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Friday 1 December 2023

 फोर्टिस अस्पताल फरीदाबाद में 51 साल के एक फैक्ट्री कर्मचारी के लीवर से 9 से.मी. की धातु की गोलाकार वस्तु सफलतापूर्वक निकाली गई

फोर्टिस अस्पताल फरीदाबाद में 51 साल के एक फैक्ट्री कर्मचारी के लीवर से 9 से.मी. की धातु की गोलाकार वस्तु सफलतापूर्वक निकाली गई

फरीदाबाद, 01 दिसंबर, 2023: फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल, फरीदाबाद में डॉक्टरों की एक टीम ने 51 साल के एक फैक्ट्री कर्मचारी के लीवर से 9 से.मी. की धातु की गोलाकार वस्तु सफलतापूर्वक निकाली। करीब 86 ग्राम वज़न की यह वस्तु दरअसल, उस एल्युमीनियम फोर्जिंग फैक्ट्री में लगी मशीनरी का टूटा हुआ हिस्सा था जिसमें यह मरीज़ काम करता था। यह घटना उस समय हुई जब इस हाइ-स्पीड मशीनरी में से धातु का एक हिस्सा इस कर्मचारी के दाएं फेफड़े को चीरता हुआ सीने की हड्डियों के पार उसके लीवर में जा घुसा। धातु का हिस्सा उसके लीवर की बायीं ओर घुसने से पहले उसके हृदय को भी हल्का-सा छूकर गुजरा। मरीज़ फरीदाबाद स्थित जवाहर कालोनी का रहने वाला है। 


डॉ बी डी पाठक, डायरेक्टर, जनरल सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने अत्याधुनिक लैपरोस्कोपिक तकनीक की मदद से इस इस धातु की वस्तु को निकाला। जिस तकनीक से यह सर्जरी की गई उसके चलते आसपास के अंगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा और और करीब एक घंटे से भी कम समय में इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। मरीज़ को स्वस्थ होने के बाद 7 दिनों में अस्पताल से छुट्टी मिल गई।


मरीज को काफी गंभीर हालत में अस्पताल में लाया गया था और उन्हें काफी दर्द था। उनकी छाती और पेट में सीटी स्कैन दायीं तरफ न्यूमोथोरैक्स (फेफड़े के बाहर की ओर हवा भरना) दिखायी दिया जबकि लीवर के बायीं ओर और हृदय के ठीक नीचे एक बड़ी धातु की वस्तु थी। मरीज के लीवर इस वस्तु को निकालने के लिए उन्की लैपरोस्कोपिक सर्जरी की गई। इस सर्जरी के दौरान न सिर्फ इस बाहरी वस्तु को निकाला गया बल्कि इसकी वजह से लीवर और अन्य टिश्यू को पहुंचे नुकसान के चलते उन्हें रिपेयर भी किया गया।


डॉ बी डी पाठक, डायरेक्टर, जनरल सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद ने कहा, “हमने एडवांस लैपरोस्कोपिक तकनीक की मदद से इस धातु की वस्तु को निकाला। आमतौर पर इस तरह के मामलों में पेट में बड़ा चीरा लगाया जाता है, लेकिन इस मामले में यह वस्तु फेफड़े के बायीं ओर हृदय के काफी नजदीक थी, इसलिए इस दोनों नाजुक अंगों को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने के लिए नवीनतम लैपरोस्कोपिक तकनीक का सहारा लिया गया। इस वस्तु की वजह से फेफड़े, लीवर और आसपास के कुछ अंगों को नुकसान पहुंचा था। यदि इसे समय पर नहीं निकाला जाता तो मरीज की मृत्यु हो सकती थी या वह लंबे समय तक लीवर के बेकार पड़ने और अन्य जटिलताओं से ग्रस्त हो सकता था।”


योगेंद्र नाथ अवधीया, फैसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल फरीदाबाद ने कहा, “मरीज की गंभीर हालत के मद्देनज़र यह काफी चुनौतीपूर्ण मामला था। डॉ बी डी पाठक, डॉ सैयद सादिक अली हफ्फान और डॉ विनीत एवं डॉ एविटा के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने मिनीमल एक्सेस तकनीक की मदद से मरीज का एकदम सटीक उपचार किया। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल फरीदाबाद में सटीक डायग्नासिस और उपचार के लिए अनुभवी क्लीनिशयन और एडवांस टैक्नोलॉजी उपलब्ध है, जो मरीजों के स्वास्थ्यलाभ में मददगार साबित होती है।”

Sunday 29 October 2023

वर्ल्ड स्ट्रोक डे पर मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स से ब्रेन एंड स्पाइन सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. तरुण शर्मा ने बताया कि सर्दी में बढ़ने वाले ब्रेन स्ट्रोक एवं ब्रेन हेमरेज (दिमाग की नस फटने) से कैसे बचें

