Wednesday 7 February 2018

एशियन अस्पताल के डाॅ. रोहित नैय्यर ने 42 वर्षीय महिला के पेट से निकाला 11किलो का ट्यूमर

एशियन अस्पताल के डाॅ. रोहित नैय्यर ने 42 वर्षीय महिला के पेट से निकाला 11किलो का ट्यूमर

फरीदाबाद, 7 फरवरी । बढ़ती उम्र के साथ कुछ स्वास्थ्य समस्याएं होना एक आम बात होती है। ऐसे में इन परेशानियों को नजरअंदाज कर देना कभी-कभी बड़ी बीमारी का रूप धारण कर लेता है। ऐसा ही कुछ हुआ बड़कल निवासी (बदला हुआ नाम) सलमा के साथ। सलमा को तकरीबन एक साल से पेट दर्द की समस्या थी। इसके साथ ही धीरे-धीरे पेट फूलने लगा। पहले से ही डायबिटीज और हाइपरटेंशन से पीड़ित सलमा को सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी। सलमा की इस हालत को देखते हुए उसके परिजनों ने उसका आल्ट्रासाउंड करवाया। आल्ट्रासाउंड कराने पर पता चला कि सलमा के पेट में बहुत बड़ी गांठ है। परिजन उसको लेकर एशियन अस्पताल पहंुचे। 

एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अस्पताल के कैंसर सर्जन डाॅ. रोहित नैय्यर ने सलमा का पेट सीटी स्कैन कराने की सलाह दी। पेट सीटी से बात स्पष्ट हो गई कि सलमा के पेट में बहुत बड़ी गांठ थी। डाॅक्टर ने ट्यूमर की संभावना जताते हुए परिजनों की मरीज की स्थिति के बारे में जानकारी दी और तुरंत सर्जरी कराने की सलाह दी। परिजनों की स्वीकृति मिलने पर सर्जरी की गई। डाॅ. रोहित नैय्यर, डाॅ. थान सिंह तोमर  और डाॅ. विकास जैन सहित आॅन्कोलाॅजी टीम ने सफलतापूर्वक सर्जरी की। ढ़ाई घंटे की सर्जरी के दौरान मरीज के पेट से 30 बाई 28 सेंटीमीटर की 11 किलो का ट्यूमर निकाला। इसके अलावा बीमारी को बढ़ने से रोकने के उद्देश्य से डाॅक्टरों ने मरीज की बच्चादानी और अंडकोश भी निकाला गया। ट्यूमर की जांच फ्रोजन सेक्शन (इस तकनीक के माध्यम से पता चल जाता है कि गांठ कैंसर की है या नहीं) से की गई, जिसकी रिपोर्ट आधे घंटे के भीतर आ गई।

डॉ. रोहित ने बताया कि यह सर्जरी बहुत जटिल सर्जरी थी। महिला को हाइपरटेंशन और डायबिटीज की समस्या थी और उम्रदराज होने के कारण यह समस्या निरंतर बढ़ रही थी। ट्यूमर लेफ्ट ओवरी (बाएं अंडकोश) की ओर से बढ़ रहा था और इसने लिवर को दबा दिया था। पेट को ऊपर की ओर धकेल रहा था, जिसके कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। सर्जरी के बाद अभी सलमा पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं। 

Saturday 3 February 2018

 एशियन अस्पताल द्वारा कैंसर के प्रति जागरूकता रैली का आयोजन किया गया

एशियन अस्पताल द्वारा कैंसर के प्रति जागरूकता रैली का आयोजन किया गया

 फरीदाबाद 4 फरवरी 2018। ”कैंसर को डिटेक्ट करो, खुद को प्रोटेक्ट करो” के नारे के साथ एशियन अस्पताल  द्वारा कैंसर दिवस के मौके पर एक कैंसर जागरूकता रैली का आयोजन किया गया । इस रैली में तकरीबन 300 लोगों ने भाग लिया। इस मौके पर एशियन अस्पताल के चेयरमैन एवं मेनेजिंग डायरेक्टर डाॅ. एन.के पांडे, अनुपम पांडे, डॉ. पी.एस आहुजा, डॉ. नीतू सिंघल, डॉ. रोहित नैय्यर, डाॅ. प्रवीन कुमार बंसल, और डाॅ. राहुल अरोड़ा आदि मौजूद रहे। 
एशियन अस्पताल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डाॅ. एन.के पांडे ने रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रैली में लोगों को जागरूक करने के लिए पोस्टर व बैनर के माध्यम से संदेश दिए गए। एशियन अस्पताल से अनखीर चैक होते हुए वापस एशियन अस्पताल पहंुचे।

डाॅ. पांडे ने कहा कि हमारे देश में धूम्रपान और तंD BHYबाकू के सेवन के चलते सबसे ज्यादा मुंह और गले के कैंसर के रोगी पाए जाते हैं। सिगरेट, धूम्रपान, गुटखा, खैनी पान, जर्दा व पान-मसाला आदि कुछ ऐसे कारण हैं जो व्यक्ति के हाथ में हैं। कि अगर व्यक्ति इनका सेवन बंद कर दे तो कैंसर से पूरी तरह से बचा जा सकता है।

