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Wednesday 7 August 2019

मानसून में रखें साफ-सफाई का ध्यान : डॉ. राम चंद्र सोनी

मानसून में रखें साफ-सफाई का ध्यान : डॉ. राम चंद्र सोनी

फरीदाबाद : 8 अगस्त I  बारिश का झमाझम मौसम और पकौड़ों का स्वाद मन को खुशी तो देता है, लेकिन खान-पान के प्रति बरती जाने वाली लापरवाही कई बार गंभीर रूप धारण कर लेती है। बरसात का मौसम एक ओर तो गर्मी से निजात दिलाता है, लेकिन दूसरी ओर बीमारियों को पनपने का मौका भी देता है। बरसात के दिनों में वायरल इंफेक्शन आम बात है। इस मौसम में पेट से संबंधित बीमारियों के फैलने का भय बना रहता है। डॉ. राम सोनी ने बताया कि उनके पास पीलिया के मरीज भी बाद गए है रोज़ाना 3 -4 मरीज पीलिया के आ रहे हैं

एशियन अस्पताल के एचओडी गैस्ट्रोइंटेरोलॉजी डॉ. राम चंद्र सोनी का कहना है कि मानसून में पेट दर्द की समस्या आम बात है। उल्टी-दस्त, पेट दर्द आदि की समस्या को लेकर अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इस मौसम में पेट से संबंधित बीमारियां ज्यादा होती है। इन बीमारियों के लक्षण भी कई प्रकार के होते हैं पेट में दर्द होना, उल्टी होना, बदन दर्द और कमर दर्द। डॉक्टर का कहना है कि इस मौसम में बैक्टीरिया ज्यादा प्रभावित होता है और संक्रमण फैलाता है। बाहर का खाना, तला हुुआ, बासी भोजन का सेवन करना, खुले में रखे भोजन का सेवन करने से  भी बीमारियों को फैलने का मौका मिलता है। इस प्रकार का खाना खाने के २४ घंटे के भीतर बीमारियों के लक्षण उभरने लगते हैं।

डॉ. सोनी का कहना है कि अगर हम स्वयं साफ-सफाई की ओर ज्यादा ध्यान दें तो बीमारियों से बचाव किया जा सकता है। फिल्टर्ड और उबला हुआ पानी पीना चाहिए। बासी या खुले में रखा खाना नहीं खाना चाहिए। फल व सब्जियों को धोकर खाना चाहिए। जंक फूड के सेवन से बचना चाहिए। तले व मसालेदार खाने के सेवन से बचना चाहिए। बार-बार हाथ धोने चाहिएं। संतुलित भोजन का सेवन करना चाहिए। 

डॉ. सोनी के अनुसार मानसून हेपेटाइटिस ए और ई के वायरस को प्रभावित करता है। इस बीमारी का प्रमुख कारण दूषित पानी है। खान-पान की लापरवाही लिवर को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है।  इसके लक्षणों के पाए जाने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करके जांच करानी चाहिए। ताकि समय रहते बीमारी का पता लगाकर उचित इलाज किया जा सके। इसके अलावा इस रोग से बचने के लिए साफ-सफाई की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

Friday 17 November 2017

डी पी एस बल्लबगढ़ शिक्षा शेत्र में लगातार अग्रसर : आरती अनिल लॉंवंड प्रधानाचार्य

डी पी एस बल्लबगढ़ शिक्षा शेत्र में लगातार अग्रसर : आरती अनिल लॉंवंड प्रधानाचार्य

फरीदाबाद, 18 नवम्बर।डी पी एस बल्लबगढ़ ने अपना पहला सत्र वर्ष २०१४ में शुरू किया था l क्योंकि यह शुरुआत ही थी इसलिए हमें विद्यार्थियों  और स्टाफ को “डी पी एस “ के उन मापदंडों के अनुसार ढालना था जिसके लिए “डी पी एस “ विख्यात है l 

विद्यालय के पहले ही वर्ष में यहाँ के विद्यार्थियों ने इंटर-डी पी एस प्रतियोगिताओं में अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय और राजकीय स्तर की प्रतियोगिताएं में अनेक पुरस्कार जीतकर विद्यालय के इतिहास में स्वर्णिम पन्ने जोड़ने में सफलता प्राप्त की l 