वर्ल्ड स्ट्रोक डे पर मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स से ब्रेन एंड स्पाइन सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. तरुण शर्मा ने बताया कि सर्दी में बढ़ने वाले ब्रेन स्ट्रोक एवं ब्रेन हेमरेज (दिमाग की नस फटने) से कैसे बचें

 

फरीदाबाद : मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स से ब्रेन एंड स्पाइन सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. तरुण शर्मा ने बताया कि सर्दी बढ़ने पर अक्सर ब्रेन स्ट्रोक एवं ब्रेन हेमरेज (दिमाग की नस फटने) के मामले ज्यादा बढ़ जाते हैं। बुजुर्ग लोगों, मोटापा से ग्रस्त लोगों, शुगर और उच्च रक्तचाप के मरीजों को स्ट्रोक होने का ज्यादा खतरा होता है। अस्पताल के आपातकालीन विभाग में सप्ताह में 9-10 मरीज ब्रेन स्ट्रोक के एडमिट होते हैं जिनमें 80 फीसदी मरीज मस्तिष्क की धमनियों में खून के थक्के और 20 प्रतिशत मरीज ब्रेन हेमरेज (मस्तिष्क की धमनियों का फट जाना) से पीड़ित पाए जाते हैं। दरअसल मस्तिष्क में रक्त का संचार रुक जाने के कारण स्ट्रोक हो जाता है। इसके लिए दो कारण जिम्मेवार हैं- मस्तिष्क की धमनियों में क्लॉट (खून के थक्के) का जमना और धमनियों का फट जाना। व्यक्ति का एक तरफ का चेहरा टेढ़ा हो जाना, शरीर के एक तरफ के हिस्से में लकवा हो जाना, व्यक्ति को इस बीमारी के शुरूआती लक्षण जैसे कि एकाएक बोलने में दिक्कत आना, चलने में परेशानी होना और बहुत अधिक चक्कर आना आदि लक्षण दिखाई देने पर उसे तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए क्योंकि स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है। अनियमित जीवन शैली, खराब खानपान और तनाव के कारण यह समस्या कम उम्र में भी हो सकती है लेकिन आमतौर पर 50 वर्ष की उम्र के बाद देखी जाती है।
जिन लोगों को ब्लड प्रेशर, शुगर, कोलेस्ट्रॉल अधिक होने की शिकायत होती है और धूम्रपान एवं शराब का अधिक सेवन करते हैं, उनमें स्ट्रोक की सम्भावना सबसे अधिक होती है। इसका पता करने के लिए सीटी स्कैन, एमआरआई एवं दिमाग की नसों की एंजियोग्राफी आदि जांचें की जाती हैं। स्ट्रोक होने के साढ़े चार घंटे अंदर मरीज को क्लॉट घुल जाने के लिए इंजेक्शन दिया जाता है जिससे मस्तिष्क की धमनियों में रक्त संचार फिर से शुरू हो जाता है। अगर ब्रेन हेमरिज छोटा है तो दवाइयां दी जाती है और ब्लड प्रेशर नियंत्रित किया जाता है। ब्रेन हेमरिज बड़ा होने पर ऑपरेशन किया जाता है।
ब्रेन स्ट्रोक होने पर मरीज की जान बचाने के लिए पहला घंटा बहुत अहम् होता है इसलिए इसे "गोल्डन टाइम" माना जाता है। इस एक घंटे के अंदर उच्च प्रशिक्षित एवं अनुभवी न्यूरोसर्जन की देखरेख में इलाज किये जाने पर मरीज को गंभीर स्थिति में जाने से बचाया जा सकता है। देर करने से मरीज की जान को जोखिम बढ़ सकता है।
बचाव
· धूम्रपान व शराब के सेवन से बचें।
· संतुलित आहार लें।
नियमित व्यायाम करते रहें व अनावश्यक तनाव से दूर रहें।
· मोटापा न बढ़ने दें।
सर्दी के मौसम में बुजुर्ग लोग, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप रोगी सुबह-शाम सर्दी से बचाव करें और ब्लड प्रेशर, शुगर लेवल चेक करते रहें।
दोपहिया सवार, कामकाजी लोगों को अधिक सतर्क रहें-घर से बाहर निकलने के दौरान सिर को ढक कर रखें, ठीक तरीके से गर्म कपड़े पहनें
सुबह नहाने के समय ठंडे पानी को पहले शरीर पर डालना चाहिए, उसके बाद सिर पर डालें

