Sunday 19 August 2018

एशियन ने आयोजित किया दो दिवसिय अर्थ्रोप्लास्टी कॉन्क्लेव


फरीदाबाद 19 अगस्त I  एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज ने दो दिवसिय अर्थ्रोप्लास्टी कॉन्क्लेव का आयोजन 18 व् 19 अगस्त को अस्पताल के प्रांगड़ मैं किया I जिसका शुभारंभ उद्योग मंत्री श्री विपुल गोयल, चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. एन. के. पांडेय, एडमिन डायरेक्टर अनुपम पांडेय, मेडिकल डायरेक्टर डॉ. प्रशांत पांडेय,पी एच सी डारेक्टर प्रभ शरण आहुजा, हड्डी रोग विभाग के एच. ओ. डी डॉ. मृणाल शर्मा ने किया I 

इस कॉन्क्लेव मैं देश भर से तक़रीबन 175 हड्डी रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिसमें एम्स से डॉ. सी एस यादव, मेदांता से डॉ. ए के मर्या, बीएलके अस्पताल से डॉ. प्रदीप शर्मा, मैक्स पटपरगंज से डॉ. अनिल अरोड़ा, शारदा मेडिकल कॉलेज से डॉ. सुधीर व् कई अन्य डॉक्टर शामिल हुए I इस कॉन्क्लेव में लाइव सर्जरी के माद्यम से डॉक्टरों को रोबोटिक घुटना प्रत्यारोपण सिखाया गया व्  घुटने व् हड्डी प्रत्यारोपण के इलाज में आने वाली नयी तकनिकी आयाम के बारे में समझाया गया I 

इस मोके पर अस्पताल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. एन. के पांडेय ने कहा कि हम इस तरह के कॉन्क्लेव व् कांफ्रेंस प्रतिवर्ष आयोजित करते हैं ताकि देशभर के डॉक्टरन को नयी तकनीकों के बारे में अवगत कराया जा सके I 

कॉन्क्लेव के आयोजक व् हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मृणाल शर्मा ने बताया कि हमारा मकसद देश के चुनिंदा डॉक्टरों को एक ही एक सभा में लाना हैं ताकि बाकि सभी डॉक्टर उनसे ईलाज के क्षेत्र में हो रही नयो तकनीकों कि जानकारी हासिल कर सकें हड्डी प्रत्यारोपण क्षेत्र में हो रही नयी तकनीकी सीख सकें I

उद्योग मंत्री श्री विपुल गोयल ने कहा कि आज अर्थ्रोप्लास्टी कॉन्क्लेव के आयोजन के लिए मैं एशियन हॉस्पिटल को बधाई देता हूं और सभी प्रतिष्ठित हॉस्पिटल से आए एक्सपोर्ट डॉक्टर्स का भी अभिवादन करता हूं। चाहे हड्डियों के रोग हो या फिर दूसरी बीमारियां, सवा अरब की आबादी वाले हमारे देश में बीमारियों के उचित इलाज के लिए और सस्ते इलाज के लिए लगातार अनुसंधान भी जरूरी है और एशियन हॉस्पिटल का इसमें जो योगदान है वह काफी सराहनीय है जिसके लिए मैं यहां की पूरी टीम को बधाई देना चाहूंगा।

इस तरह के सेमिनार एक दूसरे के साथ तकनीक साझा करने का अच्छा माध्यम हो सकता है। जब अलग अलग हॉस्पिटल्स के एक्सपोर्ट एक साथ विचार साझा करते हैं तो नए अनुसंधान में निश्चित तौर पर मदद होती है।
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