विद्यालय को बहुत ही सक्षम और मज़बूत मैनेजमेंट का सहयोग होने से विद्यालय को निरंतर नई ऊँचाइयाँ छूने में सहायता मिली l श्री एस पी लाल , प्रो वाईस चेयरमैन, जो कि एक जाने माने दूरदर्शी और एक अनुभवी शिक्षाविद हैं, ने विद्यालय को अपने विज़न द्वारा  प्रगति के पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है l 

“पीस एजुकेशन” द्वारा हमारा एक सतत प्रयास है कि हम अपने विद्यार्थियों को “एजुकेशन फॉर लाइफ “ प्रदान कर पायें क्योंकि यही समय की मांग है l इसके लिए हम विद्यार्थियों को “ब्रेन स्टोर्मिंग” सेशंस के द्वारा यह प्रयास करते हैं कि विद्यार्थियों की ऊर्जा उनके उन्नत और स्वर्णिम भविष्य का मार्ग प्रशस्त करे l    इसके अलावा हम विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करने की दिशा में उन्हें एक आदर्श व्यक्तित्व बनाने की ओर प्रेरित करने के लिए उन्हें वार्तालाप , चाल ढाल, मुस्कुराना, पढाई करना, आपस में मिल बाँट कर रहना, अपने अलावा औरों के सुख दुःख के बारे में सोचना , दान, उदार विचारधारा आदि के गुणों को समाहित करते हुए एक आदर्श व्यक्ति बनने की दिशा में बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं l

डी पी एस यह भी प्रयास करता है कि विद्यार्थियों में एक आदर्श मानव के गुण समाहित हों जिनमें प्रमुख हैं सत्य , अहिंसा, प्रेम, ईमानदारी , कर्तव्यपरायण और समय की प्रतिबद्धताl हमारा प्रयास है कि हमारे विद्यार्थी उल्लसित जीवन व्यतीत करें, उनकी स्वस्थ जीवन शैली हो और उनमें रचनात्मक प्रतियोगी भावना का संचार हो l हमारा मानना है कि इन गुणों के समाहित होने से हमारे विद्यार्थी एक शांति और भाई चारे के माहौल में आगे बढ़ेंगे और उनके अन्दर से हिंसा की प्रवृत्ति को समाप्त करने में सफलता मिलेगी l 

एक सशक्त मार्गदर्शन द्वारा हमारे लिए यह संभव हो पा रहा है कि हम इन सभी गुणों को सही तरीके से अवलोकन कर पायें और विभिन्न माध्यमों द्वारा अपने विद्यार्थियों, अभिभावकों और समाज तक अपना सन्देश समुचित प्रकार से पहुंचाने में सक्षम हैं l 

हम भाग्यशाली हैं कि हमारी टीम में  अनुभवी और प्रगतिशील सोच वाले अध्यापक शामिल हैं जो अपने अपने विषय से सम्बंधित आवश्यक ज्ञान से समर्थ हैं जिससे विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, निडरता और निश्चय करने की क्षमता के साथ जीवन को एक सौहार्द के नज़रिए से समझने की योग्यता पैदा की जा सके l 

हमारे विद्यार्थी अच्छे फुटबॉल खिलाडी, रैपर, नर्तक, परिपक्व वक्ता, अपनी बुद्धिमता का प्रमाण देते हुए रोबोटिक्स में कार्य करने वाले, अबेकस, वैदिक गणित, ओलिम्पियाड में सक्षम, शांति रैली में स्वयंसेवक की भूमिका में और अन्य सामाजिक कार्यों में आगे बढ़कर अपने हुनर का प्रदर्शन करते हुए ग्लोबल एजुकेशन के मापदंडों पर भी खरे साबित होते हैं l 