Sunday 10 April 2022

 एकार्ड अस्पताल स्वास्थय जांच षिविर में 245 लोगों की जांच

एकार्ड अस्पताल स्वास्थय जांच षिविर में 245 लोगों की जांच

FARIDABAD :  एकार्ड सुपरस्पेषलिटी अस्पताल सैक्टर -86 फरीदाबाद द्वारा विष्व स्वास्थय दिवस के उपलक्ष्य में निषुल्क स्वास्थय जांच षिविर का आयोजन किया गया जिसमें 245 लोगों ने अपने स्वस्थय की जांच करवाई ! एकार्ड अस्पताल की ओर से दिमाग रोग विषेपज्ञ डा0 रोहित गंुप्ता हडडी रोग विषेपज्ञ डा0 युवराज कुमार हदय रोग विषेपज्ञ डा0 सिम्मी मिनोचा न्यूरोसर्जन डा0 हिमांषु अरोडा बाल रोग विषेपज्ञ डा0 प्रभात वाजपेयी सर्जरी विभाग से डा0 राजीव गर्ग वरीप्ठ महिला रोग विषेपज्ञ डा0 सबिता कुमारी डा0 दिव्या कुमार  किडनी रोग विषेपज्ञ डा0 जितेन्द्र कुमार डा0 अनीष कुमार एंव मेडिसन स्पेषलिस्ट डा0 सुरेन्द्र मीना ने मरीजों की जांच की ! 

डा0 युवराज कुमार ने बताया कि कोरोना महामारी में लगातार घर पर रहने के कारण बहुत से लोगों ने ना तो अपने षरीर की जांच करवाई और ना ही किसी प्रकार की एक्सरसाइस पर ज्यादा ध्यान दिया ! षिविर में आने वाले कुछ मरीज ऐसे भी थे कि जिनको बीमारी की षुरूवात थी जिसका समय पर इलाज होने पर बीमारी की गंभीर स्थिति से बचा जा सकता है ! उन्होने बताया कि वर्तमान में एकार्ड अस्पताल में सभी प्रकार की सर्जरी - भर्ती - डायलिसिस - लैब एंव रेडियोलौजी की सुविधाएं चालू हो चुकी हैं और जल्द ही बाकी की सभी चिकित्सा संबंधी सुविधांए भी षुरू कर दी जाएगी और आने वाले समय में भी एकार्ड अस्पताल समय-समय पर इस प्रकार के षिविर का आयोजन करता रहेगा !

Friday 12 March 2021

एफआईए एवं मैट्रो अस्पताल फरीदाबाद ने संयुक्त रूप से शुरू किया स्वास्थ्य जागरूकता अभियान

एफआईए एवं मैट्रो अस्पताल फरीदाबाद ने संयुक्त रूप से शुरू किया स्वास्थ्य जागरूकता अभियान

 

फरीदाबाद, मार्च 13  I एफआईए एवं मैट्रो अस्पताल फरीदाबाद में कार्यरत विभिन्न उद्योगों एवं कंपनियों के कर्मचारियों को स्वास्थ्य जागरूक बनाए के लिए शुरू किया"एफआईए - मैट्रो स्वास्थ्य जागरूकता अभियान"

पदम विभूषण ,पदम भूषण बीसीरॉय से सम्मानित मैट्रो अस्पताल के चेयरमैन डॉक्टर पुरषोत्तम लाल ने बताया कि" विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व के बहुत सारे देशों में आधे से ज्यादा कर्मचारी अनौपचारिक क्षेत्र के उद्योगों में कार्यरत है, और यह सब किसी स्वास्थ्य बीमा या सुविधा के अंतर्गत नहीं आते।

एक अनुमान के मुताबिक विकास शील देशों में लगभग सवा करोड़ लोग हर साल नॉन कम्युनि के बल डिसीज़ आधारित लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारियों से अपनी जान से हाथ धो बैठते है।"




फ़रीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रेसिडेंट श्री बीआर भाटिया ने इस मौके पर बताया किएक कर्मचारी औसतन अपना एक तिहाई जीवन अपने कार्य स्थल पर गुजारता है।कर्मचारियों की सेहत का किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का सीधा संबंध है।कार्य क्षेत्र पर उपस्थित विभिन्न प्रकार के जोखिम जैसे किगर्मी, शोर, धुल, रसायन, मशीन, स्ट्रेस इत्यादि बीमारियों को बढ़ाती है।कर्मचारी जोकि स्ट्रेस एवं इस परिस्तिथियों 




में कार्य के उपरांत उनके धूम्रपान करने, व्यायामना कर ने एवं अस्वस्थ भोजन कर ने की संभावना को बढ़ाते है।"