एशियन अस्पताल के कैंसर सर्जन डाॅ. रोहित नैय्यर ने बताया कि जागरूकता के अभाव में लोग समय पर कैंसर के इलाज के लिए अस्पताल में नहीं पहंुच पाते। अधिकतर मरीज तीसरी या चैथी स्टेज में अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं। एडवांस स्टेज में इलाज होने की वजह से उस कैंसर का पूर्णतया इलाज संभव नहीं है। अतः इससे बचने केे लिए या जल्दी इलाज कराने के लिए 35 वर्ष की उम्र के बाद नियमित रूप से पूरे शरीर का चैकअप कराना चाहिए। ताकि समय रहते बीमारी का पता चल सके। 

एशियन अस्पताल के मेडिकल आन्कोलाॅजिस्ट डाॅ. प्रवीन कुमार बंसल ने बताया कि आज की व्यस्त जीवनशैली में लोग अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज करते हैं और अपने खान-पान की ओर भी ध्यान नहीं देेते। ऐसे में उन्हें स्वस्थ रहने के लिए नियमित व्यायाम करना चाहिए और बाहरी खाने व जंक फूड के सेवन से परहेज करना चाहिए। 
अगली पीढ़ी को साफ और हरित पर्यावरण वापिस करना हमारा कर्तव्य है': डॉ.हर्षवर्धन

अगली पीढ़ी को साफ और हरित पर्यावरण वापिस करना हमारा कर्तव्य है': डॉ.हर्षवर्धन

नई दिल्ली :3 फ़रवरी I केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने शिक्षक समुदाय को अपने हरित सामाजिक उत्तरदायित्व की याद दिलाई,शिक्षकों को "हरित,अच्छे कार्यों" के अभियान में सम्मिलित होने का आह्वान किया

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ.हर्षवर्धन ने शिक्षक समुदाय से "हरित, अच्छे कार्यों" के अभियान में सम्मिलित होने का आह्वान किया है, जो कि लोगों और छात्रों को विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के विषय पर संवेदनशील बनाने के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था।

उत्तर दिल्ली नगर निगम के सभी सरकारी विद्यालयों के लगभग 700 प्रधानाचार्यों को संबोधित करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि पर्यावरण वैश्विक चिंता का विषय है, जितना आज से पहले कभी नहीं था।

"सम्पूर्ण विश्व ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के खतरों से चिंतित है। दिल्ली में लोग पहले ही वायु प्रदूषण का सामना कर रहे हैं। पर्यावरण और जीवन पर उसका प्रभावहर वैश्विक मंच की कार्य सूची पर हैं, हर कोई अपेक्षा के साथ भारत की ओर देख रहा है क्योंकि उन्हें लगता है कि भारतवासियों के पास पर्यावरण की सुरक्षा डीएनए में है।

हमारे पूर्वजों ने पर्यावरण की सुरक्षा को अपनी जीवन शैली का एक हिस्सा बना दिया था। यह हमारी संस्कृति का अभिन्नअंगथा – हमारे पूर्वजों ने नदियों, वायु, पेड़ों, जंगलों और पृथ्वी की पूजा की और वे ज़मीन के साथ सामंजस्य से जीवन व्यतीत करते थे,"डॉ.हर्षवर्धन ने कहा


मंत्री महोदय ने प्रधानाचार्यों से अपने "हरित सामाजिक दायित्व" के विषय में याद कराया, जो की कॉर्पोरेट जगत के सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के समान है। पल्स पोलियो अभियान में नगर निगम विद्यालयों के  "पोलियो सैनिकों" द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होंने "हरित सैनिकों" की आवश्यकता को रेखांकित किया और हरित अच्छे कार्यों के आंदोलन को व्यापक बनाने पर और इसे जमीनी स्तर पर सफलता पूर्वक ले जाने पर बल दिया।

डॉ.हर्षवर्धन ने कहा कि हमारे लिए स्वच्छ और हरित पर्यावरण को बहाल करना असंभव नहीं है। उन्होंने कहा, "यह केवल एक तकनीकी मुद्दा नहीं है, अपितु एक नैतिक उत्तरदायित्व है जोकि अगले पीढ़ी को स्वच्छ और हरित पर्यावरण को बहाल करे और उसे वापिस लौटा दे।" इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने "हरित अच्छे कार्यों " के नाम से एक लोकोन्मुख अभियान आरम्भ किया है। उन्होंने कहा कि यह अभियान को शिक्षकों, छात्रों और अन्य स्वैच्छिक संगठनों की भागीदारी के द्वारा ही व्यापक बनाया जाए।


डॉ.हर्षवर्धन प्रधानाचार्यों को सम्बोधित करते हुए

'डॉ.हर्षवर्धन'  के नाम से एक मोबाइल एप्लिकेशन –



अभियान पर पूरे भारत में लोगों तक पहुंचने के लिए तैयार किया गया है, जिसे हाल ही में आरम्भ किया गया है।

डॉ.हर्षवर्धन ने प्रधानाध्यापकों की सभा को संबोधित करते हुए डिजिटल प्रौद्योगिकी के सीमावर्ती क्षेत्रों में शोध के लिए बजटीय आवंटन का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री जी को 2018 के आम बजट में धन आबंटित करने के लिए उनके व्यावहारिक दृष्टिकोण के लिए धन्यवाद दिया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग साइबर भौतिक सिस्टम पर एक मिशन लॉन्च करेगा जिस सेरोबोटिक्स, कृत्रिमबुद्धि, डिजिटल निर्माण, बड़े डेटा विश्लेषण, क्वांटम संचार और चीजों के इंटरनेट के क्षेत्र में उत्कृष्टता के केंद्रों की स्थापना का समर्थन हो सकेगा।, "भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दुनिया के किसी भी देश से पीछे नहीं है,"डॉ. हर्षवर्धन ने कहा।