हमारे विद्यार्थियों को हम अपनी शुभकामनायें प्रेषित करते हैं :
• प्रतिदिन सीखने का प्रयास करें और कभी भी “सीख” को ना टालें 
• सुखद क्षणों का सम्पूर्ण आनंद लें 
• स्वयंम में बहु-आयामी, टास्किंग और स्थायित्व के प्रति विवधता जागृत करें  
• अपने व्यव्हार को स्वाभाविक बनाये 
• अपने विकास के लिए महत्वाकांक्षी बनें 
• अपने विकास के लिए स्वयं ही सीमायें निश्चित ना करें क्योंकि आपका व्यक्तित्व असीमित है 
• अपनी कुशलताओं और सकारात्मक सोच के द्वारा आप निश्चित रूप से  इस संसार में अपार सफलता को पाने में सक्षम होंगे

Thursday 16 November 2017

संभव है मिर्गी का इलाज: डॉ. कदम नागपाल

संभव है मिर्गी का इलाज: डॉ. कदम नागपाल

 फरीदाबाद 16 नवम्बर । एशियन अस्पताल के न्यूरो फिजिशियन डॉ. कदम नागपाल ने बताया कि मिर्गी शरीर का एक ऐसा विकार है जो मस्तिष्क में असामान्य तरंगे पैदा करता है। इन तरंगों के कारण झटके आते हैं और दौरे पड़ते हैं। कई ऐसी दवाएं है मौजूद हैं, जिसके जरिए 75 प्रतिशत मिर्गी को कंट्रोल किया जा सकता है। कुछ मामले ऐसे होते हैं जिन्हें रिफ्लेक्ट्री एपिलेप्सी का नाम दिया जा है इसे एपिलेप्सी सर्जरी से कंट्रोल किया जा सकता है। डॉ. कदम का कहना है कि सबसे पहले लोगों को मिर्गी के बारे में जागरुक रहना चाहिए। किसी भी व्यक्ति में मिर्गी के लक्षण नज़र आने पर तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर के निर्देशानुसार दवाओं का सेवन करते रहना चाहिए और नियमित रूप से जांच कराते रहना चाहिए। खासकर ऐसी महिलाएं जो गर्भधारण करने योज्य हैं या फिर गर्भवती हैं और वे मिर्गी की शिकार हैं उन्हें निरंतर डॉक्टर से जांच कराते रहना चाहिए ताकि उनकी और उनके गर्भ में पल रहे बच्चे को किसी भी प्रकार की गंभीर समस्या होने से बचाया जा सका। 

लक्षण: कमजोरी, शरीर का अनियंत्रित होना, चेहरे मांस-पेशियों में खिंचाव होना, शरीर में जकडऩ, आंखों का चढऩा, बेहोशी या झटके आना मिर्गी के लक्षण हैं। इसमें मरीज का शरीर पर संतुलन नहीं रहता,मुंह से झाग निकलते हैं। 

कारण: नींद की कमी, तनाव, सिर पर चोट लगना, समय पर दवाओं का सेवन न करना, कुछ दवाओं के इस्तेमाल का दुष्परिणाम,दूर्घटना, तेज बुखार होने, खून में ग्लूकोज की मात्रा का कम होने के कारण मिर्गी के दौरे पड़ सकते हैं।

बचाव के उपाय: भरपूर नींद लें। 
धूम्रपान के सेवन से बचें।
व्यायाम व सैर करें।
नियमित दवा लें। डॉक्टर के सलाह के बिना कोई दवा न लें।
लंबी दूरी की यात्रा में खुद गाड़ी न चलाएं।
तैराकी न करें।
मिर्गी का दौरा आने पर क्या करें: सबसे पहले पीडि़त के कपड़े ढ़ीले कर दें, ताकि उसे हवा लगे।
दौरे के दौरान पीडि़त को कुछ भी खिलाना या पिलाना नहीं चाहिए।
व्यक्ति के पास से नुकीली वस्तुएं हटा दें।
व्यक्ति को आरामदायक जगह पर एक करवट पर लिटा दें।
मुंह से कुछ भी खिलाने की कोशिश न करें और न ही कुछ पीने को दें। ऐसे करने पर खाना या पानी सीधा जाने पर मरीज की मौत हो सकती है।
जल्द से जल्द सभी सुविधाओं से लैस नजदीकी अस्पताल तक पहुंचाना चाहिए।