मैट्रो अस्पताल फरीदाबाद के मेडिकल डारेक्टर एवं डाइरेक्ट रइंटरवेंशनल का र्डियोलॉजिस्ट डॉनी रज जैन ने बताया कि"विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हृदय रोग, सुनन ने की क्षमता में कमी, चर्मरोग, लंग कैंसर, उच्च रक्त चाप, मधुमेह आदि बीमारियां कार्य स्थल से जुड़ी हैं ।इस कारण यह बहुत भी जरूरी है कि कर्मचारी अपनी स्वास्थ्य जीवन शैली खान पान के प्रति जागरूक रहें। इसके लिए उन्हें अपनी दिन चर्या में सैर एवं व्यायाम, धूम्र पान पर सख्त रोक,अपने वजन पर कंट्रोल,४० साल से ऊपर के लोगों को साल में एक बार ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर एवं सामान्य ख़ून की जाँच जरूर कराए ।यदि शरीर के को ई दर्द, गांठ, साँस फूलना आदि का कोई लक्षण देखें तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें, क्योंकि समय पर लीस लाह ईलाज़ पर खर्च एवं जीवन दोनों को बचाता है।"






मैट्रो अस्पताल के सीओओ एवं मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मंजिन्दर भट्टी ने बताया कि"इन्हीं तथ्यों को देखते हुए एफआईए फ़रीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन एवं मैट्रो अस्पताल फ़रीदाबाद ने फ़रीदाबाद में कार्यरत निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाने के लिए स्वास्थ्य जागरूकता अभियान की शुरुआत की है।इस अभियान के अंतर्गत फ़रीदाबाद की निजी कंपनियों के कर्मचारियों की जांच मैट्रो अस्पताल के डॉक्टरों की टीम अगले साल में करेगी।फरीदाबाद में ४०० से ज्यादा उद्योग एवं इनमें  ४० लाख कर्मचारी काम करते है ।"

 

 

 जे.सी. बोस विश्वविद्यालय द्वारा स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन

जे.सी. बोस विश्वविद्यालय द्वारा स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन

फरीदाबाद, 13 मार्च - जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा भारत विकास परिषद (बीवीपी), फरीदाबाद और रेड क्रॉस सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में आज विश्वविद्यालय परिसर में स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया है। रक्तदान शिविर सुबह 9.30 बजे शुरू हुआ, जिसका शुभारंभ एसडीएम, फरीदाबाद परमजीत चहल और कुलपति प्रो. दिनेश कुमार द्वारा किया गया। उन्होंने शिविर में भाग लेने वाले विद्यार्थियों को नियमित रक्तदान के लिए प्रोत्साहित भी किया। इस अवसर पर कुलसचिव डाॅ. एस. के. गर्ग, भारत विकास परिषद के अध्यक्ष अशोक गोयल, अन्य अधिकारी राज कुमार अग्रवाल, दिनेश गर्ग, एनएन बंसल, दिनेश गर्ग, राकेश गुप्ता, अजय अग्रवाल, जिला रैड क्राॅस के सहायक सचिव बिजेन्द्र सरौत, इशान कौशिक तथा विमल खण्डेलवाल भी उपस्थित थे। परिषद् के पदाधिकारियों ने भी स्वैच्छिक रक्तदान को लेकर विद्यार्थियों का हौसला बढ़ाया।

रक्तदान शिविर में विद्यार्थियों और कर्मचारियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। शिविर में 150 से अधिक स्वैच्छिक रक्तदाताओं ने रक्तदान किया, जिसमें छात्राओं की भागीदारी उत्साहजनक रही। प्रतिभागियों को रक्तदान के उपरांत प्रमाण पत्र भी प्रदान किये गये। शिविर का संचालन विश्वविद्यालय के यूथ रेड क्रॉस समन्वयक सुशील कुमार द्वारा किया गया।




कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने स्वैच्छिक रक्तदान शिविर के सफल आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि रक्तदान शिविर का आयोजन अपने आप में शिक्षा का हिस्सा है, जो विद्यार्थियों को ‘देने के सुख’ की अनुभूति करवाता है और दूसरों के लिए मदद करने के लिए आगे आने की शिक्षा देता है। उन्होंने कहा कि रक्तदान की समाज की एक बड़ी सेवा है। इसके द्वारा काफी संख्या में लोगों की जान बचाई जा सकती है, खासकर ऐसे लोग जोकि किसी कारणवश दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। 

कुलसचिव डाॅ. एस. के. गर्ग ने कहा कि रक्तदान के लाभकारी पहलुओं को लेकर युवाओं को शिक्षित करने और सुरक्षित रक्त संचार के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय समय-समय पर रक्तदान शिविरों का आयोजन करता है और उन्हें स्वैच्छा से रक्तदान करने के लिए प्रेरित करता है।

डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. लखविंदर सिंह, डिप्टी डीन डॉ अनुराधा पिल्लई और निदेशक युवा कल्याण डॉ प्रदीप डिमरी ने शिविर के संचालन में सहयोग देने के लिए भारत विकास परिषद और रेड क्रॉस के अधिकारियों का आभार जताया।