Sunday 29 October 2017

भक्ति में विश्वास का स्थान - कृपा सागर

भक्ति में विश्वास का स्थान - कृपा सागर

फरीदाबाद:29अक्टूबर (National24news) विश्वास एक ऐसा शब्द है जिससे साधारण से साधारण व्यक्ति भी परिचित है। धनवान् हो या निर्धन, शिक्षित हो या अशिक्षित, शहरी हो या ग्रामीण सभी जानते हंै कि विश्वास संसार के हर रिश्ते का एक अनिवार्य अंग ही नहीं उसकी सफलता का प्रमुख द्वार है। हमारे सम्बन्ध घर-परिवार के सदस्यों के साथ हों, अपने कार्यालय या कम्पनी में अपने ऊपर या नीचे के स्तर के सहयोगियों से हों, मित्रों या ग्राहकों से हों तभी सुखद और स्थाई हो सकते हैं यदि उन्हें हमारे प्रति और हमें उनके प्रति विश्वास बना रहे, कायम रहे।

ईश्वर के साथ हमारा भक्ति का नाता है। प्रेम के साथ-साथ यहाँ भी विश्वास भक्ति का एक अनिवार्य अंग है, इसकी सफलता की कंुजी है। जहाँ प्रेम शरीरों का मोहताज है, विश्वास के लिए इष्टदेव भगवंत के गुण, उसकी शक्तियां आधार बनती हैं। इसीलिए आध्यात्मिक जगत् में प्रायः विश्वास की बजाय ‘श्रद्धा’ शब्द का प्रयोग किया जाता है। भक्ति में जब हम निराकार प्रभु परमात्मा से प्रेम करना चाहते हंै तो साकार सत्गुरु, ब्रह्मज्ञानी संतों अथवा इसके बन्दों को माध्यम बना लेते हैं परन्तु श्रद्धा सीधे ही निरंकार में व्यक्त करते हैं। श्रद्धा में एक अवस्था ऐसी भी आ जाती है जब भक्त और भगवन्त एक हो जाते हैं और भक्त निराकार से वह नोंक-झोंक कर जाते हैं जो साधारणतः प्रेम-संबंध में होती है, जैसे-

जउ पै हम न पाप करंता अहे अनंता, 
पतित् पावन नाम तेरो कैसे हुंता!
अर्थात् यदि हम पाप नहीं करते तो तुम पतित-पावन कैसे कहलाते, यानि यदि आप हमारे लिए विशेषता रखते हैं तो आपके लिये हमारा अस्तित्व भी कम महत्वपूर्ण नहीं।

इसी प्रकार -
जउ हम बांधे मोह फास हम प्रेम बंधन तुम बांधे,
अपने छूटन कउ जतन करौ हम छूटे तुम आराधे।
अर्थात् हे ईश्वर! यदि तुमने हमें मोह माया के बंधनों में जकड़ रखा है तो हमने भी तुम्हें अपने प्रेम के बंधन में जकड़ लिया है। हम तो तुम्हारी आराधना करके छूट जायेंगे मगर तुम हमारे प्रेम के बन्धन से कैसे छूट पाओगे? 

भक्ति में विश्वास अथवा श्रद्धा का अर्थ है पूर्ण समर्पण। हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना तो करते हैं मगर यह अधिकार ईश्वर को ही देते हैं कि यह हमें क्या, कितना और कब देता है, देता भी है कि नहीं देता है। हमें विश्वास रहता है कि इसका निर्णय ही हमारे हित में है। हम तो अपने हितों के बारे में अंजान हो सकते हैं मगर ईश्वर सब जानता है। यहाँ राजा जनक अपने राज-पाट का अभिमान नहीं करते और न ही कबीर जी सांसारिक पदार्थों की कमी के लिए शिकवा-शिकायत करते हैं, मगर दोनों ही एक जैसी आनन्द की स्थिति में हैं क्योंकि दोनों को ही ईश्वर ने जो कुछ प्रदान किया है उससे संतुष्ट हैं, प्रसन्न हैं। दोनों ही ब्रह्यज्ञानी हैं, ईश्वर पर पूर्ण विश्वास रखते हुए समर्पित भाव से विचरण करते हैं।

विश्वास हमें असत्य से निकालकर सत्य की ओर अग्रसर करता है। अनेकता की भटकन से निकालकर एक में स्थित करता है। विश्वास पूर्ण पर ही टिकेगा किसी अधूरेपन की गुंजाइश ही नहीं। यह विश्वास ही है जो हमें अपनी मंजिल परम् सत्य ईश्वर तक पहुँचाता है। हमने पूर्ण सत्गुरु पर विश्वास किया तो उसी ने हमें यह मंजिल दी जिसके बाद हमें न किसी अन्य मार्गदर्शक की आवश्यकता महसूस होती है न किसी अन्य भगवंत की।

विश्वास हमारा भाग्य बदल देता है जीवन में क्रांति लाने का कारण बन जाता है। कहा जाता है कि एक अंधा व्यक्ति हज़रत ईसा मसीह जी के पास आया और कहने लगा - ’’प्रभु मेरी आँखों पर हाथ फेर दो मुझे विश्वास है कि मुझे मेरी नज़र मिल जायेगी।’’ उन्होंने लाख मना किया कि यह शक्ति मेरे पास नहीं है परन्तु नेत्रहीन व्यक्ति यही कहता रहा कि मुझे विश्वास है कि आपके हाथ फेरने से मुझे मेरी नज़र मिल जायेगी। अंत में हज़रत ईसा मसीह जी मान गए और जैसे ही उन्होंने उसकी आंखों पर हाथ फेरा उसको दिखाई देने लग गया। कह उठा कि श्देखा प्रभु, मुझे विश्वास था कि आपके हाथों में यह शक्ति है।श् आगे से प्रभु बोले - श्यह मेरी शक्ति का नहीं तुम्हारे विश्वास का चमत्कार है।श् इस तरह विश्वास हमारा भाग्य बदल देता है।

ईश्वर पर विश्वास आने से हमारा मन शुद्ध हो जाता है। हमारे अंदर से तमाम विपरीत भावनायें दूर हो जाती हंै और प्यार, प्रीत, नम्रता, सहनशीलता जैसे मानवीय गुणों को स्थान देती हैं, हमारे जीवन को सुंदर बना देती हैं। ईश्वर पर विश्वास इसकी रज़ा में रहने का, अपने अंदर सब्र संतोष की भावना को प्रबल करने का साधन बन जाता है।

विश्वास हमारे व्यक्तिगत अनुभव का परिणाम होता है। किसी के कहे सुने पर विश्वास करना तो अंध विश्वास ही कहलाता है जो व्यक्ति को लाभ कम हानि अधिक देता है। हमारा ज्ञान, भक्ति सब व्यक्तिगत होते हैं। सेवा, सत्संग, सुमिरण हमारा अपना-अपना होता है।

विश्वास हमें दूसरों के निकट होने का साधन बनता है। संतों भक्तों का मानना है कि हम सभी पर विश्वास करें और इस बात के लिए भी तैयार रहें कि हो सकता है उनमें से कोई छल करने वाला भी निकल आए। परन्तु यह नीति उस नीति से कहीं बेहतर है जिसमें हम किसी पर भी विश्वास न करें और किसी से भी धोखा न खायें।

 संत निरंकारी मिशन में हमें प्रेरणा दी जाती है कि हम संतों का संग करें ताकि हमारा ईश्वर प्रभु परमात्मा पर विश्वास बना रहे और इसके दिव्य गुणों का लाभ हम अपने सामाजिक अथवा सांसारिक जीवन में भी प्राप्त कर सकें।


Saturday 28 October 2017

मैट्रो अस्पताल में लवकाग्रस्त मरीजों के लिए कारगार साबित हो रही है थ्रोम्बोलाइसिस इजेक्शन तकनीक- डा. रोहित गुप्ता

मैट्रो अस्पताल में लवकाग्रस्त मरीजों के लिए कारगार साबित हो रही है थ्रोम्बोलाइसिस इजेक्शन तकनीक- डा. रोहित गुप्ता

फरीदाबाद:28अक्टूबर (National24news)  मैट्रो अस्पताल में 300 से अधिक मरीजों को किया गया पूरी तरह ठीक आज वल्र्ड स्ट्रोक डे के अवसर पर मैट्रो अस्पताल के न्यूरोलोजी विभाग के सीनियर कंसलटेंट न्यूरोलोजिस्ट डा. रोहित गुप्ता ने कहा कि स्ट्रोक मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा आम कारण है। यह भारत में वयस्क विकलांगता का प्रमुख कारण है। पिछले कुछ दशकों में विकसित देशों के मुकाबले जहाँ स्ट्रोक का प्रसार घटा गया है, भारत में स्ट्रोक का बोझा बढ़ते ही जा रहा है।

भारत में स्ट्रोक के प्रसार के बढ़ने के कुछ कारण है जैसे धूम्रपान, बढ़ती लम्बी उम्र और शहरीकारण द्वारा लाइफस्टाईल में बदलाव। लोगों में स्ट्रोक के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए मैट्रो अस्पताल में डा. रोहित द्वारा फेसबुक का लाइव सेशन भी किया, जिसमें कई मरीजों में अपने प्रश्न पूछे। डब्ल्यूएचओ ने पाया कि भारत में स्ट्रोक के बोझ का हाइपरटेन्शन, धूम्रपान, बढ़ता लिपिड स्तर और डाएबीटिज कुछ महत्वपूर्ण कारण है। तीव्र स्ट्रोक/लकवाग्रस्त रोगियों के लिए थ्रोम्बोलाइसिस इंजेक्शन एक नई तकनीक है। मैट्रो अस्पताल नियमित रूप से मस्तिष्क में धमनियों की रूकावट के उपचार के लिए थ्रोम्बोलाइसिस तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है।

 मैट्रो अस्पताल, फरीदाबाद में थ्रोम्बोलाइसिस तकनीक द्वारा अब तक 300 से अधिक मरीजों को ठीक किया जा चुका है। इसके लिए उम्र की कोई समय-सीमा नहीं हैं। हमारे विभाग में उच्च न्यूरो इमेजिंग तकनीकी संसाधन है। अस्पताल में एम.आर.आई. व सीटी स्कैन की सुविधा भी उपलब्ध है। तीव्र स्ट्रोक/लकवाग्रस्त 40 साल से कम के लोगों में भी हो सकता है। भारत में तीव्र स्ट्रोक/लकवे से 10 से 15 प्रतिशत मरीज 40 से कम उम्र के होते है। थ्रोम्बोलाइसिस तकनीक 18 साल से ऊपर के किसी भी मरीज पर की जा सकती है। युवा मरीजों पर इसके रिजल्ट बहुत अच्छे होते है। डा. एस.एस. बंसल मैनेजिंग डायरेक्टर मैट्रो अस्पताल, फरीदाबाद ने हमें बताया कि थ्रोम्बोलाइसिस की यह तकनीक लकवा होने के 4ण्5 घंटे तक की जा सकती है। तीव्र स्ट्रोक/लकवाग्रस्त होने पर मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल पहुँच जाना चाहिये। क्योंकि जल्दी से उपचार मिलने पर इसके अच्छे परिणामों की प्राप्ति 100 प्रतिशत तक हो सकती है। 

डा. रोहित गुप्ता ने कहा कि थ्रोम्बोलाइसिस चिकित्सा के उपयोग व जागरूकता पर जोर देने की जरूरत है। विंडो पीरियड का महत्व, थ्रोम्बोलाइसिस चिकित्सा का लाभ, स्ट्रोक के बारे में जानकारी होनी चाहिये। इस अवसर पर मैट्रो अस्पताल के डायरेक्टर एवं वरिष्ठ हृदय रोग विषेषज्ञ डा. एस.एस. बंसल का कहना है कि मैट्रो अस्पताल नई-नई तकनीक के माध्यम से लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए प्रयासरत है और आने वाले समय में भी अस्पताल नई-नई तकनीकों के माध्यम से लोगों को बहेतर चिकित्सा सेवाएं देने के लिए कार्य करता रहेगा। साथ ही उन्होंने कहा की जागरूकता, समय रहते बिमारियों से बचाव एवं अनुशासिक जीवन प्रणाली एक बेहद कारगर उपाय है, इन सभी गंभीर बिमारियों से बचने के संदर्भ में मैट्रो अस्पताल, फरीदाबाद जानकारी के विभिन्न उपायों को करते रहते है।